Home/Encounter/Article

अक्टूबर 20, 2023 103 0 John Edwards
Encounter

कोकीन पर मसीह!

बैपटिस्ट चर्च के सदस्य के रूप में बड़े होने के बावजूद, शराब, ड्रग्स और कॉलेज की बुरी संगति ने जॉन एडवर्ड्स को बवंडर में डाल दिया, लेकिन क्या ईश्वर ने उन्हें छोड़ दिया? पता लगाने के लिए पढ़ें।

मेरा जन्म और पालन-पोषण मिडटाउन मेम्फिस के एक बैपटिस्ट परिवार में हुआ। स्कूल में मेरे बहुत कम दोस्त थे, लेकिन गिरजाघर में मेरे बहुत सारे दोस्त थे। वही मेरा समुदाय था। मैंने हर दिन इन लड़कों और लड़कियों के साथ बिताया, सुसमाचार का प्रचार किया और उन सभी चीजों का आनंद लिया जो हर कोई युवा बैपटिस्ट करता है। मैं अपने जीवन के उस दौर से प्यार करता था, लेकिन जब मैं 18 साल का हुआ, तो मेरे दोस्तों की मंडली बिखर गयी। जबकि उनमें से ज्यादातर लोग मुझे छोड़कर कॉलेज चले गए और मैं अभी भी इस बारे में अनिश्चित था कि मैं अपने जीवन के साथ क्या करना चाहता हूं। पहली बार मुझे लगा कि मैं अकेला हूँ। मैं भी अपने जीवन में उस बिंदु पर था जहाँ मुझे यह तय करना था कि मुझे क्या करना है। मैंने स्थानीय मेम्फिस विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और युवकों के एक गिरोह में शामिल हो गया। यहीं से मैं शराब पीने, ड्रग्स लेने और लड़कियों का पीछा करने में शामिल होने लगा। दुर्भाग्य से, मैंने अपने जीवन की शून्यावस्था को उन सभी गतिविधियों से भर दिया जो आप बहुत सी फिल्मों में देखते हैं, जैसे शराब और महिलाओं की संगति। एक रात मैंने कोकीन लेने का एक गलत निर्णय लिया – मेरे जीवन के सबसे बुरे फैसलों में से यही एक फैसला था। इसने मुझे अपने जीवन के अगले 17 वर्षों तक परेशान किया।

जब मैं अपनी भावी पत्नी एंजेला से मिला, तो मैंने उसे यह कहते हुए सुना कि जिस आदमी से वह किसी दिन शादी करेगी उसका कैथलिक होना ज़रूरी है। मैं उसका पति बनना चाहता था। भले ही मैं 10 से अधिक वर्षों से गिरजाघर नहीं गया था, फिर भी मैं इस अद्भुत महिला से शादी करना चाहता था। हमारी शादी से पहले, मैं आर.सी.आई.ए. धर्मशिक्षा कार्यक्रम में भाग लिया और कैथलिक बन गया, लेकिन कैथलिक कलीसिया के सच्चे विश्वास मुझमें गहरी जड़ें नहीं जमा पाईं क्योंकि मैं सिर्फ वक्त गुजार रहा था।

जैसे-जैसे मैं एक सफल विक्रेता बन गया, मेरे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियाँ और तनाव आ गया। मेरी आय पूरी तरह से बिक्री पर की गयी दलाली पर निर्भर थी और मेरे जितने ग्राहक थे वे बड़ी मांगे रखते थे। यदि किसी साथी कर्मचारी ने कोई गलती की, या कोई समस्या खडी कर दी, तो मुझे अपनी आय से वंचित रहने का डर था। इस ओरकार के सभी दबाव को दूर करने के लिए, मैंने रात में खुद को नशीली दवाओं के प्रयोग में झोंकना शुरू कर दिया, लेकिन मैं इसे अपनी पत्नी से छिपाने में कामयाब रहा। उसे पता नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूं।

हमारे पहले बेटे जैकब के जन्म के कुछ ही समय बाद, मेरी माँ को कैंसर हो गया। उसके पास जीने के लिए सिर्फ दो हफ्ते से लेकर कुछ महीने बाकी थे और इस बात ने मुझे सचमुच हिलाकर रख दिया। मुझे याद है कि मैंने ईश्वर से पूछा था: “तू मेरे जैसे झूठ बोलने वाले नशे की लतवाले आदमी को कैसे जीने देता है, लेकिन मेरी माँ, जिसने आपको जीवन भर बेशर्त प्यार किया है, उसे तू क्यों मरने दे रहा है ? यदि आप उस प्रकार के परमेश्वर हैं, तो मुझे आपसे कोई लेना-देना नहीं है!” उस दिन, मुझे याद है कि मैंने आसमान की ओर देखा और कहा: “मैं तुमसे नफरत करता हूँ और मैं फिर कभी तुम्हारी पूजा नहीं करूँगा!” उसी दिन मैं पूरी तरह से परमेश्वर से दूर चला गया।

