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अप्रैल 23, 2024
Enjoy अप्रैल 23, 2024

मुसीबत के समय में, क्या आपने कभी सोचा है कि ‘काश कोई मेरी मदद करता’? आप शायद अनभिज्ञ हैं कि वास्तव में आपकी मदद करने के लिए आपके पास आपके अपने एक निजी समूह है।

मेरी बेटी मुझसे आजकल पूछती है कि अगर तुम सौ प्रतिशत पोलिश (पोलन्ड की) हो तो तुम सामान्य पोलेंड-वासी की तरह क्यों नहीं दिखती हो। पिछले सप्ताह तक मेरे पास इसका कोई सही उत्तर नहीं था, फिर मुझे पता चला कि मेरे कुछ पूर्वज दक्षिणी पोलैंड के गोरल हाइलैंडर्स यानी गोरल गोत्र समुदाय के पहाड़ी लोग थे।

गोरल हाइलैंडर्स पोलेंड की दक्षिणी सीमा पर पहाड़ों में रहते हैं। वे अपनी दृढ़ता, स्वतंत्रता के प्रति प्रेम, तथा विशिष्ट पोशाक, संस्कृति और संगीत के लिए जाने जाते हैं। इस समय, एक विशेष गोरल लोक गीत मेरे दिल में बार-बार गूंजता रहता है, उस गीत ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैंने अपने पति के साथ उस गीत को साझा किया कि यह गीत वास्तव में मुझे अपने देश में वापस बुला रहा है। यह जानकर कि मेरा वंशीय इतिहास गोरल है, वास्तव में मेरा दिल ख़ुशी से उच्छल रहा है!

वंशावली की खोज

मेरा मानना है कि हममें से प्रत्येक के अन्दर अपनी वंशावली की खोज करने की इच्छा होती है। यही कारण है कि इन दिनों कई वंशावली साइट और डीएनए-जांच के व्यवसाय सामने आए हैं। ऐसा क्यों?

शायद यह चाह हमें बतलाती है कि हम अपने से भी बड़ी किसी चीज़ का हिस्सा हैं। जो हमसे पहले इस दुनिया से चले गए हैं, उन लोगों के साथ हम मायने और संबंध की चाहत रखते हैं। हमारे वंश की खोज से पता चलता है कि हम एक बहुत गहरे कथानक का हिस्सा हैं।

इतना ही नहीं, बल्कि अपनी पैतृक जड़ों को जानने से हमें पहचान और एकजुटता की भावना मिलती है। हम सभी कहीं न कहीं से आए हैं, हम कहीं न कहीं के वासी हैं, और हम एक साथ यात्रा कर रहे हैं।

इस पर विचार करने पर मुझे एहसास हुआ कि केवल अपनी भौतिक ही नहीं, बल्कि अपनी आध्यात्मिक विरासत की खोज करना कितना महत्वपूर्ण है। आख़िरकार, हम मनुष्य शरीर और आत्मा हैं। हमें उन संतों को जानने से बहुत लाभ होगा जो हमसे पहले थे। हमें न केवल उनकी कहानियाँ सीखनी चाहिए, बल्कि उनसे परिचित भी होना चाहिए।

संबंध ढूंढें

मैं स्वीकारना चाहती हूँ कि मैं पहले किसी संत से मध्यस्थता मांगने की प्रथा में बहुत अच्छी नहीं रही हूँ। यह निश्चित रूप से मेरी प्रार्थना-दिनचर्या में एक नया जुड़ाव है। जिस चीज़ ने मुझे इस वास्तविकता से अवगत कराया वह संत फिलिप नेरी की यह सलाह थी: “आध्यात्मिक शुष्कता के खिलाफ सबसे अच्छी दवा खुद को ईश्वर और संतों की उपस्थिति में भिखारियों की तरह रखना है। और एक भिखारी की तरह, एक से दूसरे के पास जाना और उसी आग्रह के साथ आध्यात्मिक भिक्षा माँगना, जैसे कि सड़क पर एक गरीब आदमी भिक्षा माँगता है।“

पहला कदम यह जानना है कि संत कौन हैं। ऑनलाइन पर बहुत सारे अच्छे संसाधन मौजूद हैं। दूसरा तरीका है बाइबल पढ़ना। पुराने और नए विधान दोनों में शक्तिशाली मध्यस्थ हैं, और आप एक से अधिक मध्यस्थों से संबंधित हो सकते हैं। साथ ही, संतों और उनके लेखन पर अनगिनत किताबें हैं। मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें, और ईश्वर आपको आपके व्यक्तिगत मध्यस्थों के समूह तक पहुंचा देगा।

उदाहरण के लिए, मैंने अपने संगीत की सेवकाई के लिए संत राजा दाउद से मध्यस्थता मांगी है। जब मुझे अपने पति के लिए या नौकरी चुनने के लिए मध्यस्थ की खोज करनी है तो मैं संत युसूफ के पास जाती हूँ। जब कलीसिया के लिए प्रार्थना करने का बुलावा मुझे मिलता है तो मैं संत जॉन पॉल द्वितीय, संत पेत्रुस और संत पिउस दसवें से मदद मांगती हूँ। मैं संत ऐनी और संत मोनिका की मध्यस्थता के माध्यम से माताओं के लिए प्रार्थना करती हूँ। बुलाहटों के लिए प्रार्थना करते समय, मैं कभी-कभी संत थेरेसा और संत पाद्रे पियो को पुकारती हूँ।

यह सूची लम्बी है। तकनीकी समस्याओं के लिए धन्य कार्लो एक्यूटिस मेरे पसंदीदा हैं। संत जेसीन्ता और संत फ्रांसिस्को मुझे प्रार्थना के बारे में, तथा बेहतर तरीके से बलिदान अर्पित करने के बारे में सिखाते हैं। प्रेरित संत जॉन चिंतन करने में मेरी सहायता करते हैं। मैं अक्सर अपने दादा-दादी से मध्यस्थता की माँग करती हूँ, यह मैं नहीं बताती तो वह मेरी गलती होगी। जब वे हमारे साथ थे तब वे मेरे लिए प्रार्थना करते थे, और मैं जानती हूँ कि वे अनन्त जीवन में भी मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

परन्तु मेरी सार्वकालिक पसंदीदा मध्यस्थ हमेशा हमारी सबसे प्रिय धन्य कुंवारी माता मरियम रही हैं।

बस एक प्रार्थना की दूरी पर

यह मायने रखता है कि हम किसके साथ समय बिताते हैं। हम क्या बन जायेंगे, यह इसी पर निर्भर करता है। वास्तव में हमारी चारों ओर “गवाहों का बादल” है जिससे हम वास्तविक रूप से जुड़े हुए हैं (इब्रानी 12:1)। आइए हम उन्हें बेहतर तरीके से जानने का प्रयास करें। हम सरल, हार्दिक प्रार्थनाएँ भेज सकते हैं जैसे, “हे संत ____, मैं आपको बेहतर तरीके से जानना चाहती/ता हूँ। कृपया मेरी सहायता करें।”

इस विश्वास यात्रा में चलने के लिए हम अकेले नहीं हैं। हम एक जन समूह के रूप में, मसीह के शरीर के रूप में एक साथ मुक्त किये गए लोग हैं। संतों से जुड़े रहने से, हमें वह मार्ग मिलता है जो हमारी स्वर्गीय जन्मभूमि तक सुरक्षित यात्रा करने के लिए दिशा और ठोस सहायता प्रदान करता है।

पवित्र आत्मा हमें अपनी आध्यात्मिक जड़ों से जुड़ने में मदद करे ताकि हम संत बन सकें और अपना अनंत जीवन ईश्वर के एक गौरवशाली परिवार के रूप में बिता सकें!

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By: Denise Jasek

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अप्रैल 23, 2024
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टॉम नेमी दिन-रात बस यही सोचता रहता था कि उसे उन लोगों से भी निपटना है जिन्होंने उसे सलाखों के पीछे डाल दिया है

जब मैं 11 साल का था तब मेरा परिवार इराक से अमेरिका आ गया था। हमने एक किराने की दुकान खोल दी और इसे कामयाब बनाने के लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की। ज़िंदगी में कामयाब होने केलिए उस दौर में होड़ में मजबूती से लगे रहना पड़ता था, और इस होड़ में मैं कमजोर नहीं दिखना चाहता था, इसलिए मैंने कभी किसी को खुद पर हावी नहीं होने दिया। हालाँकि मैं अपने परिवार के साथ नियमित रूप से गिरजाघर जा रहा था और वेदी सेवक का कार्य कर रहा था, लेकिन मेरा असली ईश्वर पैसा और सफलता था। इसलिए जब मैंने 19 साल की उम्र में शादी की तो मेरा परिवार खुश था; उन्हें उम्मीद थी कि मेरे साथ सब कुछ ठीक हो जायेगा।

मैं पारिवारिक किराने की दुकान संभालते हुए एक सफल व्यवसायी बन गया। मुझे लगा कि मैं अजेय हूं और किसी भी चीज पर कामयाबी पा सकता हूं। जब एक बार मैं कुछ दुश्मनों की गोली से बच गया, उसके बाद यह अति अआतं विशवास अत्यधिक बढ़ गया। जब हमारा जैसा एक अन्य खल्दियन समूह ने पास में एक और सूपरमार्केट शुरू किया, तो प्रतिस्पर्धा भयंकर हो गई। हम एक-दूसरे को कमज़ोर करना चाह रहे थे; उतना ही नहीं, हम एक-दूसरे को व्यवसाय से बाहर करने के लिए अपराध कर रहे थे। मैंने उनकी दुकान में आग लगा दी, लेकिन बीमा कंपनी ने जले हुए उनकी दूकान की मरम्मत के लिए भुगतान कर दिया। मैंने उनकी दूकान में एक टाइम बम रखवाया; उन्होंने मुझे मारने के लिए अपराधियों को भेजा। मैं गुस्से में था और मैंने अंतिम बार और हमेशा के लिए अपना बदला लेने का फैसला किया। मैं उन्हें मारने जा रहा था; मेरी पत्नी ने मुझसे ऐसा न करने के लिए विनती की, लेकिन मैंने एक 14 फुट के ट्रक में गैसोलीन और डायनामाइट भरा और उसे उनकी इमारत की ओर ले गया। जब मैंने फ्यूज जलाया तो तुरंत पूरे ट्रक में आग लग गई। मैं आग की लपटों में फंस गया। ट्रक में विस्फोट होने से ठीक पहले, मैं बाहर कूद गया और सड़क के किनारे बर्फ में लुढ़क गया; मैं देख नहीं सका। मेरा चेहरा, हाथ और दाहिना कान पिघल चुके थे।

मैं सड़क से आगे की ओर पर भागा और किसी ने मुझे अस्पताल पहुंचा दिया। पुलिस मुझसे पूछताछ करने आई, लेकिन मेरे वकील ने मुझसे कहा कि चिंता मत करो। हालाँकि, आखिरी वक्त सब कुछ बदल गया, इसलिए मैं इराक की ओर चला गया। मेरी पत्नी और मेरे बच्चे भी मेरे पीछे आये। सात महीने के बाद, मैं चुपचाप अपने माता-पिता से मिलने के लिए सैन डिएगो वापस आ गया। लेकिन मेरे मन में अभी भी कुछ क्रोध और आक्रोश था जिसे मैं व्यक्त करना चाहता था, इसलिए परेशानी फिर से शुरू हो गई।

