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इसका अभ्यास करें और आपको कभी इस पर पछतावा नहीं होगा …
बीते आगमन काल के अंतिम दिनों में एक अग्रसूत्र ने मुझे आकर्षित किया: “आइए हम उसका चेहरा देखें और हम मुक्त किये जाएंगे।” हां, मैंने प्रार्थना की, हे येशु, मुझे आपका चेहरा देखने दें। मैं मरियम और जोसेफ के बारे में सोचती हूं जैसे वे पहली बार तुझे अपने गोद में लिए हुए हैं, बड़ी कोमलता से तुझे पकडे हुए हैं, तेरे चेहरे को देख रहे हैं और उस चेहरे को चूम रहे हैं, फिर वे तुझे पुआल पर लिटाकर गरम कम्बल से तुझे ढक रहे हैं। तू कितना सुंदर है, तुम्हारी आंखें खुलने के पहले ही तू मुझे देख रहा है।
उन दिनों मैंने कार्मेल मठ की साध्वी, सिस्टर इम्माकुलाता द्वारा लिखित एक किताब “द पाथवेज ऑफ प्रेयर: कम्युनियन विथ गॉड” (माउंट कार्मेल हर्मिटेज द्वारा 1981 में प्रकाशित) पढ़ी, और यह मेरे दिल को भी छू गया। उन्होंने लिखा कि, येशु, हम तेरे लिए जिस प्यार को औपचारिक प्रार्थना के समय में और मिस्सा बलिदान के समय, तुझे अपने शरीर और आत्मा में प्राप्त करते हैं, अनुभव करते है, उस प्यार को हम कैसे बनाए रख सकते हैं। मैंने इस बारे में उत्सुकता से पढ़ा, क्योंकि मैं इस इच्छा से जूझ रही थी कि पास की रसोई में खाने या पीने के लिए कोई चीज़ मिल जाए। जैसे ही मैं अपने प्रार्थना कक्ष में बैठी, मुझे उस कहावत की सच्चाई का एहसास हुआ जो किसी ने अपने रेफ्रिजरेटर पर पोस्ट की थी: “आप जो खोज रहे हैं वह यहाँ नहीं है।” हां, मैं अपने फ्रिज में जाने के बजाय तेरी ओर मुड़ सकती हूं, है ना? इसलिए मैं पढ़ना चाहती थी कि मेरे प्यार को फिर से जगाने के बारे में सिस्टर इम्माकुलाता का क्या विचार है।
उन्होंने पुष्टि की: “ईश्वर के साथ उनकी जीवित उपस्थिति में लगातार बातचीत करना आत्मा को बड़ी ऊर्जा देती है। यह आत्मा में गर्मी और रक्त प्रवाहित करता है … विश्वास में ईश्वर के साथ इस प्रेमपूर्ण स्मरण के अभ्यास के लिए एक बड़ी समर्पित निष्ठा होनी चाहिए। उन्होंने दिखाया कि कैसे “इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि ईश्वर पर यह आंतरिक नज़र, चाहे वह कितना भी थोड़े समय के लिए हो, हर बाहरी क्रिया से पहले होनी चाहिए और उसी से अंत भी होना चाहिए”। उन्होंने यह साझा करना शुरू किया कि कैसे महान रहस्यदर्शी, अविला की संत तेरेसा ने अपनी साध्वी बहनों के साथ इस बारे में बात की:
यदि वह कर सकती है, तो उसे प्रतिदिन कई बार मनन चिंतन करने दें।” संत तेरेसा ने समझा कि यह पहली बार में आसान नहीं होगा, लेकिन “यदि आप इसे एक वर्ष के लिए अभ्यास करते हैं, या शायद केवल छह महीने के लिए, तो आप इस बड़े लाभ और खज़ाने को प्राप्त करने में सफल होंगे।” संत लोग हमें सिखाते हैं कि “ईश्वर के साथ यह निरंतर एकात्मकता पवित्रता के उच्च स्तर पर शीघ्रता से पहुंचने का सबसे प्रभावशाली साधन है।” ये प्रेमपूर्ण कार्य आत्मा को पवित्र आत्मा के स्पर्श की जागरूकता के लिए व्यवस्थित करते हैं और इसे आत्मा में ईश्वर के उस प्रेमपूर्ण संचार के लिए तैयार करते हैं जिसे हम मनन चिंतन कहते हैं … जो हमें हर जगह और हमेशा प्रार्थना करते रहने के ख्रीस्तीय दायित्व को पूरा करने में सक्षम बनाता है।
ये कुछ तरीके हैं जिनसे मैं इस अभ्यास को शामिल करती आ रही हूँ। सीढ़ियों से ऊपर और नीचे जाते समय, या यहाँ तक कि कुछ रास्तों पर चलते समय, मैं अपने कदमों की लय में कहती हूँ: “येशु, मरियम और यूसुफ, मैं तुमसे प्यार करती हूँ। आत्माओं को बचाओ।“ जब मैं भोजन के लिए बैठती हूं, तो मैं येशु से मेरे साथ बैठने के लिए कहती हूं। अपना भोजन समाप्त करते समय, मैं उन्हें धन्यवाद देती हूँ। सबसे कठिन अभ्यास जब किसी भी पकवान मुंह में रखने से पहले प्रार्थना करना था, और जब मैं भोजन नहीं कर रही थी, या भोजन के लिए तैयारी कर रही थी, तब प्रार्थना करना कठिन था; मैंने इसे चैसा काल के लिए एक त्यागपूर्ण अभ्यास के रूप में लिया, और अंत में इसे एक नई आदत बना रही हूं।
जब मैं किसी गिरजाघर या प्रार्थनालय से गुजरती हूं, तो मैं कहती हूं “हे येशु, परम प्रसाद में तेरी उपस्थिति के लिए धन्यवाद। कृपया इस पवित्र स्थान से सभी को आशीर्वाद दे। चालीसे के दौरान या शुक्रवार को किसी को मिठाई देते समय, मैं किसी व्यक्ति के लिए या बड़ी विपत्ति में पड़े किसी देश के लिए प्रार्थना करती हूं।
सिस्टर इम्माकुलाता हमें आश्वस्त करती हैं: “परमेश्वर स्वयं को प्रकट करेंगा। वह ऐसा करने के लिए प्यासा है, परन्तु वह तब तक नहीं प्रकट कर सकता जब तक कि हृदय और मन उसे प्राप्त करने के लिए तैयार न हों। हमारा प्रार्थना का जीवन वास्तव में तब तक शुरू नहीं होता जब तक कि हम एक शुद्ध अंतरात्मा की, वैराग्य की और उनकी उपस्थिति में रहने के अभ्यास की नींव नहीं डालते हैं
“सच्ची स्वतंत्रता स्वार्थ से मुक्ति है। ईश्वर की उपस्थिति में निरंतर स्मरण और निरंतर प्रार्थना की आदत स्वयं और स्वार्थ के प्रति मर जाने के उस डर का इलाज है जो हममें इतनी गहराई से समाया हुआ है … प्रार्थना और आत्म-त्याग इतने अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं … क्योंकि येशु का प्रेम एक व्यक्ति को खुद को तुच्छ समझने केलिए उसे तैयार करता है। यह अध्याय इमीटेशन ऑफ़ क्राइस्ट किताब के एक उद्धरण के साथ समाप्त होता है: “विनम्र और शांतिपूर्ण बनो और येशु तुम्हारे साथ रहेगा। भक्ति और शान्ति में रहें और येशु आपके साथ रहेगा … आपको नग्न होना चाहिए और एक शुद्ध हृदय को परमेश्वर के पास ले जाना चाहिए, यदि आप आराम से ध्यान देंगे तो आप देखेंगे कि प्रभु कितना प्यारा है” (पुस्तक II, अध्याय 8)।
जैसा कि मैं उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती हूं जहां मैं पहले प्रार्थना किए बिना काम में लिप्त हो रही हूं, मैं खुद को प्रभु के करीब लाने के लिए एक प्रार्थना खोजने के लिए प्रेरणा महसूस करती हूं जिस प्रभु को मैं प्यार करती हूं, सेवा करती हूं और हर दिन पहले से ही घंटों तक प्रार्थना करती हूं। येशु, हां, कृपया मुझे तेरी उपस्थिति में रहने के अभ्यास में बढ़ने, तेरे चेहरे को अधिक से अधिक देखने की कोशिश में बढ़ने में मदद कर ”।
Sister Jane M. Abeln SMIC is a Missionary Sister of the Immaculate Conception. She taught English and religion in the United States, Taiwan, and the Philippines and has been in the Catholic Charismatic Renewal for 50 years.
इस बात का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करें कि ईश्वर स्वर्ग की बातों का संचार करने के लिए पृथ्वी की चीज़ों का उपयोग कैसे कर सकते हैं एक दिन जब मैं कूड़े के डिब्बे लाने के लिए अपने सामने वाले दरवाजे से बाहर निकली, तो मैं डर के मारे वहीं रुक गयी। घर के बगल में नाली के ढक्कन पर साँप की एक ताज़ा खाल पडी हुई थी। मैंने तुरंत अपने पति को बुलाया, क्योंकि मुझे सांपों से बहुत डर लगता है। जब यह स्पष्ट हो गया कि यह मृत साँप की खाल है, आस-पास कोई जीवित साँप नहीं है, तो मैंने निश्चिंत होकर ईश्वर से पूछा कि वह इस दिन मुझे क्या सबक सिखाने की कोशिश कर रहा है। पूरा मामला क्या है? मेरे शिक्षक लोग मुझे ‘गतिज शिक्षार्थी’ कहते हैं। मैं वस्तुओं के साथ घूमने या उनके साथ बातचीत करने से सबसे अच्छा सीख पाती हूं। हाल ही में, मैंने देखा है कि ईश्वर अक्सर भौतिक वस्तुओं के माध्यम से स्वयं को मेरे सामने प्रकट करता है। इस दिव्य शिक्षाशास्त्र का उल्लेख कैथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा में भी किया गया है। "ईश्वर अपने वचन के द्वारा सभी चीज़ों की रचना और संरक्षण करता है, वह सृजित वास्तविकताओं के द्वारा स्वयं का प्रमाण मानव को निरंतर प्रदान करता है।" (सी.सी.सी., 54) उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने इब्राहीम के लिए धूआं देने वाला अग्नि पात्र और धधकती मशाल, याकूब के लिए कुश्ती लड़ने वाला स्वर्गदूत, और मूसा के लिए जलती हुई झाड़ी भेजी। परमेश्वर ने नूह के पास जैतून की शाखा और फिर इंद्रधनुष, गियदोन के लिए कुछ ओस, और एलियाह के लिए रोटी और मांस के साथ कौआ भेजा। इब्राहीम का परमेश्वर, याकूब का परमेश्वर, और मूसा का परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर है। समस्त सृष्टि का ईश्वर स्वर्ग की अदृश्य और अमूर्त वास्तविकताओं को संप्रेषित करने के लिए पृथ्वी के दृश्य, मूर्त पदार्थ का उपयोग क्यों नहीं करेगा? फादर जैक्स फिलिप ने लिखा है, "मांस और रक्त के प्राणियों के रूप में, हमें आध्यात्मिक वास्तविकताओं को प्राप्त करने के लिए भौतिक चीज़ों के समर्थन की आवश्यकता है। ईश्वर इसे जानता है, और यही बात ईश्वर के देह्धारण के पूरे रहस्य को समझाती है" (टाइम फॉर गॉड, पृष्ठ 58)। ईश्वर हमें लाइसेंस प्लेट या बम्पर स्टिकर के माध्यम से संदेश भेज सकते हैं। पिछले सप्ताह एक ट्रक के पीछे लिखे शब्द, "चलते रहो," मेरे मन में गूंज उठे। उन शब्दों ने मुझे उस धार्मिक अंतर्दृष्टि की याद दिलाई जो मैंने उसी सुबह सुनी थी - कि हम सुसमाचार साझा करते रहने के लिए बुलाये गए हैं । ईश्वर हमें सिखाने के लिए प्रकृति का भी उपयोग कर सकता है। हाल ही में पेड़ से चेरी या आलूबालू तोड़ते समय, मुझे याद आया कि फसल की बहुतायत, और मजदूरों की कमी कैसे होती हैं। एक तूफानी दिन मन में विचार ला सकता है कि "बड़ी संख्या में हमारे चारों ओर गवाह विद्यमान हैं" (इब्रानी 12:1)। एक सुंदर पक्षी या भव्य सूर्यास्त हमारी शिथिल आत्मा को स्फूर्ती देने के ईश्वर का तरीका हो सकता है। जब कभी मैं किसी चीज़ से विशेष रूप से आश्चर्यचकित होती हूं, तो मैं ईश्वर से पूछने की कोशिश करती हूं कि वह मुझे क्या सबक सिखा रहा होगा। उदाहरण के लिए, एक रात को, जब मेरी बेटी सो रही है या नहीं इसकी जांच करने के लिए मैं बिस्तर से उठने के बारे में मन में बहस कर रही थी, माताओं की संरक्षिका संत मोनिका का सम्मान करने वाला एक प्रार्थना कार्ड अचानक मेरे मेज़ से गिर गया। मैं तुरंत उठी और बेटी के पास जाकर उसकी हालचाल लेने लगी। या इसके अलावा, उस समय जब मैं देर रात या भोर के शुरुआती घंटों में उठी और हाल ही में मृत परिवार के सदस्य की तरफ से माला विनती की प्रार्थना करने के लिए बुलायी गयी और आसमान से सबसे शानदार उल्का पिंड को गिरते देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई। कभी-कभी ईश्वर अपना संदेश दूसरे लोगों के माध्यम से भेजता है। आपने कितनी बार किसी ऐसे व्यक्ति से कार्ड, फ़ोन कॉल या टेक्स्ट प्राप्त किया होगा जो आपके लिए आवश्यक प्रोत्साहन