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कुचल दिया गया, लेकिन टूटा नहीं
इस परिवार की कहानी एक ख़राब फ़िल्म जैसी लगती है, लेकिन उसका अंत आपको चौंका देगा
हमारी कहानी घर से शुरू होती है, जहां मैं अपने दो छोटे भाइयों, ऑस्कर और लुइस के साथ टेक्सास के सान एंटोनियो में पला-बढ़ा हूं। पिताजी हमारे गिरजाघर में गीतमंडली के प्रभारी थे, जबकि माँ पियानो बजाती थीं। हमारा बचपन खुशहाल था – क्योंकि वह गिरजाघर और परिवार के इर्द गिर्द ही था, मेरे दादा-दादी पास में ही रहते थे। हमने सोचा कि सब कुछ ठीक है, लेकिन जब मैं छठवीं कक्षा में था, तो माँ और पिताजी ने हमें बताया कि वे तलाक ले रहे हैं। पहले हमें नहीं पता था कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि मेरे परिवार में किसी का तलाक नहीं हुआ था, लेकिन हमें जल्द ही पता चल गया। जब वे हम बच्चों पर अधिकार के लिए अदालत में लड़ रहे थे तो हमें एक घर से दूसरे घर भटकना पड़ा।
लगभग एक साल बाद, पिताजी सप्ताहांत में शहर से बाहर गए। मुझे और मेरे भाइयों को माँ के साथ रहना था, लेकिन आखिरी समय में हम कुछ दोस्तों के साथ रहने लगे। हमें आश्चर्य हुआ जब पिताजी हमें लेने अप्रत्याशित रूप से जल्दी घर आए, लेकिन जब उन्होंने हमें कारण बताया तो हम टूट गए। माँ एक सुनसान पार्किंग स्थल में अपनी कार में मृत पाई गई थीं। जाहिर तौर पर, दो लोगों ने बंदूक की नोक पर माँ को लूट लिया था और उनका पर्स और गहने चुरा लिए थे। फिर, दोनों ने पिछली सीट पर उसके साथ बलात्कार किया, उसके चेहरे पर तीन बार गोली मारने के बाद उन्हें अपनी कार के फर्श पर मरने के लिए छोड़ दिया। जब पिताजी ने हमें बताया तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ। कोई माँ को क्यों मारना चाहेगा? हमें आश्चर्य हुआ कि क्या वे चोर हमारे पीछे आने वाले थे। डर हमारे बचपन का हिस्सा बन गया।
बाद का परिणाम
अंतिम संस्कार के बाद, हमने पिताजी के साथ सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश की, लेकिन मैंने अनुभव किया कि हमारे जैसे गंभीर अपराध के पीड़ितों के लिए सामान्य जीवन कभी नहीं लौटता। पिताजी का निर्माण कार्य का धंधा था। माँ की हत्या के एक साल बाद, पिताजी को उनके दो कर्मचारियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर माँ की हत्या के लिए इन दो लोगों को नियुक्त करने तथा हत्या और आपराधिक दबाव का आरोप लगाया गया। वे तीनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। कर्मचारियों में से एक ने दावा किया कि उसने पिताजी को माँ की हत्या के लिए दूसरे व्यक्ति को काम पर रखते हुए सुना था। पिताजी ने अपनी बेगुनाही की घोषणा की, और हमने उन पर विश्वास किया, लेकिन उनकी जमानत की अर्जी अस्वीकार कर दी गई, और हमारे लिए सब कुछ बदल गया। जब माँ की हत्या हुई थी, तब हम पीड़ित के बच्चे थे। लोग, विशेषकर चर्च के लोग, हमारी मदद करना चाहते थे। वे मदद दे रहे थे और वे दयालु थे। हालाँकि, पिताजी की गिरफ्तारी के बाद, हमारे साथ अचानक अलग व्यवहार होने लगा। अपराधी की संतान होने का कलंक हमारे ऊपर लग गया। लोग हमें क्षतिग्रस्त सामान के रूप में, जिसका कोई मूल्य नहीं है, देखने लगे।
हम अपनी चाची और चाचा के साथ रहने लगे, और मैंने ऑस्टिन में हाई स्कूल की पढ़ाई शुरू की, लेकिन स्थानीय कारागार में पिताजी से मिलने जाता रहा क्योंकि हम उनसे प्यार करते थे और उनकी बेगुनाही पर विश्वास करते थे। ढाई साल बाद आख़िरकार पिताजी पर मुक़दमा चलाया गया। हमारे लिए पूरे समाचार में छपे सभी विवरणों को पढ़ पाना वास्तव में कठिन था, खासकर मेरे लिए, क्योंकि मेरा और पिताजी का नाम एक ही था। जब उन्हें दोषी पाया गया, खासकर जब उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, और उन्हें फांसी का इंतजार करने के लिए हंट्सविले में स्थानांतरित कर दिया गया, तब हम लोग पूरी तरह अशान्त और विचलित हो गए। यदि आप किसी कैदी के परिवार के सदस्य हैं, तो ऐसा लगता है कि आपका जीवन बिलकुल रुका और ठहरा हुआ है।