परिवर्तन का वह मोड़

मेरे इस तरह के कुछ ग्राहक थे जिनसे निपटना बहुत मुश्किल था। यहां तक ​​कि रात में भी कोई राहत नहीं मिली, वे एक के बाद एक संदेश भेजते थे और व्यवसाय को बर्बाद करने की धमकी देते थे। सारे तनावों से मैं परेशान था, और मैं हर रात खुद को अधिक से अधिक ड्रग्स में झोंक देता था। एक रात, लगभग दो बजे, मैं अचानक उठा और बिस्तर पर बैठ गया। ऐसा लग रहा था कि मेरा दिल मेरे सीने से बाहर निकलने वाला है। मैंने सोचा: ‘मुझे दिल का दौरा पड़ने वाला है और मैं मर जाऊंगा’। मैं ईश्वर को पुकारना चाहता था, लेकिन मेरा घमंडी, स्वार्थी, जिद्दी स्वभाव मुझे मना कर रहा था।

मैं मरा नहीं था, लेकिन मैंने नशीले पदार्थों को बाहर फेंकने और शराब को बाहर निकालने का संकल्प लिया था… मैंने सुबह इसका पालन किया… केवल दोपहर तक… उसके बाद मैं ने और अधिक दवाएं और बीयर खरीद लिए। बार-बार एक ही बात होती थी- ग्राहक मुझे धमकी भरे सन्देश टेक्स्ट करते थे, और मैं सोने के लिए और अधिक ड्रग्स का इस्तेमाल करता था, और रात को बार बार जाग जाता था।
नशीली दवाओं की मेरी इच्छा इतनी अधिक थी कि एक दिन, मैं अपने ससुर के घर से अपने बेटे जैकब को लेने के लिए निकला और रास्ते में कोकीन खरीदने के लिए रुक गया! जैसे ही मैं ड्रग डीलर के घर से निकला, मैंने एक पुलिस सायरन सुना! ड्रग प्रवर्तन एजेंसी ठीक मेरे पीछे थी। यहां तक ​​कि जब पुलिस स्टेशन में एक बेंच से मेरे पैरों को जंजीर से बांधकर मुझसे पूछताछ किया जा रहा था, तब भी मुझे लगा कि मैं इससे बाहर निकलने वाला हूं। एक सुपर सेल्समैन के रूप में, मुझे विश्वास था कि मैं किसी भी चीज़ से अपना रास्ता निकाल सकता हूँ। लेकिन इस बार नहीं! मुझे डाउनटाउन मेम्फिस में जेल में डाला गया। अगली सुबह, मैंने सोचा कि यह सब सिर्फ एक बुरा सपना था, लेकिन तब मैं ने पाया कि मैं जेल में स्टील की चारपाई पर पडा हूँ।

वह खतरनाक बहाव

जब मुझे पता चला कि मैं जेल में हूं और अपने घर में नहीं हूं, तो मैं घबरा गया। यह नहीं हो सकता… हर किसी को पता चल जाएगा… मेरी नौकरी चली जाएगी… मेरी पत्नी… मेरे बच्चे… मेरे जीवन में सब कुछ…” बहुत धीरे-धीरे, मैंने अपने जीवन को देखना शुरू किया और सोचने लगा कि यह सब कैसे शुरू हुआ। तभी मुझे एहसास हुआ कि जब मैं येशु मसीह से दूर चला गया तो मैंने कितना कुछ खोया था। मेरी आंखें आंसुओं से भर गईं और मैंने उस दिन दोपहर का वक्त प्रार्थना में बिताया। मुझे बाद में पता चला कि यह कोई साधारण दिन नहीं था। वह पुण्य बृहस्पतिवार था, ईस्टर से तीन दिन पहले, वह दिन जब येशु जब गतसमनी के बगीचे में प्रार्थना करते समय, उनके साथ एक घंटा भी नहीं बिता पा रहे अपने प्रेरितों को डांटा था। जब मैंने उनसे प्रार्थना में बातें की, तो मुझे भरोसा और निश्चितता का गहरा अहसास हुआ कि येशु ने मुझे कभी नहीं छोड़ा था, तब भी जब मैं उनसे दूर चला गया था। मेरे सबसे बुरे पलों में भी वह हमेशा मेरे साथ रहे।