वे जुनूनी स्वयंसेवक

एफ.बी.आई. ने मेरी माँ के घर पर छापा मारा। हालाँकि मैं समय रहते बच निकला, लेकिन मुझे फिर से देश छोड़ना पड़ा। चूंकि इराक में कारोबार अच्छा चल रहा था, इसलिए मैंने अमेरिका वापस न जाने का फैसला किया। फिर, मेरे वकील ने फोन किया और कहा कि अगर मैं आत्म समर्पण कर दूं, तो वे मुझे केवल 5-8 साल की सजा दिलाने का सौदा करेंगे। मैं वापस आ गया, लेकिन मुझे 60 से 90 साल के लिए जेल भेज दिया गया। अपील किये जाने पर, मेरी सजा की अवधि घटाकर 15-40 साल कर दिया गया, जो अभी भी अनंत काल जैसा लग रहा था।

जैसे-जैसे एक जेल से दुसरे जेल में मेरा तबादला होता रहा, हिंसा करने की मेरी ख्याति बढ़ती गई। अक्सर अन्य कैदियों के साथ मेरा झगड़ा होता रहता था और लोग मुझसे डरते थे। मैं अभी भी गिरजाघर जाता था, लेकिन मैं गुस्से और बदला लेने के जुनून से भरा हुआ था। मैं ने अपने दिमाग में एक काल्पनिक तस्वीर बनाई थी: अपने प्रतिद्वंद्वी की दुकान में नकाबपोश होकर जाने, स्टोर में सभी को गोली मारने और आराम से भाग जाने की तस्वीर। मैं इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि मैं यहाँ सलाखों के पीछे पडा हूँ और वे आज़ाद होकर घूम फिर रहे थे। मेरे बच्चे मेरे बिना बड़े हो रहे थे और मेरी पत्नी मुझे तलाक दे चुकी थी।

दस वर्षों में मैं अपने छठे जेलखाने में था, इस दौरान मैं इन जुनूनी, पवित्र तेरह स्वयंसेवकों से मिला, जो हर हफ्ते पुरोहितों के साथ जेल में आते थे। वे हर समय येशु के बारे में उत्साहित रहते थे। वे अनोखी भाषाओं में प्रार्थना करते थे और चमत्कारों और चंगाई के बारे में बात करते थे। मैंने सोचा कि वे पागल और जुनूनी लोग थे, लेकिन मैंने उन्हें जेल आने के लिए उनकी सराहना की। उपयाजक एडी और उनकी पत्नी बारबरा तेरह वर्षों से ऐसा कर रहे थे। एक दिन, एडी ने मुझसे पूछा: “टॉम, येशु के साथ आपका रिश्ता कैसा है?” मैंने उनसे कहा कि बहुत अच्छा रिश्ता है, लेकिन मेरे जीवन का सिर्फ एक मकसद रह गया है। जैसे ही मैं अपनी कोठरी की ओर बढ़ रहा था, एडी ने मुझे वापस बुलाया और पूछा: “क्या तुम बदला लेने की बात कर रहे हो?” मैंने उनसे कहा कि मैं बस सब कुछ बराबर करना कहता हूँ। उन्होंने कहा: “क्या तुम नहीं जानते कि एक अच्छा ख्रीस्तीय होने का क्या मतलब है?” उन्होंने मुझसे कहा कि एक अच्छा ख्रीस्तीय होने का मतलब सिर्फ येशु की पूजा करना नहीं है। इसका मतलब है प्रभु से प्यार करना और वह सब कुछ करना जो येशु ने किया है, जिनमें अपने दुश्मनों को माफ करना भी शामिल है। “ठीक है”, मैंने कहा, “वह येशु था; यह उसके लिए आसान है, लेकिन मेरे लिए यह आसान नहीं है।”

डीकन एडी ने मुझसे हर दिन प्रार्थना करने के लिए कहा: “प्रभु येशु, इस क्रोध को मुझसे दूर करो। मेरे और मेरे दुश्मनों के बीच में आने के लिए मैं तुझसे विनती करता हूं। उन्हें माफ करने और उन्हें आशीर्वाद देने में मेरी मदद करने के लिए मैं तुझसे निवेदन करता हूं।” मैं ने सोचा: मेरे शत्रुओं को आशीर्वाद देना? बिलकुल नहीं! लेकिन डीकन एडी और बारबरा का बार-बार प्रेरित करना जारी रहा और किसी तरह मैं बदल गया, और उस दिन से, मैंने क्षमा और चंगाई के बारे में प्रार्थना करना शुरू कर दिया।

वापसी का बुलावा

काफी दिनों तक कुछ नहीं हुआ। फिर, एक दिन, जब मैं टी.वी. का चैनल बदल रहा था, मैंने टी.वी. के पर्दे पर एक उपदेशक को प्रश्न पूछते हुए सुना: “क्या आप येशु को जानते हैं? या आप सिर्फ चर्च जाने वालों में से एक हैं?” मुझे लगा कि वे सीधे मुझसे बात कर रहे हैं। रात 10 बजे, जब हमेशा की तरह बिजली चली गई, मैं ने वहीं अपनी चारपाई पर बैठकर येशु से कहा: “हे प्रभु, अपने पूरे जीवन में, मैं तुझे कभी नहीं जान पाया। मेरे पास सब कुछ था, अब मेरे पास कुछ भी नहीं है। मेरा जीवन ले प्रभु, मैं इसे तुझे दे देता हूं। अब से, तू इसका उपयोग अपनी इच्छानुसार किसी भी कार्य के लिए कर ले प्रभु! मुझे विश्वास है प्रभु कि इस जीवन का मैंने जितना काम अब तक किया है, उससे भी बेहतर कार्य तू इससे करेगा ”

मैं धर्मशास्त्र के अध्ययन में शामिल हुआ, और “आत्मा में जीवन” कार्यक्रम केलिए अपना नाम लिखवा लिया। एक दिन धर्मग्रंथ अध्ययन के दौरान, मैंने येशु की महिमा के दर्शन देखे, वह स्वर्ग से एक लेजर किरण की तरह मुझमें आ गया, मैं ईश्वर के प्रेम से भर गया। धर्मग्रंथ ने मुझसे सीधे बात की और मुझे अपने जीवन के उद्देश्य का पता चला। प्रभु ने मुझसे सपनों में बात करना शुरू किया और लोगों के बारे में ऐसी बातें बताईं जो उन्होंने कभी किसी और को नहीं बताई थीं। प्रभु ने जो कहा था उसके बारे में बात करने के लिए मैंने जेल से उन लोगों से फोन पर बात करना शुरू किया, और उनके लिए प्रार्थना करने का वादा किया। बाद में, मैंने सुना कि उन्होंने किस प्रकार अपने जीवन में चंगाई का अनुभव किया।

एक मिशन पर

जब मुझे दूसरी जेल में स्थानांतरित किया गया, तो वहां कैथलिक आराधना नहीं थी, इसलिए मैंने वहां कैथलिक आराधना की सेवा शुरू की और वहां सुसमाचार का प्रचार करना भी शुरू किया। हमने 11 सदस्यों के साथ शुरुआत की, यह संख्या बढ़कर 58 हो गयी तथा और भी सदस्य जुड़ते गए। जेल जाने से पूर्व जिन कारणों से घावों से वे कैद कर लिए गए थे वे घाव भरने और चंगे होने लगे।

15 वर्षों के बाद, मैं एक नए मिशन पर घर लौटा – आत्माओं को बचाने, दुश्मन का विनाश करने के मिशन पर।

मेरे दोस्त घर आते और मुझे घंटों धर्मग्रंथ पढ़ते हुए पाते। वे समझ नहीं पा रहे थे कि मेरे साथ क्या हुआ है। मैंने उन्हें बताया कि पुराना टॉम मर गया है, मैं मसीह येशु में एक नई रचना हूँ, मुझे मसीह का अनुयायी होने पर गर्व है।

इसका परिणाम यह हुआ कि मैंने बहुत से मित्र खोये लेकिन मसीह में बहुत से भाई-बहनों को मैं ने प्राप्त किया।

मैं युवाओं के साथ काम करना चाहता था, उन्हें येशु के पास पहुंचाना चाहता था ताकि उनका विनाश न हो जाएं या जेल न जाएं। मेरे रिश्तेदारों ने सोचा कि मैं पागल हो गया हूं और उन्होंने मेरी मां को सांत्वना देने केलिये उनसे कहा कि मैं जल्द ही इससे उबर जाऊंगा। लेकिन मैं बिशप से मिलने गया, जिन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी, और मुझे एक पुरोहित, फादर कालेब मिले, जो इस पर मेरे साथ काम करने के लिए तैयार थे।

जेल जाने से पहले, मेरे पास बहुत सारा पैसा था, मैं लोकप्रिय था और हर चीज़ मेरे हिसाब से होनी थी। मैं एक पूर्णतावादी था। मेरे अपराध के पुराने दिनों में, यह सब मेरे बारे में था, लेकिन येशु से मिलने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि येशु की तुलना में दुनिया की सारी बातें कचरा के समान था। अब, मुझमें सब कुछ सिर्फ येशु ही था, और मेरी सारी बातें येशु के बारे में था, जो मुझमें रहता है। वह मुझे सभी चीजें करने के लिए प्रेरित करता है, और मैं उसके बिना कुछ भी नहीं कर सकता।

मैंने अपने अनुभवों के बारे में एक किताब लिखी, जेल में बंद लोगों को आशा देने केलिए, न केवल उन्हें, बल्कि अपने पापों के बंधन में फंसे किसी भी व्यक्ति को आशा देने के लिए। हमारे जीवन में हमेशा समस्याएं आती रहेंगी, लेकिन उसकी मदद से हम जीवन में हर बाधा को पार कर सकते हैं। केवल मसीह के माध्यम से ही हम सच्ची स्वतंत्रता पा सकते हैं।

मेरा उद्धारकर्ता जीवित है। मेरा प्रभु जीवित है और वह भला है। उस प्रभु के नाम की स्तुति हो!

