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जून 23, 2021 1150 0 Rosanne Pappas, USA
Encounter

हम इस को भी जीत लेंगे

यदि आप की यह काली रात बीत जाती है, तो आगे एक उज्जवल दिन है … यदि आप प्रभु के साथ डटे रहेंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।

आशंका से त्रस्त

जब महामारी हमारे बीच आयी, तो इस महामारी ने एक तूफान की तरह हमारे जीवन को, हमारे घरों और हमारी वास्तविकता को उथल पुथल कर दिया । अचानक – छह फीट की दूरी, अपने हाथ धो लें, घर में ही रहें, दूसरों से दूर रहें, यही सब प्रतिदिन के मंत्र बन गए । हम भविष्य से भयभीत हो गए, जिस व्यक्ति के पास से गुजर रहे थे, उससे डरने लगे या सुबह उठते ही गले में खिचखिच होने पर हमें सबसे पहले डर सताने लगा |

क्या मुझे कोविड-19 हुआ है? क्या मेरे पति कोविड से संक्रमित हैं ? क्या मेरे घर में इस बीमारी ने प्रवेश कर लिया है ? लोग आपस में  फुसफुसाने लगे “आप बीमार हो जाएंगे और जब आप मरेंगे तो आपके परिवार के लोग आपके आसपास नहीं होंगे । आप अपने परिवार के लोगों को खाना नहीं खिला पायेंगे या आप अपने खर्चे नहीं उठा पाएंगे । इन फुफुसाह्त के बीच में भय और चिंता ने केंद्र स्थान ले लिया | नवीनतम प्रतिबंधों की सूचनाओं और मृत्यु के आंकड़ों की भविष्यवाणियों ने हमारे सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया को भर दिया, और इस तरह हमारे चारों ओर से आ रहे अदृश्य कयामत के बोझ से दबकर ये सारी बातें हमारी इस त्रासदी को और अधिक भड़काती रहीं । हमें बताया गया कि ‘हम इस संकट को पार कर लेंगे’; ‘इस संकट में हम सब एक साथ हैं’ | लेकिन ईश्वर कहाँ है? यह सब क्यों हुआ?

अवर्णनीय उत्कंठा

कई साल पहले, जब मैं एक अनिर्वचनीय पीड़ा में डूबा हुआ था, तब डर और दहशत ने मुझे अपने गिरफ्त में ले लिया था । एक बाल रोग विशेषज्ञ ने मुझे और मेरे पति को बताया कि हमारा साढ़े तीन साल का बेटा एक दुर्लभ बीमारी से मर जाएगा और यह भी कि इसके लिए हम कुछ नहीं कर पाएंगे । उनके शब्दों ने मुझे झकझोर कर रख दिया। उन शब्दों ने मुझे निराशा की गहराई में धकेल दिया और मैं अपने घुटनों पर गिरकर ईश्वर से मेरे बेटे के जीवन के लिए से भीख माँगने लगी । प्रार्थनाओं, चमत्कारों और उम्मीद के लिए बेताब होकर, मैंने हमारे स्थानीय पुरोहित से उनकी  सलाह मांगी | उन्होंने मुझे सलाह दी कि इस अवसर का उपयोग कर के मैं प्रार्थना करना सीखूंगी और अपने परिवार को प्रार्थना करने सिखाऊंगी । सत्य यह है की मैं इस तरह की सांत्वना की तलाश नहीं कर रही थी।

सारी नाउम्मीदी के खिलाफ उम्मीद

मेरे पति और मैंने इस विशेष बीमारी से निजात पाने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ को ढूंढ निकाला | उस महिला डॉक्टर ने हमें साफ़ तौर पर कहा, “हम इस बीमारी का कारण नहीं जानते हैं, इसलिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूंगा।” मेरे बेटे को शिकागो के एक विशाल शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया था जो हमारे घर से दो हजार मील की दूरी पर था और यहाँ हमें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। एक दिन मेरे बेटे के शरीर में एक आईवी का इंजक्शन देने के असफल प्रयास में उसके शरीर में बार बार सुई भोंकी जा रही थी , और इस कारण मेरा बेटा बेहोश हो गया |

