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अप्रैल 23, 2024
Encounter अप्रैल 23, 2024

उसे क्रोनिक सनकी बाध्यता विकृति (ओ.सी.डी.) का पता चला और उसे जीवन भर दवाएँ देनी पड़ीं। फिर, कुछ अप्रत्याशित घटित हुआ

1990 के दशक में, मुझे ऑब्सेसीव कम्पल्सीव डिसऑर्डर (ओ.सी.डी.) अर्थात सनकी बाध्यता विकृति का पता चला। डॉक्टर ने मुझे दवाएँ दीं और मुझसे कहा कि मुझे जीवन भर उन दवाओं को लेना होगा। कुछ लोग सोचते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इसलिए होती हैं क्योंकि आप में विश्वास की कमी है, लेकिन मेरे विश्वास में कुछ भी गलत नहीं था। मैं हमेशा ईश्वर से बहुत प्यार करती थी और सभी बातों में उस पर भरोसा करती थी, लेकिन मुझे एक स्थायी अक्षम्य अपराधबोध भी महसूस होता था। दुनिया में जो कुछ भी गलत था वह मेरी गलती थी, ऐसी धारणा से मैं छुटकारा नहीं पा रही थी।

मेरे पास कानून की डिग्री थी, लेकिन मेरा दिल कभी वहां नहीं था। मैंने अपनी मां को खुश करने के लिए कानून की पढ़ाई शुरू की थी। माँ ने सोचा था कि अध्यापन का पेशा मेरे लिए अच्छा नहीं होगा। इसलिए मैं ने क़ानून की पढ़ाई की। लेकिन इस बीच मैंने शादी कर ली थी और पढ़ाई पूरी होने से ठीक पहले मैंने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था, फिर एक के बाद एक, सात खूबसूरत बच्चों को जन्म दिया, इसलिए मुझे कानून के पेशे में काम करने की शिक्षा कम मिली, उसकी तुलना में मां बनने की प्रशिक्षण पाने में अधिक समय मैं ने बिताया। जब हमने ऑस्ट्रेलिया में घर बसाया, तो वहां का कानून अलग था, इसलिए, मैं अंततः अपना पहला प्यार, यानी अध्यापन की पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय वापस चली गयी। जब मुझे मेरी पसंदीदा नौकरी मिली, तब भी मुझे लगा कि मैं अपने अस्तित्व को सही ठहराने केलिए पैसा कमाने की कोशिश कर रही हूं। किसी तरह, मुझे नहीं लगा कि अपने परिवार की देखभाल करना और मेरे जिम्मे में सौंपे गए लोगों का पालन-पोषण करना ही काफी था। वास्तव में, मेरे भयावह अपराधबोध और अपर्याप्तता की भावना के साथ, कभी भी मुझे कुछ भी सही और खुशनुमा महसूस नहीं हुआ।

बिल्कुल अप्रत्याशित

हमारे परिवार के आकार के कारण, छुट्टी पर जाना हमेशा आसान नहीं होता था, इसलिए जब हमने पेम्बर्टन में कैरी होम के बारे में सुना तो हम उत्साहित हो गए, वहां का नियम यह है कि आपकी जितनी क्षमता है उतने ही दान का आप भुगतान करें। यह जंगलों के करीब बसा हुआ एक खूबसूरत इलाका था। हमने सप्ताहांत पारिवारिक साधना पर जाने की योजना बनाई। पर्थ में भी उनका एक प्रार्थना और आराधना समूह था। जब मैं शामिल हुई तब उन्होंने मेरा बहुत अच्छा स्वागत किया।

वहाँ, साधना के दौरान, कुछ बिल्कुल अप्रत्याशित और जबरदस्त घटित हुआ। थोड़ी देर पहले ही मुझ पर प्रार्थना की गयी थी और मैं अचानक ज़मीन पर गिर पड़ी। कोख में पल रहे भ्रूण की तरह फर्श पर लुढ़की हुई, मैं लगातार चिल्लाती रही। वे मुझे बाहर लकड़ी के बने पुराने जर्जर बरामदे में ले गए और तब तक प्रार्थना करते रहे जब तक कि मैंने चिल्लाना बंद नहीं कर दिया।

यह पूरी तरह से अनचाहा और अप्रत्याशित था। लेकिन मैं जानती थी कि उस बंधन से मेरी मुक्ति हो चुकी थी।

मैं बस सुकून देनेवाला खालीपन महसूस कर रही थी, मानो मुझसे कोई बड़ा बोझ उतर कर निकल गया हो। उस साधना के बाद, मेरे दोस्त लोग मेरा हालचाल लेते रहे और मेरे लिए प्रार्थना करने आए और माँ मरियम से मध्यस्थता की प्रार्थना की, ताकि पवित्र आत्मा के वरदान मुझमें प्रकट हो जाएं। मुझे इतना बेहतर महसूस हुआ कि एक या दो सप्ताह के बाद, मैंने दवा की खुराक कम करने का फैसला लिया। तीन महीने के भीतर, मैंने दवा लेना बंद कर दिया और मुझे पहले से बेहतर महसूस हुआ।

मैं बर्फ की तरह पिघल गयी

मुझे अब खुद को साबित करने या यह दिखावा करने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई कि मैं पहले से बेहतर हूँ। मुझे नहीं लगा कि मुझे सभी बातों में उत्कृष्टता हासिल करनी है। मैं जीवन के उपहार, अपने परिवार, अपने प्रार्थनाशील समुदाय और ईश्वर के साथ इस जबरदस्त संबंध के लिए आभारी हूं। अपने अस्तित्व को उचित ठहराने की आवश्यकता से मुक्त होकर, मुझे एहसास हुआ कि इसकी बिलकुल ज़रुरत नहीं है। यह जिन्दगी एक बड़ा उपहार है – जीवन, परिवार, प्रार्थना, ईश्वर के साथ संबंध – ये सभी उपहार हैं, कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे आप कभी अर्जित करने जा रहे हैं। आप इसे स्वीकार करते हैं और ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।

मैं एक बेहतर इंसान बन गयी। मुझे दिखावा करने, प्रतिस्पर्धा करने या अहंकारपूर्वक इस बात पर ज़ोर देने की ज़रूरत नहीं थी कि मेरा तरीका सबसे अच्छा था। मुझे एहसास हुआ कि मुझे दूसरे व्यक्ति से बेहतर नहीं बनना है क्योंकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ईश्वर मुझसे प्यार करता है, ईश्वर मेरी परवाह करता है। अपने अक्षम करने वाले अपराधबोध की पकड़ से बाहर आकर, मुझे तब से एहसास हुआ है कि “अगर ईश्वर मुझे नहीं चाहता, तो उसने किसी और को बना दिया होता।”

मेरी माँ के साथ मेरा रिश्ता हमेशा ही दुविधापूर्ण रहा। मैं स्वयं एक माँ बनने के बाद भी, अभी भी दुविधा की इन भावनाओं से जूझ रही थी। लेकिन इस अनुभव ने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया। जैसे ईश्वर ने येशु को दुनिया में लाने के लिए मरियम को चुना, उसने मेरे रास्ते में मेरी मदद करने के लिए माँ मरियम को चुना। मेरी माँ और बाद में पवित्र माँ मरियम के साथ संबंधों से मेरी समस्याएँ धीरे-धीरे दूर हो गईं।

मैं ने महसूस किया कि मैं सलीब के नीचे खड़े योहन की तरह हूँ; जब येशु ने उससे कहा: “देख यह तुम्हारी माता है।” मैंने माँ मरियम को एक आदर्श माँ के रूप में जाना है। अब, जब कभी मेरा दिमाग विफल हो जाता है, तो रोज़री माला मुझे बचाने के लिए आगे आती है! जब मैंने उसे अपने जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बना लिया, तभी मुझे एहसास हुआ कि मुझे उसकी कितनी ज़रूरत है। अब, मैं मां से अलग रहने की कल्पना भी नहीं कर सकती।

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By: Susen Regnard

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अप्रैल 23, 2024
Encounter अप्रैल 23, 2024

उन दिनों जब मैं छोटी लड़की थी, मैं एक सुपरहीरो बनना चाहती थी। लेकिन उम्र में आगे बढ़ती हुई, अंततः मैंने स्वीकार कर लिया कि वह एक बच्ची का मूर्खतापूर्ण सपना था, जब तक…

जब मैं बच्ची थी, मैं शनिवार की सुबह जल्दी उठकर कार्टून सीरियल ‘सुपर-फ्रेंड्स’ देखती थी, जो दुनिया को बचाने वाले सूपर हीरो लोगों के एक समूह के बारे में कार्टून था। मैं बड़ी होकर सूपर हीरो बनना चाहती थी। मैं कल्पना करती थी कि मुझे एक संकेत मिलता है कि किसी को मदद की ज़रूरत है और मैं तुरंत उनकी सहायता के लिए उड़ान भरती हूं। मैंने टीवी पर जितने भी सूपर हीरो देखे, वे गुप्त या छिपे छिपे रहते थे। दुनिया को वे उबाऊ जीवन जीने वाले सामान्य लोगों की तरह लग रहे थे। हालाँकि, मुसीबत के समय में, वे तुरंत जुट जाते थे और बुरे लोगों के हाथों से मानवता को बचाने के लिए एकजुट होकर कर काम करते थे।

एक बार जब मैं बड़ी हुई, तो मुझे पता चला कि कार्टूनों के सूपर हीरो काल्पनिक पात्र थे। मैंने अपनी मूर्खतापूर्ण धारणाओं को त्याग दिया… और, एक दिन, मेरी मुलाकात एक सच्चे सूपर हीरो से हुई, जिसने मेरी आँखें खोल दीं। मैं कभी-कभी स्थानीय गिरजाघर में सतत आराधना के प्रार्थनालय में प्रार्थना करने के लिए जाती थी। चूँकि परम प्रसाद की आराधना के दौरान किसी को हर समय उपस्थित रहना होता है, स्वयंसेवक थोड़े-थोड़े अंतराल के लिए साइन-अप करते हैं। अपनी कई यात्राओं के दौरान, मैंने व्हीलचेयर पर एक वृद्ध व्यक्ति को देखा जो प्रार्थनालय में बैठकर घंटों प्रार्थना करते थे। वे लगभग 90 वर्ष के लग रहे थे। समय-समय पर, वे एक बैग से अलग-अलग चीजें निकालते थे – कभी बाइबिल, कभी रोज़री माला, और कभी कागज का एक टुकड़ा जो मुझे लगता है कि एक प्रार्थना सूची थी। मैं सोचने लगी कि जब वे युवावस्था में थे, और शारीरिक रूप से स्वस्थ थे, तो उन्होंने किस तरह का काम किया होगा। उन्होंने पहले जो कुछ भी किया होगा, वह संभवतः उतना महत्वपूर्ण नहीं था जितना वे अब कर रहे थे। मुझे एहसास हुआ कि हममें से अधिकांश लोग इधर-उधर भागने में व्यस्त थे, और हमारी तुलना में व्हीलचेयर पर बैठा यह सज्जन कहीं अधिक महत्वपूर्ण काम कर रहा था।

गुप्त सूपर हीरो सादे वेश में छिपे हुए थे! इसका मतलब यह है कि मैं भी सुपरहीरो बन सकती हूं, हाँ प्रार्थना की सूपर हीरो।

त्वरित निवेदन का जवाब

मैंने गिरजा घर की प्रार्थना श्रृंखला में शामिल होने का फैसला किया। यह उन लोगों का एक समूह है जो निजी तौर पर दूसरों के लिए मध्यस्थ प्रार्थना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इनमें से कई प्रार्थना योद्धा बुजुर्ग हैं। कुछ विकलांग लोग हैं. कुछ लोग जीवन के ऐसे दौर में होते हैं जहां वे विभिन्न कारणों से घर में ही रहते हैं। हमें प्रार्थना का अनुरोध करनेवाले लोगों के नामों की ईमेल सूचनाएं मिलती हैं। जब किसी को मदद की ज़रूरत होती है, तो हमें एक संकेत मिलता है, ठीक उन कार्टूनों के सूपर हीरो की तरह, जिन्हें मैंने बहुत पहले देखा था।