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By: Tom Naemi

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अप्रैल 23, 2024
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इकलौते बच्चे के रूप में, मेरी एक ‘बाल कल्पना’ थी। हर बार जब किसी चचेरे, ममेरे या मौसेरे भाई या बहन का जन्म होता था, तो मैं बड़े उत्साह से तैयारी करती थी, अपने नाखून काटती थी और अपने हाथों को अच्छे से धोती थी ताकि मैं बच्चे को छू सकूं। क्रिसमस की तैयारी भी ऐसी ही थी। मैं बालक येशु को अपने दिल में ले लेने की पूरी तैयारी कर रही थी। एक बार कॉलेज में, क्रिसमस के पवित्र मिस्सा बलिदान के दौरान, मेरे मन में एक विचार आया: यह प्यारा बालक येशु जल्द ही कलवारी पर चढ़ने वाला है, और वह क्रूस पर चढ़ाया जाएगा, क्योंकि चालीसा काल बस कुछ ही महीने दूर था। मैं परेशान थी, लेकिन बाद में, ईश्वर ने मुझे विश्वास दिलाया कि जीवन कभी भी क्रूस के बिना नहीं चलता है। येशु ने कष्ट सहा ताकि वह हमारे कष्टों में हमारे साथ रह सके।

मैं पीड़ा के छुपे अर्थ को पूरी तरह से तभी समझ पाई थी जब मेरी नन्हीं अन्ना मेरी 27 सप्ताह की गर्भावस्था में समय से पहले पैदा हुई; और उसके बाद नई नई समस्याएं पैदा हो गयीं: उसकी गंभीर मस्तिष्क क्षति, मिर्गी के दौरे और माइक्रोसेफली जैसी जटिल बीमारियाँ। रातों की नींद हराम होना और बच्ची का लगातार रोना, उसके बाद से कोई एक दिन भी आराम से नहीं बीता। मेरे बहुत सारे सपने और आकांक्षाएं थीं, लेकिन मेरी नन्हीं बेटी को मेरी इतनी ज्यादा जरूरत थी कि मुझे यह सब त्यागना पड़ा। एक दिन, मैं इस बात पर विचार कर रही थी कि किस तरह मेरा जीवन अन्ना के साथ घर में कैद हो गया है, जो अब लगभग 7 साल की है, मेरी गोद में लेटकर धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा पानी पी रही है। मेरे मन में, बहुत शोर था, लेकिन मैं स्वर्गीय संगीत स्पष्ट रूप से सुन सकती थी, और शब्द बार-बार दोहराए जा रहे थे: “येशु…येशु…यह येशु है।”

अन्ना के लंबे हाथ और पैर, और उसका पतला शरीर मेरी गोद में पड़ा हुआ था। मुझे अचानक ध्यान में आया – पिएटा यानी माँ मरियम की गोद में येशु के शरीर की उस मूर्ती के साथ एक अद्भुत समानता थी, यह याद दिलाते हुए कि कैसे क्रूस के नीचे, येशु चुपचाप अपनी माँ की गोद में लेटा हुआ था।

मेरे आँसू बह निकले और मुझे अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति की वास्तविकता का एहसास हुआ। जब मैं जीवन की चिन्ताओं और परेशानियों से घिरी होती हूं, तो कभी मैं सबसे छोटे कार्यों में भी हांफने लगती हूं, लेकिन फिर मुझे याद आता है कि मैं अकेली नहीं हूं।

ईश्वर हमें जो भी संतान देता है वास्तव में वह एक आशीर्वाद है। जबकि अन्ना पीड़ित येशु का चित्रण करती है, हमारा 5 वर्षीय बेटा अन्ना के चेहरे से लार पोंछता है और समय पर उसे दवा देता है। वह मुझे बालक येशु की याद दिलाता है जो अपने पिता और माँ को दैनिक कार्यों में मदद करते थे। हमारी 3 साल की छोटी बेटी सबसे तुच्छ चीज़ों के लिए भी येशु को धन्यवाद देते नहीं थकती। वह मुझे याद दिलाती है कि कैसे बालक येशु ज्ञान और प्रेम में विकसित हुए। हमारा एक साल का करूब, अपने छोटे गालों, गोल-मटोल हाथों और पैरों के साथ, बालक येशु की प्रतिमा जैसा दिखता है, जिससे यह याद आता है कि माता मरियम ने कैसे छोटे बालक येशु का पालन-पोषण किया और उसकी देखभाल की। जैसे ही वह मुस्कुराता है और नींद में करवट लेता है, वहाँ सोते हुए बालक येशु की एक झलक भी मिलती है।

यदि येशु हमारे बीच रहने के लिए नहीं आते, तो क्या मुझे अब भी वह शांति और खुशी मिलती, जिसका मैं हर दिन अनुभव करती हूँ? यदि मैं उनके प्रेम को नहीं जानती, तो क्या मैं अपने बच्चों में येशु को देखने और उनके लिए सब कुछ करने की सुंदरता का अनुभव कर पाती जैसा मैं येशु के लिए करती?

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By: Reshma Thomas

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जनवरी 24, 2024
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नाइजीरिया के अंदरूनी इलाकों में, पर्याप्त संसाधनों या मदद के बिना, इस पुरोहित ने अविश्वसनीय और  अलौकिक हस्तक्षेप का अनुभव किया।

लड़ाई-झगड़े उनके लिए कोई अजनबी बात नहीं थी। वे 6 फीट 2 इंच लंबे थे, कैथलिक पुरोहित बनने से पूर्व वे  किक बॉक्सिंग में ब्लैक बेल्ट थे, और उनका अतीत बहुत ही रंगीन था। लेकिन ईश्वरीय दिशा-निर्देश को महसूस करते हुए, जब उन्होंने नाइजीरिया के उसेन में सोमास्कन मिशनरी धर्मसमाज के सुपीरियर के रूप में कार्यभार संभाला, तो श्रद्धेय फादर वर्गीस परकुडियिल उस स्थिति में आ गए, जिसे वे ‘आखिरी लड़ाई’ कहते हैं – रोजमर्रा की जिंदगी में अच्छाई और बुराई के बीच सीधा युद्ध।

वे वास्तव में ‘जूजू’ यानी अफ्रीकी जादू-टोना के गढ़ में पहुँच गए थे। स्थानीय जूजू जादूगरों को उनकी जादुई  ‘शक्तियों’ के लिए पूरे महाद्वीप में अत्यधिक सम्मान दिया जाता था। उन जादूगरों के अनुयायियों में कई प्रमुख हस्तियाँ थीं, जिनमें महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियाँ और यहाँ तक कि कुछ स्थानीय ईसाई भी शामिल थे। लेकिन, “जहाँ पाप की वृद्बधि हुई, वहाँ अनुग्रह की उससे कहीं अधिक वृद्धि हुई” (रोमी 5:20), और श्रद्धेय वर्गीस ने निश्चित रूप से ईश्वर की शक्ति का अनुभव किया जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

येशु के नाम के उच्चारण मात्र से ही पीड़ितों को बुरी आत्माओं से छुटकारा मिल जाता था; मसीहियों के पास वह ईश्वरीय सुरक्षा थी जिसे जादूगरों के संयुक्त श्राप भेद नहीं सकते थे, और ईश्वरीय ताकत के कई अन्य शक्तिशाली प्रदर्शन वे अनुभव करते थे।

लेकिन अलौकिक हस्तक्षेप की अलग तरीके की एक उल्लेखनीय घटना यहाँ बताने लायक है।

 जो कुछ उसके पास था

यह अक्टूबर 2012 की बात है, फादर वर्गीस के भारत से उसेन चले जाने के कुछ ही सप्ताह बाद, एक दिन एक महिला उनके पास आई। फादर का अभिवादन करने के बाद, उसने अपनी पोशाक का हिस्सा अपने पेट के ऊपर उठा लिया। फादर भयभीत हो गये, उस महिला ने अपने पेट पर चिपकी काली प्लास्टिक शीट का एक टुकड़ा हटाया और उसकी  नाभि के बगल में जितना बड़ा एक संतरा होता है, उतना ही बड़ा छेद दिखाई दिया।

उसे ठीक करने के लिए हर्निया के ऑपरेशन में 400,000 नायरा लगेंगे, जिसे वह वहन नहीं कर सकती थी: “क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?” उसने पूछा। फादर बताते हैं कि यह सुनकर वास्तव में वे निरुत्तर हो गये थे, इसलिए उन्होंने उससे कहा कि मैं आपकी सहायता करने की स्थिति में नहीं हूँ। लेकिन उसे टालने के उद्देश से, उन्होंने उसे सलाह दी कि वह किसी भी तरह ऑपरेशन करवा लें …

जैसे ही वह धीरे-धीरे चली गई, फादर वर्गीस को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने अपनी माँ (जिसकी हाल ही में मृत्यु हो गयी थी) को जाते हुए देखा हो। असहाय और भारी मन से, उन्होंने उस महिला के लिए अपनी सबसे ईमानदार प्रार्थना फुसफुसायी।

अलौकिक समरूप

नए साल से पहले, रविवार के दिन, एक महिला अपनी दो बेटियों के साथ केले का एक बड़ा गुच्छा और फलों और सब्जियों से भरा एक बैग लेकर फादर के निवास स्थान पर आई। फादर के सामने घुटने टेकती  हुई, उसने अपनी हथेलियाँ आपस में रगड़ीं – एक इशारा जो या तो अत्यधिक आभार या माफी व्यक्त करता है  – और उसने फादर के सामने केले और बैग की भेंट प्रस्तुत  की। फादर  हैरान थे; हालाँकि वह महिला अजीब तरह से परिचित लग रही थी, वे उसे पहचान नहीं सके।

“क्या आप मुझे नहीं पहचानते फादर?” उसने पूछा। जैसे ही उसने अपने पेट के ऊपर का कपड़ा निकाला, फादर को एहसास हुआ कि यह वही महिला है जो पहले मदद के लिए उनके पास आई थी। अब, वह पूरी तरह से ठीक लग रही थी, जाहिर तौर पर एक ऑपरेशन के माध्यम से, क्योंकि टांके के निशान अभी भी दिखाई दे रहे थे।

जब उस महिला ने उन्हें धन्यवाद दिया, तो फादर असमंजस में पड़ गये, वह समझ नहीं पा रहे थे कि मैंने इस कृतज्ञता की भेंट पाने के लिए क्या किया है। उस महिला ने कहा, “क्योंकि आपने बिल का भुगतान कर दिया था।” उसकी टिप्पणी से पूरी तरह से चकित होकर, उन्होंने उससे स्पष्ट करने के लिए कहा।

उनकी उस आपसी दु:खद मुलाकात के बाद, वह महिला हर्निया के ऑपरेशन के लिए बेनिन शहर के एक अस्पताल में भर्ती हो गयी थी और उसने उम्मीद की थी कि मैं क्रिसमस और नए साल के जश्न के लिए समय पर घर वापस आ जाऊँगी। जब उसने अस्पताल के कर्मचारियों से कहा कि मैं सर्जरी के बाद भुगतान करूंगी, तो कुछ अजीब कारण से, उन्होंने सहमति दे दी। एक बार जब सर्जरी पूरी हो गई और उसे वापस उसके कमरे में ले जाया गया, तो उसने उनसे कहा कि मैं घर वापस जाऊंगी और बिल का भुगतान करने के लिए अपनी जमीन बेच दूंगी। जाहिर है, वे उसे भुगतान किए बिना जाने नहीं देंगे। अगला तार्किक कदम उसे पुलिस को सौंपना होता। लेकिन थोड़ी देर बाद, एक नर्स उसका बिल लहराते हुए उसके कमरे में आई और उससे कहा, “ईश्वर की स्तुति करो, आपके पल्ली पुरोहित अभी आए और उन्होंने आपका बिल चुका दिया। आप अब जा सकती हैं,” उसने आगे कहा: “वह ओयिबो (जैसा कि गैर-अफ्रीकी विदेशियों को कहा जाता है), बड़ा लंबा आदमी था।”

अवर्णनीय  रहस्य

फादर वर्गीस के लिए, यह एक प्रहार था, जिसका उन्होंने पहले कभी नहीं अनुभव किया था! उस समय बेनिन सिटी धर्मप्रांत में उनके अलावा कोई अन्य ‘ओइबो’ फादर नहीं थे।

फादर वर्गीस कहते हैं, “वह मैं नहीं था, अगर कोई अन्य फादर ने बिल का भुगतान किया हो, तो ईश्वर की स्तुति हो।” लेकिन मेरा मानना है कि यह मेरे रखवाल स्वर्गदूत था जिसने यह कार्य किया।”

फादर वर्गीस अभी भी असमंजस में हैं कि उस महिला को बिना पैसे के ऑपरेशन कराने की हिम्मत कैसे हुई। क्या उसने सोचा था कि फादर किसी तरह उसका बिल चुका देगा? या क्या उसे लगा कि जिस पीड़ा से वह गुजर रही थी,  जेल जाना ही उससे बेहतर विकल्प था?

