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मैं अभी भी विस्मित हूँ कि श्रद्धेय सेबेस्टियन किस प्रकार चमत्कारिक रूप से बड़े घातक खतरे से बाख गए हैं। निश्चित रूप से आप भी विस्मित होंगे, क्योंकि मैं यहाँ उस वृत्तान्त को उनके ही शब्दों में साझा कर रहा हूँ।
अक्टूबर 1987 की सबसे ठंडी शरद ऋतु की रात थी, भोर में लगभग 3 बज रहा था, और लंदन के लिए अपनी उड़ान पर चढ़ने से पहले मेरे पास एक घंटे का समय बचा था। मैंने हवाई अड्डे के लाउंज में जाने और एक कप गर्म कॉफी पीने का फैसला किया, जिससे मुझे अपनी नींद से उबरने में मदद मिली। मैंने हल्के बुखार के लिए कुछ दवा ली थी, लेकिन उस दवा का असर कम हो रहा था। इसलिए, मैंने एक और दवा ली। जैसे ही मैं उड़ान पर चढ़ा एक एयर होस्टेस ने मेरी बातचीत हुई। उसने मुझे अपना नाम ऐनी बताया था। मैं ने उसे हवाई जहाज के बीच के हिस्से में एक खाली पंक्ति के लिए अनुरोध किया ताकि मैं लंबी उड़ान के दौरान थोड़ा आराम कर सकूं। मेरे पुरोहित वाले सफ़ेद कॉलर ने उस पर कुछ असर डाला होगा क्योंकि जब सीटबेल्ट साइन बंद हो गया, तो ऐनी मेरे पास आई और मुझे तीन पंक्तियों में पीछे ले गई जहाँ चार सीटें खाली थीं। फिर मैंने सीटों को एक छोटे सोफे की तरह व्यवस्थित किया और लेट गया।
विमान की अनियमित हरकतों से मेरी आरामदायक नींद टूट गई। मेरी आँखें खुल गईं; केबिन में हल्की रोशनी थी, और ज़्यादातर यात्री या तो सो रहे थे या अपने सामने के स्क्रीन पर फिल्म देख रहे थे। मैं ने देखा कि केबिन क्रू सीटों की पंक्तियों के बीच के संकरे रास्ते से तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे।
यह मानते हुए कि कोई बीमार है और उसे सहायता की ज़रूरत है, मैंने अपनी सीट के पास से गुज़र रही ऐनी से पूछा, क्या हो रहा है। “यह सिर्फ़ बादलों के कारण थोड़ी सी अशांति है फादर। सब कुछ नियंत्रण में है,” उसने तेज़ी से आगे बढ़ने से पहले जवाब दिया। हालाँकि, उसकी घबराई हुई आँखों ने कुछ और ही संकेत दिया। नींद न आने के कारण, मैं एक कप चाय माँगने के लिए विमान के पिछले हिस्से की ओर चला गया। एक क्रू मेंबर ने मुझे अपनी सीट पर वापस जाने का आदेश दिया, और बाद में मेरे लिए चाय लाने का वादा किया। मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है। जब मैं धैर्यपूर्वक अपनी चाय का इंतज़ार कर रहा था, तो एक पुरुष क्रू मेंबर मेरे पास आया।
वह मेरे पास आकर पहले कुछ देर रुका, फिर सीधे मेरी आँखों में आँखें डालकर कहा: “फादर सेबेस्टियन, एक इंजन में आग लग गई है, और हम अभी तक इसे काबू नहीं कर पाए हैं। हमारे पास ईंधन का पूरा टैंक है, और हम लगभग दो घंटे से उड़ान भर रहे हैं। अगर आग ईंधन टैंक तक पहुँच जाती है, तो विमान कभी भी फट सकता है।” यह सुनते ही मुझे लगा कि मेरा शरीर सदमे से बर्फ की तरह जम गया है।
“फादर, कप्तान का आपसे एक विशेष अनुरोध है – कृपया विमान में सवार सभी 298 लोगों की सुरक्षा के लिए और आग बुझ जाने के लिए प्रार्थना करें। दोनों कप्तान जानते हैं कि हमारे पास विमान में एक पुरोहित है और उन्होंने अनुरोध किया है कि मैं यह संदेश आप तक पहुँचाऊँ,” उसने अपनी बात पूरी की।
मैंने उसके हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा: “कृपया कप्तानों से कहिए कि वे हिम्मत रखें, क्योंकि येशु और माता मरियम हमें इस खतरनाक स्थिति से बचाएंगे, ठीक वैसे ही जैसे येशु ने अपने शिष्यों को तूफानी समुद्र से बचाया था। चिंता करने की कोई बात नहीं है, और पवित्र आत्मा अब से आगे की स्थिति को नियंत्रित करेगा। वे पवित्र आत्मा की प्रज्ञा और विवेक से मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।”
मैंने अपने सामने एक थकी हुई आवाज़ सुनी जो पूछ रही थी कि क्या विमान में विस्फोट होने वाला है। यह सोफी थी, जो अपनी वृद्धावस्था में थी और जिनसे मैं पहले विमान में मिला था। उन्होंने हमारी कुछ बातचीत सुन ली थी और वह विचलित हो गई थी। चालक दल के सदस्यों ने उसे चेतावनी दी कि वह कोई तमाशा न करे; वह थोड़ा शांत हुई और मेरे बगल में बैठ गई, और अपने पापों केलिए पश्चाताप करते हुए पाप स्वीकार करने लगी, 30,000 फीट की ऊँचाई पर!
हालाँकि, मुझे माँ मरियम पर बहुत भरोसा था, जिसने मुझे पहले भी ऐसी ही परिस्थितियों से उबरने में मदद की थी। मैंने अपनी रोज़री माला ली और प्रार्थना करना शुरू किया, अपनी आँखें बंद करके और पूरी श्रद्धा के साथ इसके एक एक हिस्सा जपना शुरू किया।
उड़ान के बीच में, मुझे बताया गया कि कप्तान किसी छोटे हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करने की कोशिश कर रहा था और हमें अगले सात मिनट तक इंतजार करना होगा। आखिरकार, जब स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं थी, तो कप्तान ने यात्रियों को आपातकालीन लैंडिंग के लिए खुद को तैयार करने के लिए सूचित किया। जिस चालक दल के सदस्य जॉन ने मुझसे पहले बात की थी, उसने मुझे बताया कि आग गेट 6 तक पहुँच गई है, इंजन तक केवल एक और गेट बचा है। मैं चुपचाप उड़ान में सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता रहा। जब स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, तो मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने विश्वास में शक्ति और साहस पाते हुए प्रार्थना करना जारी रखा। जब मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो विमान सुरक्षित रूप से हवाई अड्डे पर उतर चुका था, और यात्री तालियाँ बजा रहे थे।
“मेरे प्यारे दोस्तों, यह रॉड्रिगो है, डेक से आपका कप्तान!” वह एक पल के लिए रुका और फिर आगे बोला। “हम पिछले कुछ घंटों में बेहद खतरनाक स्थिति में थे, और अब हम ठीक हैं! सर्वशक्तिमान ईश्वर और फादर सेबेस्टियन को विशेष धन्यवाद। फादर हम सभी के लिए प्रार्थना कर रहे थे और हमें इस स्थिति से उबरने के लिए उन्होंने हमें बहुत ताकत और साहस दिया और…” वह फिर से रुका, “हमने जीत हासिल की!”
जब हवाई अड्डे के टर्मिनल पर चालक दल और कुछ गणमान्य लोगों ने हमारा स्वागत किया, तब जॉन और ऐनी मेरे साथ चल रहे थे। मुझे बताया गया कि एक नया विमान जल्द ही आ जाएगा और सभी यात्रियों को एक घंटे में उस नए विमान में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
उड़ान के दौरान हुए उस भयावह अनुभव के बाद, मैं प्रार्थना की शक्ति और किसी भी स्थिति में ईश्वर पर भरोसा करने के महत्व पर विचार करने से खुद को रोक नहीं पाया। मुझे मारकुस 4:35-41 के शब्द याद आ गए, जहाँ येशु ने समुद्र में उठे तूफ़ान को शांत किया और अपने शिष्यों से पूछा: “तुम लोग इस प्रकार क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं है?”
कुछ देर बाद जैसे ही हम नई उड़ान में सवार हुए, मुझे चमत्कारी बचाव के लिए कृतज्ञता की नवीकृत भावना और ईश्वर की सुरक्षा में एक मजबूत विश्वास महसूस हुआ।
फादर सेबेस्टियन ने तब से कई लोगों के साथ अपने इस अनुभव को साझा किया है और उन्हें मुश्किल समय में ईश्वर पर भरोसा रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। वे उन्हें याद दिलाते हैं कि विश्वास और प्रार्थना के साथ, हम सभी किसी भी तूफ़ान को पार कर सकते हैं और अव्यवस्था के बीच शांति पा सकते हैं।
Shaju Chittilappilly is an IT professional in Austria. He has been closely working with Shalom Ministries for years with his lovely wife and three children.
क्या आप एक स्थायी शांति का सपना देख रहे हैं जो आप कितनी भी कोशिश कर लें, आपको मिल नहीं पाती? यह स्वाभाविक है कि हम एक बदलते, अप्रत्याशित दुनिया में हमेशा महसूस करते हैं कि हम बिना तैयारी के हैं। इस भयावह और थकाऊ समय में, डरना आसान हो जाता है — जैसे एक फंसा हुआ जानवर जिसके पास भागने का कोई रास्ता नहीं है। अगर हम केवल कड़ी मेहनत करते, लंबे समय तक काम करते, या अधिक नियंत्रण में होते, तो शायद चीज़ें हमारी पकड़ में आ जाते और आखिरकार हम आराम कर पाते और शांति पा सकते। मैंने दशकों तक इस तरह का जीवन बिताया है। अपने आप पर और अपनी कोशिशों पर निर्भर रहते हुए, मैं कभी वास्तव में 'पकड़ में' नहीं ला पायी। धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि इस तरह जीना एक भ्रम था। आखिरकार, मुझे एक समाधान मिला जिसने मेरे जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया। यह उस चीज़ के विपरीत महसूस हो सकता है जो आवश्यक है, लेकिन मुझ पर विश्वास करें जब मैं कहती हूं: शांति की इस श्रमसाध्य खोज का उत्तर समर्पण में ही है। सर्वश्रेष्ठ कदम एक कैथलिक के रूप में, मुझे पता है कि मुझे अपने भारी बोझों को ईश्वर को सौंपना चाहिए। मुझे यह भी पता है कि मुझे 'येशु को अपनी जीवन गाडी का ‘स्टीयरिंग’ सौंपना चाहिए' ताकि मेरा बोझ हल्का हो सके। मेरी समस्या यह थी कि मुझे यह नहीं पता था कि "अपने बोझों को प्रभु को कैसे सौंपें।" मैं प्रार्थना करती, विनती करती, कभी-कभी समझौता करती, और एक बार तो मैंने ईश्वर को समय का डेडलाइन भी दे दिया (यह घटना तब समाप्त हुई जब मुझे संत पाद्रे पियो ने एक साधना के दौरान सन्देश के रूप में समझाया: "ईश्वर को समय का डेडलाइन मत दो।" तो, हमें क्या करना चाहिए? मनुष्यों के रूप में, हम हर चीज़ को अपने पास मौजूद एक जानकारी के अंश और सभी प्राकृतिक और अलौकिक कारकों की अत्यंत सीमित समझ के आधार पर रखते हैं। जबकि मेरे पास सर्वोत्तम समाधानों पर अपने विचार हो सकते हैं, मैं अपने मन में उसे स्पष्ट रूप से सुनती हूँ: "मेरे मार्ग तुम्हारे मार्ग नहीं हैं, बार्ब, न ही मेरे विचार तुम्हारे विचार," भगवान कहते हैं। समझौता यह है। भगवान भगवान हैं, और हम नहीं। वह सब कुछ जानते हैं—भूत, वर्तमान, और भविष्य। हम कुछ भी नहीं जानते। निश्चित रूप से, भगवान अपनी सर्वव्यापी बुद्धि में, हमसे बेहतर चीज़ों को समझते हैं, जैसे कि समय और इतिहास में सर्वोत्तम कदम उठाना। कैसे समर्पण करें यदि आपके जीवन में आपकी सभी मानवीय प्रयासों से कुछ भी सही नहीं हो रहा है, तो उन्हें समर्पण करना आवश्यक है। लेकिन समर्पण का मतलब यह नहीं है कि हम ईश्वर को एक वेंडिंग मशीन की तरह देखें, जिसमें हम अपनी प्रार्थनाएँ डालें और कैसा उत्तर हम उनसे चाहते हैं, उसका फैसला हम करें । यदि आप भी मेरी तरह समर्पण करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो मैं वह उपाय साझा करना चाहूँगा जो मैंने पाया: वह है समर्पण का नवरोज़ी प्रार्थना। मुझे इसके बारे में कुछ साल पहले परिचित कराया गया था और इसके लिए मैं बहुत ही आभारी हूँ। प्रभु के सेवक, फादर डॉन डोलिंडो रुओटोला, जो पाद्रे पियो के आध्यात्मिक निदेशक थे, उन्हें यह नोवेना येशु मसीह से प्राप्त हुई थी। नोवेना का प्रत्येक दिन अद्वितीय रूप से हर व्यक्ति से प्रभु येशु बात करते हैं, और केवल येशु ही जानते हैं कि किस तरह लोगों को संबोधित करना है। हर दिन दोहराए जाने वाले शब्दों के बजाय, जिन बाधाओं के कारण हमें वास्तव में समर्पण करने में दिक्कत होती हैं, या जिस प्रकार प्रभु को अपने काम को अपने सही तरीके और सही समय पर करने में जो बातें बाधा बनकर उन्हें रोकती हैं, उन के बारे में हमें बहुत अच्छी तरह से जानने वाले मसीह, हमें याद दिलाते हैं। नोवेना का समापन कथन है: "हे येशु, मैं खुद को तेरे हवाले करता हूँ, तू हर चीज का ख्याल रखें," इसे दस बार दोहराया जाता है। क्यों? क्योंकि हमें विश्वास करने और मसीह येशु पर पूरी तरह से भरोसा करने की जरूरत है कि वही हर चीज का सही ख्याल रखेंगे।
By: बारबरा लिश्को
