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अक्टूबर 20, 2023 116 0 Barbara Lishko, USA
Encounter

और अधिक की लालसा

परमेश्वर को “हाँ” कहना आपके जीवन में लिए गए निर्णयों में सबसे अच्छा निर्णय है!

मिस्सा बलिदान के बाद उद्घोषणा करने वाली महिला ने निवेदन किया, “कृपया मदद करें, हमें कनिष्ठ उच्च धार्मिक शिक्षा कार्यक्रम के लिए शिक्षकों की सख्त जरूरत है।” मैंने न सुनने का नाटक किया। हम इलिनोय से एरिज़ोना वापस चले गए थे, और हमारे पांच बच्चों में से सबसे बड़ा लड़का हाई स्कूल में प्रवेश कर रहा था। प्रत्येक रविवार, उसी महिला द्वारा मिस्सा के बाद उसी सरल निवेदन की घोषणा! परमेश्वर शायद सप्ताह दर सप्ताह मुझ में कार्य कर रहा था। मुझे पता था कि मैं धर्म शिक्षा स्कूल की तालिका में अपने पांच बच्चों को जोड़ रही हूं; आखिर, शायद मुझे मदद करनी चाहिए। इसमें शरीक न होने का मेरा संकल्प फीका पड़ गया, और मैंने अपना नाम दर्ज कर लिया।

मैं हमेशा कहा करती थी कि मैं “हाँ” वाले जीन के साथ पैदा हुई हूं। कुछ करने का मुझ में ज़ज्बा हैं, इसलिए जिन संगठनों से मैं जुड़ी हूँ, वे लोग जानते हैं कि मैं अपनी ज़िम्मेदारी निभाने केलिए मीलों की दूरी तय कर सकती हूँ। इसलिए मैं ने “हाँ” कहा। “मैं एक पालना कैथलिक हूँ; बच्चों को पढ़ाना कितना कठिन हो सकता है?” फिर भी मैं तैयार हो गयी।

अगले कुछ वर्षों में, युवाओं के बीच सेवकाई के प्रभारी आते-जाते रहे। सबसे अंतिम युवा सेवक प्रभारी के जाने के बाद, हमारे पल्ली पुरोहित ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि आपके साथी स्वयंसेवक शिक्षकों ने आपको युवा सेवक प्रभारी के रूप में पदभार ग्रहण करने की सिफारिश की है। “मुझे?” “हाँ, क्या आप कोशिश करने को तैयार हैं?” फिर से, उस ‘हाँ जीन’ के कारण मैं ने हाँ कह दिया। ईश्वर रहस्यमय तरीके से काम करता है, और कुछ ही हफ्तों के भीतर, मैं धर्मशिक्षा के कनिष्क हाई स्कूल की नई प्रभारी बन गयी थी। मैंने पहले माना था कि कैथलिक कलीसिया के लिए केवल पुरोहित और नन (साध्वी लोग) ही काम कर सकते हैं। मुझे याद है कि पहले मैं सोचा करती थी कि प्रभु की दाखबारी में समान विचारधारा वाले सहकर्मियों के साथ ऐसे पवित्र वातावरण में काम करना कितना शानदार होगा। जल्दी ही वह कल्पना मिट गयी।

अपने नए कार्य क्षेत्र में प्रवेश पाते ही, शीघ्र ही मुझे यह दु:खद अहसास हुआ कि कलीसिया के लिए काम करने वाला व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसके पास कठिन सवालों के जवाब हों और धार्मिक ज्ञान हो। उस विचार ने मुझे भयभीत कर दिया। कलीसिया सम्बन्धी मेरी कोई पृष्ठभूमि या शिक्षा नहीं थी। वास्तविकता यह है कि जब विश्वास की बात आती थी तो हर पल यह सोच मुझ पर आक्रमण करती थी कि मैं एक गूंगी की तरह इस कार्य के लिए अयोग्य थी। कैथलिक होने के चालीस वर्षों में अक्सर उद्धृत की जाने वाली उस पंक्ति से मैं अनभिज्ञ थी कि “परमेश्वर जिन्हें बुलाता है, उन्हें वह सुसज्जित करता है”। हालाँकि, यह वही डर था जिसने मुझे काम करने के लिए प्रेरित किया। कॉलेज जाना कोई विकल्प नहीं था। इसका मतलब था कि मुझे रचनात्मक होने की जरूरत है। जब मेरा एक बेटा अपनी किंडरगार्टन कक्षा में था, तब मुझे सिस्टर ग्लोरिया से एक कैसेट मिला था। आठ साल तक मैंने कभी इसे सुनने का समय नहीं निकाला। एक दिन किसी अदृश्य शक्ति ने मुझे इसे सुनने के लिए मजबूर किया। इसे आप “डॉ. स्कॉट हैन की रूपांतरण कहानी” कह सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि डॉ. हैन कौन थे, लेकिन एक शांत क्षण में, मैंने उस कैसेट को सुनना शुरू किया। सत्य की खोज में निकले प्रेस्बिटेरियन कलीसिया के इस पादरी की यात्रा आकर्षक थी, और वह यात्रा उन्हें कैथलिक कलीसिया में ले आई।