प्रार्थना अनुरोध दिन के हर समय आते हैं: श्रीमान फलाना एक सीढ़ी से गिर गए और उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है; अमुक श्रीमती को कैंसर हो गया है; किसी का पोता किसी कार दुर्घटना में चोटिल हो गया है; नाइजीरिया में किसी व्यक्ति के भाई का अपहरण कर लिया गया है; तूफानी बवंडर में किसी परिवार ने अपना घर खो दिया है आदि इत्यादि। ज़रूरतों की बहुत लम्बी फेहरिश्त।

हम मध्यस्थ के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी को गंभीरता से लेते हैं। जैसे ही हमें प्रार्थना का निवेदन मिलता है, तुरंत हम जो कुछ भी कर रहे हैं उसे रोक देते हैं और प्रार्थना करते हैं। हम प्रार्थना योद्धाओं की एक सेना हैं। हम अंधकार की अदृश्य शक्तियों से लड़ रहे हैं। इस प्रकार, हम परमेश्वर के पूर्ण कवच धारण करते हैं और आध्यात्मिक हथियारों से लड़ते हैं। हम उन लोगों की ओर से प्रार्थना करते हैं जिन्हें ज़रूरत है। दृढ़ता और समर्पण के साथ, हम लगातार अपनी याचिकाएँ ईश्वर को सौंपते हैं।

हीरो प्रभाव

क्या प्रार्थना से कोई फर्क पड़ता है? समय-समय पर, हमें उन लोगों से प्रतिक्रिया मिलती है जिन्होंने प्रार्थना का अनुरोध किया है। नाइजीरिया में अपहृत व्यक्ति को एक सप्ताह के भीतर रिहा कर दिया गया। कई लोग चमत्कारी चंगाई का अनुभव करते हैं। सबसे बढ़कर, दुख के समय में लोगों को मजबूती मिलती है और उन्हें सांत्वना मिलती है। येशु ने प्रार्थना की, और दुनिया में क्रांति ला दी! प्रार्थना उनकी चंगाई, मुक्ति और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने की सेवा का हिस्सा थी। येशु पिता के साथ निरंतर संचार-संपर्क में थे। उन्होंने अपने शिष्यों को भी प्रार्थना करना सिखायी।

प्रार्थना हमें ईश्वर के दृष्टिकोण को समझने और अपनी इच्छा को उसके दिव्य स्वभाव के साथ समन्वय स्थापित करने की अनुमति देती है। और जब हम दूसरों के लिए मध्यस्थता करते हैं, तो हम मसीह के प्रेम की सेवा में उसके भागीदार बन जाते हैं। जब हम अपनी चिंताओं को सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्वव्यापी ईश्वर के साथ साझा करते हैं, तो वातावरण में बदलाव होता है। ईश्वर की इच्छा के साथ एकजुट होकर हमारी वफादार प्रार्थना, पहाड़ों को हिला सकती है।

“हे प्रभु, हम तुझसे प्रार्थना करते हैं कि तू हमारी सहायता कर और हमारी रक्षा कर! दीन दुखियों का उद्धार कर! तुच्छ समझे जाने वाले लोगों पर दया कर! गिरे हुए को उठा ले प्रभु! तू अपने आप को जरूरतमंदों के सम्मुख दर्शन दे! बीमारों को ठीक कर! तेरे लोगों में से जो भटक गए हैं, उन्हें वापस ला! भूखे को खाना खिला दे! कमज़ोरों को ऊपर उठा ले! बंदियों की जंजीरें उतार दे! सभी राष्ट्र जान लें कि केवल तू ही ईश्वर हैं, कि येशु तेरा पुत्र है, कि हम तेरे लोग हैं, हम भेड़ें हैं जिन्हें तू चराता है। आमेन।” (संत क्लेमेंट)

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By: Nisha Peters

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जनवरी 24, 2024
Encounter जनवरी 24, 2024

एक वफादार मुस्लिम होने के नाते दिन में तीन बार अल्लाह से प्रार्थना करने, उपवास करने, दान देने और नमाज़ पढने से लेकर संत पापा के निजी प्रार्थना कक्ष में बपतिस्मा लेने तक, मुनीरा की यात्रा में ऐसे मोड़ और बदलाव आये हैं जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे!

अल्लाह के बारे में मेरी छवि एक सख्त मालिक की थी जो मेरी थोड़ी सी भी गलती पर सज़ा दे देता था। अगर मुझे किसी चीज़ की ज़रुरत थी, तो मुझे उपवास और प्रार्थना के द्वारा अल्लाह की कृपा खरीदनी थी। हमेशा यह डर मुझे सताता था कि अगर मैंने कुछ भी गलत किया तो मुझे सज़ा मिलेगी। 

विश्वास का पहला बीज

मेरे एक चचेरे भाई को मृत्यु के करीब होने का अनुभव हुआ था, और उसने मुझे बताया कि उसे एक अंधेरी सुरंग से निकलने के दृश्य का अनुभव हुआ, जिसके अंत में उसने एक चमकदार रोशनी देखी और दो लोग वहां खड़े थे – येशु और मरियम। मैं उलझन में थी; क्या उसे पैगंबर मोहम्मद या इमाम अली को नहीं देखना चाहिए था? चूँकि उसे पूरा यकीन था कि ये येशु और मरियम थे, इसलिए हमने अपने इमाम से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने उत्तर दिया कि ईसा (येशु) भी एक महान पैगम्बर हैं, इसलिए जब हम मरते हैं, तो वह हमारी आत्माओं को बचाने आते हैं।

उनके उत्तर ने मुझे संतुष्ट नहीं किया, लेकिन इससे येशु के बारे में सच्चाई की मेरी खोज शुरू हो गई।

खोज

मेरे बहुत सारे ईसाई मित्र होने के बावजूद, मुझे नहीं पता था कि कहाँ से शुरू करूँ। मेरे ईसाई दोस्तों ने मुझे सदा सहायिका माँ मरियम की नवरोज़ी प्रार्थना (नोवेना) में आमंत्रित किया, और मैंने नियमित रूप से नोवेना में भाग लेना शुरू कर दिया, और प्रभु के वचन की व्याख्या करने वाले प्रवचनों को ध्यान से सुनना शुरू कर दिया। हालाँकि मुझे ज़्यादा कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन मेरा मानना है कि वह मरियम ही थी जिसने मुझे समझा और आख़िरकार मुझे सच्चाई तक ले गई।

स्वप्नों की एक शृंखला में, जिसके माध्यम से प्रभु मुझसे वर्षों से बात करते थे, एक चरवाहे के वेश में एक आदमी की ओर इशारा करती एक उंगली को मैंने देखा, जबकि एक आवाज ने मुझे नाम से पुकारते हुए कहा, “मुनीरा, उसका अनुसरण करो।” मैं जानती थी कि चरवाहा येशु था, इसलिए मैंने पूछा कि कौन बोल रहा है। उन्होंने उत्तर दिया: “वह और मैं, हम दोनों एक हैं।” मैं उसका अनुसरण करना चाहती थी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि कैसे करूं।

क्या आपको स्वर्गदूतों में विश्वास है?

हमारी एक दोस्त थी जिसकी बेटी पर भूत-प्रेत सवार था। वे इतने हताश थे कि उन्होंने मुझसे इसका समाधान भी पूछा। एक मुस्लिम होने के नाते, मैंने उनसे कहा कि हमारे पास ऐसे बाबा लोग हैं जिनके पास वे जा सकती हैं। दो महीने बाद, जब मैंने उस लडकी को दोबारा देखा तो मैं आश्चर्यचकित रह गयी। पहले वह लड़की बिलकुल दुबली-पतली, छरहरी आकृति वाली भूतनी जैसी थी, लेकिन अब वह एक स्वस्थ, उज्ज्वल, सुडौल किशोरी बन गई थी। उन्होंने मुझे बताया कि एक कैथलिक पुरोहित फादर रूफस ने येशु के नाम पर उसको शैतान के फंदे से मुक्त कराया था।

कई बार उन्होंने हमें निमंत्रण दिया कि हम फादर रूफस के साथ पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लें। बार बार इनकार करने के बाद, अंतत: हमने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। फादर ने मिस्सा के अंत में मेरे लिए प्रार्थना की और मुझसे बाइबल से एक वाक्य पढ़ने के लिए कहा; मुझे ऐसी शांति महसूस हुई कि फिर पीछे मुड़ना नहीं पड़ा। उन्होंने क्रूस पर चढ़े व्यक्ति के बारे में बात की – जिसने मुसलमानों, हिंदुओं और दुनिया भर में सभी मानव जाति के लिए अपनी जन कुर्बान कर दी। इससे मेरे अन्दर येशु के बारे में और अधिक जानने की गहरी इच्छा जागृत हुई और मुझे लगा कि ईश्वर ने सत्य जानने की मेरी प्रार्थना के उत्तर में इन लोगों से मेरा परिचय कराया है। जब मैं घर आयी तो मैंने पहली बार बाइबल खोली और दिलचस्पी से उसे पढ़ना शुरू किया।

फादर रूफस ने मुझे एक प्रार्थना समूह खोजने की सलाह दी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि कैसे और कहाँ खोजूं, इसलिए मैंने खुद ही येशु से प्रार्थना करना शुरू कर दिया। एक समय, मैं बारी-बारी से बाइबल और कुरान पढ़ रही थी, और मैंने प्रभु से पूछा: “हे प्रभु, सत्य क्या है? यदि तू सत्य है, तो मेरे मन में केवल बाइबल पढ़ने की इच्छा भर दे।” तब से, मुझे केवल बाइबल खोलने के लिए प्रेरणा मिलती रही।

जब एक मित्र ने मुझे प्रार्थना समूह में आमंत्रित किया, तो मैंने पहले मना कर दिया, लेकिन उसने जोर दिया और तीसरी बार, मुझे झुकना पड़ा। दूसरी बार जब मैं गयी, तो मैं अपनी बहन को साथ ले गयी। यह हम दोनों के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ। जब उपदेशक ने प्रवचन दिया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें एक संदेश मिला है, “यहाँ दो बहनें हैं जो सत्य की खोज में आई हैं। अब उनकी खोज ख़त्म हो गई है।”

जैसे-जैसे हम साप्ताहिक प्रार्थना सभाओं में शामिल होते गए, मैं धीरे-धीरे वचन को समझने लगी, और मुझे एहसास हुआ कि मुझे दो काम करने होंगे – क्षमा करना और पश्चाताप करना। जब मेरे परिवार ने मुझमें स्पष्ट परिवर्तन देखा तो वे उत्सुक हो गए, इसलिए उन्होंने भी प्रार्थना सभा में आना शुरू कर दिया। जब मेरे पिताजी को रोज़री माला के महत्व के बारे में पता चला, तो उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से सुझाव दिया कि हम घर पर एक साथ इसकी प्रार्थना करना शुरू करें। तब से, हम, एक मुस्लिम परिवार, हर दिन घुटने टेककर रोज़री माला की  प्रार्थना करने लगे ।

चमत्कारों का कोई अंत नहीं

येशु के प्रति मेरे बढ़ते प्रेम ने मुझे पुण्य देश की तीर्थयात्रा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। रवाना होने से पहले, एक सपने में एक आवाज़ ने मुझे बताया कि हालाँकि मेरे अंदर डर और गुस्सा गहरा है, लेकिन मैं जल्द ही इस से मुक्त हो जाऊंगी। जब मैंने यह सपना अपनी बहन के साथ साझा किया, यह सोचकर कि इसका क्या मतलब हो सकता है, उसने मुझे पवित्र आत्मा से सलाह लेने की बात कही। मैं हैरान थी क्योंकि मैं वास्तव में नहीं जानती थी कि पवित्र आत्मा कौन है। इस के बाद सब कुछ जल्द ही आश्चर्यजनक तरीके से बदल गया ।

जब हमने संत पेत्रुस के गिरजाघर का दौरा किया (जहां पेत्रुस को सपने में सभी जानवर दिखाई दे रहे थे, जिन्हें ईश्वर ने उन्हें खाने की अनुमति दी थी (प्रेरित चरित 10:11-16)), तब गिरजाघर के दरवाजे बंद थे क्योंकि हमें देर हो गई थी। फादर रूफस ने घंटी बजाई, लेकिन किसी ने उत्तर नहीं दिया। लगभग 20 मिनट के बाद, उन्होंने कहा, “चलो हम गिरजाघर के बाहर प्रार्थना करते हैं,” लेकिन मुझे अचानक अपने भीतर एक आवाज़ महसूस हुई जो कह रही थी: “मुनीरा, तुम घंटी बजाओ।” फादर रूफस की अनुमति से मैंने घंटी बजाई। कुछ ही क्षणों में वे विशाल दरवाजे खुल गये। पुरोहित ठीक बगल में बैठे थे, लेकिन उन्होंने घंटी तभी सुनी जब मैंने उसे बजाया। फादर रूफस ने कहा: “अन्य जातियों के लोगों को पवित्र आत्मा प्राप्त होगी।” मैं अन्यजाति की थी!