Moreकभी-कभी जीवन बहुत कठिन लगता है, लेकिन अगर आप धैर्य रखें और विश्वास करें, तो बहुत से अप्रत्याशित उपहार आपको आश्चर्य चकित कर सकते हैं। “हम तेरी दया से सदा पाप से दूर और हर विपत्ति से सुरक्षित रहें, और उस दिन की प्रतीक्षा करते रहें, जब हमारे मुक्तिदाता येशु ख्रीस्त फिर आकर हमारी धन्य आशा पूरी करेंगे” जीवन भर कैथलिक जीवन जीते हुए, मैंने हर मिस्सा में यह प्रार्थना की है। कई वर्षों से डर मेरा साथी नहीं रहा, हालांकि एक समय था जब ऐसा था। मैंने 1 योहन 4:18 में वर्णित "परिपूर्ण प्रेम" को जाना और मुझे डर को जीतने वाले की वास्तविकता में जीने में मदद मिली। इस समय मेरे जीवन में मुझे शायद ही कभी चिंता होती है, लेकिन एक सुबह कुछ अशुभ होने का अनुभव हुआ। मैं इसका कारण ठीक से नहीं समझ पा रही थी। हाल ही में, एक मोड़ पर ठोकर लगने से मैं जोर से गिर गयी, और मैं अपने कूल्हे और श्रोणि में असुविधा महसूस कर रही थी। हर बार जब मैंने अपने हाथ उठाए तो तीव्र दर्द ने मुझे याद दिलाया कि मेरे कंधों को ठीक होने में और समय लगेगा। नई नौकरी के तनाव और एक प्रिय मित्र के बेटे की अचानक मृत्यु ने मेरी चिंता को बढ़ा दिया। दुनिया की हालात जो सुर्खियों में बहुत दिन बनी रहती है, अपने आप में किसी के लिए भी काफी तनाव पैदा कर सकती है । मेरी बेचैनी के अज्ञात कारण के बावजूद, मुझे पता था कि कैसे प्रतिक्रिया देनी है। अपनी आँखें बंद करके, मैं जिस भारी बोझ को महसूस कर रही थी उसे समर्पित कर दिया । ओवर टाइम काम कर रहे फरिश्ते अगले दिन, जब मैं अपने एक मरीज के घर जा रही थी, तो अचानक एक समुद्री तूफान उठने लगा। ट्रैफिक भारी था, और हेडलाइट की रोशनी के बावजूद और गति को कम करने के बावजूद, बारिश की चादरों से दृश्यता अस्पष्ट हो गई थी। अचानक, मैंने पीछे से किसी दूसरी गाड़ी की टक्कर महसूस की, जिसके कारण मेरी कार दाएं लेन में धकेली गयी! आश्चर्यजनक रूप से, शांत होकर, मैंने एक चपटे टायर के बावजूद एक आपातकालीन लेन की ओर रुख किया। जल्द ही एक अग्निशमन बचाव वाहन आया; एक पैरामेडिक जो भारी बारिश से बचने के लिए मेरी कार में कूद गया, उसने पूछा कि क्या आप को चोट लगी है? नहीं... मुझे चोट नहीं लगी थी! यह बहुत ही असंभाव्य लगा क्योंकि मेरी पिछली बार मेरे गिरने का असर कुछ ही दिन पहले ख़त्म हुए थे। मैंने उस सुबह मौसम का पूर्वानुमान सुनकर सुरक्षा के लिए प्रार्थना की थी। स्पष्ट रूप से, फरिश्ते ओवर टाइम काम कर रहे थे; पहले मेरी पिछली बार के गिरने पर और फिर इस दुर्घटना से मुझे सुरक्षा प्रदान कर रहे थे। मेरी कार अब वर्कशॉप में थी और मरम्मत को बीमा कवर कर रहा था, मेरे पति डैन और मैं लंबे समय से कहीं छुट्टी पर जाने की योजना बनायी थी, अब हमने उस योजना को तामील करने के लिए तैयार हो गए। बस जाने से पहले, मैं यह सुनकर निराश हो गई कि हमारा बीमाकर्ता लगभग निश्चित रूप से मेरी कार के लिए बीमा का कोई रकम न देकर हमें कार केलिए कम मूल्य देकर उसे खरीदने की योजना बना रहा था! मेरी कार केवल पाँच साल पुरानी थी और दुर्घटना से पहले बेदाग हालत में थी, फिर भी वर्तमान में बाज़ार में इसके लिए हमें सिर्फ $8,150 मिलता। यह अच्छी खबर नहीं थी! हम इस ईंधन-कुशल हाइब्रिड कार को तब तक रखना चाहते थे जब तक यह चलती रहे, यहां तक कि हमारी इस योजना को सुनिश्चित करने के लिए हमने एक विस्तारित वारंटी भी खरीदी थी। गहरी सांस लेते हुए, मैंने फिर से उन परिस्थितियों में जो मेरे नियंत्रण से बाहर थीं, उस पर कार्रवाई की: मैंने इसे ईश्वर को सौंप दिया और उसके हस्तक्षेप के लिए प्रार्थना की। निरंतर प्रार्थना एक बार सॉल्ट लेक सिटी पहुँचने के बाद, हमने एक किराये की कार ले ली और तुरन्त ही हम खूबसूरत ग्रैंड टेटन नेशनल पार्क की ओर जा रहे थे। उस शाम होटल के पार्किंग में घुसते हुए, मैंने अनजाने में एक संकीर्ण स्थान पर बैक किया। जबकि डैन ने हमारा सामान उतार दिया, मैंने देखा कि एक टायर में एक पेंच घुसा हुआ है। टायर पंचर होने की चिंता से मेरे पति ने विभिन्न सेवा केंद्रों को फोन किया। वहरविवार का दिन था, कोई भी मरम्मत की दूकान खुली नहीं थी। इसलिए हमने जोखिम उठाते हुए ड्राइविंग पर आगे जाने का फैसला किया। अगले सुबह, हमने प्रार्थना की और निकल गए, इस उम्मीद के साथ कि येलोस्टोन के भीतर और बाहर के संकीर्ण पर्वतीय सड़कों पर ड्राइविंग करते समय टायर टिका रहेगा। सौभाग्य से, दिन सुचारू रहा। हम हैंपटन इन होटल पहुंचे, जहां डैन ने महीनों पहले कमरा आरक्षित कर लिया था, लेकिन हम स्तब्ध रह गए! ठीक बगल में एक टायर मरम्मत की दुकान थी! सोमवार सुबह की तेज सेवा पाने के कारण हम एक घंटे से भी कम समय में सड़क पर थे! यह पता चला कि टायर लीक हो रहा था, इसलिए टायर कि मरममत करके उसे फटने से बचा लिया गया - यह एक आशीर्वाद था, जिसका परिनाम यह था कि हमने उस सप्ताह में 1200 मील से अधिक ड्राइव किया! इस बीच, मेरी वर्कशॉप ने दुर्घटना के कारण अनजान और "छिपी हुई क्षति" की आगे की जांच का आदेश अधिकृत किया। यदि कोई आतंरिक या छिपी हुई क्पाषति पायी गयी, तो मरम्मत की लागत कार के मूल्य से अधिक हो जाएगी और निश्चित रूप से हमारी कार बीमा वाले हथिया लेंगे! प्रतिदिन प्रार्थना करते हुए, मैंने परिणाम को प्रबु के हाथों में समर्पित किया और इंतजार किया। अंततः, मुझे सूचित किया गया कि मरम्मत की लागत ठीक बीमा शुल्क की सीमा के भीतर आ गई है... और वे मेरी कार को ठीक कर देंगे! (कुछ हफ्तों बाद, जब मैं अपनी नवीनीकृत कार लेने गयी, तो मुझे पता चला कि मरम्मत की लागत वास्तव में कार के बाज़ार के मूल्य से अधिक हो गई थी, लेकिन मेरी प्रार्थना भी पूरी हुई थी!) एक अद्भुत अनुग्रह ईश्वर की कृपापूर्ण देखभाल का एक और उदाहरण तब आया जब हम येलोस्टोन नेशनल पार्क की अपनी यात्रा जारी रखे हुए थे! जब हम पहुंचे तो पार्किंग स्थल भरा हुआ था। हमने बेतहाशा चक्कर लगाया जब अचानक, बगल में ही सामने एक स्थान उपलब्ध था! हमने जल्दी से पार्क किया और यह जानने के लिए चले गए कि ‘ओल्ड फेथफुल’* की अगली विस्फोट दस मिनट में होने की उम्मीद थी। जिस स्थान से गीज़र विस्फोट देखा जा सकता है, वहां पहुंचने के लिए पर्याप्त समय था, और सही समय गीजर फट गया! हमने बोर्डवॉक के रास्ते को विभिन्न भूवैज्ञानिक संरचनाओं, झरनों और गीजरों के माध्यम से खोजा। मेरे पति बाह्य दृश्यों के प्रेमी हैं। उन्होंने एक के बाद एक तस्वीरें खींचीं! हमारे चारों ओर के अद्भुत दृश्य पर चकित होते हुए, मैंने अपनी घड़ी देखी... ओल्ड फेथफुल का अगला विस्फोट जल्द ही होने की उम्मीद थी। फुहारें अपेक्षित रूप से हवा में फटकर फैल गयीं! इस बार हम लोग गीजर के पीछे खड़े थे, और पर्यटकों की भीड़ हमारे साथ नहीं थी इसलिए हमें सब कुछ साफ़ साफ़ देखा। आभारी महसूस करते हुए, मैंने दिन के आशीर्वादों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया - सबसे पहले, टायर की दुकान का सही स्थान, फिर मेरी कार के बारे में बीमा कंपनी से अच्छी खबर, और अंत में, प्रकृति का अद्भुत दृश्य। ईश्वर की सक्रिय उपस्थिति पर विचार करते हुए, मैंने प्रार्थना की: "प्रभु हमसे प्रेम करने के लिए धन्यवाद! मुझे पता है कि तू पृथ्वी पर हर दूसरे व्यक्ति से उतना ही प्यार करता है, लेकिन मेरा पति डैन तुझसे सृष्टि में इतनी मजबूती से जुड़ता है, उसके लिए क्या तू एक बार फिर से स्वयं को प्रकट करेगा?” चलते-फिरते, मेरे पति की कैमरा बैटरी खत्म हो गई। जब वह इसे बदल रहां था, मैं बैठ गयी और एक अजीब आवाज सुनी। मैंने मुड़कर देखा तो एक बड़ा विस्फोट हुआ। यह शानदार था - वह था बीहाइव गीजर! यह विस्फोट ओल्ड फेथफुल से दोगुना ऊँचा था! हमारे गाइडबुक को देखकर, हमने पढ़ा कि यह गीजर सबसे अच्छा था, लेकिन इतना अप्रत्याशित था कि विस्फोट कहीं भी 8 घंटे से लेकर 5 दिनों के बीच एक बार हो सकता था... लेकिन, यह अद्यभुत कार्हय देखिये, यह विस्फोट उस समय हुआ जब हम वहां थे! निश्चित रूप से, ईश्वर ने मेरे पति के सामने खुद को प्रकट किया जैसा कि मैंने माँगा था! हमारा अंतिम पड़ाव कई गीजरों वाला स्थान था जहां एक सज्जन हमारी तस्वीर लेने के लिए तैयार हो गए। जिस क्षण उन्होंने कैमरे का शटर क्लिक किया, ठीक उसी समय उस गीजर का विस्फोट हुआ! हमने परमेश्वर की परिपूर्ण समय और आशीर्वाद की एक और अप्रत्याशित उपहार का अनुभव किया! अविश्वसनीय दृश्यों, झरनों, पहाड़ों, झीलों और नदियों की सुंदरता में नहाने के अलावा, हमने खूबसूरत मौसम का भी अनुभव किया! हर दिन बारिश के पूर्वानुमान के बावजूद, हमें केवल कुछ चोटी बौछारें और दिन और रात के सुंदर तापमान का सामना करना पड़ा! मैं अपनी हाल की तनाव और चिंता से पूरी तरह उभर चुकी थी। प्रभु के हाथों में अपना समर्पण करने से येशु द्वारा मेरी परवाह और देखभाल और हमारे सृष्टिकर्ता की अद्भुतता के अनुभव में डुबो दिया! वह प्रार्थना जो मैंने मिस्सा में कई बार की थी, निश्चित रूप से पूरी हुई थी! डर और गंभीर चोट दोनों से मेरी रक्षा की गई थी, जबकि मुझे चिंता से मुक्त किया गया था। प्रतीक्षा ने वास्तव में आनंदमय आशा का परिणाम दिया था... मेरी आत्मा के लिए लंगर भी प्राप्त हुआ। *ओल्ड फेथफुल संयुक्त राज्य अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क में स्थित एक प्रसिद्ध शंकु गीजर है। यह अपनी अत्यधिक अनुमानित विस्फोटों के लिए प्रसिद्ध है, जो लगभग हर 90 मिनट में होती हैं। यह गीजर गर्म पानी और भाप का एक स्तंभ हवा में फेंकता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 106 से 185 फीट (32 से 56 मीटर) तक पहुंचती है।
By: करेन एबर्ट्स
Moreक्या मेरा जीवन कभी सामान्य हो पाएगा? मैं अपना काम कैसे जारी रख सकती हूँ? इन पर विचार करते हुए, मेरे दिमाग में एक अद्भुत समाधान आया... मुझे अपना जीवन बेहद तनावपूर्ण लग रहा था। कॉलेज में अपने पाँचवें वर्ष में, द्विध्रुवी विकार (बाईपोलर डिसऑर्डर) की शुरुआत के कारण पढ़ाई पूरी करने के मेरे प्रयासों में बाधा बन रही थी। मुझे अभी तक कोई निदान नहीं हुआ था, लेकिन मैं अनिद्रा से ग्रस्त थी, और मैं थकी हुई और अव्यवस्थित दिखती थी। इसके कारण शिक्षक के रूप में रोजगार की मेरी संभावनायें बाधित हुई। चूँकि मेरे पास पूर्णतावाद की ओर मजबूत प्राकृतिक प्रवृत्ति थी, इसलिए मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और डर लगा कि मैं सभी को निराश कर रही हूँ। मैं गुस्से, निराशा और अवसाद में घिर गयी। लोग मेरी गिरावट के बारे में चिंतित थे और मदद करने की कोशिश कर रहे थे। मुझे स्कूल से एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल भी भेजा गया था, लेकिन डॉक्टरों को उच्च रक्तचाप के अलावा कुछ भी गलत नहीं मिला। मैंने प्रार्थना की लेकिन कोई सांत्वना नहीं मिली। यहाँ तक कि ईस्टर मिस्सा के दौरान -ईस्टर की रात मेरा सबसे पसंदीदा समय है - भी दुष्चक्र जारी रहा। येशु मेरी मदद क्यों नहीं कर रहा है? मुझे उससे बहुत गुस्सा आया। अंत में, मैंने प्रार्थना करना ही बंद कर दिया। जैसे-जैसे यह चलता रहा, दिन-ब-दिन, महीने-दर-महीने, मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। क्या मेरी ज़िंदगी कभी सामान्य हो पाएगी? यह असंभव लग रहा था। जैसे-जैसे मेरे स्नातक की परीक्षा नज़दीक आ रही थी, मेरा डर बढ़ता जा रहा था। पढ़ाना एक मुश्किल काम है जिसमें बहुत कम ब्रेक मिलते हैं, और छात्रों को मेरी ज़रूरत होगी ताकि मैं उनकी कई ज़रूरतों को पूरा करती हुई और सीखने का एक अच्छा माहौल प्रदान करती रहूँ। मैं अपनी मौजूदा स्थिति में यह कैसे कर सकती थी? मेरे दिमाग में एक भयानक समाधान आया: "तुम्हें बस खुद को मार देना चाहिए।" उस विचार को नरक में होना चाहिए, लेकिन उसे त्यागने और उसे सीधे नरक में वापस भेजने के बजाय, मैंने उसे वहीं मेरे मन में ही रहने दिया। यह मेरी दुविधा का एक सरल, तार्किक उत्तर लग रहा था। मैं बस लगातार हमले के बजाय सुन्न होना चाहती थी। अफ़सोस की बात है कि मैंने निराशा को चुना। लेकिन, जब मुझे लगा कि यह मेरे आखिरी पल होंगे, तो मैंने अपने परिवार के बारे में और मेरे उस व्यक्तित्व के बारे में सोची जो मैं कभी थी। सच्चे पश्चाताप में, मैंने अपना सिर आसमान की ओर उठाया और कहा: "मुझे बहुत खेद है, येशु। इन सब बातों केलिए मुझे क्षमा कर। बस मुझे वह दे जिसकी मैं हकदार हूँ।" मुझे लगा कि ये मेरे इस जीवन के आखिरी शब्द होंगे। लेकिन परमेश्वर की कुछ और ही योजना थी। ईश्वर की आवाज़ का श्रवण मेरी माँ, ईश्वर की कृपा से, उसी क्षण करुणा की माला विनती बोल रही थी। अचानक, माँ ने अपने दिल में ज़ोर से और स्पष्ट शब्दों में सुना “एलन को खोजो।” उन्होंने आज्ञाकारी होकर अपनी माला के मोतियों को एक तरफ रख दिया और मुझे गैरेज के फर्श पर पाया। वह जल्दी से समझ गई, और भयभीत होकर बोली: “तुम क्या कर रहे हो?!” और उन्होंने मुझे घर के अंदर खींच लिया। मेरे माता-पिता का दिल टूट गया था। ऐसे समय के लिए कोई नियम पुस्तिका नहीं है, लेकिन उन्होंने मुझे मिस्सा में ले जाने का फैसला किया। मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी, और मुझे पहले से कहीं ज़्यादा उद्धारकर्ता प्रभु की ज़रूरत थी। मैं येशु के पास आने के पल के लिए तरस रही थी, लेकिन मुझे यकीन था कि मैं दुनिया की आखिरी इंसान हूँ जिसे वह कभी देखना चाहेगा। मैं यह विश्वास करना चाहती थी कि येशु मेरा चरवाहा है और अपनी खोई हुई भेड़ों को वापस लाएगा, लेकिन यह मुश्किल था क्योंकि कुछ भी नहीं बदला था। मैं अभी भी गहन आत्म-घृणा से ग्रस्त थी, अंधकार से पीड़ित थी। यह लगभग शारीरिक रूप से दर्दनाक था। उपहारों की तैयारी के दौरान, मैं फूट-फूट कर रो पड़ी। मैं बहुत लंबे समय से रोई नहीं थी, लेकिन एक बार जब मैंने रोना शुरू किया, तो मैं रुक नहीं पाई। मैं अपनी ताकत के आखिरी छोर पर थी, मुझे नहीं पता था कि आगे कहाँ जाना है। लेकिन जैसे-जैसे मैं रोती गई, मेरा बोझ धीरे-धीरे कम होता गया, और मैंने खुद को उनकी दिव्य दया में लिपटी हुई महसूस किया। मैं इसके लायक नहीं थी, लेकिन उन्होंने मुझे खुद का उपहार दिया, और मुझे पता था कि वह मेरे सबसे निचले बिंदु पर भी मुझसे उतना ही प्यार करता था जितना कि उन्होंने मेरे सबसे ऊंचे बिंदु पर किया था। प्यार की तलाश में आने वाले दिनों में, मैं मुश्किल से ईश्वर का सामना कर पाती, लेकिन वह छोटी-छोटी चीजों में दिखाई देता रहा और मेरा पीछा करता रहा। मैंने हमारे