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अक्टूबर 27, 2021 430 0 Katie Bass
Encounter

अनंत खज़ाने को खोजें

क्या आपकी चेकबुक अनंत सच्चाइयों का दर्पण है? अगर नहीं, तो स्थायी प्रभाव के लिए निवेश करने का समय गया है।

जिस वक्त मैंने कॉलेज में दाखिला लिया उस वक्त मैं अपने पारिवारिक परेशानियों की वजह से अंदर ही अंदर काफी बिखरी हुई थी। इसी वजह से मैंने गलत जगहों में जीवन का मतलब तलाशने की गलती की। हालांकि मैं कैथलिक परिवेश में पली बढ़ी थी, फिर भी उस वक्त मैं ईश्वर और कैथलिक विश्वास से दूर होती जा रही थी। उन दिनों मैंने रविवार के मिस्सा बलिदान में भाग लेना छोड़ दिया था और मेरा जीवन पार्टियों और अन्य सांसारिक चीज़ों में उलझ कर रह गया था।

मुलाकात का वह पल

एक रविवार की बात है, मैं मिस्सा बलिदान में भाग लेने की चाह से जागी। मिस्सा के दौरान जब पुरोहित ने परमप्रसाद को ऊंचा उठाया तब मैंने सच्चे दिल से प्रार्थना की, “हे ईश्वर, मैं इस योग्य नहीं हूं कि तू मेरे यहां आए, किंतु एक शब्द कह दे और मेरी आत्मा चांगी हो जाएगी।” मैं यह जानती थी कि मेरे लिए कृपा प्राप्त करने की आशा थी, पर मैं इस उलझन में थी कि ईश्वर मुझे वह कृपा प्रदान करेगा या नहीं। परमप्रसाद संस्कार के दौरान जब मैं परमप्रसाद ग्रहण कर रही थी तब मुझे येशु के शुद्धीकरण और क्षमा भरे प्रेम का अलौकिक अनुभव प्राप्त हुआ। उस पल मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मुझे सर से पांव तक धो दिया जा रहा है, जिसके बाद मुझे स्वच्छता और गर्माहट महसूस हुई। एक तीव्र प्रेम ने मुझे भर लिया जो मुझे आज भी महसूस होता है। मेरे बिखरेपन में भी ईश्वर ने मुझे अपनाया, गले लगाया। उस पल में मैं खुशी से झूम उठी। इसी तरह मेरे नए जीवन की शुरुआत हुई।

ख्रीस्त के साथ इस अनोखे अनुभव को प्राप्त करने के बावजूद, बाहरी दुनिया अब भी मुझे प्रभावित कर रही थी। अब मैं पार्टियों में जा कर अपना समय बर्बाद नहीं कर रही थी, फिर भी मेरा सम्पूर्ण ध्यान धन, दौलत, मान मर्यादा, नाम और शोहरत को कमाने के तरीकों पर था। मैं ख्रीस्त की राह पर चल रही थी फिर भी खुद में आत्मविश्वास भरने के लिए मुझे स्कूल में अव्वल आने की संतुष्टि पर निर्भर रहना पड़ता था । नर्सिंग में  डबल मेजर का प्रशिक्षण सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद, अमेरिका के सबसे अच्छे बच्चों के अस्पताल से मुझे नौकरी का प्रस्ताव मिला। मैं अपना लक्ष्य प्राप्त कर चुकी थी, पर तब तक मेरा दिल कुछ और चाहने लगा – अब मेरे अंदर मिशनरी बनने की तीव्र इच्छा जागने लगी।

उस दैविक मुलाकात के बाद से मेरी इच्छा थी कि मैं ईश्वर के प्रेम की वह ज्योति जो मैंने कैथलिक चर्च में प्राप्त की उसे औरों तक पहुंचाऊं। मैं ईश्वर से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करने लगी, जिसके बाद मैं जीसस यूथ के एक सदस्य से मिली। जीसस यूथ कलीसिया से जुड़ी हुई एक अंतरराष्ट्रीय मिशनरी मुहिम है। मैं इस विचार से बहुत प्रभावित हुई कि प्रभु ने मेरे जीवन के सभी अनुभवों को ध्यान में रखा और ख्रीस्त के बारे में गहराई से जानने के लिए मुझे प्रेरित किया।

दैनिक प्रेरणा

आखिरकार, मैंने उस नौकरी के प्रस्ताव को मना कर के जीसस यूथ के साथ थाईलैंड के बैंगकॉक शहर जाने का फैसला किया। वहां जाने से पहले मैंने जिस प्रशिक्षण में भाग लिया वह एक अद्भुत अनुभव था। इन सब बातों ने मेरी ज़िंदगी बदल दी और आज भी मेरी दैनिक दिनचर्या में ये बातें मुझे अपने मिशन पर ध्यान केंद्रित रखने की प्रेरणा देती हैं। जैसे कि, मेरी पहली संतान के जन्म के बाद मुझे लाइम नामक बीमारी हो गई थी, लेकिन ईश्वर की कृपा से मुझे सारी दवाइयां और सारी मदद आसानी से प्राप्त हुई जबकि उन दिनों मैं चार एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर थी। मुझे याद है ट्रेनिंग के दिनों में हमें सिखाया गया था: जब ईश्वर हमें स्वास्थ्य और समृद्धि से अनुग्रहीत करता है, तब हम ईश्वर से कभी नहीं पूछते हैं “प्रभु मैं ही क्यों?”  लेकिन जब दुख तकलीफें आती हैं तब हम अक्सर ईश्वर से पूछ बैठते हैं, “प्रभु मैं ही क्यों?”