जब मेरी पत्नी और मेरी सास मुझसे मिलने आईं, तो मैं चिंता से भर गया। मैं उम्मीद कर रहा था कि मेरी पत्नी कहेगी: “मैं तुम्हें छोड़ रही हूँ और बच्चों को ले जा रही हूँ!” यह लॉ एंड ऑर्डर सिनेमा के एक दृश्य की तरह लगा जहां कैदी कांच की दूसरी तरफ अपने आगंतुक से फोन पर बात करता है। जैसे ही मैंने उन्हें देखा, मैं फूट-फूट कर रोते हुए बुदबुदाने लगा, “मुझे माफ़ करो, मुझे माफ़ करो!” इसके जवाब में उसके कहे शब्द मेरे कानों पर पड़े तो मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहां था। “जॉन, रुको … मैं तुम्हें तलाक नहीं देने जा रही हूँ। इसका तुमसे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन हम दोनों ने गिरजाघर में जो प्रतिज्ञाओं की उन से संबंधित है…”। हालाँकि, उसने मुझसे कहा कि भले ही वह मुझे जमानत दिलवा रही थी, फिर भी मैं घर नहीं जा सकता। उस शाम मेरी बहन मुझे जेल से लेने आएगी, और वह मुझे मिसिसिपी में मेरे पिता के फार्म हाउस में ले जाएगी। गुड फ्राइडे का दिन मैं जेल से बाहर आया। जब मैंने सामने देखा तो वहां मेरी बहन नहीं बल्कि मेरे पिताजी मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे। मैं उनसे आँखें मिलाने से घबरा रहा था, लेकिन हम दोनों के बीच उनके फार्म तक डेढ़ घंटे की कार की सवारी के दौरान अब तक की सबसे वास्तविक बातचीत हुई।

एक आकस्मिक मुलाक़ात

मैं जानता था कि अपना जीवन बदलने के लिए मुझे कुछ करना होगा और मैं इसे ईस्टर रविवार को ख्रीस्तयाग से शुरुआत करना चाहता था। लेकिन जब मैं 11 बजे के मिस्सा बलिदान के लिए गिरजाघर पहुंचा, तो वहां कोई नहीं था। मैंने निराशा और गुस्से में स्टीयरिंग व्हील को अपनी मुट्ठी से मारना शुरू कर दिया। 10 साल में पहली बार मैं मिस्सा में जाना चाहता था और वहां कोई नहीं था। क्या ईश्वर को मेरी बिल्कुल परवाह नहीं है ? अगले ही पल, एक सिस्टर ने आकर पूछा कि क्या आप मिस्सा बलिदान में जाना चाहते हैं? उन्होंने मुझे अगले शहर में भेज दिया जहां मैंने पूरे गिरजाघर को बहुत सारे परिवारों से भरा हुआ पाया। यह एक और करारा झटका लगा क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ नहीं था।

मैं केवल अपनी पत्नी के बारे में सोच रहा था और यह भी कि उसके योग्य बनने के लिए मैं कितना लालायित था। मैंने वेदी पर खड़े पुरोहित को पहचान लिया। आखिरी बार मैंने उन्हें कई साल पहले देखा था, तब मैं अपनी पत्नी के साथ था। जब ख्रीस्तयाग समाप्त हुआ, तो मैं बेंच पर बैठा रहा और परमेश्वर से मुझे चंगा करने और मुझे मेरे परिवार से मिलाने के लिए कहता रहा। जब मैं अंत में जाने के लिए उठा, तो मैंने अपने कंधे पर एक स्पर्श महसूस किया, जिसने मुझे चौंका दिया, क्योंकि मैं वहां किसी को नहीं जानता था। जैसे ही मैं पीछे मुड़ा, मैंने देखा कि यह गिरजाघर के वे फादर थे। उन्होंने मुझे बड़ी गर्मजोशी से अभिवादन किया, “हैलो, जॉन”। मैं दंग रह गया कि उन्हें मेरा नाम याद है क्योंकि हमारी आखिरी मुलाकात हुए कम से कम पांच साल गुजर चुके थे, और वह मुलाक़ात लगभग 2 सेकंड तक ही चली थी। उन्होंने मेरा हाथ थाम लिया और मुझसे कहा, “मुझे नहीं पता कि तुम यहाँ अकेले क्यों हो या तुम्हारा परिवार कहाँ है, लेकिन परमेश्वर चाहता है कि मैं तुम्हें बता दूँ कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।” मैं दंग रह गया। वह कैसे जान सकता था?