इस तरह और कई अन्य अनुभवों को पाकर, जिनके माध्यम से उन्हें प्रभु की स्थायी कृपा के बारे में आश्वासन मिला, फादर वर्गीस ने उत्साह के साथ अपनी मिशनरी सेवा जारी रखी। वे वर्तमान में इटली में सोमास्कन मदर हाउस में सुपीरियर और अंतर्राष्ट्रीय नव शिष्यालय के निदेशक के रूप में दोहरी भूमिकाएँ संभाल रहे हैं। वे विनम्रतापूर्वक कहते हैं, “इटली में मेरी सेवा निश्चित रूप से अफ्रीका या भारत की तरह एक्शन से भरपूर नहीं, लेकिन यह अब मेरे लिए ईश्वर द्वारा दी गयी ज़िम्मेदारी है।”

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By: Zacharias Antony Njavally

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जनवरी 24, 2024
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क्या आप उस पहले शहीद को जानते हैं जिसने पाप स्वीकार का रहस्य उजागर करने के बजाय मरना पसंद किया? 14-वीं सदी में प्राग शहर में फादर जॉन नेपोमुसीन रहते थे, जो एक प्रसिद्ध सुसमाचार के प्रवक्ता एवं प्रचारक थे। जैसे-जैसे उनकी प्रसिद्धि फैलती गई, राजा वेन्सस्लाउस चतुर्थ ने उन्हें शहर के लोगों की जरूरतों का ख्याल रखने के लिए तथा अदालत में मुकदमों में बहस निपटाने के लिए आमंत्रित किया। वे अंततः रानी के पाप स्वीकार सुनने का कार्य करने लगे। रानी के आत्मिक निर्देशक के रूप में उन्होंने रानी को राजा की क्रूरता को धैर्यपूर्वक सहन करने के लिए आध्यात्मिक रूप से उनका मार्गदर्शन किया।

अपने गुस्से और ईर्ष्या के आक्रोश के लिए बदनाम राजा ने एक दिन पुरोहित जॉन नेपोमुसीन को अपने कक्ष में बुलाया और उनसे रानी के पाप स्वीकार के बारे में पूछताछ करना शुरू कर दिया। फादर जॉन ने राजा द्वारा रिश्वत की पेशकश और भयंकर यातना के बावजूद पाप स्वीकार के रहस्यों को उजागर करने से इनकार कर दिया; फलस्वरूप, उन्हें कैद कर लिया गया। राजा उन पर दबाव डालते रहे और बदले में उन्हें धन और पुरस्कारों की पेशकश भी की। जब  राजा ने देखा कि रिश्वत से काम नहीं चलेगा, तो उन्होंने पुरोहित जॉन नेपोमुसीन को मृत्युदंड की धमकी दी। फादर जॉन को हर तरह की यातना से गुज़रना पड़ा, जिसमें उनके शरीर के दोने बाजू के हिस्सों को मशालों से जलाना भी शामिल था, लेकिन इससे भी वे नहीं डगमगाए।

अंत में, राजा ने उन्हें जंजीरों में बाँधने का आदेश दिया, उनके मुंह में लकड़ी का एक कुंदा रखकर शहर में घुमाया, और कार्ल्सब्रुक (चार्ल्स ब्रिज) नामक पुल से उन्हें मोल्दाउ नदी में फेंक दिया गया। संत की प्रतिक्रिया वही रही और उन्होंने कहा था: “मैं हजार बार मरना पसंद करूंगा।” राजा के इस क्रूर आदेश को 20 मार्च, 1393 को निष्पादित किया गया था। इसके बाद जॉन नेपोमुसीन के शरीर को मोल्दाउ नदी से बाहर निकाला गया और प्राग के कैथेड्रल में दफनाया गया।

1719 में, जब गिरजाघर में उनकी कब्र खोली गई, तो उनकी जीभ हलकी सिकुड़ी हुई लेकिन अदूषित और अभ्रष्ट अर्थात पूरी तरह ठीक स्थिति में  पाई गई। 1729 में संत पापा बेनेदिक्त तेरहवें द्वारा उन्हें संत घोषित किया गया। अक्सर उनकी तस्वीर एक पुल के पास होठों पर एक उंगली रखे और सिर पर पांच सितारों के साथ चित्रित की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिस रात फादर जॉन की हत्या हुई थी, उस स्थान पर जहां वे डूब गये थे, वहां उस पुल के ऊपर आसमान पर पांच सितारे देखे गए थे । पाप स्वीकार के नियमों के प्रति वफादारी के उनके बहादुर कार्य के कारण, फादर जॉन नेपोमुसीन को पाप स्वीकार सुनने वालों के संरक्षक संत के रूप में माना जाता है।

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By: Shalom Tidings

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जनवरी 10, 2024
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इस बात का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करें कि ईश्वर स्वर्ग की बातों का संचार करने के लिए पृथ्वी की चीज़ों का उपयोग कैसे कर सकते हैं

एक दिन जब मैं कूड़े के डिब्बे लाने के लिए अपने सामने वाले दरवाजे से बाहर निकली, तो मैं डर के मारे वहीं रुक गयी। घर के बगल में नाली के ढक्कन पर साँप की एक ताज़ा खाल पडी हुई थी। मैंने तुरंत अपने पति को बुलाया, क्योंकि मुझे सांपों से बहुत डर लगता है।

जब यह स्पष्ट हो गया कि यह मृत साँप की खाल है, आस-पास कोई जीवित साँप नहीं है, तो मैंने निश्चिंत होकर ईश्वर से पूछा कि वह इस दिन मुझे क्या सबक सिखाने की कोशिश कर रहा है।

पूरा मामला क्या है?

मेरे शिक्षक लोग मुझे ‘गतिज शिक्षार्थी’ कहते हैं। मैं वस्तुओं के साथ घूमने या उनके साथ बातचीत करने से सबसे अच्छा सीख पाती हूं। हाल ही में, मैंने देखा है कि ईश्वर अक्सर भौतिक वस्तुओं के माध्यम से स्वयं को मेरे सामने प्रकट करता है। इस दिव्य शिक्षाशास्त्र का उल्लेख कैथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा में भी किया गया है।

“ईश्वर अपने वचन के द्वारा सभी चीज़ों की रचना और संरक्षण करता है, वह सृजित वास्तविकताओं के द्वारा स्वयं का प्रमाण मानव को निरंतर प्रदान करता है।” (सी.सी.सी., 54)

उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने इब्राहीम के लिए धूआं देने वाला अग्नि पात्र और धधकती मशाल, याकूब के लिए कुश्ती लड़ने वाला स्वर्गदूत, और मूसा के लिए जलती हुई झाड़ी भेजी। परमेश्वर ने नूह के पास जैतून की शाखा और फिर इंद्रधनुष, गियदोन के लिए कुछ ओस, और एलियाह के लिए रोटी और मांस के साथ कौआ भेजा।

इब्राहीम का परमेश्वर, याकूब का परमेश्वर, और मूसा का परमेश्वर  हमारा भी परमेश्वर है। समस्त सृष्टि का ईश्वर स्वर्ग की अदृश्य और अमूर्त वास्तविकताओं को संप्रेषित करने के लिए पृथ्वी के दृश्य, मूर्त पदार्थ का उपयोग क्यों नहीं करेगा?

फादर जैक्स फिलिप ने लिखा है, “मांस और रक्त के प्राणियों के रूप में, हमें आध्यात्मिक वास्तविकताओं को प्राप्त करने के लिए भौतिक चीज़ों के समर्थन की आवश्यकता है। ईश्वर इसे जानता है, और यही बात ईश्वर के  देह्धारण  के पूरे रहस्य को समझाती है” (टाइम फॉर गॉड, पृष्ठ 58)।

ईश्वर हमें लाइसेंस प्लेट या बम्पर स्टिकर के माध्यम से संदेश भेज सकते हैं। पिछले सप्ताह एक ट्रक के पीछे लिखे शब्द, “चलते रहो,” मेरे मन में गूंज उठे। उन शब्दों ने मुझे उस धार्मिक अंतर्दृष्टि की याद दिलाई जो मैंने उसी सुबह सुनी थी – कि हम सुसमाचार साझा करते रहने के लिए बुलाये गए हैं ।

ईश्वर हमें सिखाने के लिए प्रकृति का भी उपयोग कर सकता है। हाल ही में पेड़ से चेरी या आलूबालू तोड़ते समय, मुझे याद आया कि फसल की बहुतायत, और मजदूरों की कमी कैसे होती हैं। एक तूफानी दिन मन में विचार  ला सकता है कि “बड़ी संख्या में हमारे चारों ओर गवाह विद्यमान हैं” (इब्रानी 12:1)। एक सुंदर पक्षी या भव्य सूर्यास्त हमारी शिथिल आत्मा को स्फूर्ती देने के ईश्वर का तरीका हो सकता है।

जब कभी मैं किसी चीज़ से विशेष रूप से आश्चर्यचकित होती हूं, तो मैं ईश्वर से पूछने की कोशिश करती हूं कि वह मुझे क्या सबक सिखा रहा होगा। उदाहरण के लिए, एक रात को, जब मेरी बेटी सो रही है या नहीं इसकी जांच करने के लिए मैं बिस्तर से उठने के बारे में मन में बहस कर रही थी, माताओं की संरक्षिका संत मोनिका का सम्मान करने वाला एक प्रार्थना कार्ड अचानक मेरे मेज़ से गिर गया। मैं तुरंत उठी और बेटी के पास जाकर उसकी हालचाल लेने लगी। या इसके अलावा, उस समय जब मैं देर रात या भोर के शुरुआती घंटों में उठी और हाल ही में मृत परिवार के सदस्य की तरफ से माला विनती की प्रार्थना करने के लिए बुलायी गयी और आसमान से सबसे शानदार उल्का पिंड को गिरते देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई।

कभी-कभी ईश्वर अपना संदेश दूसरे लोगों के माध्यम से भेजता है। आपने कितनी बार किसी ऐसे व्यक्ति से कार्ड, फ़ोन कॉल या टेक्स्ट प्राप्त किया होगा जो आपके लिए आवश्यक प्रोत्साहन था?