जुर्म का चौंकाने वाला कबूल
कॉलेज में मेरी पढ़ाई के अंतिम वर्ष के दौरान, एक नया मोड़ आया। जिला न्यायाधीश के सचिव ने खुलासा किया कि अभियोक्ता वकील ने पिताजी को दोषी साबित करने के लिए सबूतों में हेराफेरी की थी। हमें हमेशा पिताजी की निर्दोषता पर विश्वास था, इसलिए इस नए मोड़ से हम बहुत खुश थे। पिताजी पर से मौत की सजा हट गयी और मुकदमे की नयी प्रक्रिया की प्रतीक्षा के लिए काउंटी जेल में वापस भेज दिया गया, और चार साल बाद नयी प्रक्रिया शुरू हुई । मैं और मेरे भाइयों ने पिताजी के लिए गवाही दी, और न्यायाधीशों ने उन्हें मृत्युदंड का दोषी नहीं पाया, जिसका मतलब था कि उन्हें कभी भी फाँसी नहीं दी जाएगी। मुझे यह जानकर एहसास हुआ कि अब मैं पिताजी को इस तरह नहीं खोऊंगा, और इस बड़ी राहत को मैं व्यक्त नहीं कर सकता। हालाँकि, उन न्यायाधीशों ने पिता जी को हत्या के छोटे आरोप का दोषी पाया, जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा शामिल थी। इसके बावजूद सभी को पता था कि उन्हें जल्द ही पैरोल पर रिहा किया जाएगा। हमने इन सभी वर्षों में पिताजी को घर लाने के लिए हर संभव प्रयास किया था, इसलिए हम इतने उत्साहित थे कि यह होने वाला था और वे आएंगे और हमारे परिवार के साथ रहेंगे।
जब मैं उनकी रिहाई से पहले उनसे मिलने गया था, तो मैंने उनसे मुकदमे के दौरान सामने आए कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मैं उनसे कुछ भी पूछ सकता हूं, लेकिन जब मैं इस विशेष प्रश्न पर पहुंचा, तो उन्होंने सीधे मेरे चेहरे पर देखा और कहा, “जिम, मैंने यह किया, और वह इसकी हकदार थी।” मैं चौंक पड़ा, क्योंकि वे अपनी जुर्म को कबूल कर रहे थे, और उन्होंने जो किया उसके लिए उन्हें खेद भी नहीं था और वे इन सब चीज़ों का दोष माँ पर डाल रहे थे। वे सोच रहे थे कि वही पीड़ित हैं क्योंकि वे जेल में थे। मुझे बहुत गुस्सा आया और में चाहता था कि उनको पता चले कि वह पीड़ित नहीं थे। दफनाई गयी मेरी माँ, हाँ वही पीड़ित थी। मैं बयान नहीं कर सकता कि हम सभी को कितना धोखा महसूस हुआ कि वह इतने समय से हमसे झूठ बोल रहे थे। ऐसा लगा जैसे हम सभी पहली बार माँ के लिए शोक मना रहे थे, क्योंकि जब पिताजी गिरफ्तार हुए, तो सब कुछ, हमारी चिंता और ख्याल उनके इर्द गिर्द था। मेरे परिवार ने उनकी पैरोल का विरोध किया, इसलिए पैरोल बोर्ड ने उन्हें पैरोल देने से इनकार कर दिया। मैं उनसे मिलने जेल में गया और उनको बताया कि वे जेल में ही रहेंगे, मृत्यु दंड पाने वालों की कतार में नहीं, वहां वे अन्य कैदियों से सुरक्षित थे, बल्कि अपने पूरे जीवन के लिए अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में जायेंगे। मैंने उनसे कहा कि वे हममें से किसी को फिर कभी नहीं देख पायेंगे। इससे पूर्व इन सभी वर्षों में हम उनसे मिलने जाते रहे, उन्हें लिखते रहे, और उनके जेल खाते में पैसे डालते रहे। वे हमारे जीवन के एक बड़े हिस्सा थे, लेकिन अब हम उनसे मुंह मोड़ रहे थे।
बंधन से मुक्ति
चार साल तक पिताजी से मेरा कोई संपर्क नहीं था, लेकिन इस के बाद, मैं पिताजी से जेल में मिलने वापस गया। अब मेरा अपना बेटा है, और मैं कभी भी उसे चोट पहुँचाने की कल्पना नहीं कर सकता, खासकर जब से मुझे पता चला कि पिताजी ने मेरे भाइयों और मुझे भी मारने के लिए लोगों को काम पर रखा था। मैं उनसे कुछ सवालों का उत्तर चाहता था, लेकिन हमारी मुलकात पर सबसे पहले उन्होंने माँ, मेरे भाइयों और मेरे साथ जो किया उसके लिए मुझसे माफी माँगी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस से पहले कभी किसी बात के लिए खेद नहीं जताया था। मुझे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन मैंने सीखा कि जब आप किसी को यह कहते हुए सुनते हैं कि उन्हें खेद है, तो आप की चंगाई वहीँ शुरू हो जाती है। अगली बात जो उन्होंने कही, वह यह थी, “जिम, मैंने आखिरकार अपना जीवन ईश्वर को दे दिया है और जेल में जीवन की सबसे बुरी हालत पर पहुंचने के बाद में प्रभु येशु का अनुयायी बन गया हू।”
