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अक्टूबर 20, 2023 329 0 Holly Rodriguez
Encounter

जब एक नास्तिक ने परमेश्वर की आवाज़ सुनी

स्वतंत्र कलाकार, होली रोड्रिगेज़ अपने पूरे जीवन में नास्तिक रहीं और वे कभी भी ईश्वर के बारे में नहीं सोचती थी या किसी धर्म में शामिल होने या यहां तक कि चर्च जाने के बारे में भी नहीं सोचती थी, लेकिन एक दिन …

वह 2016 के दिसंबर का महीना था, मैं सर्दियों की एक सुबह उठी और बस एक कप कॉफी से ज्यादा मैं कुछ नहीं चाह रही थी । मैं अपने जीवन भर नास्तिक थी। मैंने कभी भी परमेश्वर के बारे में नहीं सोचा था और निश्चित रूप से कभी किसी धर्म में शामिल होने या गिरजाघर जाने के बारे में भी नहीं। हालाँकि उस दिन, बिना किसी कारण के, मुझे अचानक गिरजाघर जाने की इच्छा हुई। मेरे जीवन में ऐसा कुछ भी असामान्य नहीं हो रहा था जिससे अचानक मेरा हृदय परिवर्तन हुआ हो। मैं इंग्लैंड के केंट में एक छोटे से समुद्र तटीय शहर में एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में काफी सामान्य, शांत जीवन जी रही थी।

मैंने निकटतम गिरजाघर की खोज की जो उस दिन खुला था और कुछ कदमों की दूरी पर मुझे एक रोमन कैथलिक गिरजाघर मिला। यह एक आश्चर्य था। हालाँकि मैं उस क्षेत्र से कई बार गुज़री थी, पर मैंने पहले वहाँ कभी गिरजाघर नहीं देखा था। जब हम बंद हृदय से जीवन के पथ पर चलते हैं तो यह आश्चर्यजनक है कि हम परमेश्वर की उपस्थिति के प्रति कितने अंधे हैं, जबकि वह हमारे कितने निकट है।

मेरा फोन बज उठा

मैंने गिरजाघर के नंबर पर फोन किया और एक दयालु महिला ने फोन उठाया। उसने खुद को पल्ली के सचिव के रूप में पेश किया और मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे, जिसका जवाब देने में उन्होंने खुशी प्रकट की। उन्होंने मुझे बताया कि वह कैथलिक गिरजाघर है और वे वहां के फादर को बतायेंगी कि मैंने फोन किया था और हमने एक दुसरे को अलविदा कहा । मैं शर्मीली थी और मुझे नहीं पता था कि क्या उम्मीद की जाए। मैं हमेशा निर्णय लेने से पहले स्थिति के बारे में सबकुछ जानना पसंद करती हूँ। मुझे नहीं पता था कि कैथलिक कलीसिया क्या होती है, और मैं अपने जीवन में कभी किसी फादर से नहीं मिली थी। मैंने काम से छुट्टी लेने और कैथलिक धर्म के बारे में जानने का फैसला किया, और कुछ घंटों के लिए विकिपीडिया पर कैथलिक धर्म के बारे में बहुत कुछ पढ़ा।

फिर मेरा फोन बजा। दूसरी लाइन पर एक सौम्य आवाज थी – जिसपर मार्क नामक एक फादर मुझसे बात कर रहे थे। वे बहुत ही मिलनसार और उत्साही थे जो मेरे लिए बहुत बड़ा आश्चर्य था। मैं अपने जीवन में कभी ऐसे किसी व्यक्ति से नहीं मिली थी जो मुझसे मिलने और मेरा स्वागत करने के लिए इतना उत्सुक हो। मैंने अगले दिन गिरजाघर जाकर फादर से मिलने का समय निर्धारित किया। जैसे ही मैं वहां पहुंची, फादर मार्क अपने पुरोहित वाले पोशाक में मेरा अभिवादन करने के लिए वहाँ खड़े थे। यह पहली बार था जब मैंने किसी पुरोहित को व्यक्तिगत रूप से देखा था और मुझे याद है कि मैं वास्तव में उनके पोशाक से मोहित हो गयी थी। मुझे लगता है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक पुरोहित कैसा दिखता होगा। मैंने कभी-कभी पोप को केवल टेलीविजन समाचारों पर संक्षिप्त रूप से देखा था, लेकिन इससे आगे कभी कुछ नहीं देखा था।