था? एक बार गर्मियों में, जब मैं बाइक पर यात्रा कर रही थी और बाइबल अध्ययन बंद करने की संभावना पर विचार कर रही थी, तो मेरी मुलाकात एक मित्र से हुई। अचानक, उसने यह तथ्य सामने रखा कि उसने अपना बाइबल अध्ययन जारी रखने की योजना बनाई है क्योंकि एक बार जब आप कुछ बंद कर देते हैं, तो उसे दोबारा शुरू करना बहुत कठिन होता है। ईश्वर हमें अनुशासित करने या अपने शिष्यत्व में हमारी प्रगति हेतु हमें मदद करने के लिए ठोस वस्तुओं का भी उपयोग कर सकता है। एक सुबह मेरी नज़र तीन बड़ी कीलों पर पड़ी। वे तीनों एक समान थे, लेकिन मैंने उन्हें तीन अलग-अलग स्थानों पर पाया था: एक गैस स्टेशन पर, एक मेरे घर के अन्दर की पगडण्डी पर, और एक सड़क पर। तीसरी कील देखने के बाद मैं रुकी और मैंने ईश्वर से पूछा कि वह मुझे क्या बताना चाह रहा था और मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने जीवन में किसी बात को लेकर पश्चाताप की आवश्यकता है। मैं उस समय को कभी नहीं भूलूंगी जब मैं बाहर निकली और तुरंत एक मक्खी मेरी आंख में घुस गई। मै चाहती हूँ कि उस दिन मैंने जो सबक सीखी उसकी कल्पना आप स्वयं करें । सीखने की शैली ईश्वर हमें हर समय सिखाता है, और वह सभी प्रकार के शिक्षार्थियों को समायोजित करता है। जो चीज़ एक व्यक्ति के लिए काम करती है वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकती। कुछ लोग ईश्वर की आवाज़ को स्पष्ट रूप से प्रार्थना सभा में सुनेंगे, अन्य लोग परम प्रसाद की आराधना में सुनेंगे, कोई और बाइबिल पढ़ते समय सुनेंगे, या अपनी निजी प्रार्थना के समय सुनेंगे। हालाँकि, ईश्वर हमेशा काम पर रहता है और हमारे विचारों, भावनाओं, छवियों, पवित्र ग्रन्थ के वाक्यांशों से, लोगों से, कल्पना से, ज्ञान के शब्दों से, संगीत से और हमारे दिन की प्रत्येक घटना के माध्यम से हमें लगातार सिखाता रहता है। जब ईश्वर भौतिक वस्तुओं के माध्यम से सम्प्रेषण करता है तो व्यक्तिगत रूप से मैं इसकी सराहना करती हूँ, क्योंकि मैं इस तरह से शिक्षा को बेहतर ढंग से याद रखती हूँ। आप सोच रहे होंगे कि मैंने साँप की खाल से क्या सीखा। इस से धर्मग्रंथ का निम्नलिखित वाक्यांश ध्यान में आया: “लोग पुरानी मशकों में नई अंगूरी को नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, अंगूरी बह जाती है, और मशकें बर्बाद हो जाती हैं। लोग नयी अंगूरी नयी मशकों में भरते हैं, इस तरह दोनों ही बची रहती हैं” (मत्ती 9:17)। पवित्र आत्मा, आज तू हमें जो भी सबक सिखा रहा है, उसके बारे में अधिक जागरूक होने में हमारी मदद कर।
By: Denise Jasek
Moreकालातीत सुन्दरता अब कोई दूर का सपना नहीं है... आकर्षक दिखने की हमारी चाहत सार्वभौमिक है। बाइबिल के आरम्भ काल से ही, पुरुषों और महिलाओं ने समान रूप से संवारने, तथा आहार, व्यायाम, सौंदर्य प्रसाधन, जेवर, कपड़े और अन्य सजावट के माध्यम से अपने शरीर को सुंदर बनाने की कोशिश की है। क्योंकि हमारे सृजनकर्ता स्वयं सौंदर्य है, हम उस सृष्टिकर्ता के प्रतिरूप में और उसके सादृश्य में सृष्ट किये गए हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम उसके स्वभाव के सिद्धांतों को अपने शारीरिक स्वरूप में प्रकट करने की इच्छा रखते हैं - वास्तव में, इसके द्वारा हम अपने शरीर में परमेश्वर को महिमान्वित कर रहे हैं, और हमें ऐसा करने के लिए आदेश दिया जाता है (1 कुरिन्थी 6:20)। फिर भी हमारा वर्तमान धर्म विहीन युग हर दिन जोर-शोर से हमारी कमियों की घोषणा करता है: हम सुंदर नहीं हैं, स्मार्ट नहीं हैं, पतले नहीं हैं, आकर्षक नहीं हैं, युवा नहीं हैं, स्टाइलिश नहीं हैं, आदि इत्यादि। हर साल, बहुत बड़ी संख्या में उपभोक्ता अनावश्यक मात्रा में सौंदर्य प्रसाधन, सौंदर्य उत्पाद, और संबंधित सेवाओं की खरीदारी करते हैं। अफसोस की बात है कि आक्रामक सर्जरी, इंजेक्शन, पूरक की कृत्रिम चीज़ें और अन्य संदिग्ध कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं तेजी से आम होती जा रही हैं, यहां तक कि चालीस से कम उम्र वालों के बीच भी। दोषरहित सुंदरता हम येशु मसीह के अनुयायी, जो दुनिया में रहते हैं लेकिन दुनिया के नहीं, हम कैसे सुंदर होंगे? संत अगस्तीन ने सदियों पहले इसी प्रश्न से जूझते हुए एक प्राचीन उपदेश में हमें यह शाश्वत उत्तर दिया था: 'उससे प्यार करो जो हमेशा सुंदर है।और जिस मात्रा में आपके अंदर वह प्रेम बढ़ेगा, उसी मात्रा में आपकी सुंदरता भी बढ़ेगी। क्योंकि प्रेमपूर्ण उदारता वास्तव में आत्मा की सुंदरता है।' (योहन के पहले पत्र पर दस व्याख्यान, नौवां व्याख्यान , 9-वां अनुच्छेद) सच्ची सुंदरता उस प्यार से निकलती है जो "शरीर के दीपक", यानी हमारी आँखों (लूकस 1:34) से चमकता है, न कि हमारे बालों या होठों के रंग से। वास्तव में, येशु हमें "संसार की ज्योति" कहते हैं (मत्ती 5-14) - हमारी मुस्कुराहट से उसका प्रेम झलकना चाहिए और दूसरों के जीवन को रोशन करना चाहिए। अंततः, हमें अपने मसीही जीवन-साक्ष्य की सुंदरता द्वारा दूसरों को येशु मसीह और उनकी कलीसिया की सुंदरता की ओर आकर्षित करना चाहिए, और यही इस सांसारिक जीवन में हमारा मुख्य दायित्व है। फिर भी, यद्यपि हमारी आत्माएँ इच्छुक हैं, हमारा शरीर कभी-कभी दुनिया की अपर्याप्तता के झूठे ‘सुसमाचार’ का शिकार हो जाता है। मानवीय असुरक्षा के ऐसे क्षणों के दौरान, मैं सुलेमान के सर्वश्रेष्ठ गीत में वर्णित परमेश्वर के अचूक संदेश से उत्साहित हूं: "मेरी प्रेयसी, तुम सर्वसुन्दर हो। तुम में कोई दोष नहीं” (4:7)। हालाँकि मैंने अपने शरीर को कई वर्षों तक घिसा है, मैं लम्बा जीवन जीकर अपने भूरे "मुकुट" (सूक्तिग्रंथ 16:31) प्राप्त करने के लिए, और, हाँ, झुर्रियाँ भी प्राप्त करने केलिए आभारी हूँ, जो कई अनुभवों और आशीर्वादों का प्रतिनिधित्व करते हैं ताकि चिकनी त्वचा पाने के लिए मैं कभी भी इसका खरीद फरोख्त नहीं करूंगी। शायद आप एक माँ हैं और गर्भावस्था के साथ आपका आकार कुछ कुछ बदल गया है। लेकिन आपका शरीर चमत्कारी है - इसने गर्भधारण किया, बच्चे को गर्भ में संभाला और परमेश्वर के उस बच्चे को जन्म भी दिया। परमेश्वर के राज्य के विस्तार करने की अपनी फलदायीता केलिए आप आनन्दित और उल्लासित हो जाएँ ! शायद आप किशोरी हैं, और आपका शरीर असुविधाजनक परिवर्तनों से गुजर रहा है; और इस परिवर्त्तन को जटिल बनाते हुए, शायद आपको लगे कि आप दुनियावी लोगों की भीड़ में फिट नहीं बैठती हैं। लेकिन ईश्वर के कार्य की प्रगति आप हैं - आप एक उत्कृष्ट कृति हैं जिसे वह आपके द्वारा उसके विशेष लक्ष्य और उद्देश्य को पूरा करने के लिए अद्भुत रूप से आपको अद्वितीय बना रहा है। जहां तक ' दुनियावी लोगों की भीड़’ का सवाल है, क्या उस भीड़ के लिए प्रार्थना करने के लिए आप को प्रेरणा मिले; परमेश्वर जानता है कि दुनियावी भीड़ में सम्मिलित लोगों की अपनी असुरक्षाएँ हैं। शायद आप अधेड़ उम्र के हैं और पिछले कुछ वर्षों में आपका वज़न कुछ अतिरिक्त बढ़ गया है, या हो सकता है कि आप हमेशा मोटापे से जूझते रहे हों। यद्यपि स्वस्थ शरीर प्राप्त करने और उसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए आहार और व्यायाम महत्वपूर्ण हैं, आप जिस आकार या रूप में हैं, बिल्कुल उसी आकार या रूप में ईश्वर आपसे प्यार करता है - आप अपने प्रति धैर्य रखें और अपने आप को उसके कोमल हाथों में सौंप दें। शायद आप कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं और उसके इलाज का असर भी झेल रहे हैं। जैसे ही आपका शरीर लड़खड़ाता है, मसीह आपके साथ क्रूस उठाते हैं। अपने कष्टों को उसके सामने प्रस्तुत करें, और वह आपको इतनी ताकत और लचीलापन देगा कि आप अपने आसपास के उन लोगों के लिए आशा की किरण बन सकें जो अपनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आप अपने साहसी जीवन के माध्यम से पाए गए ईश्वर के अच्छे कार्य से सांत्वना पायें। शायद पहले की या वर्तमान स्वास्थ्य की समस्याओं के कारण आपके शरीर में कुछ स्थायी निशान या विकृति है - आप यह जानकर सांत्वना पायें कि संत काटेरी की मृत्यु के बाद उसके चेहरे पर जो चेचक के निशान थे, वे चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। वास्तव में, हमारे असली घर स्वर्ग में, मसीह हमारे तुच्छ शरीर को अपने गौरवशाली शरीर के समान बदल देगा (फिलिप्पी 3:20-21), और हम तारों की तरह चमकते रहेंगे (दानिएल 12:3)। पूरी तरह से अलंकृत अभी के लिए, जैसे परमेश्वर हमें चाहते हैं, हम वैसे ही हैं। जो उसने हमें पहले ही दे दी है हमें अपने उस बाहरी स्वरूप को बदलने या उस सुंदरता में सुधार करने की ज़रूरत नहीं है। हमें खुद को वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे हम हैं और हम जैसे हैं वैसे ही खुद से प्यार करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो हम कर सकते हैं वह है येशु से प्रेम करना। जितने तक हमारे दिल उसके प्यार से भर जाएगा, उतना ही हमारे शरीर उसकी सुंदरता को प्रतिबिंबित करेगा। लेकिन यह कोई सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं है. हालाँकि दुनिया आम तौर पर कमी के सिद्धांत पर काम करती है ताकि हमें लगे कि हमें अपना उचित हिस्सा पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, येशु मसीह खूबी या प्रचुरता के सिद्धांत पर काम करता है ताकि हमेशा जरूरत से ज्यादा हो - "जिसके पास है उसे और अधिक दिया जाएगा" (मत्ती 13:12) यदि हम प्रभु पर भरोसा करते हैं जो "खेत के फूलों को सजाता है" (मत्ती 6:28), तो हम उस शरीर से संतुष्ट होंगे जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। इसके अलावा, हम पहचानेंगे कि हमारी ईश्वर प्रदत्त सुंदरता न केवल पर्याप्त है बल्कि प्रचुर भी है। साथ ही, यह कोई तुलना का खेल नहीं है। हालाँकि हम अक्सर अपनी तुलना दूसरों से करने के लिए प्रलोभित होते हैं, फिर भी हम अद्वितीय हैं; परमेश्वर ने हमें अपनी माँ के गर्भ में किसी और की तरह दिखने के लिए नहीं बनाया है। वास्तव में, हममें से प्रत्येक येशु मसीह की संपूर्ण सुंदरता के विशिष्ट चमकदार प्रतिबिंब और आकर्षक गवाह बनने की यात्रा पर अलग-अलग मुकामों पर हैं। परम पिता परमेश्वर ने हमें पूर्णतः सुशोभित किया है। अगली बार जब आप दर्पण में देखें, तो याद रखें कि उसने आपको अद्भुत रूप से अच्छी तरह से बनाया और सजाया है, और वह यह देखकर प्रसन्न होता है कि आप उसकी सुंदरता को कैसे प्रतिबिंबित करते हैं।
By: Donna Marie Klein