एक बार गर्मियों में, जब मैं बाइक पर यात्रा कर रही थी और बाइबल अध्ययन बंद करने की संभावना पर विचार कर रही थी, तो मेरी मुलाकात एक मित्र से हुई। अचानक, उसने यह तथ्य सामने रखा कि उसने अपना बाइबल अध्ययन जारी रखने की योजना बनाई है क्योंकि एक बार जब आप कुछ बंद कर देते हैं, तो उसे दोबारा शुरू करना बहुत कठिन होता है।

ईश्वर हमें अनुशासित करने या अपने शिष्यत्व में हमारी प्रगति हेतु हमें मदद करने के लिए ठोस वस्तुओं का भी उपयोग कर सकता है।

एक सुबह मेरी नज़र तीन बड़ी कीलों पर पड़ी। वे तीनों एक समान थे, लेकिन मैंने उन्हें तीन अलग-अलग स्थानों पर पाया था: एक गैस स्टेशन पर, एक मेरे घर के अन्दर की पगडण्डी पर, और एक सड़क पर। तीसरी कील देखने के बाद मैं रुकी और मैंने ईश्वर से पूछा कि वह मुझे क्या बताना चाह रहा था और मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने जीवन में किसी बात को लेकर पश्चाताप की आवश्यकता है।

मैं उस समय को कभी नहीं भूलूंगी  जब मैं बाहर निकली और तुरंत एक मक्खी मेरी आंख में घुस गई। मै चाहती हूँ कि उस दिन मैंने जो सबक सीखी उसकी  कल्पना आप स्वयं करें ।

सीखने की शैली

ईश्वर हमें हर समय सिखाता है, और वह सभी प्रकार के शिक्षार्थियों को समायोजित करता है। जो चीज़ एक व्यक्ति के लिए काम करती है वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकती। कुछ लोग ईश्वर की आवाज़ को स्पष्ट रूप से  प्रार्थना सभा में सुनेंगे, अन्य लोग परम प्रसाद की आराधना में सुनेंगे, कोई और बाइबिल पढ़ते समय सुनेंगे, या अपनी निजी प्रार्थना के समय सुनेंगे। हालाँकि, ईश्वर हमेशा काम पर रहता है और हमारे विचारों, भावनाओं, छवियों, पवित्र ग्रन्थ के वाक्यांशों से, लोगों से, कल्पना से, ज्ञान के शब्दों से,  संगीत से और हमारे दिन की प्रत्येक घटना के माध्यम से हमें लगातार सिखाता रहता है।

जब ईश्वर भौतिक वस्तुओं के माध्यम से सम्प्रेषण करता है तो व्यक्तिगत रूप से मैं इसकी सराहना करती हूँ, क्योंकि मैं इस तरह से शिक्षा को बेहतर ढंग से याद रखती हूँ। आप सोच रहे होंगे कि मैंने साँप की खाल से क्या सीखा। इस से धर्मग्रंथ का निम्नलिखित वाक्यांश ध्यान में आया: लोग पुरानी मशकों में नई अंगूरी को नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, अंगूरी बह जाती है, और मशकें बर्बाद हो जाती हैं। लोग नयी अंगूरी नयी मशकों में भरते हैं, इस तरह दोनों ही बची रहती हैं” (मत्ती 9:17)

पवित्र आत्मा, आज तू हमें जो भी सबक सिखा रहा है, उसके बारे में अधिक जागरूक होने में हमारी मदद कर।

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By: Denise Jasek

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जनवरी 10, 2024
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इनिगो लोपेज़ का जन्म 15वीं सदी के स्पेन में एक कुलीन परिवार में हुआ था। सामंती राज दरबार का प्रेम और शूरवीरता के आदर्शों से प्रभावित होकर, वह एक उग्र योद्धा बन गया। सन 1521 ईसवीं में एक युद्ध के दौरान फ्रांसीसी आक्रमणकारियों के खिलाफ अपने पैतृक शहर पलेर्मो की रक्षा करते समय, इनिगो तोप के गोले से अत्यधिक घायल हो गया था। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी साहस से भरपूर इनिगो ने फ्रांसीसी सैनिकों की प्रशंसा हासिल की, जो उसे कैद करने के बजाय, उसके उपचार के लिए उसके अपने घर ले गए।

रोमांस भरे उपन्यासों का आनंद लेते हुए बिस्तर पर अपने स्वास्थ्य लाभ की अवधि बिताने की योजना बनाते हुए, इनिगो को यह देखकर निराशा हुई कि उपलब्ध पुस्तकें केवल संतों के जीवन पर थीं। उन्होंने अनिच्छा से इन पुस्तकों को पढ़ा, लेकिन जल्द ही इन गौरवशाली जीवन कथाओं के बारे में पढ़कर आश्चर्यचकित हो गए। संतों की जीवन कहानियों से प्रेरित होकर, उन्होंने खुद से पूछा: “अगर वे कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?”

घुटने की चोट से उबरने के दौरान यह सवाल उन्हें सताता रहा। लेकिन संतों द्वारा उनमें बोई गई यह पवित्र खलबली और अधिक मजबूत हो गई और अंततः उन्हें कलीसिया के सबसे महान संतों में से एक बना दिया गया: लोयोला के इग्नेशियस।

एक बार ठीक होने के बाद, इग्नेशियस ने अपना चाकू और तलवार मोंट्सेरात की धन्य कुंवारी माँ मरियम की वेदी पर रख छोड़ दिया। उन्होंने अपने महंगे कपड़े त्याग दिए और दिव्य गुरु के मार्ग पर चलने के लिए निकल पड़े। उनका साहस और जुनून कम नहीं हुआ था, लेकिन अब से उनकी लड़ाई स्वर्गीय सेना के लिए होगी, जो मसीह के लिए आत्माओं को जीतेगी। उनके लेखन, विशेष रूप से स्पिरिचुअल एक्सरसाइजेज (आध्यात्मिक अभ्यास) ने अनगिनत जिंदगियों को छुआ है और उन्हें पवित्रता और मसीह के मार्ग पर निर्देशित किया है।

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By: Shalom Tidings

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जनवरी 10, 2024
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कालातीत सुन्दरता अब कोई दूर का सपना नहीं है…

आकर्षक दिखने की हमारी चाहत सार्वभौमिक है। बाइबिल के आरम्भ काल से ही, पुरुषों और महिलाओं ने समान रूप से संवारने, तथा आहार, व्यायाम, सौंदर्य प्रसाधन, जेवर, कपड़े और अन्य सजावट के माध्यम से अपने शरीर को सुंदर बनाने की कोशिश की है। क्योंकि हमारे सृजनकर्ता स्वयं सौंदर्य है, हम उस सृष्टिकर्ता के प्रतिरूप में और उसके सादृश्य में सृष्ट किये गए हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम उसके स्वभाव के सिद्धांतों को अपने शारीरिक स्वरूप में प्रकट करने की इच्छा रखते हैं – वास्तव में, इसके द्वारा हम अपने शरीर में परमेश्वर को महिमान्वित कर रहे हैं, और हमें ऐसा करने के लिए आदेश दिया जाता है (1 कुरिन्थी 6:20)।

फिर भी हमारा वर्तमान धर्म विहीन युग हर दिन जोर-शोर से हमारी कमियों की घोषणा करता है: हम सुंदर नहीं हैं, स्मार्ट नहीं हैं, पतले नहीं हैं, आकर्षक नहीं हैं, युवा नहीं हैं, स्टाइलिश नहीं हैं, आदि इत्यादि। हर साल, बहुत बड़ी संख्या में उपभोक्ता अनावश्यक मात्रा में सौंदर्य प्रसाधन, सौंदर्य उत्पाद, और संबंधित सेवाओं की खरीदारी करते हैं। अफसोस की बात है कि आक्रामक सर्जरी, इंजेक्शन, पूरक की कृत्रिम चीज़ें और अन्य संदिग्ध कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं तेजी से आम होती जा रही हैं, यहां तक कि चालीस से कम उम्र वालों के बीच भी।

दोषरहित सुंदरता

हम येशु मसीह के अनुयायी, जो दुनिया में रहते हैं लेकिन दुनिया के नहीं, हम कैसे सुंदर होंगे? संत अगस्तीन ने सदियों पहले इसी प्रश्न से जूझते हुए एक प्राचीन उपदेश में हमें यह शाश्वत उत्तर दिया था: ‘उससे प्यार करो जो हमेशा सुंदर है।और जिस मात्रा में आपके अंदर वह प्रेम बढ़ेगा, उसी मात्रा में आपकी सुंदरता भी बढ़ेगी। क्योंकि प्रेमपूर्ण उदारता वास्तव में आत्मा की सुंदरता है।’ (योहन के पहले पत्र पर दस व्याख्यान, नौवां व्याख्यान , 9-वां अनुच्छेद)

सच्ची सुंदरता उस प्यार से निकलती है जो “शरीर के दीपक”, यानी हमारी आँखों (लूकस 1:34) से चमकता है, न कि हमारे बालों या होठों के रंग से। वास्तव में, येशु हमें “संसार की ज्योति” कहते हैं (मत्ती 5-14) – हमारी मुस्कुराहट से उसका प्रेम झलकना चाहिए और दूसरों के जीवन को रोशन करना चाहिए। अंततः, हमें अपने मसीही जीवन-साक्ष्य की सुंदरता द्वारा दूसरों को येशु मसीह और उनकी कलीसिया की सुंदरता की ओर आकर्षित करना चाहिए, और यही इस सांसारिक जीवन में हमारा मुख्य दायित्व है।

फिर भी, यद्यपि हमारी आत्माएँ इच्छुक हैं, हमारा शरीर कभी-कभी दुनिया की अपर्याप्तता के झूठे ‘सुसमाचार’ का शिकार हो जाता है। मानवीय असुरक्षा के ऐसे क्षणों के दौरान, मैं सुलेमान के सर्वश्रेष्ठ गीत में वर्णित परमेश्वर  के अचूक संदेश से उत्साहित हूं: “मेरी प्रेयसी, तुम सर्वसुन्दर  हो। तुम में कोई दोष नहीं” (4:7)।

हालाँकि मैंने अपने शरीर को कई वर्षों तक घिसा है, मैं लम्बा जीवन जीकर अपने भूरे “मुकुट” (सूक्तिग्रंथ    16:31)  प्राप्त करने के लिए, और, हाँ, झुर्रियाँ भी प्राप्त करने केलिए आभारी हूँ, जो कई अनुभवों और आशीर्वादों का प्रतिनिधित्व करते हैं ताकि चिकनी त्वचा पाने के लिए मैं कभी भी इसका खरीद फरोख्त नहीं करूंगी।

शायद आप एक माँ हैं और गर्भावस्था के साथ आपका आकार कुछ कुछ बदल गया है। लेकिन आपका शरीर चमत्कारी है – इसने गर्भधारण किया, बच्चे को गर्भ में संभाला और परमेश्वर के उस बच्चे को जन्म भी दिया। परमेश्वर के राज्य के विस्तार करने की अपनी फलदायीता केलिए आप आनन्दित और उल्लासित हो जाएँ !