फादर मार्क मेरे साथ बैठे और हमने कुछ घंटों तक बात की, फिर उन्होंने मुझे “आर.सी.आई.ए” कक्षाओं में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उसी समय से पवित्र मिस्सा में जाना शुरू करना अच्छा विचार होगा, और मैंने वैसा ही किया। मैं उस पहले पवित्र मिस्सा को याद करती हूं जिसमें मैंने भाग लिया था। वह गौदेते यानी आनंद का रविवार था और मैं, शिष्टाचार से एकदम अनजान, बिल्कुल सामने के बेंच पर बैठी थी। मेरे आस-पास हर कोई खड़ा हो रहा था और फिर बैठ रहा था और फिर खड़ा हो रहा था और कभी-कभी घुटने टेककर, धर्मसार और अन्य प्रार्थनाओं का पाठ कर रहा था। मैं नयी थी और मुझे यह थोड़ा डराने वाला लगा, लेकिन आकर्षक और पेचीदा भी। मैंने अपनी क्षमता के अनुसार उसका अनुसरण किया, जो बाकी सभी कर रहे थे। पुरोहित एक सुंदर गुलाबी वस्त्र पहना हुआ था जो बहुत अलंकृत और शोभित लग रहा था। उनको वेदी पर प्रार्थनायें बोलते हुए मैं ने सुना और मैं ने देखा कि सुंगंधित धूप की धुआँ गिरजाघर में भर गयी। अंग्रेजी भाषा में अर्पित किया गया वह मिस्सा बलिदान मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे पक्का मालूम कि मैं इसी जगह वापस आनी वाली हूँ।

सीधे दिल की ओर

मुझे यह इतना पसंद आया कि मैं हर सप्ताहांत गिरजाघर वापस जाती रही और बाद में प्रति दिन ख्रीस्तयाग में भाग लेने लगी। येशु के लिए मेरा प्यार हर मुलाकात में बढ़ता गया। मेरे पहले क्रिसमस जागरण मिस्सा के दौरान, पुरोहित ने अपने रेशमी वस्त्र से बालक येशु की प्रतिमा को उसी तरह की कोमलता से लिपट कर संभाले हुए थे, जिस तरह पुरोहित पवित्र संस्कार को पकड़ते हैं। गीतों और प्रार्थनाओं के साथ वे जुलूस में गिरजाघर की परिक्रमा करते हुए बालक येशु के साथ चरनी की ओर चले, और मेरी आंखें नम हो गईं थीं । वह सब बहुत प्यारा था। मैंने अपने जीवन में पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था।

अब मैं कैथलिक कलीसिया में स्वीकार किए जाने के लिए तैयारी कर रही थी, मैंने पल्ली के पुरोहितों द्वारा दी गई धर्मशिक्षा को घर पर पढ़ने में बहुत समय बिताया। विशेष रूप से मेरे बपतिस्मा से एक हफ्ते पहले मुझे बताया गया था कि मुझे अपने दृढ़ीकरण संस्कार के लिए किसी एक स्वर्गिक संरक्षक संत को चुनना होगा। हालाँकि, वहाँ हजारों संत थे, और मुझे नहीं पता था कि मैं उन सभी में से किसे चुनूँगी। संत फिलोमेना के अलावा मैं अन्य संतों के बारे में कुछ नहीं जानती थी क्योंकि एक रविवार को फादर ने उनपर प्रवचन दिया था। परमेश्वर की कृपा से जब मैं पैरिश कैफे में स्वयंसेवा कर रही थी तो मुझे एक आकर्षक पुस्तक मिली जिसका नाम था “इंटीरियर कैसल्स”। वह पुस्तक एक स्पैनिश कार्मेल मठवासिनी साध्वी, अविला की संत तेरेसा द्वारा लिखी गयी थी जिसके बारे में मैंने पहले कभी नहीं सुना था। चूंकि मेरा परिवार स्पेनिश विरासत का है, इसलिए मैंने उसे अपनी संरक्षिका के रूप में चुना, हालांकि मैं उसके बारे में ज्यादा नहीं जानती थी।