यरूशलेम में, हमने ऊपरी कक्ष का दौरा किया जहां अंतिम भोज और पवित्र आत्मा का अवतरण हुआ था। जब हम प्रभु की स्तुति कर रहे थे, हमने तूफ़ान की गड़गड़ाहट तथा  बिजली और गर्जन की कड़कड़ाहट सुनी, कमरे में हवा चली और मुझे अन्य भाषाओं का वरदान मिला। मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकी! प्रभु ने मुझे उसी स्थान पर पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दिया जहाँ माता मरियम और प्रेरितों को पवित्र आत्मा प्राप्त हुआ था। यहाँ तक कि हमारा यहूदी टूर गाइड भी आश्चर्यचकित था। वह अपने घुटनों पर गिर गया और उसने हमारे साथ प्रार्थना की।

अंकुर बढ़ता रहता है

जब मैं घर लौटी, तब मैं बपतिस्मा लेने के लिए उत्सुक थी, लेकिन मेरी माँ ने कहा: “मुनीरा देखो, हम येशु का अनुसरण करते हैं, हम येशु में विश्वास करते हैं, हम येशु से प्यार करते हैं, लेकिन धर्मांतरण… मुझे नहीं लगता कि हमें यह करना चाहिए। तुम जानती हो कि हमारे मुस्लिम समुदाय के अन्दर से कई प्रतिक्रियाएं होंगे।” लेकिन मेरे भीतर प्रभु को पाने की गहरी इच्छा थी, खासकर उस सपने के बाद जिसमें उन्होंने मुझसे हर दिन मिस्सा बलिदान में शामिल होने के लिए कहा था। मुझे याद है मैं कनानी स्त्री की तरह प्रभु से विनती कर रही थी: “तू ने उसे अपनी मेज से नीचे गिरनेवाली रोटी के टुकड़े खिलाए, मेरे साथ भी उस कनानी स्त्री  के जैसा व्यवहार कर प्रभु, और मेरे लिए मिस्सा बलिदान में शामिल होकर पवित्नार युखारिस्ट को प्राप्त करना  संभव बना प्रभु।”

कुछ ही समय बाद, जब मैं अपने पिता के साथ टहल रही थी, हम अप्रत्याशित रूप से एक गिरजाघर में पहुँचे जहाँ मिस्सा बलिदान का समारोह अभी शुरू ही हुआ था। मिस्सा में भाग लेने के बाद, मेरे पिताजी ने कहा: “चलिए, हम हर दिन यहां आएं।”

मुझे लगता है कि बपतिस्मा की मेरी राह वहीं से शुरू हुई।

अप्रत्याशित उपहार

मैंने और मेरी बहन ने  प्रार्थना समूह में शामिल होकर रोम और मेडजुगोरे की यात्रा पर जाने  का फैसला किया। सिस्टर हेज़ल, जो इसका आयोजन कर रही थीं, उन्होंने मुझसे यूं ही पूछा कि क्या तुम रोम में बपतिस्मा लेना चाहोगी? मैं गुप्त और अदाम्बरहीन बप्तिस्मा चाहती थी, लेकिन प्रभु की कुछ और ही योजनाएँ थीं।  सिस्टर ने बिशप से बात की, जिन्होंने हमें कार्डिनल के साथ पांच मिनट की मुलाक़ात का अवसर दिलाया, जो ढाई घंटे तक चली; कार्डिनल ने कहा कि मैं रोम में आपको बपतिस्मा प्राप्त करने केलिए सभी इंतज़ाम कर लूँगा।

इसलिए हमें कार्डिनल द्वारा संत पापा के निजी प्रार्थनालय में बपतिस्मा दिया गया। मैंने फातिमा नाम रखा और मेरी बहन ने मारिया नाम रखा। हमने वहां कई कार्डिनलों, पुरोहितों  और धार्मिक लोगों के साथ अपने बपतिस्मा के बाद का दोपहर का समारोही भोजन को  खुशी-खुशी मनाया। मुझे बस यह महसूस हुआ कि इन सब के दौरान, प्रभु हमसे कह रहा था: “चखकर देखो कि प्रभु कितना अच्छा है; धन्य है वह, जो उसकी शरण जाता है” (स्तोत्र ग्रन्थ 34:8)।

जल्द ही कलवारी का क्रूस आ ही गया। हमारे परिवार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, जिसके लिए हमारे समुदाय के लोगों ने  ईसाई धर्म में हमारे धर्मांतरण को जिम्मेदार ठहराया। आश्चर्यजनक रूप से, मेरे परिवार के बाकी लोगों ने बिलकुल दूसरा रास्ता अपनाया। हमसे और हमारे विश्वास से मुंह मोड़ने के बजाय, उन्होंने अपने लिए बपतिस्मा की मांग की। प्रतिकूलता और विरोध के बीच, उन्हें येशु में शक्ति, साहस और आशा मिली। पिताजी ने इसे अच्छी तरह से व्यक्त किया, “सलीब या क्रूस के बिना ईसाई धर्म नहीं हो सकता है।”

आज, हम अपने विश्वास में एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना जारी रखते हैं और जब भी मौका मिलता है, इसे दूसरों के साथ साझा करते हैं। जब मैं अपनी चाची से अपने धर्म परिवर्तन के  अनुभव के बारे में बात कर रही थी, तब उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने ईश्वर को “पिता” क्यों कहा। उसके लिए ईश्वर, अल्लाह है। मैंने उससे कहा कि मैं उसे पिता कहती हूँ, क्योंकि उसने मुझे अपनी प्यारी बच्ची बनने के लिए आमंत्रित किया है। मुझे उसके साथ एक प्रेमपूर्ण संबंध बनाने में खुशी होती है जो मुझसे इतना प्यार करता है कि उसने मुझे मेरे सभी पापों से शुद्ध करने और अनन्त जीवन का वादा प्रकट करने के लिए अपने पुत्र को भेजा। अपने उल्लेखनीय अनुभव साझा करने के बाद, मैंने उससे पूछा कि अगर वह मेरी जगह होती तो क्या वह अब भी अल्लाह का अनुसरण करती।

उसके पास कोई जवाब नहीं था।

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By: Munira Millwala

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जनवरी 24, 2024
Encounter जनवरी 24, 2024

कई आध्यात्मिक उपहारों से संपन्न संत जॉन बोस्को अक्सर सपने देखते थे जिनमें स्वर्गीय संदेशों का प्रकाशन होता था।

उनमें से एक सपने में, उन्हें खेल के मैदान के पास हरी घास में ले जाया गया और एक विशाल सांप घास में लिपटा हुआ दिखाया गया। वास्तव में वे डर गए थे और इसलिए वे भागना चाहते थे, लेकिन उनके साथ गए एक व्यक्ति ने उन्हें रोक लिया और उनसे कह रहा था की निकट जाकर अच्छी तरह से देखें। जॉन डरा हुआ था, लेकिन उनके दोस्त ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया, उसे एक रस्सी दी और उस रस्सी के सहारे सांप को मारने की हिदायत दी। झिझकते हुए, जॉन ने रस्सी का फंदा सांप की पीठ पर फेंकी, लेकिन जैसे ही सांप उछला, वह फंदे में फँस गया। सांप ने फंदे में फंसकर थोड़ा संघर्ष किया और जल्दी ही उसकी मौत हो गई।

उसके साथी ने रस्सी उठा कर एक सन्दूक में रख दी; कुछ देर के बाद बक्सा खोलने पर, जॉन ने देखा कि रस्सी ने “प्रणाम मरिया” शब्दों का आकार ले लिया है। साँप, शैतान का प्रतीक, “प्रणाम मरिया” की शक्ति से पराजित हो गया, उसका सर्वनाश हो गया। यदि एक अकेली ‘प्रणाम मरिया’ की प्रार्थना ऐसा कर सकती है, तो पूरी रोज़री माला की शक्ति की कल्पना करें! जॉन बोस्को ने इस सबक को गंभीरता से लिया और यहां तक कि मरियम की मध्यस्थता में उनके विश्वास की और भी पुष्टि हुई।

अपने प्रिय शिष्य डोमिनिक सावियो की मृत्यु के बाद, संत जॉन बोस्को को सावियो का स्वर्गीय वेशभूषा में दर्शन हुआ; इस विनम्र शिक्षक ने बाल संत सावियो से पूछा कि मृत्यु के समय उनकी सबसे बड़ी सांत्वना क्या थी। और उसने उत्तर दिया: “मृत्यु के क्षण में जिस बात ने मुझे सबसे अधिक सांत्वना दी, वह उद्धारकर्ता की शक्तिशाली और प्यारी माँ, अति पवित्र माँ मरियम की सहायता थी। आप अपने नवयुवकों से यह कहिये कि जब तक वे जीवित रहें, वे उस से प्रार्थना करना न भूलें!”

संत जॉन बोस्को ने बाद में लिखा, “आइए जब भी हमें प्रलोभन दिया जाए, तब हम श्रद्धापूर्वक प्रणाम मरिया कहें, और हम निश्चित रूप से कामयाब होंगे।”

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By: Shalom Tidings

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जनवरी 24, 2024
Encounter जनवरी 24, 2024

क्या आपके जीवन में ऐसे दरवाजे हैं जो आपके प्रयासों के बावजूद खुलने से इनकार करते हैं? इस हृदयस्पर्शी अनुभव से जानिए उन बंद दरवाजों के पीछे का रहस्य।

मेरे पति और मैं कैथेड्रल ऑफ़ सेंट जूड के दरवाजे पर थे। दरवाज़ा खोलने पर एक बड़ी भीड़ के बीच हम दोनों को सीटें मिलीं। हम एक महिला के अंतिम संस्कार के लिए आये थे, जिनसे बहुत पहले, जब मैं केवल 20 वर्ष की थी, तब मिली थी। वह और उनके पति उस समय कैथलिक करिश्माई प्रार्थना समुदाय के आत्मिक अगुए थे। हालाँकि वह और मैं घनिष्ठ व्यक्तिगत मित्र नहीं थे, लेकिन जब मैं इस गतिशील विश्वास से भरे समूह में शामिल हुई तो उसने मेरे जीवन को महत्वपूर्ण तरीकों से प्रभावित किया था। उनका मंझला बेटा, केन, अब फादर केन थे, और वह अंतिम संस्कार का दिन उनके पुरोहिताई अभिषेक की 25-वीं वर्षगांठ का दिन भी था।

वहां उपस्थित मण्डली को सरसरी निगाहों से देखने पर मेरे अतीत और वर्तमान दोनों दौर के कई परिचित चेहरे सामने आए। फादर केन की अपनी माँ को दी गई मार्मिक श्रद्धांजलि और उनके भाई-बहनों द्वारा की गई प्रेमपूर्ण स्मृति के वचनों ने उनके परिवार पर और साथ ही उस दिन उपस्थित कई लोगों के जीवन में भी प्रार्थना समूह का प्रभाव को प्रतिबिंबित किया। उनके शब्दों ने मेरे दिमाग में यादें ताज़ा कर दीं – कैसे पवित्र आत्मा ने इस समुदाय का उपयोग कई लोगों के जीवन को बदलने के लिए किया, खासकर मेरे जीवन को बदलने के लिए।

प्यार में घसीटी गयी

मेरा पालन-पोषण बहुत ही समर्पित कैथलिक माता-पिता ने किया था, जो प्रतिदिन मिस्सा बलिदान में भाग लेते थे, लेकिन एक किशोरी के रूप में, मैंने केवल अनिच्छा से कलीसिया के जीवन में भाग लिया। मुझे अपने पिता द्वारा हर रात पारिवारिक माला विनती पर जोर देने और न केवल भोजन से पहले, बल्कि भोजन के बाद भी अनुग्रह की प्रार्थना बोलने पर नाराजगी महसूस होती थी। शुक्रवार की रात 10 बजे परम पवित्र  संस्कार की आराधना में भाग लेना मुझ 15 साल की किशोरी की अपनी सामाजिक स्थिति के लिए अच्छा नहीं था, खासकर तब, जब मेरे दोस्त मुझसे पूछते थे कि मैंने सप्ताहांत में क्या किया है। उस समय मेरे लिए कैथलिक होना सिर्फ बहुत सारे नियमों, आवश्यकताओं और अनुष्ठानों के बारे में ही था। प्रत्येक सप्ताह मेरा अनुभव अन्य विश्वासियों के साथ खुशी या संगति का नहीं था,  बल्कि कर्तव्य के बोझ का था।

फिर भी, जब मेरी बहन ने मुझे हाई स्कूल से पास होने के बाद अपने कॉलेज के सप्ताहांत अवकाश समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, तो मैं सहमत हो गयी। मेरे छोटे से शहर में नए अनुभव बहुत कम मिलते थे और यह निश्चित रूप से मेरे लिए अब तक के अनुभवों से बिलकुल भिन्न था। मैं ने नहीं सोचा था कि यह आत्मिक साधना मेरे शेष जीवन का पथ निर्धारित करेगी!