Moreअपने प्रार्थनामय जीवन में एक नया उपमार्ग खोजने के लिए इस लेख को पढ़ते रहें | कुछ सालों पहले, मेरी बहन के घर के नल से कहीं पानी का लगातार रिसाव की बड़ी समस्या थी। घर पर कहीं भी पानी के रिसाव का पता नहीं चल रहा था, लेकिन उसका पानी का बिल 70 डॉलर प्रति माह से बढ़कर 400 डॉलर प्रति माह हो गया। उन्होंने रिसाव के स्रोत का पता लगाने की कोशिश की, उसके बेटे ने बहुत खुदाई की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कई दिनों की निरर्थक खोज के बाद, एक मित्र को एक उपाय सूझा। उसका विचार था कि रिसाव को खोजने की कोशिश करनी बंद की जाये। बजाय इसके, पानी के पाइप के सिरे पर जाया जाये, नई पाइपिंग की जाये, और नए पाइप को किसी उपमार्ग से अर्थात नए रास्ते पर बिछाया जाये और पुरानी पाइपलाइन को पूरी तरह से छोड़ दिया जाये। उन्होंने वैसा ही किया। एक दिन की कड़ मशक्कत और बहुत सी खुदाई के बाद, उन्होंने उस योजना को पूरा किया और देखो! समस्या ठीक हो गई, और मेरी बहन के पानी का बिल फिर से सामान्य हो गया | जैसा ही मैंने इस पर विचार किया, मेरे विचार अनुत्तरित प्रार्थनाओं पर गया। कभी-कभी हम लोगों के लिए या कुछ परिस्थितयों को बदलने के लिए प्रार्थना कर रहे होते हैं और उन प्रार्थनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता। परमेश्वर के कान तक पाइप लाइन में लगता है कि “रिसाव” है। या हम लगातार प्रार्थना करते हैं जिससे कि किसी का मन परिवर्त्तन हो, किसी का गिरजाघर में वापसी हो जाए, या हम किसी ऐसे व्यक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं जो कुछ समय से बेरोजगार हो, या हम गंभीर स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से जूझ रहे किसी व्यक्ति के उपचार के लिए प्रार्थना करते हैं। स्थिति कैसी भी हो, हमें कोई प्रगति दिखाई नहीं देती और हमारी प्रार्थनाएँ व्यर्थ या बेकार लगने लगती हैं। मुझे याद है कि मैं जिस मिशनरी संगठन के साथ काम करती हूँ, उसमें एक बहुत ही कठिन व्यक्तिगत संघर्ष के लिए मुझे प्रार्थना करनी थी। यह एक ऐसी स्थिति थी जो बहुत तनावपूर्ण थी और मेरी भावनात्मक और शारीरिक ऊर्जा को खत्म कर रही थी। प्राकृतिक स्तर पर मैंने जो कुछ भी करने की कोशिश की,मानो ऐसा लग रहा था कि उसका कोई हल ही नहीं है , और समाधान के लिए मेरी प्रार्थनाओं का कोई असर नहीं दिख रहा था। एक दिन अपनी प्रार्थना में, मैंने हताशा में फिर से परमेश्वर को पुकारा और अपने दिल में एक शांत, सौम्य आवाज़ सुनी, “इसे मुझे सौंप दो। मैं इसका हल करूंगा| “ मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत है, बिलकुल एक प्लंबिंग बाईपास के सामान। इस बिंदु तक मेरा रवैया ही मेरे प्रयासों से स्थिति को हल करने की कोशिश कर रहा था: मध्यस्थता करना, बातचीत करना, विभिन्न प्रकार के समझौते करना और उसमें शामिल विभिन्न पक्षों को शांत करना। लेकिन चूंकि कुछ भी काम नहीं आया था और चीजें केवल बदतर होती गईं, मुझे पता था कि परमेश्वर को इन्हें संभालने की अनुमति देने की जरूरत है। इसलिए मैंने उसे अपनी स्वीकृति दी। “हे प्रभु, मैं यह सब तुझे सौंप देती हूं। तुझे जो कुछ भी करना है वह कर, और मैं सहयोग करूँगी।” प्रार्थना के लगभग 48 घंटों के भीतर ही स्थिति पूरी तरह से सुलझ गई। जितनी तेजी से मेरी सांसें रुकी हुई थी, उतनी ही तेजी से उनमें से एक पक्ष ने अच्छा निर्णय लिया, जिसके कारण सब कुछ पूरी तरह से बदल गया, और तनाव और संघर्ष भी समाप्त हो गया। मैं विस्मित थी और जो हुआ था उस पर विश्वास नही कर पा रही थी। मैंने क्या सीखा? अगर मैं किसी चीज या किसी के लिए एक निश्चित तरीके से प्रार्थना कर रही हूं और मुझे कोई सफलता नहीं दिख रही है, तो शायद मुझे प्रार्थना करने के तरीके को बदलने की जरूरत है। पवित्र आत्मा से पूछने की ज़रुरत है कि “मुझे इस व्यक्ति के लिए प्रार्थना करने की क्या कोई और तरीका है? क्या मुझे कुछ और माँगना चाहिए, कोई विशिष्ट अनुग्रह जो उन्हें अभी चाहिए?” शायद हमें “नल का कोई उपमार्ग ” जैसे कोई दूसरा मार्ग मिल जाए। रिसाव का स्रोत या प्रतिरोध के स्रोत को खोजने की कोशिश करने के बजाय, हम प्रार्थना कर सकते हैं कि हे परमेश्वर इसे दरकिनार कर दे। परमेश्वर बहुत रचनाशील है (वही रचनात्मकता का स्रोत या मूल निर्माता है) और अगर हम उनके साथ सहयोग करना जारी रखते हैं, तो वह मुद्दों को हल करने और अनुग्रह लाने के लिए अन्य तरीकों के साथ आएगा जिनके बारे में हमने सोचा भी नहीं होगा। परमेश्वर को परमेश्वर रहने दो और उसे चलने और चलाने के लिए जगह दें। मेरे मामले में, मुझे रास्ते से हटना था, विनम्रता से स्वीकार करना था कि मैं जो कर रही थी वह व्यर्थ था, और उसे प्रभु को और अधिक गहराई से समर्पण करना था जिससे प्रभु को कार्य करने का अवसर मिले। लेकिन प्रत्येक स्थिति अलग होती है, इसलिए परमेश्वर से पूछें कि वह आपसे क्या चाहता है और उसके निर्देशों को सुनें। अपनी क्षमता के अनुसार उनका पालन करें और परिणाम उसके हाथों में छोड़ दें। और याद रखें कि येशु ने क्या कहा: “जो मनुष्यों के लिए असंभव है, वह परमेश्वर के लिए संभव है।“ (लूकस 18:27)
By: Ellen Hogarty
Moreहम सभी को समय का उपहार दिया गया है, लेकिन हम इसका क्या करते हैं? कभी-कभी मुझे यह समझने में परेशानी होती है कि ईश्वर मुझे क्या बताने की कोशिश कर रहा है। जो बात उसने कही है उसे दुहराने केलिए मैं अक्सर उससे बोलती हूँ। पिछले साल, बार-बार मैंने महसूस किया कि प्रभु ये वचन मेरे दिल पर रख रख रहा है - "इसके चारों ओर एक घेरा बनाओ।" मैंने अंततः स्पष्टीकरण मांगा और पवित्र ग्रन्थ का वचन मन में आया: "किसी भूमिधर ने दाख की बारी लगवाई, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उसमें रस का कुंड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया।" (मत्ती 21:33) मैं जानती थी कि झाड़ियों को आपस में निकटता से उगाये जाने से घेरा या बाड़ा बनता था, यह अक्सर बगीचों या फुलवारियों को घेरने के लिए किया जाता है। जब मैंने ईश्वर से पूछा कि वह मुझसे क्या घेरवाना चाहता है, तो मुझे समझ में आया कि मुझे अपने समय को घेरना है, विशेष रूप से प्रभु के साथ अपने समय की सुरक्षा करनी है। इसलिए, मैंने अपनी सुबह की दिनचर्या के साथ अधिक सावधान रहना शुरू कर दिया। मैं अपने विचारों, सपनों और मेरे दिमाग में चल रहे गीतों के प्रति अधिक जागरूक हो गयी। मैंने अपनी डायरी में मेरे विचारों को लिखना शुरू किया। मैंने बिस्तर से उठने से पहले ही प्रभु की स्तुति और धन्यवाद के साथ अपने हृदय को प्रभु की ओर उठाने का प्रयास किया। सोशल मीडिया में आ रही टिप्पणियों या खबरों को पढ़ने के बजाय, मैंने अपनी सुबह की कॉफी हाथ में लिए, हर दिन दैनिक मिस्सा बलिदान के पाठों को पढ़ा और मनन-चिंतन में समय बिताया। मैं अपने आंतरिक जीवन की रक्षा कर रही हूं। मैं प्रभु के साथ अपने समय की रक्षा कर रही हूँ। मैं अपने आप को भोर के सुरक्षा कर्मी की तरह महसूस करती हूँ। जब मैंने पिछले साल एक आध्यात्मिक निर्देशक की सहायता ली, तो उन्होंने सबसे पहले मुझसे यह सवाल किया कि क्या मेरी अपनी दैनिक प्रार्थना दिनचर्या है। मेरे लिए उनका निर्देश था कि जीवन का सबसे प्रथम लक्ष्य प्रार्थना-जीवन को नियमित और लगातार संपोषित रखना है। मैं और मेरे पति अब एक दम्पति के रूप में अधिक विश्वासपूर्वक प्रार्थना करते हैं। हमने भोजन से पूर्व, और अधिक जानबूझकर प्रार्थना करना शुरू कर दिया है, जिसमें हम कंठस्थ प्रार्थनाओं के साथ दिल से आने वाली प्रार्थनाओं को भी जोड़ते हैं। हमारा प्रयास यह है कि हम एक परिवार के रूप में प्रार्थना करने की अपनी प्रतिबद्धता को निभायें। मैं कार चलाते हुए प्रार्थना करती हूँ। मैं चर्च में प्रार्थना करती हूं। मैं अपनी सुबह की सैर पर प्रार्थना करती हूं। कभी-कभी मैं एक पार्क की परिधि में रोजरी या करुणा की माला विनती करते हुए, उसके चारों ओर प्रार्थना का घेरा बनाकर चलती हूं। मेरा मानना है कि ये नई आदतें फल दे रही हैं। मैंने बगल के पार्क में संदिग्ध और असामाजिक गतिविधियां देखी है। मैंने देखा है कि इन दिनों मेरे पति और मैं समान विचार पर अधिक काम कर रहे हैं, और हंस हंस कर अपने मतभेदों का मुकाबला कर रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने अपने आप में एक बदलाव देखा है। मैं अधिक शांति का अनुभव करती हूं। जो कुछ प्रभु मेरे हृदय से कह रहा है, मैं उसे सुन पा रही हूँ। मैं प्रत्येक दिन की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक तैयार हूं। परमेश्वर चाहता है कि हम सभी बिना रुके प्रार्थना करें, लेकिन पहला कदम यह है कि हम अपने प्रत्येक दिन को प्रार्थना की बाड़ या रक्षा कवच से सुरक्षित रखें। हमें अपने दिन का पहला फल प्रभु को अर्पित करना चाहिए और प्रार्थना के साथ अपने दिन का अंत करना चाहिए। हमारी प्रार्थना के घेरे अलग-अलग तरह के हो सकते हैं, लेकिन शैतान की चालों को हराने के लिए हम उन्हें अवश्य लगाएं। परमेश्वर हमेशा हमारे करीब आ रहा है, और वह चाहता है कि हम उसके करीब आएं। लेकिन हम आसानी से विचलित हो जाते हैं। हमें लगन से अपने समय की रक्षा करने की आवश्यकता है। प्रार्थना के बाड़े या घेरे हमें अधिक फलदायी स्थान की ओर ले जायेंगे।
By: Denise Jasek