जैसे-जैसे मैं कराहती हुई फर्श पर गिर रही थी, एक महिला मुझे ऊपर उठाने के लिए झुक गयी । उसकी आँखें प्यार और करुणा से भरी हुई थीं | उसने पूछा, “क्या आपने आज सुबह अपना नाश्ता खाया? क्या आपने अपना सौन्दर्य प्रसाधन का उपयोग किया है? ”

मैंने अविश्वास भरी दृष्टि से उसे देखा। क्या वह मजाक कर रही थी? “नहीं”।

“आपके बेटे की बीमारी क्या है ?” उसने पूछा | जब मैंने उसे बताया, तो उसने कहा, “अच्छा, आप केलिए उम्मीद है | यह कहते हुए उसने बगल के बिस्तर में लेटे लगभग 12 साल के एक लड़के को दिखाने के लिए पर्दा खींच लिया। “यह मेरा बेटा चार्ल्स है। उसके भेजे के अन्दर एक नहीं, दो ब्रेन ट्यूमर है। डॉक्टरों ने सिर्फ उस का ऑपरेशन किया है, लेकिन ट्यूमर को निकाल नहीं पाए । ऑपरेशन के कारण इसके बोलने की क्षमता समाप्त हो गयी है। ”

वे क्या करने जा रहे हैं?” मैं ने हाँफते हुए पूछा ।

“कुछ भी नहीं। उन्होंने उसे जीने का सिर्फ दो महीने का समय दिया है ।

मैं हैरान रह गया, लेकिन उसने कहा, “मैं हर सुबह उठता हूं और मैं अपना मेकअप लगाती हूं और अपना नाश्ता करती हूं,  अपने लिए नहीं, बल्कि इसी छोटे बालक के लिए | और मैं प्रार्थना करती  हूं ‘येशु, तुझे धन्यवाद कि आज मेरा बेटा चार्ल्स मेरे साथ है । बस आज उसका ज़िंदा रहना मेरे लिए मायने रखता है।'”

मैं अवाक रह गयी | उस महिला के पास उम्मीद रखने का कोई वजह नहीं थी, फिर भी वह आशा से लबालब भरी हुई थी । मुझे आशा थी लेकिन मैं बिलकुल टूटी हुई थी । अगले आठ दिनों में, मैंने देखा कि वह महिला एक कमरे से दूसरे कमरे में जा रही है, अन्य पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात कर रही है और उन सब के दिल में खुशी और आशा भर रही है । यह अविश्वसनीय था। वह ऐसा कैसे कर सकती है जबकि उसका बेटा अस्पताल के बिस्तर पर मूक और मौन होकर लेटा है, जबकि मेरा बेटा उससे लगातार स्टार वॉर्स के बारे में बात कर रहा था ?

जलती भट्टी के बीच में

एक सप्ताह में तीन बार सुई लगाने के लिए एक मेरे बेटे के हाथ में विशेष व्यवस्था का प्रत्यारोपण करने की योजना के साथ हम लोग घर लौट गए | मेरे बेटे के डॉक्टर से मिलने का एक अपॉइंटमेंट भी लेकर कुछ दिन बाद हमें चिकागो लौटना था | घर से मेरे पति ने चार्ल्स को एक अमेरिका का मशहूर गैटर फुटबॉल टीम की टोपी भेजी, जिसपर गैटर टीम का सिग्नेचर भी था | क्योंकि हमें पता चला था कि चार्ल्स गैटर्स का बड़ा फैन था । लेकिन अफसोस की बात है कि इसके बाद हमें चार्ल्स या उसकी माँ के बारे में कोई खबर नहीं मिली ।

आखिरकार जब हमारे बेटे की तबीयत सुधरने लगी, तब मैं अपने घुटनों पर रहकर प्रार्थना करती रही । हमारे पिछले सपने और महत्वाकांक्षाएं सभी ख़तम हो चुके थे । हम अपने बेटे के स्वास्थ्य में कभी सुधरते हुए, कभी पिछडते हुए, फिर प्रगति करते हुए, फिर अवनति करते हुए देखकर हम लोग मनो सुई की नोक पर खड़े थे । बार-बार, उसका स्वास्थ्य ऊपर नीचे होते हुए देखना, इंतजार करना, प्रार्थना करना, उम्मीद करना, यही बस लगातार चल रहा था ।