इसीलिए जब मैं बीमार थी उन दिनों मैंने ईश्वर से अपने दुख तकलीफों की वजह पूछने के बजाय अपनी हालत को स्वीकारा और उन सारी आशीषों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जो मुझे ईश्वर से मिली थीं – जैसे की मेरा बच्चा, मेरा परिवार, और मेरा इलाज करने वाले लोग। ईश्वर ने मुझे उनकी अलौकिक मर्ज़ी को समझने की कृपा दी और इसीलिए मैं बार बार दोहराती रही, “तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में है, वैसे इस पृथ्वी पर भी पूरी हो।” मेरे पास यही सिद्ध करने के लिए कई उदाहरण हैं कि कैसे मेरी ट्रेनिंग में बिताए दिनों और मेरे बहुत से मिशनरी अनुभवों ने हर दिन मुझे प्रोत्साहित किया।

मिशनरी जीवन को अनुभव करने से पहले मैं अपनी मर्ज़ी के हिसाब से चलती थी। मैं सिर्फ अपनी ज़रूरतों और अपने लक्ष्यों के बारे में सोचा करती थी। हालांकि मेरे पास काफी अच्छे दोस्त थे, फिर भी उन लोगों को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि मेरे दिल में क्या चल रहा होता था। पहले मैंने अपने इर्द गिर्द ऊंची दीवारें खड़ी कर रखी थीं। जब मैंने ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया तब ये दीवारें टूट कर बिखर गईं। येशु के बपतिस्मा के त्योहार के दिन मिस्सा बलिदान में भाग लेते हुए मुझे यह कृपा प्राप्त हुई कि मैं ख्रीस्त को गहराई से जान सकूं और यह समझ सकूं कि बपतिस्मा कैसे मेरे जीवन को परिवर्तित करता है।

स्वर्ग का एक पूर्वाभास

बपतिस्मा संस्कार के द्वारा हम ईश्वर के राज्य के वारिस बन जाते हैं। वह क्षण मेरे लिए जीवन बदलने वाला क्षण था। मैं अक्सर अपने परिवार और दोस्तों की ओर देख कर सोचा करती थी, “मेरे परिवार वाले किस तरह मेरे काम आ सकते हैं?” पर उस दिन मुझे एहसास हुआ कि ईश्वर की प्यारी बेटी के रूप में, मुझे यह सोचना चाहिए कि, “मैं किस तरह उनकी सेवा कर सकती हूं? मैं परमेश्वर के प्रेम को दूसरों को कैसे दे सकती हूँ?” धीरे धीरे मुझे अपने आप में एक बड़ा बदलाव महसूस होने लगा। जीसस यूथ की सदस्य बन कर, मैंने सामुदायिक जीवन का अनुभव किया जो पूरी तरह से मसीह के इर्द-गिर्द घूमता था।

रेक्स बैंड में शामिल होने के बाद, मुझे ईश्वर की महिमा के गीत गाने के अनेक अदभुत अवसर प्राप्त हुए। खासकर पोलैंड में विश्व युवा दिवस का वो समारोह, जहां हम स्टेज पर गीत गा रहे थे, उस वक्त दुनिया के अलग अलग राष्ट्रों से आए लाखों लोगों को ईश्वर की महिमा के लिए झंडे लहराते देखना बड़ा ही विस्मयकारी था। पूरी दुनिया को ईश्वर की स्तुति करने के लिए इकट्ठा होते देखना, एक अद्भुत अनुभव था, जो कि स्वर्ग के एक पूर्वस्वाद की तरह था। वह आनंद, ईश्वर के लिए गीत गाना और मिशन कार्यों को करते हुए साथ रहना, जीवन बदलने वाला अनुभव था!

उस साल जो मैंने जीसस यूथ के साथ मिशन कार्यों को करते हुए बिताया, वह मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव ले कर आया। मैंने महसूस किया कि परमेश्वर ने मुझे एक अनोखे उद्देश्य के लिए चुना है और मैंने ख्रीस्त के साथ एक गहरा और मजबूत संबंध स्थापित किया।

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यह लेख शालोम वर्ल्ड कार्यक्रम, “गॉड्स क्रेजी पीपल” के लिए उनकी गवाही पर आधारित है। एपिसोड देखने के लिए यहां जाएं: shalomworld.org/show/gods-crazy-people

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Katie Bass

Katie Bass अमेरिका के लुइसियाना शहर में अपने पति जो, और दो साल के बेटे सैम के साथ रहती हैं।

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