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अक्टूबर 20, 2023 159 0 Connie Beckman, USA
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बदल डाला नामुमकिन को मुमकिन में

क्या आपको लगता है कि आपका संघर्ष कभी खत्म न होने वाला है? जब हताशा आपके दिल को जकड़ लेती है, तो आप क्या करते हैं?

मैं मनोचिकित्सक के कमरे में एक बड़ी कुर्सी पर हाथ मलते हुए बैठी थी और उनके आने का इंतज़ार कर रही थी। मैं उठकर भागना चाह रही थी। मनोचिकित्सक ने मेरा अभिवादन किया, कुछ साधारण से प्रश्न पूछे और फिर परामर्श की प्रक्रिया शुरू हुई। उनके पास एक डिजिटल टैबलेट और कलम थी। हर बार जब मैंने कुछ कहा या हाथ का इशारा किया, तो वे टैबलेट पर कुछ लिखते रहे। मैं अपने दिल की गहराई से जानती थी कि थोड़े समय के बाद वे निर्धारित करेंगे कि मेरी मानसिक हालत ऐसी है कि मैं मदद से परे हूं।

वह सत्र इस सुझाव के साथ समाप्त हुआ कि मैं अपने जीवन की गड़बड़ी से निपटने में मदद के लिए ट्रैंक्विलाइज़र लूं। मैंने उनसे कहा कि मैं इसके बारे में सोचूँगी; लेकिन सहज रूप से मुझे पता था कि यह कोई समाधान नहीं था।

हताश और अकेली

एक और अपॉइंटमेंट लेने के लिए, मैं स्वागत कक्ष में बैठी महिला से अपने जीवन की गड़बड़ी के बारे में बात करती रही। उसके पास सुनने वाला दयालु कान था और उसने पूछा कि क्या मैंने कभी ‘अल-अनॉन’ की बैठक में जाने पर विचार किया था। उसने समझाया कि ‘अल-अनॉन’ उन लोगों के लिए है, जिनका जीवन परिवार के किसी सदस्य के अत्यधिक शराब पीने से प्रभावित हो रहा है। उसने मुझे एक नाम और फोन नंबर दिया और मुझे बताया कि यह ‘अल-अनॉन’ महिला मुझे एक बैठक में ले जायेगी।

अपनी कार में बैठकर, बहते हुए आंसुओं के साथ, मैंने नाम और फ़ोन नंबर को देखा। मनोचिकित्सक से और अपने जीवन की परेशानियों से कोई राहत नहीं मिलने के बाद, मैं कुछ भी आजमाने के लिए तैयार थी। मैंने यह भी निष्कर्ष निकाला कि मनोचिकित्सक ने दवाइयों के अलावा कोई दूसरा हल न होने की बात पहले ही मुझसे कही थी। इसलिए, मैंने अल-अनॉन महिला को फोन किया। उसी क्षण मेरे जीवन की गड़बड़ी में ईश्वर ने प्रवेश किया, और मेरे ठीक होने की यात्रा शुरू हुई।

मैं कहना चाहूंगी कि अल-अनोन के 12-चरणों वाले चंगाई कार्यक्रम की प्रक्रिया की शुरुआत के बाद यह सुचारू रूप से चल रहा था, लेकिन रास्तें में बड़ी पहाड़ियाँ तथा अंधेरी और सुनसान घाटियाँ खड़ी थीं, हालांकि वे हमेशा आशा की किरण के साथ खड़ी थीं।

मैं प्रति सप्ताह दो अल-अनोन बैठकों में ईमानदारी से भाग लेती थी। अल-अनॉन के 12-चरणीय कार्यक्रम मेरी जीवन रेखा बन गया। मैंने अन्य सदस्यों के साथ खुल कर अपने बारे में बात की। धीरे-धीरे मेरे जीवन में प्रकाश की एक किरण आई। मैं फिर से प्रार्थना करने लगी और ईश्वर पर भरोसा करने लगी।

दो साल की अल-अनोन बैठकों के बाद, मुझे पता था कि मुझे अतिरिक्त पेशेवर मदद की ज़रूरत है। एक दयालु अल-अनोन मित्र ने मुझे 30-दिवसीय अन्तरंग-रोगी उपचार कार्यक्रम में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया।

मेरा दिल नरम हुआ

क्योंकि मुझे शराब पर गुस्सा था, मैं इस उपचार कार्यक्रम में किसी भी ‘शराबी’ के आसपास नहीं रहना चाहती थी। उस गहन कार्यक्रम के दौरान, मैं वास्तव में शराब और नशीली दवाओं के लत में डूबे कई लोगों से घिरी हुई थी। ऐसा लगता है कि ईश्वर को पता था कि मुझे क्या ठीक करने की आवश्यकता है: जब मैंने अपने लत में डूबे साथियों के व्यक्तिगत दर्द और उनके कारण उनके परिवारों को हुए गहरे तकलीफों को देखा तो मेरा दिल नरम होने लगा।