लगभग दो साल बाद, एक बार फिर अस्पताल के गलियारे में खून की जांच के परिणाम के इंतजार में हम खड़े थे, मैंने अपना नाम सुना। मैं चारों ओर मुड़ी, तो मैं देख रही हूँ कि चार्ल्स और उसकी माँ हमारी और आ रहे हैं ! मैं ख़ुशी से नाच उठी | चार्ल्स मेरे बेटे की ओर दौड़ते हुए आया  और यह कहते हुए उसे उठाकर घुमाया, “मैं उन दिनों तुमसे बात नहीं कर सकता था, लेकिन मैं अब तुमसे बात कर सकता हूं।” अपनी सजल आँखों से मुझे देखती हुई चार्ल्स की माँ ने कहा, “वह अपने  बास्केटबॉल टीम में नंबर वन नहीं है, और वह पढ़ाई में अव्वल छात्र नहीं है, बल्कि येशु का शुक्र है कि मेरा चार्ल्स आज मेरे साथ है और मेरे लिए बस यही मायने रखता है।” इश्वर की योजना को रोकने के लिए दोहरा ब्रेन ट्यूमर भी बड़ा नहीं था! मैं उसके विश्वास पर आश्चर्य चकित होकर मनन कर रही थी, मैंने धर्म ग्रन्थ के शब्दों को सुना,

क्या तुमने यह नहीं सुना

कि प्रभु अनादि अनंत ईश्वर है

वह समस्त पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है ?

वह कभी क्लांत अथवा परिभ्रांत नहीं होता |

कोई भी उसकी प्रज्ञा की थाह नहीं ले सकता।

वह थके- को बल देता

और अशक्त को संभालता है।

जवान भले ही थक कर चूर हो जायें

और फिसल कर गिर पड़े,

किन्तु प्रभु पर भरोसा रखने वालों को

नयी स्फूर्ती मिलती रहती है ।

वे गरुड़ की तरह अपने पंख फैलाते हैं;

वे दौड़ते रहते हैं, किन्तु थकते नहीं,

वे आगे बढ़ते हैं, पर शिथिल नहीं होते।

(इसायाह 40: 28-31)

मेरा बेटा चार साल जीवित रहने वाला नहीं था, लेकिन वह जीवित रहा । फिर वह किंडरगार्टन स्कूल गया, फिर मिडिल स्कूल। उसने हाई स्कूल की परीक्षा सर्वोच्च अंकों से पास की । इन दिनों वह धर्मविज्ञान में एक शोध अध्ययन के आखिरी दौर में है । वह अपने पूरे जीवन काल में बीमारी का उतर चढ़ाव को बहुत झेलटा रहा है, इसलिए मैं अपने घुटनों पर रहकर लगातार प्रार्थना में रही हूं। वह पुरोहित ने सही कहा था। पीडाओं ने मुझे प्रार्थना में तपाया है और मुझे सिखाया है कि मैं कितनी छोटी हूं, मेरे नियंत्रण में कुछ भी नहीं है, और वास्तव में क्या मायने रखता है।

मेरा जीवन वह जीवन नहीं है जिसका मैंने सपना देखा था, लेकिन आज पीछे मुड़कर देखती हूं तो पता चलता है कि इस पीड़ा के कारण कितनी आशीषें मेरे जीवन में आयी। इस बोध के चलते मेरा दिल करुणा से भर गया और मुझे प्रेरणा मिली कि चाहे जो कुछ भी हो ईश्वर के सहारे मैं हर पीड़ा को जीत लूंगी । मैं आने वाली सभी बातों के लिए येशु को धन्यवाद देना जारी रखूंगी, यह जानते हुए कि स्थिति चाहे कितनी भी निराशाजनक क्यों न दिखाई दें, मैं अपनी और परिवार की देखभाल के लिए ईश्वर की भलाई पर भरोसा कर सकती हूं।

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Rosanne Pappas

Rosanne Pappas एक कलाकार, लेखिका और वक्ता हैं। पप्पस अपने जीवन में ईश्वर की कृपा की व्यक्तिगत कहानियों को साझा करके दूसरों को प्रेरित करती हैं। 35 से अधिक वर्षों से विवाहित, वह और उसका पति फ्लोरिडा में रहते हैं, और उनकी चार संतानें हैं।

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