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नवम्बर 02, 2023
Encounter नवम्बर 02, 2023

गैर-मौखिक स्वलीनता या आटिज्म के साथ जन्मे और आँख की रोशनी धीरे धीरे समाप्त कर देने वाली रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा बीमारी से पीड़ित होने के कारण, वह निराशा के एक खामोश पिंजरे में फंसा हुआ महसूस करता था। वह संवाद करने में अक्षम था और बड़ी मुश्किल से देख पाता था .. ऐसे में कोलम का जीवन कैसे गुज़रता रहा होगा? लेकिन उस केलिए परमेश्वर की योजना कुछ और ही थी…

मेरा नाम कोलम है, लेकिन अपने 24 वर्षों के जीवन दौरान, मैं कभी भी अपना नाम नहीं बोला हूँ, क्योंकि मैं जन्म से ही बोल नहीं पाता हूँ। मेरे बचपन से यह पाया गया कि मैं स्वलीनता (आटिज्म) और सीखने की अक्षमता से पीड़ित हूँ। मेरी जिंदगी बहुत उबाऊ थी। मेरे माता-पिता ने मेरे शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी, अन्य स्वलिन्तिक बच्चों के माता-पिता के साथ एक स्कूल की स्थापना की और इसे जारी रखने के लिए धन संचय हेतु संघर्ष किया। चूँकि मैं संवाद नहीं कर सकता था, इसलिए उन्हें नहीं पता था कि मेरा मस्तिष्क क्या करने में सक्षम है, और मुझे अध्ययन की सारी सामग्री नीरस लगी। लोगों को लगा कि मैं घर पर डी.वी.डी. देखकर ज्यादा खुश हूं। मैं 8 साल का होने के बाद कभी भी छुट्टी मनाने बाहर नहीं गया। मुझे विश्वास नहीं था कि मैं निराशा और हताशा के अपने इस ख़ामोशी के पिंजरे से कभी मुक्त हो पाऊंगा।

दूसरों को जीते हुए देखने का दुःख

मुझे हमेशा लगता था कि येशु मेरे करीब हैं। मेरे शुरुआती दिनों से, वे मेरे सबसे करीबी दोस्त बन गए और आज भी वैसे ही हैं। मेरे सबसे अंधकारमय क्षणों में, वे मुझे आशा और आराम देने के लिए मेरे साथ मौजूद थे। दूसरों द्वारा अपने लिए शिशु समान हमदर्दी पाना ही बहुत थका देने वाला काम था जब कि मै अंदर से बुद्धिमान था। मेरा जीवन असहनीय लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि मैं एक दर्शक के रूप में आधा-अधूरा जीवन जी रहा हूं, दूसरों को जीवन जीते हुए देख रहा हूं, जबकि मुझे जीवन की पूर्णता से बाहर रखा गया है। मैंने कितनी बार यह चाहा कि मैं भी उनकी गतिविधियों में भाग ले सकूं और अपनी असली क्षमता दिखा सकूं।

जब मैं 13 वर्ष का था, तब मेरी दृष्टि कमजोर हो रही थी, इसलिए मुझे इलेक्ट्रो रेटिनोग्राम (ई.आर.जी.) नामक नेत्र परीक्षण के लिए टेम्पल स्ट्रीट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ले जाया गया। परमेश्वर ने मुझे एक और चुनौती दी थी। मुझे रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (आर.पी.) का पता चला था, ऐसी स्थिति जहां आंख के पीछे रेटिना की कोशिकाएं मर जाती हैं और उन्हें प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है, इसलिए दृष्टि धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है। इसे ठीक करने का कोई चिकित्सकीय इलाज नहीं है। मैं बरबाद हो गया था। यह मेरे लिए बहुत भयानक आघात था और मैं दुःख से अभिभूत हो गया। कुछ समय के लिए, मेरी दृष्टि स्थिर हो गई, जिससे मुझे आशा हुई कि मैं कुछ दृष्टि बनाए रख पाऊंगा, लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरी दृष्टि और भी बदतर होती गई। मैं इतना अंधा हो गया कि अब मैं अलग-अलग रंगों के बीच अंतर नहीं बता पा रहा था। मेरा भविष्य अंधकारमय दिख रहा था| मैं संवाद नहीं कर सकता था, और अब मैं मुश्किल से देख पा रहा था।

समावेशन और दूसरों के साथ संवाद के अभाव में मेरा जीवन और भी धूसर निराशा में आगे सरकता रहा। मेरी माँ को अब विश्वास हो गया कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो मुझे किसी संस्था में भर्ती करना होगा। मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं पागलपन की कगार पर लड़खड़ा रहा था। मेरे और पागलपन के बीच केवल परमेश्वर खड़ा था। प्रभु येशु का प्रेम ही मुझे स्वस्थ रखता था। मेरे परिवार को मेरे संघर्ष के बारे में कुछ भी नहीं पता था, क्योंकि मैं उनसे बात नहीं कर सकता था, लेकिन मेरे दिल में, मुझे लगता था कि येशु मुझसे कह रहे हैं कि मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगा।

मेरे अंदर का भंवर

अप्रैल 2014 में कुछ अद्भुत घटित हुआ। मेरी मां मुझे मेरी पहली आर.पी.एम. (रैपिड प्रॉम्प्ट मेथड) कार्यशाला में ले गईं। मैं शायद ही उस पर विश्वास कर पाया था। अंततः मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिला जो मुझ पर विश्वास करता था, जिसे विश्वास था कि मैं संवाद कर सकता हूँ, और जो मुझे यह सीखने में और कड़ी मेहनत करने में मदद करेगा। क्या आप मेरी ख़ुशी की कल्पना कर सकते हैं? एक पल के लिए, मेरे दिल में आशा उमड़ पडी – हाँ आशा, डर नहीं, इसकी आशा कि मेरा असली व्यक्तित्व सामने आ सकता है। आख़िरकार मदद आ ही गई। यह सोचकर मेरे अंदर खुशी का संचार हो गया कि अन्ततोगत्वा किसी ने मेरी क्षमता को देख लिया था । इस प्रकार मेरे जीवन को बदलने वाली यात्रा शुरू हुई।

शुरुआत में यह बहुत कठिन काम था, हर वर्तनी के सटीक उच्चारण में सक्षम होने के लिए, मोटर मेमोरी हासिल करने के लिए कई हफ्तों का अभ्यास करना पड़ा। यह हर मिनट में फायेदेमंद था| जैसे ही मुझे आख़िरकार अपनी आवाज़ मिली, मेरी आज़ादी की भावनाएँ बढ़ने लगीं। जैसे ही परमेश्वर ने मेरी कहानी में यह नया अध्याय शुरू किया, ऐसा लगा जैसे मेरा जीवन आखिरकार शुरू हो गया है। आख़िरकार, मैं अपने परिवार को बता सका कि मैं कैसा महसूस कर रहा था और मैं परमेश्वर के प्रति बहुत आभारी महसूस कर रहा था।

लात मार और काट

चलिए, मई 2017 की ओर। मेरी दादी ने हमें बताया कि कुछ साल पहले उन्होंने संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के बारे में एक बहुत ही अद्भुत सपना देखा था। सपने में, व पोप जॉन पॉल से अपने पोते-पोतियों के लिए प्रार्थना करने के लिए कह रहीं थीं और यह इतना अद्भुत था कि उन्होंने इसे एक कॉपी में लिख लिया। बाद में वह इसके बारे में भूल चुकी थीं, बहुत दिनों बाद कॉपी मिलने पर उन्होंने मेरे और मेरे भाई-बहनों को संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के प्रति एक नव रोज़ी प्रार्थना शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लोगों के एक समूह से, सोमवार, 22 मई से शुरू होने वाली नोवेना प्रार्थना, हमारे साथ करने के लिए कहा। मंगलवार, 23 तारीख को सुबह लगभग 9 बजे, मैं रसोई के बाहर अपने कमरे में एक डी.वी.डी. देख रहा था। पिताजी काम पर गए थे और माँ रसोई में सफ़ाई कर रहीं थीं ।

अचानक, हमारे घर का कुत्ता बेली, मेरे कमरे के दरवाजे पर भौंकने लगा। उसने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया था, इसलिए माँ को लगा कि कुछ गड़बड़ है। वह दौड़कर अंदर आई और मुझे दौरे की हालत में पाया। यह उनके लिए बहुत डरावना था| मैं इधर-उधर हाथ-पैर मार रहा था और मैंने अपनी जीभ काट ली थी इसलिए मेरे चेहरे पर खून लग गया था। अपनी परेशानी में माँ को ऐसा लगा जैसे कोई कह रहा हो, “बस भरोसा करो। कभी-कभी चीज़ें बेहतर होने के लिए ही ख़राब हो जाती हैं।”

माँ ने पिताजी को फोन किया, और उन्होंने घर आने का वादा किया। उन्होंने माँ से मेरा एक वीडियो लेने के लिए कहा जो अस्पताल पहुंचने पर बहुत उपयोगी बन गया था। जब झटके बंद हो गए तो मैं दो मिनट से अधिक समय तक बेहोश पड़ा रहा। इस कठिन परीक्षा के दौरान मैं होश खो बैठा था और मुझे इसके बारे में कुछ भी याद नहीं था, लेकिन माँ मेरे लिए प्रार्थना कर रहीं थीं और मेरी सुरक्षा के लिए मेरी देखभाल और निगरानी कर रहीं थीं ।

रोशनी का एक क्षण

जब मुझे होश आया और लड़खड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़ा हुआ, तो मैं बहुत अस्थिर था। माँ और पिताजी ने मुझे अस्पताल (यू.सी.एच.जी.) तक ले जाने के लिए कार में बिठाया। अस्पताल में डॉक्टरों ने मेरी जांच की और आगे की जांच के लिए मुझे भर्ती कर लिया। कर्मचारी मुझे एक्यूट मेडिकल वार्ड में ले जाने के लिए व्हीलचेयर के साथ आया। जब मुझे गलियारे में घुमाया जा रहा था, अचानक मेरी दृष्टि में एक बहुत ही आकस्मिक सुधार हुआ।

उस पल की अपनी भावनाओं का वर्णन मै कैसे कर सकता हूँ ? मैं अपने आस-पास के दृश्यों की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया। सब कुछ बहुत अलग और स्पष्ट दिख रहा था। यह अद्भुत था! यह बताना असंभव है कि रोशनी के उस क्षण में मुझे कैसा महसूस हुआ। मैं रंग और आकार की दुनिया में लौटने पर अपने आश्चर्य की सीमा को व्यक्त नहीं कर सकता था। यह मेरे जीवन का अब तक का सबसे अच्छा पल था!

जब माँ ने मुझसे पूछा कि क्या मुझे कुछ कहना है तो मैंने कहा, “मेरी आँखें बेहतर हैं।” माँ आश्चर्यचकित थीं। उन्होंने पूछा कि क्या मैं अपने कक्ष के बाहर मशीन पर स्टिकर देख सकता हूँ। मैने कहा हाँ। “उन्होंने पूछा कि क्या मैं पढ़ सकता हूँ कि स्टिकर के ऊपर क्या लिखा है। मैंने कह दिया, “मैं साफ़ साफ़ देख और पढ़ रहा हूँ।” वह इतनी चकित थी कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या सोचे या कैसी प्रतिक्रिया दे। मैं स्वयं नहीं जानता था कि उस क्षण मुझे कैसा महसूस हो रहां था !