अगले साल, मैं महीने में एक बार पिताजी से मिलने जाता रहा। उस दौरान, मैं माफ़ी की प्रक्रिया से गुज़रा। पहली नज़र में, अपनी माँ की हत्या के लिए अपने पिता को माफ कर पाना असंभव सा लगा। मैं बहुत सारे अपराध पीड़ितों के साथ काम करता हूं। मैंने जो सीखा है कि यदि आप किसी अपराधी या किसी ऐसे व्यक्ति को माफ नहीं करते हैं जिसने आपको चोट पहुंचाई है, तो आप कड़वे, क्रोधित और उदास हो जाते हैं। मैं नहीं चाहता था कि पिताजी अब मुझ पर नियंत्रण रखें, इसलिए मैंने पिताजी को माफ कर दिया, उन्हें बंधन से छुडाने नहीं, बल्कि मुझे खुद को बंधन से मुक्त करने के लिए। मैं इतना कड़वा, गुस्सैल, उदास आदमी नहीं बनना चाहता था। सुलह की इस प्रक्रिया में, मैंने पिताजी से माँ के लिए बात की, जिनकी आवाज़ उनसे छीन ली गई थी। उस वर्ष, जैसे-जैसे हमने इन मुद्दों पर बात की, मैंने पिताजी के जीवन में बदलाव देखा।
संपर्क फिर से बन जाने के लगभग एक साल बाद, मुझे जेल के पादरी से फोन आया कि पिताजी मस्तिष्क धमनी विस्फार के रोग का शिकार होकर अंतिम अवस्था में हैं। उनका मस्तिष्क पूरी तरह मर चुका था, इसलिए हमें उसे लाइफ सपोर्ट से हटाने का निर्णय लेना पड़ा। यह बोलने में आसान लगता है, लेकिन ऐसा नहीं था। सब कुछ के बावजूद, मैं अब भी उनसे प्यार करता था। हमने उनके शव के लिए अनुरोध किया ताकि हमें अपने पिता को जेल की जमीन पर दफनाने की विरासत न मिले। जेल में आयोजित अंतिम संस्कार के रस्म के दौरान हम वार्डन और जेल पादरी को देखकर आश्चर्यचकित थे, और उन्होंने हमें बताया कि, पहली बार, जेल के प्रार्थनालय में हमारे पिताजी के लिए एक स्मृति समारोह रखने की मंजूरी मिल गई है। जब हम उपस्थित हुए, तो हम आगे की पंक्ति में बैठे थे और 300 जेल कैदी हमारे पीछे बैठे थे, जो जेल के सुरक्षा गार्डों से घिरे हुए थे। अगले तीन घंटों तक, वे लोग एक-एक करके माइक्रोफ़ोन के पास आए, सीधे हम लोगों के चेहरे को देखा, और उन्होंने अपनी-अपनी कहानियाँ हमें सुनाईं कि कैसे वे येशु मसीह की ओर मुड़ गए क्योंकि पिताजी ने उनके साथ अपना विश्वास साझा किया था और उनके जीवन को बदल दिया था। अपने बुरे कार्यों को स्वीकार करके और पश्चाताप करके, अपने गुनाहों की ज़िम्मेदारी स्वीकार करते हुए, और ईश्वर से क्षमा माँगकर, उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा दी, और अन्य लोगों को भी अपने साथ उस नयी दिशा में ले गए । जब आप एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुनते हैं, तो यह शक्तिशाली अनुभव होता है- और जब 300 लोगों को सुनते हैं तो आप अभिभूत हो जाते हैं।
मैंने गिरजाघरों में, जेलों में, पुनर्वास केन्द्रों और न्याय सुधार के कार्यक्रमों में बोलना शुरू किया – हमने पीड़ितों और पुनर्वास की इच्छा रखने वाले अपराधियों के लिए क्षमा प्रक्रिया के बाद बहाली की हमारी इस कहानी को साझा किया। मैंने बार-बार देखा है कि लोग कैसे बदल जाते हैं। जब मैं अपनी कहानी सुनाता हूं, तो मैं अपने माता-पिता दोनों का सम्मान करता हूं – हमारे जीवन पर उनके सकारात्मक प्रभाव के लिए मां का, और अपने पापों के लिए वास्तव में पश्चाताप करने के फैसले के लिए पिताजी का। हमारी कहानी का अंत यह है कि आज हम यह देखने में सक्षम हैं कि ईश्वर कैसे भयानक परिस्थितियों को अपने काबू में लेते हैं और उन्हें भलाई में बदल देते हैं। पश्चाताप और क्षमा के बारे में हमने जो सीखा है, उस सीख ने हमें बेहतर पति और पिता बनाया है क्योंकि हम जानबूझकर अपने परिवारों को कुछ और बेहतर देने के इच्छुक थे। हमने कड़वे अनुभव से सीखा है कि वास्तव में पश्चाताप करने के लिए, आपको पश्चाताप करते रहना होगा, और वास्तव में क्षमा करने के लिए, आपको एक बार नहीं, बल्कि लगातार क्षमा करते रहना होगा।
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ईश्वर किसी को खाली हाथ नहीं भेजता, सिवाय उनको जो अपने आप से भरे हुए हैं।
