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अप्रैल 23, 2024 22 0 Tom Naemi
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पांच फीट की कोठरी में जीवन के लक्ष्य की तलाश

टॉम नेमी दिन-रात बस यही सोचता रहता था कि उसे उन लोगों से भी निपटना है जिन्होंने उसे सलाखों के पीछे डाल दिया है

जब मैं 11 साल का था तब मेरा परिवार इराक से अमेरिका आ गया था। हमने एक किराने की दुकान खोल दी और इसे कामयाब बनाने के लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की। ज़िंदगी में कामयाब होने केलिए उस दौर में होड़ में मजबूती से लगे रहना पड़ता था, और इस होड़ में मैं कमजोर नहीं दिखना चाहता था, इसलिए मैंने कभी किसी को खुद पर हावी नहीं होने दिया। हालाँकि मैं अपने परिवार के साथ नियमित रूप से गिरजाघर जा रहा था और वेदी सेवक का कार्य कर रहा था, लेकिन मेरा असली ईश्वर पैसा और सफलता था। इसलिए जब मैंने 19 साल की उम्र में शादी की तो मेरा परिवार खुश था; उन्हें उम्मीद थी कि मेरे साथ सब कुछ ठीक हो जायेगा।

मैं पारिवारिक किराने की दुकान संभालते हुए एक सफल व्यवसायी बन गया। मुझे लगा कि मैं अजेय हूं और किसी भी चीज पर कामयाबी पा सकता हूं। जब एक बार मैं कुछ दुश्मनों की गोली से बच गया, उसके बाद यह अति अआतं विशवास अत्यधिक बढ़ गया। जब हमारा जैसा एक अन्य खल्दियन समूह ने पास में एक और सूपरमार्केट शुरू किया, तो प्रतिस्पर्धा भयंकर हो गई। हम एक-दूसरे को कमज़ोर करना चाह रहे थे; उतना ही नहीं, हम एक-दूसरे को व्यवसाय से बाहर करने के लिए अपराध कर रहे थे। मैंने उनकी दुकान में आग लगा दी, लेकिन बीमा कंपनी ने जले हुए उनकी दूकान की मरम्मत के लिए भुगतान कर दिया। मैंने उनकी दूकान में एक टाइम बम रखवाया; उन्होंने मुझे मारने के लिए अपराधियों को भेजा। मैं गुस्से में था और मैंने अंतिम बार और हमेशा के लिए अपना बदला लेने का फैसला किया। मैं उन्हें मारने जा रहा था; मेरी पत्नी ने मुझसे ऐसा न करने के लिए विनती की, लेकिन मैंने एक 14 फुट के ट्रक में गैसोलीन और डायनामाइट भरा और उसे उनकी इमारत की ओर ले गया। जब मैंने फ्यूज जलाया तो तुरंत पूरे ट्रक में आग लग गई। मैं आग की लपटों में फंस गया। ट्रक में विस्फोट होने से ठीक पहले, मैं बाहर कूद गया और सड़क के किनारे बर्फ में लुढ़क गया; मैं देख नहीं सका। मेरा चेहरा, हाथ और दाहिना कान पिघल चुके थे।

मैं सड़क से आगे की ओर पर भागा और किसी ने मुझे अस्पताल पहुंचा दिया। पुलिस मुझसे पूछताछ करने आई, लेकिन मेरे वकील ने मुझसे कहा कि चिंता मत करो। हालाँकि, आखिरी वक्त सब कुछ बदल गया, इसलिए मैं इराक की ओर चला गया। मेरी पत्नी और मेरे बच्चे भी मेरे पीछे आये। सात महीने के बाद, मैं चुपचाप अपने माता-पिता से मिलने के लिए सैन डिएगो वापस आ गया। लेकिन मेरे मन में अभी भी कुछ क्रोध और आक्रोश था जिसे मैं व्यक्त करना चाहता था, इसलिए परेशानी फिर से शुरू हो गई।

वे जुनूनी स्वयंसेवक

एफ.बी.आई. ने मेरी माँ के घर पर छापा मारा। हालाँकि मैं समय रहते बच निकला, लेकिन मुझे फिर से देश छोड़ना पड़ा। चूंकि इराक में कारोबार अच्छा चल रहा था, इसलिए मैंने अमेरिका वापस न जाने का फैसला किया। फिर, मेरे वकील ने फोन किया और कहा कि अगर मैं आत्म समर्पण कर दूं, तो वे मुझे केवल 5-8 साल की सजा दिलाने का सौदा करेंगे। मैं वापस आ गया, लेकिन मुझे 60 से 90 साल के लिए जेल भेज दिया गया। अपील किये जाने पर, मेरी सजा की अवधि घटाकर 15-40 साल कर दिया गया, जो अभी भी अनंत काल जैसा लग रहा था।