जब पिताजी और मेरी बुआ अंदर आए, तो माँ ने उन्हें बताया कि क्या क्या हुआ था। पिताजी ने कहा, “हमें इसकी जांच करनी होगी”। वे मेरे बिस्तर के आगे पर्दे के पास गये और चॉकलेट का एक छोटा बैग उठाया। बैग पर जो लिखा था, उसे मैंने बता दिया। फिर थोड़ी देर के लिए यह तीव्र आग का दौर था क्योंकि वे मुझे अगले कुछ मिनटों में बहुत सारे शब्द बोलते रहे जिनको मुझे लिखना था। मुझे सभी शब्दों की वर्तनी सही से मिलने लगी थी। मेरी चाची और माता-पिता आश्चर्यचकित थे।

यह कैसे संभव हुआ? एक अंधा आदमी सभी शब्द सही-सही कैसे लिख सकता है? यह चिकित्सकीय दृष्टि से असंभव था। रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा में कोई भी चिकित्सकीय उपचार मदद नहीं कर सकता है। आयुर्विज्ञान में इसका कोई इलाज नहीं है| अवश्य ईश्वर ने संत जॉन पॉल द्वितीय की मध्यस्थता के माध्यम से चमत्कारिक ढंग से मुझे ठीक किया था। इसे किसी अन्य तरीके से नहीं समझाया जा सकता| मैं अपनी दृष्टि बहाल करने के लिए परमेश्वर का बहुत आभारी हूं। यह सच्ची ईश्वरीय दया का कार्य है। अब मैं बोलने के स्वतंत्र संचार के लिए एक की-बोर्ड का उपयोग करने में सक्षम हूं जो बहुत तेज़ है।

मेरी प्रार्थनामई माँ

मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने अपने विश्वास को कैसे बनाए रखा। जब कभी मुझे निराशा महसूस हुई तब तब मुझे कई बार संदेह भी हुआ। यह केवल येशु ही थे जिन्होंने मुझे स्वस्थ रखा। मुझे अपना विश्वास अपनी माँ से मिला था। उनका विश्वास बहुत मजबूत है। जब समय कठिन था तब उन्होंने मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया। अब मुझे पता है कि हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया गया है। मुझे अपनी आंखों की रोशनी वापस पाने की आदत डालने में थोड़ा समय लगा। मेरे मस्तिष्क और शरीर का वियोग बहुत अधिक था और मेरा मस्तिष्क कार्यात्मक तरीके से दृष्टि का उपयोग करने के लिए तैयार नहीं था। चारों ओर दृष्टि डालना और देखना ठीक था, लेकिन मेरे मस्तिष्क को मेरी दृष्टि से जानकारी का उपयोग करने में कठिनाई हो रही थी। उदाहरण के लिए, हालाँकि मैं देख सकता था, फिर भी मुझे यह पहचानने में कठिनाई हो रही थी कि मैं क्या ढूँढ रहा था। कभी-कभी मैं लड़खड़ाकर निराश हो जाता था क्योंकि दृष्टि होने के बावजूद मैं नहीं देख पाता था कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।

सितंबर में, मैं जांच के लिए वापस अस्पताल गया। मेरी दृष्टि और रंग पहचान के लिए मुझे 20:20 स्कोर मिला था, इसका मतलब मेरी दृष्टि अब सामान्य है। हालाँकि, रेटिना की तस्वीर अभी भी अध:पतन दिखाती है। इसमें सुधार नहीं हुआ था। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मेरे लिए स्पष्ट देखना असंभव है। इसका मतलब मुझे अभी भी एक धुंधली, धूसर दुनिया में फंसा रहना चाहिए। लेकिन परमेश्वर ने अपनी दया से मुझे उस नीरस पिंजरे से मुक्त कर दिया और मुझे रंग और रोशनी की एक खूबसूरत दुनिया में पहुंचा दिया। डॉक्टर हैरान थे| वे अभी भी चकित हैं, लेकिन मैं खुश हूं क्योंकि मैं अभी स्पष्ट देख सकता हूं।

अब, मैं कई काम पहले से बेहतर कर सकता हूं। अब मैं माँ को बातें बहुत तेजी से बता सकता हूँ क्योंकि मैं लेमिनेटेड वर्णमाला शीट का उपयोग कर सकता हूँ। यह स्टेंसिल की तुलना में बहुत तेज़ है। मैं अपनी प्रतिभाशाली मां का बहुत आभारी हूं क्योंकि कठिनाइयों के बावजूद उसने मेरी शिक्षा को जारी रखा और मेरे उपचार के लिए इतनी ईमानदारी से वह प्रार्थना करती रही।

सुसमाचारों में, हम येशु द्वारा कई अंधों की दृष्टि बहाल करने के बारे में सुनते हैं, वैसे ही येशु ने मेरी दृष्टि बहाल की। इस आधुनिक समय में बहुत से लोग चमत्कारों के बारे में भूल गए हैं। वे उपहास करते हैं और सोचते हैं कि विज्ञान के पास सभी जवाब हैं। ईश्वर उनकी सोच और विचारों से बाहर हो गया है। जब मेरी चंगाई जैसा कोई चमत्कार होता है, तो वह प्रकट करता है कि वह अभी भी जीवित और शक्तिशाली है। मुझे आशा है कि चमत्कार की मेरी यह कहानी आपको आप से बेहद प्यार करनेवाले उस ईश्वर के प्रति अपना हृदय खोलने के लिए प्रेरित करेगी। दयालु पिता आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है।

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By: Colum Mc Nabb

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अक्टूबर 20, 2023
Encounter अक्टूबर 20, 2023

स्वतंत्र कलाकार, होली रोड्रिगेज़ अपने पूरे जीवन में नास्तिक रहीं और वे कभी भी ईश्वर के बारे में नहीं सोचती थी या किसी धर्म में शामिल होने या यहां तक कि चर्च जाने के बारे में भी नहीं सोचती थी, लेकिन एक दिन …

वह 2016 के दिसंबर का महीना था, मैं सर्दियों की एक सुबह उठी और बस एक कप कॉफी से ज्यादा मैं कुछ नहीं चाह रही थी । मैं अपने जीवन भर नास्तिक थी। मैंने कभी भी परमेश्वर के बारे में नहीं सोचा था और निश्चित रूप से कभी किसी धर्म में शामिल होने या गिरजाघर जाने के बारे में भी नहीं। हालाँकि उस दिन, बिना किसी कारण के, मुझे अचानक गिरजाघर जाने की इच्छा हुई। मेरे जीवन में ऐसा कुछ भी असामान्य नहीं हो रहा था जिससे अचानक मेरा हृदय परिवर्तन हुआ हो। मैं इंग्लैंड के केंट में एक छोटे से समुद्र तटीय शहर में एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में काफी सामान्य, शांत जीवन जी रही थी।

मैंने निकटतम गिरजाघर की खोज की जो उस दिन खुला था और कुछ कदमों की दूरी पर मुझे एक रोमन कैथलिक गिरजाघर मिला। यह एक आश्चर्य था। हालाँकि मैं उस क्षेत्र से कई बार गुज़री थी, पर मैंने पहले वहाँ कभी गिरजाघर नहीं देखा था। जब हम बंद हृदय से जीवन के पथ पर चलते हैं तो यह आश्चर्यजनक है कि हम परमेश्वर की उपस्थिति के प्रति कितने अंधे हैं, जबकि वह हमारे कितने निकट है।

मेरा फोन बज उठा

मैंने गिरजाघर के नंबर पर फोन किया और एक दयालु महिला ने फोन उठाया। उसने खुद को पल्ली के सचिव के रूप में पेश किया और मैंने उनसे कुछ सवाल पूछे, जिसका जवाब देने में उन्होंने खुशी प्रकट की। उन्होंने मुझे बताया कि वह कैथलिक गिरजाघर है और वे वहां के फादर को बतायेंगी कि मैंने फोन किया था और हमने एक दुसरे को अलविदा कहा । मैं शर्मीली थी और मुझे नहीं पता था कि क्या उम्मीद की जाए। मैं हमेशा निर्णय लेने से पहले स्थिति के बारे में सबकुछ जानना पसंद करती हूँ। मुझे नहीं पता था कि कैथलिक कलीसिया क्या होती है, और मैं अपने जीवन में कभी किसी फादर से नहीं मिली थी। मैंने काम से छुट्टी लेने और कैथलिक धर्म के बारे में जानने का फैसला किया, और कुछ घंटों के लिए विकिपीडिया पर कैथलिक धर्म के बारे में बहुत कुछ पढ़ा।

फिर मेरा फोन बजा। दूसरी लाइन पर एक सौम्य आवाज थी – जिसपर मार्क नामक एक फादर मुझसे बात कर रहे थे। वे बहुत ही मिलनसार और उत्साही थे जो मेरे लिए बहुत बड़ा आश्चर्य था। मैं अपने जीवन में कभी ऐसे किसी व्यक्ति से नहीं मिली थी जो मुझसे मिलने और मेरा स्वागत करने के लिए इतना उत्सुक हो। मैंने अगले दिन गिरजाघर जाकर फादर से मिलने का समय निर्धारित किया। जैसे ही मैं वहां पहुंची, फादर मार्क अपने पुरोहित वाले पोशाक में मेरा अभिवादन करने के लिए वहाँ खड़े थे। यह पहली बार था जब मैंने किसी पुरोहित को व्यक्तिगत रूप से देखा था और मुझे याद है कि मैं वास्तव में उनके पोशाक से मोहित हो गयी थी। मुझे लगता है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक पुरोहित कैसा दिखता होगा। मैंने कभी-कभी पोप को केवल टेलीविजन समाचारों पर संक्षिप्त रूप से देखा था, लेकिन इससे आगे कभी कुछ नहीं देखा था।

फादर मार्क मेरे साथ बैठे और हमने कुछ घंटों तक बात की, फिर उन्होंने मुझे “आर.सी.आई.ए” कक्षाओं में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उसी समय से पवित्र मिस्सा में जाना शुरू करना अच्छा विचार होगा, और मैंने वैसा ही किया। मैं उस पहले पवित्र मिस्सा को याद करती हूं जिसमें मैंने भाग लिया था। वह गौदेते यानी आनंद का रविवार था और मैं, शिष्टाचार से एकदम अनजान, बिल्कुल सामने के बेंच पर बैठी थी। मेरे आस-पास हर कोई खड़ा हो रहा था और फिर बैठ रहा था और फिर खड़ा हो रहा था और कभी-कभी घुटने टेककर, धर्मसार और अन्य प्रार्थनाओं का पाठ कर रहा था। मैं नयी थी और मुझे यह थोड़ा डराने वाला लगा, लेकिन आकर्षक और पेचीदा भी। मैंने अपनी क्षमता के अनुसार उसका अनुसरण किया, जो बाकी सभी कर रहे थे। पुरोहित एक सुंदर गुलाबी वस्त्र पहना हुआ था जो बहुत अलंकृत और शोभित लग रहा था। उनको वेदी पर प्रार्थनायें बोलते हुए मैं ने सुना और मैं ने देखा कि सुंगंधित धूप की धुआँ गिरजाघर में भर गयी। अंग्रेजी भाषा में अर्पित किया गया वह मिस्सा बलिदान मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे पक्का मालूम कि मैं इसी जगह वापस आनी वाली हूँ।