इस समर्पण के दौरान ही अपनी ही शराब की लत पर मैंने काबू पाया। मुझे पता चला कि मैं अपना दर्द छुपाने के लिए शराब पीती थी। मुझे पता चला कि मैं भी शराब का दुरुपयोग कर रही थी और यह सबसे अच्छा होगा कि मैं पूरी तरह से शराब से दूर रहूँ। उस महीने मैंने अपने पति के प्रति अपने क्रोध को दूर किया और उन्हें ईश्वर के हाथों में सौंप दिया। मेरे ऐसा करने के बाद, मैं उन्हें क्षमा कर सकी।

मेरे 30 दिनों के उपचार कार्यक्रम के बाद, ईश्वर की कृपा से, मेरे पति ने भी शराब की लत के उपचार कार्यक्रम में प्रवेश किया। मेरा और मेरे पति का और हमारे दो किशोर बेटों का जीवन बेहतर हो रहा था। हम कैथलिक चर्च में वापस आ गए थे और एक एक दिन हमारा वैवाहिक जीवन दुरुस्त किया जा रहा था।

दिल दहला देने वाला दर्द

तब जीवन ने हमें एक अकल्पनीय झटका दिया जिसने हमारे दिलों को एक लाख टुकड़ों में तोड़ दिया। हमारा सत्रह वर्षीय बेटा और उसका दोस्त एक विनाशकारी कार दुर्घटना में मारे गए। यह हादसा गाड़ी के तेज रफ्तार और उन दोनों के शराब पीने के कारण हुआ। हम हफ्तों तक सदमे में रहे। हमारे बेटे के इस तरह हिंसात्मक ढंग से छीन जाने के कारण चार लोगों का हमारा परिवार अचानक तीन में सिमट गया। मेरे पति, मैं और हमारा 15 साल का बेटा एक-दूसरे से, अपने दोस्तों से, और अपने विश्वास से लिपटे रहे। इस दर्द को एक दिन में भी सहना मेरी सहनशक्ति के बाहर था, पर मुझे इसे हर मिनट, हर घंटे तक सहना था। मुझे लगा यह दर्द हमें कभी नहीं छोड़ेगा।

ईश्वर की कृपा से, हमने मनोवैज्ञानिक परामर्श की एक विस्तारित अवधि में प्रवेश किया। दयालु और हमारी अच्छी परवाह करने वाले वह सलाहकार जानता था कि परिवार का प्रत्येक सदस्य किसी प्रियजन की मृत्यु से अपने तरीके से और अपने समय में निपटता है। इसलिए हमें अपने दुःख का सामना करने के लिए उन्होंने हममें से प्रत्येक के साथ व्यक्तिगत रूप से काम किया।

मेरे बेटे की मौत के महीनों बाद भी, मैं गुस्से और रोष से भरी हुई थी। मेरे लिए यह जानना डरावना था कि मेरी भावनाएँ इतनी बेतहाशा नियंत्रण से बाहर हो गई थीं। मैं अपने बेटे के छीन जाने पर ईश्वर से नाराज नहीं थी, लेकिन अपने बेटे की मृत्यु की रात ही उसके गैर-जिम्मेदाराना फैसले के लिए उससे मैं नाराज थी। उसने शराब पीने का निर्णय लिया और एक ऐसी गाड़ी में सफ़र करने का निर्णय लिया जिसे किसी शराबी व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा था। मैं शराब पर और उसके विभिन्न रूपों और परिणामों पर क्रोधित थी।

एक दिन हमारे स्थानीय सुपरमार्केट में, मैंने गलियारे के अंत में एक बियर की प्रदर्शनी देखी। हर बार जब भी मैं प्रदर्शनी के पास से गुजरती, तब मैं गुस्से से भर जाती। मैं प्रदर्शनी को तब तक ध्वस्त करना चाहती थी जब तक कि उसमें कुछ भी न बचा हो। इससे पहले कि मेरा गुस्सा बेकाबू होकर फूट पड़ता, मैं दुकान से बाहर निकल गयी।

मैंने अपने पारिवारिक परामर्शदाता के साथ इस घटना को साझा किया। उन्होंने मुझे निशानबाज़ी के मैदान में ले जाने की पेशकश की, जहां मैं उनकी राइफल का इस्तेमाल निशाना लगाने, गोली मारने और अधिक से अधिक बीयर के खाली बोतलों को ध्वस्त करने के लिए कर सकती थी, ताकि मुझ पर हावी हो रहे शक्तिशाली क्रोध को सुरक्षित रूप से मैं मुक्त कर सकूं।