जैसे-जैसे एक जेल से दुसरे जेल में मेरा तबादला होता रहा, हिंसा करने की मेरी ख्याति बढ़ती गई। अक्सर अन्य कैदियों के साथ मेरा झगड़ा होता रहता था और लोग मुझसे डरते थे। मैं अभी भी गिरजाघर जाता था, लेकिन मैं गुस्से और बदला लेने के जुनून से भरा हुआ था। मैं ने अपने दिमाग में एक काल्पनिक तस्वीर बनाई थी: अपने प्रतिद्वंद्वी की दुकान में नकाबपोश होकर जाने, स्टोर में सभी को गोली मारने और आराम से भाग जाने की तस्वीर। मैं इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि मैं यहाँ सलाखों के पीछे पडा हूँ और वे आज़ाद होकर घूम फिर रहे थे। मेरे बच्चे मेरे बिना बड़े हो रहे थे और मेरी पत्नी मुझे तलाक दे चुकी थी।

दस वर्षों में मैं अपने छठे जेलखाने में था, इस दौरान मैं इन जुनूनी, पवित्र तेरह स्वयंसेवकों से मिला, जो हर हफ्ते पुरोहितों के साथ जेल में आते थे। वे हर समय येशु के बारे में उत्साहित रहते थे। वे अनोखी भाषाओं में प्रार्थना करते थे और चमत्कारों और चंगाई के बारे में बात करते थे। मैंने सोचा कि वे पागल और जुनूनी लोग थे, लेकिन मैंने उन्हें जेल आने के लिए उनकी सराहना की। उपयाजक एडी और उनकी पत्नी बारबरा तेरह वर्षों से ऐसा कर रहे थे। एक दिन, एडी ने मुझसे पूछा: “टॉम, येशु के साथ आपका रिश्ता कैसा है?” मैंने उनसे कहा कि बहुत अच्छा रिश्ता है, लेकिन मेरे जीवन का सिर्फ एक मकसद रह गया है। जैसे ही मैं अपनी कोठरी की ओर बढ़ रहा था, एडी ने मुझे वापस बुलाया और पूछा: “क्या तुम बदला लेने की बात कर रहे हो?” मैंने उनसे कहा कि मैं बस सब कुछ बराबर करना कहता हूँ। उन्होंने कहा: “क्या तुम नहीं जानते कि एक अच्छा ख्रीस्तीय होने का क्या मतलब है?” उन्होंने मुझसे कहा कि एक अच्छा ख्रीस्तीय होने का मतलब सिर्फ येशु की पूजा करना नहीं है। इसका मतलब है प्रभु से प्यार करना और वह सब कुछ करना जो येशु ने किया है, जिनमें अपने दुश्मनों को माफ करना भी शामिल है। “ठीक है”, मैंने कहा, “वह येशु था; यह उसके लिए आसान है, लेकिन मेरे लिए यह आसान नहीं है।”

डीकन एडी ने मुझसे हर दिन प्रार्थना करने के लिए कहा: “प्रभु येशु, इस क्रोध को मुझसे दूर करो। मेरे और मेरे दुश्मनों के बीच में आने के लिए मैं तुझसे विनती करता हूं। उन्हें माफ करने और उन्हें आशीर्वाद देने में मेरी मदद करने के लिए मैं तुझसे निवेदन करता हूं।” मैं ने सोचा: मेरे शत्रुओं को आशीर्वाद देना? बिलकुल नहीं! लेकिन डीकन एडी और बारबरा का बार-बार प्रेरित करना जारी रहा और किसी तरह मैं बदल गया, और उस दिन से, मैंने क्षमा और चंगाई के बारे में प्रार्थना करना शुरू कर दिया।

वापसी का बुलावा

काफी दिनों तक कुछ नहीं हुआ। फिर, एक दिन, जब मैं टी.वी. का चैनल बदल रहा था, मैंने टी.वी. के पर्दे पर एक उपदेशक को प्रश्न पूछते हुए सुना: “क्या आप येशु को जानते हैं? या आप सिर्फ चर्च जाने वालों में से एक हैं?” मुझे लगा कि वे सीधे मुझसे बात कर रहे हैं। रात 10 बजे, जब हमेशा की तरह बिजली चली गई, मैं ने वहीं अपनी चारपाई पर बैठकर येशु से कहा: “हे प्रभु, अपने पूरे जीवन में, मैं तुझे कभी नहीं जान पाया। मेरे पास सब कुछ था, अब मेरे पास कुछ भी नहीं है। मेरा जीवन ले प्रभु, मैं इसे तुझे दे देता हूं। अब से, तू इसका उपयोग अपनी इच्छानुसार किसी भी कार्य के लिए कर ले प्रभु! मुझे विश्वास है प्रभु कि इस जीवन का मैंने जितना काम अब तक किया है, उससे भी बेहतर कार्य तू इससे करेगा ”