सीधे दिल की ओर

मुझे यह इतना पसंद आया कि मैं हर सप्ताहांत गिरजाघर वापस जाती रही और बाद में प्रति दिन ख्रीस्तयाग में भाग लेने लगी। येशु के लिए मेरा प्यार हर मुलाकात में बढ़ता गया। मेरे पहले क्रिसमस जागरण मिस्सा के दौरान, पुरोहित ने अपने रेशमी वस्त्र से बालक येशु की प्रतिमा को उसी तरह की कोमलता से लिपट कर संभाले हुए थे, जिस तरह पुरोहित पवित्र संस्कार को पकड़ते हैं। गीतों और प्रार्थनाओं के साथ वे जुलूस में गिरजाघर की परिक्रमा करते हुए बालक येशु के साथ चरनी की ओर चले, और मेरी आंखें नम हो गईं थीं । वह सब बहुत प्यारा था। मैंने अपने जीवन में पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था।

अब मैं कैथलिक कलीसिया में स्वीकार किए जाने के लिए तैयारी कर रही थी, मैंने पल्ली के पुरोहितों द्वारा दी गई धर्मशिक्षा को घर पर पढ़ने में बहुत समय बिताया। विशेष रूप से मेरे बपतिस्मा से एक हफ्ते पहले मुझे बताया गया था कि मुझे अपने दृढ़ीकरण संस्कार के लिए किसी एक स्वर्गिक संरक्षक संत को चुनना होगा। हालाँकि, वहाँ हजारों संत थे, और मुझे नहीं पता था कि मैं उन सभी में से किसे चुनूँगी। संत फिलोमेना के अलावा मैं अन्य संतों के बारे में कुछ नहीं जानती थी क्योंकि एक रविवार को फादर ने उनपर प्रवचन दिया था। परमेश्वर की कृपा से जब मैं पैरिश कैफे में स्वयंसेवा कर रही थी तो मुझे एक आकर्षक पुस्तक मिली जिसका नाम था “इंटीरियर कैसल्स”। वह पुस्तक एक स्पैनिश कार्मेल मठवासिनी साध्वी, अविला की संत तेरेसा द्वारा लिखी गयी थी जिसके बारे में मैंने पहले कभी नहीं सुना था। चूंकि मेरा परिवार स्पेनिश विरासत का है, इसलिए मैंने उसे अपनी संरक्षिका के रूप में चुना, हालांकि मैं उसके बारे में ज्यादा नहीं जानती थी।

अंत में, 15 अप्रैल 2017 को पास्का जागरण मिस्सा के दौरान, मुझे कैथलिक गिरजाघर में बपतिस्मा और दृढ़ीकरण संस्कार मिला। मैं इस बात से ज्यादा उत्साहित नहीं थी की पास्का रविवार को मुख्य मिस्सा में गायक मंडली के साथ गाने के लिए मैं सुबह तरोताजा थी और जल्दी उठ गयी थी। लेकिन मैं इतनी उत्साहित इसलिये थी क्यूँकि मैं अब वेदी की रेलिंग पर खड़ी होकर पवित्र संस्कार ग्रहण कर सकती थी। इसके तुरंत बाद, मैं मरियम की सेना में शामिल हो गयी और मैंने रोज़री माला विनती करना, रोज़री बनाना और शहर के चारों ओर मिशन का काम करना शुरू कर दिया ताकि बिछुड़ गए कैथलिकों को पवित्र मिस्सा में वापस लाया जा सके और घर पर लोगों के साथ रोज़री माला विनती की जा सके।

संत तेरेसा मेरे जीवन में मार्गदर्शक बनी रहीं, जो मुझे येशु से अधिक से अधिक प्यार करना सिखाती रहीं| लेकिन मुझे कार्मेल मठवासियों के बारे में जानकारी तभी मिली जब मैं आयल्सफोर्ड प्रियोरी में संत साइमन स्टॉक के धर्मस्थल के लिए एक दिन की तीर्थयात्रा पर हमारी पल्ली के लोगों के साथ शामिल हुई| वह कार्मेल मठवासियों का ऐतिहासिक मठ था।

आमूलचूल बदलाव

वर्षों बाद, मुझे एक अन्य स्पेनवासी, संत जोसेमरिया एस्क्रिवा के बारे में पता चला, जिन्हें अविला की संत तेरेसा और कार्मेल के मठवासियों से बहुत प्यार था। वे ‘ओपुस देई’ नामक कैथलिक संस्था के संस्थापक थे, जिसमें मैं एक सह-संचालक के रूप में शामिल हुई, और जिसमें मेरा दायित्व संस्था के सदस्यों और पुरोहितों के लिए प्रार्थना करना था। मैंने महसूस किया कि परमेश्वर मुझे एक गहरी प्रतिबद्धता के लिए बुला रहा है, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि वह प्रतिबद्धता ओपुस देई के साथ थी, या किसी धर्मसंघ में साध्वी के रूप में। एक पुरोहित मित्र ने मुझे बताया कि मुझे अपना मन बनाना होगा और फैसला करना होगा कि मुझे कौन सा रास्ता चुनना है, जिससे मैं हमेशा के लिए किसी भी अनिश्चितता में न रहूँ। उनका कहना सही था, इसलिए मैं परमेश्वर की पुकार सुनकर प्रार्थना और उपवास करने लगी। मेरा जीवन बहुत कम समय में बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरा था और मेरी आत्मा ने एक अंधेरी रात को सहा था।

मेरा क्रूस मुझे बहुत भारी लग रहा था, लेकिन मैं जानती थी कि अगर मैं अपने विश्वास में दृढ़ बनी रही, तो सब ठीक हो जाएगा। मुझे अपने ऊपर मेरे द्वारा पूर्ण नियंत्रण को छोड़ देना था, मुझे मार्ग दिखाने केलिए परमेश्वर को मौक़ा देना था और उसकी इच्छा के विरुद्ध लड़ना बंद करना था। मैं अपने अहंकार में बहुत फंस गयी थी और वास्तव में अब परमेश्वर को सुनने की इच्छा मेरे अन्दर है। जब इस समझदारी का प्रकाश उदय हुआ, तब मैंने फैसला किया कि हर दिन जो परमेश्वर की ओर से एक उपहार के रूप में आता है, उसे अच्छे से जी लूंगी, और इस केलिए उससे मार्गदर्शन मांगूंगी। मैंने इस दर्शन को अपनाया कि ईश्वर हमें वहीं रखता है जहाँ हमारा प्रचुर जीवन है क्योंकि उस विशिष्ट समय में उसे हमारी आवश्यकता होती है। मैंने स्वयं को उसकी दिव्य इच्छा का साधन बना लिया। जब मैंने अपने आप को उसके लिए छोड़ दिया, तो परमेश्वर ने मुझे दिखाया कि सब कुछ उसकी इच्छा के अनुकूल हुआ था क्योंकि वह मुझे शुरू से ही बुला रहा था।

हे दिव्य ज्योति, मेरा पथ प्रदर्शन कर!

मुझे उन संतों से उपहार मिलते रहे जो मुझे कार्मेल तक ले जा रहे थे। एक दिन, मैं सीमेंट के फर्श पर उगते हुए चमकीले लाल गुलाब के फूल को देखकर मंत्रमुग्ध हो गयी। बाद में मुझे पता चला कि वह दिन लिस्यु के संत तेरेसा का जन्मदिन था जिन्होंने कहा था कि वह लोगों को स्वर्ग से एक संकेत के रूप में गुलाब भेजेंगी। उसी दिन, मैं अगरबत्ती की एक दुकान पर थी, जब मुझे सुंदर गुलाब से सुगंधित अगरबत्ती का एक डिब्बा मिला, जिस पर लिस्यु के संत तेरेसा की छवि छपी थी। इन छोटे संकेतों ने मेरे अन्दर बुलाहट और विश्वास के बीज बोने में मदद की।

जैसे मैं यह लिख रही हूँ, मैं कैथलिक कलीसिया के सदस्य के रूप में अपनी छठवीं वर्षगांठ मनाने वाली हूं और कार्मेल पर्वत की कुँवारी मरियम के पावन उद्यान में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हूं। यदि परमेश्वर चाहता है तो साध्वी के रूप में जीने के इस बुलाहट को स्वीकार करते हुए, मैं अपना जीवन कलीसिया के लिए, दुनिया के लिए और पुरोहितों के लिए प्रार्थना करते हुए बिताऊँगी। यह एक लंबी यात्रा रही है, और मैं रास्ते में बहुत से अद्भुत लोगों से मिली हूँ।

लिस्यु के संत तेरेसा ने कार्मेल को अपने उस रेगिस्तान के रूप में वर्णित किया जहां हमारे प्रभु ने मनन चिंतन और प्रार्थना में चालीस दिन बिताए, लेकिन मेरे लिए यह गेथसेमेनी का बाग़ है जहां हमारे प्रभु प्राण-पीड़ा में जैतून के पेड़ों के बीच बैठे थे। मैं निरंकुश प्रेम के साथ उनकी पीड़ा में शामिल होती हूं, और उनके साथ कलवारी के मार्ग पर क्रूस यात्रा करती हूं। हम साथ में आत्माओं के लिए पीड़ित होते हैं और दुनिया को अपना प्यार देते हैं।

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By: Holly Rodriguez

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अक्टूबर 20, 2023
Encounter अक्टूबर 20, 2023

परमेश्वर को “हाँ” कहना आपके जीवन में लिए गए निर्णयों में सबसे अच्छा निर्णय है!