मैंने एक बार किसी टायक्वोंडो मास्टर को, उनका मार्शल आर्टस् का छात्र बनने की चाह रखनेवाले एक युवा को चतुराई से सलाह देते हुए सुना: "यदि तुम मुझसे मार्शल आर्टस् सीखना चाहते हो," उन्होंने कहा, "तुम्हें पहले अपने प्याले से चाय बाहर निकालने की आवश्यकता है, और फिर खाली प्याला वापस मेरे पास ले आना होगा।” मेरे लिए मास्टर का अर्थ स्पष्ट और संक्षिप्त था: वह एक घमंडी छात्र नहीं चाहते थे। चाय से भरे प्याले में अधिक के लिए कोई जगह नहीं है; इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप प्याले में कितना अधिक डालने की कोशिश करते हैं, प्याला भरकर चाय बाहर बह जायेगी। इसी तरह, कोई भी छात्र यदि वह पहले से ही अपने आप में भरा हुआ हो, वह सर्वश्रेष्ठ गुरुओं से भी नहीं सीख पायेगा। जैसा कि मेरी आँखें उस युवक का पीछा कर रही थीं, और वह क्रोध में तपकर वहां से निकल रहा था, मैंने अपने आप से कहा कि मैं उस घमण्ड के जाल में कभी नहीं फँसूँगी। फिर भी कुछ वर्षों के बाद, मैंने अपने गुरु ईश्वर के पास, स्वयं को कड़वी चाय से भरा हुआ प्याला लाते हुए पाया।
लबालब भरा हुआ
मुझे टेक्सस शहर के एक छोटे से कैथलिक स्कूल में नर्सरी से दूसरी कक्षा तक के छात्रों को धर्मशिक्षा पढ़ाने का काम सौंपा गया था। अपनी धार्मिक अधिकारिणी से मैंने यह नियुक्ति कड़वाहट और निराशा के साथ प्राप्त की। कारण बिलकुल स्पष्ट था: मैंने ईशशास्त्र में मास्टर्स पूरी कर ली थी, आगे मैं पवित्र बाइबिल पढ़ानेवाली कॉलेज प्रोफेसर बनना चाहती थी, और बाद में एक लोकप्रिय सार्वजनिक वक्ता बनने का सपना देख रही थी। छोटे बच्चों को पढ़ाने का यह कार्यभार स्पष्ट रूप से मेरी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और मेरी क्षमता से बहुत कम का था। आंअश्रुधारा बहाते हुए मैं कॉन्वेंट के प्रार्थनालय में औंधे मुंह गिरी और काफी देर तक वहीं पड़ी रही। मैं छोटे बच्चों के एक समूह को पढ़ाने के लिए खुद को कैसे मना सकती हूँ? बच्चों के बीच काम करने से मुझे कैसे फायदा हो सकता है? दरअसल, मेरी चाय का प्याला लबालब भरा हुआ था। लेकिन अपने अभिमान में भी, मैं अपने गुरु से दूर जाना सहन नहीं कर सकती थी। उससे मदद की भीख माँगना ही एकमात्र रास्ता था।
गुरुवर ने मुझे देखा और मेरी चाय के प्याले को खाली करने में मेरी मदद करने के लिए तैयार हुआ, ताकि वह इसे और अधिक स्वादिष्ट चाय से भर सके। विडंबना यह है कि उसने मुझे विनम्रता सिखाने और मेरे अभिमान के प्याले को खाली करने के लिए मेरी ज़िम्मेदारी में दिए गए बच्चों का उपयोग किया। आश्चर्य की बात तो यह है कि मुझे एहसास हुआ कि बच्चे नवोदित छोटे ईशशास्त्रियों की तरह थे। नियमित रूप से, उनके प्रश्नों और टिप्पणियों ने मुझे ईश्वर के स्वभाव के बारे में अधिक समझ और अंतर्दृष्टि प्रदान की।
एक दिन चार साल के एंड्रू के एक सवाल ने एक आश्चर्यजनक परिणाम दिया। उसने पूछा: "ईश्वर मेरे अंदर कैसे आ सकता है?" उसे सही जवाब देने केलिए जब मैं अपने विचारों को व्यवस्थित कर रही थी और एक परिष्कृत ईशशास्त्रीय उत्तर तैयार कर रही थी, नन्ही-सी लूसी ने बिना किसी हिचकिचाहट से उत्तर दिया, "ईश्वर हवा की तरह है। वह हर जगह जा सकता है।" फिर उसने एक गहरी सांस ली यह दिखाने के लिए कि कैसे हवा की तरह ईश्वर उसके अंदर आ सकता है।
सच्चे गुरु द्वारा प्रशिक्षित
ईश्वर ने न केवल मेरे प्याले को खाली करने में मेरी मदद करने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया, बल्कि मेरी आध्यात्मिक लड़ाई के लिए मुझे 'मार्शल आर्ट' सिखाने के लिए भी इस्तेमाल किया। फरीसी और नाकेदार की कहानी पर एक छोटा वीडियो देखते समय, नन्हा-सा मैथ्यू फूट-फूट कर रोने लगा। जब मैंने रोने का कारण पूछा, तो उसने विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया, "मैंने एक दिन डींग मारी थी कि मैंने अपनी आइसक्रीम अपने दोस्त के साथ बांटी थी।" उसके शब्दों ने मुझे अहंकार के पाप से सावधान रहने की याद दिलाई। साल के अंत तक, मुझे पता चल गया था कि जैसे ही मैंने अपना प्याला खाली किया, ईश्वर उसे अपनी आत्मा से भर रहा था। बच्चों ने भी मुझे ऐसा बताया। एक दिन ऑस्टिन ने चुपके से पूछा, “सिस्टर, बाइबल क्या है?” जवाब की प्रतीक्षा न करते हुए, उसने मेरी ओर इशारा किया और कहा: "आप बाइबिल हैं।" मैं थोड़ा हैरान और भ्रमित थी लेकिन निकोल ने स्पष्टीकरण दिया, "क्योंकि आप स्वयं ईश्वर के बारे में हमें बताते हैं।" बच्चों के माध्यम से ईश्वर ने मेरे प्याले में नई चाय डाली।