प्रतिभागियों के सौहार्दपूर्ण मित्रता के साथ-साथ फादर बिल के चेहरे पर छाई भारी मुस्कान के बीच जब उन्होंने प्रभु के बारे में हमारे साथ साझा किया, मैंने कुछ ऐसा देखा जो मैंने अपनी गृह पल्ली में कभी नहीं देखा था, और मुझे पता था कि मैं अपने जीवन में वास्तव में यही चाहती थी : आनंद! सप्ताहांत के अंत में, बाहर शांत समय बिताने के दौरान, मैंने अपना जीवन ईश्वर को अर्पित कर दिया, बिना यह जाने कि इसका वास्तव में क्या मतलब है।

निराशाजनक मामले

दो साल से भी कम समय के बाद, मैं और मेरी बहन फ्लोरिडा के पूर्वी तट से पश्चिम की ओर चली गयीं, पहले उसकी नौकरी के कारण और बाद में, सेंट पीटर्सबर्ग में एक कॉलेज में पढ़ाई के लिए मुझे एडमिशन मिलने के कारण। अपनी सीमित आर्थिक क्षमता के भीतर रहने के लिए हम दोनों बहनें एक ही बेडरूम को ढूंढ रहे थे। कई अपार्टमेंट प्रबंधकों द्वारा दो लड़कियों को एक ही बेडरूम को किराए पर देने की अनिच्छा के कारण हमारे प्रयास बार-बार विफल हो गए – भले ही हमने अपने पूरे जीवन में एक ही बेडरूम साझा किया था और आखिर हम तो बहनें थीं! एक और इनकार के बाद निराश होकर, हम प्रार्थना करने के लिए संत जूड्स कैथेड्रल के अन्दर चली गयीं। इस संत के बारे में कुछ भी न जानते हुए, हमने एक प्रार्थना कार्ड को पाया जिसमें लिखा था कि संत जूड  ‘निराशाजनक मामलों के संरक्षक’ थे।

किफायती आवास की कठिन खोज के बाद, हमारी निरर्थक स्थिति एक निराशाजनक मामला कहा जा सकता था, इसलिए हमने संत जूड की मध्यस्थता मांगने के लिए घुटने टेक दिए। लो और देखो, अगले अपार्टमेंट परिसर में पहुंचने के बाद, हमारे साथ उसी झिझक के साथ व्यवहार किया गया। हालाँकि, इस बार, उस वृद्ध महिला ने मेरी ओर देखा, रुकी और बोली, “तुम मुझे मेरी पोती की याद दिलाती हो। मैं दो महिलाओं को एक-बेडरूम किराए पर नहीं देती, लेकिन… तुम मुझे अच्छी लग रही हो, और इसलिए तुम लोगों के लिए मैं अपने उसूल तोड़ने जा रही हूं!’

हमें पता चला कि हमारे नए घर का निकटतम कैथलिक चर्च होली क्रॉस चर्च था, जहांईश्वर की उपस्थिति प्रार्थना समुदायनामक एक समूह प्रत्येक मंगलवार की रात को मिलता था। यदि हम किसी अन्य  एपार्टमेंट को किराए पर लेने में सक्षम होती, तो हमें खुशी से भरे लोगों के इस समूह से मुलाक़ात नहीं होती, जिसे हम जल्द हीपरिवारकहने लगी। यह स्पष्ट था कि पवित्र आत्मा काम कर रहा था, और 17 वर्षों में  यानी जब तक मैं इस समूह में सक्रिय रूप से शामिल थी तब तक पवित्र आत्मा की उपस्थिति बारबार प्रकट हुई।

जीवन का वृत्त

सेंट जूड्स कैथीड्रल चर्च में लौटते हुए, उस दिन जीवन का वह उत्सव न केवल हमारे बहुत पहले के आत्मिक अगुओं का था, बल्कि यह मेरा भी अपना उत्सव था! एक युवती के रूप में अपनी टूटन और उस समय महसूस किए गए अकेलेपन और असुरक्षा को याद करते हुए, मुझे आश्चर्य हुआ कि ईश्वर ने मेरे जीवन को कैसे बदल दिया है। उन्होंने मुझे भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से ठीक करने के लिए अपनी पवित्र आत्मा और अपने लोगों का उपयोग किया, मेरे जीवन को गहरी और समृद्ध मित्रता से भर दिया जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है। उन्होंने मुझे जो उपहार पहले से ही दिए थे,  न उपहारों को खोजने में मदद की  – समुदाय ने मुझे विभिन्न तरीकों से सेवा करने के लिए उचित जगह प्रदान की। तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि संगठन की तरह मेरी प्राकृतिक क्षमताओं का उपयोग आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

कई वर्षों के बाद, मुझे एक नई आध्यात्मिक टीम में आमंत्रित किया गया जिसके गतिशील नेता ने अपनी स्वयं की मिसाल द्वारा मेरा मार्गदर्शन किया। उनके प्रोत्साहन और समर्थन के माध्यम से, मैंने नेतृत्व कौशल विकसित किया जिसके परिणाम स्वरूप प्रार्थना समुदाय में “आस्था के घर” और गिरजाघर के दरवाजे के बाहर “दीन हीनों” की सेवा के लिए नयी सेवकाई शुरू हुई।

कुछ साल बाद जब पास में एक नया पैरिश शुरू हुआ, तो मुझे वहां संगीत की सेवकाई में शामिल होने के लिए कहा गया, और पवित्र आत्मा की प्रेरणा से, मैंने कई अन्य सेवा इकाइयों में भी भाग लिया। पिछले कुछ वर्षों में मैंने जो कुछ भी सीखा और अनुभव किया है, उसे ध्यान में रखते हुए, मैं कई कार्यक्रम आयोजित करने में सक्षम हुई, जो हमारे पल्ली समुदाय के भीतर चंगाई, मन परिवर्त्तन और अभिवृद्धि के अवसर प्रदान करते हैं। पिछले 14 वर्षों से, मुझे अपने एक दूसरे मित्र द्वारा शुरू किए गए महिला फ़ेलोशिप समूह का आयोजन करने का सौभाग्य मिला है, जो मेरी तरह, मसीही समुदायों के प्यार और देखभाल के द्वारा  बदल गयी थी।

मैंने पाया है कि धर्मग्रंथों में परमेश्वर के द्वारा दिए गए सभी  वादे मेरे जीवन में सच साबित हुए हैं। वह विश्वासयोग्य, क्षमाशील, दयालु, करूणामय और आनंद का स्रोत है, जितना मैंने कभी कल्पना की थी, उससे कहीं अधिक! उन्होंने मेरे जीवन में अर्थ और उद्देश्य प्रदान किया है, और उनकी कृपा और निर्देशन से, मैं 40 वर्षों से अधिक समय से येशु के साथ सेवकाई में भागीदार बनने में सक्षम हूं। उन वर्षों तक मुझे इस्राएलियों की तरहरेगिस्तान में भटकनानहीं पड़ा। वही परमेश्वर जिसनेदिन में बादल के खम्भे और रात में अग्नि-स्तम्भके द्वारा अपने लोगों की अगुवाई की (निर्गमन 13:22) उसने दिनदिन, सालदरसाल मेरी अगुवाई की, और रास्ते में मेरे लिए अपनी योजनाओं को प्रकट किया।

मेरे प्रार्थना समूह के दिनों का एक गीत मेरे मन में गूंजता है, “ओह, भाई बहनों का एक साथ रहना कितना भला है, कितना सुखद!” (भजन 133:1) उस दिन चारों ओर देखने पर मुझे इसका स्पष्ट प्रमाण दिखाई दिया। फादर केन की माँ में काम करने वाली पवित्र आत्मा, फादर केन के घर और हमारे विश्वास के समुदाय में उनकी माँ के द्वारा बोये गए बीजों से बहुत फल लाए। उसी आत्मा ने वर्षों तक मेरे जीवन में बोए और सींचे गए बीजों से फ़सल पैदा की।

प्रेरित पौलुस ने एफीसियों को लिखे अपने पत्र में इसे सर्वोत्तम रूप से कहा:

“जिसका सामर्थ्य हम में क्रियाशील है और जो वे सब कार्य संपन्न कर सकता है, जो हमारी प्रार्थना और कल्पना से अत्यधिक परे है, उसी को कलीसिया और येशु मसीह द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी, युग युगों तक महिमा! आमेन!” (3:20-21)

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By: Karen Eberts

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जनवरी 24, 2024
Encounter जनवरी 24, 2024

मुझे प्रचुर मात्रा में वरदान और आशीर्वाद प्राप्त थे: दोस्त, परिवार, धन-दौलत, छुट्टियाँ — आप कोई भी नाम गिनें, मेरे पास सब कुछ था। तो मेरे जीवन में गड़बड़ियां कैसे आ गयी?

वास्तव में मेरा बचपन परियों की कहानी जैसी कोई अद्भुत कहानियों की किताब नहीं थी – क्या ऐसा कोई है जिसका बचपन अद्भुत था ?  – लेकिन मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरा बचपन भयानक था। मेज़ पर हमेशा खाना, मेरे तन पर कपड़े और सिर पर छत होती थी, लेकिन हमें संघर्ष करना पड़ता था। मेरा मतलब यह नहीं है कि हमने आर्थिक रूप से संघर्ष किया, जो हमने निश्चित रूप से किया, बल्कि मेरा मतलब यह है कि हमने एक परिवार के रूप में अपना रास्ता खोजने और आगे बढ़ने के लिए संघर्ष किया। जब मैं छह साल का था, तब मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था और मेरे पिता पहले से कहीं अधिक शराब पीने लगे थे। इस बीच, मेरी माँ को ऐसे पुरुष मिले जो उनके जैसी ही ड्रग्स और अन्य नशीली पदार्थों की बुरी लत में फंसे थे।

हालाँकि हमारी ज़िंदगी के सफ़र की शुरुआत कठिन रही, लेकिन यह वैसी ही हमेशा नहीं रही। आख़िरकार, सभी सांख्यिकीय बाधाओं के बावजूद, मेरे माता-पिता और मेरे अब सौतेले पिता दोनों, ईश्वर की कृपा से, बुरी आदतों की लत से मुक्त हो गए और उसी तरह आगे भी बने रहे। रिश्ते फिर से बने, और हमारे जीवन में सूरज फिर से उगने लगा।

कुछ साल बीत गए, और एक समय ऐसा आया जब मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने जीवन में कुछ क्रियात्मक, उत्पादक और लीक से कुछ हटकर कोई अलग कार्य करना है, ताकि मैं अपने बचपन के सभी नुकसानों और गलतीयों से मुक्त रहूँ। मैं ने कमर कस लिया और स्कूल वापस चला गया। मैं ने केश कलाकार का कार्य सीख लिया और मुझे नाई के कार्य करने का लाइसेंस मिल गया और मैंने एक अच्छे करियर की दिशा में काम किया। मैंने खूब पैसा कमाया और इस दौरान अपने सपनों की रानी से मेरी मुलाक़ात हुई। अंततः अवसर मिला, और मैंने बाल काटने के पेशे के अलावा, कानून प्रवर्तन में दूसरा करियर शुरू किया। हर कोई मुझे पसंद करता था, बहुत से ऊंचे ओहदे वाले लोग मेरे दोस्त थे, और ऐसा लगता था जैसे आकाश ही मेरी सीमा है।

तो, मैं जेल में कैसे पहुंच गया?