मिस्सा बलिदान के बाद उद्घोषणा करने वाली महिला ने निवेदन किया, “कृपया मदद करें, हमें कनिष्ठ उच्च धार्मिक शिक्षा कार्यक्रम के लिए शिक्षकों की सख्त जरूरत है।” मैंने न सुनने का नाटक किया। हम इलिनोय से एरिज़ोना वापस चले गए थे, और हमारे पांच बच्चों में से सबसे बड़ा लड़का हाई स्कूल में प्रवेश कर रहा था। प्रत्येक रविवार, उसी महिला द्वारा मिस्सा के बाद उसी सरल निवेदन की घोषणा! परमेश्वर शायद सप्ताह दर सप्ताह मुझ में कार्य कर रहा था। मुझे पता था कि मैं धर्म शिक्षा स्कूल की तालिका में अपने पांच बच्चों को जोड़ रही हूं; आखिर, शायद मुझे मदद करनी चाहिए। इसमें शरीक न होने का मेरा संकल्प फीका पड़ गया, और मैंने अपना नाम दर्ज कर लिया।

मैं हमेशा कहा करती थी कि मैं “हाँ” वाले जीन के साथ पैदा हुई हूं। कुछ करने का मुझ में ज़ज्बा हैं, इसलिए जिन संगठनों से मैं जुड़ी हूँ, वे लोग जानते हैं कि मैं अपनी ज़िम्मेदारी निभाने केलिए मीलों की दूरी तय कर सकती हूँ। इसलिए मैं ने “हाँ” कहा। “मैं एक पालना कैथलिक हूँ; बच्चों को पढ़ाना कितना कठिन हो सकता है?” फिर भी मैं तैयार हो गयी।

अगले कुछ वर्षों में, युवाओं के बीच सेवकाई के प्रभारी आते-जाते रहे। सबसे अंतिम युवा सेवक प्रभारी के जाने के बाद, हमारे पल्ली पुरोहित ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि आपके साथी स्वयंसेवक शिक्षकों ने आपको युवा सेवक प्रभारी के रूप में पदभार ग्रहण करने की सिफारिश की है। “मुझे?” “हाँ, क्या आप कोशिश करने को तैयार हैं?” फिर से, उस ‘हाँ जीन’ के कारण मैं ने हाँ कह दिया। ईश्वर रहस्यमय तरीके से काम करता है, और कुछ ही हफ्तों के भीतर, मैं धर्मशिक्षा के कनिष्क हाई स्कूल की नई प्रभारी बन गयी थी। मैंने पहले माना था कि कैथलिक कलीसिया के लिए केवल पुरोहित और नन (साध्वी लोग) ही काम कर सकते हैं। मुझे याद है कि पहले मैं सोचा करती थी कि प्रभु की दाखबारी में समान विचारधारा वाले सहकर्मियों के साथ ऐसे पवित्र वातावरण में काम करना कितना शानदार होगा। जल्दी ही वह कल्पना मिट गयी।

अपने नए कार्य क्षेत्र में प्रवेश पाते ही, शीघ्र ही मुझे यह दु:खद अहसास हुआ कि कलीसिया के लिए काम करने वाला व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसके पास कठिन सवालों के जवाब हों और धार्मिक ज्ञान हो। उस विचार ने मुझे भयभीत कर दिया। कलीसिया सम्बन्धी मेरी कोई पृष्ठभूमि या शिक्षा नहीं थी। वास्तविकता यह है कि जब विश्वास की बात आती थी तो हर पल यह सोच मुझ पर आक्रमण करती थी कि मैं एक गूंगी की तरह इस कार्य के लिए अयोग्य थी। कैथलिक होने के चालीस वर्षों में अक्सर उद्धृत की जाने वाली उस पंक्ति से मैं अनभिज्ञ थी कि “परमेश्वर जिन्हें बुलाता है, उन्हें वह सुसज्जित करता है”। हालाँकि, यह वही डर था जिसने मुझे काम करने के लिए प्रेरित किया। कॉलेज जाना कोई विकल्प नहीं था। इसका मतलब था कि मुझे रचनात्मक होने की जरूरत है। जब मेरा एक बेटा अपनी किंडरगार्टन कक्षा में था, तब मुझे सिस्टर ग्लोरिया से एक कैसेट मिला था। आठ साल तक मैंने कभी इसे सुनने का समय नहीं निकाला। एक दिन किसी अदृश्य शक्ति ने मुझे इसे सुनने के लिए मजबूर किया। इसे आप “डॉ. स्कॉट हैन की रूपांतरण कहानी” कह सकते हैं। मुझे नहीं पता था कि डॉ. हैन कौन थे, लेकिन एक शांत क्षण में, मैंने उस कैसेट को सुनना शुरू किया। सत्य की खोज में निकले प्रेस्बिटेरियन कलीसिया के इस पादरी की यात्रा आकर्षक थी, और वह यात्रा उन्हें कैथलिक कलीसिया में ले आई।

मुझे और लालसा हुई।

उस दौरान, हमें कैलिफोर्निया में उस गर्मी में होने वाले कैथलिक पारिवारिक सम्मेलन के बारे में सूचना दी गयी थी। मैंने अधिकांश वक्ताओं के नाम कभी नहीं सुना था, लेकिन पता चला कि डॉ. हैन रहेंगे। मेरे पति भी उत्सुक थे, और हम पूरे परिवार को ले आए। विख्यात वक्ता टिम स्टेपल्स, जेसी रोमेरो, स्टीव रे, और कई अन्य धर्मान्तरित वक्ताओं ने हमें प्रेरित किया, हमारे दिलों के अंगारों को हवा दी। हमने धर्म मंडन, विश्वास की रक्षा करने की कला सहित कई विषयों पर किताबें और कैसेट खरीदे। बच्चे उत्साहित थे, और हम भी। एक जुनून भरी आग हमारे अंदर सुलगने लगी थी जो हमारे पास पहले नहीं थी। साल-दर-साल, हम अन्य परिवारों को इस पारिवारिक वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते, और वे भी इसी आग से जल उठते।

मुझे युवा सेवक के रूप में प्रमाण पात्र प्राप्त करने की आवश्यकता थी। एक बार फिर, ईश्वर ने मुझे मौका दिया और मैंने फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय में संत जॉन बॉस्को ग्रीष्मकालीन सम्मेलन में भाग लिया। यह सब मेरे लिए एक नया रोमांच था। मैंने प्रार्थना, आराधना, पूजा, धर्मशिक्षा और अविश्वसनीय वक्ताओं के माध्यम से कभी भी ईश्वर का इस प्रकार अनुभव प्राप्त नहीं किया था। मेरे अन्दर इन बातों की ऐसी भूख पैदा हुई जिसका मैं ने पहले कभी नहीं अनुभव किया था। मेरे द्वारा खाए गए हर अनमोल निवाला के साथ, मुझे और अधिक खाने की इच्छा हुई। इस ढलती उम्र में मैं परमेश्वर और अपने विश्वास के बारे में इतनी अज्ञानी कैसे हो सकती हूँ?

लोगों की कल्पना के विपरीत, परमेश्वर के प्रति अपने ज्ञान और प्रेम का विस्तार करना उबाऊ नहीं है। यह उत्तेजक और प्रेरक है। ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता आखिरकार पोषित किया जा रहा था। मिस्सा बलिदान हमारे लिए जीवंत हो गया। मेरे जीवन के जिन आयामों का मैनें सामना किया उन सब में आनंद और विश्वास की वृद्धि स्पष्ट थी। मेरे उत्साही जुनून ने मेरे जीवन के सभी पहलुओं पर आधिपत्य जमाया, विशेषकर सेवकाई के क्षेत्र में। परमेश्वर ने उदारता से मुझे आशीर्वाद दिया, हाँ, और प्रचुर मात्रा में फल मिले। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, परमेश्वर मुझे अपने और करीब ले जा रहा था, वह मुझे अपने वचन रूपी रोटी के टुकड़े देकर मुझे संपोषित कर रहा था जो मुझे कदम-दर-कदम उसके करीब लाता गया।

इक्कीस साल बाद, मैं अभी भी कैथलिक कलीसिया के लिए काम करती हूं लेकिन अब वैवाहिक तैयारी का प्रशिक्षण चलाती हूँ। मैं अभी भी उस आग को जारी रखने के कई तरीकों का अनुसरण करती हूँ जो इतने साल पहले लगी थी। मेरा अंतहीन आभार उन धर्मांतरित लोगों के लिए जाता है, जिन्होंने हर कीमत पर सत्य का अनुसरण किया और जिस दिशा में ईश्वर ने उनकी अगुवाई की, उसी ओर जाने केलिए वे तैयार थे। वे कभी नहीं जान पाएंगे कि परमेश्वर ने कितने लोगों के जीवन को उनकी हाँ के कारण प्रभावित किया, और उनमें से एक मेरा भी जीवन था।

और हमारे वे पांच छोटे बच्चे बड़े हो गए, और उनकी शादी गिरजाघर में हुई और उनके अपने बच्चे प्रभु परमेश्वर को अनुभव करते हुए और अपने कैथलिक विश्वास से प्यार करते हुए बड़े हो रहे हैं। मेरे पति भी दस साल से उपयाजक (डीकन) के पद पर हैं। हे परमेश्वर, सारी महिमा और सभी श्रेय मैं तुझे देती हूँ। तू हमारे लिए कितने उदार और अच्छा है; तू मेरे दिल में आग प्रज्वलित करने का सबसे अच्छा तरीका जानता था। इसके लिए तुझे धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्दों की कमी है। “ईश्वर आप लोगों को प्रचुर मात्रा में हर प्रकार का वरदान देने में समर्थ हैं, जिससे आप को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, बल्कि हर भले काम केलिए चन्दा देने केलिए भी बहुत कुछ बच जाए।“ (2 कुरिन्थी 9:8)

पीड़ा और प्रार्थना के माध्यम से, तूने मुझे जो कुछ भी दिया है, वह मुझे तेरे और मेरे मार्ग पर तेरे द्वारा लाये गए उन सभी के करीब ले आया है। धन्यवाद हे प्रभु!

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By: Barbara Lishko

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अक्टूबर 20, 2023
Encounter अक्टूबर 20, 2023

बैपटिस्ट चर्च के सदस्य के रूप में बड़े होने के बावजूद, शराब, ड्रग्स और कॉलेज की बुरी संगति ने जॉन एडवर्ड्स को बवंडर में डाल दिया, लेकिन क्या ईश्वर ने उन्हें छोड़ दिया? पता लगाने के लिए पढ़ें।

मेरा जन्म और पालन-पोषण मिडटाउन मेम्फिस के एक बैपटिस्ट परिवार में हुआ। स्कूल में मेरे बहुत कम दोस्त थे, लेकिन गिरजाघर में मेरे बहुत सारे दोस्त थे। वही मेरा समुदाय था। मैंने हर दिन इन लड़कों और लड़कियों के साथ बिताया, सुसमाचार का प्रचार किया और उन सभी चीजों का आनंद लिया जो हर कोई युवा बैपटिस्ट करता है। मैं अपने जीवन के उस दौर से प्यार करता था, लेकिन जब मैं 18 साल का हुआ, तो मेरे दोस्तों की मंडली बिखर गयी। जबकि उनमें से ज्यादातर लोग मुझे छोड़कर कॉलेज चले गए और मैं अभी भी इस बारे में अनिश्चित था कि मैं अपने जीवन के साथ क्या करना चाहता हूं। पहली बार मुझे लगा कि मैं अकेला हूँ। मैं भी अपने जीवन में उस बिंदु पर था जहाँ मुझे यह तय करना था कि मुझे क्या करना है। मैंने स्थानीय मेम्फिस विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और युवकों के एक गिरोह में शामिल हो गया। यहीं से मैं शराब पीने, ड्रग्स लेने और लड़कियों का पीछा करने में शामिल होने लगा। दुर्भाग्य से, मैंने अपने जीवन की शून्यावस्था को उन सभी गतिविधियों से भर दिया जो आप बहुत सी फिल्मों में देखते हैं, जैसे शराब और महिलाओं की संगति। एक रात मैंने कोकीन लेने का एक गलत निर्णय लिया – मेरे जीवन के सबसे बुरे फैसलों में से यही एक फैसला था। इसने मुझे अपने जीवन के अगले 17 वर्षों तक परेशान किया।

जब मैं अपनी भावी पत्नी एंजेला से मिला, तो मैंने उसे यह कहते हुए सुना कि जिस आदमी से वह किसी दिन शादी करेगी उसका कैथलिक होना ज़रूरी है। मैं उसका पति बनना चाहता था। भले ही मैं 10 से अधिक वर्षों से गिरजाघर नहीं गया था, फिर भी मैं इस अद्भुत महिला से शादी करना चाहता था। हमारी शादी से पहले, मैं आर.सी.आई.ए. धर्मशिक्षा कार्यक्रम में भाग लिया और कैथलिक बन गया, लेकिन कैथलिक कलीसिया के सच्चे विश्वास मुझमें गहरी जड़ें नहीं जमा पाईं क्योंकि मैं सिर्फ वक्त गुजार रहा था।