प्यार जो चंगा करता है

लेकिन ईश्वर के अपने अनंत ज्ञान में मेरे लिए अन्य कोमल योजनाएँ थीं। मैंने काम से एक सप्ताह की छुट्टी ली और एक आध्यात्मिक साधना में भाग लिया। साधना के दूसरे दिन, मैंने एक आंतरिक चँगाई वाले मनन चिंतन में भाग लिया जिसमें मैंने रंगीन फूलों, समृद्ध हरी घास और चहचहाने वाले नीले कोमल पक्षियों से भरे, शानदार पेड़ों से घिरे एक सुंदर बगीचे में येशु, अपने बेटे, और खुद को पाया। यह शांतिपूर्ण और निर्मल अनुभव था। मैं येशु की उपस्थिति में होने और अपने अनमोल बेटे को गले लगाने में सक्षम होने के लिए बहुत खुश थी। येशु, मेरा बेटा, और मैं इत्मीनान से हाथ में हाथ डाले, चुपचाप हमारे बीच में बहते अपार प्रेम को अनुभव करते हुए टहल रहे थे।

ध्यान के बाद, मुझे गहन शांति का अनुभव हुआ। साधना से वापस घर लौटने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मेरा गुस्सा और रोष ख़तम हो चुका था। येशु ने मेरे बेकाबू क्रोध से मुझे चंगा किया था और उसके स्थान पर अपने अनुग्रह से भर दिया था। क्रोध के बजाय मुझे अपने अनमोल बेटे के लिए केवल प्यार महसूस हुआ। मेरे बेटे ने अपने बहुत छोटे जीवन में मुझे जो प्यार, खुशी और आनंद दिया है, उसके लिए मैं आभार महसूस कर रही थी। मेरा भारी बोझ हल्का होता जा रहा था।

जब किसी परिवार में दु:खद मौत आती है, तो हर सदस्य की दिल में शोक भर जाता है। नुकसान को संभालना चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसके लिए हमें अंधेरी घाटियों से गुजरना पड़ता है। लेकिन ईश्वर का प्रेम और उसकी अद्भुत कृपा हमारे जीवन में धूप और आशा की किरणें वापस ला सकती है। ईश्वर के प्रेम से संतृप्त होने पर दुःख हमें अंदर से बाहर तक बदलता है, हमें धीरे-धीरे प्रेम और करुणा से भरे लोगों में परिवर्तित करता है।

स्थिर आशा

नशे की लत के प्रभावों और उसके साथ आने वाले मानसिक विभ्रांति के प्रभावों से और साथ साथ मेरे बेटे की मौत के शोक से भी निपटने के कई वर्षों के दौरान, मैं येशु मसीह, मेरी चट्टान और मेरे उद्धारकर्त्ता से जुड़ी हुई हूं।

हमारे बेटे की मौत के बाद हमारे वैवाहिक जीवन को काफी नुकसान हुआ। लेकिन ईश्वर की कृपा से और उससे और मदद मांगने की हमारी इच्छा के कारण, हम प्रतिदिन एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं। हमारे उद्धारकर्ता और हमारे प्रभु येशु मसीह में आशा रखने के लिए यह दैनिक समर्पण, विश्वास, स्वीकृति और प्रार्थना आवश्यक है।

हम में से प्रत्येक के पास दूसरों के साथ साझा करने के लिए अपने जीवन की एक कहानी है। अक्सर यह आनंद और आशा के मिश्रण के साथ दिल के दर्द, चुनौती और दुख की कहानी होती है। चाहे हम इसे स्वीकार करें या न करें, सच्चाई यह है कि हम सभी ईश्वर को खोज कर रहे हैं। जैसा कि संत अगस्टिन ने कहा है: “हे ईश्वर, तूने हमें अपने लिए बनाया है, और हमारा दिल तब तक बेचैन है जब तक यह तुझ में विश्राम नहीं पाता।”

ईश्वर की खोज में हम में से बहुत से लोगों ने ऐसे रास्ते निकाले हैं, जो अंधेरी और सुनसान जगहों की ओर हमें ले जाते हैं। हममें से कुछ लोगों ने उस मार्ग से भटक जाने से अपने आप को बचाकर रखा है और येशु के साथ गहरे संबंध की हमने तलाश की है। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने जीवन के किस दौर से गुजर रहे हैं, क्योंकि आगे आशा और चंगाई ज़रूर है। हर पल ईश्वर हमें खोज रहा है। हमें बस इतना करना है कि हम अपना हाथ आगे बढ़ाएँ और उसे थामने दें और उसे हमारी अगुवाई करने दें।

“यदि तुम समुद्र पार करोगे, तो मैं तुम्हारे साथ होऊँगा। जलधाराएं तुम्हें बहा कर नहीं ले जायेंगी। यदि तुम आग पार करोगे, तो तुम नहीं जलोगे। ज्वालाएँ तुम को भस्म नहीं करेंगी; क्योंकि मैं, प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ; मैं इस्राएल का परम पावन उद्धारक हूँ। (इसायाह 43:2-3)

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Connie Beckman

Connie Beckman is a member of the Catholic Writer’s Guild. She desires to encourage Catholic spiritual growth by sharing the truths of the Catholic faith. Beckman shares her joy and love of God through her writings.

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