मैंने अपना जीवन बदलने और पुनर्वास पर जाने का मन बना लिया। मेरी पत्नी मेरे साथ पुनर्वास केंद्र तक आई और 30 दिनों की बहिरंग विभाग में चिकित्सा के बाद मुझे वापस घर ले जाने केलिए वह फिर आई। जब मेरे बच्चों ने मुझे दरवाजे पर देखा, तो वे रो पड़े और अपनी बाहें बढ़ाकर मेरे गले लग गए। वे मेरे ऊपर कूद पड़े और देर रात तक हम खूब खेले। जब मैं अपने बिस्तर पर लेटा था, मैं घर में वापस आने के लिए कृतज्ञता से अभिभूत महसूस कर रहा था – घर के ए.सी. कमरे में मैं आराम से लेटा था, सामने एक टीवी थी जिसे मैं जब चाहूं देख सकता था; भोजन की मेज़ पर ऐसा भोजन कर सकता था जो जेल की सडा गला भोजन जैसा नहीं था; और मैं अपने बिस्तर के आराम का आनंद ले रहा था ।

मैं मुस्कुराया जैसे कि मैं महल का राजा था, तब मैंने देखा की एंजेला बिस्तर पर नहीं है। मैंने मन ही मन सोचा: “मुझे अपना पूरा जीवन बदलने की आवश्यकता है; ड्रग्स और शराब को रोकना पर्याप्त नहीं है।” मैंने एक बाइबिल की तलाश में पलंग के बगल के मेज़ की दराज़ खोली, और एक पुस्तक पाई जो फादर लैरी रिचर्ड्स ने मुझे एक सम्मेलन के दौरान दी थी। उस समय मैंने केवल 3 या 4 पृष्ठ पढ़े थे, लेकिन जब मैंने उस रात को इसे उठाया, तो मैं इसे पूरी तरह से पढ़ने के बाद ही इसे नीचे रख पाया। मैं पूरी रात जागा और पढ़ ही रहा था कि मेरी पत्नी सुबह 6 बजे उठी। किताब ने मेरी समझ को तेज कर दिया कि एक अच्छा पति और पिता होने का क्या मतलब है। मैंने ईमानदारी से अपनी पत्नी से वादा किया कि मैं वह आदमी बनने जा रहा हूं जिसकी वह हकदार थी। उस पुस्तक ने मुझे फिर से पवित्र बाइबिल पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने जीवन में कितना कुछ खोया है और मैं खोए हुए समय की भरपाई करना चाहता था। मैंने अपने परिवार को मिस्सा बलिदान में ले जाना शुरू किया, और हर रात घंटों तक प्रार्थना की। पहले वर्ष में, मैंने 70 से अधिक कैथलिक पुस्तकें पढ़ीं। थोड़ा-थोड़ा करके मैं बदलने लगा।

मेरी पत्नी ने मुझे वह आदमी बनने का अवसर दिया जिसके लिए परमेश्वर ने मुझे बुलाया था। अब, मैं अपने पॉडकास्ट ‘जस्ट ए गय इन द प्यू’ के माध्यम से अन्य लोगों को भी ऐसा करने में मदद करने की कोशिश कर रहा हूं।

पुण्य बृहस्पतिवार को, येशु अपने आत्म बलिदान के लिए तैयार थे, और मैंने अपने पुराने स्वभाव के आत्म बलिदान करने का निर्णय लिया। ईस्टर रविवार को, मुझे लगा कि मैं भी उनके साथ पुनर्जीवित हो गया हूं। हम जानते हैं कि जब हम येशु से बहुत दूर किसी मार्ग पर होते हैं तो शैतान चुप हो जाएगा। यह तब होता है जब हम मसीह के निकट आने लगते हैं तब शैतान वास्तव में जोर से बोलने लगता है। जब उसका झूठ हमें घेरने लगता है, तब हमें पता चलता है कि हम कुछ अच्छा कर रहे हैं। कभी हार न मानना। जीवन भर परमेश्वर के प्रेम में बने रहें। आपको इसका कभी पछतावा नहीं होगा।

Share:

John Edwards

John Edwards

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Neueste Artikel