हममें से बहुत से लोग ईश्वर से यह माँगने जाते हैं कि वह हमें यह सिखाए कि हम अपनी आत्मिक लड़ाई कैसे लड़ें, बिना यह जाने कि हमारा प्याला इतना घमण्ड से भरा हुआ है कि उसकी शिक्षा के लिए कोई जगह ही नहीं है। मैंने यह सीखा है कि एक खाली प्याला लाना और गुरु से इसे अपने जीवन और ज्ञान से भरने के लिए आग्रह करना आसान है। आइए उस सच्चे गुरु को अनुमति दें कि वह हमें प्रशिक्षित करें और हमें अपनी जीवन यात्रा की अनिवार्य लड़ाइयों को लड़ने के लिए हमें वह अभ्यास दें। वह छोटे बच्चों का उपयोग कर सकता है, या अन्य लोग जिन्हें हम बहुत नीच समझते हैं, उनके माध्यम से हमें सीख देकर वह हमें आश्चर्यचकित कर सकता है। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि "गण्य-मान्य लोगों का घमण्ड चूर करने के लिए ईश्वर ने उन लोगों को चुना है, जो दुनिया की दृष्टि में तुच्छ और नगण्य हैं, जिससे कोई भी मनुष्य ईश्वर के सामने गर्व न करे" (1 कुरिन्थी 1:28-29)।
By: Sister Theresa Joseph Nguyen, O.P.
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मेरा बचपन कैथलिक परिवार में बीता, मेरा कैथलिक परम्परा अधिक मज़बूत थी, लेकिन कैथलिक विश्वास में मैं कमजोर था। मैंने बपतिस्मा लिया और अपना पहला पवित्र संस्कार भी ग्रहण किया। हमारे मातापिता ने हम बच्चों को गिरजाघर भेजा, लेकिन हमारा पूरा परिवार एक साथ रविवारीय मिस्सा पूजा में नहीं जाता था। मेरे परिवार में हम लोग नौ बच्चे थे, इस लिए जो भी बच्चा गिरजाघर जाने लायक बड़ा हो गया था, वह गिरजाघर चला जाता। मुझे अपनापन न होने का एहसास याद है; मैं गिरजाघर जाता, वहां बांटी जा रही पत्रिका ले लेता, और फिर कुछ और करने के लिए निकल जाता था। कुछ समय बाद मैंने जाना बिल्कुल बंद कर दिया। मेरे अधिकांश भाई बहनों में भी ऐसा ही किया। किसी ने मुझे यह नहीं बताया था कि येशु ने मेरे लिए अपने प्राण अर्पित किये या परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है या कुँवारी मरियम मेरे लिए मध्यस्थ प्रार्थना करेगी। मुझे लगा कि मैं योग्य नहीं था, गिरजाघर में घुटने टेककर प्रार्थना करने वाले लोग मुझसे बेहतर थे और वे किसी तरह मेरा निरीक्षण और आलोचना कर रहे थे। मैं दूसरों के ध्यान और स्वीकृति के लिए भूखा था।
स्वीकृति की भूख
जब मैं आठ साल का था तब मैंने पड़ोस के लड़कों को बीयर पीते देखा था। मैं किसी न किसी तरह उनके छोटे से समूह में शामिल हो गया और मुझे बीयर पिलाने के लिए मैंने उन्हें मना लिया। उस दिन मैं एकाएक शराबी नहीं बना था, लेकिन मैं ने उस दिन स्वीकृति और आकर्षण का पहला स्वाद बड़े लड़कों से प्राप्त किया। दूसरों द्वारा स्वीकृत किया जाना मुझे अच्छा लगा और जो लोग शराब पी रहे थे, ड्रग्स या धूम्रपान कर रहे थे, मैं ने उनके साथ घूमना जारी रखा, क्योंकि मुझे वहां स्वीकृति मिल रही थी। मैंने अपनी शेष किशोरावस्था उस आकर्षण का पीछा करते हुए बिताया।
बोस्टन पब्लिक स्कूल प्रणाली के अंतर्गत मुझे जबरन किशोर सुधार गृह में डाला गया और इस तरह सरकारी एकीकरण कार्यक्रम का मैं हिस्सा बन गया। हर साल मैं किसी बस में बिठाया जाता था और हर बार इलाके के किसी नए स्कूल में भेजा जाता था। मैं शुरुआत के सात वर्षों की पढ़ाई के दौरान सात अलग-अलग स्कूलों में गया, जिसका मतलब था कि हर साल मैंने "नए छात्र" के रूप में शुरुआत की। मेरे जीवन के कथानक से परमेश्वर पूरी तरह बाहर था। परमेश्वर के साथ मेरा एकमात्र रिश्ता डर का था। मुझे याद है कि मैंने बार-बार यह कहते हुए सुना था कि परमेश्वर मुझे पकड़ने जा रहा है, वह मेरा निरीक्षण कर रहा है, और वह मुझे मेरे सभी बुरे कामों के लिए दंडित करने जा रहा है।