जैसे-जैसे मैं एक सफल विक्रेता बन गया, मेरे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियाँ और तनाव आ गया। मेरी आय पूरी तरह से बिक्री पर की गयी दलाली पर निर्भर थी और मेरे जितने ग्राहक थे वे बड़ी मांगे रखते थे। यदि किसी साथी कर्मचारी ने कोई गलती की, या कोई समस्या खडी कर दी, तो मुझे अपनी आय से वंचित रहने का डर था। इस ओरकार के सभी दबाव को दूर करने के लिए, मैंने रात में खुद को नशीली दवाओं के प्रयोग में झोंकना शुरू कर दिया, लेकिन मैं इसे अपनी पत्नी से छिपाने में कामयाब रहा। उसे पता नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूं।

हमारे पहले बेटे जैकब के जन्म के कुछ ही समय बाद, मेरी माँ को कैंसर हो गया। उसके पास जीने के लिए सिर्फ दो हफ्ते से लेकर कुछ महीने बाकी थे और इस बात ने मुझे सचमुच हिलाकर रख दिया। मुझे याद है कि मैंने ईश्वर से पूछा था: “तू मेरे जैसे झूठ बोलने वाले नशे की लतवाले आदमी को कैसे जीने देता है, लेकिन मेरी माँ, जिसने आपको जीवन भर बेशर्त प्यार किया है, उसे तू क्यों मरने दे रहा है ? यदि आप उस प्रकार के परमेश्वर हैं, तो मुझे आपसे कोई लेना-देना नहीं है!” उस दिन, मुझे याद है कि मैंने आसमान की ओर देखा और कहा: “मैं तुमसे नफरत करता हूँ और मैं फिर कभी तुम्हारी पूजा नहीं करूँगा!” उसी दिन मैं पूरी तरह से परमेश्वर से दूर चला गया।

परिवर्तन का वह मोड़

मेरे इस तरह के कुछ ग्राहक थे जिनसे निपटना बहुत मुश्किल था। यहां तक ​​कि रात में भी कोई राहत नहीं मिली, वे एक के बाद एक संदेश भेजते थे और व्यवसाय को बर्बाद करने की धमकी देते थे। सारे तनावों से मैं परेशान था, और मैं हर रात खुद को अधिक से अधिक ड्रग्स में झोंक देता था। एक रात, लगभग दो बजे, मैं अचानक उठा और बिस्तर पर बैठ गया। ऐसा लग रहा था कि मेरा दिल मेरे सीने से बाहर निकलने वाला है। मैंने सोचा: ‘मुझे दिल का दौरा पड़ने वाला है और मैं मर जाऊंगा’। मैं ईश्वर को पुकारना चाहता था, लेकिन मेरा घमंडी, स्वार्थी, जिद्दी स्वभाव मुझे मना कर रहा था।

मैं मरा नहीं था, लेकिन मैंने नशीले पदार्थों को बाहर फेंकने और शराब को बाहर निकालने का संकल्प लिया था… मैंने सुबह इसका पालन किया… केवल दोपहर तक… उसके बाद मैं ने और अधिक दवाएं और बीयर खरीद लिए। बार-बार एक ही बात होती थी- ग्राहक मुझे धमकी भरे सन्देश टेक्स्ट करते थे, और मैं सोने के लिए और अधिक ड्रग्स का इस्तेमाल करता था, और रात को बार बार जाग जाता था।
नशीली दवाओं की मेरी इच्छा इतनी अधिक थी कि एक दिन, मैं अपने ससुर के घर से अपने बेटे जैकब को लेने के लिए निकला और रास्ते में कोकीन खरीदने के लिए रुक गया! जैसे ही मैं ड्रग डीलर के घर से निकला, मैंने एक पुलिस सायरन सुना! ड्रग प्रवर्तन एजेंसी ठीक मेरे पीछे थी। यहां तक ​​कि जब पुलिस स्टेशन में एक बेंच से मेरे पैरों को जंजीर से बांधकर मुझसे पूछताछ किया जा रहा था, तब भी मुझे लगा कि मैं इससे बाहर निकलने वाला हूं। एक सुपर सेल्समैन के रूप में, मुझे विश्वास था कि मैं किसी भी चीज़ से अपना रास्ता निकाल सकता हूँ। लेकिन इस बार नहीं! मुझे डाउनटाउन मेम्फिस में जेल में डाला गया। अगली सुबह, मैंने सोचा कि यह सब सिर्फ एक बुरा सपना था, लेकिन तब मैं ने पाया कि मैं जेल में स्टील की चारपाई पर पडा हूँ।

वह खतरनाक बहाव

जब मुझे पता चला कि मैं जेल में हूं और अपने घर में नहीं हूं, तो मैं घबरा गया। यह नहीं हो सकता… हर किसी को पता चल जाएगा… मेरी नौकरी चली जाएगी… मेरी पत्नी… मेरे बच्चे… मेरे जीवन में सब कुछ…” बहुत धीरे-धीरे, मैंने अपने जीवन को देखना शुरू किया और सोचने लगा कि यह सब कैसे शुरू हुआ। तभी मुझे एहसास हुआ कि जब मैं येशु मसीह से दूर चला गया तो मैंने कितना कुछ खोया था। मेरी आंखें आंसुओं से भर गईं और मैंने उस दिन दोपहर का वक्त प्रार्थना में बिताया। मुझे बाद में पता चला कि यह कोई साधारण दिन नहीं था। वह पुण्य बृहस्पतिवार था, ईस्टर से तीन दिन पहले, वह दिन जब येशु जब गतसमनी के बगीचे में प्रार्थना करते समय, उनके साथ एक घंटा भी नहीं बिता पा रहे अपने प्रेरितों को डांटा था। जब मैंने उनसे प्रार्थना में बातें की, तो मुझे भरोसा और निश्चितता का गहरा अहसास हुआ कि येशु ने मुझे कभी नहीं छोड़ा था, तब भी जब मैं उनसे दूर चला गया था। मेरे सबसे बुरे पलों में भी वह हमेशा मेरे साथ रहे।

जब मेरी पत्नी और मेरी सास मुझसे मिलने आईं, तो मैं चिंता से भर गया। मैं उम्मीद कर रहा था कि मेरी पत्नी कहेगी: “मैं तुम्हें छोड़ रही हूँ और बच्चों को ले जा रही हूँ!” यह लॉ एंड ऑर्डर सिनेमा के एक दृश्य की तरह लगा जहां कैदी कांच की दूसरी तरफ अपने आगंतुक से फोन पर बात करता है। जैसे ही मैंने उन्हें देखा, मैं फूट-फूट कर रोते हुए बुदबुदाने लगा, “मुझे माफ़ करो, मुझे माफ़ करो!” इसके जवाब में उसके कहे शब्द मेरे कानों पर पड़े तो मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहां था। “जॉन, रुको … मैं तुम्हें तलाक नहीं देने जा रही हूँ। इसका तुमसे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन हम दोनों ने गिरजाघर में जो प्रतिज्ञाओं की उन से संबंधित है…”। हालाँकि, उसने मुझसे कहा कि भले ही वह मुझे जमानत दिलवा रही थी, फिर भी मैं घर नहीं जा सकता। उस शाम मेरी बहन मुझे जेल से लेने आएगी, और वह मुझे मिसिसिपी में मेरे पिता के फार्म हाउस में ले जाएगी। गुड फ्राइडे का दिन मैं जेल से बाहर आया। जब मैंने सामने देखा तो वहां मेरी बहन नहीं बल्कि मेरे पिताजी मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे। मैं उनसे आँखें मिलाने से घबरा रहा था, लेकिन हम दोनों के बीच उनके फार्म तक डेढ़ घंटे की कार की सवारी के दौरान अब तक की सबसे वास्तविक बातचीत हुई।

एक आकस्मिक मुलाक़ात

मैं जानता था कि अपना जीवन बदलने के लिए मुझे कुछ करना होगा और मैं इसे ईस्टर रविवार को ख्रीस्तयाग से शुरुआत करना चाहता था। लेकिन जब मैं 11 बजे के मिस्सा बलिदान के लिए गिरजाघर पहुंचा, तो वहां कोई नहीं था। मैंने निराशा और गुस्से में स्टीयरिंग व्हील को अपनी मुट्ठी से मारना शुरू कर दिया। 10 साल में पहली बार मैं मिस्सा में जाना चाहता था और वहां कोई नहीं था। क्या ईश्वर को मेरी बिल्कुल परवाह नहीं है ? अगले ही पल, एक सिस्टर ने आकर पूछा कि क्या आप मिस्सा बलिदान में जाना चाहते हैं? उन्होंने मुझे अगले शहर में भेज दिया जहां मैंने पूरे गिरजाघर को बहुत सारे परिवारों से भरा हुआ पाया। यह एक और करारा झटका लगा क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ नहीं था।

मैं केवल अपनी पत्नी के बारे में सोच रहा था और यह भी कि उसके योग्य बनने के लिए मैं कितना लालायित था। मैंने वेदी पर खड़े पुरोहित को पहचान लिया। आखिरी बार मैंने उन्हें कई साल पहले देखा था, तब मैं अपनी पत्नी के साथ था। जब ख्रीस्तयाग समाप्त हुआ, तो मैं बेंच पर बैठा रहा और परमेश्वर से मुझे चंगा करने और मुझे मेरे परिवार से मिलाने के लिए कहता रहा। जब मैं अंत में जाने के लिए उठा, तो मैंने अपने कंधे पर एक स्पर्श महसूस किया, जिसने मुझे चौंका दिया, क्योंकि मैं वहां किसी को नहीं जानता था। जैसे ही मैं पीछे मुड़ा, मैंने देखा कि यह गिरजाघर के वे फादर थे। उन्होंने मुझे बड़ी गर्मजोशी से अभिवादन किया, “हैलो, जॉन”। मैं दंग रह गया कि उन्हें मेरा नाम याद है क्योंकि हमारी आखिरी मुलाकात हुए कम से कम पांच साल गुजर चुके थे, और वह मुलाक़ात लगभग 2 सेकंड तक ही चली थी। उन्होंने मेरा हाथ थाम लिया और मुझसे कहा, “मुझे नहीं पता कि तुम यहाँ अकेले क्यों हो या तुम्हारा परिवार कहाँ है, लेकिन परमेश्वर चाहता है कि मैं तुम्हें बता दूँ कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।” मैं दंग रह गया। वह कैसे जान सकता था?

