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मार्च 23, 2023 174 0 Ros Powell, UK
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अपना बोझ उतार दो

क्या आप जीवन के बोझ से परेशान हैं? आप राहत की सांस कैसे ले सकते हैं, इसे जानिए…

मेरी शादी के कई सालों बाद तक, मैंने एक ऐसे जीवनसाथी के साथ शादी करने का बोझ ढोया, जो अविश्वासी था। माता-पिता के रूप में, हममें से कई लोग अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों का बोझ उठाते हैं। लेकिन मैं आपसे कहूंगी, ईश्वर की योजना पर भरोसा रखें, उसके दिव्य विधान की पूर्ती के लिए उसके सही समय पर भरोसा करें। स्तोत्र ग्रन्थ 68:18-20 कहता है, “धन्य है प्रभु, हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है।” हमें अपने बोझ के साथ क्या करना चाहिए?

सबसे पहले ज़रूरी है कि निराशा न हो। जब हम निरुत्साहित होते हैं, तो यह कभी भी प्रभु की इच्छा के अनुरूप नहीं होता। हम जानते हैं कि बाइबिल हमें मत्ती 6:34 में कहती है, “कल की चिन्ता मत करो, क्योंकि कल अपनी चिन्ता स्वयं कर लेगा।” बाइबिल यह भी कहती है, “आज की मुसीबत आज के लिए बहुत है।” जब हम शांत होते हैं, तो यह ईश्वर की इच्छानुसार होता है, लेकिन जब हम चिंतित रहते हैं, तो यह शैतान की तरफ से होती है। स्वर्ग में कोई चिंता नहीं है, केवल प्रेम, आनंद और शांति है।

मेरे प्यारे पति फ्रेडी को अपने जीवन के अंतिम साढ़े आठ वर्षों में अल्जाइमर रोग हो गया था। अल्जाइमर से पीड़ित पति के साथ रहने के दौरान, मैंने पाया कि मेरे जीवन में प्रभु की कृपा अद्भुत थी। प्रभु ने मुझे पति की बीमारी का बोझ अपने ऊपर न उठाने का अनुग्रह दिया। यह बोझ मुझे नष्ट कर सकता था। मैंने अपने आप को उस स्थिति में पाया जहाँ मुझे प्रार्थना करनी थी और लगातार सब कुछ प्रभु को देना था, पल-पल के आधार पर। जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते हैं जिसे अल्ज़ाइमर है, तो जीवन लगातार बदलता है। हर सुबह जब मैं उठती हूँ, मैं बाइबिल के पास जाती हूँ। मैं इसे अपने दिन का पहले फल के रूप में बदल देती हूं। मैं जानती हूं कि मेरे येशु ने हमारे लिए क्रूस पर मरकर पहले ही हमारे हर एक बोझ को अपने ऊपर उठा लिया है। उसने हम में से प्रत्येक के लिए कीमत चुकाई है और वह प्रतीक्षा करता है कि हम में से प्रत्येक उन आशीषों को हथिया ले जो उन्होंने क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा हमारे लिए खरीदी हैं।

मुझे सम्भालने वाली प्रतिज्ञाएँ  

उस सीजन में मैंने कई सबक सीखे। मैंने सीखा कि कभी-कभी परमेश्वर हमारी परिस्थितियों को बदलना नहीं चाहता, लेकिन जिन परिस्थितियों से हम गुजर रहे हैं, उनके द्वारा परमेश्वर हमारे ह्रदय को बदलना चाहता है। ठीक ऐसा ही मेरे साथ हुआ। मैंने प्रतिज्ञात देश से और पहाड़ की चोटियों से ज़्यादा जीवन की घाटियों में सीख ली। जब आप चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते हैं, तो आप या तो तैरना सीखते हैं या नीचे डूब जाते हैं। आप सीखते हैं कि जहां कोई रास्ता नहीं है वहां ईश्वर कोई रास्ता खोज लेता है। मैं प्रभु से निरन्तर विनती किया करती थी, “मुझे अनुग्रह दे कि मैं पौलुस के समान हर परिस्थिति में सन्तुष्ट रहूँ।” फिलिप्पियों को लिखे पत्र में, पौलुस लिखते हैं कि उन्होंने परिस्थितियों की परवाह किए बिना संतुष्ट रहना सीख लिया है। उनका यह भी कथन है, “जो मुझे बल प्रदान करता है, उनकी सहायता से मैं सब कुछ कर सकता हूं।” हमें यह जानना होगा कि हमें आगे बढ़ाने वाली शक्ति प्रभु की शक्ति है न कि हमारी शक्ति। हमें प्रभु पर भरोसा रखना है और हमें अपनी समझ पर निर्भर नहीं रहना है। हमें अपना बोझ उस पर डाल देना चाहिए और हमें संभालने की अनुमति हम उसे दे।

जब हम चिंता में डूबने लगते हैं, तो हमारा सफ़र नीचे की ओर होता है। वहीं हमें प्रभु के पास आने और उन्हें अपना बोझ सौंपने की जरूरत है। “थके मांदे और बोझ से दबे हुए लोगो, तुम सभी मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूं। इस तरह तुम अपनी आत्मा में शांति पाओगे” (मत्ती 11:28,29)। यह एक शानदार पवित्र वचन है जिसके बल पर मुझे साढ़े आठ वर्षों में ज़िन्दगी के कठिन डगर पर चलने की ताकत मिली है। यह एक प्रतिज्ञा है! इसलिए, विश्वास में हम में से प्रत्येक को अपने लिए और अपने प्रियजनों के लिए अपनी चिंताओं और आशंकाओं का पूरा भार प्रभु पर डालने के लिए तैयार रहना होगा।

मिशन संभव!