अविश्वसनीय सत्य

एक मिनट रुकिए, यह मेरी जिंदगी नहीं है…यह वास्तविक नहीं हो सकता… यह मेरे साथ कैसे हो रहा है?! आप देखिए, मेरे पास सब कुछ होने के बावजूद, मेरे अन्दर किसी चीज़ की बड़ी कमी थी। इसका सबसे परेशान करने वाली बात यह थी कि मुझे पहले से ही पता था कि वह चीज़ क्या है, लेकिन मैंने इसे नज़रअंदाज कर दिया। ऐसा नहीं है कि मैंने कभी प्रयास नहीं किया, लेकिन मैं ईश्वर को अपना सब कुछ नहीं दे पाया । इसके बजाय, मैंने यह सब खो दिया…क्या वास्तव में खो दिया या….?

यह इस प्रकार है: आप जो भी पाप पाल रहे हैं वह अंततः आपकी आत्मा की गहराई तक अपनी जड़ें जमा लेगा और आपको तब तक दबा देगा जब तक आप सांस नहीं ले सकेंगे। यहां तक कि मामूली प्रतीत होने वाले पाप भी धीरे-धीरे आपसे और अधिक की मांग करते हैं, तब तक कि आपका जीवन उथल पुथल न हो जाए, और आप इतने भ्रमित हो जाएं कि आपको पता ही न चले कि इस खाई से निकलकर ऊपर जाने का रास्ता कौन सा है।

इस तरह मेरे जीवन की गिरावट की शुरुआत हुई. मैंने शायद जूनियर स्कूल में पढ़ते समय कहीं न कहीं अपने कामुक विचारों के आवेश में रहना और पाप करना शुरू कर दिया। जब मैं कॉलेज में था, तब तक मैं पूरी तरह से लड़कियों को पटानेवाला  बन चुका था।  आख़िरकार जब तक मैं अपने सपनों की रानी से मिला, तब तक सही और नैतिक कार्य को कर पाने लायक व्यक्ति नहीं रह गया । मेरे जैसा कोई व्यक्ति कैसे वफादार हो सकता है?

लेकिन इतना ही नहीं है।

कुछ समय के लिए, मैंने मिस्सा बलिदान में जाने और अच्छे कार्य करने की कोशिश की। मैं नियमित रूप से पाप स्वीकार संस्कार के लिए जाता था और अच्छे लोगों के क्लबों और समितियों में शामिल होता था, लेकिन मैं हमेशा अपने पुराने पापों का थोड़ा सा हिस्सा अपने पास रखता था। यह ऐसा नहीं है कि मैं इसी तरह काम करना चाहता था, लेकिन मैं उन पापों से इतना जुड़ा हुआ था, और उन आदतों को मैं त्यागने से डरता था।

वक्त बीतता गया, और मैंने धीरे-धीरे मिस्सा बलिदान में जाना बंद कर दिया। मेरे पुराने पापी तरीके प्रकट होने लगे और वे पाप मेरे जीवन में अधिक हावी होने लगे। समय तेज़ी से आगे बढ़ा, और जैसे ही मैंने सावधानियों, पाबंदियों और आत्मसंयम को अलविदा कह दिया, भोग विलास की खुशियाँ मेरे चारों ओर घूमने लगीं। मैं जीवन के शिखर पर था। इन सबके अलावा, मैं बहुत सफल रहा और कई लोगों ने मेरी प्रशंसा की। फिर यह सब ध्वस्त हो कर नीचे गिरने लगा। मैंने कुछ भयानक विकल्प चुने जिसके कारण मुझे 30 साल की जेल की सज़ा काटनी पड़ी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने उन लोगों को जीवन भर दर्द सहते हुए पीछे छोड़ दिया जो मुझसे प्यार करते थे और मेरी देखभाल करते थे।

आप देखिए, जिस पापपूर्ण अवस्था में आप हैं, उससे भी आगे जाने के लिए आपको मनाने का एक तरीका पाप के पास है, ताकि जैसे आप थे उसकी तुलना में आप और अधिक भ्रष्ट बन जाएँ। आपका नैतिक आत्म संयम भ्रमित हो जाता है। बुरी चीज़ें अधिक रोमांचक लगती हैं, और पुराने पाप अब नए रूपों में हावी रहते हैं। इससे पहले कि आप इसे जानें, आप ऐसे व्यक्ति बन जाते हैं जिसे आप अपने आप को पहचानते भी नहीं हैं।

तेजी से आगे बढ़ते हुए वर्त्तमान में …

मैं 11×9 फ़ुट की एक कोठरी में रहता हूँ, और दिन के बाईस घंटे उसमें बंद होकर बिताता हूँ। मेरी चारों ओर अराजकता है। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि मेरा जीवन इस तरह बिगड़ जाएगा।

लेकिन, मैंने ईश्वर को इन दीवारों के भीतर पाया।

मैंने पिछले कुछ साल यहां जेल में प्रार्थना करते हुए और अपने लिए जिस मदद की ज़रुरत है, उसे ढूंढते हुए बिताए हैं। मैं पवित्रशास्त्र का अध्ययन कर रहा हूं और बहुत सारी कक्षाओं में भाग ले रहा हूं। मैं ईश्वर की दया और शांति का संदेश, जो मेरी बात को सुनते हैं, उन सभी कैदियों के साथ भी साझा कर रहा हूं।

इससे पहले कि मैं अंतत: ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाऊं, अत्यधिक जागरण की मेरी एक बुलाहट थी, लेकिन अब जब मैंने उस बुलाहट को पहचान कर उसे स्वीकारा है, तब मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया है। मैं हर सुबह उठकर जीवित रहने के लिए आभार प्रकट करता हूं। कारावास के बावजूद मुझे मिलने वाली अपार आशीर्वाद की वर्षा के लिए मैं हर दिन शुक्रगुज़ार हूं। जीवन में पहली बार मुझे अपनी आत्मा में शांति का अनुभव हुआ। मुझे अपनी आध्यात्मिक स्वतंत्रता पाने के लिए अपनी शारीरिक स्वतंत्रता खोनी पड़ी।

ईश्वर की शांति को खोजने और स्वीकार करने के लिए आपको जेल जाने की ज़रूरत नहीं है। आप जहां कहीं भी हों, वह आपसे मिलेगा, लेकिन मैं आपको चेतावनी दूं – यदि आप उससे कुछ भी छिपाएंगे, तो आप जेल में मेरे पड़ोसी बन जायेंगे।

यदि आप इस कहानी में खुद को पहचानते हैं, तो कृपया पेशेवर मदद और मार्गदर्शन लेने के लिए इंतजार न करें, शुरुआत अपने स्थानीय पल्ली पुरोहित से करें, लेकिन उन्हीं तक सीमित न रहें, किसी भी अच्छे व्यक्ति से मदद लें। यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है कि आपकी कोई समस्या है, और सहायता प्राप्त करने के लिए अभी से बेहतर कोई समय नहीं है।

यदि आप जेल में हैं और आप इसे पढ़ रहे हैं, तो मैं चाहता हूं कि आप जान लें कि आपके लिए अभी भी देर नहीं हुई है। ईश्वर आपसे प्यार करता है। आपने जो कुछ भी किया है, वह उसे माफ कर सकता है। हम सभी लोग जो अपने दर्द और टूटेपन के साथ येशु मसीह के पास आते हैं, हम सब को क्षमा प्रदान करने के लिए उन्होंने अपना बहुमूल्य रक्त बहाया।  यह पहचानते हुए कि हम उसके बिना दुर्बल हैं, हम शुरुआत कर सकते हैं। चुंगी लेने वाले के शब्दों में हम उसे पुकारें: “ईश्वर, मुझ पापी पर दया कर” (लूकस 18:13)।

मैं आपको यह याद दिलाते हुए विदा लेता हूँ: “मनुष्य को इससे क्या लाभ, यदि वह सारा संसार प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गंवा दे?” (मत्ती 16:26)

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By: Jon Blanco

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जनवरी 24, 2024
Encounter जनवरी 24, 2024

अपने बेटे की लत और शराब के अतिमात्र सेवन के कारण अंततः उसकी मृत्यु से भी, वे संघर्ष करते रहे। वे कैसे टिके रहे?

भले ही मेरा बपतिस्मा हो गया था, फिर भी बड़े होते समय गिरजाघर से मेरा कोई ख़ास वास्ता नहीं था। मेरी माँ और पिता के कैथलिक चर्च के साथ कुछ गंभीर अनसुलझे मुद्दे थे, इसलिए हम कभी भी मिस्सा बलिदान में नहीं गए, और मुझे कभी भी धर्मशिक्षा नहीं दी गई। हालाँकि, मुझे आध्यात्मिक संबंध की चाहत थी, और मैं ‘द रॉब’, ‘द टेन कमांडमेंट्स’, ‘बेनहर’, ‘ए मैन कॉल्ड पीटर’ और ‘द ग्रेटेस्ट स्टोरी एवर टोल्ड’ जैसी लोकप्रिय बाइबिल फिल्मों की ओर आकर्षित हुआ। उन फिल्मों में ईश्वर को बहुत ही दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत किया गया था और मुझमें धीरे-धीरे व्यक्तिगत स्तर पर प्रभु को जानने की भूख विकसित हुई। 60 के दशक के दौरान, लोक गायक जिम क्रोस ने ‘टाइम इन ए बॉटल’ गाया था, जिसमें कहा गया था, “मैंने यह जानने के लिए चारों ओर काफी ढूंढा है कि तू ही वह व्यक्ति है जिसके संग मैं समय की यात्रा करना चाहता हूं।” मैं वास्तव में प्रभु ईश्वर के साथ ‘समय की यात्रा’ करना चाहता था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि उसके साथ कैसे जुड़ूं।

घुमावदार पथ

सैन फ्रांसिस्को में अब्राहम लिंकन हाई स्कूल में एक कनिष्ठ छात्र के रूप में, मुझे एक आयरिश कैथलिक परिवार के बारे में पता चला जो वास्तव में अपने विश्वास में पक्के और गंभीर थे। उन्होंने रोज़ शाम को रोज़री माला की विनती की (वह भी लातीनी भाषा में!), दैनिक मिस्सा बलिदान में भाग लिया और येशु के शिष्यत्व का जीवन जीने का प्रयास किया। उनका धार्मिक रूप से पालन करने वाला जीवन रहस्यमय और आश्चर्य जनक था। उनके नमूने के माध्यम से, मैंने अंततः कैथलिक धर्म में पूरी तरह से दीक्षित होने का निर्णय लिया।

हालाँकि, मेरे माता-पिता मेरे निर्णय से खुश नहीं थे। जब मेरे दृढीकरण और प्रथम पवित्र संस्कार के बड़े समारोह का   दिन आया, तो हमारे बीच एक पारिवारिक लड़ाई हुई। पूरे घर में आँसू, क्रोधित शब्द और दोषारोपण गूँज रहे थे। मुझे यह कहते हुए याद है, “माँ और पिताजी, मैं आपसे प्यार करता हूँ, लेकिन मैं येशु की पूजा-आराधना करता हूँ, और मैं दृढ़ीकरण संस्कार पाना चाहता हूँ। कैथलिक कलीसिया मेरा आध्यात्मिक घर जैसा लगता है।” इसलिए, मैंने घर छोड़ दिया और लेक मर्सिड के पास सेंट थॉमस मोर गिरजाघर में अकेले चला गया, जहां मुझे अपने माता-पिता के आशीर्वाद के बिना संस्कार प्राप्त हुए। इसके तुरंत बाद, मुझे मत्ती के सुसमाचार का एक संदर्भ मिला जिसमें येशु ने कहा था, “जो अपने पिता या अपनी माता को मुझसे अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्य नहीं …” (10:37)। मैं ठीक-ठीक जानता था कि उसका क्या मतलब था।