आतंरिक कक्ष में लगी येशु की दिव्य दया की तस्वीर की मदद से येशु के साथ फिर से संवाद स्थापित किया। मैंने बात करने की कोशिश की, ज्यादातर संघर्ष के बारे में शिकायत की और फिर हाल ही में हुए मेरे बचाव के मद्देनजर इसके बारे में बुरा महसूस किया। अजीब तरह से, मुझे लगा कि मैं एक कोमल आवाज़ को फुसफुसाते हुए सुन सकती हूँ: "क्या तुमने सच में सोचा था कि मैं तुम्हें मरने के लिए छोड़ दूँगा? मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगा। मैं तुम्हें कभी नहीं छोडने का वादा करता हूँ। सब कुछ माफ़ है। मेरी दया पर भरोसा रखो।" मैं इस पर विश्वास करना चाहती थी, लेकिन मैं इस बात पर भरोसा नहीं कर पा रही थी कि यह सच था। मैं उन दीवारों से निराश हो रही थी, जिन्हें मैं खादी कर रही थी, लेकिन मैं येशु से बात करती रही: "येशु, मैं तुझ पर भरोसा करना कैसे सीख सकती हूँ?" जवाब ने मुझे चौंका दिया। जब आपको लगता है कि कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन आपको जीना जारी रखना है, तो आप कहाँ जायेंगे? जब आप पूरी तरह से अप्रिय महसूस करते हैं, और घमंड के कारण कुछ भी स्वीकार करने में दिक्कत महसूस करते हैं, फिर भी किसी न किसी तरह विनम्र होना चाहते हैं? दूसरे शब्दों में, जब आप पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के साथ पूर्ण सामंजस्य चाहते हैं, लेकिन अपने घर का रास्ता खोजने के लिए प्यार भरे स्वागत से बहुत डरते हैं और अविश्वास करते हैं, तो आप कहाँ जाना चाहते हैं? इसका उत्तर है ईश्वर की माँ और स्वर्ग की रानी धन्य कुँवारी मरियम। जब मैं भरोसा करना सीख रही थी, तो मेरे अजीब प्रयासों ने येशु को नाराज़ नहीं किया। वह मुझे अपनी धन्य माँ के माध्यम से अपने पवित्र हृदय के करीब बुला रहे थे। मैं उनसे और उनकी वफादारी से प्यार करने लगा। मैं माँ मरियम के सामने सब कुछ स्वीकार कर सकती थी। हालाँकि मुझे डर था कि मैं अपनी सांसारिक माँ से किया गया वादा पूरा नहीं कर पाऊँगी क्योंकि, अपने दम पर, मैं अभी भी मुश्किल से जीने की इच्छाशक्ति जुटा पा रही थी, मेरी माँ ने मुझे मरियम को अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित किया, इस विश्वास के साथ कि वह मुझे इससे बाहर निकलने में मदद करेगी। मुझे इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी कि इसका क्या मतलब है, लेकिन फादर माइकल ई. गेटली, एम.आई.सी. द्वारा लिखित ‘प्रातःकालीन महिमा और येशु के हृदय को सांत्वना देने के लिए 33 दिन’ नामक पुस्तिका ने मुझे समझने में मदद की। धन्य माँ मरियम हमेशा हमारी मध्यस्थ बनने के लिए तैयार रहती हैं, और वह कभी भी किसी बच्चे के अनुरोध को नहीं ठुकराएँगी जो येशु के पास वापस लौटना चाहता है। जैसे-जैसे मैं समर्पण की प्रार्थना कर रही थी, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं हार नहीं मानूँगी " इन्हीं शब्दों के साथ मैंने फिर कभी आत्महत्या का प्रयास न करने का संकल्प लिया। इस बीच, मैंने समुद्र तट पर लंबी सैर करना शुरू कर दिया, जबकि मैं परमेश्वर पिता से बात करती थी, और उड़ाऊ पुत्र के दृष्टांत पर ध्यान करती थी। मैंने खुद को उड़ाऊ पुत्र के स्थान पर रखने की कोशिश की, लेकिन परमेश्वर पिता के करीब आने में मुझे कुछ समय लगा। पहले, मैंने कल्पना की कि वह कुछ दूरी पर है, फिर मेरी ओर चल रहा है। दूसरे दिन, मैंने कल्पना की कि वह मेरी ओर दौड़ रहा है, भले ही यह पिता ईश्वर के दोस्तों और पड़ोसियों के लिए हास्यास्पद लग रहा हो। आखिरकार, वह दिन आया जब मैं खुद को पिता की बाहों में देख सकती थी, फिर न केवल उनके घर में बल्कि स्वर्गीय परिवार की मेज पर मेरे लिए निर्धारित मेरी सीट पर मेरा स्वागत किया जा रहा था। जब मैंने कल्पना की कि वह मेरे लिए एक कुर्सी खींच रहा है, तो मैं अब एक जिद्दी युवती नहीं थी, बल्कि नयी पीढ़ी का मजेदार चश्मा और बॉब हेयरकट वाली 10 वर्षीय लड़की थी। जब मैंने अपने लिए पिता के प्यार को स्वीकार किया, तो मैं फिर से एक छोटे बच्चे की तरह हो गई, मैं वर्तमान क्षण में जी रही थी और पूरी तरह से उन पर भरोसा कर रही थी। मैं परमेश्वर और उनकी वफादारी से प्यार करने लगी। मेरे अच्छे चरवाहे ने मुझे भय और क्रोध की कैद से बचाया है, वह मुझे सुरक्षित मार्ग पर ले जाता है और जब भी मैं लड़खड़ाती हूँ तो वह मुझे सहारा देता है। अब, मैं अपनी कहानी साझा करना चाहती हूँ ताकि हर कोई ईश्वर की अच्छाई और प्रेम को जान सके। उसका पवित्र हृदय सिर्फ़ आपके लिए कोमल प्रेम और दया से भरा हुआ है। वह आपसे भरपूर प्रेम करना चाहता है, और मैं आपको प्रोत्साहित करती हूँ कि बिना किसी डर या संकोच के आप ईश्वर का स्वागत करें। वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा या आपको निराश नहीं करेगा। उसके प्रकाश में कदम रखें और उसके आलिंगन में वापस लौटें।
By: Ellen Wilson
Moreमैं अपनी पुरानी प्रार्थना की डायरी देख रही थी, जिसमें मैंने प्रार्थना के लिए बहुत से अनुरोध लिखे थे। मुझे आश्चर्य हुआ कि उनमें से हर एक का उत्तर दिया गया! आजकल खबरों पर सरसरी नज़र डालने वाला कोई भी व्यक्ति निराश हो सकता है, वह सोच सकता है कि ईश्वर कहाँ है, उसे लगता है कि प्रत्याशा की बड़ी ज़रूरत है। मुझे पता है कि मैंने खुद को कुछ दिनों में इस स्थिति में पाया है। हम अपने आप को नियंत्रण से बाहर महसूस करते हैं, और हम सोचते हैं कि हम उन सभी भयानक बातों के बारे में क्या कर सकते हैं जिनका हम इन दिनों सामना करते हैं। मैं आपके साथ एक घटना साझा करना चाहती हूँ। कुछ साल पहले, जिन लोगों और बातों के लिए मैं प्रार्थना कर रही थी, मैंने उन प्रार्थना-अनुरोधों की एक डायरी रखनी शुरू की थी। मैं अक्सर इन बातों के लिए रोज़री माला की प्रार्थना करती थी, जैसा कि मैं आज भी प्रार्थना निवेदनों के लिए करती हूँ। एक दिन, मुझे अपनी लिखी हुई प्रार्थना अनुरोधों की एक पुरानी डायरी मिली। मैंने बहुत पहले लिखे गए मेरे उन पन्नों को पढ़ना शुरू किया। मैं चकित रह गयी। हर प्रार्थना का उत्तर मिला था - शायद हमेशा उस तरीके से नहीं, जैसा मैंने सोचा था, लेकिन ज़रूर उनका उत्तर मिला था। ये कोई छोटी-मोटी प्रार्थनाएँ नहीं थीं। "हे प्यारे परमेश्वर, कृपया मेरी चाची को शराब की लत से मुक्त कर। प्यारे ईश्वर, कृपया मेरी मित्र जो बांझ है, उसे बच्चे पैदा करने में मदद कर। प्यारे ईश्वर, कृपया मेरे दोस्त को कैंसर से चंगाई दे।" जैसे ही मैंने हर पृष्ठ को ऊपर से नीचे की ओर नज़र दौड़ाई, मुझे एहसास हुआ कि हर एक प्रार्थना का उत्तर मिला था। कई प्रार्थनाएँ मेरी कल्पना से भी बड़े और बेहतर तरीके से सुनी गयीं। कुछ ऐसी भी थीं, जिनके बारे में पहली नज़र में मुझे लगा कि उनका उत्तर नहीं मिला है। एक दोस्त जिसे कैंसर से चंगाई की ज़रूरत थी, वह मर गई थी, लेकिन फिर मुझे याद आया कि मरने से पहले उसने मेलमिलाप का संस्कार और रोगियों का विलेपन संस्कार प्राप्त किया था। वह ईश्वर की दया का अनुभव करती हुई, अपनी चारों ओर ईश्वर की चंगाई की कृपा के आलोक में, शांति से गुज़र गई। इसके अलावा, ज़्यादातर प्रार्थनाएँ इस दुनिया में ही सुनी गईं। कई प्रार्थनाएँ असंभव पहाड़ों की तरह लग रही थीं, लेकिन उन पहाड़ों को हटा दिया गया। हमारी प्रार्थनाओं और प्रार्थना में हमारी दृढ़ता को ईश्वर अपनी कृपा में लेता है, और वह सभी बातों को भलाई की ओर ले जाता है। मेरी प्रार्थनामय मौन और शांत अवस्था में, मैंने एक फुसफुसाहट सुनी, "मैं इन सभी बातों पर समय-समय पर काम करता रहा हूँ। चमत्कारों की ये कहानियाँ मैं लिखता रहा हूँ। मुझ पर भरोसा करो।" मेरा मानना है कि हम एक ख़तरनाक दौर में हैं। लेकिन मैं यह भी मानती हूँ कि हम ऐसे दौर के लिए बने हैं। आप मुझसे कह सकते हैं, "आपके व्यक्तिगत प्रार्थना अनुरोधों का उत्तर मिलना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन विभिन्न राष्ट्र आपस में युद्ध लड़ रहे हैं।" और मेरा जवाब फिर से यही है कि, ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है, यहाँ तक कि हमारी प्रार्थनाओं का उपयोग करके युद्ध को रोकना भी असंभव नहीं है। मुझे याद है कि ऐसा पहले हुआ है। हमें विश्वास करना चाहिए कि ईश्वर अभी भी इससे बड़ा काम कर सकता है। जो लोग याद करने के लिए पर्याप्त उम्र तक नहीं पहुंचे हैं, उनको मैं बताना चाहती हूँ कि कुछ वर्ष पहले एक डरावना दौर था जब ऐसा लग रहा था कि खूनी युद्ध होने वाला है। लेकिन रोज़री माला की शक्ति से, स्थिति बदल गई। मैं 8-वीं कक्षा में थी, और मुझे याद है कि फिलीपींस में सभी प्रकार के उथल-पुथल हो रहे थे। उस समय फ़र्डिनेंड मार्कोस उस देश के तानाशाही शासक थे। यह एक खूनी लड़ाई बनने जा रही थी जिसमें कुछ लोग पहले ही मर चुके थे। मार्कोस के एक कट्टर आलोचक, बेनिग्नो एक्विनो की हत्या कर दी गई। लेकिन यह खूनी लड़ाई नहीं हुई। मनीला के कार्डिनल जैम सिन ने लोगों से प्रार्थना करने को कहा था। लोग सेना के सामने गए, और ज़ोर ज़ोर से रोज़री माला की प्रार्थना करने लगे। वे सेना के लड़ाकू टैंकों के सामने खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे। और फिर, एक चमत्कारी घटना घटी। सेना ने अपने हथियार डाल दिए। यहां तक कि धर्म पर विश्वास नहीं करनेवाली मीडिया, शिकागो ट्रिब्यून ने भी रिपोर्ट की कि कैसे "बंदूकें रोज़री माला के सामने अभ्यर्पित की गईं।" क्रांति समाप्त हो गई, और परमेश्वर की महिमा दिखाई दी। चमत्कारों पर विश्वास करना बंद न करें। उन की प्रतीक्षा करें। और हर मौके पर रोज़री माला की प्रार्थना करें। प्रभु जानता है कि हमारी दुनिया को इसकी ज़रूरत है।
By: Susan Skinner
Moreजीवन के बोझ हमें दबाकर गिरा सकते हैं, लेकिन हिम्मत रखें! भला सामरी आपका इंतज़ार कर रहा है। पिछले कुछ सालों में, मैंने पोर्टलैंड, ओरेगन से पोर्टलैंड, मेन तक की यात्रा की है, पूरे देश में घूमकर, महिलाओं की आत्मिक साधनाओं में प्रवचन दिया और उन साधनाओं का नेतृत्व किया है। मुझे अपना काम पसंद है और मैं अक्सर इससे अभिभूत हो जाती हूँ। यात्रा करना और इतनी सारी वफादार महिलायें जो अपने घुटनों पर बैठकर ईश्वर का चेहरा तलाशती हैं, उनसे मिलना मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी कृपा मानती हूँ। लेकिन इस साल की शुरुआत में, जब मुझे स्तन कैंसर का पता चला, तब मेरा काम रुक गया। मेरे लिए यह इस बीमारी का दूसरा दौरा था। शुक्र है, हमें इसकी जानकारी बहुत पहले ही मिली; यह फैला नहीं था। हमने उपचार के लिए अपने विकल्पों पर विचार किया और डबल मास्टेक्टॉमी पर सहमत हुए। हमें उम्मीद थी कि उस सर्जरी के बाद, आगे के उपचार की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन जब उन्होंने माइक्रोस्कोप के नीचे ट्यूमर को अच्छी तरह से देखा, तो यह निर्धारित किया गया कि निवारक कीमोथेरेपी को ही करना पडेगा ताकि कीमो के कुछ दौर के साथ बीमारी की पुनरावृत्ति दर काफी कम हो जाएगी। मेरा दिल डर से भरा था और मेरे दिमाग में उल्टी और अपने सिर में गंजेपन की तस्वीरें ही घूम रहीं थीं। मैंने ऑन्कोलॉजिस्ट को फोन किया और अपॉइंटमेंट ले लिया। तभी, मेरे पति काम से आए और उन्होंने कहा: "मुझे अभी-अभी नौकरी से निकाल दिया गया है।" जब ऊपरवाला देता है, तब छप्पर फाड़कर देता है। त्रासदी ही त्रासदी इसलिए, बिना किसी आय के और हमारे मेलबॉक्स में आने वाले भारी चिकित्सा बिलों की संभावनाओं के साथ, हमने मेरे उपचार के लिए तैयारी की। मेरे पति ने बड़े लगन से अपना बायोडाटा अलग अलग जगह भेजे और कुछ साक्षात्कार केलिए आमंत्रण प्राप्त किए। हम आशान्वित थे। मेरे लिए, कीमोथेरेपी बहुत ज़्यादा उबकाई नहीं थी, लेकिन बहुत दर्दनाक थी। हड्डी के दर्द से मैं कई बार रो पड़ती थी, और कुछ भी इसे कम नहीं कर सकता था। मैं आभारी थी कि मेरे पति घर पर थे और मेरी देखभाल करने में मदद कर सकते थे। यहां तक कि उन क्षणों में भी जब वे कुछ नहीं कर सकते थे, बस उनका आस-पास होना एक बड़ी राहत थी। उनके नौकरी से निकाले जाने पर यह एक अप्रत्याशित अनुग्रह था। हमने ईश्वर की योजना पर भरोसा किया। सप्ताह बीतते गए। मेरे सर से सारे बाल गायब हो गए, मेरी ऊर्जा कम हो गई, और मैंने बस थोड़ा ही काम किया जो मैं कर सकती थी। मेरे प्रतिभाशाली पति के लिए कोई नौकरी का प्रस्ताव नहीं आया। हमने प्रार्थना की, हमने उपवास किया, हमने प्रभु पर भरोसा किया, और हमने उस त्रासदीपूर्ण समय के तनाव को महसूस करना शुरू कर दिया। गहराई से प्रभावित इस वर्ष, मेरी महिलाओं का प्रार्थना समूह संत मरियम मगदलीनी समुदाय के फादर गेब्रियल की उत्कृष्ट कृति ’दिव्य अंतरंगता’ के माध्यम से प्रार्थना कर रहा है। एक रविवार को, जब मुझे लगा कि मैं इन बोझों का एक और कदम नहीं उठा पाऊंगी, तो भले सामरी पर उनके विचार ने मुझ पर गहरा असर डाला। आपको लूकस 10 से वह लोकप्रिय दृष्टांत याद है जब एक आदमी को लूट लिया जाता है, वह पीटा जाता है, और उसे सड़क के किनारे छोड़ दिया जाता है। एक पुजारी और लेवी कोई