अंत में, 15 अप्रैल 2017 को पास्का जागरण मिस्सा के दौरान, मुझे कैथलिक गिरजाघर में बपतिस्मा और दृढ़ीकरण संस्कार मिला। मैं इस बात से ज्यादा उत्साहित नहीं थी की पास्का रविवार को मुख्य मिस्सा में गायक मंडली के साथ गाने के लिए मैं सुबह तरोताजा थी और जल्दी उठ गयी थी। लेकिन मैं इतनी उत्साहित इसलिये थी क्यूँकि मैं अब वेदी की रेलिंग पर खड़ी होकर पवित्र संस्कार ग्रहण कर सकती थी। इसके तुरंत बाद, मैं मरियम की सेना में शामिल हो गयी और मैंने रोज़री माला विनती करना, रोज़री बनाना और शहर के चारों ओर मिशन का काम करना शुरू कर दिया ताकि बिछुड़ गए कैथलिकों को पवित्र मिस्सा में वापस लाया जा सके और घर पर लोगों के साथ रोज़री माला विनती की जा सके।

संत तेरेसा मेरे जीवन में मार्गदर्शक बनी रहीं, जो मुझे येशु से अधिक से अधिक प्यार करना सिखाती रहीं| लेकिन मुझे कार्मेल मठवासियों के बारे में जानकारी तभी मिली जब मैं आयल्सफोर्ड प्रियोरी में संत साइमन स्टॉक के धर्मस्थल के लिए एक दिन की तीर्थयात्रा पर हमारी पल्ली के लोगों के साथ शामिल हुई| वह कार्मेल मठवासियों का ऐतिहासिक मठ था।

आमूलचूल बदलाव

वर्षों बाद, मुझे एक अन्य स्पेनवासी, संत जोसेमरिया एस्क्रिवा के बारे में पता चला, जिन्हें अविला की संत तेरेसा और कार्मेल के मठवासियों से बहुत प्यार था। वे ‘ओपुस देई’ नामक कैथलिक संस्था के संस्थापक थे, जिसमें मैं एक सह-संचालक के रूप में शामिल हुई, और जिसमें मेरा दायित्व संस्था के सदस्यों और पुरोहितों के लिए प्रार्थना करना था। मैंने महसूस किया कि परमेश्वर मुझे एक गहरी प्रतिबद्धता के लिए बुला रहा है, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि वह प्रतिबद्धता ओपुस देई के साथ थी, या किसी धर्मसंघ में साध्वी के रूप में। एक पुरोहित मित्र ने मुझे बताया कि मुझे अपना मन बनाना होगा और फैसला करना होगा कि मुझे कौन सा रास्ता चुनना है, जिससे मैं हमेशा के लिए किसी भी अनिश्चितता में न रहूँ। उनका कहना सही था, इसलिए मैं परमेश्वर की पुकार सुनकर प्रार्थना और उपवास करने लगी। मेरा जीवन बहुत कम समय में बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरा था और मेरी आत्मा ने एक अंधेरी रात को सहा था।

