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अक्टूबर 27, 2021 296 0 Father Tao Pham
Encounter

तूफानों से जूझते हुए

फादर ताओ फाम अपनी विकलांगता के बावजूद तूफानों के बीच में से अपनी विस्मयकारी यात्रा का वर्णन करते हैं ।

पुरोहित बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए मुझे बहुत सारी चुनौतियों और मुश्किलों को पार करना पड़ा। कई बार, जब दर्द असहनीय लग रहा था, मैंने प्रार्थना की कि येशु की दु:ख पीड़ाओं के साथ मेरे कष्ट भी एक किये जाएं। मैं जानता था कि येशु कुछ भी कर सकते हैं, इसलिए अगर उनकी इच्छा है कि मैं उनका पुरोहित बनूं, तो एक दिन मैं पुरोहित ज़रूर बनूंगा।

मेरा जन्म वियतनाम के उत्तरी प्रांत में हुआ था। 8 बच्चों में मैं 7-वें स्थान पर था। हम सभी भाई बहन एक गरीब गाँव में पले-बढ़े जहाँ नौ वर्षों में मेरी स्कूली शिक्षा समाप्त हुई। लेकिन मुझे लगा कि मसीह मुझे पुरोहित बनने के लिए बुला रहे हैं। यदि मुझे हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त हो तभी मेरा पुरोहित बनना संभव था। जब मैं १४ साल का था, तब मैंने और मेरे भाई ने दू:खित मन से अपने परिवार से विदा ले ली ताकि हम हाई स्कूल जा सकें।

उन दिनों, उत्तरी वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार ने सभी सेमिनरियों को बंद कर दिया था। इसलिए हाई स्कूल पूरा करने के बाद, मैंने अपने पल्ली पुरोहित की पूर्णकालिक सहायता करने में चार साल बिताया, विश्वविद्यालय में चार साल और अंत में दक्षिणी वियतनाम में सेमिनरी प्रशिक्षण शुरू करने से पहले चार साल मैंने अध्यापन में बिताए। मेरा सपना आखिरकार सच हो रहा था, लेकिन यह तो बस शुरुआत थी। जब मैंने दर्शनशास्त्र के तीन वर्ष पूरे किए, तो मेरे पास ऑस्ट्रेलिया में पुरोहिताई का अपना प्रशिक्षण पूरा करने के लिए एक बुलावा आया।

अप्रत्याशित

धर्मशास्त्र का अध्ययन करने के तीन और वर्षों के बाद मैंने और एक साल ग्रामीण आंचल में अनुभव प्राप्ति में समय बिताया। इस के बाद, मुझे आखिरकार यह खुशखबरी मिली कि बिशप ने एक डीकन के रूप में मेरे अभिषेक के लिए तारीख तय की थी। जिस बड़े दिन की मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था, उस से कुछ ही दिन पहले, जब मैं कार से अपना सामान निकाल रहा था, तो कार की डिग्गी मेरे पैर पर गिर गयी। उस छोटी सी दुर्घटना में मेरी पदांगुलियाँ कुचल गयीं। सेमिनरी के मेरे साथियों ने मेरे पैर की उँगलियों में मलहम पट्टी बाँध ली, लेकिन उंगलियां इतनी सूज गई और दर्द बढ़ती गई कि तीन दिनों के बाद,  आखिरकार मुझे अस्पताल जाना पड़ा। मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ जब डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरे पास सामान्य रक्त की मात्रा का 50% से कम रक्त था क्योंकि आंतरिक रूप से पेट से मेरा खून नष्ट हो रहा था। उन्होंने मेरे पेट में अल्सर ढूंढ निकाला, जिसके लिए एक आपातकालीन ऑपरेशन की आवश्यकता थी।

ऑपरेशन के बाद जब मैं जागा तो अपने आप को बिस्तर से बंधा हुआ देखकर मैं चकित रह गया। डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान मैं इतना कांप रहा था कि उन्हें मुझे बांधना पड़ा ताकि मुझे रक्तदान दिया जा सके। उन्होंने बताया कि मुझे टिटनेस है, लेकिन ४० दिनों के उपचार के बाद, मैं सेमिनरी वापस जाने के लिए स्वस्थ हो गया था, ताकि पुरोहिताई अभिषेक से पहले मैं गहन अध्ययन शुरू कर सकूं। कई हफ्तों के बाद, बिशप ने मुझे उनके साथ रहने के लिए कहा। उनके साथ पवित्र मिस्सा बलिदान में उपस्थित होना एक अद्भुत अनुभव था, लेकिन एक दिन मैं अचानक गिरजाघर में गिर गया और मुझे वापस अस्पताल ले जाना पड़ा।