सहायता दिए बिना उसके पास से गुजरते हैं। केवल सामरी ही उसकी देखभाल करने के लिए रुकता है। फादर गेब्रियल कहते हैं: “हमें भी अपने रास्ते में लुटेरों का सामना करना पड़ा है। संसार, शैतान और हमारी वासनाओं ने हमें नंगा कर दिया है और घायल कर दिया है... असीम प्रेम के साथ वह सर्वोत्कृष्ट भले सामरी हमारे खुले घावों पर झुके हुए हैं, उन्हें अपनी कृपा के तेल और दाखरस से ठीक किया है... फिर उन्होंने हमें अपनी बाहों में लिया और हमें एक सुरक्षित स्थान पर ले आए।" (दिव्य अंतरंगता #273) इस अंश के बारे में मुझे कितनी उत्सुकता से आत्मिक अनुभूति मिली! मेरे पति और मैं महसूस करते हैं कि हम लूटे गए हैं, पीटे गए हैं और परित्यक्त किये गए हैं। हमसे हमारी आय, हमारा काम, हमारी गरिमा छीन ली गई है। हमसे मेरे स्तन, मेरा स्वास्थ्य, यहाँ तक कि मेरे बाल भी छीन लिए गए हैं। जब मैं प्रार्थना कर रही थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि प्रभु हमारे ऊपर झुक रहे हैं, हमें अभिषेक कर रहे हैं और हमें ठीक कर रहे हैं, और फिर मुझे अपनी बाहों में ले रहे हैं और मेरे पति मेरे और प्रभु के साथ-साथ चल रहे हैं, और प्रभु हम दोनों को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं। मैं राहत और कृतज्ञता के आँसुओं से भर गई। फादर गेब्रियल आगे कहते हैं: "हमें उनसे, भले सामरी से मिलने के लिए मिस्सा बलिदान में जाना चाहिए ... जब वह पवित्र परम प्रसाद में हमारे पास आएंगे, तो वह हमारे घावों को ठीक करेंगे, न केवल हमारे बाहरी घावों को, बल्कि हमारे आंतरिक घावों को भी, उनमें प्रचुर मात्रा में उनकी कृपा का मीठा तेल और मजबूत करने वाला दाखरस की औषधि डालेंगे।" उस दिन शाम को, हम पाप स्वीकार और मिस्सा बलिदान में गए। अफ्रीका से एक आकर्षक पादरी हमारे पल्ली के लोगों से मुलाकात करने आए थे, जिनकी श्रद्धा और सौम्यता ने मुझे एक ही बार में प्रभावित कर दिया। पापस्वीकार संस्कार के दौरान उन्होंने मेरे लिए प्रार्थना की, मेरे दिल की इच्छाएँ पूरी करने के लिए —मेरे पति के लिए सम्मानजनक काम और मुझे ठीक करने के लिए - उन्होंने प्रभु से कहा। जब तक परम प्रसाद के वितरण का समय आया, मैं भले सामरी से मिलने के लिए अपने रास्ते पर खडी खडी रो रही थी, यह जानते हुए कि वह हमें सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा है—उसके पास, उसमे। कभी भी मेरे पास से गुज़रता भला सामरी मुझे पता है कि इसका मतलब यह होगा कि मेरे पति को नौकरी मिल जाए, या न मिल जाए और मैं बिना ज़्यादा दर्द के कीमोथेरेपी से गुज़र जाऊँ। लेकिन मेरे मन, दिल या शरीर में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि मैंने उस पवित्र परम प्रसाद में भले सामरी से मुलाक़ात की थी। वह मेरे पास से नहीं गुज़रा, बल्कि उसने रुककर मेरी देखभाल की और मेरे घावों पर मरहम पट्टी बांधी थी। वह भला सामरी मेरे लिए बिलकुल ही वास्तविक था जितना वह पहले कभी था, और यद्यपि मेरे पति और मैं अभी भी पराजित महसूस कर रहे हैं, मैं प्रभु को धन्यवाद देती हूं कि वह हमारे लिए एक भले सामरी के रूप में मौजूद है जो हमें रोकता है, देखभाल करता है, चंगा करता है, और फिर हमें सुरक्षित स्थान पर ले जाता है। उनकी सुरक्षा दुनिया की सुरक्षा नहीं है। इस "हमले" और डकैती के बीच में खडी होकर प्रतीक्षा करना, सबसे कठिन आध्यात्मिक कार्यों में से एक है जिसे करने के लिए मुझे बार बार आमंत्रित किया गया है। ओह, लेकिन मुझे हमारे भले सामरी पर पूरा भरोसा है। वह मुझे ले जाने के लिए वहाँ प्रतीक्षा कर रहा है - किसी को भी इकट्ठा करने के लिए जो लूटा हुआ, पीटा हुआ और परित्यक्त महसूस करता है - और, परम पवित्र संस्कार के माध्यम से, हमारे दिलों और आत्माओं पर सुरक्षा की अपनी मुहर लगाता है।
By: लिज़ केली स्टैंचिना
Moreलोग अक्सर आश्चर्यचकित हो जाते हैं जब मैं उन्हें बताता हूं कि मठ में मेरे सबसे करीबी दोस्त फादर फिलिप हैं, जो 94 वर्ष के हैं। वे मठ के सबसे बुजुर्ग सन्यासी हैं, और मैं सबसे छोटा हूं, और इस तरह हमारी यह जोड़ी बनती है; एक अन्य साथी सन्यासी हमें प्यार से "अल्फा और ओमेगा" कहकर बुलाते हैं। उम्र में अंतर के अलावा, हमारे बीच कई अंतर हैं। फादर फिलिप ने मठ में प्रवेश करने से पहले तट सुरक्षा बल में सेवा की, वनस्पति विज्ञान और अंग्रेजी का अध्ययन किया, रोम और रवांडा में रहकर सेवा दी, और कई भाषाओं में पारंगत हैं। संक्षेप में, उनके पास मुझसे कहीं अधिक जीवन का अनुभव है। जैसा कि कहा गया है, हममें कुछ बातें समान हैं: हम दोनों कैलिफ़ोर्निया के मूल निवासी हैं और प्रोटेस्टेंट सम्प्रदाय से धर्मान्तरित हैं (वे प्रेस्बिटेरियन और मैं बैपटिस्ट)। हम दोनों ओपेरा का भरपूर आनंद लेते हैं, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम एक साथ प्रार्थना का जीवन जीते हैं। जो हमारे समान हितों को साझा करते हों, ऐसे मित्रों का चयन करना स्वाभाविक है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं और जीवन में हमारी स्थितियाँ बदलती हैं, हम पाते हैं कि हम कुछ मित्रों को खो रहे हैं जबकि नए मित्र भी प्राप्त कर रहे हैं। अरस्तू का कहना है कि सभी मित्रता में कुछ न कुछ समानता अवश्य होनी चाहिए। स्थायी मित्रता वे हैं जो लंबे समय तक चलने वाली बातें साझा करती हैं। उदाहरण के लिए, पानी में सर्फिंग करनेवाले दो लोगों के बीच दोस्ती तब तक बनी रहती है जब तक पकड़ने के लिए लहरें मौजूद रहती हैं। हालाँकि, यदि कोई हलचल नहीं है या यदि कोई सर्फर घायल हो जाता है और अब बाहर नहीं निकल सकता है, तो दोस्ती तब तक फीकी रहेगी जब तक उन्हें आपस में साझा करने के लिए कुछ नया नहीं मिल जाता। इसलिए, यदि हम आजीवन मित्र बनाना चाहते हैं, तो कुंजी कुछ ऐसी चीज़ ढूंढना है जिसे जीवन भर, या इससे भी बेहतर, अनंत काल तक साझा किया जा सके। महायाजक कैफस ने येशु पर ईशनिंदा का आरोप लगाया जब उसने ईश्वर का पुत्र होने का दावा किया। इस कथन से कहीं अधिक निन्दात्मक तब था जब येशु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम मेरे मित्र हो।" क्योंकि परमेश्वर के पुत्र का मछुआरों, चुंगी लेनेवालों, और एक चरमपंथी से क्या मेल हो सकता है? ईश्वर और हमारे बीच संभवतः क्या समानता हो सकती है? वह हमसे बहुत बड़ा है। उसके पास जीवन का अनुभव अधिक है। वह अल्फ़ा और ओमेगा दोनों है। जो कुछ भी हम साझा करते हैं वह सबसे पहले उसी ने हमें दिया होगा। उनके द्वारा हमारे साथ साझा किए गए कई उपहारों में से, पवित्र बाइबिल इस बारे में स्पष्ट है कि कौन सा उपहार सबसे लंबे समय तक रहता है: "उनका दृढ़ प्रेम हमेशा के लिए बना रहता है।" "प्यार... सब कुछ सहता है।" "प्यार कभी खत्म नहीं होता।" जैसा कि यह पता चला है, ईश्वर के साथ दोस्ती करना काफी सरल है। हमें बस इतना करना है कि "प्यार करो क्योंकि उसने पहले हमसे प्यार किया।"
By: Brother John Baptist Santa Ana, O.S.B.
Moreस्वतंत्र कलाकार, होली रोड्रिगेज़ अपने पूरे जीवन में नास्तिक रहीं और वे कभी भी ईश्वर के बारे में नहीं सोचती थी या किसी धर्म में शामिल होने या यहां तक कि चर्च जाने के बारे में भी नहीं सोचती थी, लेकिन एक दिन ... वह 2016 के दिसंबर का महीना था, मैं सर्दियों की एक सुबह उठी और बस एक कप कॉफी से ज्यादा मैं कुछ नहीं चाह रही थी । मैं अपने जीवन भर नास्तिक थी। मैंने कभी भी परमेश्वर के बारे में नहीं सोचा था और निश्चित रूप से कभी किसी धर्म में शामिल होने या गिरजाघर जाने के बारे में भी नहीं। हालाँकि उस दिन, बिना किसी कारण के, मुझे अचानक गिरजाघर जाने की इच्छा हुई। मेरे जीवन में ऐसा कुछ भी असामान्य नहीं हो रहा था जिससे अचानक मेरा हृदय परिवर्तन हुआ हो। मैं इंग्लैंड के केंट में एक छोटे से समुद्र तटीय शहर में एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में काफी सामान्य, शांत जीवन जी रही थी। मैंने निकटतम गिरजाघर की खोज की जो उस दिन खुला था और कुछ कदमों की दूरी पर मुझे एक रोमन कैथलिक गिरजाघर मिला। यह एक आश्चर्य था। हालाँकि मैं उस क्षेत्र से कई बार गुज़री थी, पर मैंने पहले वहाँ कभी गिरजाघर नहीं देखा था। जब हम बंद हृदय से जीवन के पथ पर चलते हैं तो यह आश्चर्यजनक है कि हम परमेश्वर की उपस्थिति के प्रति कितने अंधे हैं, जबकि वह हमारे कितने निकट है। मेरा फोन बज उठा मैंने गिरजाघर के नंबर पर फोन किया और एक दयालु महिला ने फोन उठाया। उसने खुद को पल्ली के सचिव के रूप में पेश किया और मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे, जिसका जवाब देने में उन्होंने खुशी प्रकट की। उन्होंने मुझे बताया कि वह कैथलिक गिरजाघर है और वे वहां के फादर को बतायेंगी कि मैंने फोन किया था और हमने एक दुसरे को अलविदा कहा । मैं शर्मीली थी और मुझे नहीं पता था कि क्या उम्मीद की जाए। मैं हमेशा निर्णय लेने से पहले स्थिति के बारे में सबकुछ जानना पसंद करती हूँ। मुझे नहीं पता था कि कैथलिक कलीसिया क्या होती है, और मैं अपने जीवन में कभी किसी फादर से नहीं मिली थी। मैंने काम से छुट्टी लेने और कैथलिक धर्म के बारे में जानने का फैसला किया, और कुछ घंटों के लिए विकिपीडिया पर कैथलिक धर्म के बारे में बहुत कुछ पढ़ा। फिर मेरा फोन बजा। दूसरी लाइन पर एक सौम्य आवाज थी – जिसपर मार्क नामक एक फादर मुझसे बात कर रहे थे। वे बहुत ही मिलनसार और उत्साही थे जो मेरे लिए बहुत बड़ा आश्चर्य था। मैं अपने जीवन में कभी ऐसे किसी व्यक्ति से नहीं मिली थी जो मुझसे मिलने और मेरा स्वागत करने के लिए इतना उत्सुक हो। मैंने अगले दिन गिरजाघर जाकर फादर से मिलने का समय निर्धारित किया। जैसे ही मैं वहां पहुंची, फादर मार्क अपने पुरोहित वाले पोशाक में मेरा अभिवादन करने के लिए वहाँ खड़े थे। यह पहली बार था जब मैंने किसी पुरोहित को व्यक्तिगत रूप से देखा था और मुझे याद है कि मैं वास्तव में उनके पोशाक से मोहित हो गयी थी। मुझे लगता है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक पुरोहित कैसा दिखता होगा। मैंने कभी-कभी पोप को केवल टेलीविजन समाचारों पर संक्षिप्त रूप से देखा था, लेकिन इससे आगे कभी कुछ नहीं देखा था। फादर मार्क मेरे साथ बैठे और हमने कुछ घंटों तक बात की, फिर उन्होंने मुझे "आर.सी.आई.ए" कक्षाओं में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उसी समय से पवित्र मिस्सा में जाना शुरू करना अच्छा विचार होगा, और मैंने वैसा ही किया। मैं उस पहले पवित्र मिस्सा को याद करती हूं जिसमें मैंने भाग लिया था। वह गौदेते यानी आनंद का रविवार था और मैं, शिष्टाचार से एकदम अनजान, बिल्कुल सामने के बेंच पर बैठी थी। मेरे आस-पास हर कोई खड़ा हो रहा था और फिर बैठ रहा था और फिर खड़ा हो रहा था और कभी-कभी घुटने टेककर, धर्मसार और अन्य प्रार्थनाओं का पाठ कर रहा था। मैं नयी थी और मुझे यह थोड़ा डराने वाला लगा, लेकिन आकर्षक और पेचीदा भी। मैंने अपनी क्षमता के अनुसार उसका अनुसरण किया, जो बाकी सभी कर रहे थे। पुरोहित एक सुंदर गुलाबी वस्त्र पहना हुआ था जो बहुत अलंकृत और शोभित लग रहा था। उनको वेदी पर प्रार्थनायें बोलते हुए मैं ने सुना और मैं ने देखा कि सुंगंधित धूप की धुआँ गिरजाघर में भर गयी। अंग्रेजी भाषा में अर्पित किया गया वह मिस्सा बलिदान मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे पक्का मालूम कि मैं इसी जगह वापस आनी वाली हूँ। सीधे दिल की ओर मुझे यह इतना पसंद आया कि मैं हर सप्ताहांत गिरजाघर वापस जाती रही और बाद में प्रति दिन ख्रीस्तयाग में भाग लेने लगी। येशु के लिए मेरा प्यार हर मुलाकात में बढ़ता गया। मेरे पहले क्रिसमस जागरण मिस्सा के दौरान, पुरोहित ने अपने रेशमी वस्त्र से बालक येशु की प्रतिमा को उसी तरह की कोमलता से लिपट कर संभाले हुए थे, जिस तरह पुरोहित पवित्र संस्कार को पकड़ते हैं। गीतों और प्रार्थनाओं के साथ वे जुलूस में गिरजाघर की परिक्रमा करते हुए बालक येशु के साथ चरनी की ओर चले, और मेरी आंखें नम हो गईं थीं । वह सब बहुत प्यारा था। मैंने अपने जीवन में पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था। अब मैं कैथलिक कलीसिया में स्वीकार किए जाने के लिए तैयारी कर रही थी, मैंने पल्ली के पुरोहितों द्वारा दी गई धर्मशिक्षा को घर पर पढ़ने में बहुत समय बिताया। विशेष रूप से मेरे बपतिस्मा से एक हफ्ते पहले मुझे बताया गया था कि मुझे अपने दृढ़ीकरण संस्कार के लिए किसी एक स्वर्गिक संरक्षक संत को चुनना होगा। हालाँकि, वहाँ हजारों संत थे, और मुझे नहीं पता था कि मैं उन सभी में से किसे चुनूँगी। संत फिलोमेना के अलावा मैं अन्य संतों के बारे में कुछ नहीं जानती थी क्योंकि एक रविवार को फादर ने उनपर प्रवचन दिया था। परमेश्वर की कृपा से जब मैं पैरिश कैफे में स्वयंसेवा कर रही थी तो मुझे एक आकर्षक पुस्तक मिली जिसका नाम था "इंटीरियर कैसल्स"। वह पुस्तक एक स्पैनिश कार्मेल मठवासिनी साध्वी, अविला की संत तेरेसा द्वारा लिखी गयी थी जिसके बारे में