More”मैं क्षमा करता हूँ' यह कहना और वास्तव में क्षमा करना आसान नहीं है...” "मसीह ने स्वतंत्र बने रहने केलिए हमें स्वतंत्र बनाया है।" (गलाती 5:1) मुझे यकीन है कि अधिकांश लोग इस बात से अवगत होंगे कि क्षमा क्रिश्चियन संदेश के मूल में है, लेकिन बहुतों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसी को क्षमा न करने से शारीरिक पीड़ा हो सकती है। मैं इसे अपने निजी अनुभव से जानता हूं। कई बार, मैंने इस भयानक, अक्सर अपंग करनेवाली बीमारी को चंगा करने में पवित्र आत्मा की शक्ति को अनुभव किया है। क्षमा आसान नहीं क्रूस पर मरते समय येशु ने जो पहले शब्द कहे थे, वे क्षमा के शब्द थे (लूकस 23:34)। मानव जाति को पाप और मृत्यु से मुक्त करने के लिए येशु का प्रेममय बलिदान वह क्षण था जिसकी प्रतीक्षा मानव को लम्बे अरसे से थी। जब येशु मृतकों में से जी उठने के बाद अपने शिष्यों से मिले, तब क्षमा फिर से उनके होठों पर थी, और उन्होंने अपनी ओर से इस क्षमा को देने की शक्ति शिष्यों को दी (योहन 20:19-23)। जब प्रेरितों ने येशु से प्रार्थना करने का तरीका पूछा, तो उस ने एक प्रार्थना के माध्यम से इसका जवाब दिया, इसी प्रार्थना के द्वारा ईश्वर को 'हमारे पिता' कहकर संबोधित करने और और जिस तरह हमारे विरुद्ध अपराध करनेवालों को हम क्षमा करते हैं, उसी तरह 'हमारे अपराधों (पापों) को क्षमा करने के लिए उस से निवेदन करने की अनुमति हमें मिली (मत्ती 6:12)। यदि हम स्वयं क्षमा की अपेक्षा करते हैं, तो हमें दूसरों को क्षमा करना चाहिए (मत्ती 5:23-26; 6:14)। क्षमा न करने की तुलना बंद मुट्ठी से की जा सकती है। बंधी हुई मुट्ठी तनी हुई होती है, और अक्सर क्रोध में जकड़ी और तनाव से पूर्ण रहती है। बंद मुट्ठी वास्तव में केवल एक ही कार्य के काम में आ सकती है; किसी को मारने के लिए, या कम से कम मारने के लिए तैयार होने के काम में। अगर वह मुट्ठी किसी पर लग जाती है, तो वापस मार खाने और अधिक शत्रुता पैदा करने की उम्मीद करना गलत नहीं होगा। अगर मुट्ठी बंद है, तो वह खुली नहीं है। खुला हाथ उपहार या कोई भी वस्तु प्राप्त करने में सक्षम है, लेकिन अगर वह बंद और जकड़ा हुआ है तो जो भेंट दी जा रही है उसे स्वीकार करना संभव नहीं है। दुसरे शब्दों में कहें तो, जब हम अपने हाथ खोलते हैं, तभी हम प्राप्त कर सकते हैं, तभी जो हम प्राप्त करते हैं उसे दूसरों को देने में भी हम सक्षम होते हैं। जब वह स्वतन्त्र करता है जब मैंने इस बारे में मिस्सा बलिदान में प्रार्थना की, तो मेरे दिमाग में एक छड़ी की छवि आयी, और मैंने यह महसूस किया कि जब हम क्षमा नहीं करते हैं, तो हमारे जीवन में चलने में दिक्कत आती है। मिस्सा के बाद, जब हम बाहर बातें कर रहे थे, एक आदमी आया, जिसने गिरजाघर के बाहर उसका फोटो लेने के लिए हमसे कहा। जब मैंने देखा कि वह छडी के सहारे चलता है, तो मुझे लगा कि उस की बीमारी क्षमा न करने के कारण हुई है। -जैसे बातचीत जारी रही, उसने मुझे अपने अतीत के बारे में बताना शुरू कर दिया, और अंत में उसने मुझसे मेरी प्रार्थनाओं का अनुरोध किया, क्योंकि वह भयंकर पीठ दर्द से परेशान था। तुरंत मैंने उसे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया और मैं ने कहा कि येशु उसे चंगा करना चाहता है, लेकिन इसके लिए कुछ कार्य करना पड़ेगा। उत्सुक और खुले दिल से वह सहमत हो गया, और मुझ से पूछ रहा था कि क्या कार्य करना होगा। मैंने उससे कहा कि उन्हें उन लोगों को माफ करना होगा जिनका उल्लेख उन्होंने अभी अभी बातचीत में मुझसे किया है और अन्य किसी भी व्यक्ति को माफ़ करना होगा जिसने उसे चोट पहुंचाई है। मैं उस व्यक्ति को देख पा रहा था कि वह आंतरिक रूप से संघर्ष कर रहा है, इसलिए मैंने उसे इस आश्वासन के साथ प्रोत्साहित किया कि क्षमा करने के लिए उसे अपनी ही ताकत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। यदि वह येशु के नाम से क्षमा करता, तो येशु उसे सामर्थ्य देता, उसकी अगुवाई करता और उसे स्वतंत्र करता। फुसफुसाते हुए उसकी आँखें चमक उठीं, "हाँ, अपने प्रभु की शक्ति से मैं क्षमा कर सकता हूँ।" मैंने प्रार्थना में उसकी अगुवाई की, और उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे ठीक होने की चंगाई प्रार्थना के साथ (मारकुस 16:15-18) वह प्रार्थना सत्र समाप्त हुआ मैंने उससे कहा कि जो कुछ येशु ने कहा है वह सब करे और उसने जो माँगा उसे प्राप्त कर लिया है, ऐसे विश्वास के साथ परमेश्वर का धन्यवाद करे (मारकुस 11:22-25), और इस तरह वह येशु से चंगाई की प्राप्ति कर सकता है। यह शुक्रवार की शाम को था। रविवार को, उसने मुझे मोबाइल पर एक संदेश भेजा, "प्रभु की स्तुति हो, येशु ने मेरी पीठ को चंगा कर दिया। मैं ने प्रभु की स्तुति की, और पूरे मन से उसका धन्यवाद किया। मैं इस पूरी घटना से विशेष रूप से प्रभावित था। हमने शुक्रवार को क्रूस की शक्ति और गुणों से चंगाई के लिए प्रार्थना की थी। और तीसरे दिन, रविवार को अर्थात पुनरुत्थान के दिन उस प्रार्थना का जवाब मिल गया। महान लेखक सी.एस. लुइस ने एक बार लिखा था, "जब तक कि लोगों के पास क्षमा करने के लिए कुछ न हो, तब तक वे सोचते हैं कि क्षमा एक सहज चीज है।" यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्षमा इच्छा शक्ति का कार्य है; जिसे हम चुनते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह निर्णय लेना आसान है, जितनी बार क्षमा करें, उतनी बार यह दुनिया में सबसे कठिन, सबसे दर्दनाक निर्णय की तरह लग सकता है, लेकिन जब हम येशु के नाम पर 'उन्हीं के द्वारा, उन्हीं के साथ, और उन्हीं में सब कुछ का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं', तब हम सीखते हैं कि 'परमेश्वर के साथ कुछ भी असंभव नहीं है' (लूकस 1:37)। यह आवश्यक है कि हम अपने आप से पूछें कि क्या हमारे जीवन में ऐसा कोई है जिसे हमें क्षमा करने की आवश्यकता है। येशु हमें सिखाते हैं, "जब तुम प्रार्थना के लिये खड़े हो, और तुम्हें किसी से कुछ शिकायत हो तो क्षमा कर दो, जिससे तुम्हारा स्वर्गिक पिता तुम्हारे अपराध क्षमा कर दे" (मारकुस 11:25)। इसलिए, हमें येशु के पास सब कुछ लाना चाहिए और उसे हमें स्वतंत्र करने की अनुमति देनी चाहिए, क्योंकि "यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र बना देगा, तो तुम सचमुच स्वतंत्र होगे (योहन 8:36)।
By: Sean Booth
Moreमैंने अपने कॉलेज के एक अध्यापक के माध्यम से धन्य चार्ल्स डी फुकॉल्ड द्वारा लिखित "परित्याग की प्रार्थना" (प्रेयर ऑफ़ अबान्डेन्मेंट) की परिवर्तन शक्ति को जाना। उन दिनों मैं और मेरे पति अस्थाई रूप से तीन छोटे बच्चों की देखरेख कर रहे थे। मैं मातृत्व की इस नई ज़िम्मेदारी के बोझ से जूझ रही थी, जब मेरे शिक्षक ने मुझे इस प्रार्थना को करने का सुझाव दिया। उनका मानना था कि यह प्रार्थना मुझे मानसिक शांति प्रदान करेगी। "अगर तुम अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहती हो," उन्होंने कहा, "तो फिर इस प्रार्थना को रोज़ किया करो... और अगर तुम अपने वैवाहिक जीवन में परिवर्तन लाना चाहती हो, तो इस प्रार्थना को अपने पति के साथ बोला करो!" यह सुन कर उत्साहित मन से मैंने उनके हाथों से वह प्रार्थना की पर्ची ली और जा कर उसे अपने बाथरूम के शीशे पर चिपका दिया। फिर मैं हर सुबह उस प्रार्थना को इस प्रकार ज़ोर ज़ोर से बोला करती थी: स्वर्गिक पिता, मैं अपने आप को आपके हाथों में सौंपती हूं; आपकी इच्छा मुझ में पूरी हो। आपकी जो भी इच्छा है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूं: मैं आपके हर फैसले के लिए तैयार हूं, मुझे सब मंज़ूर है। आपकी इच्छा मुझ में और सारे जीव जंतुओं में पूरी हो। इससे बढ़ कर मैं आपसे और कुछ भी नहीं मांग रही हूं, मेरे पिता। मैं अपनी आत्मा आपके हाथों में सौंपती हूं: मैं प्रेम भरे दिल से आपको यह भेंट चढ़ाती हूं, क्योंकि मैं आपसे प्रेम करती हूं, इसी लिए मैं खुद को समर्पित करती हूं, बिना किसी झिझक, बिना किसी मजबूरी के, मैं खुद को समर्पित करती हूं, अटूट और अनंत विश्वास से भर कर, मैं खुद को समर्पित करती हूं, क्योंकि आप मेरे पिता हैं। इस प्रार्थना ने बीस साल से हमारा साथ दिया है, हमारा मार्गदर्शन किया है। यह प्रार्थना येशु की दी गई प्रार्थना (हे हमारे पिता) पर आधारित है, और इस प्रार्थना ने तब हमारे रास्तों को रोशन किया जब हम उन बच्चों की देखरेख कर रहे थे। आखिर में हम ने उन में से दो बच्चों को साल 2005 में गोद ले लिया। हमारे जीवन की सारी दुख तकलीफों में मैंने इस प्रार्थना में आश्रय पाया, और अब जब मेरी मां हमारे साथ रहने लगी हैं, तब फिर से इस प्रार्थना ने मुझे सहारा दिया है। मेरी मां को जब भी डिमेंशिया या मनोभ्रंश घेर लेती है, तब इसी प्रार्थना के द्वारा मैं बहादुरी के साथ उनकी मदद कर पाती हूं। क्योंकि इस प्रार्थना ने मुझे ईश्वर के प्रेम पर अनंत विश्वास रखना सिखाया है। ईश्वर हम सब से बहुत प्रेम करते हैं।
By: Heidi Hess Saxton
Moreएक शक्तिशाली प्रार्थना जिसमें दया का द्वार खोलने के लिए सिर्फ 7 मिनट लगते हैं | उस दिन सूरज चमक रहा था और वह एक सुहावना दिन था। हमारे सामने के यार्ड में विशाल पानीदार बाँझ वृक्षों से लटके हुए काई के मलबे से सड़क किनारे की घास चिपचिपा हो गयी थी। जब मैं डाक के बक्से की जाँच कर रही थी, मैंने देखा कि मेरे सबसे अच्छे दोस्तों में से एक लिया, गाडी लेकर सामने ड्राइव-वे में पहुँच गयी थी। वह तेजी से उतरकर मेरे पास आयी और मैं उसके चेहरे पर बड़ी परेशानी की लकीर देख रही थी। लिया ने कहा, “मेरी माँ दो दिन पहले अस्पताल गई थी। उसकी कैंसर कोशिकाएं उसके फेफड़ों से उसके मस्तिष्क तक फैल गई हैं”। लिया की खूबसूरत भूरी आँखें आँसुओं से झिलमिला उठीं जो उसके गालों से बह रही थीं। उसे देखकर मेरा दिल दहल गया। मैंने उसका हाथ थाम लिया। "क्या मैं उसे देखने के लिए तुम्हारे साथ जा सकती हूँ," मैंने पूछा। "हाँ, मैं आज दोपहर वहाँ जा रही हूँ," उसने कहा। "ठीक है, मैं तुमसे वहाँ मिलूँगी," मैंने कहा। जब मैंने अस्पताल के कमरे में प्रवेश किया, तब लिया अपनी माँ के बिस्तर के पास बैठी थी। उसकी माँ ने मेरी तरफ देखा, उसका चेहरा दर्द के कारण मरोड़ा हुआ था। मैं आज आपसे मिलने आयी, मेरे आने से आप को कोई परेशानी नहीं हुई है न ?" मैंने कहा। "बिलकुल नहीं। तुम्हें फिर से देखकर अच्छा लग रहा है”, उन्होंने कहा। उन्होंने कमजोर लेकिन दयालुतापूर्ण आवाज़ में मुझसे पूछा: "क्या तुम्हारे उस पुरोहित मित्र ने इन दिनों तुमसे बात की है?" "हाँ, हम अक्सर एक दूसरे से बात करते हैं”, मैंने कहा। उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुश हूं कि मुझे उस दिन उनसे मिलने का अवसर मिला था"। लिया और मैं एक माला विनती समूह के हिस्से थे जो हर हफ्ते उस समय मिलते थे जब उसकी माँ की बीमारी की पहली बार पता चल गया था। एक पुरोहित, जो अपने आध्यात्मिक वरदानों के लिए प्रसिद्ध थे, हमारी एक सभा में आये थे और हम उत्सुक थे कि वे हमारी प्रार्थना सभा में शामिल हो और हमें पाप स्वीकार और मेलमिलाप का संस्कार दें । लिया की माँ का पालन-पोषण कैथलिक विश्वास में हुआ था, लेकिन जब उन्होंने शादी की, तो उन्होंने अपने पति के परिवार के सदृश बनने और पति के यूनानी ऑर्थोडॉक्स विश्वास को अपनाने का फैसला किया। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों की अवधि में, उन्हें किसी भी धर्म समुदाय के साथ अच्छा नहीं महसूस हो रहा था। लिया चिंतित थी कि उसकी माँ इतने सालों से चर्च और संस्कारों से दूर थी, इसलिए लिया ने उसे हमारे रोज़री माला प्रार्थना समूह में आमंत्रित किया ताकि हमारे विशेष पुरोहित से उनकी मुलाक़ात हो सके। जब पुरोहित जाने की तैयारी कर रहे थे, तब लिया की माँ पिछले दरवाजे से पीछे के कमरे में चली गई। लिया ने मुझे एक राहत भरी मुस्कान दी। पीछे वाले कमरे में उसकी माँ और पुरोहित ने लगभग बीस मिनट तक अकेले बात की। बाद में, लिया ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि उसकी माँ को लग रहा था की पुरोहित उनके प्रति बड़े दयालु और क्षमा से भरपूर थे। माँ ने लिया से कहा कि उनकी आपसी बातचीत के बाद, उस पुरोहित ने उसका पाप स्वीकार सुना था, और वह शांति से भर गई थी। अब, अस्पताल के बिस्तर पर लेटी हुई लिया की माँ, पहले जैसी नहीं दिखती थी। उसकी त्वचा का रंग और उसकी आंखों का रंग-रूप एक लंबी बीमारी के थकान और पीड़ा के कहर को प्रकट कर रहे थे। मैंने उनसे पूछा, "क्या आप हमारे साथ, एक साथ प्रार्थना करना चाहेंगी? करुणा की माला विनती नामक एक विशेष प्रार्थना है। यह एक शक्तिशाली प्रार्थना है जिसे येशु ने दुनिया भर में अपनी करुणा फैलाने के लिए सिस्टर फॉस्टिना नाम की एक साध्वी को दी थी। इसमें लगभग सात मिनट लगते हैं और प्रार्थना के वादों में से एक यह है कि जो लोग इस प्रार्थना को बोलते हैं वे न्याय के बजाय दया के द्वार से प्रवेश करेंगे। मैं अक्सर यह प्रार्थना करती हूं" । लिया की माँ ने एक भौं उठाकर मेरी ओर देखा और उन्होंने मुझसे पूछा: "यह कैसे सच हो सकता है?" मैंने सवाल उठाया, "आपका क्या मतलब है?" "क्या तुम मुझे बता रही हो कि यदि कोई कठोर अपराधी मरने से कुछ मिनट पहले प्रार्थना करता है, तो वह न्याय के बजाय दया के द्वार से प्रवेश करता है? यह सही नहीं लगता”, उन्होंने कहा। "जी हाँ, अगर एक कठोर अपराधी वास्तव में प्रार्थना करने, और ईमानदारी से प्रार्थना करने के लिए समय निकालता है, तो उसने कुछ भी अपराध किया हो, पर उसके बावजूद उसमें आशा होनी चाहिए। कौन कहेगा कि कब और कैसे ईश्वर के लिए उसका हृदय खुल जाए? मेरा मानना है कि जहां जीवन है वहां आशा है।" उसने मुझे गौर से देखा। मैंने बोलना जारी रखा। "यदि आपका पुत्र एक कठोर अपराधी होता, तो क्या आप उसके अपराधों से घृणा करते हुए भी उससे प्रेम नहीं करती? चूँकि उसके लिए आपके मन में अपार प्रेम है, क्या आप हमेशा उसके हृदय परिवर्तन की आशा नहीं करेंगी?" "हाँ," उन्होंने कमजोर आवाज़ में कहा। "जितना हम अपने बच्चों से कभी प्यार कर सकते हैं, उस से बहुत अधिक ईश्वर हमसे प्यार करता है, और वह अपनी दया से किसी के भी दिल में प्रवेश करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। वह बड़ी क्षमा और बड़ी इच्छा के साथ उन क्षणों की प्रतीक्षा करता है क्योंकि वह हमसे बहुत प्यार करता है।" उन्होंने हाँ में सिर हिलाया। उन्होंने कहा: "यह बात समझ में आ रही है। हाँ, तुम्हारे साथ मैं यह प्रार्थना करूँगी"। हम तीनों ने एक साथ दिव्य करुणा की माला विनती की, कुछ और मिनट बातें की, और फिर मैं चली गयी। बाद में उस शाम लिया ने मुझे फोन किया। "मेरी माँ की नर्स ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि मेरे अस्पताल छोड़ने के ठीक बाद माँ ने होश खो दिया।" हमने एक साथ उस दुःख को झेला, प्रार्थना की और उसकी माँ के ठीक होने की आशा की। कुछ दिनों बाद लिया की माँ की मृत्यु हो गई। उस रात को मैंने एक सपना देखा था। सपने में मैं उसके अस्पताल के कमरे में गयी और मैंने पाया कि वह एक सुंदर लाल पोशाक पहने हुए बिस्तर पर बैठी है। वह दीप्तिमान लग रही थी, जीवन और आनंद से भरपूर, कान से कान तक मुस्कुरा रही थी। उनकी मौत के बाद जागरण की रात को जब मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ताबूत के पास पहुँची, तो मैं उसे लाल रंग की पोशाक पहने देखकर दंग रह गयी! एक सिहरन मेरी रीढ़ के अन्दर तक दौड़ी। मैं ने इस से पहले लाल रंग की पोशाक पहनाई गयी किसी भी मृतक की लाश को नहीं देखा था। यह बेहद परंपरा से हटकर और पूरी तरह से अप्रत्याशित था। अंतिम संस्कार के बाद मैंने लिया को पकड़ लिया और उसे एक तरफ खींच लिया। "तुमने अपनी माँ को लाल पोशाक क्यों पहना दी?" मैंने पूछ लिया। "मैंने और मेरी बहन ने इस पर चर्चा की और फैसला किया कि हम माँ को उनकी पसंदीदा पोशाक में रखेंगे। क्या तुम्हें लगता है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था?” उसने पूछा। "नहीं, ऐसा नहीं। जिस रात तुम्हारी माँ की मृत्यु हुई, मैंने सपना देखा था कि मैं उसके अस्पताल के कमरे में चली गयी, उसके चेहरे पर अति सुन्दर मुस्कुराहट देखी … और वह लाल पोशाक पहनी हुई थी!” मैंने कहा। लिया का मुंह खुला ही रहा और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। "क्या? ऐसा संभव है?” उसने पूछा। "जी हाँ, यह सच है," मैंने कहा। आंसू बहाते हुए लिया ने कहा, "आप और मैं आखिरी लोग थे जिन्हें माँ ने अपना दिमाग बंद होने से पहले देखा था। और इसका मतलब है कि उनका आखिरी काम ईश्वरीय करुणा की माला विनती थी!" मैंने लिया को अपनी बाँहों में लिया और उसे गले लगा लिया। उसने कहा, "मैं बहुत आभारी हूं कि आप उस दिन मेरे साथ आई थी और हमने अपनी माँ के साथ बैठकर एक साथ प्रार्थना की थी और इससे पहले कि वह होश खो दे, मैं उसके साथ समय बिता पायी थी। मैं इस सत्य से बाहर नहीं निकल पा रही हूँ कि आपने उसे अपने सपने में इतना खुश और लाल रंग की पोशाक पहने देखा था। मुझे लगता है कि येशु हमें बता रहे हैं कि माँ ने वास्तव में दया के द्वार से प्रवेश किया था, धन्यवाद येशु।" मैंने जोड़ा, "आमेन"।
By: Rosanne Pappas
Moreक्या आप अपने प्रिय जनों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं? यह कहानी आप में आशा का नया संचार करेगी। कल की ही बात है ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो, मैं अपने घर की बैठक में मेरे होने वाले ससुर जी के साथ बैठी हुई थी। यह पहली बार था जब मैं अपने बॉयफ्रेंड के माता पिता से मिल रही थी और मैं काफी घबराई हुई थी। रात को भोजन करने के बाद परिवार के बाकी लोग इधर उधर चले गए थे, तो कमरे में मैं और मेरे होनेवाले ससुरजी ही थे। मैंने उनके बारे में काफी कुछ सुन रखा था, इसीलिए मैं उनसे बात करने का यह अवसर पाकर काफी उत्साहित थी। हैरी बड़े ही लाजवाब इंसान थे, और बहुत मज़ाकिया भी। वे छह बच्चों के पिता थे, वे मेहनती थे, उन्होंने कई पुरस्कार जीते थे और वे सेना में भी रह चुके थे। मैं उनके सबसे बड़े बेटे से शादी करने वाली थी। मैंने उनके बारे में जितना भी सुना था, अच्छा ही सुना था, इसीलिए मैं चाह रही थी कि उनसे मेरी अच्छी मुलाक़ात हो और मैं उन्हें पसंद आऊं। मैं भी उन लोगों की तरह एक बड़े कैथलिक परिवार से थी, और मुझे उम्मीद थी कि उन्हें यह बात पसंद आएगी। मैं जानती थी कि हैरी कैथलिक विशवास में बड़े हुए थे, पर फिर उन्होंने कैथलिक चर्च छोड़ कर शादी कर ली थी और अपना पारिवारिक जीवन शुरू किया था। उनके बारे में एक यही बात थी जो मुझे हज़म नहीं हुई थी। मैं जानना चाहती थी कि ऐसा क्या हुआ होगा, जिसकी वजह से उन्हें अपनी युवावस्था में उस विश्वास से मुंह मोड़ना पड़ा जो उन्हें इतना प्रिय था। इसीलिए बातें करते करते जब हम धर्म के बारे में बात करने लगे तब मैंने उन्हें बताया कि कैसे मेरा विश्वास मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उन्होंने बिना कोई रुचि दिखाए मुझे बताया कि कभी वे भी कैथलिक हुआ करते थे और वेदीसेवक के रूप में पुरोहित की मदद भी किया करता था, पर अब उन्हें शायद प्रभु की प्रार्थना भी याद नहीं थी। उन्हें बुरा ना लगे इसीलिए मैंने उनसे बस इतना कहा कि यह बड़े ही दुख की बात थी। तब से उनसे की गई बातें मैंने अपने दिल में सहेज कर रख ली थीं। झिलमिलाती रौशनी उस बात को अब कई साल गुज़र गए थे। मैं और मेरे पति अक्सर हैरी के लिए प्रार्थना किया करते थे, इस उम्मीद में कि एक दिन वह कैथलिक विश्वास में वापस लौट आएंगे। हैरी ने हमारी शादी के मिस्सा में भाग लिया था। उन्होंने हमारे बच्चों के संस्कारों के मिस्सा में भी भाग लिया था, और उन्होंने उस मिस्सा बलिदान में भी भाग लिया था जिसमें मेरे पति ने कैथलिक विश्वास को अपनाया था। जब मैं अपने पति को मेरी आंखों के सामने बपतिस्मा लेते देख रही थी तब मेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उसी वक्त मुझे अपने ससुरजी से की हुई वह बात याद आई, और हालांकि उस बात को अब दस साल गुज़र चुके थे, फिर भी मेरा मन गुस्से से भर गया। मुझे गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि इतने साल मेरे ससुरजी ने मेरे पति को विश्वास से दूर रखा था। मेरे पति बच्चों को नमूने के माध्यम से सिखाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने मेरे विश्वास को बढ़ावा देने के साथ ही बच्चों की ठोस परवरिश के लिए खुद भी कैथलिक विश्वास में कदम रखा। ताकि हमारे बच्चे हम दोनों से धार्मिक बातें सीख सकें। इसी विश्वास की झिलमिलाहट मैंने कहीं ना कहीं हैरी की आंखों में भी झिलमिलाती हुई देखी थीं। और मुझे विश्वास था कि उनके दिल में दबा हुआ ही सही, पर उनका विश्वास आज भी सांस ले रहा था। जब मेरे पति को कैंसर की बीमारी ने जकड़ा, तब मेरे ससुरजी ने मुझसे अकेले में यह स्वीकार किया कि वे मेरे पति के लिए मां मरियम से प्रार्थना कर रहे थे, क्योंकि उनकी हमेशा से मां मरियम में श्रद्धा रही है। उन्होंने कभी इस बारे में किसी को भी नहीं बताया था, लेकिन उन्होंने मेर साथ यह राज़ साझा किया। उनका यह राज़ सुनकर मैं बहुत खुश हुई थी क्योंकि मेरी प्रार्थना सच साबित हुई थी, उनमें आज भी विश्वास की किरण मौजूद थी। इसके बाद मैं और मेरे पति मेरे ससुरजी की कैथलिक विश्वास में पूरी तरह वापसी के लिए और भी ज़ोर शोर से प्रार्थना करने लगे। एक बहुमूल्य तोहफा साल 2020 कई लोगों के लिए बड़ा ही बुरा साल साबित हुआ, और मेरे ससुरजी के लिए भी वह साल तकलीफ भरा रहा। पीठ के बल गिरने की वजह से उन्हें काफी चोट आई थी, और उन्हें हफ्तों तक सबसे दूर रहना पड़ा था। उनकी तबियत खराब होने लगी थी, और हम बस उनके मज़बूत शरीर को दिन पर दिन कमज़ोर होता देख रहे थे। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि अब उन्हें पागलपन के दौरे आना शुरू हो गए थे। इन सब के बीच मेरे पति ने मेरे ससुरजी से जा कर पूछा कि क्या वह किसी कैथलिक पुरोहित से मिलना चाहेंगे? उनकी हां ने हमें बड़ा आश्चर्यचकित किया, इसके साथ ही उन्होंने मुझसे येशु की सिखाई प्रार्थना की एक कॉपी भी मांगी ताकि वह ईश्वर की प्रार्थना को याद कर सकें। एक बार फिर से मुझे उनके साथ पहली मुलाकात याद आई, पर इस बार मैं उत्साहित थी। आने वाले दिनों में मेरे पति एक कैथलिक पुरोहित को मेरे ससुरजी से मिलाने ले गए क्योंकि मेरे ससुरजी अब चल फिर नहीं पा रहे थे। हैरी ने पाप स्वीकार संस्कार लिया फिर अपने बेटे के हाथों परम प्रसाद ग्रहण किया। हैरी का साठ साल बाद यह दोनों संस्कार ग्रहण करना उनकी आत्मा के लिए किसी बहुमूल्य तोहफे से कम नहीं था। हैरी को रोगी विलेपन संस्कार दिया गया, और इन्हीं संस्कारों की बदौलत उनके जीवन के आखिरी हफ्ते शांति से गुज़रे। मेरे ससुरजी के आखिरी दिनों में मेरे पति उनके लिए एक रोज़री माला ले आए और हमारा पूरा परिवार मेरे ससुरजी के बिस्तर के पास बैठ कर रोज़री माला बोला करता था, क्योंकि हम जानते थे कि अब वह अनंत जीवन के बहुत करीब आ चुके थे। क्योंकि मेरे ससुरजी की मां मरियम में हमेशा से श्रद्धा रही थी, इसीलिए हमने रोज़री माला कह कर उन्हें अलविदा कहना ठीक समझा। इन सब के बाद हैरी सुकून से स्वर्ग सिधार गए और इस कृपा के लिए हमारा पूरा परिवार दिल से प्रभु ईश्वर और मां मरियम का शुक्रगुज़ार रहेगा। क्योंकि उन्हीं की बदौलत हैरी मरने से पहले कैथलिक विश्वास में लौट सके। हमें इस बात से शांति मिलती है कि हैरी की आत्मा अब शांति में, प्रभु के सानिध्य में स्वर्गदूतों के बीच निवास कर रही है। हां यह बात सच है कि मेरे ससुरजी को अपने विश्वास को फिर से अपनाने में कई साल लग गए, और हमें भी उनके लिए प्रार्थना करते हुए, उन्हें मनाते हुए कई साल लग गए। पर हम इस बात को झुठला नहीं सकते कि इन सब के बीच उनके अंदर उनका विश्वास कहीं ना कहीं हमेशा से झिलमिला रहा था। और यह हमारे लिए ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा थी।