हाईवे से भटक कर उप मार्गों पर

काश मैं कह पाता कि किशोरावस्था पार करने के बाद भी मैंने येशु के प्रति इतनी गहरी प्रतिबद्धता जारी रखी। मेरा प्रारंभिक मन परिवर्त्तन मेरे जीवन को उसके प्रति समर्पित करने का सिर्फ सतही प्रयास था। मैंने अपने जीवन की गाड़ी को ‘सुपर हाइवे येशु’ पर यात्रा की शुरुआत की, लेकिन दुनिया के आकर्षक सामान्य चीज़ों का पीछा करते हुए इन उप मार्गों पर मैं अपनी गाड़ी ले चलता रहा: धन और सुरक्षा, पेशेवर सफलता और उपलब्धियां, सुखवादी आनंद और, सबसे ऊपर, नियंत्रण की मेरी अधिग्रहणात्मक खोज जारी रही। ‘बोनफ़ायर ऑफ़ द वैनिटीज़’ में टॉम वोल्फ के किरदार की तरह, मैं वास्तव में अपने ब्रह्मांड का स्वामी बनना चाहता था। मेरी इन सब योजनाओं के बीच येशु का स्थान  क्या था? मुझे मूलतः उम्मीद थी कि येशु सवारी केलिए मेरी गाड़ी में बैठेंगे। मैं उनसे अपनी शर्तों पर जुड़ना चाहता था। मैं चाहता था कि येशु मेरे द्वारा बनाई जा रही मेरी आत्म-संदर्भित जीवनशैली को मान्यता दें।

यात्रा वापस प्रेम के दायरे में   

मेरे शाही अहंकार को समायोजित करने के लिए बनाई गई यह मायावी मीनार 30 साल पहले तब ढह गई जब हमारा परिवार हमारे बेटे की नशीली दवाओं की लत से जूझ रहा था। कठिन तथ्य यह है कि उसकी लत, और अंततः घातक ओवरडोज़ ने मुझे एक बहुत ही अंधेरी, खाली जगह में गिरा दिया। मुझे लगा कि मैं बहुत गहरे गड्ढे में गिर गया हूँ जहाँ कुछ भी काम नहीं आ रहा था: मेरा बेटा वापस नहीं आ रहा था, और नुकसान की भावना भारी थी। मैं पूरी तरह से निराश हो गया और महसूस किया कि अंतरंगता, संवाद और संगति की हमारी गहरी भूख का सामना करने में दुनिया की वस्तुएं कितनी बेकार हैं।

मैंने येशु से प्रार्थना की कि वह मुझे अंधकार, पीड़ा और तन्हाई के गहरे गड्ढे से बचाए। मैंने उनसे मेरी पीड़ा दूर करने और मेरे जीवन को फिर से व्यवस्थित करने की विनती की। हालाँकि उसने मेरे जीवन को “ठीक” नहीं किया, लेकिन उसने कुछ बेहतर किया: येशु मेरे साथ गड्ढे में आये, उन्होंने मेरे क्रूस को गले लगाया, और मुझे बताया कि वे मुझे, मेरे परिवार या हमारे दिवंगत बेटे को कभी नहीं छोड़ेंगे। मैंने पीड़ित सेवक येशु की प्रेमपूर्ण दया का अनुभव किया, जो अपने लोगों के साथ, यानी कलीसिया के साथ स्वयं पीड़ित रहते हैं। वे ईश्वर हैं जिनसे मैं प्रेम कर सकता हूँ।

येशु हमारे सामने परमेश्वर का चेहरा प्रकट करते हैं। जैसा कि संत पौलुस कुलुस्सियों को भेजे अपने पत्र में लिखते हैं, येशु “अदृश्य ईश्वर के प्रतिरूप” हैं (1:15)। इसलिए, हमारे पास अभी यहीं, खुश और प्रसन्न रहने के लिए आवश्यक सभी चीजें मौजूद हैं। येशु में, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच एकमात्र मध्यस्थ है, सब कुछ ठीक हो जाता है; कुछ भी उसके प्रेम के दायरे से बाहर नहीं है – हमारे प्रभु येशु मसीह हमें ईश्वर के साथ, हमारे भाइयों और बहनों और पूरी सृष्टि के साथ एक गहरे रिश्ते के लिए आमंत्रित करते हैं।

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By: Deacon Jim McFadden

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जनवरी 10, 2024
Encounter जनवरी 10, 2024

फरवरी की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका में कलीसिया द्वारा कैथलिक स्कूल सप्ताह मनाया जाता है। मैं इस अवसर को कैथलिक स्कूलों द्वारा दी जा रही अच्छी शिक्षा केलिए उनका सम्मान करने और कैथलिक और गैर-कैथलिक सभी को उन स्कूलों का समर्थन हेतु आमंत्रित करने के अवसर के रूप में उपयोग करता हूँ। मैंने पहली कक्षा से लेकर ग्रेजुएट स्कूल तक, बर्मिंघम, मिशिगन में होली नेम एलीमेंट्री स्कूल से लेकर पेरिस में इंस्टीट्यूट कैथलिक नामक शिक्षा संस्थान तक, कलीसिया से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई की। वर्षों तक चले उस तल्लीनता से भरपूर सघन और गहरी शिक्षा के अनुभव ने मेरे चरित्र, मेरे मूल्यों की भावना, दुनिया को देखने के मेरे पूरे तरीके को बड़े पैमाने पर आकार दिया। मेरा मानना है कि, विशेष रूप से अब, जब धर्म-विहीनवादी, भौतिकतावादी दर्शन हमारी संस्कृति में बड़े पैमाने पर प्रभाव रखता है, तो ऐसे में कैथलिक लोकाचार एवं शिष्टाचार को शिक्षा पद्धति में शामिल करने की आवश्यकता है।

निश्चित रूप से, जिन कैथलिक स्कूलों में मैंने पढ़ाई की, उनके विशिष्ट चिह्न मिस्सा बलिदान और अन्य संस्कारों, धर्म कक्षाओं, पुरोहितों और साध्वियों की उपस्थिति (जो मेरी शिक्षा के शुरुआती वर्षों में थोड़ा अधिक मात्रा में थी), और कैथलिक संतों, प्रतीकों और छवियों की व्यापकता के अवसर थे। लेकिन जो बात शायद सबसे महत्वपूर्ण थी वह  उन स्कूलों द्वारा आस्था और वैज्ञानिक सोच के एकीकरण का वह तरीका था।

निश्चित रूप से, कोई “कैथलिक गणित” नहीं है, लेकिन वास्तव में गणित पढ़ाने का एक कैथलिक तरीका है। गुफा के अपने प्रसिद्ध दृष्टांत में, प्लेटो ने दिखाया कि दुनिया की विशुद्ध भौतिकवादी दृष्टि से दूर पहला कोई  कदम है तो वह गणित है। जब कोई सबसे सरल समीकरण, या किसी संख्या की प्रकृति, या किसी जटिल अंकगणितीय सूत्र की सच्चाई को समझ लेता है, तो वह, बहुत ही वास्तविक अर्थों में, नश्वर वस्तुओं के दायरे को त्याग देता है और आध्यात्मिक वास्तविकता के ब्रह्मांड में प्रवेश कर जाता है। धर्मशास्त्री डेविड ट्रेसी ने टिप्पणी की है कि आज अदृश्य का सबसे सामान्य अनुभव गणित और रेखा गणित के शुद्ध अमूर्त को समझने के माध्यम से है। इसलिए, उचित ढंग से पढ़ाया गया गणित, धर्म द्वारा प्रदान किए गए उच्च आध्यात्मिक अनुभवों द्वारा, ईश्वर के अदृश्य क्षेत्र का द्वार खोल देता है।

इसी तरह, कोई विशिष्ट “कैथलिक भौतिकी” या “कैथलिक जीव विज्ञान” नहीं है, लेकिन वास्तव में उन विज्ञानों के लिए एक कैथलिक दृष्टिकोण है। कोई भी वैज्ञानिक तब तक अपने काम को जमीन पर नहीं उतार सकता  जब तक कि वह दुनिया की मौलिक समझदारी में विश्वास नहीं करता – कहने का मतलब यह है कि भौतिक वास्तविकता के हर पहलू को, समझने योग्य पैटर्न द्वारा चिह्नित किया जाता है। यह किसी भी खगोलशास्त्री, रसायनज्ञ, खगोलभौतिकीविद्, मनोवैज्ञानिक या भूवैज्ञानिक के लिए सच है। लेकिन यह स्वाभाविक रूप से इस सवाल की ओर ले जाता है: ये समझदार पैटर्न कहां से आए? दुनिया को व्यवस्था, सद्भाव और तर्कसंगत पैटर्न द्वारा इतना चिह्नित क्यों किया जाना चाहिए? बीसवीं सदी के भौतिक विज्ञानी यूजीन विग्नर द्वारा रचित एक अद्भुत लेख है जिसका शीर्षक है “प्राकृतिक विज्ञान में गणित की अनुचित प्रभावशीलता।” विग्नर का तर्क था कि यह महज संयोग नहीं हो सकता कि सबसे जटिल गणित, भौतिक दुनिया का सफलतापूर्वक वर्णन करता है। महान कैथलिक परंपरा का उत्तर यह है कि यह समझदारी, वास्तव में, एक महान रचनात्मक बुद्धि से आती है जो इस संसार की सृष्टि के पीछे खड़ी है। इसलिए, जो लोग विज्ञान का अभ्यास करते हैं, उन्हें यह विश्वास करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए कि “आरंभ में शब्द था।”

कोई “कैथलिक इतिहास” भी नहीं है, हालाँकि इतिहास को देखने का निश्चित रूप से एक कैथलिक तरीका है। आमतौर पर, इतिहासकार केवल अतीत की घटनाओं का वर्णन नहीं करते हैं। बल्कि, वे इतिहास के भीतर कुछ व्यापक विषयों और प्रक्षेप पथों की तलाश करते हैं। हममें से अधिकांश को शायद इसका एहसास भी नहीं है क्योंकि हम एक उदार लोकतांत्रिक संस्कृति के भीतर पले-बढ़े हैं, लेकिन हम स्वाभाविक रूप से ज्ञानोदय को इतिहास के निर्णायक मोड़ के रूप में देखते हैं, विज्ञान और राजनीति में महान क्रांतियों का समय जिसने आधुनिक दुनिया को परिभाषित किया। इस बात पर कोई संदेह नहीं कर सकता कि ज्ञानोदय एक महत्वपूर्ण क्षण था, लेकिन कैथलिक निश्चित रूप से इसे इतिहास के चरमोत्कर्ष के रूप में नहीं देखते हैं। इसके बजाय, हमारा मानना है कि धुरी बिंदु वर्ष 30 ईस्वी के आसपास यरूशलेम के बाहर एक गंदी पहाड़ी पर था, जब रोमियों  द्वारा एक युवा रब्बी को यातना देकर मार डाला जा रहा था। हम हर चीज़ की – राजनीति, कला, संस्कृति, आदि – की व्याख्या ईश्वर के पुत्र के बलिदान के दृष्टिकोण से करते हैं।

2006 के अपने विवादास्पद रेगेन्सबर्ग संबोधन में, दिवंगत पोप बेनेडिक्ट ने तर्क दिया कि देह-अवतार के सिद्धांत के कारण ही ईसाई धर्म, संस्कृति के साथ एक जीवंत बातचीत में प्रवेश कर सकता है। हम ईसाई यह दावा नहीं करते हैं कि येशु कई लोगों में से एक दिलचस्प शिक्षक थे, बल्कि ईश्वर के वचन, मन या विवेक ने येशु के रूप में देहधारण किया था। तदनुसार, जो कुछ भी वचन या विवेक द्वारा चिह्नित है वे सभी ईसाई धर्म का स्वाभाविक मौसेरा भाई है। विज्ञान, दर्शन, साहित्य, इतिहास, मनोविज्ञान – यह सब – ईसाई धर्म में पाया जाता है, इसलिए, एक स्वाभाविक संवाद (वह शब्द फिर से है!) का भागीदार भी है। यह बुनियादी विचार है, जो पापा रत्ज़िंगर (बेनेडिक्ट सोलहवें) को बहुत प्रिय है, जो कैथलिक स्कूलों के स्वभाव को सर्वोत्तम रूप से सूचित करता है। और यही कारण है कि उन स्कूलों का फलना-फूलना न केवल कलीसिया के लिए, बल्कि हमारे पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

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By: Bishop Robert Barron

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जनवरी 10, 2024
Encounter जनवरी 10, 2024

आपका पसंदीदा हीरो कौन है? क्या आप अपने जीवन में कभी किसी सुपरहीरो से मिले हैं?