मैंने पहले कभी नहीं सुना था। चूंकि मेरा परिवार स्पेनिश विरासत का है, इसलिए मैंने उसे अपनी संरक्षिका के रूप में चुना, हालांकि मैं उसके बारे में ज्यादा नहीं जानती थी। अंत में, 15 अप्रैल 2017 को पास्का जागरण मिस्सा के दौरान, मुझे कैथलिक गिरजाघर में बपतिस्मा और दृढ़ीकरण संस्कार मिला। मैं इस बात से ज्यादा उत्साहित नहीं थी की पास्का रविवार को मुख्य मिस्सा में गायक मंडली के साथ गाने के लिए मैं सुबह तरोताजा थी और जल्दी उठ गयी थी। लेकिन मैं इतनी उत्साहित इसलिये थी क्यूँकि मैं अब वेदी की रेलिंग पर खड़ी होकर पवित्र संस्कार ग्रहण कर सकती थी। इसके तुरंत बाद, मैं मरियम की सेना में शामिल हो गयी और मैंने रोज़री माला विनती करना, रोज़री बनाना और शहर के चारों ओर मिशन का काम करना शुरू कर दिया ताकि बिछुड़ गए कैथलिकों को पवित्र मिस्सा में वापस लाया जा सके और घर पर लोगों के साथ रोज़री माला विनती की जा सके। संत तेरेसा मेरे जीवन में मार्गदर्शक बनी रहीं, जो मुझे येशु से अधिक से अधिक प्यार करना सिखाती रहीं| लेकिन मुझे कार्मेल मठवासियों के बारे में जानकारी तभी मिली जब मैं आयल्सफोर्ड प्रियोरी में संत साइमन स्टॉक के धर्मस्थल के लिए एक दिन की तीर्थयात्रा पर हमारी पल्ली के लोगों के साथ शामिल हुई| वह कार्मेल मठवासियों का ऐतिहासिक मठ था। आमूलचूल बदलाव वर्षों बाद, मुझे एक अन्य स्पेनवासी, संत जोसेमरिया एस्क्रिवा के बारे में पता चला, जिन्हें अविला की संत तेरेसा और कार्मेल के मठवासियों से बहुत प्यार था। वे ‘ओपुस देई’ नामक कैथलिक संस्था के संस्थापक थे, जिसमें मैं एक सह-संचालक के रूप में शामिल हुई, और जिसमें मेरा दायित्व संस्था के सदस्यों और पुरोहितों के लिए प्रार्थना करना था। मैंने महसूस किया कि परमेश्वर मुझे एक गहरी प्रतिबद्धता के लिए बुला रहा है, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि वह प्रतिबद्धता ओपुस देई के साथ थी, या किसी धर्मसंघ में साध्वी के रूप में। एक पुरोहित मित्र ने मुझे बताया कि मुझे अपना मन बनाना होगा और फैसला करना होगा कि मुझे कौन सा रास्ता चुनना है, जिससे मैं हमेशा के लिए किसी भी अनिश्चितता में न रहूँ। उनका कहना सही था, इसलिए मैं परमेश्वर की पुकार सुनकर प्रार्थना और उपवास करने लगी। मेरा जीवन बहुत कम समय में बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरा था और मेरी आत्मा ने एक अंधेरी रात को सहा था। मेरा क्रूस मुझे बहुत भारी लग रहा था, लेकिन मैं जानती थी कि अगर मैं अपने विश्वास में दृढ़ बनी रही, तो सब ठीक हो जाएगा। मुझे अपने ऊपर मेरे द्वारा पूर्ण नियंत्रण को छोड़ देना था, मुझे मार्ग दिखाने केलिए परमेश्वर को मौक़ा देना था और उसकी इच्छा के विरुद्ध लड़ना बंद करना था। मैं अपने अहंकार में बहुत फंस गयी थी और वास्तव में अब परमेश्वर को सुनने की इच्छा मेरे अन्दर है। जब इस समझदारी का प्रकाश उदय हुआ, तब मैंने फैसला किया कि हर दिन जो परमेश्वर की ओर से एक उपहार के रूप में आता है, उसे अच्छे से जी लूंगी, और इस केलिए उससे मार्गदर्शन मांगूंगी। मैंने इस दर्शन को अपनाया कि ईश्वर हमें वहीं रखता है जहाँ हमारा प्रचुर जीवन है क्योंकि उस विशिष्ट समय में उसे हमारी आवश्यकता होती है। मैंने स्वयं को उसकी दिव्य इच्छा का साधन बना लिया। जब मैंने अपने आप को उसके लिए छोड़ दिया, तो परमेश्वर ने मुझे दिखाया कि सब कुछ उसकी इच्छा के अनुकूल हुआ था क्योंकि वह मुझे शुरू से ही बुला रहा था। हे दिव्य ज्योति, मेरा पथ प्रदर्शन कर! मुझे उन संतों से उपहार मिलते रहे जो मुझे कार्मेल तक ले जा रहे थे। एक दिन, मैं सीमेंट के फर्श पर उगते हुए चमकीले लाल गुलाब के फूल को देखकर मंत्रमुग्ध हो गयी। बाद में मुझे पता चला कि वह दिन लिस्यु के संत तेरेसा का जन्मदिन था जिन्होंने कहा था कि वह लोगों को स्वर्ग से एक संकेत के रूप में गुलाब भेजेंगी। उसी दिन, मैं अगरबत्ती की एक दुकान पर थी, जब मुझे सुंदर गुलाब से सुगंधित अगरबत्ती का एक डिब्बा मिला, जिस पर लिस्यु के संत तेरेसा की छवि छपी थी। इन छोटे संकेतों ने मेरे अन्दर बुलाहट और विश्वास के बीज बोने में मदद की। जैसे मैं यह लिख रही हूँ, मैं कैथलिक कलीसिया के सदस्य के रूप में अपनी छठवीं वर्षगांठ मनाने वाली हूं और कार्मेल पर्वत की कुँवारी मरियम के पावन उद्यान में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हूं। यदि परमेश्वर चाहता है तो साध्वी के रूप में जीने के इस बुलाहट को स्वीकार करते हुए, मैं अपना जीवन कलीसिया के लिए, दुनिया के लिए और पुरोहितों के लिए प्रार्थना करते हुए बिताऊँगी। यह एक लंबी यात्रा रही है, और मैं रास्ते में बहुत से अद्भुत लोगों से मिली हूँ। लिस्यु के संत तेरेसा ने कार्मेल को अपने उस रेगिस्तान के रूप में वर्णित किया जहां हमारे प्रभु ने मनन चिंतन और प्रार्थना में चालीस दिन बिताए, लेकिन मेरे लिए यह गेथसेमेनी का बाग़ है जहां हमारे प्रभु प्राण-पीड़ा में जैतून के पेड़ों के बीच बैठे थे। मैं निरंकुश प्रेम के साथ उनकी पीड़ा में शामिल होती हूं, और उनके साथ कलवारी के मार्ग पर क्रूस यात्रा करती हूं। हम साथ में आत्माओं के लिए पीड़ित होते हैं और दुनिया को अपना प्यार देते हैं।
By: Holly Rodriguez
Moreपरमेश्वर को “हाँ” कहना आपके जीवन में लिए गए निर्णयों में सबसे अच्छा निर्णय है! मिस्सा बलिदान के बाद उद्घोषणा करने वाली महिला ने निवेदन किया, "कृपया मदद करें, हमें कनिष्ठ उच्च धार्मिक शिक्षा कार्यक्रम के लिए शिक्षकों की सख्त जरूरत है।" मैंने न सुनने का नाटक किया। हम इलिनोय से एरिज़ोना वापस चले गए थे, और हमारे पांच बच्चों में से सबसे बड़ा लड़का हाई स्कूल में प्रवेश कर रहा था। प्रत्येक रविवार, उसी महिला द्वारा मिस्सा के बाद उसी सरल निवेदन की घोषणा! परमेश्वर शायद सप्ताह दर सप्ताह मुझ में कार्य कर रहा था। मुझे पता था कि मैं धर्म शिक्षा स्कूल की तालिका में अपने पांच बच्चों को जोड़ रही हूं; आखिर, शायद मुझे मदद करनी चाहिए। इसमें शरीक न होने का मेरा संकल्प फीका पड़ गया, और मैंने अपना नाम दर्ज कर लिया। मैं हमेशा कहा करती थी कि मैं "हाँ" वाले जीन के साथ पैदा हुई हूं। कुछ करने का मुझ में ज़ज्बा हैं, इसलिए जिन संगठनों से मैं जुड़ी हूँ, वे लोग जानते हैं कि मैं अपनी ज़िम्मेदारी निभाने केलिए मीलों की दूरी तय कर सकती हूँ। इसलिए मैं ने “हाँ” कहा। “मैं एक पालना कैथलिक हूँ; बच्चों को पढ़ाना कितना कठिन हो सकता है?” फिर भी मैं तैयार हो गयी। अगले कुछ वर्षों में, युवाओं के बीच सेवकाई के प्रभारी आते-जाते रहे। सबसे अंतिम युवा सेवक प्रभारी के जाने के बाद, हमारे पल्ली पुरोहित ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि आपके साथी स्वयंसेवक शिक्षकों ने आपको युवा सेवक प्रभारी के रूप में पदभार ग्रहण करने की सिफारिश की है। “मुझे?” “हाँ, क्या आप कोशिश करने को तैयार हैं?” फिर से, उस ‘हाँ जीन’ के कारण मैं ने हाँ कह दिया। ईश्वर रहस्यमय तरीके से काम करता है, और कुछ ही हफ्तों के भीतर, मैं धर्मशिक्षा के कनिष्क हाई स्कूल की नई प्रभारी बन गयी थी। मैंने पहले माना था कि कैथलिक कलीसिया के लिए केवल पुरोहित और नन (साध्वी लोग) ही काम कर सकते हैं। मुझे याद है कि पहले मैं सोचा करती थी कि प्रभु की दाखबारी में समान विचारधारा वाले सहकर्मियों के साथ ऐसे पवित्र वातावरण में काम करना कितना शानदार होगा। जल्दी ही वह कल्पना मिट गयी। अपने नए कार्य क्षेत्र में प्रवेश पाते ही, शीघ्र ही मुझे यह दु:खद अहसास हुआ कि कलीसिया के लिए काम करने वाला व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसके पास कठिन सवालों के जवाब हों और धार्मिक ज्ञान हो। उस विचार ने मुझे भयभीत कर दिया। कलीसिया सम्बन्धी मेरी कोई पृष्ठभूमि या शिक्षा नहीं थी। वास्तविकता यह है कि जब विश्वास की बात आती थी तो हर पल यह सोच मुझ पर आक्रमण करती थी कि मैं एक गूंगी की तरह इस कार्य के लिए अयोग्य थी। कैथलिक होने के चालीस वर्षों में अक्सर उद्धृत की जाने वाली उस पंक्ति से मैं अनभिज्ञ थी कि “परमेश्वर जिन्हें बुलाता है, उन्हें वह सुसज्जित करता है”। हालाँकि, यह वही डर था जिसने मुझे काम करने के लिए प्रेरित किया। कॉलेज जाना कोई विकल्प नहीं था। इसका मतलब था कि मुझे रचनात्मक होने की जरूरत है। जब मेरा एक बेटा अपनी किंडरगार्टन कक्षा में था, तब मुझे सिस्टर ग्लोरिया से एक कैसेट मिला था। आठ साल तक मैंने कभी इसे सुनने का समय नहीं निकाला। एक दिन किसी अदृश्य शक्ति ने मुझे इसे सुनने के लिए मजबूर किया। इसे आप "डॉ. स्कॉट हैन की रूपांतरण कहानी" कह सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि डॉ. हैन कौन थे, लेकिन एक शांत क्षण में, मैंने उस कैसेट को सुनना शुरू किया। सत्य की खोज में निकले प्रेस्बिटेरियन कलीसिया के इस पादरी की यात्रा आकर्षक थी, और वह यात्रा उन्हें कैथलिक कलीसिया में ले आई। मुझे और लालसा हुई। उस दौरान, हमें कैलिफोर्निया में उस गर्मी में होने वाले कैथलिक पारिवारिक सम्मेलन के बारे में सूचना दी गयी थी। मैंने अधिकांश वक्ताओं के नाम कभी नहीं सुना था, लेकिन पता चला कि डॉ. हैन रहेंगे। मेरे पति भी उत्सुक थे, और हम पूरे परिवार को ले आए। विख्यात वक्ता टिम स्टेपल्स, जेसी रोमेरो, स्टीव रे, और कई अन्य धर्मान्तरित वक्ताओं ने हमें प्रेरित किया, हमारे दिलों के अंगारों को हवा दी। हमने धर्म मंडन, विश्वास की रक्षा करने की कला सहित कई विषयों पर किताबें और कैसेट खरीदे। बच्चे उत्साहित थे, और हम भी। एक जुनून भरी आग हमारे अंदर सुलगने लगी थी जो हमारे पास पहले नहीं थी। साल-दर-साल, हम अन्य परिवारों को इस पारिवारिक वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते, और वे भी इसी आग से जल उठते। मुझे युवा सेवक के रूप में प्रमाण पात्र प्राप्त करने की आवश्यकता थी। एक बार फिर, ईश्वर ने मुझे मौका दिया और मैंने फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय में संत जॉन बॉस्को ग्रीष्मकालीन सम्मेलन में भाग लिया। यह सब मेरे लिए एक नया रोमांच था। मैंने प्रार्थना, आराधना, पूजा, धर्मशिक्षा और अविश्वसनीय वक्ताओं के माध्यम से कभी भी ईश्वर का इस प्रकार अनुभव प्राप्त नहीं किया था। मेरे अन्दर इन बातों की ऐसी भूख पैदा हुई जिसका मैं ने पहले कभी नहीं अनुभव किया था। मेरे द्वारा खाए गए हर अनमोल निवाला के साथ, मुझे और अधिक खाने की इच्छा हुई। इस ढलती उम्र में मैं परमेश्वर और अपने विश्वास के बारे में इतनी अज्ञानी कैसे हो सकती हूँ? लोगों की कल्पना के विपरीत, परमेश्वर के प्रति अपने ज्ञान और प्रेम का विस्तार करना उबाऊ नहीं है। यह उत्तेजक और प्रेरक है। ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता आखिरकार पोषित किया जा रहा था। मिस्सा बलिदान हमारे लिए जीवंत हो गया। मेरे जीवन के जिन आयामों का मैनें सामना किया उन सब में आनंद और विश्वास की वृद्धि स्पष्ट थी। मेरे उत्साही जुनून ने मेरे जीवन के सभी पहलुओं पर आधिपत्य जमाया, विशेषकर सेवकाई के क्षेत्र में। परमेश्वर ने उदारता से मुझे आशीर्वाद दिया, हाँ, और प्रचुर मात्रा में फल मिले। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, परमेश्वर मुझे अपने और करीब ले जा रहा था, वह मुझे अपने वचन रूपी रोटी के टुकड़े देकर मुझे संपोषित कर रहा था जो मुझे कदम-दर-कदम उसके करीब लाता गया। इक्कीस साल बाद, मैं अभी भी कैथलिक कलीसिया के लिए काम करती हूं लेकिन अब वैवाहिक तैयारी का प्रशिक्षण चलाती हूँ। मैं अभी भी उस आग को जारी रखने के कई तरीकों का अनुसरण करती हूँ जो इतने साल पहले लगी थी। मेरा अंतहीन आभार उन धर्मांतरित लोगों के लिए जाता है, जिन्होंने हर कीमत पर सत्य का अनुसरण किया और जिस दिशा में ईश्वर ने उनकी अगुवाई की, उसी ओर जाने केलिए वे तैयार थे। वे कभी नहीं जान पाएंगे कि परमेश्वर ने कितने लोगों के जीवन को उनकी हाँ के कारण प्रभावित किया, और उनमें से एक मेरा भी जीवन था। और हमारे वे पांच छोटे बच्चे बड़े हो गए, और उनकी शादी गिरजाघर में हुई और उनके अपने बच्चे प्रभु परमेश्वर को अनुभव करते हुए और अपने कैथलिक विश्वास से प्यार करते हुए बड़े हो रहे हैं। मेरे पति भी दस साल से उपयाजक (डीकन) के पद पर हैं। हे परमेश्वर, सारी महिमा और सभी श्रेय मैं तुझे देती हूँ। तू हमारे लिए कितने उदार और अच्छा है; तू मेरे दिल में आग प्रज्वलित करने का सबसे अच्छा तरीका जानता था। इसके लिए तुझे धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्दों की कमी है। “ईश्वर आप लोगों को प्रचुर मात्रा में हर प्रकार का वरदान देने में समर्थ हैं, जिससे आप को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, बल्कि हर भले काम केलिए चन्दा देने केलिए भी बहुत कुछ बच जाए।“ (2 कुरिन्थी 9:8) पीड़ा और प्रार्थना के माध्यम से, तूने मुझे जो कुछ भी दिया है, वह मुझे तेरे और मेरे मार्ग पर तेरे द्वारा लाये गए उन सभी के करीब ले आया है। धन्यवाद हे प्रभु!
