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अगस्त 20, 2021 1537 0 Mary Therese Emmons, USA
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कभी हार ना मानें

क्या आप अपने प्रिय जनों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं? यह कहानी आप में आशा का नया संचार करेगी।

कल की ही बात है

ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो, मैं अपने घर की बैठक में मेरे होने वाले ससुर जी के साथ बैठी हुई थी। यह पहली बार था जब मैं अपने बॉयफ्रेंड के माता पिता से मिल रही थी और मैं काफी घबराई हुई थी। रात को भोजन  करने के बाद परिवार के बाकी लोग इधर उधर चले गए थे, तो कमरे में मैं और मेरे होनेवाले ससुरजी ही थे। मैंने उनके बारे में काफी कुछ सुन रखा था, इसीलिए मैं उनसे बात करने का यह अवसर पाकर काफी उत्साहित थी। हैरी बड़े ही लाजवाब इंसान थे, और बहुत मज़ाकिया भी। वे छह बच्चों के पिता थे, वे मेहनती थे, उन्होंने कई पुरस्कार जीते थे और वे सेना में भी रह चुके थे। मैं उनके सबसे बड़े बेटे से शादी करने वाली थी।

मैंने उनके बारे में जितना भी सुना था, अच्छा ही सुना था, इसीलिए मैं चाह रही थी कि उनसे मेरी अच्छी मुलाक़ात हो और मैं उन्हें पसंद आऊं। मैं भी उन लोगों की तरह एक बड़े कैथलिक परिवार से थी, और मुझे उम्मीद थी कि उन्हें यह बात पसंद आएगी। मैं जानती थी कि हैरी कैथलिक विशवास में बड़े हुए थे, पर फिर उन्होंने कैथलिक चर्च छोड़ कर शादी कर ली थी और अपना पारिवारिक जीवन शुरू किया था। उनके बारे में एक यही बात थी जो मुझे हज़म नहीं हुई थी। मैं जानना चाहती थी कि ऐसा क्या हुआ होगा, जिसकी वजह से उन्हें अपनी युवावस्था में उस विश्वास से मुंह मोड़ना पड़ा जो उन्हें इतना प्रिय था। इसीलिए बातें करते करते जब हम धर्म के बारे में बात करने लगे तब मैंने उन्हें बताया कि कैसे मेरा विश्वास मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उन्होंने बिना कोई रुचि दिखाए मुझे बताया कि कभी वे भी कैथलिक हुआ करते थे और वेदीसेवक के रूप में पुरोहित की मदद भी किया करता था, पर अब उन्हें शायद प्रभु की प्रार्थना भी याद नहीं थी। उन्हें बुरा ना लगे इसीलिए मैंने उनसे बस इतना कहा कि यह बड़े ही दुख की बात थी। तब से उनसे की गई बातें मैंने अपने दिल में सहेज कर रख ली थीं।

झिलमिलाती रौशनी

उस बात को अब कई साल गुज़र गए थे। मैं और मेरे पति अक्सर हैरी के लिए प्रार्थना किया करते थे, इस उम्मीद में कि एक दिन वह कैथलिक विश्वास में वापस लौट आएंगे। हैरी ने हमारी शादी के मिस्सा में भाग लिया था। उन्होंने हमारे बच्चों के संस्कारों के मिस्सा में भी भाग लिया था, और उन्होंने उस मिस्सा बलिदान में भी भाग लिया था जिसमें मेरे पति ने कैथलिक विश्वास को अपनाया था।

जब मैं अपने पति को मेरी आंखों के सामने बपतिस्मा लेते देख रही थी तब मेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उसी वक्त मुझे अपने ससुरजी से की हुई वह बात याद आई, और हालांकि उस बात को अब दस साल गुज़र चुके थे, फिर भी मेरा मन गुस्से से भर गया। मुझे गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि इतने साल मेरे ससुरजी ने मेरे पति को विश्वास से दूर रखा था। मेरे पति बच्चों को नमूने के माध्यम से सिखाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने मेरे विश्वास को बढ़ावा देने के साथ ही बच्चों की ठोस परवरिश के लिए खुद भी कैथलिक विश्वास में कदम रखा। ताकि हमारे बच्चे हम दोनों से धार्मिक बातें सीख सकें।