एक खोया हुआ छोटा बालक
वह दिन मेरी सातवीं कक्षा का अंतिम दिन था; उस शुक्रवार की रात को मैं बाहर जाने के लिए तैयार हो रहा था जब मेरे पिताजी ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “भूलना मत, बेहतर होगा कि अन्धेरा होने के पहले ही तुम घर में आ जाओ, वरना घर आने की जहमत नहीं उठाना।’’ मैं नियमों का पालन करूँ, यह सुनिश्चित करने के लिए उनकी ओर से यह धमकी थी। टूटे बिखरे परिवारों से आने वाले अन्य लड़कों की तरह मैं भी 12 साल का लड़का था और हम लोगों ने पूरा दिन घूमने फिरने में बिताया। उस दिन हम सबों ने बियर पिया, सिगरेट पिया और ड्रग्स लिया। दिन के अंत में जब मैं ने देखा कि रात हो चुकी है और स्ट्रीट लाइटें जल रही हैं, मुझे पता था कि अब मैं घर में प्रवेश नहीं कर पाऊंगा। चूंकि देर हो चुकी थी, इसलिए घर जाना कोई विकल्प नहीं था, इसलिए मैंने वह पूरी गर्मी की अवधि घर से एक या दो मील दूर, सड़क पर, अपने दोस्तों के साथ घूमने में बिताई। हमने हर दिन ड्रग्स लिया और शराब पी। मैं बस एक खोया हुआ छोटा लड़का था। उस गर्मी के दौरान, मैं कई बार गिरफ्तार किया गया और इस तरह मैं सरकार का अतिथि बन गया। घर से निकाले जाने के कुछ ही समय बाद यह सब हो गया। मुझे कभी दुसरे पालक पिता की देखभाल में, कभी समूह वाले घरों में और कभी किशोर सुधार गृहों में रखा गया था। मैं बेघर था और पूरी तरह से खोया हुआ और अकेलापन का शिकार था। खालीपन को भरने वाली एकमात्र चीज शराब और ड्रग्स थी। मैं उनका सेवन करता और फिर या तो बेहोश हो जाता या सो जाता। जब मैं जागता, तो मैं डर से भर जाता, और मुझे और अधिक ड्रग्स और शराब की आवश्यकता होती। 12 से 17 साल की उम्र तक, मैं या तो बेघर था, या किसी और के घर में रह रहा था, या किशोर सुधार गृह में हिरासत में, यानी बच्चों के जेल में था।
बेड़ियों में जकड़ा और टूटा हुआ
17 साल की उम्र में मुझे किसी को घायल करने के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। अंत में मुझे 3 से 5 साल की सजा पर सरकारी जेल भेज दिया गया। मैंने फिर खुद को उसी पहली वाली आंतरिक लड़ाई से लड़ते हुए पाया, जब मैं छोटा था, दूसरों का ध्यान और स्वीकृति के लिए संघर्ष कर रहा था, और कोई मोहभ्रम या मरीचिका पैदा करने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपनी सजा के पांच साल पूरे किए। जेल की अवधि के अंत में, उन अधिकारियों ने कहा: “अब तुम घर जा सकते हो?” लेकिन समस्या यह थी कि मेरे पास जाने के लिए कोई घर ही नहीं था। एक बड़े भाई ने बड़ी दया के साथ कहा, "जब तक तुम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते, तब तक तुम मेरे साथ रह सकते हो।" लेकिन ऐसा कभी होनेवाला नहीं था। मेरे भाई मुझे जेल से ले गए ताकि मैं अपनी माँ से भेंट कर सकूं। लेकिन रास्ते में हम अपने पड़ोस की पुरानी मधुशाला में पीने के लिए रुके। अपनी माँ को देखने से पहले शराब पीना मेरे लिए ज़रूरी था। मैं 21 साल से अधिक का हो चुका था और पहली बार कानूनी हिसाब से शराब पीने के अधिकार का उपयोग करते हुए मैं ने खूब पिया। जब मैं अपनी माँ की रसोई में बैठा, तो उसने मुझे नहीं पहचाना; उसे लगा कि मैं कोई अजनबी हूं।
मैं लगभग छह महीने तक जेल से बाहर था, लेकिन किसी घर पर धावा बोलने के जुर्म में मैं फिर से गिरफ्तार हो गया। मैं जिस घर में धावा बोला था, वह बोस्टन के एक पुलिस अधिकारी का घर था। अदालत में, उस पुलिस अधिकारी ने मेरी तरफ से पैरवी की। उन्होंने कहा, “इस बच्चे को देखिए, इसकी हालत देखिए। आप उसे मदद क्यों नहीं दिलाते? मुझे नहीं लगता कि जेल उसके लिए सही जगह है।“ उन्होंने मुझे सहानुभूति दिखाई, क्योंकि वे देख पा रहे थे कि मैं पूरी तरह नशे का आदी था।
अचानक मैं वापस जेल में पहुँच गया और छह साल की सजा काटने लगा। मैंने यह भ्रम पैदा करने का नाटक किया कि मुझमे बदलाव आ रहा है, ताकि पुलिस मुझे पुनर्वास के लिए जल्दी छोड़ दे। लेकिन मुझे पुनर्वास की नहीं, परमेश्वर की जरूरत थी।