By: Mary Therese Emmons
Moreमाला विनती जिसे हम रोज़री माला की प्रार्थना भी कहते हैं, एक अंतरंग आध्यात्मिक बातचीत है जिस के द्वारा आप अपने डर, अपनी जरूरतों और इच्छाओं को धन्य कुँवारी मरियम और ईश्वर के सम्मुख प्रकट करते हैं। जीवन में जो कुछ भी आप चाहते हैं उसे पूरा करने और असंभव को आप के जीवन से दूर करने के लिए जपमाला आपको आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। यह ध्यानपूर्ण आध्यात्मिक वार्तालाप को कभी भी और जहाँ कहीं भी जाने पर आप कर सकते हैं। आप इसे सामूहिक परिदृश्य में या स्वयं अकेले भी कर सकते हैं। आप अपने बच्चों के साथ, अपने जीवनसाथी के साथ या जिस व्यक्ति को आप प्यार कर रहे हैं, और अपने दोस्तों के साथ माला विनती की प्रार्थना कर सकते हैं। आप इसे अपना पारिवारिक कार्यक्रम बना सकते हैं। आप खाना बनाते समय, गाड़ी चलाते समय, सार्वजनिक परिवहन में चलते समय, लाइन में प्रतीक्षा करते हुए, या स्नान करते समय भी माला विनती की प्रार्थना कर सकते हैं। आप माला विनती की प्रार्थना कहाँ कहाँ कर सकते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है। हर बार जब आप माला विनती की प्रार्थना करते हैं, आप अधिक आध्यात्मिक रूप से सशक्त हो जाते हैं, आप अधिक चंगाई, अधिक आत्मविश्वास, अधिक प्रेरणा, अपने जीवन में अधिक चमत्कारी परिवर्तन, अधिक आध्यात्मिक जागरूकता और अपने जीवन में अधिक दिव्य कृपा प्राप्त करते हैं। हाँ... माला विनती में चमत्कारी शक्ति है! माला विनती की प्रार्थना आपको अपने लिए और दुनिया के लिए शांति देती है, और आपके लिए और अपने परिवार के लिए उत्कृष्ट उद्देश्य, शक्ति, जीत, चंगाई, चमत्कार, शांति, स्पष्टता, दृढ़ संकल्प, दृष्टि, एकता और सद्भाव देती है। जब आप माला विनती करते हैं तब आपके जीवन में और भी आशीषें प्रवेश कर सकती हैं! हर बार जब आप माला विनती की प्रार्थना करते हैं, तब आपकी आत्मा नई आशा, प्रेरणा, ऊर्जा और चंगाई से भर जाती है। मैं इसकी एक गवाह हूं। प्रत्येक ‘प्रणाम मरिया’ प्रार्थना अनुग्रह का क्षण है, दया का क्षण है, चंगाई का क्षण है, आशा का क्षण है, कृतज्ञता का क्षण है, नम्रता का क्षण है और आत्म समर्पण का क्षण है। जब भी आपको संदेह होता है, या आप अपने लक्ष्यों तक पहुँचने में बाधा का सामना करते हैं; जब भी आप अकेला, उदास या आशंकित महसूस करते हैं; हर बार जब आप अनुभव करते हैं कि दूसरे आप को धमकाते हैं, तिरस्कृत करते हैं या मानो पूरी दुनिया आपके खिलाफ हो, तो अपने मन, शरीर और आत्मा को मजबूत करने के लिए अपने दिल में विश्वास और प्यार के साथ माला विनती करें। आध्यात्मिक रूप से सशक्त करने वाला यह शस्त्र आपको हार न मानने और विजयी होने के लिए प्रोत्साहित करेगा। व्यक्तिगत निवेदन करने और दूसरों और दुनिया की जरूरतों के लिए प्रार्थना करने के लिए विशेष रूप से चंगाई की प्रार्थना के लिए माला विनती आपके काम आवें। चिंतन और प्रार्थना के उन पलों में, जब आप सुसमाचार की घटनाओं के लिए परमेश्वर और धन्य कुँवारी मरियम के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं, तब आप आवश्यक आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप माला विनती के बारे में नहीं जानते हैं, तो यह आपके लिए इसकी शक्ति को खोजने और इसे आजमाने का अवसर है! माला सबसे बड़ी विरासतों में से एक है जिसे आप अपने बच्चों के लिए छोड़ सकते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करने के लिए यह एक शानदार उपहार है।
By: Dahla Louis
Moreमारियो फोर्ट ने अपने जीवन का साक्ष्य देते हुए कहा : "मैं अपनी दृष्टि नहीं बल्कि अपने विश्वास के सहारे आगे बढ़ता हूं"। मुझे जन्म से ही ग्लूकोमा था, इसलिए मेरे जीवन की शुरुआत से ही मुझे अपनी बाईं आंख से थोड़ा थोड़ा और दाईं आंख से कुछ भी नही दिखता था। जैसे जैसे साल गुज़रते गए मेरी आंखों के ऑपरेशन होते गए। कुल मिला कर मेरी तीस से ज़्यादा सर्जरियां हुई हैं। मेरी पहली सर्जरी तब हुई जब मैं तीन महीने का था। जब मैं सात साल का था तब डॉक्टरों ने इस उम्मीद में मेरी दाईं आंख निकाल दी कि शायद ऐसा करने से मेरी बाईं आंख बच जाएगी। जब मैं बारह साल का था, स्कूल से घर जाते वक्त मैं सड़क पार कर रहा था, तब एक गाड़ी ने मुझे टक्कर मार दी। धक्के की वजह से मैं हवा में उछल कर बड़ी ज़ोर से ज़मीन पर जा गिरा, जिससे मेरी आंख पर बड़ी गहरी चोट आई। इन सब की वजह से मेरी और सर्जरियां हुईं, मुझे तीन महीने तक स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ी, जिसकी वजह से मुझे सातवी कक्षा की परीक्षाएं फिर से देनी पड़ीं। सब कुछ संभव है जब मैं छोटा बच्चा था, तब यह अंधापन मेरे लिए बिल्कुल सामान्य सी बात थी, क्योंकि मैं अपनी दृष्टि को किसी और की दृष्टि से तोल तो नहीं सकता था। लेकिन फिर ईश्वर ने मुझे अंतर्दृष्टि दी। बहुत छोटी उम्र से ही बिना किसी के सिखाए मैं ईश्वर से उसी तरह बात किया करता था, जिस तरह मैं हर उस इंसान से बात करता था जिसे मैं ठीक से देख नही पाता था। पहले मैं बस अंधेरे और रौशनी में फर्क कर पाता था। पर एक दिन, पलक झपकते ही मेरी आंखों के सामने ऐसा अंधेरा छा गया जैसे किसी ने कमरे की बत्ती बुझा दी हो। और हालांकि तब से ले कर आज तक लगभग तीस साल मैंने इसी अंधियारे में काटे हैं, फिर भी ईश्वर की कृपा मुझे हिम्मत के साथ आगे बढ़ने में मदद करती है। अब मैं दुनिया की रौशनी को नहीं, बल्कि ईश्वर की रौशनी को देखता हूं। बिना ईश्वर के, मैं एक लकड़ी के टुकड़े से बढ़ कर नहीं हूं। पवित्र आत्मा मेरे लिए सब कुछ संभव बनाती है। कभी कभी लोग भूल जाते हैं कि मैं अंधा हूं क्योंकि मैं घर में चल फिर पाता हूं, मैं कंप्यूटर चला लेता हूं और अपना खयाल भी खुद रख लेता हूं। इन सब का श्रेय मेरे माता पिता को जाता है, जिन्होंने मुझे हमेशा हर काम खुद से करने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरे पिता बिजली का काम करते थे और वे अक्सर मुझे अपने साथ काम पर ले जाते थे ताकि मैं उनके काम के बारे में सीख सकूं। उन्होंने ही मुझे बिजली के कई काम खुद करने सिखाए। उन्होंने मुझे अपने दिमाग से फैसले लेने सिखाए, ताकि मैं सोच समझ कर चीज़ें अपने आप ही ठीक कर सकूं। मेरी मां ने अपने प्यारे स्वभाव के द्वारा मुझमें विश्वास के बीज बोए। मां हमारे साथ हर दिन रोज़री माला और करुणा की माला बोला करती थी, इसीलिए ये दो प्रार्थनाएं मुझे आज भी मुंह ज़बानी याद है। इन्हीं सब की बदौलत मैंने मेहनत कर के आईटी की डिग्री हासिल की। उन्हीं के प्रोत्साहन की वजह से मैं अपने शिक्षकों से मदद ले पाया। इसके बाद हम लाइब्रेरी जा कर नोट्स जमा किया करते थे, ताकि रॉयल ब्लाइंड सोसाइटी उन नोट्स को मेरे लिए ब्रेल लिपि में तैयार कर सके। ईश्वर का बुलावा अपनी युवावस्था में मेरे साथ एक ऐसा अनुभव हुआ जहां मुझे ईश्वर की पुकार सुनाई दी। उस वक्त मुझे मेरी बाईं आंख से थोड़ा थोड़ा दिखाई देता था। उस वक्त मैं चर्च में प्रार्थना कर रहा था जब अचानक वेदी चमक उठी और मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जो कह रही थी, "आओ, मेरे पास आओ।" ऐसा तीन बार हुआ। तब से मुझे खुद पर ईश्वर के प्रेम और कृपा भरे हाथ का अनुभव होता है। इस बुलावे ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि शायद मैं पुरोहित बन सकता हूं। दूर से तो यह असंभव लग रहा था, पर ईशशास्त्र या थियोलजी की पढ़ाई ने मेरे विश्वास को दृढ़ किया। मैं अपने पल्ली पुरोहित के समर्थन से एक चमत्कारिक प्रार्थना सभा में पवित्र कृपा की प्रार्थना का मार्गदर्शन करने लगा। और चाहे मुझे कितनी भी दुख तकलीफों का सामना करना हो, फिर भी मुझे इस बात की खुशी है कि मैं ईश्वर की सेवा कर पा रहा हूं। और जिन लोगों से मैं पवित्र कृपा की आराधना, रात्रि आराधना, और चालीस दिन की प्रार्थनाओं के वक्त मिला, आगे चल कर उन्हीं लोगों ने तब मेरी मदद की जब मेरे माता पिता, मेरी बहन और मेरी भतीजी की मृत्यु हुई। अब ये अंजान लोग ही मेरा परिवार हैं, और वे मेरी रोज़मर्रा की ज़रूरतों से ले कर आने जाने की सारी समस्याओं का खयाल रखते हैं। दिल की गहराई में जब मेरी आंखों की रौशनी चली गई थी, तब मेरी ज़िंदगी की सबसे बुरी घटना वह नही थी, बल्कि जब मैंने अपने सबसे करीबी लोगों को खो दिया, तब मुझे लगा कि यह सव से बुरी घटना है। इसीलिए मैं ईश्वर का शुक्रगुज़ार हूं कि उन्होंने मुझे ऐसे दोस्त दिये, जो मेरे साथ मेरे अपनों की कब्र पर गए और उनकी आत्माओं के लिए करुणा की माला वाली प्रार्थना बोले। मैं हमेशा सकारात्मक चीज़ों पर ध्यान लगाने की कोशिश करता हूं। मैं उन चीज़ों पर ध्यान देता हूं जो मेरे पास है, ना कि उन पर जो मुझे नही दी गई हैं। मैं अपनी पूरी कोशिश करता हूं कि ईश्वर के दूसरों से अपने जैसा प्रेम करने की इश्वर की आज्ञा का पालन कर सकूं। हर दिन मेरी कोशिश रहती है कि मैं ईश्वर को प्रथम स्थान पर रखूं और उनके सुसमाचार के हिसाब से कार्य करूं। संत पौलुस ने कहा है, "हम आंखों देखी बातों पर नही, बल्कि विश्वास पर चलते हैं" (2 कुरिंथियों 5:7)। मैं अक्सर मज़ाक मज़ाक में कहता हूं कि मैं सच में ऐसे ही चल फिर पाता हूं। यह छोटा सा वचन कितना गहरा है। हमें अपनी मेहनत का फल इस जीवन में देखने को नही मिलेगा। फिर भी, ईश्वर की दाखबारी में काम करने में कितना आनंद है। येशु ने मेरे लिए दुख उठाया और मरे। हर एक व्यक्ति यह कह सकता है। जो कोई भी ईश्वर को जानना चाहता है वह आ कर उसे ग्रहण कर सकता है। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमें यह मौका दिया है कि हम उसकी महिमामय उपस्थिति में भाग ले सकते हैं। उसका जीवित वचन हमें पुनरुत्थान की आशा से भरता है, ताकि हम हर दिन उसकी उपस्थिति में गुज़ार सकें और उसके प्रेम के नियम का पालन कर सकें। यह सब सोच कर मेरा दिल ईश्वर की प्रशंसा में गा उठता है आलेलुयाह ! हे सर्वशक्तिमान शाश्वत ईश्वर, अपने परम प्रिय पुत्र के हृदय पर दृष्टि डाल और जो स्तुति तथा प्रायश्चित पापियों के नाम पर उन्होंने तुझे चढ़ाया है, उस पर भी ध्यान दे। इससे प्रसन्न हो कर तेरी दया मांगने वालों को क्षमा कर। यह निवेदन हम करते हैं, उन्हीं प्रभु ख्रीस्त के द्वारा, जो तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं। आमेन।