By: बारबरा लिश्को
Moreक्या आपको लगता है कि आपका संघर्ष कभी खत्म न होने वाला है? जब हताशा आपके दिल को जकड़ लेती है, तो आप क्या करते हैं? मैं मनोचिकित्सक के कमरे में एक बड़ी कुर्सी पर हाथ मलते हुए बैठी थी और उनके आने का इंतज़ार कर रही थी। मैं उठकर भागना चाह रही थी। मनोचिकित्सक ने मेरा अभिवादन किया, कुछ साधारण से प्रश्न पूछे और फिर परामर्श की प्रक्रिया शुरू हुई। उनके पास एक डिजिटल टैबलेट और कलम थी। हर बार जब मैंने कुछ कहा या हाथ का इशारा किया, तो वे टैबलेट पर कुछ लिखते रहे। मैं अपने दिल की गहराई से जानती थी कि थोड़े समय के बाद वे निर्धारित करेंगे कि मेरी मानसिक हालत ऐसी है कि मैं मदद से परे हूं। वह सत्र इस सुझाव के साथ समाप्त हुआ कि मैं अपने जीवन की गड़बड़ी से निपटने में मदद के लिए ट्रैंक्विलाइज़र लूं। मैंने उनसे कहा कि मैं इसके बारे में सोचूँगी; लेकिन सहज रूप से मुझे पता था कि यह कोई समाधान नहीं था। हताश और अकेली एक और अपॉइंटमेंट लेने के लिए, मैं स्वागत कक्ष में बैठी महिला से अपने जीवन की गड़बड़ी के बारे में बात करती रही। उसके पास सुनने वाला दयालु कान था और उसने पूछा कि क्या मैंने कभी ‘अल-अनॉन’ की बैठक में जाने पर विचार किया था। उसने समझाया कि ‘अल-अनॉन’ उन लोगों के लिए है, जिनका जीवन परिवार के किसी सदस्य के अत्यधिक शराब पीने से प्रभावित हो रहा है। उसने मुझे एक नाम और फोन नंबर दिया और मुझे बताया कि यह ‘अल-अनॉन’ महिला मुझे एक बैठक में ले जायेगी। अपनी कार में बैठकर, बहते हुए आंसुओं के साथ, मैंने नाम और फ़ोन नंबर को देखा। मनोचिकित्सक से और अपने जीवन की परेशानियों से कोई राहत नहीं मिलने के बाद, मैं कुछ भी आजमाने के लिए तैयार थी। मैंने यह भी निष्कर्ष निकाला कि मनोचिकित्सक ने दवाइयों के अलावा कोई दूसरा हल न होने की बात पहले ही मुझसे कही थी। इसलिए, मैंने अल-अनॉन महिला को फोन किया। उसी क्षण मेरे जीवन की गड़बड़ी में ईश्वर ने प्रवेश किया, और मेरे ठीक होने की यात्रा शुरू हुई। मैं कहना चाहूंगी कि अल-अनोन के 12-चरणों वाले चंगाई कार्यक्रम की प्रक्रिया की शुरुआत के बाद यह सुचारू रूप से चल रहा था, लेकिन रास्तें में बड़ी पहाड़ियाँ तथा अंधेरी और सुनसान घाटियाँ खड़ी थीं, हालांकि वे हमेशा आशा की किरण के साथ खड़ी थीं। मैं प्रति सप्ताह दो अल-अनोन बैठकों में ईमानदारी से भाग लेती थी। अल-अनॉन के 12-चरणीय कार्यक्रम मेरी जीवन रेखा बन गया। मैंने अन्य सदस्यों के साथ खुल कर अपने बारे में बात की। धीरे-धीरे मेरे जीवन में प्रकाश की एक किरण आई। मैं फिर से प्रार्थना करने लगी और ईश्वर पर भरोसा करने लगी। दो साल की अल-अनोन बैठकों के बाद, मुझे पता था कि मुझे अतिरिक्त पेशेवर मदद की ज़रूरत है। एक दयालु अल-अनोन मित्र ने मुझे 30-दिवसीय अन्तरंग-रोगी उपचार कार्यक्रम में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरा दिल नरम हुआ क्योंकि मुझे शराब पर गुस्सा था, मैं इस उपचार कार्यक्रम में किसी भी ‘शराबी’ के आसपास नहीं रहना चाहती थी। उस गहन कार्यक्रम के दौरान, मैं वास्तव में शराब और नशीली दवाओं के लत में डूबे कई लोगों से घिरी हुई थी। ऐसा लगता है कि ईश्वर को पता था कि मुझे क्या ठीक करने की आवश्यकता है: जब मैंने अपने लत में डूबे साथियों के व्यक्तिगत दर्द और उनके कारण उनके परिवारों को हुए गहरे तकलीफों को देखा तो मेरा दिल नरम होने लगा। इस समर्पण के दौरान ही अपनी ही शराब की लत पर मैंने काबू पाया। मुझे पता चला कि मैं अपना दर्द छुपाने के लिए शराब पीती थी। मुझे पता चला कि मैं भी शराब का दुरुपयोग कर रही थी और यह सबसे अच्छा होगा कि मैं पूरी तरह से शराब से दूर रहूँ। उस महीने मैंने अपने पति के प्रति अपने क्रोध को दूर किया और उन्हें ईश्वर के हाथों में सौंप दिया। मेरे ऐसा करने के बाद, मैं उन्हें क्षमा कर सकी। मेरे 30 दिनों के उपचार कार्यक्रम के बाद, ईश्वर की कृपा से, मेरे पति ने भी शराब की लत के उपचार कार्यक्रम में प्रवेश किया। मेरा और मेरे पति का और हमारे दो किशोर बेटों का जीवन बेहतर हो रहा था। हम कैथलिक चर्च में वापस आ गए थे और एक एक दिन हमारा वैवाहिक जीवन दुरुस्त किया जा रहा था। दिल दहला देने वाला दर्द तब जीवन ने हमें एक अकल्पनीय झटका दिया जिसने हमारे दिलों को एक लाख टुकड़ों में तोड़ दिया। हमारा सत्रह वर्षीय बेटा और उसका दोस्त एक विनाशकारी कार दुर्घटना में मारे गए। यह हादसा गाड़ी के तेज रफ्तार और उन दोनों के शराब पीने के कारण हुआ। हम हफ्तों तक सदमे में रहे। हमारे बेटे के इस तरह हिंसात्मक ढंग से छीन जाने के कारण चार लोगों का हमारा परिवार अचानक तीन में सिमट गया। मेरे पति, मैं और हमारा 15 साल का बेटा एक-दूसरे से, अपने दोस्तों से, और अपने विश्वास से लिपटे रहे। इस दर्द को एक दिन में भी सहना मेरी सहनशक्ति के बाहर था, पर मुझे इसे हर मिनट, हर घंटे तक सहना था। मुझे लगा यह दर्द हमें कभी नहीं छोड़ेगा। ईश्वर की कृपा से, हमने मनोवैज्ञानिक परामर्श की एक विस्तारित अवधि में प्रवेश किया। दयालु और हमारी अच्छी परवाह करने वाले वह सलाहकार जानता था कि परिवार का प्रत्येक सदस्य किसी प्रियजन की मृत्यु से अपने तरीके से और अपने समय में निपटता है। इसलिए हमें अपने दुःख का सामना करने के लिए उन्होंने हममें से प्रत्येक के साथ व्यक्तिगत रूप से काम किया। मेरे बेटे की मौत के महीनों बाद भी, मैं गुस्से और रोष से भरी हुई थी। मेरे लिए यह जानना डरावना था कि मेरी भावनाएँ इतनी बेतहाशा नियंत्रण से बाहर हो गई थीं। मैं अपने बेटे के छीन जाने पर ईश्वर से नाराज नहीं थी, लेकिन अपने बेटे की मृत्यु की रात ही उसके गैर-जिम्मेदाराना फैसले के लिए उससे मैं नाराज थी। उसने शराब पीने का निर्णय लिया और एक ऐसी गाड़ी में सफ़र करने का निर्णय लिया जिसे किसी शराबी व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा था। मैं शराब पर और उसके विभिन्न रूपों और परिणामों पर क्रोधित थी। एक दिन हमारे स्थानीय सुपरमार्केट में, मैंने गलियारे के अंत में एक बियर की प्रदर्शनी देखी। हर बार जब भी मैं प्रदर्शनी के पास से गुजरती, तब मैं गुस्से से भर जाती। मैं प्रदर्शनी को तब तक ध्वस्त करना चाहती थी जब तक कि उसमें कुछ भी न बचा हो। इससे पहले कि मेरा गुस्सा बेकाबू होकर फूट पड़ता, मैं दुकान से बाहर निकल गयी। मैंने अपने पारिवारिक परामर्शदाता के साथ इस घटना को साझा किया। उन्होंने मुझे निशानबाज़ी के मैदान में ले जाने की पेशकश की, जहां मैं उनकी राइफल का इस्तेमाल निशाना लगाने, गोली मारने और अधिक से अधिक बीयर के खाली बोतलों को ध्वस्त करने के लिए कर सकती थी, ताकि मुझ पर हावी हो रहे शक्तिशाली क्रोध को सुरक्षित रूप से मैं मुक्त कर सकूं। प्यार जो चंगा करता है लेकिन ईश्वर के अपने अनंत ज्ञान में मेरे लिए अन्य कोमल योजनाएँ थीं। मैंने काम से एक सप्ताह की छुट्टी ली और एक आध्यात्मिक साधना में भाग लिया। साधना के दूसरे दिन, मैंने एक आंतरिक चँगाई वाले मनन चिंतन में भाग लिया जिसमें मैंने रंगीन फूलों, समृद्ध हरी घास और चहचहाने वाले नीले कोमल पक्षियों से भरे, शानदार पेड़ों से घिरे एक सुंदर बगीचे में येशु, अपने बेटे, और खुद को पाया। यह शांतिपूर्ण और निर्मल अनुभव था। मैं येशु की उपस्थिति में होने और अपने अनमोल बेटे को गले लगाने में सक्षम होने के लिए बहुत खुश थी। येशु, मेरा बेटा, और मैं इत्मीनान से हाथ में हाथ डाले, चुपचाप हमारे बीच में बहते अपार प्रेम को अनुभव करते हुए टहल रहे थे। ध्यान के बाद, मुझे गहन शांति का अनुभव हुआ। साधना से वापस घर लौटने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मेरा गुस्सा और रोष ख़तम हो चुका था। येशु ने मेरे बेकाबू क्रोध से मुझे चंगा किया था और उसके स्थान पर अपने अनुग्रह से भर दिया था। क्रोध के बजाय मुझे अपने अनमोल बेटे के लिए केवल प्यार महसूस हुआ। मेरे बेटे ने अपने बहुत छोटे जीवन में मुझे जो प्यार, खुशी और आनंद दिया है, उसके लिए मैं आभार महसूस कर रही थी। मेरा भारी बोझ हल्का होता जा रहा था। जब किसी परिवार में दु:खद मौत आती है, तो हर सदस्य की दिल में शोक भर जाता है। नुकसान को संभालना चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसके लिए हमें अंधेरी घाटियों से गुजरना पड़ता है। लेकिन ईश्वर का प्रेम और उसकी अद्भुत कृपा हमारे जीवन में धूप और आशा की किरणें वापस ला सकती है। ईश्वर के प्रेम से संतृप्त होने पर दुःख हमें अंदर से बाहर तक बदलता है, हमें धीरे-धीरे प्रेम और करुणा से भरे लोगों में परिवर्तित करता है। स्थिर आशा नशे की लत के प्रभावों और उसके साथ आने वाले मानसिक विभ्रांति के प्रभावों से और साथ साथ मेरे बेटे की मौत के शोक से भी निपटने के कई वर्षों के दौरान, मैं येशु मसीह, मेरी चट्टान और मेरे उद्धारकर्त्ता से जुड़ी हुई हूं। हमारे बेटे की मौत के बाद हमारे वैवाहिक जीवन को काफी नुकसान हुआ। लेकिन ईश्वर की कृपा से और उससे और मदद मांगने की हमारी इच्छा के कारण, हम प्रतिदिन एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं। हमारे उद्धारकर्ता और हमारे प्रभु येशु मसीह में आशा रखने के लिए यह दैनिक समर्पण, विश्वास, स्वीकृति और प्रार्थना आवश्यक है। हम में से प्रत्येक के पास दूसरों के साथ साझा करने के लिए अपने जीवन की एक कहानी है। अक्सर यह आनंद और आशा के मिश्रण के साथ दिल के दर्द, चुनौती और दुख की कहानी होती है। चाहे हम इसे स्वीकार करें या न करें, सच्चाई यह है कि हम सभी ईश्वर को खोज कर रहे हैं। जैसा कि संत अगस्टिन ने कहा है: "हे ईश्वर, तूने हमें अपने लिए बनाया है, और हमारा दिल तब तक बेचैन है जब तक यह तुझ में विश्राम नहीं पाता।" ईश्वर की खोज में हम में से बहुत से लोगों ने ऐसे रास्ते निकाले हैं, जो अंधेरी और सुनसान जगहों की ओर हमें ले जाते हैं। हममें से कुछ लोगों ने उस मार्ग से भटक जाने से अपने आप को बचाकर रखा है और येशु के साथ गहरे संबंध की हमने तलाश की है। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने जीवन के किस दौर से गुजर रहे हैं, क्योंकि आगे आशा और चंगाई ज़रूर है। हर पल ईश्वर हमें खोज रहा है। हमें बस इतना करना है कि हम अपना हाथ आगे बढ़ाएँ और उसे थामने दें और उसे हमारी अगुवाई करने दें। “यदि तुम समुद्र पार करोगे, तो मैं तुम्हारे साथ होऊँगा। जलधाराएं तुम्हें बहा कर नहीं ले जायेंगी। यदि तुम आग पार करोगे, तो तुम नहीं जलोगे। ज्वालाएँ तुम को भस्म नहीं करेंगी; क्योंकि मैं, प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ; मैं इस्राएल का परम पावन उद्धारक हूँ। (इसायाह 43:2-3)
By: कॉनी बेकमैन
Moreजब ईश्वर हमें बुलाता है तब वह रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की शक्ति भी हमें देता है। जीवन के तूफानी हमलों के दौर में फादर पीटर परमेश्वर से कैसे लिपटे रहे, इस अद्भुत कहानी को पढ़ें। अप्रैल 1975 में जब कम्युनिस्टों ने वियतनाम पर कब्जा कर लिया, तब उस देश के दक्षिणी छोर में रहने वाले लोगों का जीवन हमेशा के लिए बदल गया। कम्युनिस्टों ने दस लाख से अधिक दक्षिण वियतनामी सैनिकों को पकड़ लिया और उन्हें पूरे देश के विभिन्न जगहों पर बनाए गए नज़रबंदी शिविरों में कैद कर दिया था। इसके अलावा सैकड़ों हजारों ख्रीस्तीय पुरोहितों, सेमिनारी में रहनेवाले बंधुओं, साध्वियों, मठवासी भिक्षुओं और धर्मबन्धुओं को कारागारों और सुधार गृहों में बंद कर दिया गया था ताकि उनका ब्रेनवॉश किया जा सके। उनमें से लगभग 60% की मृत्यु उन शिविरों में हुई जहाँ उन्हें कभी भी अपने परिवार या दोस्तों से मिलने की अनुमति नहीं थी। वे ऐसे रहते थे जैसे उन्हें भुला दिया गया हो। युद्ध से बिखरा राष्ट्र मेरा जन्म 1960 के दशक में, युद्ध के दौरान, अमेरिकियों के मेरे देश में आने के ठीक बाद हुआ था। उत्तर और दक्षिण के बीच लड़ाई के दौरान मेरी परवरिश हुई थी, इसलिए युद्ध सम्बंधित घटनाएं मेरे बचपन की पृष्ठभूमि बन गयी। जब युद्ध समाप्त हुआ, तब तक मैं लगभग माध्यमिक विद्यालय समाप्त कर चुका था। मुझे इस बारे में ज्यादा समझ नहीं आया कि यह सब क्या है, लेकिन मुझे यह देखकर बहुत दु:ख हुआ कि इतने सारे लोग जो मारे गए या कैद किए गए अपने सभी प्रियजनों के लिए दुखी हैं। जब कम्युनिस्टों ने हमारे देश पर कब्जा कर लिया, तो सब कुछ उल्ट गया। हम अपने विश्वास के लिए लगातार सताए जाने के डर में जी रहे थे। वस्तुतः कोई स्वतंत्रता नहीं थी। हमें नहीं पता था कि कल हमारे साथ क्या होगा। हमारा भाग्य पूरी तरह से कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के हाथों में था। ईश्वर की पुकार का जवाब इन अशुभ परिस्थितियों में मैंने ईश्वर की पुकार को महसूस किया। प्रारंभ में, मैंने इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, क्योंकि मैं जानता था कि मेरे लिए उस पुकार का पालन करना असंभव था। सबसे पहले, कोई गुरुकुल या सेमिनरी नहीं था जहाँ मैं पुरोहिताई के लिए अध्ययन कर सकता था। दूसरी बात, अगर सरकार को पता चल गया तो यह न केवल मेरे लिए खतरनाक होगा, बल्कि मेरे परिवार को भी दंडित किया जाएगा। और इन सबके अलावा, मैं येशु का शिष्य बनने के लिए अपने आप को अयोग्य महसूस कर रहा था। हालाँकि, परमेश्वर के पास अपनी योजना को पूरा करने का अपना तरीका है। इसलिए मैं 1979 में भूमिगत सेमिनरी में शामिल हो गया। सोलह महीने बाद, स्थानीय पुलिस को पता चला कि मैं एक ख्रीस्तीय पुरोहित बनने की तैयारी कर रहा हूँ, इसलिए मुझे जबरन सेना में भर्ती कर लिया गया। मुझे उम्मीद थी कि चार साल बाद मुझे रिहा किया जा सकता है, ताकि मैं अपने परिवार और अपनी पढ़ाई में वापस आ सकूं, लेकिन सैनिक प्रशिक्षण के दौरान एक साथी सैनिक ने मुझे चेतावनी दी कि हमें कंपूचिया में लड़ने के लिए भेजे जायेंगे। मैं जानता था कि कंपूचिया में लड़ने गए 80% सैनिक कभी वापस नहीं आए। मैं इस संभावना से इतना डर गया था, कि मैंने खतरनाक जोखिमों के बावजूद सैनिक शिविर से भाग जाने की योजना बनाई। हालांकि मैं सफलतापूर्वक बच निकला, फिर भी मैं खतरे में था। मैं घर लौटकर अपने परिवार को खतरे में नहीं डाल सकता था, इसलिए मैं लगातार इस डर से इधर-उधर भटक रहा था कि कहीं कोई मुझे देख लेगा और पुलिस को रिपोर्ट कर देगा। जीवन के लिए पलायन इस प्रतिदिन के आतंक का कोई अंत नज़र नहीं आ रहा था। उस एक वर्ष के कठिन दौर के बाद, मेरे परिवार ने मुझसे कहा कि, सभी की सुरक्षा के लिए, मुझे वियतनाम से भागने का प्रयास करना चाहिए। एक अंधेरी रात में, आधी रात के बाद, मैंने गुप्त निर्देशों का पालन करते हुए, मछली पकड़ने वाली छोटी लकड़ी की एक नाव की ओर रेंगना शुरू किया, जहाँ कम्युनिस्ट गश्ती दल से बचकर भागने के लिए पचास लोग सवार थे। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, हमने अपनी सांसें और एक-दूसरे का हाथ तब तक थामे रखा जब तक हम खुले समुद्र में सुरक्षित बाहर नहीं निकल गए। लेकिन हमारी परेशानी अभी शुरू ही हुई थी। हमें कहाँ जाना है, इसके बारे में हमारे पास केवल एक अस्पष्ट विचार था और वहाँ जाने के लिए कहाँ कहाँ से होकर जाना है, इसकी बहुत कम समझ थी। हमारा पलायन कठिनाइयों और खतरों से भरा था। हमने भयानक मौसम में समुद्र के उबड़-खाबड़ लहरों के बीच उठते गिरते उछलते-कूदते चार दिन बिताए। एक समय आया जब हमने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। हम अगले तूफान से बच पायेंगे या नहीं इसका हमें संदेह था। हम मानने लगे थे कि हम अपनी मंजिल पर कभी नहीं पहुंचेंगे क्योंकि हम समुद्र की दया पर ही निर्भर थे जो हमें कहीं नहीं ले जा रहा था। हमें बिलकुल पता नहीं चल रहा था कि हम कहां हैं। हम केवल इतना ही कर सकते थे कि परमेश्वर के विधान पर भरोसा करके अपने जीवन को उनके हाथ में छोड़ दें। इस पूरे समय में, परमेश्वर ने हमें अपने संरक्षण में रखा था। जब आखिरकार हमें मलेशिया के एक छोटे से द्वीप पर शरण मिली, तब हमें अपने सौभाग्य पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। मैंने वहां के एक शरणार्थी शिविर में आठ महीने बिताए, और उसके बाद मुझे ऑस्ट्रेलिया में शरण मिली। मजबूती से खड़ा जीवन इस तरह के आतंकों को सहने के बाद, मुझे आखिरकार पता चला कि "बारिश के बाद धूप आती है"। हमारे पास एक पारंपरिक कहावत है, "हर प्रवाह में एक भाटा या उतार होगा"। जीवन में हर किसी के पास आनंद और संतोष के दिनों के विपरीत कुछ उदास दिन होने चाहिए। शायद यही मानव जीवन का नियम है। जन्म से कोई भी सभी दुखों से मुक्त नहीं हो सकता। कुछ दुःख शारीरिक हैं, कुछ मानसिक और कुछ आध्यात्मिक हैं। हमारे दु:ख एक दूसरे से भिन्न हैं, लेकिन लगभग सभी को दुःख का स्वाद चखना पड़ेगा। हालाँकि, दुःख स्वयं मनुष्य को नहीं मार सकता। केवल ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण में बने रहने की इच्छाशक्ति की कमी ही कुछ लोगों को इतना हतोत्साहित कर सकती है कि वे भ्रामक सुखों में शरण लेते हैं, या दुःख से बचने के व्यर्थ प्रयास में आत्महत्या का विकल्प चुनते हैं। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैंने एक कैथलिक के रूप में अपने जीवन के लिए पूरी तरह से ईश्वर पर भरोसा करना सीखा है। मुझे विश्वास है कि जब भी मैं मुसीबत में हूँ, वह मेरी सहायता करेगा, विशेष रूप से जब ऐसा लगता है कि मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, या मैं शत्रुओं से घिरा हुआ हूँ। मैंने अपने अनुभव से सीखा हैकि ईश्वर को ही अपने जीवन की ढाल और गढ़ मानकर उनकी शरण लेनी चाहिए। जब वह मेरे साथ होता है तो कोई भी ताकत मुझे हानि नहीं पहुंचा सकता (भजन संहिता 22)। नई भूमि में नया जीवन जब मैं ऑस्ट्रेलिया पहुंचा, तो मैंने अंग्रेजी सीखने में पूरी ताकत लगा दी ताकि मैं पुरोहिताई के लिए अध्ययन जारी रखने की अपने दिल की लालसा का पालन कर सकूं। शुरुआत में इतनी अलग संस्कृति में रहना मेरे लिए आसान नहीं था। अक्सर, अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए सही शब्द नहीं मिलते थे, इसलिए अक्सर गलतफहमियाँ हो जाती थीं। कभी-कभी हताशा में जोर-जोर से चिल्लाने का मन करता था। परिवार, या दोस्तों, या पैसे के बिना, नया जीवन शुरू करना कठिन था। मैंने अकेलापन, तन्हाई और अलग-थलग होने का दर्द महसूस किया, मुझे परमेश्वर के अलावा किसी का भी समर्थन नहीं मिला। परमेश्वर हमेशा मेरे साथी रहा है, वह मुझे सभी बाधाओं के बावजूद डटे रहने की शक्ति और साहस देता है। अंधेरे के बीचे में परमेश्वर के प्रकाश ने ही मेरा मार्गदर्शन किया, ऐसे दौर में भी जब मैं उसकी उपस्थिति को पहचानने में असफल रहा। मैंने जो कुछ भी हासिल किया है वह उसकी कृपा से है और मुझे उसका अनुसरण करने हेतु बुलाने के लिए मैं उसका आभारी रहूंगा।
By: फादर पीटर हंग ट्रान
Moreजब मैंने यह प्रभावशाली प्रार्थना शुरू की थी, तो मुझे इतनी उम्मीद नहीं थी... “हे बालक येशु की नन्हीं तेरेसा, कृपया मेरे लिए स्वर्गीय बगीचे से एक गुलाब चुनिए और इसे प्रेम के संदेश के रूप में मुझे भेजिए।” यह निवेदन, जो संत तेरेसा को संबोधित ‘मुझे एक गुलाब भेजो’ नोवेना के तीन निवेदनों में से पहला है; और इस निवेदन ने मेरा ध्यान खींचा। मैं अकेली थी. एक नए शहर में बिलकुल अकेली, नए दोस्तों की चाहत के साथ। आस्था के नए जीवन में अकेली, किसी दोस्त और रोल मॉडल की चाह ली हुई। मैं संत तेरेसा के बारे में पढ़ रही थी। बपतिस्मा के दौरान मुझे यही नाम दिया गया था, लेकिन उस संत के प्रति मेरा कोई विशेष आकर्षण नहीं था। संत तेरेसा 12 साल की उम्र में ही येशु के प्रति भावुक भक्ति में जी रही थी और 15 साल की उम्र में कार्मेलाइट मठ में प्रवेश पाने के लिए संत पापा से विशेष निवेदन किया था। मेरा अपना जीवन बहुत अलग था। मेरा गुलाब कहाँ है? तेरेसा आत्माओं की मुक्ति केलिए जोश से भरी हुई थीं; उसने एक खूंखार अपराधी के मन परिवर्तन के लिए प्रार्थना की थी। कार्मेल के कॉन्वेंट की गुप्त दुनिया में बैठकर, उसने दूर-दराज इलाकों पर ईश्वर के प्रेम को फैलाने वाले मिशनरियों के लिए अपनी प्रार्थना समर्पित की। अपनी मृत्यु शैया पर लेटी हुई, नॉरमंडी की इस पवित्र साध्वी ने मठ की अपनी बहनों से कहा था: "मेरी मृत्यु के बाद, मैं गुलाबों की बारिश करूंगी। मैं स्वर्ग में रहकर पृथ्वी पर भलाई के कार्य करूंगी।" मैंने जो किताब पढ़ी, उसमें लिखा था कि 1897 में उसकी मृत्यु के बाद से, उसने दुनिया को कई आशीषें, चमत्कार और यहां तक कि गुलाब भी दिए हैं। "शायद वह मेरे लिए एक गुलाब भेजेगी," मैंने सोचा। यह मेरे जीवन की पहली नोवेना प्रार्थना थी। मैं ने प्रार्थना के दो अन्य निवेदनों के बारे में अधिक नहीं सोचा- अर्थात् मेरे निवेदनों के लिए ईश्वर से मध्यस्थ प्रार्थना करने की कृपा और मेरे लिए ईश्वर के महान प्रेम में गहरा विश्वास करना ताकि मैं तेरेसा के छोटे मार्ग का अनुकरण कर सकूँ। मुझे याद नहीं कि मेरा निवेदन क्या था और मैं तेरेसा के छोटे मार्ग के बारे में कुछ समझ नहीं पा रही थी। मेरा ध्यान बस गुलाब पर था। नौवें दिन की सुबह, मैंने आखिरी बार नोवेना प्रार्थना की। और इंतज़ार किया। शायद आज कोई फूलवाला मेरे पास आकर मुझे गुलाब दे देगा। या शायद मेरे पति काम से लौटते समय मेरे लिए गुलाब लेकर घर आएँगे। दिन के अंत तक, मेरे दरवाज़े पर आया एकमात्र गुलाब एक कार्ड पर छपा हुआ था जो एक मिशनरी समाज से ग्रीटिंग कार्ड के पैक में आया था। यह एक चमकदार लाल, सुंदर गुलाब था। क्या यह तेरेसा की ओर से मेरा गुलाब था? मेरी अदृश्य मित्र कभी-कभी, मैंने फिर से ‘मुझे गुलाब भेजो’ नोवेना प्रार्थना की। हमेशा परिणाम समान था। गुलाब छोटे, छिपे हुए स्थानों में दिखाई देते थे; मैं रोज़ नाम के किसी व्यक्ति से मिलती, और इसके अलावा मुझे गुलाब दिखाई देता किसी पुस्तक के कवर पर, किसी फ़ोटो की पृष्ठभूमि में, या किसी मित्र की मेज़ पर। आखिरकार, जब भी मैं गुलाब देखती, संत तेरेसा मेरे दिमाग में आती। वह मेरे दैनिक जीवन की सहेली बन गई थी। नोवेना को पीछे छोड़ते हुए, मैंने पाया कि मैं जीवन के संघर्षों में उनसे मध्यस्थता माँग रही हूँ। तेरेसा अब मेरी अदृश्य मित्र थी। मैंने अधिक से अधिक संतों के बारे में पढ़ा, और इन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने ईश्वर के प्रति भावुक प्रेम को किस तरह से जिया, इस पर आश्चर्यचकित हुई । इन लोगों के समूह को जानना, जिनके निश्चित रूप से स्वर्ग में होने के बारे में कलीसिया ने की घोषणा की है, इन सब बातों ने मुझे आशा दी। हर जगह और हर जीवन में, वीरतापूर्ण सद्गुण के साथ जीना संभव होना चाहिए। पवित्रता मेरे लिए भी संभव है। और ऐसे कई रोल मॉडल थे। बहुत सारे! मैंने संत फ्रांसिस डी सेल्स के धैर्य, संत जॉन बॉस्को में प्रत्येक बच्चे की ध्यानपूर्ण देखभाल और कोमल मार्गदर्शन, और हंगरी की संत एलिजाबेथ की दानशीलता का अनुकरण करने की कोशिश की। भक्ति और परोपकार के मार्ग पर मेरी मदद करनेवाले उनके उदाहरणों के लिए मैं आभारी थी। इनसे परिचित होना महत्वपूर्ण था, लेकिन तेरेसा इन सबसे अधिक थी। वह मेरी दोस्त बन गई थी। एक शुरुआत आखिरकार, मैंने संत तेरेसा की आत्मकथा, द स्टोरी ऑफ़ ए सोल (एक आत्मा की कहानी) पढ़ी। उनके इस व्यक्तिगत गवाही में मैंने पहली बार उनके छोटे मार्ग या ‘लिटिल वे’ को समझना शुरू किया। तेरेसा ने खुद को आध्यात्मिक रूप से एक बहुत ही छोटे बच्चे के रूप में कल्पना की थी जो केवल बहुत ही छोटे कार्य करने में सक्षम थी। लेकिन वह अपने पिता का बहुत सम्मान करती थी और जो उससे प्यार करता था, उन के लिए एक उपहार के रूप में हर छोटी-छोटी चीज को बड़े प्यार से करती थी। प्यार का बंधन उसके उपक्रमों के आकार या सफलता से बड़ा था। यह मेरे लिए जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण था। उस समय मेरा आध्यात्मिक जीवन एक ठहराव पर था। शायद तेरेसा के छोटे मार्ग से इसकी शुरूआत हो सकती थी। एक बड़े और सक्रिय परिवार की माँ होने के नाते, मेरी परिस्थितियाँ तेरेसा से बहुत अलग थीं। शायद मैं अपने दैनिक कार्यों को उसी प्रेमपूर्ण दृष्टिकोण से करने का प्रयास कर सकती थी। अपने घर की छोटी सी जगह और गुप्तता में, जैसा कि तेरेसा के लिए अपना कॉन्वेंट था, मैं प्रत्येक कार्य को प्रेम से करने का प्रयास कर सकती थी। प्रत्येक कार्य ईश्वर के प्रति प्रेम का उपहार हो सकता था; और विस्तार से, प्रत्येक कार्य मेरे पति, मेरे बच्चे, पड़ोसी के प्रति प्रेम का उपहार हो सकता था। कुछ अभ्यास के साथ, हर बार डायपर परिवर्तन, प्रत्येक भोजन जो मैंने मेज पर रखा, और प्रत्येक कपड़े धोने का भार प्रेम की एक छोटी सी भेंट बन गया। मेरे दिन आसान हो गए, और ईश्वर के प्रति मेरा प्रेम मजबूत हो गया। मैं अब अकेली नहीं थी। अंत में, इसमें नौ दिनों से कहीं अधिक समय लगा, लेकिन गुलाब के लिए मेरे आवेगपूर्ण अनुरोध ने मुझे एक नए आध्यात्मिक जीवन के मार्ग पर स्थापित कर दिया। इसके माध्यम से, संत तेरेसा मुझ तक पहुँचीं। उसने मुझे प्रेम की ओर खींचा, उस प्रेम की ओर जो स्वर्ग में संतों का बंधुत्व है, अपने "छोटे मार्ग" का अभ्यास करने के लिए और सबसे बढ़कर, ईश्वर के प्रति अधिक प्रेम की ओर उसने मुझे खींच लिया। आखिरकार मुझे गुलाब से कहीं ज़्यादा मिला! क्या आप जानते हैं कि संत तेरेसा का पर्व 1 अक्टूबर को है? तेरेसा-नामधारियों को पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
By: एरिन राइबिकी