मैंने अपना जीवन बदलने और पुनर्वास पर जाने का मन बना लिया। मेरी पत्नी मेरे साथ पुनर्वास केंद्र तक आई और 30 दिनों की बहिरंग विभाग में चिकित्सा के बाद मुझे वापस घर ले जाने केलिए वह फिर आई। जब मेरे बच्चों ने मुझे दरवाजे पर देखा, तो वे रो पड़े और अपनी बाहें बढ़ाकर मेरे गले लग गए। वे मेरे ऊपर कूद पड़े और देर रात तक हम खूब खेले। जब मैं अपने बिस्तर पर लेटा था, मैं घर में वापस आने के लिए कृतज्ञता से अभिभूत महसूस कर रहा था – घर के ए.सी. कमरे में मैं आराम से लेटा था, सामने एक टीवी थी जिसे मैं जब चाहूं देख सकता था; भोजन की मेज़ पर ऐसा भोजन कर सकता था जो जेल की सडा गला भोजन जैसा नहीं था; और मैं अपने बिस्तर के आराम का आनंद ले रहा था ।

मैं मुस्कुराया जैसे कि मैं महल का राजा था, तब मैंने देखा की एंजेला बिस्तर पर नहीं है। मैंने मन ही मन सोचा: “मुझे अपना पूरा जीवन बदलने की आवश्यकता है; ड्रग्स और शराब को रोकना पर्याप्त नहीं है।” मैंने एक बाइबिल की तलाश में पलंग के बगल के मेज़ की दराज़ खोली, और एक पुस्तक पाई जो फादर लैरी रिचर्ड्स ने मुझे एक सम्मेलन के दौरान दी थी। उस समय मैंने केवल 3 या 4 पृष्ठ पढ़े थे, लेकिन जब मैंने उस रात को इसे उठाया, तो मैं इसे पूरी तरह से पढ़ने के बाद ही इसे नीचे रख पाया। मैं पूरी रात जागा और पढ़ ही रहा था कि मेरी पत्नी सुबह 6 बजे उठी। किताब ने मेरी समझ को तेज कर दिया कि एक अच्छा पति और पिता होने का क्या मतलब है। मैंने ईमानदारी से अपनी पत्नी से वादा किया कि मैं वह आदमी बनने जा रहा हूं जिसकी वह हकदार थी। उस पुस्तक ने मुझे फिर से पवित्र बाइबिल पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने जीवन में कितना कुछ खोया है और मैं खोए हुए समय की भरपाई करना चाहता था। मैंने अपने परिवार को मिस्सा बलिदान में ले जाना शुरू किया, और हर रात घंटों तक प्रार्थना की। पहले वर्ष में, मैंने 70 से अधिक कैथलिक पुस्तकें पढ़ीं। थोड़ा-थोड़ा करके मैं बदलने लगा।

मेरी पत्नी ने मुझे वह आदमी बनने का अवसर दिया जिसके लिए परमेश्वर ने मुझे बुलाया था। अब, मैं अपने पॉडकास्ट ‘जस्ट ए गय इन द प्यू’ के माध्यम से अन्य लोगों को भी ऐसा करने में मदद करने की कोशिश कर रहा हूं।

पुण्य बृहस्पतिवार को, येशु अपने आत्म बलिदान के लिए तैयार थे, और मैंने अपने पुराने स्वभाव के आत्म बलिदान करने का निर्णय लिया। ईस्टर रविवार को, मुझे लगा कि मैं भी उनके साथ पुनर्जीवित हो गया हूं। हम जानते हैं कि जब हम येशु से बहुत दूर किसी मार्ग पर होते हैं तो शैतान चुप हो जाएगा। यह तब होता है जब हम मसीह के निकट आने लगते हैं तब शैतान वास्तव में जोर से बोलने लगता है। जब उसका झूठ हमें घेरने लगता है, तब हमें पता चलता है कि हम कुछ अच्छा कर रहे हैं। कभी हार न मानना। जीवन भर परमेश्वर के प्रेम में बने रहें। आपको इसका कभी पछतावा नहीं होगा।

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By: John Edwards

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मार्च 23, 2023
Encounter मार्च 23, 2023

सालों तक मार्गरेट फिट्ज़सिमोंस ने गहरे दर्द और शर्म को सहा। एक दिन उन्होंने उन चार शब्दों को सुना उन चार शब्दों ने उनकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी …

टूटा हुआ बचपन

मैं ने 1945 में दुनिया में जन्म लिया था, जब युद्धग्रस्त जर्मनी के बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो चुके थे और देश लाखों विस्थापित लोगों से जूझ रहा था। मेरे कोई पिता नहीं थे, इसलिए मेरी मां ने मुझे पालने के लिए अकेले ही संघर्ष किया। मेरी माँ अलग अलग संबंधो की एक श्रृंखला से गुजर रही थी। घर के किराए का भुगतान करने के लिए, वह बहुत सारे अतितिक्त काम करती थी, जैसे जिस इमारत में हम रहते थे, उसकी सीढ़ियों पर झाडू लगाती थी, और मैं वहाँ कूड़ेदान को खाली करने में उनकी मदद करने की कोशिश करती थी।

मेरी माँ के दोस्तों में, एक मेरे पसंदीदा छद्म पिता थे, एक पुलिसकर्मी, एक अच्छे इंसान। मेरी माँ ने उनसे समबन्ध बनाकर गर्भधारण किया, लेकिन माँ उस बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती थी, इसलिए उसका गर्भपात हो गया, फिर माँ ने उस पुलिस कर्मी के साथ रिश्ते को छोड़ दिया और होटलों में काम करना शुरू कर दिया। जब माँ नीचे काम कर रही थी और ग्राहकों के साथ शराब पी रही थी, तब मैं आमतौर पर होटल के छत के बेडरूम में अकेली रहती थी। नशा करने के बाद मेरी माँ चिड़चिड़ी हो जाती थी और घर आने पर बिना किसी कारण के मेरे ऊपर गुस्सा करने लगती थी। वह हमेशा मेरे लिए काम की एक लंबी सूची छोड़ जाती थी, लेकिन मैं उसे कभी संतुष्ट नहीं कर पाती थी। हालात बिगड़ गए और एक रात माँ उस पुलिसकर्मी की नई प्रेमिका से लड़ने लगी। उस लड़ाई के चलते माँ जेल में बंद हो गई।

बद से बदतर

मां का छोटा भाई ऑस्ट्रेलिया चले गए, उस के बाद, मेरे नानाजी ने सोचा कि अगर मेरी माँ और मामा एक ही देश में होते तो अच्छा होता। इसलिए, हम 1957 में उनके साथ ऑस्ट्रेलिया चले गए और कुछ समय उनके साथ रहे। माँ को एक जगह रसोइया का काम मिल गया, और मैंने सारे थाली बर्तन धोए। जब कभी वह मुझे काम पर कम ध्यान देते हुए पकडती, तो वह बार्बेक्यू का कांटा या जो कुछ उसके हाथ में रहता, वे सब मेरे ऊपर फेंक देती थी। चूँकि मैं केवल बारह वर्ष की थी और अक्सर गलतियाँ करती थी, इसलिए मेरे पूरे शरीर पर चोट के निशान बन गए। जब वह नशे की हालत में थी, तो यह और भी बुरी हो जाती थी। मुझे उससे नफरत होने लगी।

हम तब तक एक बोर्डिंग हाउस में रह रहे थे, और माँ की मुलाक़ात बहुत से नए लोगों से हुई थी, जो ग्रामीण इलाकों में गाड़ी चलाना और पेड़ों के नीचे बैठकर शराब पीना पसंद करते थे। मैं तब तक लगभग तेरह साल की हो गयी थी, इसलिए वह मुझे घर पर नहीं छोड़ती थी| वह मुझे अपने साथ ले जाती थी, लेकिन वह अपने दोस्तों के साथ झाड़ी में चली जाती थी; और जो भी आसपास होते थे, मुझे उनके पास बिठा देती थी। ऐसी ही एक रात को, मेरे साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, लेकिन माँ से कुछ भी कहने से मैं डर रही थी।

एक और रात, हाईवे पर ड्राइव करते समय, एक कार हमें ओवरटेक करती रही और अंत में वे हमें रोकने में  कामयाब हुए। यह रात को गश्त करनेवाली पुलिस थी। वे हमें पुलिस स्टेशन ले गए और हमें अलग-अलग कमरों में बिठाकर पूछताछ की। जब उन्हें पता चला कि मेरे साथ दुष्कर्म हुआ है, तो एक डॉक्टर मेरी जांच करने आये। उन्होंने एक या दो दिन बाद मां को कचहरी में हाजिर होने का समन दिया। लेकिन जैसे ही हम घर पहुंचे, माँ ने पैकिंग शुरू कर दी और हम दोनों अगली ट्रेन से शहर से बाहर निकल गयीं। हम एक छोटे से कस्बे में पहुँचे, जहाँ उसे रसोइया के रूप में दूसरी नौकरी मिली, और मुझे एक घर की नौकरानी के रूप में रखा गया। वहां का जीवन एक कठिन दौर था, लेकिन मैंने जीना सीख लिया।

उम्मीद के लिए बेताब

माँ ने विल्सन नामक एक आदमी के साथ संबंध बनाया और हम उस आदमी के साथ टली नामक जगह में रहने चले गए। अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद वह एक पागलखाने में भर्ती था। माँ ने जल्द ही उसे भ्रष्ट कर दिया, और वे नशे में लिप्त होकर आपस में लड़ने लगे। मुझे उनकी लड़ाई के बीच में रहना पसंद नहीं था। जब माँ गर्भवती हुई, तो उसने कहा, “चलो विल्सन की कार लेते हैं और सिडनी जाते हैं, और एक नया जीवन शुरू करते हैं। मैं वास्तव में फिर से न शादी करना चाहती हूँ न इस बच्चे को पैदा करना चाहती हूँ।“ मैंने भयावह अनुभव किया। मैं अकेली रहती हुई थक चुकी थी और वर्षों से एक भाई या बहन की चाह रखती थी। तो, मैंने जाकर विल्सन को बताया। जब उन्होंने मेरी मां को चुनौती दी, उसके बाद उन दोनों ने एक दुसरे से शादी कर ली, लेकिन माँ ने मुझे इन सब के लिए जिम्मेदार ठहराया। उसने मुझसे कहा कि “तुम्हें बच्ची की देखभाल करनी होगी, क्योंकि मैं इस बच्ची को नहीं चाहती थी।“ इसके बाद मेरी छोटी बहन ही मेरी दुनिया थी, हाँ टॉम से मिलने के बाद सब कुछ बदल गया।

लड़ाई-झगड़ों से मैं ऊब गयी थी और टॉम ने वादा किया था कि जब मैं सयानी हो जाऊंगी तब वह मुझसे शादी कर लेगा, इसलिए मैंने घर छोड़ दिया। मैंने सोचा कि इसके बाद जीवन शानदार होगा, लेकिन ऐसा नहीं था। टॉम की माँ प्यारी थी। उसने वास्तव में मेरी देखभाल करने की कोशिश की, लेकिन टॉम नशे में धुत हो जाता, फिर घर आकर मुझे गाली देता, मेरे साथ दुर्व्यवहार करता था। वह शराब पीता रहता था और एक नौकरी के बाद दूसरी नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता था, इसलिए हम लगातार एक जगह से दूसरी जगह बदलते रहे। हमने शादी कर ली, और मुझे उम्मीद थी कि वह अपनी बुरी आदतें छोड़ देगा और मेरे साथ बेहतर व्यवहार करना शुरू कर देगा, लेकिन वह मुझे पीटता रहा और दूसरी लड़कियों के साथ अय्याशी करता रहा। मुझे इस दलदल से बचना था, इसलिए मैं वहां से भाग निकली और ब्रिसबेन चली गयी जहां मुझे बर्तन धोने का काम मिला।