अस्पताल वालों ने मुझे गहन निगारानी और देखभाल में रखा क्योंकि मुझे एक भयावह रक्त संक्रमण हो गया था और मेरे जीने की उम्मीद नहीं थी। मेरी सांस रुक गई और मुझे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखना पड़ा। चूंकि डॉक्टरों को यकीन था कि मैं मर जाऊंगा, उन्होंने मेरे परिवार को सन्देश भेजा और मेरा भाई वियतनाम से आ गया। मुझे अंतिम संस्कार देने के बाद, जीवन समर्थन बंद कर दिया गया था, लेकिन मैं नहीं मरा। कुछ घंटों के बाद भी मुझे जिंदा देखकर, उन्होंने फिर से मशीनों को चालू कर दिया। कुछ हफ़्ते बाद, उन्होंने मशीनों को फिर से बंद कर दिया, लेकिन मैं अभी भी ज़िंदा रहा। मैं 74 दिनों तक कोमा में रहा और मेरा 18 बार ऑपरेशन किया गया।

कटा हुआ अलग थलग   

जब मैं कोमा से उठा, तब भी मैं बहुत दर्द में था। मैं बात नहीं कर सका क्योंकि मेरे गले में एक ट्यूब थी। ट्यूब हटा दिए जाने के बाद भी मैं बोल नहीं पा रहा था। धीरे-धीरे और दर्द के साथ फिर से बातचीत करना सीखने में महीनों लग गए। मेरी हालत अभी भी गंभीर थी इसलिए डॉक्टरों ने मुझे एक और सर्जरी के लिए तैयार किया, जिसके लिए मेरे भाई ने पहले ही सहमति दे दी थी, लेकिन जब मैंने पढ़ा कि वे मेरा पैर काटने की योजना बना रहे हैं, तो मैंने मना कर दिया। डॉक्टर ने मुझसे कहा कि अगर वे इसे नहीं काटते तो मैं मर जाऊंगा। लेकिन मैं नहीं चाहता था कि एक पैर कट जाने की वजह से मैं पुरोहिताई अभिषेक से वंचित रह जाऊं। पुरोहित बनने के अपने सपने को मैं नहीं छोड़ सकता था, भले ही मेरा परिवार और कई अच्छे दोस्त मुझसे कह रहे थे कि मेरे स्वास्थ्य की स्थिति बहुत ही निराशाजनक है, इसलिए उन्होंने मुझे सलाह दी कि बाद में चंगा होकर मैं वियतनाम जाकर शादी कर लूं। मानसिक और शारीरिक रूप से यह बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मैंने ईश्वर में अपनी आशा और भरोसा रखा।

एक महीने तक मुंह में ट्यूब के साथ रहने के बाद, परम पवित्र संस्कार में प्रभु येशु को प्राप्त करने के लिए मैं बेताब था। मैं जानता था कि अगर मुझे येशु के बहुमूल्य रक्त की एक बूंद भी मिल जाती, तो मैं चंगा हो जाऊंगा। अगले दिन फादर पीटर पवित्र संस्कार में बहुमूल्य रक्त मेरे पास लाए। जैसे ही उन्होंने मेरे मुंह में कुछ बूंदें डालीं, मैंने देखा कि प्रभु का पवित्र रक्त मेरे शरीर में जा रहा है और मेरे संक्रमण को छूकर मुझे चंगा कर रहा है। अगले दिन, मुझे बहुत अच्छा लगा। जांच किए गए और संक्रमण चला गया था।

अस्पताल में एक साल से अधिक समय बिताने के बाद, मेरे भविष्य पर चर्चा करने के लिए अस्पताल के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई। मेरे परिवार की ओर से बिशप ने बैठक में भाग लिया। डॉक्टर ने बताया कि मैं फिर कभी नहीं चल पाऊंगा और जीवन भर 24 घंटे उच्च स्तरीय देखभाल की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि मैं खुद की देखभाल नहीं कर पाऊंगा, स्वयं स्नान नहीं कर पाऊंगा या यहां तक कि बिना मदद के बिस्तर पर या बिस्तर के बाहर नहीं निकल पाऊंगा। यह सुनना बिलकुल दू:खद था और बिशप के निर्णय को सुनना और भी विनाशकारी था कि वे मुझे एक डीकन या पुरोहित के रूप में अभिषिक्त नहीं करेंगे। इतने सालों की पढ़ाई और इंतजार के बाद मेरा सपना चकनाचूर होता दिख रहा था।

यह मेरे लिए बहुत कठिन था, हालांकि मैं प्रार्थना करता रहा। मैं फिर से चलने के लिए दृढ़ था, इसलिए मैंने उन सभी दर्दनाक अभ्यासों के लिए कड़ी मेहनत की, जो मुझे बताये गए थे। मैं ने अपनी प्रार्थनाओं में उन सभी लोगों के लिए अपने दुखों को येशु मसीह के दुखों के साथ जोड़कर समर्पित किया, जिन सब को मेरी प्रार्थनाओं की आवश्यकता थी। पुनर्वास में वर्षों लग गए। अक्सर मेरा मन करता था कि मैं हार मान लूं, लेकिन मैं अपने सपने पर कायम रहा और इसी सपने ने मुझे आगे बढ़ने का साहस दिया।