इसी विश्वास की झिलमिलाहट मैंने कहीं ना कहीं हैरी की आंखों में भी झिलमिलाती हुई देखी थीं। और मुझे विश्वास था कि उनके दिल में दबा हुआ ही सही, पर उनका विश्वास आज भी सांस ले रहा था। जब मेरे पति को कैंसर की बीमारी ने जकड़ा, तब मेरे ससुरजी ने मुझसे अकेले में यह स्वीकार किया कि वे मेरे पति के लिए मां मरियम से प्रार्थना कर रहे थे, क्योंकि उनकी हमेशा से मां मरियम में श्रद्धा रही है। उन्होंने कभी इस बारे में किसी को भी नहीं बताया था, लेकिन उन्होंने मेर साथ यह राज़ साझा किया। उनका यह राज़ सुनकर मैं बहुत खुश हुई थी क्योंकि मेरी प्रार्थना सच साबित हुई थी, उनमें आज भी विश्वास की किरण मौजूद थी। इसके बाद मैं और मेरे पति मेरे ससुरजी की कैथलिक विश्वास में पूरी तरह वापसी के लिए और भी ज़ोर शोर से प्रार्थना करने लगे।

एक बहुमूल्य तोहफा

साल 2020 कई लोगों के लिए बड़ा ही बुरा साल साबित हुआ, और मेरे ससुरजी के लिए भी वह साल तकलीफ भरा रहा। पीठ के बल गिरने की वजह से उन्हें काफी चोट आई थी, और उन्हें हफ्तों तक सबसे दूर रहना पड़ा था। उनकी तबियत खराब होने लगी थी, और हम बस उनके मज़बूत शरीर को दिन पर दिन कमज़ोर होता देख रहे थे। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि अब उन्हें पागलपन के दौरे आना शुरू हो गए थे। इन सब के बीच मेरे पति ने मेरे ससुरजी से जा कर पूछा कि क्या वह किसी कैथलिक पुरोहित से मिलना चाहेंगे? उनकी हां ने हमें बड़ा आश्चर्यचकित किया, इसके साथ ही उन्होंने मुझसे येशु की सिखाई प्रार्थना की एक कॉपी भी मांगी ताकि वह ईश्वर की प्रार्थना को याद कर सकें। एक बार फिर से मुझे उनके साथ पहली मुलाकात याद आई, पर इस बार मैं उत्साहित थी।

आने वाले दिनों में मेरे पति एक कैथलिक पुरोहित को मेरे ससुरजी से मिलाने ले गए क्योंकि मेरे ससुरजी अब चल फिर नहीं पा रहे थे। हैरी ने पाप स्वीकार संस्कार लिया फिर अपने बेटे के हाथों परम प्रसाद ग्रहण किया। हैरी का साठ साल बाद यह दोनों संस्कार ग्रहण करना उनकी आत्मा के लिए किसी बहुमूल्य तोहफे से कम नहीं था। हैरी को रोगी विलेपन संस्कार दिया गया, और इन्हीं संस्कारों की बदौलत उनके जीवन के आखिरी हफ्ते शांति से गुज़रे।

मेरे ससुरजी के आखिरी दिनों में मेरे पति उनके लिए एक रोज़री माला ले आए और हमारा पूरा परिवार मेरे ससुरजी के बिस्तर के पास बैठ कर रोज़री माला बोला करता था, क्योंकि हम जानते थे कि अब वह अनंत जीवन के बहुत करीब आ चुके थे। क्योंकि मेरे ससुरजी की मां मरियम में हमेशा से श्रद्धा रही थी, इसीलिए हमने रोज़री माला कह कर उन्हें अलविदा कहना ठीक समझा। इन सब के बाद हैरी सुकून से स्वर्ग सिधार गए और इस कृपा के लिए हमारा पूरा परिवार दिल से प्रभु ईश्वर और मां मरियम का शुक्रगुज़ार रहेगा। क्योंकि उन्हीं की बदौलत हैरी मरने से पहले कैथलिक विश्वास में लौट सके। हमें इस बात से शांति मिलती है कि हैरी की आत्मा अब शांति में, प्रभु के सानिध्य में स्वर्गदूतों के बीच निवास कर रही है। हां यह बात सच है कि मेरे ससुरजी को अपने विश्वास को फिर से अपनाने में कई साल लग गए, और हमें भी उनके लिए प्रार्थना करते हुए, उन्हें मनाते हुए कई साल लग गए। पर हम इस बात को झुठला नहीं सकते कि इन सब के बीच उनके अंदर उनका विश्वास कहीं ना कहीं हमेशा से झिलमिला रहा था। और यह हमारे लिए ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा थी।

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Mary Therese Emmons

Mary Therese Emmons is a busy mother of four teenagers. She has spent more than 25 years as a catechist at her local parish, teaching the Catholic faith to young children. She lives with her family in Montana, USA.

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