By: Mario Forte
Moreमुसीबत के समय में, क्या आपने कभी सोचा है कि 'काश कोई मेरी मदद करता'? आप शायद अनभिज्ञ हैं कि वास्तव में आपकी मदद करने के लिए आपके पास आपके अपने एक निजी समूह है। मेरी बेटी मुझसे आजकल पूछती है कि अगर तुम सौ प्रतिशत पोलिश (पोलन्ड की) हो तो तुम सामान्य पोलेंड-वासी की तरह क्यों नहीं दिखती हो। पिछले सप्ताह तक मेरे पास इसका कोई सही उत्तर नहीं था, फिर मुझे पता चला कि मेरे कुछ पूर्वज दक्षिणी पोलैंड के गोरल हाइलैंडर्स यानी गोरल गोत्र समुदाय के पहाड़ी लोग थे। गोरल हाइलैंडर्स पोलेंड की दक्षिणी सीमा पर पहाड़ों में रहते हैं। वे अपनी दृढ़ता, स्वतंत्रता के प्रति प्रेम, तथा विशिष्ट पोशाक, संस्कृति और संगीत के लिए जाने जाते हैं। इस समय, एक विशेष गोरल लोक गीत मेरे दिल में बार-बार गूंजता रहता है, उस गीत ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैंने अपने पति के साथ उस गीत को साझा किया कि यह गीत वास्तव में मुझे अपने देश में वापस बुला रहा है। यह जानकर कि मेरा वंशीय इतिहास गोरल है, वास्तव में मेरा दिल ख़ुशी से उच्छल रहा है! वंशावली की खोज मेरा मानना है कि हममें से प्रत्येक के अन्दर अपनी वंशावली की खोज करने की इच्छा होती है। यही कारण है कि इन दिनों कई वंशावली साइट और डीएनए-जांच के व्यवसाय सामने आए हैं। ऐसा क्यों? शायद यह चाह हमें बतलाती है कि हम अपने से भी बड़ी किसी चीज़ का हिस्सा हैं। जो हमसे पहले इस दुनिया से चले गए हैं, उन लोगों के साथ हम मायने और संबंध की चाहत रखते हैं। हमारे वंश की खोज से पता चलता है कि हम एक बहुत गहरे कथानक का हिस्सा हैं। इतना ही नहीं, बल्कि अपनी पैतृक जड़ों को जानने से हमें पहचान और एकजुटता की भावना मिलती है। हम सभी कहीं न कहीं से आए हैं, हम कहीं न कहीं के वासी हैं, और हम एक साथ यात्रा कर रहे हैं। इस पर विचार करने पर मुझे एहसास हुआ कि केवल अपनी भौतिक ही नहीं, बल्कि अपनी आध्यात्मिक विरासत की खोज करना कितना महत्वपूर्ण है। आख़िरकार, हम मनुष्य शरीर और आत्मा हैं। हमें उन संतों को जानने से बहुत लाभ होगा जो हमसे पहले थे। हमें न केवल उनकी कहानियाँ सीखनी चाहिए, बल्कि उनसे परिचित भी होना चाहिए। संबंध ढूंढें मैं स्वीकारना चाहती हूँ कि मैं पहले किसी संत से मध्यस्थता मांगने की प्रथा में बहुत अच्छी नहीं रही हूँ। यह निश्चित रूप से मेरी प्रार्थना-दिनचर्या में एक नया जुड़ाव है। जिस चीज़ ने मुझे इस वास्तविकता से अवगत कराया वह संत फिलिप नेरी की यह सलाह थी: “आध्यात्मिक शुष्कता के खिलाफ सबसे अच्छी दवा खुद को ईश्वर और संतों की उपस्थिति में भिखारियों की तरह रखना है। और एक भिखारी की तरह, एक से दूसरे के पास जाना और उसी आग्रह के साथ आध्यात्मिक भिक्षा माँगना, जैसे कि सड़क पर एक गरीब आदमी भिक्षा माँगता है।“ पहला कदम यह जानना है कि संत कौन हैं। ऑनलाइन पर बहुत सारे अच्छे संसाधन मौजूद हैं। दूसरा तरीका है बाइबल पढ़ना। पुराने और नए विधान दोनों में शक्तिशाली मध्यस्थ हैं, और आप एक से अधिक मध्यस्थों से संबंधित हो सकते हैं। साथ ही, संतों और उनके लेखन पर अनगिनत किताबें हैं। मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें, और ईश्वर आपको आपके व्यक्तिगत मध्यस्थों के समूह तक पहुंचा देगा। उदाहरण के लिए, मैंने अपने संगीत की सेवकाई के लिए संत राजा दाउद से मध्यस्थता मांगी है। जब मुझे अपने पति के लिए या नौकरी चुनने के लिए मध्यस्थ की खोज करनी है तो मैं संत युसूफ के पास जाती हूँ। जब कलीसिया के लिए प्रार्थना करने का बुलावा मुझे मिलता है तो मैं संत जॉन पॉल द्वितीय, संत पेत्रुस और संत पिउस दसवें से मदद मांगती हूँ। मैं संत ऐनी और संत मोनिका की मध्यस्थता के माध्यम से माताओं के लिए प्रार्थना करती हूँ। बुलाहटों के लिए प्रार्थना करते समय, मैं कभी-कभी संत थेरेसा और संत पाद्रे पियो को पुकारती हूँ। यह सूची लम्बी है। तकनीकी समस्याओं के लिए धन्य कार्लो एक्यूटिस मेरे पसंदीदा हैं। संत जेसीन्ता और संत फ्रांसिस्को मुझे प्रार्थना के बारे में, तथा बेहतर तरीके से बलिदान अर्पित करने के बारे में सिखाते हैं। प्रेरित संत जॉन चिंतन करने में मेरी सहायता करते हैं। मैं अक्सर अपने दादा-दादी से मध्यस्थता की माँग करती हूँ, यह मैं नहीं बताती तो वह मेरी गलती होगी। जब वे हमारे साथ थे तब वे मेरे लिए प्रार्थना करते थे, और मैं जानती हूँ कि वे अनन्त जीवन में भी मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं। परन्तु मेरी सार्वकालिक पसंदीदा मध्यस्थ हमेशा हमारी सबसे प्रिय धन्य कुंवारी माता मरियम रही हैं। बस एक प्रार्थना की दूरी पर यह मायने रखता है कि हम किसके साथ समय बिताते हैं। हम क्या बन जायेंगे, यह इसी पर निर्भर करता है। वास्तव में हमारी चारों ओर "गवाहों का बादल" है जिससे हम वास्तविक रूप से जुड़े हुए हैं (इब्रानी 12:1)। आइए हम उन्हें बेहतर तरीके से जानने का प्रयास करें। हम सरल, हार्दिक प्रार्थनाएँ भेज सकते हैं जैसे, "हे संत ____, मैं आपको बेहतर तरीके से जानना चाहती/ता हूँ। कृपया मेरी सहायता करें।" इस विश्वास यात्रा में चलने के लिए हम अकेले नहीं हैं। हम एक जन समूह के रूप में, मसीह के शरीर के रूप में एक साथ मुक्त किये गए लोग हैं। संतों से जुड़े रहने से, हमें वह मार्ग मिलता है जो हमारी स्वर्गीय जन्मभूमि तक सुरक्षित यात्रा करने के लिए दिशा और ठोस सहायता प्रदान करता है। पवित्र आत्मा हमें अपनी आध्यात्मिक जड़ों से जुड़ने में मदद करे ताकि हम संत बन सकें और अपना अनंत जीवन ईश्वर के एक गौरवशाली परिवार के रूप में बिता सकें!
By: Denise Jasek
Moreजब अयोग्यता के विचार मन में आएं, तो यह आजमायें... उससे बदबू आ रही थी. उसका गंदा, भूखा शरीर उसकी बर्बाद विरासत की तरह नष्ट हो रहा था। उसे लज्जा ने घेर लिया। उसने सब कुछ खो दिया था - अपनी संपत्ति, अपनी प्रतिष्ठा, अपना परिवार - उसका जीवन टूटकर बिखर गया था। निराशा ने उसे निगल लिया था। फिर, अचानक, उसे अपने पिता का सौम्य चेहरा याद आया। सुलह असंभव लग रही थी, लेकिन अपनी हताशा में, वह “उठ कर अपने पिता के घर की ओर चल पडा। वह दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया, और दया से द्रवित हो उठा। उसने दौड़कर उसे गले लगा लिया और उसका चुम्बन किया। तब पुत्र ने उससे कहा, “पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरूद्ध और आपके विरुद्ध पाप किया है; मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा।'... लेकिन पिता ने कहा... 'मेरा यह पुत्र मर गया था और फिर से जी गया है; वह खो गया था और फिर मिल गया है!' और वे आनंद मनाने लगे” (लूकस 15:20-24)। ईश्वर की क्षमा स्वीकार करना कठिन है। अपने पापों को स्वीकार करने का अर्थ है यह स्वीकार करना कि हमें अपने पिता की आवश्यकता है। और जब आप और मैं पिछले अपराधों के कारण अपराधबोध और शर्मिंदगी से जूझ रहे हैं, तो आरोप लगाने वाला शैतान हम पर अपने झूठ से हमला करता है: "तुम प्रेम और क्षमा के योग्य नहीं हो।" लेकिन प्रभु हमें इस झूठ को अस्वीकार करने के लिए कहते हैं! बपतिस्मा के समय, ईश्वर की संतान के रूप में आपकी पहचान, आपकी आत्मा पर हमेशा के लिए अंकित हो गई। और उड़ाऊ पुत्र की तरह, आप अपनी असली पहचान और योग्यता की खोज करने के लिए बुलाये गए हैं। चाहे आपने कुछ भी किया हो, ईश्वर आपसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ते। "जो मेरे पास आता है, मैं उसे कभी नहीं ठुकराऊँगा।" (योहन 6:37)। आप और मैं कोई अपवाद नहीं हैं! तो, हम ईश्वर की क्षमा को स्वीकार करने के लिए व्यावहारिक कदम कैसे उठा सकते हैं? प्रभु को खोजें, उनकी दया को अपनाएं, और उनकी शक्तिशाली कृपा से बहाल हो जायें। प्रभु को खोजें अपने निकटतम गिरजाघर या आराधनालय को ढूंढें और प्रभु से आमने-सामने मुलाक़ात कर ले। ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह अपनी दयालु आँखों से, अपने निस्वार्थ प्रेम के माध्यम से स्वयं को देखने और पहचानने में आपकी मदद करे। इसके बाद, अपनी आत्मा की एक ईमानदार और साहसी सूची बनाएं। बहादुर बनो और मनन चिंतन करते हुए क्रूसित प्रभु येशु को देखो - अपने आप को प्रभु के पास लाओ। हमारे पापों की वास्तविकता को स्वीकार करना कठिन है, लेकिन एक सच्चा, कमजोर हृदय क्षमा का फल प्राप्त करने के लिए तैयार है। याद रखें, आप ईश्वर की संतान हैं—प्रभु आपको विमुख नहीं करेंगे! ईश्वर की दया को अपनायें अपराधबोध और शर्मिंदगी के साथ लड़ना, पानी की सतह के नीचे गेंद को पकड़ने की कोशिश करने जैसा हो सकता है। इसमें बहुत मेहनत लगती है! इसके अलावा, शैतान अक्सर हमें यह विश्वास दिलाता है कि हम ईश्वर के प्रेम और क्षमा के योग्य नहीं हैं। लेकिन क्रूस से, मसीह का रक्त और जल हमें शुद्ध करने, चंगा करने और बचाने के लिए बहता रहा। आप और मैं इस दिव्य दया पर मूल रूप से भरोसा करने के लिए बुलाये गए हैं। यह कहने का प्रयास करें: “मैं ईश्वर की संतान हूँ। येशु मुझसे प्यार करते हैं। मैं क्षमा के योग्य हूँ।” इस सत्य को हर दिन दोहराएँ। इसे ऐसी जगह लिखें, जहां आप अक्सर दृष्टि दौडाते हैं। प्रभु से प्रार्थना करें कि उनकी दया के कोमल आलिंगन में स्वयं को देने में वह आपकी सहायता करें। गेंद को जाने दो और इसे येशु को सौंप दो—ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है! बहाल हो जाएँ पापस्वीकार संस्कार में, हम ईश्वर के उपचार और शक्ति की कृपा से बहाल होते हैं। शैतान के झूठ के विरुद्ध लड़ें और इस शक्तिशाली संस्कार में मसीह से मुलाकात कर लें। यदि आप अपराधबोध या शर्मिंदगी से जूझ रहे हैं तो पुरोहित को बताएं, और जब आप अपने पश्चाताप के कार्य के बारे में बताएं, तो अपने दिल को प्रेरित करने के लिए पवित्र आत्मा को आमंत्रित करें। जैसे ही आप पाप मुक्ति के शब्द सुनते हैं, ईश्वर की असीम दया पर विश्वास करना चुनें: "ईश्वर आपको क्षमा और शांति दे, और मैं आपको पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम पर पापक्षमा प्रदान करता हूँ।" अब आप ईश्वर के अनंत प्रेम और क्षमा में बहाल हो गए हैं! अपनी असफलताओं के बावजूद, मैं हर दिन ईश्वर से उनके प्रेम और क्षमा को स्वीकार करने में मेरी मदद करने के लिए कहता हूं। हो सकता है कि हम उड़ाऊ पुत्र की तरह गिर गए हों, लेकिन आप और मैं अभी भी ईश्वर के बेटे और बेटियाँ हैं, उनके अनंत प्रेम और करुणा के योग्य हैं। ईश्वर आपसे प्रेम करता है, यहीं, इसी क्षण — उसने प्रेम के कारण आपके लिए अपना जीवन त्याग दिया। यह सुसमाचार की परिवर्तनकारी आशा है! इसलिए, ईश्वर की क्षमा को अपनाएं और साहसपूर्वक उसकी दिव्य दया को स्वीकार करने का साहस करें। ईश्वर की अनंत करुणा आपका इंतजार कर रही है! “नहीं डरो, मैंने तुम्हारा उद्धार किया है। मैंने तुमको अपनी प्रजा के रूप में अपनाया है।” (इसायाह 43:1)