मैं धर्मशास्त्र के अध्ययन में शामिल हुआ, और “आत्मा में जीवन” कार्यक्रम केलिए अपना नाम लिखवा लिया। एक दिन धर्मग्रंथ अध्ययन के दौरान, मैंने येशु की महिमा के दर्शन देखे, वह स्वर्ग से एक लेजर किरण की तरह मुझमें आ गया, मैं ईश्वर के प्रेम से भर गया। धर्मग्रंथ ने मुझसे सीधे बात की और मुझे अपने जीवन के उद्देश्य का पता चला। प्रभु ने मुझसे सपनों में बात करना शुरू किया और लोगों के बारे में ऐसी बातें बताईं जो उन्होंने कभी किसी और को नहीं बताई थीं। प्रभु ने जो कहा था उसके बारे में बात करने के लिए मैंने जेल से उन लोगों से फोन पर बात करना शुरू किया, और उनके लिए प्रार्थना करने का वादा किया। बाद में, मैंने सुना कि उन्होंने किस प्रकार अपने जीवन में चंगाई का अनुभव किया।

एक मिशन पर

जब मुझे दूसरी जेल में स्थानांतरित किया गया, तो वहां कैथलिक आराधना नहीं थी, इसलिए मैंने वहां कैथलिक आराधना की सेवा शुरू की और वहां सुसमाचार का प्रचार करना भी शुरू किया। हमने 11 सदस्यों के साथ शुरुआत की, यह संख्या बढ़कर 58 हो गयी तथा और भी सदस्य जुड़ते गए। जेल जाने से पूर्व जिन कारणों से घावों से वे कैद कर लिए गए थे वे घाव भरने और चंगे होने लगे।

15 वर्षों के बाद, मैं एक नए मिशन पर घर लौटा – आत्माओं को बचाने, दुश्मन का विनाश करने के मिशन पर।

मेरे दोस्त घर आते और मुझे घंटों धर्मग्रंथ पढ़ते हुए पाते। वे समझ नहीं पा रहे थे कि मेरे साथ क्या हुआ है। मैंने उन्हें बताया कि पुराना टॉम मर गया है, मैं मसीह येशु में एक नई रचना हूँ, मुझे मसीह का अनुयायी होने पर गर्व है।

इसका परिणाम यह हुआ कि मैंने बहुत से मित्र खोये लेकिन मसीह में बहुत से भाई-बहनों को मैं ने प्राप्त किया।

मैं युवाओं के साथ काम करना चाहता था, उन्हें येशु के पास पहुंचाना चाहता था ताकि उनका विनाश न हो जाएं या जेल न जाएं। मेरे रिश्तेदारों ने सोचा कि मैं पागल हो गया हूं और उन्होंने मेरी मां को सांत्वना देने केलिये उनसे कहा कि मैं जल्द ही इससे उबर जाऊंगा। लेकिन मैं बिशप से मिलने गया, जिन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी, और मुझे एक पुरोहित, फादर कालेब मिले, जो इस पर मेरे साथ काम करने के लिए तैयार थे।

जेल जाने से पहले, मेरे पास बहुत सारा पैसा था, मैं लोकप्रिय था और हर चीज़ मेरे हिसाब से होनी थी। मैं एक पूर्णतावादी था। मेरे अपराध के पुराने दिनों में, यह सब मेरे बारे में था, लेकिन येशु से मिलने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि येशु की तुलना में दुनिया की सारी बातें कचरा के समान था। अब, मुझमें सब कुछ सिर्फ येशु ही था, और मेरी सारी बातें येशु के बारे में था, जो मुझमें रहता है। वह मुझे सभी चीजें करने के लिए प्रेरित करता है, और मैं उसके बिना कुछ भी नहीं कर सकता।

मैंने अपने अनुभवों के बारे में एक किताब लिखी, जेल में बंद लोगों को आशा देने केलिए, न केवल उन्हें, बल्कि अपने पापों के बंधन में फंसे किसी भी व्यक्ति को आशा देने के लिए। हमारे जीवन में हमेशा समस्याएं आती रहेंगी, लेकिन उसकी मदद से हम जीवन में हर बाधा को पार कर सकते हैं। केवल मसीह के माध्यम से ही हम सच्ची स्वतंत्रता पा सकते हैं।

मेरा उद्धारकर्ता जीवित है। मेरा प्रभु जीवित है और वह भला है। उस प्रभु के नाम की स्तुति हो!

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Tom Naemi

Tom Naemi works with the Eastern Catholic Re-evangelization Center (ECRC) in Michigan. He is the author of "Freedom Behind Bars."

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