अभी कुछ समय निकालकर जिन सभी लोगों को आप अपने हृदय में लिए हुए हैं, उन्हें प्रभु को दें। चाहे वह आपका जीवनसाथी हो, आपके बच्चे हो, या कोई और जो भटक ​​गया हो या विद्रोही हो। अब विश्वास की एक छलांग लें और इन सबको प्रभु को दे दें क्योंकि प्रभु आपकी परवाह करता है। आपकी आत्मा के शत्रु ने जहां आपकी शांति को लूट लिया है उन सभी बातों को भी प्रभु को दे दे।

मेरा पति येशु के बारे में जानें, इस केलिए मुझे अट्ठाईस साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। मैं उसे हर समय प्रभु को समर्पित करती थी। मैं प्रभु से कहा करती थी कि वह एक ‘गवाही बनेगा’ और मैंने कभी हार नहीं मानी। परमेश्वर ने उसे परिवर्तित किया और एक स्वप्न के द्वारा उसकी आत्मा को चंगा किया। परमेश्वर का समय हमारे समय से बिलकुल भिन्न है। लूकस 15:7 कहता है, “निन्यानबे धर्मियों की अपेक्षा, जिन्हें पश्चाताप की आवश्यकता नहीं है, एक पश्चातापी पापी केलिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जाएगा।” मैं आपको बता सकती हूँ, मेरे फ्रेडी के मनपरिवर्तन पर स्वर्ग में एक बड़ी पार्टी ज़रूर रही होगी! प्रभु ने मुझे दिखाया कि फ्रेडी का मन परिवर्तन मेरे महान मिशनों में से एक था।

आपका महान मिशन कौन है? क्या आपका मिशन आपका पति, आपकी पत्नी, बेटा या बेटी है? प्रभु से कहें कि वह उन्हें छू लें और प्रभु उनके लिए आपकी प्रार्थनाओं को स्वीकार करेंगे।

 देर नहीं हुई, अब भी अवसर है

मेरा फ्रेडी 14 मई, 2017 को प्रभु की महिमा के घर चले गए। मुझे पता है कि वह अब वहां है, और वह मुझे देख रहा है। लूकस 5:32 में येशु कहते हैं, “मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को पश्चाताप के लिए बुलाने आया हूं।” इसलिए, परमेश्वर की दया पापियों के लिए है, इसलिए हम सब उसके अनुग्रह से बचाए गए हैं।

इसायास 65:1 में परमेश्वर कहता है, “मैं ने उन लोगों पर अपने को प्रकट किया जो मुझ से परामर्श नहीं लेते थे। जो लोग मेरी खोज नहीं करते थे, मैं उन्हें मिला। जो राष्ट्र मेरा नाम  नहीं लेता, मैं ने उससे कहा, “देखो मैं प्रस्तुत हूँ”।

संत फौस्तीना की डायरी में मरने वालों के प्रति ईश्वर की दया के बारे में हम पढ़ते हैं: “मैं अक्सर मरने वालों का ख्याल करती हूँ और विनती के माध्यम से उनके लिए ईश्वर की दया में विश्वास प्राप्त करती हूं, और ईश्वर से हमेशा विजयी रहनेवाली ईश्वरीय कृपा की प्रचुरता के लिए विनती करती हूं। परमेश्वर की दया कभी-कभी पापी को अंतिम क्षण में अद्भुत और रहस्यमय तरीके से स्पर्श कर लेती है। बाहर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे सब कुछ समाप्त हो गया हो, लेकिन ऐसा नहीं है। ईश्वर की शक्तिशाली अंतिम कृपा की एक किरण से प्रकाशित आत्मा, अंतिम क्षण में प्रेम की ऐसी शक्ति के साथ ईश्वर की ओर मुड़ती है कि एक पल में, वह ईश्वर से पापों से क्षमा और दंड से छुटकारा प्राप्त कर लेती है, जबकि बाहरी रूप से यह किसी पश्चाताप या पछतावा का संकेत नहीं दिखाती है, क्योंकि आत्माएं [उस अवस्था में] अब बाहरी बातों पर प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। ओह, ईश्वर की दया हमारी समझ से कितने परे है! (पैराग्राफ 1698)

आइए प्रार्थना करें: प्रभु हम तेरे अनुग्रह के सिंहासन कक्ष में आते हैं जहां आवश्यकता के समय हमें तेरे अनुग्रह प्राप्त हो जायेंगे। जिन्हें हम अपने दिलों में संजोकर रखते हैं उन्हें हम तेरे सम्मुख लाते हैं। उन्हें पश्चाताप और परिवर्तन का अनुग्रह प्रदान कर। आमेन।

 

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Ros Powell

Ros Powell is a regular speaker at Charismatic conferences and the Spiritual Director to Precious Life. She lives in Stoke-on-Trent, Staffordshire, UK. The Article is based on the talk given by Ros Powell for the Shalom World program, ‘Finding God.’

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