एक रात काम के बाद देर रात मैं बस से उतरी और देखा कि सड़क के उस पार कोई खड़ा है। मुझे पता था कि यह टॉम था। हालाँकि मैं घबरा गयी थी, कहीं वह कुछ बेवकूफी करने की कोशिश न करें ऐसा सोचकर मैं रोशनी में ही रही। उसने मेरा पीछा किया, लेकिन मैंने उससे कहा कि मैं वापस नहीं जाऊंगी और उससे तलाक चाहती हूं।

एक नई शुरुआत

जब मैं घर पहुंची, मैंने अपना बैग पैक किया, सिडनी के लिए ट्रेन पकड़ी, और उसके बाद शहर से बाहर बस में सवार हो गयी। महीनों तक, मुझे बुरे सपने आते रहे कि वह मेरा पीछा कर रहा है। मैं ने कमर कस लिया और एक अस्पताल में घरेलू कामगार के रूप में नौकरी करने लगी। यहाँ मैंने नए दोस्त बनाए। एक और जवान लड़की थी, जिसकी अंग्रेजी कमजोर थी, जो काफी हद तक मेरे जैसी थी। हमारी आपस में अच्छी पटती थी और हमने अपना नर्सिंग प्रशिक्षण एक साथ शुरू किया, फिर प्रशिक्षण के बाद एक अस्पताल में हमने काम किया।

वह एक लड़के को जानती थी जो सेना में राष्ट्रके लिए सेवा दे रहा था। जब उस लड़के ने उसे एक नृत्य के कार्यक्रम लिए आमंत्रित किया, तो मेरी दोस्त ने मेरे लिए भी टिकट ली ताकि हम दोनों साथ जा सकें। नाच के कार्यक्रम में मुझे रुची नहीं थी, लेकिन यह बाहर निकलने का एक अच्छा मौका था। भोजन परोसने वाले सेना के कैटरर्स में से एक ने मुझ पर ध्यान देना शुरू किया। मुझे लगा कि यही बेहतर है, इसलिए हम दोनों ने कुछ डांस किए और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। हम एक-दूसरे से मिलते रहे, लेकिन कुछ हफ्तों के बाद पीटर ने मुझे बताया कि उसे एविएशन कोर्स करने के लिए भेजा जा रहा है। मुझे बहुत निराशा हुई।

हम दोनों ने अपने जीवन की कहानियाँ एक दुसरे को सुनायी थीं, इसलिए वह जानता था कि मेरे साथ क्या चल रहा है, लेकिन उसने मुझे छोड़ा नहीं और मेरे संपर्क में रहा। जितना अधिक मैं उसे जानती थी, उतना ही मैं उसे पसंद करती थी। लेकिन मैं पहली शादी की आपदा के बाद दोबारा शादी नहीं करना चाहती थी। आखिरकार, उसने मुझे अपने परिवार से मिलवाया और उसकी ट्रेनिंग पूरी होने से पहले ही हमारी सगाई हो गई। वह टाउन्सविले में तैनात था जहाँ पहले मैं टॉम के साथ रहा करती थी। हालाँकि मैं अतीत की भयावहता से गुजरना नहीं चाहती थी, फिर भी मैं पीटर को ना नहीं कह सकती थी। हम कानूनी रूप से शादी करने में सक्षम होने से पहले लगभग दो साल तक साथ रहे। पीटर कैथलिक बन गया, लेकिन सैन्य प्रशिक्षण की हड़बड़ी में उसने कैथलिक विश्वास में रहना बंद कर दिया, इसलिए हमने अपने घर के ही पिछवाड़े में शादी कर ली।

वे चार शब्द जिनके कारण सब कुछ बदल गया

कभी-कभी मैं अकेली होती थी क्योंकि पीटर अक्सर मैदान में हेलीकॉप्टर की सर्विसिंग के लिए बाहर रहता था। मुझे एक हाई स्कूल में लैब असिस्टेंट की नौकरी मिल गई, लेकिन हमें एहसास हुआ कि हमारे जीवन में कुछ कमी है। हमारे पास सब कुछ था, फिर भी एक खालीपन था। तब पीटर ने सुझाव दिया, “चलो चर्च चलते हैं।” शुरुवाती दौर में हम दोनों चर्च में पीछे के बेंच में बैठते थे, लेकिन जैसे ही प्रभु की उपस्थिति के लिए हमारे हृदय खुल गए, हम और अधिक जुड़ गए। हमने सप्ताह के अंत में होनेवाले वैवाहिक जीवन प्रशिक्षण के बारे में सुना और साइन अप किया। यह हम दोनों के लिए एक वास्तविक आंख खोलने वाला था। हमारे हृदय द्रवित हो उठे।

उस सप्ताह के अंत में हमने सीखा कि मन की बातों को लिखकर कैसे संवाद किया जाए। मैं अपने जीवन में जो महसूस करती थी, उसे शब्दों में बयां नहीं कर पाती थी। मां मुझे हमेशा चुप रहने के लिए कहा करती थी, इसलिए मैंने मुंह न खोलने की शिक्षा ली थी और इस तरह अपनी भावनाओं को साझा करने में असमर्थ हो गई थी।

“ईश्वर कबाड़ नहीं बनाता”, जब मैंने पहली बार ये शब्द सुने, मैं जानती थी कि ये शब्द मेरे लिए ही बने थे। भावुकता की एक लहर मुझ पर हावी हो गई। ‘ईश्वर ने मुझे बनाया है। मैं ठीक हूँ। मैं कबाड़ नहीं हूं।’ उन सभी वर्षों में, मैं अपने आप को हीनभावना से देखती थी, उन सारे भयानक बातों के लिए स्वयं को दोषी ठहरा रही थी – बलात्कार, पियक्कड़ से शादी करना (जब कि मुझे पता होना चाहिए था कि यह शादी ठीक नहीं होगी), फिर तलाक, मेरी मां का दुर्व्यहार …। मैं जीवन में वापस आ रही थी। इसके बाद हर बार जब मैं मिस्सा पूजा या प्रार्थना सभा में जाती तो मेरा दिल बेहतरी और अच्छाई के लिए बदल रहा था। मैं ईश्वर और अपने पति से बहुत प्यार करती थी।

नफरत के बदले प्यार

इसके पहले, मैंने कभी किसी को माफ नहीं किया था। मैंने अपनी चोटों को पीछे धकेल दिया था और उन पर ताला लगा लिया था मानो कि मुझे कभी चोट लगी ही नहीं। जब पीटर और मेरी सगाई हुई, तो मैं माँ को बताना चाहती थी। मैंने पत्र भेजे, लेकिन उसने उन पत्रों को “प्रेषक को” लौटा दिया, इसलिए मैंने हार मान ली। फिर, मैंने एक बार सपने में अपनी माँ को एक पेड़ से लटकती हुई देखा। उसकी गहरी नीली आंखें खुली हुई थीं और मुझे घूर रही थीं। मैंने उसकी तरफ दयाभाव के साथ देखा और कहा, “हे ईश्वर, मैं उसे नापसंद करती हूं, लेकिन उतना ज़्यादा नहीं।” किसी तरह, उस सपने ने मुझे नफरत न करना सिखाया। यहां तक कि अगर मैं किसी के द्वारा किए गए कार्यों को पूरी तरह से नापसंद करती हूं, तो मुझे लगा कि नफरत करना गलत था। मैंने माँ को पूरी तरह से माफ़ कर दिया, और इस कारण मेरे लिए अनुग्रह के अन्य द्वार खुल गए। मैं नरम हो गयी और फिर से अपनी मां के पास पहुंचने के लिए प्रयास करती रही। आखिरकार उसने जवाब दिया, और हम कुछ दिनों तक माँ के साथ रहे। कुछ वर्षों बाद जब मेरी बहन ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि माँ की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई है, तो मैं फूट-फूट कर रोने लगी।

उसकी मृत्यु के बाद, मुझे लगा कि मैंने माँ को ठीक से माफ़ नहीं किया है, लेकिन एक अच्छे पुरोहित के साथ आत्मिक परामर्श और प्रार्थना के बाद मुझे अपार शांति मिली। जब मैंने क्षमा के शब्द कहे, पवित्र आत्मा का प्रकाश मेरे अस्तित्व में प्रवेश कर गया, और मुझे पता था कि मैंने उसे क्षमा कर दिया है।

टॉम को क्षमा करना कुछ कठिन काम था जिस केलिए मुझे बार बार प्रार्थना में वापस जाना पडा। इसमें काफी समय लग गया, और मुझे एक से अधिक बार जोर से कहना पड़ा कि मैं टॉम को मेरे साथ उसके दुर्व्यवहार केलिए, मेरी ठीक से देखभाल न करने केलिए, क्षमा करती हूं। मुझे पता है कि मैंने उसे माफ कर दिया है। इस प्रक्रिया से यादें दूर नहीं जाती हैं, लेकिन चोट तो दूर हो जाती है।

स्लेट को साफ करना

क्षमा एक बार का कार्य नहीं है। जब भी आक्रोश फिर से उभरे तो हमें क्षमा कर देना चाहिए। निरन्तर द्वेष रखने की इच्छा को हमें त्याग देना चाहिए और उन्हें येशु को सौंप देना चाहिए। इस तरह मैं प्रार्थना करती हूं: “येशु, मैं सब कुछ तुझे सौंप देती हूं, तू ही हर बात का ख्याल रखना।” और वह ख्याल रखता है। बार बार इस प्रार्थना को करने के बाद मैं पूरी तरह से शांति महसूस करती हूं।

मेरे साथ हुए बलात्कार के लिए मजबूती के साथ चंगाई की क्षमा महसूस करने में मुझे काफी समय लगा। मैंने बस इसे टालने की कोशिश की। मैं इसके बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी। फिर भी एक बार जब मैंने इसे प्रभु को समर्पित किया तो यह भी ठीक हो गयी और मैं अपने बलात्कारियों को क्षमा कर पाई। अब वह घटना मेरे ऊपर कोई असर नहीं करती है। ईश्वर ने इसे शुद्ध कर मुझे स्वस्थ कर दिया है, क्योंकि मैंने ईश्वर से कहा था कि जो कुछ उसका नहीं है, वह सब मुझसे ले ले।

अब, मैं उन सब बातों को, जैसे वे घटित होती हैं, वैसे ही ईश्वर को सौंप देती हूं, और मुझे शांति मिलती है। हमारे पास एक अद्भुत ईश्वर है, जो हमें क्षमा करता है, सुबह, दोपहर और रात, हर वक्त। हमारे जीवन में चाहे जो भी अंधकार हो, परमेश्वर हमारे पश्चाताप करने और क्षमा मांगने की प्रतीक्षा कर रहा है, ताकि वह हमें शुद्ध कर सके और हमें पूर्ण बना सके।

 

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By: Margaret Fitzsimmons

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मार्च 23, 2023
Encounter मार्च 23, 2023

जब ईश्वर हमें बुलाता है तब वह रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की शक्ति भी हमें देता है। जीवन के तूफानी हमलों के दौर में फादर पीटर परमेश्वर से कैसे लिपटे रहे, इस अद्भुत कहानी को पढ़ें।