आज़ादी की ओर मार्ग
जीवन को बदलने के मेरे इस अभिनय करने के कुछ महीनों के बाद, जेल के आत्मिक सलाहकार फादर जेम्स ने मुझ पर ध्यान दिया और मुझे अपने प्रार्थनालय में एक सुरक्षा कर्मचारी के रूप में नौकरी देने की पेशकश की। मेरा पहला विचार था, "मैं इस आदमी को उल्लू बनाने जा रहा हूँ"। वे सिगरेट पीते थे, कॉफी की चुस्की लेते थे, और उनके पास एक फोन भी था – उनके पास वे सभी चीजें थीं, जिनका उपयोग करने का सौभाग्य कैदियों को नहीं मिलता था। तो, मैंने अपने उन गुप्त उद्देश्यों की पूर्ती के लिए वह नौकरी स्वीकार कर ली।
लेकिन मुझे नहीं पता था कि उनके पास भी एक योजना थी। जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया, जितना मैं उन्हें परेशान करने की योजना बना रहा था, उतना ही मुझे परेशान करना उनकी योजना थी। मैं उन्हें उल्लू बनाना चाह रहा था, तो वे ईश्वर की महिमा के लिए मुझे उल्लू बनाना चाह रहे थे। वे मुझे मिस्सा बलिदान में वापस लाना चाह रहे थे, क्रूस के पाँव तले वापस लाना चाह रहे थे।
प्रार्थनालय में काम करना शुरू करने के तुरंत बाद, मैंने फादर जेम्स से कुछ मदद मांगी। जब उन्होंने मेरे अनुरोध को मान लिया, तो मुझे ऐसा लगा कि उल्लू बनाने का मेरा काम कामयाब हो रहा है। एक दिन, हालांकि, उन्होंने मेरे पास आकर कहा कि वे चाहते हैं कि मैं शनिवार की शाम की मिस्सा पूजा के बाद प्रार्थनालय आकर उसकी सफाई करूं ताकि रविवारीय मिस्सा के लिए प्रार्थनालय तैयार हो जाए। जब मैं ने उनसे कहा कि मैं शाम के मिस्सा के बाद पहुँच जाऊंगा तो उन्होंने बलपूर्वक आग्रह किया कि मैं मिस्सा के पहले पहुंच जाऊं और पूरे मिस्सा बलिदान के दौरान उनके साथ रहूँ। वे पहले से ही मुझे विश्वास की दिशा में आगे ले जाना चाह रहे थे।
एक दिव्य नियुक्ति
मिस्सा पूजा के दौरान, मुझे अजीब और असहज महसूस हुआ। मुझे नहीं पता था कि कब प्रार्थना बोलना है या कब बैठना या खड़ा होना है, इसलिए मैं बस देख रहा था कि बाकी लोग क्या कर रहे हैं। इसके तुरंत बाद, फादर जेम्स ने आधिकारिक तौर पर मुझे उस प्रार्थनालय के सुरक्षा प्रभारी के पद पर नियुक्त किया और मुझे बताया कि जेल में हमारे एक विशेष अतिथि के रूप में "मदर टेरेसा" आ रही हैं। मैंने कहा, "ओह, यह बहुत अच्छी बात है! लेकिन ये मदर टेरेसा कौन हैं?” पीछे मुड़कर देखता हूं, तो शायद मैं उन दिनों यह भी नहीं जानता था कि उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था; मेरा जीवन पूरी तरह से शराब के सेवन के इर्द-गिर्द घूमता था, और अपने व्यसन के बुलबुले के बाहर के लोगों और घटनाओं के बारे में शायद ही मैं कुछ जानता था।
जल्द ही, मदर टेरेसा हमारे जेल में आ गईं। मुझे याद है कि मैं उन्हें दूर से देख रहा था और सोच रहा था, "यह कौन व्यक्ति है कि सभी गणमान्य व्यक्ति, वार्डन और कैदी उनकी चारों ओर घूम रहे हैं, उनके हर शब्द पर ध्यान दे रहे हैं?" पास जाकर देखा तो उनका स्वेटर और जूते हज़ार साल पुराने लग रहे थे। लेकिन मैंने उनकी आँखों में शांति और उनकी जेब में रखे पैसों को भी देखा। लोग उन्हें खूब पैसा दान दे रहे थे। लोगों को पता था कि वे इसे गरीबों को देंगी।
चूंकि मैंने जेल के प्रार्थनालय में काम किया था, इसलिए मुझे मदर टेरेसा के साथ मिस्सा के पूर्व प्रवेश जुलूस का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। कार्डिनल, अन्य गणमान्य लोग और मदर की संस्था की बहनों से घिरा हुआ एक कैदी के रूप में मैं भी खड़ा था। कार्डिनल ने मदर टेरेसा को अपने साथ वेदी पर बैठने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया, और बड़ी श्रद्धा के साथ वेदी के सामने झुकने के बाद फर्श पर घुटने टेक दिए। उनके अगल बगल में जो कोई बैठे थे वे जेल के सबसे खतरनाक अपराधी थे।
परमेश्वर की आँखों से आँखें मिलाते हुए