Moreअक्सर, किसी वाद्य यंत्र से सुंदर धुनें बजाने के लिए किसी उस्ताद की ज़रूरत होती है। यह एक भयंकर प्रतिस्पर्धा थी जिसमें खरीदार हर चीज़ के लिए एक-दूसरे से ज़्यादा बोली लगाने की होड़ में थे। उन्होंने उत्सुकता के साथ सभी वस्तुओं को खरीद लिया और नीलामी बंद होने वाली थी, सिवाय एक वस्तु के - एक पुराना वायलिन। खरीदार खोजने के लिए उत्सुक, नीलामीकर्ता ने तार वाले वाद्य को अपने हाथों में लिया और जो कीमत उसे आकर्षक लगी, उसे पेश किया: “अगर किसी को दिलचस्पी है, तो मैं इसे 100 डॉलर में बेचूंगा।” कमरे में मौत जैसी खामोशी छा गई। जब यह स्पष्ट हो गया कि पुराने वायलिन को खरीदने के लिए यह कीमत भी किसी को भी राजी करने के लिए पर्याप्त नहीं थी, तो उसने कीमत घटाकर 80 डॉलर, फिर 50 डॉलर और अंत में, हताश होकर 20 डॉलर कर दी। एक और चुप्पी के बाद, पीछे बैठे एक बुजुर्ग सज्जन ने पूछा: “क्या मैं वायलिन को देख सकता हूँ?” नीलामीकर्ता ने राहत महसूस की कि कोई पुराने वायलिन में दिलचस्पी दिखा रहा है, इसलिए उसने हाँ कह दी। कम से कम उस तार वाले वाद्य को एक नया मालिक और नया घर मिलने की संभावना बन रही थी। एक उस्ताद का स्पर्श बूढ़ा आदमी पीछे की सीट से उठा, धीरे-धीरे आगे की ओर चला, और पुराने वायलिन की सावधानीपूर्वक जांच की। अपना रूमाल निकालकर, उसने उसकी सतह को झाड़ा और जब तक कि एक-एक करके, वे सारे तार सही स्वर में आ गए, तब तक प्रत्येक तार को धीरे-धीरे ट्यून किया। आखिरकार, और केवल तभी, उसने पुराने वायलिन को अपनी ठोड़ी और बाएं कंधे के बीच रखा, अपने दाहिने हाथ से गज़ को उठाया, और संगीत का एक अंश बजाना शुरू किया। पुराने वायलिन से निकलने वाला प्रत्येक संगीत स्वर कमरे में सन्नाटे को भेदता हुआ हवा में खुशी से नाच रहा था। सभी चकित रह गए, और उन्होंने वाद्य से निकल रहे संगीत के कमाल को ध्यान से सुना जो सभी के लिए स्पष्ट था - एक उस्ताद के हाथों का कमाल। उन्होंने एक परिचित शास्त्रीय भजन बजाया। धुन इतनी सुंदर थी कि इसने नीलामी में मौजूद सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया और वे अचंभित रह गए। उन्होंने कभी किसी को इतना सुंदर संगीत बजाते हुए नहीं सुना था या देखा भी नहीं था, एक पुराने वायलिन पर तो बिल्कुल भी नहीं। और उन्होंने एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि नीलामी फिर से शुरू होने पर इससे उन्हें खूब मज़ा आएगा। उन्होंने उस वायलिन को बजाना समाप्त किया और शांत भाव से उसे नीलामीकर्ता को लौटा दिया। इससे पहले कि नीलामीकर्ता कमरे में मौजूद सभी लोगों से पूछ पाता कि क्या वे अब भी इसे खरीदना चाहेंगे, हाथ उठाने की होड़ लग गई। अचानक से किए गए इस शानदार प्रदर्शन के बाद हर कोई तुरंत इसे चाहता था। कुछ समय पहले तक एक अवांछित वस्तु से, पुराना वायलिन अचानक नीलामी की सबसे तीव्र बोली का केंद्र बन गया। 20 डॉलर की शुरुआती बोली से, कीमत तुरंत 500 डॉलर तक बढ़ गई। अंततः उस पुराने वायलिन को 10,000 डॉलर में बेचा गया, जो इसकी सबसे कम कीमत से 500 गुना अधिक था। आश्चर्यजनक परिवर्तन पुराने वायलिन को सबकी नापसंद वास्तु से सबकी पसंदीदा और नीलामी का सितारा बनने में केवल 15 मिनट लगे। और इसके तारों को ट्यून करने और एक अद्भुत धुन बजाने के लिए एक उस्ताद संगीतकार की ज़रूरत पड़ी। उसने दिखाया कि जो बाहर से बदसूरत लग रहा था, वास्तव में उस वाद्य यंत्र के अंदर एक सुंदर और अमूल्य आत्मा थी। शायद, पुराने वायलिन की तरह, हमारे जीवन का पहले तो कोई खास मूल्य नहीं लगता। लेकिन अगर हम उन्हें येशु को सौंप दें, जो सभी उस्तादों से ऊपर उस्ताद हैं, तो वे हमारे ज़रिए सुंदर गीत बजाने में सक्षम होंगे और उनकी धुनें श्रोताओं को और भी ज़्यादा चौंका देंगी। तब हमारा जीवन दुनिया का ध्यान आकर्षित करेगा। तब हर कोई उस संगीत को सुनना चाहेगा जिसे प्रभु येशु हमारे जीवन से उत्पन्न करते हैं। इस पुराने वायलिन की कहानी मुझे मेरी अपनी कहानी की याद दिलाती है। मैं भी उस पुराने वायलिन की तरह ही था और किसी ने नहीं सोचा था कि मैं किसी काम का हो सकता हूँ या अपने जीवन में कुछ सार्थक कर सकता हूँ। वे मुझे ऐसे देखते थे जैसे मेरा कोई मूल्य ही न हो। हालाँकि, येशु को मुझ पर दया आ गई। वह पलटा, मेरी ओर देखा और मुझसे पूछा: "पीटर, तुम अपने जीवन में क्या करना चाहते हो?" मैंने कहा: "गुरुवर, आप कहाँ रहते हैं?" "आओ और देखो," येशु ने उत्तर दिया। इसलिए मैं आया और देखा कि वह कहाँ रहते हैं, और मैं उनके साथ रहा। पिछले 16 जुलाई को, मैंने अपने पुरोहिताई अभिषेक की 30-वीं वर्षगांठ मनाई। मेरे लिए येशु के महान प्रेम को जानने और अनुभव करने के लिए... मैं उनका कितना धन्यवाद कर सकता हूँ? उन्होंने पुराने वायलिन को कुछ नया बना दिया है और उसे बहुत मूल्यवान बना दिया है। हे प्रभु, हमारा जीवन भी उस पुराने वायलिन की तरह तेरा संगीत वाद्य बन जाए, ताकि हम ऐसा सुंदर संगीत बना सकें जिसे लोग तेरे अद्भुत प्रेम के लिए धन्यवाद और प्रशंसा देते हुए हमेशा गा सकें।
By: फादर पीटर हंग ट्रान
Moreएक कैथलिक के रूप में, मुझे सिखाया गया था कि क्षमा करना ईसाई धर्म के पोषित मूल्यों में से एक है, फिर भी मैं इसका अभ्यास करने के लिए संघर्ष करती हूँ। संघर्ष जल्द ही एक बोझ बन गया, क्योंकि मैंने क्षमा करने में अपनी असमर्थता पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। पाप स्वीकार संस्कार के दौरान, पुरोहित ने येशु मसीह की क्षमा की ओर इशारा किया: "उसने न केवल उन्हें क्षमा किया, बल्कि उनके उद्धार के लिए प्रार्थना की।" येशु ने कहा: "हे पिता, उन्हें क्षमा कर, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।" येशु की यह प्रार्थना अक्सर उपेक्षित अंश को प्रकट करती है। यह स्पष्ट रूप से उजागर करता है कि येशु की निगाह सैनिकों के दर्द या क्रूरता पर नहीं थी, बल्कि सच्चाई के बारे में उनके ज्ञान की कमी पर थी। येशु ने उनकी मध्यस्थता करने के लिए इस अंश को चुना। मुझे यह संदेश मिला कि दूसरे व्यक्ति और यहाँ तक कि खुद के अज्ञात अंशों को जगह देने से मेरी क्षमा अंकुरित होनी चाहिए। अब मैं हल्का और अधिक खुश महसूस करती हूँ क्योंकि पहले, मैं केवल ज्ञात कारकों से निपट रही थी - दूसरों द्वारा पहुँचाई गई चोट, उनके द्वारा बोले गए शब्द और दिलों और रिश्तों का टूटना। येशु ने मेरे लिए क्षमा के द्वार पहले ही खुले छोड़ दिए हैं, मुझे केवल अपने और दूसरों के भीतर के अज्ञात अंशों को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करने के इस मार्ग पर चलना है। जब येशु हमें अतिरिक्त मील चलने के लिए आमंत्रित करते हैं, तब येशु का यह कथन हमारे लिए अज्ञात अंशों के बारे में जागरूकता के अर्थ की परतें जोड़ता है। मुझे लगा कि क्षमा करना एक ऐसी यात्रा है जो क्षमा करने के कार्य से शुरू होकर एक ईमानदार मध्यस्थता तक जाती है। जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई है, उन लोगों की भलाई के लिए प्रार्थना करके, गेथसेमेन के माध्यम से मेरा चलना ही अतिरिक्त मील चलने का यह क्षण है। और यह प्रभु की इच्छा के प्रति मेरा पूर्ण समर्पण है। प्रभु ने सभी को अनंत काल के लिए प्रेमपूर्वक बुलाया है और मैं कौन हूँ जो अपने अहंकार और आक्रोश के साथ बाधा उत्पन्न करूँ? अपने दिलों को अज्ञात अंशों के लिए खोलने से एक दूसरे के साथ हमारे संबंधों को सुधारता है और हमें ईश्वर के साथ एक गहरे रिश्ते की ओर ले जाता है, जिससे हमें और दूसरों को उनकी प्रचुर शांति और स्वतंत्रता तक पहुँच मिलती है।
By: एमिली संगीता
Moreरोम..., संत पेत्रुस का महागिरजाघर जाना, संत पापा से मुलाक़ात करना ... क्या जीवन इससे ज़्यादा घटनापूर्ण हो सकता है? हाँ, मैंने पाया कि यह हो सकता है। रोम की यात्रा के दौरान कैथलिक धर्म में मेरा धर्मांतरण हुआ। मैं भाग्यशाली थी कि वहां मैं अपनी स्नातक की पढ़ाई के सिलसिले में गयी थी। जिस कैथलिक विश्वविद्यालय में मैंने अध्ययन किया था, उस विश्वविद्यालय ने यात्रा के हिस्से के रूप में संत पापा फ्रांसिस के साथ कुछ मुलाक़ातों का आयोजन किया था। एक शाम, मैं संत पेत्रुस महागिरजाघर में बैठी थी, लाउडस्पीकर पर लातीनी भाषा में रोज़री माला की प्रार्थना सुन रही थी, जबकि मैं गिरजाघर में आराधना शुरू होने का इंतज़ार कर रही थी। हालाँकि मैं उस समय लातीनी नहीं समझती थी, न ही मुझे पता था कि रोज़री क्या है, मैंने किसी तरह प्रार्थना को पहचान लिया। वह एक रहस्यमय तल्लीनता का क्षण था जिसने अंततः मुझे माँ मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से अपना पूरा जीवन येशु को सौंपने के लिए प्रेरित किया। इससे मेरे धर्मांतरण की एक यात्रा शुरू हुई, जो एक साल बाद कैथलिक कलीसिया में मेरे बपतिस्मा में परिणत हुई, और कुछ ही समय बाद वह एक प्रेम कहानी में परिणत हुई। खोज के क्षण मैंने पाया कि मैं धीरे-धीरे येशु के साथ अपने रिश्ते की नींव बना रही हूँ, इस प्रक्रिया में अनजाने में मरियम की नकल कर रही हूँ। मसीह के साथ अपने संबंध को गहरा करने की कोशिश करते हुए मैंने प्रार्थना में उनके चरणों में घुटने टेके, जैसा कि मरियम ने कलवारी में किया होगा। मैं आज भी इस अभ्यास को जारी रखती हूँ, येशु के चेहरे, उनके घावों, उनकी कमज़ोरियों और उनकी पीड़ा का अध्ययन करती हूँ। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं उन्हें सांत्वना देने के लिए हर दिन उनसे मिलती हूँ क्योंकि मैं उनके क्रूस पर अकेले होने के विचार को सहन नहीं कर सकती। उनके दु:ख पर ध्यान लगाने से, मैं पाती हूँ कि मैं आज हमारे अंदर बसनेवाले जीवित मसीह के महत्व को और अधिक गहराई से समझ सकती हूँ। जब मैंने खुद को इस अभ्यास के लिए समर्पित किया, तो मैंने महसूस किया कि येशु मेरी दैनिक प्रार्थनाओं में मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, मेरी वफ़ादारी के लिए तरस रहे हैं, और मेरी संगति की तलाश में हैं। जितना अधिक मैंने उन्हें मौन प्रार्थना में थामे रखा, उतना ही अधिक मैं अपने जीवन और दूसरों के जीवन के लिए येशु द्वारा चुकाई गई कीमत के लिए गहरा दु:ख और शोक महसूस करने लगी। मैंने उनके लिए आँसू बहाए। मैंने उन्हें अपने दिल में कैद कर लिया। अपने बेटे के लिए मरियम की कोमल देखभाल को प्रतिबिंबित करते हुए मैंने प्रार्थना में उन्हें सांत्वना दी। येशु को क्रूस पर ले जाने वाले बलिदानी प्रेम की अनुभूति ने मेरे भीतर गहरी मातृ भावनाएँ जगाईं, जिससे मुझे सब कुछ उनके प्रति समर्पित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। माँ मरियम की कृपा से, जैसे हमारा रिश्ता खिल उठा, मैंने खुद को पूरी तरह से येशु को समर्पित कर दिया, जिससे उन्हें मुझे बदलने की अनुमति मिली। समर्पण जब दो साल पहले मुझे बहुत बड़ा नुकसान हुआ, तो मैंने इस दैनिक अभ्यास को जारी रखा, हालाँकि मेरे दुःख का केंद्र बदल गया था। मैंने जो आँसू बहाए, वे अब उसके लिए नहीं बल्कि अपने लिए थे। मैं अपने पूर्ण संकट और निराशा में हमारे प्रभु के चरणों में गिरने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी, चाहे मैं कितना भी स्वार्थी क्यों न महसूस कर रही थी। तब ईश्वर ने मुझे दिखाया कि कैसे प्रार्थना में उनके बलिदान की साक्षी बनने से ही नहीं, बल्कि उनकी दु:ख पीड़ा में प्रवेश करके भी मुक्तिदायक पीड़ा को साझा किया जा सकता है। अचानक, उनका दुख मेरे लिए अब बाहरी नहीं रहा, बल्कि कुछ ऐसा था जो इतना अंतरंग था कि मैं क्रूस पर मसीह के साथ एक हो गयी। मैं अब अपने दुख में अकेली नहीं थी। बदले में, मैं ने पहचानना की मेरे साथ वे थे जिन्होंने मुझे मौन प्रार्थना में सहारा दिया, जिन्होंने मेरे लिए शोक किया और मेरे दुख को साझा किया। उन्होंने मेरे लिए आँसू बहाए और अपना दिल खोल दिया जहाँ मैं पीछे हट गयी और उनकी कैदी बन गयी। मैं उसके प्यार में बंदी थी। असहज मार्ग पर यात्रा मरियम का अनुकरण करने से हमे सीधे येशु के हृदय की ओर पहुँच जाते हैं, जो हमें सच्चे पश्चाताप और उनके प्रेम से प्रवाहित होने वाली असीम दया का सार सिखाता है। यह यात्रा चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जिसके लिए हमें मसीह के क्रूस के बोझ को साझा करना होगा। फिर भी, हमारे परीक्षणों और दु:खों के माध्यम से, हम उनकी आरामदायक उपस्थिति में सांत्वना पा सकते हैं, यह जानते हुए कि वे हमें कभी नहीं छोड़ते। मरियम के आदर्श का अनुसरण करके, हम उन्हें अपने प्रभु और उद्धारकर्ता येशु के साथ हमारे संबंध को गहरा करने और उनके मुक्तिदायी दु:ख को साझा करने में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा करने से, हम उन लोगों के दर्द और पीड़ा के लिए जीवित शहीद बन जाते हैं जो अभी तक मसीह से नहीं मिले हैं, और उसी प्रक्रिया में, हम स्वयं ठीक हो जाते हैं। अपने बेटे के लिए मरियम के मातृ प्रेम का जब हम अनुकरण करते हैं, तो हम उनके दु:ख के सार के करीब आते हैं और उनकी उपचारात्मक कृपा के पात्र बन जाते हैं। मसीह के साथ एकता में अपने स्वयं के दुखों को अर्पित करने के माध्यम से, हम उनके प्रेम और करुणा के जीवित गवाह बन जाते हैं, जो उन लोगों को सांत्वना देते हैं जो अभी तक उनसे नहीं मिले हैं। इस पवित्र प्रक्रिया में, हम अपने लिए उपचार पाते हैं और ईश्वर की दया के साधन बनते हैं, जरूरतमंदों तक उनका प्रकाश फैलाते हैं। इसी तरह, हम अपने जीवन में क्रूस को साहस के साथ गले लगाना सीखते हैं, यह जानते हुए कि वे मसीह के साथ एक गहरे मिलन के मार्ग हैं। मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से, उस बलिदानी प्रेम की गहन समझ की ओर हमारा मार्गदर्शन किया जाता है जिसके कारण येशु ने हमारे लिए अपना जीवन दे दिया। जब हम शिष्यत्व के मार्ग पर चलते हैं, और मरियम के पदचिन्हों पर चलते हैं, तो हमारे जीवन में उपचार और मुक्ति लाने के लिए उनकी परिवर्तनकारी शक्ति पर भरोसा करते हुए अपने दु:खों और संघर्षों को येशु को अर्पित करने के लिए हमें कहा जाता है।
By: फ़ियोना मैककेना
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