हमारा बचपन सैन फ्रांसिस्को में १९50 के दशक में बीता, उन दीनों हमारे पास हमारे अपने हीरो या नायक हुआ करते थे, आमतौर पर वे हीरो काउबॉय किस्म के थे – उनमें से जॉन वेन सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे, जो जहां जाना चाहते थे वहां जा सकते थे, उनके पास एक सूत्र था जिसके अनुसार वे रहते थे, जिन लोगों को समाज बुरा मानता था उन बुरे लोगों को  वे पराजित करते थे, आखिरी में वे अपने पसंद की लड़की को पकड़ लेते, और उसके साथ सूर्यास्त में ओझल हो जाते। जैसे ही द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका धुरी शक्तियों पर अपनी जीत से आगे बढ़कर शीत युद्ध (परमाणु युद्ध अभ्यास, क्यूबा मिसाइल संकट, आदि) के खतरों की ओर बढ़ रहा था, उस दौरान जॉन वेन की वीरतापूर्ण छवि आकर्षक थी, क्योंकि हम कोई खुशहाल समय के लिए तरस रहे थे।

असली हीरो से मिलें

आइये, 2022-2023 के दौर में आइये। नायकों की चाहत अभी भी बनी हुई है। बस उन सुपरहीरो फ्रेंचाइजी को देखें जो मुख्यधारा की फिल्मों पर हावी हैं। मार्वल फिल्में और उनके जैसे, जो हमारे मानवीय अनुभव की जटिलताओं की खोज की तुलना में अधिक ‘थीम पार्क’ अनुभवों से मिलते जुलते हैं, हमें सुपरहीरो (केवल ‘हीरो’ नहीं बल्कि ‘सुपरहीरो’!) की अंतहीन आपूर्ति प्रदान करते हैं जो हमारे दुश्मनों को हराते हैं। वैश्विक महामारी, यूरोप में युद्ध, परमाणु कृपाण-धमकाने, ग्लोबल वार्मिंग, आर्थिक अनिश्चितता और संयुक्त राज्य अमेरिका की सड़कों पर हिंसा के विनाश से निपटने के दौरान, सुपरहीरो हमारी इच्छा को संबोधित करते हैं कि महान पुरुष और महिलाएं उन खतरों पर काबू पा सकते हैं हम पर थोपे गए हैं।

इस समय, एक ईसाई अपना हाथ उठा सकता है और कह सकता है, “ठीक है, हमारे पास एक हीरो है जो सभी ‘सुपरहीरो’ से ऊपर है, और उसका नाम येशु है।”

इससे यह  सवाल उठता है कि क्या येशु हीरो हैं? मैं ऐसा नहीं सोचता, क्योंकि एक हीरो या नायक कुछ ऐसा करता है जो सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता या नहीं करेगा, इसलिए, हम परोक्ष रूप से उन्हें दुश्मनों पर विजय प्राप्त करते हुए देखते हैं, जो हमें अस्थायी रूप से हमारी चिंता से राहत देता है जब तक कि यह अनिवार्य रूप से अगले संकट के साथ वापस न आ जाए।

जबकि येशु पारंपरिक अर्थों में नायक नहीं है, वह निश्चित रूप से एक अद्वितीय प्रकार का योद्धा है: वह परमेश्वर का वचन है जो हमें पाप और मृत्यु से बचाने के लिए मानव बन गया। वह इन कट्टर शत्रुओं के साथ युद्ध करने जा रहा है, लेकिन वह आक्रामकता, हिंसा और विनाश के हथियारों का उपयोग नहीं करने जा रहा है।

बल्कि, वह दया, क्षमा और करुणा के माध्यम से उन पर विजय प्राप्त करेगा, यह सब उसकी दुःख पीड़ा, मृत्यु और पुनरुत्थान के माध्यम से सामने लाया गया है। ध्यान दें कि उसने पाप और मृत्यु पर कैसे विजय प्राप्त की। गेथसमेनी बाग़  से शुरुआत करते हुए, उसने हमारे पापों – हमारी शिथिलता, अव्यवस्था, अमानवीयता, आत्म-अवशोषण – को अवशोषित कर लिया और स्वयं पाप बन गया। संत पौलुस के अनुसार: “मसीह का कोई पाप नहीं था। फिर भी ईश्वर ने हमारे कल्याण केलिए उन्हें पाप का भागी बनाया जिससे हम उनके द्वारा ईश्वर की पवित्रता के भागे बन सकें” (2 कुरिन्थियों 5:21)। हालाँकि येशु पापी नहीं हैं क्योंकि वह दिव्य हैं – पवित्र त्रीत्व का दूसरा व्यक्ति – उनसे हमारा पाप अपने ऊपर ले लिया और कुछ समय के लिए ‘पाप बन गए,’ जिसके कारण उन्हें मार डाला। कठोर वास्तविकता यह है कि हमारे पापों ने परमेश्वर के पुत्र येशु को मार डाला।

लेकिन, मसीही कथा पुण्य शुक्रवार को समाप्त नहीं हुई, क्योंकि तीन दिन बाद, परमपिता परमेश्वर ने पवित्र आत्मा की शक्ति के माध्यम से येशु को मृतकों में से जीवित कर दिया। ऐसा करने पर, हमारे कट्टर शत्रु—पाप और मृत्यु—परास्त हो गये।

तो, येशु निश्चित रूप से सर्वोच्च आध्यात्मिक योद्धा हैं, लेकिन वह पारंपरिक अर्थों में नायक या हीरो नहीं हैं। क्यों नहीं?

दिव्य चित्रपट के धागे

येशु की दुःख पीड़ा, मृत्यु और पुनरुत्थान हमारे पास्का रहस्य, हमारे विश्वास का रहस्य, के प्रमुख चिह्न हैं। ‘हमारे’ पर ध्यान दें।

येशु अपनी पीड़ा और मृत्यु से गुज़रे – हमें इससे गुज़रने से बचाने के लिए नहीं – बल्कि हमें यह दिखाने के लिए कि कैसे जीना है और पीड़ा भोगना है ताकि हम अभी और अनंत काल तक पुनर्जीवित जीवन का अनुभव कर सकें। आप देखते हैं, उनके रहस्यमय शरीर यानी कलीसिया के बपतिस्मा प्राप्त सदस्यों के रूप में, हम येशु में जीवन जीते हैं;  “क्योंकि उसी में हमारा जीवन, हमारी गति तथा हमारा अस्तित्व निहित है” (प्रेरितों 17:28)।

निश्चित रूप से, वह चाहता है कि हम उस पर विश्वास करें, क्योंकि, जैसा कि हम योहन  14:6 में सुनते हैं, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूं। मुझ से होकर गए बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता।” उस मूलभूत विश्वास के आधार पर,  हम उनके शिष्य बनने के लिए,  उनके मिशन को पूरा करने के लिए बुलाये  गये हैं, जो मिशन उन्होंने अपने स्वर्गारोहण पर अपनी कलीसिया  को दिया था (मारकुस 16:19-20 और मत्ती 28:16-20)। इसके अलावा, हम उसके अस्तित्व में भाग लेने के लिए बुलाये गए हैं। जैसा कि रोमानो गार्डिनी ने अपने आध्यात्मिक क्लासिक, द लॉर्ड में लिखा है, “हम एक दिव्य चित्रपट में एक धागे की तरह हैं: हम उसमें और उसके माध्यम से अपनी मानवता का एहसास करते हैं।” दूसरे शब्दों में, हम वैसा ही करते हैं किस प्रकार येशु ने हमें आकार दिया था।

कलीसिया के पवित्र जीवन, विशेष रूप से परम पवित्र संस्कार के माध्यम से येशु  की पुनर्जीवित और गौरवशाली उपस्थिति में भाग लेते हुए, हम पवित्र आत्मा के सशक्तिकरण के माध्यम से पास्का रहस्य को जीते हैं। तो, क्या येशु एक नायक हैं? सुनिए पेत्रुस ने क्या कहा जब येशु  ने उससे पूछा: “लोग मेरे विषय में क्या कहते हैं?” पेत्रुस का उत्तर: “आप मसीह हैं, जीवंत ईश्वर के पुत्र हैं” (मत्ती 16:1६)। येशु एक नायक से भी बढ़कर हैं; वह एक अनोखे प्रकार का योद्धा है। वह एकमात्र और सार्वभौमिक उद्धारकर्ता है।

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By: Deacon Jim MC Fadden

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जनवरी 10, 2024
Encounter जनवरी 10, 2024

बाइबिल की एक पंक्ति ने किस तरह एक हिंदू लड़की के जीवन और उसकी परिवर्तनकारी यात्रा को बदल दिया, इस सच्ची कहानी को अंत तक पढ़ें …

मेरा जन्म और मेरा पालन-पोषण भारत में एक हिंदू परिवार में हुआ था। एक धार्मिक परिवार में पली-बढ़ी होने के कारण मुझे हमेशा प्रार्थना में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। बचपन में, मैं कभी भी माथे पर बिंदी लगाए बिना स्कूल नहीं गयी (बिंदी एक निशान है, जो आम तौर पर एक हिंदू के माथे पर लगायी जाती है, जो किसी व्यक्ति के सांप्रदायिक जुड़ाव का संकेत देती है)। मैं हिंदू देवी-देवताओं में विश्वास करती थी, लेकिन यह सिर्फ लेन-देन वाला रिश्ता था। उनसे मेरी प्रार्थनाएँ स्कूल की परीक्षाओं से एक सप्ताह पहले तक ही सीमित थीं।

विडंबना यह है कि मैं एक कैथलिक स्कूल में जाती थी जहां मुझे ईसाई धर्म से परिचित कराया गया, लेकिन मैंने हमेशा ईसाई धर्म को इस रूप में देखा कि इसका मुझसे कोई लेना-देना नहीं है। उस कैथलिक स्कूल में बारह साल बिताने के बावजूद, मुझे कभी समझ नहीं आया कि येशु वास्तव में कौन थे और न ही यह कि उन्होंने मेरे लिए क्या किया। मैंने अच्छे अंकों के साथ हाई स्कूल पास किया। मुझे बेहद खुशी हुई कि हिंदू देवी-देवताओं से की गई मेरी प्रार्थनाओं का फल मुझे मिल गया है। मैं शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में दाखिला लेने में सफल रही। विरोधाभासी रूप से, यह येशु समाज के पुरोहितों द्वारा संचालित एक कैथलिक कॉलेज था।

मैं विस्मित रह गयी

कॉलेज के अपने पहले वर्ष के दौरान, मैंने धर्म पर आधारित एक अनिवार्य कक्षा में भाग लिया, जहाँ लोगों ने  अपने विश्वास के बारे में बात की। मैंने देखा कि जहां ईसाई छात्रों के पास येशु के बारे में कहने के लिए बहुत कुछ था, वहीं मेरे जैसे हिंदू जब अपने विश्वास को स्वीकार करने की बात आती थी तो चुप रहते थे। मैं भगवद गीता (भगवद गीता हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है) के बारे में कुछ नहीं जानती थी। मुझे बस इतना पता था कि अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए भगवान से कैसे प्रार्थना करनी है। मुझे खुद को हिंदू कहने में शर्मिंदगी महसूस होती थी।’