शायद आप किशोरी हैं, और आपका शरीर असुविधाजनक परिवर्तनों से गुजर रहा है; और इस परिवर्त्तन को जटिल बनाते हुए, शायद आपको लगे कि आप दुनियावी लोगों की भीड़ में फिट नहीं बैठती हैं। लेकिन ईश्वर के कार्य की  प्रगति आप हैं – आप एक उत्कृष्ट कृति हैं जिसे वह आपके द्वारा उसके विशेष लक्ष्य और उद्देश्य को पूरा करने के लिए अद्भुत रूप से आपको अद्वितीय बना रहा है। जहां तक ‘ दुनियावी लोगों की भीड़’ का सवाल है, क्या उस भीड़ के लिए प्रार्थना करने के लिए आप को प्रेरणा मिले;  परमेश्वर जानता है कि दुनियावी भीड़ में सम्मिलित लोगों की अपनी असुरक्षाएँ हैं।

शायद आप अधेड़ उम्र के हैं और पिछले कुछ वर्षों में आपका वज़न कुछ अतिरिक्त बढ़ गया है, या हो सकता है कि आप हमेशा मोटापे से जूझते रहे हों। यद्यपि स्वस्थ शरीर प्राप्त करने और उसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए आहार और व्यायाम महत्वपूर्ण हैं, आप जिस आकार या रूप में हैं, बिल्कुल उसी आकार या रूप में ईश्वर आपसे प्यार करता है – आप अपने प्रति धैर्य रखें और अपने आप को उसके कोमल हाथों में सौंप दें।

शायद आप कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं और उसके इलाज का असर भी झेल रहे हैं। जैसे ही आपका शरीर लड़खड़ाता है, मसीह आपके साथ क्रूस उठाते हैं। अपने कष्टों को उसके सामने प्रस्तुत करें, और वह आपको इतनी ताकत और लचीलापन देगा कि आप अपने आसपास के उन लोगों के लिए आशा की किरण बन सकें जो अपनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आप अपने साहसी जीवन के माध्यम से पाए गए ईश्वर के अच्छे कार्य से सांत्वना पायें।

शायद पहले की या वर्तमान स्वास्थ्य की समस्याओं के कारण आपके शरीर में कुछ स्थायी निशान या विकृति है – आप यह जानकर सांत्वना पायें कि संत काटेरी की मृत्यु के बाद उसके चेहरे पर जो चेचक के निशान थे, वे चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। वास्तव में,  हमारे असली घर स्वर्ग में, मसीह हमारे तुच्छ शरीर को अपने गौरवशाली शरीर के समान बदल देगा (फिलिप्पी 3:20-21), और हम तारों की तरह चमकते रहेंगे (दानिएल 12:3)।

पूरी तरह से अलंकृत

अभी के लिए,  जैसे परमेश्वर हमें चाहते हैं, हम वैसे ही हैं। जो उसने हमें पहले ही दे दी है हमें अपने उस बाहरी स्वरूप को बदलने या उस सुंदरता में सुधार करने की ज़रूरत नहीं है। हमें खुद को वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे हम हैं और हम जैसे हैं वैसे ही खुद से प्यार करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो हम कर सकते हैं वह है येशु से प्रेम करना। जितने तक हमारे दिल उसके प्यार से भर जाएगा, उतना ही हमारे शरीर उसकी सुंदरता को प्रतिबिंबित करेगा।

लेकिन यह कोई सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं है. हालाँकि दुनिया आम तौर पर कमी के सिद्धांत पर काम करती है ताकि हमें लगे कि हमें अपना उचित हिस्सा पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, येशु मसीह खूबी या प्रचुरता के सिद्धांत पर काम करता है ताकि हमेशा जरूरत से ज्यादा हो – “जिसके पास है उसे और अधिक दिया जाएगा” (मत्ती 13:12) यदि हम प्रभु पर भरोसा करते हैं जो “खेत के फूलों को सजाता है” (मत्ती 6:28), तो हम उस शरीर से संतुष्ट होंगे जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। इसके अलावा, हम पहचानेंगे कि हमारी ईश्वर प्रदत्त सुंदरता न केवल पर्याप्त है बल्कि प्रचुर भी है।

साथ ही, यह कोई तुलना का खेल नहीं है। हालाँकि हम अक्सर अपनी तुलना दूसरों से करने के लिए प्रलोभित होते हैं, फिर भी हम अद्वितीय हैं; परमेश्वर ने हमें अपनी माँ के गर्भ में किसी और की तरह दिखने के लिए नहीं बनाया है। वास्तव में, हममें से प्रत्येक येशु मसीह की संपूर्ण सुंदरता के विशिष्ट चमकदार प्रतिबिंब और आकर्षक गवाह बनने की यात्रा पर अलग-अलग मुकामों पर हैं। परम पिता परमेश्वर ने हमें पूर्णतः सुशोभित किया है।

अगली बार जब आप दर्पण में देखें, तो याद रखें कि उसने आपको अद्भुत रूप से अच्छी तरह से बनाया और सजाया है, और वह यह देखकर प्रसन्न होता है कि आप उसकी सुंदरता को कैसे प्रतिबिंबित करते हैं।

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By: Donna Marie Klein

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जनवरी 10, 2024
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इस परिवार की कहानी एक ख़राब फ़िल्म जैसी लगती है, लेकिन उसका अंत आपको चौंका देगा

हमारी कहानी घर से शुरू होती है, जहां मैं अपने दो छोटे भाइयों, ऑस्कर और लुइस के साथ टेक्सास के सान एंटोनियो में पला-बढ़ा हूं। पिताजी हमारे गिरजाघर में गीतमंडली के प्रभारी थे, जबकि माँ पियानो बजाती थीं। हमारा बचपन खुशहाल था – क्योंकि वह गिरजाघर और परिवार के इर्द गिर्द ही था, मेरे दादा-दादी पास में ही रहते थे। हमने सोचा कि सब कुछ ठीक है, लेकिन जब मैं छठवीं कक्षा में था, तो माँ और पिताजी ने हमें बताया कि वे तलाक ले रहे हैं। पहले हमें नहीं पता था कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि मेरे परिवार में किसी का तलाक नहीं हुआ था, लेकिन हमें जल्द ही पता चल गया। जब वे हम बच्चों पर अधिकार के लिए अदालत में लड़ रहे थे तो हमें एक घर से दूसरे घर भटकना पड़ा।

लगभग एक साल बाद, पिताजी सप्ताहांत में शहर से बाहर गए। मुझे और मेरे भाइयों को माँ के साथ रहना था, लेकिन आखिरी समय में हम कुछ दोस्तों के साथ रहने लगे। हमें आश्चर्य हुआ जब पिताजी हमें लेने अप्रत्याशित रूप से जल्दी घर आए, लेकिन जब उन्होंने हमें कारण बताया तो हम टूट गए। माँ एक सुनसान पार्किंग स्थल में अपनी कार में मृत पाई गई थीं। जाहिर तौर पर, दो लोगों ने बंदूक की नोक पर माँ को लूट लिया था और उनका पर्स और गहने चुरा लिए थे। फिर, दोनों ने पिछली सीट पर उसके साथ बलात्कार किया, उसके चेहरे पर तीन बार गोली मारने के बाद उन्हें अपनी कार के फर्श पर मरने के लिए छोड़ दिया। जब पिताजी ने हमें बताया तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ। कोई माँ को क्यों मारना चाहेगा? हमें आश्चर्य हुआ कि क्या वे चोर हमारे पीछे आने वाले थे। डर हमारे बचपन का हिस्सा बन गया।

बाद का परिणाम

अंतिम संस्कार के बाद, हमने पिताजी के साथ सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश की, लेकिन मैंने अनुभव किया कि हमारे जैसे गंभीर अपराध के पीड़ितों के लिए सामान्य जीवन कभी नहीं लौटता। पिताजी का निर्माण कार्य का धंधा था। माँ की हत्या के एक साल बाद, पिताजी को उनके दो कर्मचारियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर माँ की हत्या के लिए इन दो लोगों को नियुक्त करने तथा हत्या और आपराधिक दबाव का आरोप लगाया गया। वे तीनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। कर्मचारियों में से एक ने दावा किया कि उसने पिताजी को माँ की हत्या के लिए दूसरे व्यक्ति को काम पर रखते हुए सुना था। पिताजी ने अपनी बेगुनाही की घोषणा की, और हमने उन पर विश्वास किया, लेकिन उनकी जमानत की अर्जी अस्वीकार कर दी गई, और हमारे लिए सब कुछ बदल गया। जब माँ की हत्या हुई थी, तब हम पीड़ित के बच्चे थे। लोग, विशेषकर चर्च के लोग, हमारी मदद करना चाहते थे। वे मदद दे रहे थे और वे दयालु थे। हालाँकि, पिताजी की गिरफ्तारी के बाद, हमारे साथ अचानक अलग व्यवहार होने लगा। अपराधी की संतान होने का कलंक हमारे ऊपर लग गया। लोग हमें क्षतिग्रस्त सामान के रूप में, जिसका कोई मूल्य नहीं है, देखने लगे।

हम अपनी चाची और चाचा के साथ रहने लगे, और मैंने ऑस्टिन में हाई स्कूल की पढ़ाई शुरू की, लेकिन स्थानीय कारागार में पिताजी से मिलने जाता रहा क्योंकि हम उनसे प्यार करते थे और उनकी बेगुनाही पर विश्वास करते थे। ढाई साल बाद आख़िरकार पिताजी पर मुक़दमा चलाया गया। हमारे लिए पूरे समाचार में छपे सभी विवरणों को पढ़ पाना वास्तव में कठिन था, खासकर मेरे लिए, क्योंकि मेरा और पिताजी का नाम एक ही था। जब उन्हें दोषी पाया गया, खासकर जब उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, और उन्हें फांसी का इंतजार करने के लिए हंट्सविले में स्थानांतरित कर दिया गया, तब हम लोग पूरी तरह अशान्त और विचलित हो गए। यदि आप किसी कैदी के परिवार के सदस्य हैं, तो ऐसा लगता है कि आपका जीवन बिलकुल रुका और ठहरा हुआ है।

जुर्म का चौंकाने वाला कबूल

कॉलेज में मेरी पढ़ाई के अंतिम वर्ष के दौरान, एक नया मोड़ आया। जिला न्यायाधीश के सचिव ने खुलासा किया कि अभियोक्ता वकील ने पिताजी को दोषी साबित करने के लिए सबूतों में हेराफेरी की थी। हमें हमेशा पिताजी की निर्दोषता पर विश्वास था, इसलिए इस नए मोड़ से हम बहुत खुश थे। पिताजी पर से मौत की सजा हट गयी और मुकदमे की नयी प्रक्रिया की प्रतीक्षा के लिए काउंटी जेल में वापस भेज दिया गया, और चार साल बाद नयी प्रक्रिया शुरू हुई । मैं और मेरे भाइयों ने पिताजी के लिए गवाही दी, और न्यायाधीशों ने उन्हें मृत्युदंड का दोषी नहीं पाया, जिसका मतलब था कि उन्हें कभी भी फाँसी नहीं दी जाएगी। मुझे यह जानकर एहसास हुआ कि अब मैं पिताजी को इस तरह नहीं खोऊंगा, और इस बड़ी राहत को मैं व्यक्त नहीं कर सकता। हालाँकि, उन न्यायाधीशों ने पिता जी को  हत्या के छोटे आरोप का दोषी पाया, जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा शामिल थी। इसके बावजूद सभी को पता था कि उन्हें जल्द ही पैरोल पर रिहा किया जाएगा। हमने इन सभी वर्षों में पिताजी को घर लाने के लिए हर संभव प्रयास किया था, इसलिए हम इतने उत्साहित थे कि यह होने वाला था और वे आएंगे और हमारे परिवार के साथ रहेंगे।