जैसे ही मैं फर्श पर बैठा, मैंने मदर टेरसा को देखा, और मेरी आँखें उनकी आँखों को ही देखती रहीं और मुझे लगा जैसे मैं ईश्वर को देख रहा हूं। मदर टेरेसा तब वेदी की सीढ़ियों पर चढ़ीं और उन्होंने ऐसे शब्द कहे जो मुझे गहराई तक छू गए, ऐसे शब्द जो मैंने पहले कभी नहीं सुने थे। उन्होंने कहा कि येशु मेरे पापों के लिए मरा, कि ईश्वर की नज़र में मेरे किये हुए अपराधों से बढ़कर मैं मूल्यवान हूँ, कि मैं परमेश्वर की सन्तान हूँ, और मैं परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण हूँ। उस क्षण, उस अपार शांति में, मुझे ऐसा लगा जैसे कमरे में कोई और नहीं है, जैसे वह मुझसे सीधे बात कर रही हो। उनके एक एक शब्द मेरी आत्मा के गहरे हिस्से तक पहुँचा।
मैं अगले दिन प्रार्थनालय में वापस दौड़ते हुए गया और मैं ने फादर से कहा, "मुझे उस येशु के बारे में, परमेश्वर और कैथलिक विश्वास के बारे में और अधिक जानने की ज़रूरत है जिसके बारे में मदर टेरेसा बात कर रही थी।" फादर जेम्स खुश थे! वे मुझे क्रूस के ठीक नीचे ले गए जहाँ वे मुझे तब से चाहते थे जब से उन्होंने मुझसे सुरक्षा कर्मी की नौकरी का प्रस्ताव रखा था। मैं येशु के बारे में और जानने के लिए कुछ भी करने को तैयार था, इसलिए फादर जेम्स ने मुझे दृढीकरण संस्कार के लिए तैयार करना शुरू कर दिया।
हम हर हफ्ते मिलते थे और विश्वास के बारे में जानने के लिए धर्मशिक्षा का अध्ययन करते थे। हालाँकि मुझे दो बार अन्य जेलों में स्थानांतरित किया गया था, मैं उन जेलों में भी पुरोहितों के साथ संपर्क जोड़ा और अपने विश्वास में आगे बढ़ने में सक्षम रहा।
एक नई शुरुआत
एक साल बाद, मेरे लिए अपने विश्वास के प्रति अपनी औपचारिक प्रतिबद्धता बनाने का समय आ गया था। मेरा दृढीकरण संस्कार मेरे जीवन का एक विचारशील और इरादतन क्षण था। एक वयस्क के रूप में, मुझे पता था कि यह एक बड़ा कदम था जो मुझे येशु मसीह के साथ गहरे रिश्ते की राह पर ले जाएगा।
जब समय आया, तो मैंने अपनी माँ को यह बताने के लिए फोन किया कि मेरा दृढीकरण संस्कार होने जा रहा है, और मुझे अच्छा लगेगा कि माँ वहाँ रहे। उसने वादा किया था कि वह जेल में मुझसे कभी मिलने नहीं आएगी, इसलिए वह चौकन्ना थी। आखिरकार मैंने उसके साथ जो बुरा व्यवहार किया था, उसके कारण एक माँ के रूप में उनके दिल में बड़ी चोट लगी थी। लेकिन दो दिन बाद जब मैंने दोबारा फोन किया तो वह आने को तैयार हो गईं। दृढीकरण संस्कार का दिवस अद्भुत और यादगार दिन था। यह न केवल मेरे लिए और मसीह के साथ मेरे चलने के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि मेरी मां के साथ मेरे रिश्ते के लिए भी महत्वपूर्ण था।
अगले साल, मेरे लिए पैरोल बोर्ड के सामने खड़े होने का समय आ गया था। उन अधिकारियों ने कहा कि उनके पास मेरी मां का एक पत्र है जो उसने मेरी ओर से लिखा था। मुझे पता था कि मेरी मां मुझे जेल से छुड़ाने के लिए अधिकारियों से कभी झूठ नहीं बोलेगी। उसके पत्र में यह लिखा था, "आपके सम्मुख ईश्वर का आदमी खड़ा है। कोई चिन्ता की बात नहीं, अब आप उसे बाहर जाने दें। वह वापस जेल नहीं आएगा।“ वे शब्द मेरे लिए सब कुछ थे। जब तक मेरी मां का निधन हुआ, उन्हें डिमेंशिया की बीमारी हो गयी थी। कुछ वर्षों से उसने कहानी सुनाने की अपनी क्षमता खो दी थी और उसकी दुनिया छोटी हो गई थी। लेकिन उन पलों में भी जब वह मनोभ्रंश की चपेट में थी, वह मेरे दृढीकरण संस्कार को याद करने में सक्षम थी, क्योंकि वह जानती थी कि वाही मेरे जीवन का महत्वपूर्ण दिन है जिस दिन मेरा उद्धार हुआ था।
येशु मसीह मेरा उद्धारकर्ता है, और मैं अपने जीवन में उसकी उपस्थिति को महसूस करता हूँ। जबकि इसके लिए काम और प्रयास की आवश्यकता होती है, येशु के साथ मेरा रिश्ता मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। वह हमेशा मुझे प्यार करेगा और मेरा समर्थन करेगा, लेकिन जब तक मैं पूरी तरह से रिश्ते में शामिल नहीं हो जाता, तब तक मुझे वह आराम और प्यार नहीं मिलेगा जिसे वह मेरे साथ साझा करना चाहता है।
ईश्वर आपको अनुग्रह प्रदान करें। अपनी यात्रा को आपके साथ साझा करना मेरे लिए गौरव की बात है। येशु मसीह हमारा मुक्तिदाता है।