चमकती आँखें

इन सभी चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद, मैंने अभी भी महसूस किया कि ख्रीस्त मुझे अपनी कमजोरी में भी, अपने लोगों की सेवा करने के लिए पुरोहित बनने के लिए बुला रहे हैं। इसलिए, एक दिन मैंने मेलबर्न के आर्चबिशप को एक पत्र भेजा, जिसमें मैं ने उनसे मुझे पुरोहिताई अभिषेक देने के लिए निवेदन किया। मेरे आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही, क्योंकि उन्होंने मुझसे तुरंत मिलने और मेरी क्या ज़रूरतें हैं इस पर चर्चा करने की व्यवस्था की। उन्होंने मुझसे कहा कि भले ही मुझे बिस्तर पर लेटना पड़े या व्हीलचेयर पर बैठना पड़े, वे मेरा अभिषेक करेंगे। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि मेरा स्वास्थ्य सुधरेगा और मैं बेहतर हो जाऊंगा और एक दिन अपने पैरों पर चलूंगा। उस समय मैं व्हीलचेयर में था, लेकिन मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अपने अभ्यास पर काम करना जारी रखा। इसलिए जब अभिषेक का दिवस आया तो मैं चलते हुए अन्य लोगों के साथ जुलूस में शामिल हो सका।

हर्षित चेहरों वाले मित्रों से गिरजाघर खचाखच भरा हुआ था। उनमें से कई मुझसे तब मिले थे जब मुझे अस्पताल में उनकी सेवा की आवश्यकता थी, इसलिए वे जानते थे कि यह कितना आश्चर्यजनक था कि मैं इस दिन को देखने के लिए जीवित था। मेरी आंखों में खुशी के आंसू भर आए और मैं उनकी आंखों की चमक देख सकता था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह दिन आखिरकार आ ही गया था, अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने गांव से निकलने के 30 साल बाद।

अब, मैं एक व्यस्त पल्ली में दो अन्य पुरोहितों के साथ काम कर रहा हूँ। इस पल्ली के अंतर्गत चार गिरजाघर, कई विद्यालय और छह नर्सिंग होम हैं। हर दिन जब मैं मिस्सा पूजा अर्पित करने जाता हूं, तो यह एक नए चमत्कार की तरह है। मुझे नहीं लगता कि मैं इससे कभी ऊब जाऊंगा। फिर, पवित्र मिस्सा बलिदान से मजबूत होकर, मैं स्कूलों में बच्चों और नर्सिंग होम में बुजुर्गों से मिलने जाता हूं। मैं प्रभु येशु की उपस्थिति को उनके सामने लाने में अपने आप को धन्य महसूस करता हूं। मसीह की पुरोहिताई में हिस्सा लेने का लंबा इंतजार खत्म हो गया है और मैं येशु के साथ अपने दुखों का फल उन लोगों के साथ साझा कर सकता हूं।

अपनी सभी कठिनाइयों को झेलते हुए लोगों की विपत्तियों को समझने और उनकी मदद करने की क्षमता मुझे मिली है। मैंने सीखा है कि दूसरों की ज़रूरतों के बारे में सोचने और उनके लिए मुस्कुराता हुआ चेहरे लेकर कार्य करने से मैं अपने दुखों से दूर रहता हूँ और मेरे सभी दुख आनंद में बदल जाते हैं। जब लोग सहायता के लिए मेरे पास आते हैं, तो मैं अपनी बीमारियों से प्राप्त ताकत का लाभ उठा सकता हूं ताकि उन्हें अपने परीक्षणों के दौर में दृढ़ रहने के लिए मैं प्रोत्साहित कर सकूं। क्योंकि वे देख सकते हैं कि मैं विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति हूँ, इसलिए उनके लिए मुसीबत के समय में मुझसे संपर्क रखना आसान हो जाता है, ताकि वे अपने संकट के समय में आशा बनाए रखने के लिए कलीसिया का समर्थन प्राप्त कर सकें।

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यह लेख शालोम वर्ल्ड कार्यक्रम “ट्रायम्फ” के माध्यम से साझा की गई उनकी गवाही पर आधारित है। एपिसोड देखने के लिए shalomworld.org/show/triumph में  जाएं।

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Father Tao Pham

Father Tao Pham फादर ताओ फाम मेलबर्न महाधर्मप्रांत के पुरोहित हैं, जो ग्रीन्सबोरो नॉर्थ, ग्रीन्सबोरो और डायमंड क्रीक पल्ली में सहायक पुरोहित के पद पर कार्य करते हैं।

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