मेरा क्रूस मुझे बहुत भारी लग रहा था, लेकिन मैं जानती थी कि अगर मैं अपने विश्वास में दृढ़ बनी रही, तो सब ठीक हो जाएगा। मुझे अपने ऊपर मेरे द्वारा पूर्ण नियंत्रण को छोड़ देना था, मुझे मार्ग दिखाने केलिए परमेश्वर को मौक़ा देना था और उसकी इच्छा के विरुद्ध लड़ना बंद करना था। मैं अपने अहंकार में बहुत फंस गयी थी और वास्तव में अब परमेश्वर को सुनने की इच्छा मेरे अन्दर है। जब इस समझदारी का प्रकाश उदय हुआ, तब मैंने फैसला किया कि हर दिन जो परमेश्वर की ओर से एक उपहार के रूप में आता है, उसे अच्छे से जी लूंगी, और इस केलिए उससे मार्गदर्शन मांगूंगी। मैंने इस दर्शन को अपनाया कि ईश्वर हमें वहीं रखता है जहाँ हमारा प्रचुर जीवन है क्योंकि उस विशिष्ट समय में उसे हमारी आवश्यकता होती है। मैंने स्वयं को उसकी दिव्य इच्छा का साधन बना लिया। जब मैंने अपने आप को उसके लिए छोड़ दिया, तो परमेश्वर ने मुझे दिखाया कि सब कुछ उसकी इच्छा के अनुकूल हुआ था क्योंकि वह मुझे शुरू से ही बुला रहा था।

हे दिव्य ज्योति, मेरा पथ प्रदर्शन कर!

मुझे उन संतों से उपहार मिलते रहे जो मुझे कार्मेल तक ले जा रहे थे। एक दिन, मैं सीमेंट के फर्श पर उगते हुए चमकीले लाल गुलाब के फूल को देखकर मंत्रमुग्ध हो गयी। बाद में मुझे पता चला कि वह दिन लिस्यु के संत तेरेसा का जन्मदिन था जिन्होंने कहा था कि वह लोगों को स्वर्ग से एक संकेत के रूप में गुलाब भेजेंगी। उसी दिन, मैं अगरबत्ती की एक दुकान पर थी, जब मुझे सुंदर गुलाब से सुगंधित अगरबत्ती का एक डिब्बा मिला, जिस पर लिस्यु के संत तेरेसा की छवि छपी थी। इन छोटे संकेतों ने मेरे अन्दर बुलाहट और विश्वास के बीज बोने में मदद की।

जैसे मैं यह लिख रही हूँ, मैं कैथलिक कलीसिया के सदस्य के रूप में अपनी छठवीं वर्षगांठ मनाने वाली हूं और कार्मेल पर्वत की कुँवारी मरियम के पावन उद्यान में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हूं। यदि परमेश्वर चाहता है तो साध्वी के रूप में जीने के इस बुलाहट को स्वीकार करते हुए, मैं अपना जीवन कलीसिया के लिए, दुनिया के लिए और पुरोहितों के लिए प्रार्थना करते हुए बिताऊँगी। यह एक लंबी यात्रा रही है, और मैं रास्ते में बहुत से अद्भुत लोगों से मिली हूँ।

लिस्यु के संत तेरेसा ने कार्मेल को अपने उस रेगिस्तान के रूप में वर्णित किया जहां हमारे प्रभु ने मनन चिंतन और प्रार्थना में चालीस दिन बिताए, लेकिन मेरे लिए यह गेथसेमेनी का बाग़ है जहां हमारे प्रभु प्राण-पीड़ा में जैतून के पेड़ों के बीच बैठे थे। मैं निरंकुश प्रेम के साथ उनकी पीड़ा में शामिल होती हूं, और उनके साथ कलवारी के मार्ग पर क्रूस यात्रा करती हूं। हम साथ में आत्माओं के लिए पीड़ित होते हैं और दुनिया को अपना प्यार देते हैं।

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Holly Rodriguez

Holly Rodriguez is an artist and author of “Loving Christ through St. Josemaria Escriva and “The Sentinel of the Soul.” Currently she is in California, preparing to join the Carmelites as a cloistered nun. Her life story exemplifies that God doesn’t need anybody to reach out to you. He simply knocked at the door of her heart and she welcomed Him.

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