By: Jody Weis
Moreबीसवीं सदी के आरंभिक यूनानी उपन्यासकार निकोलस कज़ान्तज़ाकिस का एक काव्यात्मक चिंतन है, जिसे मैं हर साल आगमन काल के आने पर अपने पलंग के बगल के टेबल पर रखता हूँ। उपन्यासकार कज़ान्तज़ाकिस येशु मसीह को एक किशोर के रूप में चित्रित करते हैं, जो दूर पहाड़ी की चोटी से इस्राएल के लोगों को देख रहा है, जो अभी अपनी सेवकाई शुरू करने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन अपने लोगों की लालसा और पीड़ा के प्रति पूरी तरह से, दर्द और बोझ के साथ संवेदनशील है। इस्राएल का परमेश्वर उनके बीच में है—परन्तु वे अभी इस सच्चाई को नहीं जानते। मैं इसे एक दिन अपने छात्रों को पढ़कर सुना रहा था, जैसा कि मैं प्रतिवर्ष, आगमन की शुरुआत में करता हूँ, और उनमें से एक ने कक्षा के बाद मुझसे कहा: "मैं शर्त लगा सकता हूँ कि प्रभु येशु अभी भी ऐसा ही महसूस करते हैं।" मैंने उससे पूछा कि उसका क्या मतलब है। उसने कहा: "आप जानते हैं कि येशु, वहाँ पवित्र मंजूषा के अन्दर से हमें ऐसे चलते हुए देखते हैं जैसे कि हम जानते ही नहीं कि वे वहां उपस्थित हैं।" तब से, मेरे पास आगमन प्रार्थनाओं में ऐसे येशु का चित्र है, जो मंजूषा में इंतजार कर रहे हैं, अपने लोगों की ओर देख रहे हैं - हमारी कराहें, हमारी दलीलें और हमारी पुकारें सुन रहे हैं। हमारा इंतज़ार करते हुए ... किसी न किसी तरह, ईश्वर हमारे पास आने के लिए यही तरीका चुनता है। मसीह का जन्म पूरे मानव इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना है, और फिर भी, ईश्वर चाहता था कि यह 'इतनी शांति से हो कि संसार अपने काम में व्यस्त रहा जैसा कि कुछ भी नहीं हुआ हो।' कुछ चरवाहों ने ध्यान दिया, और पूरब से आये ज्ञानियों ने भी ऐसा ही किया। (हम हेरोद का भी उल्लेख कर सकते हैं, जिसने सभी गलत कारणों से ध्यान दिया!)। फिर, जाहिरा तौर पर, पूरी बात भुला दी गई। कुछ समय के लिए। किसी न किसी तरह... इंतज़ार करते हुए कुछ ऐसा होना चाहिए जो हमारे लिए अच्छा हो। ईश्वर हमारे लिए इंतजार करने को चुनता है। वह हमें अपने लिए इंतज़ार करवाना चुनता है। और जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो मुक्ति का पूरा इतिहास प्रतीक्षा का इतिहास बन जाता है। तो, आप देखते हैं कि यहाँ अत्यावश्यकता के दो भाव हैं - कि हमें ईश्वर के आह्वान का उत्तर देने की आवश्यकता है तथा इसकी भी आवश्यकता है कि वह हमारी पुकार का उत्तर दे, और जल्द ही। स्तोत्रकार लिखता है, "हे प्रभु, जब मैं तुझे पुकारूं, मुझे उत्तर दे।" इस पद में कुछ बड़ी विनम्रता है, दर्द है, जो आकर्षक रूप से हमारा ध्यान खींचता है। स्तोत्र में एक अत्यावश्यकता है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि हमें धैर्य रखना और इंतजार करना सीखना चाहिए - आनंदमय आशा के साथ इंतजार करना चाहिए - और इंतजार में इश्वर का उत्तर ढूंढना चाहिए।
By: Father Augustine Wetta O.S.B
Moreछह साल की उम्र में, एक छोटी लड़की ने फैसला किया कि उसे 'जेल' और 'फाँसी' शब्द पसंद नहीं हैं। उसे क्या पता था कि 36 साल की उम्र में वह मौत की सज़ा पाए कैदियों के साथ घूम रही होगी। 1981 में, दो छोटे बच्चों की चौंकाने वाली हत्याएं सिंगापुर और दुनिया भर में पहले पन्ने की खबर बन गईं थीं। पूरी जांच के बाद एड्रियन लिम की गिरफ्तारी हुई, जिसने अपने कई ग्राहकों को यह विश्वास दिलाकर कि उसके पास अलौकिक शक्तियां हैं, उनका यौन शोषण किया, उनसे जबरन वसूली की और उन्हें बिजली के झटके की 'थेरेपी' देकर प्रताड़ित किया। उनमें से एक, कैथरीन, मेरी एक छात्रा थी जो अपनी दादी की मृत्यु के बाद अवसाद के इलाज के लिए उसके पास गई थी। उस आदमी ने उससे वेश्यावृत्ति कराई और उसके भाई-बहनों के साथ दुर्व्यवहार किया। जब मैंने सुना कि कैथरीन पर हत्याओं में भाग लेने का आरोप लगाया गया है, तो मैंने उसे येशु के पवित्र हृदय की सुंदर तस्वीर के साथ एक चिट्टी भेजी। छह महीने बाद, उसने जवाब में लिखा, "जब मैंने इतने बुरे काम किए हैं तो आप मुझसे कैसे प्यार कर सकती हैं?" अगले सात वर्षों तक मैं जेल में कैथरीन से साप्ताहिक मुलाकात करती रही। महीनों तक एक साथ प्रार्थना करने के बाद, वह ईश्वर और उन सभी लोगों से माफ़ी मांगना चाहती थी, जिन्हें उसने चोट पहुंचाई थी। अपने पापों को स्वीकार करने के बाद, उसे ऐसी शांति मिली, जैसे वह एक अलग ही अनोखा व्यक्तित्व हो। जब मैंने उसका रूपांतरण देखा, तो मैं खुशी से पागल हो गयी। लेकिन कैदियों के लिए मेरी सेवा अभी शुरू ही हुई थी! अतीत की ओर नज़र मैं 10 बच्चों वाले एक प्यारे कैथोलिक परिवार में बड़ी हुई। हर सुबह, हम सभी एक साथ पवित्र मिस्सा बलिदान के लिए जाते थे, और मेरी माँ हमें गिरजाघर के पास एक कॉफी शॉप में नाश्ता खिलाती थी। लेकिन कुछ समय बाद मेरे लिए शरीर के भोजन से ज्यादा, आत्मा के लिए भोजन का महत्त्व बढ़ गया। पीछे मुड़कर दखती हूँ तो पता चलता है कि मेरे बचपन में अपने परिवार के साथ सुबह-सुबह होती रही उन पवित्र मिस्साओं के द्वारा ही मेरे अन्दर मेरी बुलाहट का बीज बोया गया था। मेरे पिता ने हममें से प्रत्येक को विशेष रूप से अपने प्यार का एहसास कराया, और हम उनके काम से लौटने पर खुशी से उनकी बाहों की ओर दौड़ने से कभी नहीं चूके। युद्ध के दौरान, जब हमें सिंगापुर से भागना पड़ा, तो वे हमें घर पर ही पढ़ाते थे। वे हर सुबह हमें उच्चारण सिखाते थे और हमसे उस अनुच्छेद को दोहराने के लिए कहते थे जिसमें किसी को सिंग सिंग जेल में मौत की सजा सुनाई गई थी। छह साल की छोटी उम्र में ही मुझे एहसास हुआ था कि मुझे वह अंश पसंद नहीं है। जब मेरी बारी आई तो मैंने इसे पढ़ने के बजाय “प्रणाम रानी, दया की माँ” प्रार्थना का पाठ किया। मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि मैं एक दिन कैदियों के साथ प्रार्थना करुंगी। अभी देर नहीं हुई है जब मैंने जेल में कैथरीन से मुलाक़ात करना शुरू किया, तो कई अन्य कैदियों ने हमारे कार्य में रुचि दिखाई। जब भी किसी कैदी ने मुलाकात का अनुरोध किया, तो मुझे उनसे मिलकर और ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया साझा करके खुशी हुई। ईश्वर एक प्यारा पिता है जो हमेशा हमारे पश्चाताप करने और उसके पास वापस आने का इंतजार कर रहा है। एक कैदी जिसने कानून तोड़ा है वह उड़ाऊ पुत्र के समान है, जो जीवन के सबसे निचले पांवदान पर लुढ़क गया और उसने महसूस किया, "मैं अपने पिता के पास वापस जा सकता हूं।" जब वह अपने पिता के पास वापस लौटा और क्षमा मांगी, तो उसके पिता उसका स्वागत करने के लिए दौड़ते हुए बाहर आये। किसी को भी अपने पापों का पश्चाताप करने और ईश्वर की ओर लौटने में कभी देर नहीं करनी चाहिए। प्यार का आलिंगन हत्या की आरोपी फ्लोर नामक फिलिपिनो महिला ने अन्य कैदियों से हमारे सेवा कार्यों के बारे में सुना और समझा, इसलिए मैंने उससे मुलाकात की और उसका समर्थन और सहयोग किया, क्योंकि उसने अपनी मौत की सजा की अपील की थी। अपनी अपील खारिज होने के बाद, वह ईश्वर से बहुत नाराज थी और मुझसे बात करना नहीं चाहती थी। जब भी मैं उसके दरवाजे से गुजरती थी, तो मैं उससे कहती थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, ईश्वर अब भी उससे प्यार करता है। लेकिन वह निराशा में खाली दीवार की ओर देखती रहती थी। मैंने अपने प्रार्थना समूह से नित्य सहायक माता से नौ रोज़ी प्रार्थना करने और विशेष रूप से अपनी दुःख पीडाओं को उसके लिए चढाने को कहा। दो सप्ताह बाद, फ़्लोर का हृदय अचानक बदल गया और उसने मुझसे कहा कि मैं किसी पुरोहित के साथ उसके पास वापस आऊँ। वह खुशी से फूल रही थी क्योंकि माता मरियम उसकी कोठरी में आई थीं और माँ मरियम ने उससे कहा था कि वह डरे नहीं क्योंकि माँ अंत तक उसके साथ रहेगी। उस क्षण से लेकर उसकी मृत्यु के दिन तक, फ्लोर के हृदय में केवल आनंद ही आनंद था। एक और यादगार कैदी एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति था जिसे मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। जब उसने मुझे एक अन्य कैदी के लिए माता मरियम का भजन गाते हुए सुना, तो वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने मुझसे नियमित रूप से उससे मिलने के लिए कहा। जब उसकी माँ ऑस्ट्रेलिया से मिलने आईं तो वे हमारे साथ हमारे घर में रहीं। आख़िरकार, उसने एक काथलिक के रूप में बपतिस्मा लेने का आग्रह किया। उस दिन से, फाँसी के तख्ते तक जाते समय भी वह खुशी से भरा हुआ था। वहां का जेल निरीक्षक एक युवा व्यक्ति था, और जब यह मादक द्रव्य का पूर्व तस्कर अपनी मृत्यु की ओर बढ़ रहा था, तो यह अधिकारी आगे आया और उसे गले लगा लिया। यह बहुत असामान्य था, और हमें ऐसा लगा मानो ईश्वर स्वयं इस युवक को गले लगा रहे हो। आप वहां ईश्वर की उपस्थिति को महसूस किए बिना नहीं रह सकते थे। वास्तव में, मैं जानता हूं कि हर बार, माता मरियम और प्रभु येशु उन सज़ा-ए-मौत पाए कैदियों को स्वर्ग में स्वागत करने के लिए वहां मौजूद होते हैं। यह विश्वास करना मेरे लिए खुशी की बात है कि जिस प्रभु ने मुझे बुलाया है वह मेरे प्रति ईमानदार रहा है। उसके और उसके लोगों के लिए जीने का आनंद किसी भी अन्य चीज़ की तुलना में कहीं अधिक लाभप्रद रहा है।
By: Sister M. Gerard Fernandez RGS
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