तभी एक ईसाई प्रोफेसर ने  ‘द पैशन ऑफ क्राइस्ट’ फिल्म से येशु के बारे में एक वीडियो चलाया। मैंने देखा कि उन्हें कितनी बेरहमी से कोड़े मारे गए थे और जब उन्हें सूली पर चढ़ाया गया तो उन्होंने कितनी पीड़ा सही। मेरी आंखों में आंसू थे. सूली पर चढ़ने का दृश्य  मैं बमुश्किल देख सकी। दु:ख की बात है कि तब भी, मुझे वास्तविक कारण नहीं पता था कि कलवारी पर क्रूस पे उनकी मृत्यु क्यों हुई थी।

लेकिन उस वीडियो को देखने के बाद, मुझे येशु के बारे में और जानने में दिलचस्पी होने लगी। मैंने बाइबिल की खोज में सार्वजनिक पुस्तकालयों का दौरा किया लेकिन मेरी किस्मत अच्छी नहीं थी। फिर मैंने इंटरनेट पर उपलब्ध बाइबिल का पीडीएफ संस्करण पढ़ने का फैसला किया। मैंने उत्पत्ति ग्रन्थ की पुस्तक से शुरुआत की लेकिन वहां येशु नहीं मिले। फिर, मैंने बेतरतीब ढंग से गूगल पर बाइबिल के वाक्यांश खोजे। संत मत्ती के अनुसार सुसमाचार के एक वाक्यांश ने मुझे प्रभावित किया: “जब तुम्हें अपनी ही आँख की धरन का पता नहीं तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो?” (मत्ती 7:3) यह वचन हमें दूसरों का न्याय न करने की शिक्षा देता है।

कुछ सप्ताह बाद, हमारे पास एक अलग प्रोफेसर द्वारा पढ़ायी जाने वाली एक और धर्म कक्षा थी। उन्होंने हममें से प्रत्येक से अपने संबंधित धर्मों के बारे में अपनी मान्यताओं और विचारों को साझा करने के लिए कहा। अचानक, मैंने अपना हाथ उठाया और संत मत्ती से लिए उपरोक्त वाक्यांश को समझाया – एक शर्मीली हिंदू लड़की एक ईसाई बाइबिल से लिए गए वाक्यांश के बारे में अपना विचार साझा कर रही थी! मेरा मानना​है कि मेरी निर्भीकता पवित्र आत्मा का कार्य था। प्रोफेसर को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मैं एक हिंदू हूं। उन्हें बाइबिल पर मेरा व्याख्यान पसंद आया और उन्होंने अधिक लोगों को अपने धर्म के बारे में बोलने के लिए प्रोत्साहित किया। यह घटना कैथलिक धर्म में मेरे परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

सत्य के क्षण

इस दौरान, जब मैं येशु और ईसाई धर्म को जान रही थी, तो मैं अक्सर खुद से पूछती थी, “मुझे गिरजाघर में हमेशा इतनी शांति क्यों महसूस होती है?” हिंदू मंदिरों में मेरा अनुभव बिल्कुल अलग था। वहां दुकानदारों की चीख-पुकार, मंदिर की घंटियों की आवाज, मंत्रोच्चार करते पुजारियों की आवाज़ और बड़ी भीड़ के बीच से देवताओं का चेहरा देखने के लिए लोगों की होड़, आदि की वजह से मैं खुद को विचलित अनुभव करती थी। गिरजाघर में मुझे जो शांति मिली, वह बिल्कुल विपरीत थी।

कोविड लॉकडाउन के दौरान एक दिन मेरी नजर यूट्यूब पर एक वीडियो पर पड़ी, जिसमें एक पुरोहित ने स्पष्ट तरीके से समझाया कि हमने अपने जीवन में चाहे कितने भी पाप किए हों, हम ईश्वर के साथ फिर से जुड़ सकते हैं क्योंकि उनके पुत्र ने इसकी कीमत चुकाई है। ईश्वर के पुत्र येशु मसीह मानव बन गये, हमारे बीच रहे, हमसे प्यार किया, हमें ठीक किया, पापों को क्षमा किया, क्रूस पर मरे और मृतकों में से फिर से जी उठे, और अब समय के अंत तक हमारे साथ रहते हैं।

सुसमाचार को जानने के बाद मेरा जीवन बदल गया। मुझे पता चला कि येशु मुझे जानते हैं और एक हिंदू होने के बावजूद वे मुझसे प्यार करेंगे। पहले, मैंने येशु को उन कई देवताओं में से एक समझा था जिनकी लोग पूजा करते थे, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि सच्चा ईश्वर कौन है। जिन हिंदू देवताओं को मैं जानती थी उनमें से किसी ने भी मेरे पापों के कारण दुःख नहीं सहा और अपने प्राण नहीं दिए। मेरा हृदय येशु के प्रति प्रेम से भर गया और उस दिन से मैं स्वयं को  येशु मसीह का अनुयायी मानने लगी।

खुशी के आंसू 

पवित्र आत्मा ने मुझे येशु के बारे में और अधिक जानने के लिए मार्गदर्शन किया। मैंने एक बाइबिल खरीदी और उसे पढ़ना शुरू कर दिया। मैं येशु के प्रति बड़े सम्मान, आदर और प्रेम से भर गयी। पहले, ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता लेन-देन का था। ईश्वर मुझसे वैसे ही प्यार करता है जैसे मैं हूं, यह सच्चाई मेरे लिए एक अनजान अवधारणा थी।

मुझे पता चला कि येशु हर दिन मुझसे बात करना चाहते हैं और मेरे साथ व्यक्तिगत संबंध निभाना चाहते हैं। मेरे पापी होने के बावजूद वे मुझसे प्रेम करते हैं। वे मेरे सभी पापों को माफ करने और मुझे प्यार से अपनी बाहों में स्वीकार करने को तैयार हैं। मैं उनके प्यार के लायक नहीं थी, लेकिन फिर भी वे मुझसे प्यार करते थे। आज, येशु के साथ मेरा व्यक्तिगत संबंध मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है।

जब मैं उनके साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने की इस यात्रा पर थी, तो मुझे एक सपना आया जिसमें मैंने भूरा-लाल लबादा पहने एक आदमी को मेरे सामने सड़क पर चलते हुए देखा। सड़क दोनों ओर राक्षसों से घिरी हुई थी। राक्षस मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते थे और भयानक आवाजें निकाल रहे थे। हालाँकि, जो आदमी मेरे आगे चल रहा था, उसकी वजह से इन प्राणियों ने अपनी शक्ति खोनी शुरू कर दी। चूँकि वह इतना शक्तिशाली था, वे मुझे डरा नहीं सकते थे या मुझे चोट नहीं पहुँचा सकते थे। मैं उसकी उपस्थिति में संरक्षित और सुरक्षित महसूस कर रही थी।

मुझे समझ नहीं आया कि सपना किस चीज़ के बारे में था। लेकिन बहुत दिनों बाद, मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की मेरी परिचित एक साध्वी ने मुझे सपने की व्याख्या करने में मदद की। मेरे आगे चलने वाला व्यक्ति येशु था। वह अपने प्रति मेरे विश्वास को मजबूत करने और मुझे शैतान से बचाने के लिए मेरे पास आये। यह महसूस करने के बाद कि सूर्य, चंद्रमा और सितारों का निर्माता मुझे जानता है और मेरी परवाह करता है, मैं खुशी के आँसू बहाती हुई रो पड़ी।

मुझे कैथलिक धर्म में परिवर्तित होने में दो साल लग गए, लेकिन जब ईश्वर कोई दरवाजा खोलता है, तो कोई भी व्यक्ति उसे बंद नहीं कर सकता। पवित्र आत्मा ने मेरे कैथलिक धर्म के रास्ते पर पुरुषों और महिलाओं के वेश में स्वर्गदूतों को रखा। 25 जून, 2022 को मैंने बपतिस्मा, परम प्रसाद और दृढ़ीकरण के संस्कार ग्रहण किये। आज, मैं लोगों को बताती हूँ कि येशु ने क्रूस पर उन सब के लिए क्या किया। मैं जिस भी व्यक्ति से मिलती हूँ उसमें मसीह को देखती हूँ। मैं जहां भी संभव हो सुसमाचार का आनंद साझा करना जारी रखना चाहती हूं।

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By: Sarina Christina Pradhan

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जनवरी 10, 2024
Encounter जनवरी 10, 2024

संत जनुवारियुस (या संत गेनारो, जैसा कि वे अपने देश इटली में जाने जाते हैं) का जन्म दूसरी शताब्दी में  नेपल्स में एक धनी और कुलीन परिवार में हुआ था। उन्हें पंद्रह वर्ष की उल्लेखनीय आयु में पुरोहित नियुक्त किया गया था। बीस वर्ष की आयु में, वे नेपल्स के बिशप बने थे। सम्राट डायोक्लेशियन द्वारा शुरू किए गए मसीही उत्पीड़न के दौरान, जनुवारियुस ने अपने पूर्व सहपाठी सोसियुस सहित कई ईसाइयों को छुपाया, बाद में सोसियुस  संत बन गए। सोसियुस को एक ईसाई के रूप में उजागर किया गया और उन्हें कैद कर लिया गया। जब जनुवारियुस सोसियुस से जेल में मिलने गए तो उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। कहानियाँ अलग-अलग हैं कि क्या उन्हें और उनके साथी ईसाइयों को जंगली जानवरों के सामने फेंक दिया गया था (जिन्होंने उन पर हमला करने से इनकार कर दिया था), या उन्हें भट्टी में फेंक दिया गया था जहाँ से वे सुरक्षित निकल आए।

लेकिन सभी कहानियाँ इस बात से सहमत हैं कि अंततः जनुवारियुस का सिर वर्ष 305 ई. के आसपास काट दिया गया था और यहीं से कहानी बहुत दिलचस्प मोड़ लेती है। धर्मपरायण अनुयायियों ने उनका कुछ रक्त कांच की शीशियों में इकट्ठा किया और इसे पवित्र अवशेष के रूप में संरक्षित किया। वह रक्त, जो आज तक सुरक्षित रखा गया है, उल्लेखनीय गुण प्रदर्शित करता है। जमा हुआ रक्त द्रवित हो जाने का बड़ा चमत्कार, सन 1389 से लेकर आज तक, प्रत्येक वर्ष तीन अवसरों पर  होता आ रहा है।

कांच की शीशियों में संग्रहित, बोतल के एक तरफ चिपका हुआ सूखा गहरा लाल रक्त चमत्कारिक ढंग से तरल में बदल जाता है जो बोतल को एक तरफ से दूसरी तरफ भर देता है। यह चमत्कार संत जनुवारियुस के पर्व के दिन, 19 सितंबर के अलावा, उस दिन भी होता है जो 1631 में माउंट वेसुवियस के ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव से नेपल्स को बचाए जाने की सालगिरह है, जब उनके पवित्र अवशेषों को नेपल्स ले जाया गया था।

ठोस रक्त कैसे तरल हो सकता है, इस पर कई वैज्ञानिक जांचों ने यह समझाने की कोशिश की है और उसमें असफल भी हुए। और इसमें किसी भी प्रकार की चालबाज़ी या बेईमानी नहीं सम्मिलित है।  “चमत्कार हुआ, महान चमत्कार! ” ऐसे हर्षित नारे नेपल्स महागिरजाघर में गूंजने लगते हैं जब संत के रक्त के अवशेष को रखे हुए मंजूषा को श्रद्धालु  चूमते हैं। इस उल्लेखनीय संत के रूप में और चमत्कार के रूप में ईश्वर ने कलीसिया को कितना अद्भुत उपहार दिया है, जो हर साल हमें याद दिलाता है कि कैसे जनुवारियुस और कई अन्य लोगों ने अपने प्रभु के लिए अपना खून बहाया। जैसा कि तेर्तुलियन ने कहा है, “शहीदों का खून कलीसिया का बीज है।”

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By: Graziano Marcheschi

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