जब मैं उनकी रिहाई से पहले उनसे मिलने गया था, तो मैंने उनसे मुकदमे के दौरान सामने आए कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मैं उनसे कुछ भी पूछ सकता हूं, लेकिन जब मैं इस विशेष प्रश्न पर पहुंचा, तो उन्होंने सीधे मेरे चेहरे पर देखा और कहा, “जिम, मैंने यह किया, और वह इसकी हकदार थी।” मैं चौंक पड़ा, क्योंकि वे अपनी जुर्म को  कबूल कर रहे थे, और उन्होंने  जो किया उसके लिए उन्हें खेद भी नहीं था और वे इन सब चीज़ों का दोष माँ पर डाल रहे थे। वे सोच रहे थे  कि वही पीड़ित हैं क्योंकि वे जेल में थे। मुझे बहुत गुस्सा आया और में चाहता था कि उनको पता चले कि वह पीड़ित नहीं थे। दफनाई गयी मेरी माँ, हाँ वही पीड़ित थी। मैं बयान नहीं कर सकता कि हम सभी को कितना धोखा महसूस हुआ कि वह इतने समय से हमसे झूठ बोल रहे थे। ऐसा लगा जैसे हम सभी पहली बार माँ के लिए शोक मना रहे थे, क्योंकि जब पिताजी गिरफ्तार हुए, तो सब कुछ, हमारी चिंता और ख्याल उनके इर्द गिर्द था। मेरे परिवार ने उनकी पैरोल का विरोध किया, इसलिए पैरोल बोर्ड ने उन्हें पैरोल देने से इनकार कर दिया। मैं उनसे मिलने जेल में गया और उनको बताया कि वे जेल में ही रहेंगे, मृत्यु दंड पाने वालों की कतार में नहीं, वहां वे अन्य कैदियों से सुरक्षित थे, बल्कि अपने पूरे जीवन के लिए अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में जायेंगे। मैंने उनसे कहा कि वे हममें से किसी को फिर कभी नहीं देख पायेंगे। इससे पूर्व इन सभी वर्षों में हम उनसे मिलने जाते रहे, उन्हें लिखते रहे, और उनके जेल खाते में पैसे डालते रहे। वे हमारे जीवन के  एक बड़े हिस्सा थे, लेकिन अब हम उनसे मुंह मोड़ रहे थे।

बंधन से मुक्ति

चार साल तक पिताजी से मेरा कोई संपर्क नहीं था, लेकिन इस के बाद, मैं पिताजी से जेल में मिलने वापस गया। अब मेरा अपना बेटा है, और मैं कभी भी उसे चोट पहुँचाने की कल्पना नहीं कर सकता, खासकर जब से मुझे पता चला कि पिताजी ने मेरे भाइयों और मुझे भी मारने के लिए लोगों को काम पर रखा था। मैं उनसे कुछ सवालों का उत्तर चाहता था, लेकिन हमारी मुलकात पर सबसे पहले  उन्होंने माँ, मेरे भाइयों और मेरे साथ जो किया उसके लिए मुझसे माफी माँगी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस से पहले कभी किसी बात के लिए खेद नहीं जताया था। मुझे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन मैंने सीखा कि जब आप किसी को यह कहते हुए सुनते हैं कि उन्हें खेद है, तो आप की चंगाई वहीँ शुरू हो जाती है। अगली बात जो उन्होंने कही, वह यह थी, “जिम, मैंने आखिरकार अपना जीवन ईश्वर को दे दिया है और जेल में जीवन की सबसे बुरी हालत पर पहुंचने के बाद में प्रभु येशु का अनुयायी बन गया हू।”

अगले साल, मैं महीने में एक बार पिताजी से मिलने जाता रहा। उस दौरान, मैं माफ़ी की प्रक्रिया से गुज़रा। पहली नज़र में, अपनी माँ की हत्या के लिए अपने पिता को माफ कर पाना असंभव सा लगा। मैं बहुत सारे अपराध पीड़ितों के साथ काम करता हूं। मैंने जो सीखा है कि यदि आप किसी अपराधी या किसी ऐसे व्यक्ति को माफ नहीं करते हैं जिसने आपको चोट पहुंचाई है, तो आप कड़वे, क्रोधित और उदास हो जाते हैं। मैं नहीं चाहता था कि पिताजी अब मुझ पर नियंत्रण रखें, इसलिए मैंने पिताजी को माफ कर दिया, उन्हें बंधन से छुडाने नहीं, बल्कि मुझे खुद को बंधन से मुक्त करने के लिए। मैं इतना कड़वा, गुस्सैल, उदास आदमी नहीं बनना चाहता था। सुलह की इस प्रक्रिया में, मैंने पिताजी से माँ के लिए बात की, जिनकी आवाज़ उनसे छीन ली गई थी। उस वर्ष, जैसे-जैसे हमने इन मुद्दों पर बात की, मैंने पिताजी के जीवन में बदलाव देखा।

संपर्क फिर से बन जाने के लगभग एक साल बाद, मुझे जेल के पादरी से फोन आया कि पिताजी  मस्तिष्क धमनी विस्फार के रोग का शिकार होकर अंतिम अवस्था में हैं। उनका मस्तिष्क पूरी तरह मर चुका था, इसलिए हमें उसे लाइफ सपोर्ट से हटाने का निर्णय लेना पड़ा। यह बोलने में आसान लगता है, लेकिन ऐसा नहीं था। सब कुछ के बावजूद, मैं अब भी उनसे प्यार करता था। हमने उनके शव के लिए अनुरोध किया ताकि हमें अपने पिता को जेल की जमीन पर दफनाने की विरासत न मिले। जेल में आयोजित अंतिम संस्कार के रस्म के दौरान हम वार्डन और जेल पादरी को देखकर आश्चर्यचकित थे, और उन्होंने हमें बताया कि, पहली बार, जेल के प्रार्थनालय में हमारे पिताजी के लिए एक स्मृति समारोह रखने की मंजूरी मिल गई है। जब हम उपस्थित हुए, तो हम आगे की पंक्ति में बैठे थे और 300 जेल कैदी हमारे पीछे बैठे थे, जो जेल के सुरक्षा गार्डों से घिरे हुए थे। अगले तीन घंटों तक, वे लोग एक-एक करके माइक्रोफ़ोन के पास आए, सीधे हम लोगों के चेहरे को देखा, और उन्होंने अपनी-अपनी  कहानियाँ हमें सुनाईं कि कैसे वे येशु मसीह की ओर मुड़ गए क्योंकि पिताजी ने उनके साथ अपना विश्वास साझा किया था और उनके जीवन को बदल दिया था। अपने बुरे कार्यों को स्वीकार करके और पश्चाताप करके, अपने गुनाहों की ज़िम्मेदारी स्वीकार करते हुए, और ईश्वर से क्षमा माँगकर, उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा दी, और अन्य लोगों को भी अपने साथ उस  नयी दिशा में ले गए । जब आप एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुनते हैं, तो यह शक्तिशाली अनुभव होता है- और जब 300 लोगों को सुनते हैं तो आप अभिभूत हो जाते हैं।

मैंने गिरजाघरों में, जेलों में, पुनर्वास केन्द्रों और न्याय सुधार के कार्यक्रमों में बोलना शुरू किया – हमने पीड़ितों और पुनर्वास की इच्छा रखने वाले अपराधियों के लिए क्षमा प्रक्रिया के बाद बहाली की हमारी इस कहानी को साझा किया। मैंने बार-बार देखा है कि लोग कैसे बदल जाते हैं। जब मैं अपनी कहानी सुनाता हूं, तो मैं अपने माता-पिता दोनों का सम्मान करता हूं – हमारे जीवन पर उनके सकारात्मक प्रभाव के लिए मां का, और अपने पापों के लिए वास्तव में पश्चाताप करने के फैसले के लिए पिताजी का। हमारी कहानी का अंत यह है कि आज हम यह देखने में सक्षम हैं कि ईश्वर कैसे भयानक परिस्थितियों को अपने काबू में लेते हैं और उन्हें भलाई में बदल देते हैं। पश्चाताप और क्षमा के बारे में हमने जो सीखा है, उस सीख ने हमें बेहतर पति और पिता बनाया है क्योंकि हम जानबूझकर अपने परिवारों को कुछ और बेहतर देने के इच्छुक थे। हमने कड़वे अनुभव से सीखा है कि वास्तव में पश्चाताप करने के लिए, आपको पश्चाताप करते रहना होगा, और वास्तव में क्षमा करने के लिए, आपको एक बार नहीं, बल्कि लगातार क्षमा करते रहना होगा।

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By: Shalom Tidings

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नवम्बर 03, 2023
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उस रास्ते की खोज करें जो पृथ्वी पर आपका जीवन शुरू होने से पहले ही आप केलिए निर्धारित किया गया है, और आपका जीवन कभी पहले जैसा नहीं रहेगा।

पूर्णता, या सही दिशा, एक नारा है जिसे, जब अपने बच्चों केलिए सुधार की आवश्यकता होती है, तब मैं अक्सर प्रयोग करता हूँ। वे हताश होकर मुझसे यह तर्क करते थे कि आप हमसे परिपूर्णता की उम्मीद करते हैं। मैं जवाब में उन्हें बोलता हूं कि “मैं पूर्णता की मांग नहीं कर रहा हूं, मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि आप लोग सही दिशा में आगे बढ़ें।”

ईश्वर की अपेक्षा

मेरे लिए यह उनके हृदय की विनम्रता को दर्शाता है। यदि मेरा कोई बच्चा स्वीकार करता है कि उसने गलत चुनाव किया है और उनके कार्य उन मूल्यों के विरुद्ध हैं जिन्हें हम सच्चा और सही मानते हैं, तो उसके मुंह से, ‘मुझे पता है कि मैं गलत था, और मुझे खेद है, चीजों को बेहतर बनाने केलिए मैं क्या कर सकता हूं?’ ऐसे सरल शब्द क्षमा करने और एकता बहाल करने का सबसे तेज़ तरीका है। हालाँकि, अगर वे तर्क देते हैं कि हमारे घर के स्थापित नियमों की अवज्ञा करना या उन नियमों से हटकर कुछ करना उन केलिए ठीक था, तो संबंध परक अलगाव की अवधि और परिणामों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।