मुझे और लालसा हुई।

उस दौरान, हमें कैलिफोर्निया में उस गर्मी में होने वाले कैथलिक पारिवारिक सम्मेलन के बारे में सूचना दी गयी थी। मैंने अधिकांश वक्ताओं के नाम कभी नहीं सुना था, लेकिन पता चला कि डॉ. हैन रहेंगे। मेरे पति भी उत्सुक थे, और हम पूरे परिवार को ले आए। विख्यात वक्ता टिम स्टेपल्स, जेसी रोमेरो, स्टीव रे, और कई अन्य धर्मान्तरित वक्ताओं ने हमें प्रेरित किया, हमारे दिलों के अंगारों को हवा दी। हमने धर्म मंडन, विश्वास की रक्षा करने की कला सहित कई विषयों पर किताबें और कैसेट खरीदे। बच्चे उत्साहित थे, और हम भी। एक जुनून भरी आग हमारे अंदर सुलगने लगी थी जो हमारे पास पहले नहीं थी। साल-दर-साल, हम अन्य परिवारों को इस पारिवारिक वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते, और वे भी इसी आग से जल उठते।

मुझे युवा सेवक के रूप में प्रमाण पात्र प्राप्त करने की आवश्यकता थी। एक बार फिर, ईश्वर ने मुझे मौका दिया और मैंने फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय में संत जॉन बॉस्को ग्रीष्मकालीन सम्मेलन में भाग लिया। यह सब मेरे लिए एक नया रोमांच था। मैंने प्रार्थना, आराधना, पूजा, धर्मशिक्षा और अविश्वसनीय वक्ताओं के माध्यम से कभी भी ईश्वर का इस प्रकार अनुभव प्राप्त नहीं किया था। मेरे अन्दर इन बातों की ऐसी भूख पैदा हुई जिसका मैं ने पहले कभी नहीं अनुभव किया था। मेरे द्वारा खाए गए हर अनमोल निवाला के साथ, मुझे और अधिक खाने की इच्छा हुई। इस ढलती उम्र में मैं परमेश्वर और अपने विश्वास के बारे में इतनी अज्ञानी कैसे हो सकती हूँ?

लोगों की कल्पना के विपरीत, परमेश्वर के प्रति अपने ज्ञान और प्रेम का विस्तार करना उबाऊ नहीं है। यह उत्तेजक और प्रेरक है। ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता आखिरकार पोषित किया जा रहा था। मिस्सा बलिदान हमारे लिए जीवंत हो गया। मेरे जीवन के जिन आयामों का मैनें सामना किया उन सब में आनंद और विश्वास की वृद्धि स्पष्ट थी। मेरे उत्साही जुनून ने मेरे जीवन के सभी पहलुओं पर आधिपत्य जमाया, विशेषकर सेवकाई के क्षेत्र में। परमेश्वर ने उदारता से मुझे आशीर्वाद दिया, हाँ, और प्रचुर मात्रा में फल मिले। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, परमेश्वर मुझे अपने और करीब ले जा रहा था, वह मुझे अपने वचन रूपी रोटी के टुकड़े देकर मुझे संपोषित कर रहा था जो मुझे कदम-दर-कदम उसके करीब लाता गया।

इक्कीस साल बाद, मैं अभी भी कैथलिक कलीसिया के लिए काम करती हूं लेकिन अब वैवाहिक तैयारी का प्रशिक्षण चलाती हूँ। मैं अभी भी उस आग को जारी रखने के कई तरीकों का अनुसरण करती हूँ जो इतने साल पहले लगी थी। मेरा अंतहीन आभार उन धर्मांतरित लोगों के लिए जाता है, जिन्होंने हर कीमत पर सत्य का अनुसरण किया और जिस दिशा में ईश्वर ने उनकी अगुवाई की, उसी ओर जाने केलिए वे तैयार थे। वे कभी नहीं जान पाएंगे कि परमेश्वर ने कितने लोगों के जीवन को उनकी हाँ के कारण प्रभावित किया, और उनमें से एक मेरा भी जीवन था।

और हमारे वे पांच छोटे बच्चे बड़े हो गए, और उनकी शादी गिरजाघर में हुई और उनके अपने बच्चे प्रभु परमेश्वर को अनुभव करते हुए और अपने कैथलिक विश्वास से प्यार करते हुए बड़े हो रहे हैं। मेरे पति भी दस साल से उपयाजक (डीकन) के पद पर हैं। हे परमेश्वर, सारी महिमा और सभी श्रेय मैं तुझे देती हूँ। तू हमारे लिए कितने उदार और अच्छा है; तू मेरे दिल में आग प्रज्वलित करने का सबसे अच्छा तरीका जानता था। इसके लिए तुझे धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्दों की कमी है। “ईश्वर आप लोगों को प्रचुर मात्रा में हर प्रकार का वरदान देने में समर्थ हैं, जिससे आप को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, बल्कि हर भले काम केलिए चन्दा देने केलिए भी बहुत कुछ बच जाए।“ (2 कुरिन्थी 9:8)

पीड़ा और प्रार्थना के माध्यम से, तूने मुझे जो कुछ भी दिया है, वह मुझे तेरे और मेरे मार्ग पर तेरे द्वारा लाये गए उन सभी के करीब ले आया है। धन्यवाद हे प्रभु!

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Barbara Lishko

Barbara Lishko has served the Catholic Church for over twenty years. As wife of Deacon Mark for over forty-two years, she is a mother of five, grandmother of nine and counting. They live in Tempe, Arizona, USA. She frequently blogs at pouredmyselfoutingift.com

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