येशु के साथ हमारे चलने में भी ऐसा ही है। हमें दस आज्ञाओं में ईश्वर की अपेक्षाएँ दी गई हैं, और येशु ने पर्वत पर उपदेश (संत मत्ती 5-7) में इन्हें स्पष्ट किया है। और यदि इतना पर्याप्त नहीं है, तो संत पौलुस, संत पेत्रुस और अन्य प्रेरितों ने अपने सभी पत्रों में ईश्वर के आदेशों को बहुत ही ठोस तरीके से दोहराया है।

आप देख सकते हैं, हमारे पास इस से बचने का कोई रास्ता नहीं है। संपूर्ण मानवता केलिए सही दिशा पुर्णतः स्पष्ट कर दी गई है। यह सब बहुत स्पष्ट है। ‍‌हम या तो ईश्वर का मार्ग चुनते हैं या विद्रोह में उसके विरुद्ध लड़ते हैं।‍‌‌‍‌‌‌

और इसलिए, हमें एक ऐसा समाज दिखाई देने लगा है जो पवित्र धर्मग्रंथों को विकृत करने और अपनी शारीरिक वासनाओं से पूर्ण अपराध बोध को तृप्त करने केलिए ईश्वर की आज्ञाओं को तोड़ मरोड़ करने पर अमादा है।

हम ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं या ऐसे समय का सामना कर रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था, जहां कई लोग ईश्वर की सच्चाई से दूर हो गए हैं। वे आश्वस्त हो गए हैं कि यदि वे केवल कथानक् बदल देते हैं, तो वे किसी तरह निर्धारित परिणाम को टाल सकते हैं। दुर्भाग्य से, वे ईश्वर के तरीकों और उसके सत्य की वास्तविकता को गलत समझते हैं।

मित्रो, यही कारण है कि सुसमाचार अब तक प्रकट किया गया सबसे सरल लेकिन समझ से बाहर का संदेश है।

घुमाव और मोड़

अच्छी खबर यह है कि आपके अतीत, वर्तमान और भविष्य को माफ कर दिया गया है। हालाँकि, सही रास्ते पर बने रहने का संघर्ष जारी रखने केलिए हर दिन पश्चाताप और दृढ़ प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। सुसमाचार की सुंदरता यही है कि यद्यपि हम वह नहीं कर सकते जो मसीह ने अपने दुखभोग और पुनरुत्थान के माध्यम से किया, हम उनके कार्य का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

जब हम उसके मार्ग के प्रति समर्पण कर देते हैं, तो वह हमें सही दिशा में ले जाता है।

नए नियम में, येशु कहते हैं: “जब तक तुम्हारी धार्मिकता फरीसियों से आगे नहीं निकल जाती, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते।” दूसरे शब्दों में, इस धरती पर अधिकांश धार्मिक लोग अपने कार्यों के माध्यम से ईश्वर के राज्य में प्रवेश करने केलिए पर्याप्त मात्रा में योग्य नहीं थे।

पूर्णता इसका उत्तर नहीं है, और यह किसी रिश्ते केलिए आवश्यक नहीं है; लेकिन रिश्ते की पूर्णता केलिए विनम्रता की आवश्यकता है।

जब आप मत्ती के 5 से 7 अध्यायों को पढ़ते हैं, तो आप पायेंगे कि इन अध्यायों में जो शिक्षा येशु ने हमारे सामने रखी है वह आपको बड़े असंभव कार्य जैसा लगेगा।

अपनी वापसी का रास्ता खोजें

मैं वर्षों से इनमें से कई उपदेशों का पालन करने में विफल रहा हूं, और फिर भी येशु हमें अप्राप्य नियमों के उत्पीड़न के तहत दफनाने केलिए ईश्वर के तरीके नहीं बता रहे थे।

अपने आपको येशु के साथ चित्रित करें कि आप एक पहाड़ी की चोटी पर खड़े हैं जहाँ से एक बड़ी घाटी दिखाई देती है। वहाँ एक स्पष्ट पगडंडी हैं। हालाँकि, यह जंगलों, नदियों और अन्य प्राकृतिक विशेषताओं वाली जगहों से होकर जाता है। मत्ती 5-7 ऐसा ही है। यह पगडंडी है। लेकिन, येशु यह कहने के बजाय, ‘ठीक है, बेहतर होगा कि तुम अपने रास्ते पर चलो,’ वह आपको पवित्र आत्मा से परिचित कराता है, आपको दिशा निर्देश केलिए एक कम्पास (बाइबिल) देता है, और आपको याद दिलाता है कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा और नही आपको कभी त्यागेगा। फिर वह कहता हैं, “यदि आप विनम्र हैं, और आपका दिल मुझ पर केंद्रित रहता है, तो आप रास्ता ढूंढने में सक्षम होंगे, चाहे वह कितना भी मोड़ और घुमावदार क्यों न हो। और अगर ऐसा होता है कि आप खो जाते हैं या मेरे रास्ते के अलावा कोई और रास्ता चुनते हैं, तो आपको बस अपने दिल को विनम्र बनाना है और मुझे बुलाना है, और मैं आपको अपना रास्ता खोजने में मदद करूंगा।

कुछ लोगों ने इसे दुनिया को अब तक का सबसे बड़ा घोटाला कहा है। स्वर्गवासी ईश्वर, जिसने जो कुछ हम देखते हैं और यहाँ तक कि जो कुछ हम नहीं देख सकते हैं, उन सबका वह सृष्टिकर्ता है, उसने अपनी सृष्टि को बचाने केलिए स्वयं को छोटा बना लिया। हमारे पास बस एक साधारण काम है। उसकी दिशा में आगे बढ़ें.

मैं प्रार्थना करता हूं कि आज चाहे आप कहीं भी हो, और चाहे आपने कुछ भी किया हो, आप खुद को विनम्रतापूर्वक क्रूस के सामने झुकते हुए और उस रास्ते पर लौटते हुए पाएंगे जो ईश्वर ने इस धरती पर आपका समय शुरू होने से पहले आप केलिए निर्धारित किया था।

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By: Stephen Santos

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नवम्बर 02, 2023
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प्रश्न: मैं कैथलिक कलीसिया की कुछ शिक्षाओं से असहमत हूँ। यदि मैं कलीसिया की सभी शिक्षाओं से सहमत नहीं हूँ तो क्या मैं एक अच्छा कैथलिक कहा जाऊंगा ?

उत्तर: कलीसिया एक मानवीय संस्था से कहीं अधिक है – यह मानवीय और दिव्य दोनों है। इसके पास सिखाने का कोई अधिकार स्वयं का कुछ भी नहीं है। बल्कि, इसकी ज़िम्मेदारी ईमानदारी से उन बातों को सिखाने की है जो येशु मसीह ने पृथ्वी पर रहते हुए सिखाई: धर्मग्रंथों की प्रामाणिक रूप से व्याख्या करना और प्रेरितिक परंपरा को आगे बढ़ाना जो स्वयं प्रेरितों द्वारा हम तक पहुँची है।

हालाँकि, कलीसिया की मुख्य परम्पराओं और लघु परम्पराओं के बीच अंतर हैं। कलीसिया की मुख्य परम्पराएँ अपरिवर्तनीय और शाश्वत शिक्षा है जिनकी जड़ें प्रेरितों और येशु मसीह में हैं। इसके उदाहरण हैं: पवित्र परम प्रसाद केलिए केवल गेहूं की रोटी और अंगूर के दाखरस का उपयोग किया जा सकता है; केवल पुरुष ही पुरोहित बन सकते हैं; कुछ अनैतिक कार्य हमेशा और हर जगह गलत होते हैं; आदि। लघु परंपराएं मानव निर्मित परंपराएं हैं जो परिवर्तनशील हैं, जैसे शुक्रवार को मांस से परहेज करना (कलीसिया के इतिहास के दौरान यह बार बार बदला गया है), हाथों में परम प्रसाद ग्रहण करना आदि। लघु परंपराएं जो मनुष्यों से आई हैं, उनके बारे में विश्वासियों की ज़रूरतों, स्थानीय प्रथाओं और कलीसिया के अनुशासन के अनुरूप अच्छे विचारवाले लोगों की राय ली जाती है।

हालाँकि, जब प्रेरितिक परंपराओं की बात आती है, तो एक अच्छा कैथलिक होने का मतलब है कि हमें इसे प्रेरितों के माध्यम से मसीह द्वारा दी गयी परम्परा के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

एक और अंतर समझने की आवश्यकता है: यह है संदेह और कठिनाई के बीच अंतर। एक ओर “कठिनाई” का मतलब है कि हम यह समझने केलिए संघर्ष करते हैं कि कलीसिया कोई विशिष्ट शिक्षा क्यों सिखाती है, लेकिन दूसरी ओर कठिनाई का मतलब है कि हम इसे विनम्रता से स्वीकार करते हैं और उत्तर ढूंढना चाहते हैं। आख़िरकार आस्था अंधी नहीं होती! मध्ययुगीन धर्मशास्त्रियों में एक वाक्य प्रचलित था: ‘फ़ीदेस क्वारेन्स इंटेलेक्टम’ – समझदारी की इच्छा रखनेवाली आस्था ।हमें प्रश्न पूछने चाहिए और उस आस्था को समझने का प्रयास करना चाहिए जिस पर हम विश्वास करते हैं!

इसके विपरीत, संदेह कहता है, “क्योंकि मैं नहीं समझता, मैं विश्वास नहीं करता! “जब कि कठिनाइयाँ विनम्रता से उत्पन्न होती हैं, संदेह अहंकार से उत्पन्न होता है – हम सोचते हैं कि विश्वास करने से पहले हमें हर चीज़ को समझने की आवश्यकता है। लेकिन आइए, ईमानदारी से सोचिये –क्या हम में से कोई पवित्र त्रीत्व जैसे रहस्यों को समझने में सक्षम है? क्या हम वास्तव में संत अगस्तीन, संत थोमस अक्विनस और कैथलिक कलीसिया के सभी संतों और मनीषियों से अधिक बुद्धिमान हैं? क्या हम सोच सकते हैं कि 2,000 साल पुरानी परंपरा, जो प्रेरितों से प्राप्त हुई थी, किसी तरह त्रुटिपूर्ण है?

यदि हमें कोई ऐसी शिक्षा मिलती है जिससे हम जूझते हैं, तो जूझते रहें – लेकिन विनम्रता के साथ ऐसा करें और पहचानें कि हमारी बुद्धि सीमित हैं और हमें अक्सर सीखने की आवश्यकता होती है! ढूंढो, और तुम पाओगे — धर्मशिक्षा को पढ़ें या कलिसिया के मठाधीशों, संत पिता के विश्वपत्रों, या अन्य ठोस कैथलिक सामग्री को पढ़ें। किसी पवित्र पुरोहित की तलाश करें जिन से अपने प्रश्न पूछ सकें। और यह कभी न भूलें कि कलीसिया जो कुछ भी सिखाती है वह आपकी खुशी केलिए है! कलीसिया की शिक्षाएँ हमें दुखी करने केलिए नहीं हैं, बल्कि हमें वास्तविक स्वतंत्रता और आनंद का रास्ता दिखाने केलिए हैं – जो केवल येशु मसीह में पवित्रता के उत्साही जीवन में ही पाया जा सकता है!

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By: Father Joseph Gill

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