अप्रैल 1975 में जब कम्युनिस्टों ने वियतनाम पर कब्जा कर लिया, तब उस देश के दक्षिणी छोर में रहने वाले लोगों का जीवन हमेशा के लिए बदल गया। कम्युनिस्टों ने दस लाख से अधिक दक्षिण वियतनामी सैनिकों को पकड़ लिया और उन्हें पूरे देश के विभिन्न जगहों पर बनाए गए नज़रबंदी शिविरों में कैद कर दिया था। इसके अलावा सैकड़ों हजारों ख्रीस्तीय पुरोहितों, सेमिनारी में रहनेवाले बंधुओं, साध्वियों, मठवासी भिक्षुओं और धर्मबन्धुओं को कारागारों और सुधार गृहों में बंद कर दिया गया था ताकि उनका ब्रेनवॉश किया जा सके। उनमें से लगभग 60% की मृत्यु उन शिविरों में हुई जहाँ उन्हें कभी भी अपने परिवार या दोस्तों से मिलने की अनुमति नहीं थी। वे ऐसे रहते थे जैसे उन्हें भुला दिया गया हो।

युद्ध से बिखरा राष्ट्र

मेरा जन्म 1960 के दशक में, युद्ध के दौरान, अमेरिकियों के मेरे देश में आने के ठीक बाद हुआ था। उत्तर और दक्षिण के बीच लड़ाई के दौरान मेरी परवरिश हुई थी, इसलिए युद्ध सम्बंधित घटनाएं मेरे बचपन की पृष्ठभूमि बन गयी। जब युद्ध समाप्त हुआ, तब तक मैं लगभग माध्यमिक विद्यालय समाप्त कर चुका था। मुझे इस बारे में ज्यादा समझ नहीं आया कि यह सब क्या है, लेकिन मुझे यह देखकर बहुत दु:ख हुआ कि इतने सारे लोग जो मारे गए या कैद किए गए अपने सभी प्रियजनों के लिए दुखी हैं।

जब कम्युनिस्टों ने हमारे देश पर कब्जा कर लिया, तो सब कुछ उल्ट गया। हम अपने विश्वास के लिए लगातार सताए जाने के डर में जी रहे थे। वस्तुतः कोई स्वतंत्रता नहीं थी। हमें नहीं पता था कि कल हमारे साथ क्या होगा। हमारा भाग्य पूरी तरह से कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के हाथों में था।

ईश्वर की पुकार का जवाब

इन अशुभ परिस्थितियों में मैंने ईश्वर की पुकार को महसूस किया। प्रारंभ में, मैंने इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, क्योंकि मैं जानता था कि मेरे लिए उस पुकार का पालन करना असंभव था। सबसे पहले, कोई गुरुकुल या सेमिनरी नहीं था जहाँ मैं पुरोहिताई के लिए अध्ययन कर सकता था। दूसरी बात, अगर सरकार को पता चल गया तो यह न केवल मेरे लिए खतरनाक होगा, बल्कि मेरे परिवार को भी दंडित किया जाएगा। और इन सबके अलावा, मैं येशु का शिष्य बनने के लिए अपने आप को अयोग्य महसूस कर रहा था। हालाँकि, परमेश्वर के पास अपनी योजना को पूरा करने का अपना तरीका है। इसलिए मैं 1979 में भूमिगत सेमिनरी में शामिल हो गया। सोलह महीने बाद, स्थानीय पुलिस को पता चला कि मैं एक ख्रीस्तीय पुरोहित बनने की तैयारी कर रहा हूँ, इसलिए मुझे जबरन सेना में भर्ती कर लिया गया।

मुझे उम्मीद थी कि चार साल बाद मुझे रिहा किया जा सकता है, ताकि मैं अपने परिवार और अपनी पढ़ाई में वापस आ सकूं, लेकिन सैनिक प्रशिक्षण के दौरान एक साथी सैनिक ने मुझे चेतावनी दी कि हमें कंपूचिया में लड़ने के लिए भेजे जायेंगे। मैं जानता था कि कंपूचिया में लड़ने गए 80% सैनिक कभी वापस नहीं आए। मैं इस संभावना से इतना डर गया था, कि मैंने खतरनाक जोखिमों के बावजूद सैनिक शिविर से भाग जाने की योजना बनाई। हालांकि मैं सफलतापूर्वक बच निकला, फिर भी मैं खतरे में था। मैं घर लौटकर अपने परिवार को खतरे में नहीं डाल सकता था, इसलिए मैं लगातार इस डर से इधर-उधर भटक रहा था कि कहीं कोई मुझे देख लेगा और पुलिस को रिपोर्ट कर देगा।

जीवन के लिए पलायन

इस प्रतिदिन के आतंक का कोई अंत नज़र नहीं आ रहा था। उस एक वर्ष के कठिन दौर के बाद, मेरे परिवार ने मुझसे कहा कि, सभी की सुरक्षा के लिए, मुझे वियतनाम से भागने का प्रयास करना चाहिए। एक अंधेरी रात में, आधी रात के बाद, मैंने गुप्त निर्देशों का पालन करते हुए, मछली पकड़ने वाली छोटी लकड़ी की एक नाव की ओर रेंगना शुरू किया, जहाँ कम्युनिस्ट गश्ती दल से बचकर भागने के लिए पचास लोग सवार थे। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, हमने अपनी सांसें और एक-दूसरे का हाथ तब तक थामे रखा जब तक हम खुले समुद्र में सुरक्षित बाहर नहीं निकल गए। लेकिन हमारी परेशानी अभी शुरू ही हुई थी। हमें कहाँ जाना है, इसके बारे में हमारे पास केवल एक अस्पष्ट विचार था और वहाँ जाने के लिए कहाँ कहाँ से होकर जाना है, इसकी बहुत कम समझ थी।

हमारा पलायन कठिनाइयों और खतरों से भरा था। हमने भयानक मौसम में समुद्र के उबड़-खाबड़ लहरों के बीच उठते गिरते उछलते-कूदते चार दिन बिताए। एक समय आया जब हमने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। हम अगले तूफान से बच पायेंगे या नहीं इसका हमें संदेह था। हम मानने लगे थे कि हम अपनी मंजिल पर कभी नहीं पहुंचेंगे क्योंकि हम समुद्र की दया पर ही निर्भर थे जो हमें कहीं नहीं ले जा रहा था। हमें बिलकुल पता नहीं चल रहा था कि हम कहां हैं। हम केवल इतना ही कर सकते थे कि परमेश्वर के विधान पर भरोसा करके अपने जीवन को उनके हाथ में छोड़ दें। इस पूरे समय में, परमेश्वर ने हमें अपने संरक्षण में रखा था। जब आखिरकार हमें मलेशिया के एक छोटे से द्वीप पर शरण मिली, तब हमें अपने सौभाग्य पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। मैंने वहां के एक शरणार्थी शिविर में आठ महीने बिताए, और उसके बाद मुझे ऑस्ट्रेलिया में शरण मिली।

मजबूती से खड़ा जीवन

इस तरह के आतंकों को सहने के बाद, मुझे आखिरकार पता चला कि “बारिश के बाद धूप आती है”। हमारे पास एक पारंपरिक कहावत है, “हर प्रवाह में एक भाटा या उतार होगा”। जीवन में हर किसी के पास आनंद और संतोष के दिनों के विपरीत कुछ उदास दिन होने चाहिए। शायद यही मानव जीवन का नियम है। जन्म से कोई भी सभी दुखों से मुक्त नहीं हो सकता। कुछ दुःख शारीरिक हैं, कुछ मानसिक और कुछ आध्यात्मिक हैं। हमारे दु:ख एक दूसरे से भिन्न हैं, लेकिन लगभग सभी को दुःख का स्वाद चखना पड़ेगा। हालाँकि, दुःख स्वयं मनुष्य को नहीं मार सकता। केवल ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण में बने रहने की इच्छाशक्ति की कमी ही कुछ लोगों को इतना हतोत्साहित कर सकती है कि वे भ्रामक सुखों में शरण लेते हैं, या दुःख से बचने के व्यर्थ प्रयास में आत्महत्या का विकल्प चुनते हैं।

मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मैंने एक कैथलिक के रूप में अपने जीवन के लिए पूरी तरह से ईश्वर पर भरोसा करना सीखा है। मुझे विश्वास है कि जब भी मैं मुसीबत में हूँ, वह मेरी सहायता करेगा, विशेष रूप से जब ऐसा लगता है कि मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, या मैं शत्रुओं से घिरा हुआ हूँ। मैंने अपने अनुभव से सीखा हैकि ईश्वर को ही अपने जीवन की ढाल और गढ़ मानकर उनकी शरण लेनी चाहिए। जब वह मेरे साथ होता है तो कोई भी ताकत मुझे हानि नहीं पहुंचा सकता (भजन संहिता 22)।

नई भूमि में नया जीवन

जब मैं ऑस्ट्रेलिया पहुंचा, तो मैंने अंग्रेजी सीखने में पूरी ताकत लगा दी ताकि मैं पुरोहिताई के लिए अध्ययन जारी रखने की अपने दिल की लालसा का पालन कर सकूं। शुरुआत में इतनी अलग संस्कृति में रहना मेरे लिए आसान नहीं था। अक्सर, अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए सही शब्द नहीं मिलते थे, इसलिए अक्सर गलतफहमियाँ हो जाती थीं। कभी-कभी हताशा में जोर-जोर से चिल्लाने का मन करता था। परिवार, या दोस्तों, या पैसे के बिना, नया जीवन शुरू करना कठिन था। मैंने अकेलापन, तन्हाई और अलग-थलग होने का दर्द महसूस किया, मुझे परमेश्वर के अलावा किसी का भी समर्थन नहीं मिला।

परमेश्वर हमेशा मेरे साथी रहा है, वह मुझे सभी बाधाओं के बावजूद डटे रहने की शक्ति और साहस देता है। अंधेरे के बीचे में परमेश्वर के प्रकाश ने ही मेरा मार्गदर्शन किया, ऐसे दौर में भी जब मैं उसकी उपस्थिति को पहचानने में असफल रहा। मैंने जो कुछ भी हासिल किया है वह उसकी कृपा से है और मुझे उसका अनुसरण करने हेतु बुलाने के लिए मैं उसका आभारी रहूंगा।

 

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By: Father Peter Hung Tran

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मार्च 23, 2023
Encounter मार्च 23, 2023

क्यों का सवाल

33 वर्षीय भौतिक विज्ञानी क्रिश्चियन साइमन लंबे समय से नास्तिक थे और जीवन के सभी महत्वपूर्ण सवालों के जवाब विज्ञान से चाहते थे – जब तक कि उन्होंने अपनी सीमाओं को देख लिया

मैं कैथलिक के रूप में बड़ा हुआ, उस समय की प्रथा के अनुसार मैंने सभी संस्कार प्राप्त किए, एक बच्चे के रूप में भी मैं काफी धर्मनिष्ठ था। दुर्भाग्य से, समय के साथ मैंने ईश्वर की एक भयानक झूठी छवि विकसित की: ईश्वर को एक कठोर न्यायाधीश के रूप में मैंने देखा, जो पापियों को नरक में फेंक देता है, लेकिन वह ईश्वर मेरे लिए बहुत दूर था और जिसका वास्तव में मेरे प्रति कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे इस बात पर बहुत संदेह था कि ईश्वर मेरी भलाई सोचता है। अपनी युवावस्था में, मैं और भी अधिक आश्वस्त हो गया कि परमेश्वर के मन में मेरे खिलाफ कुछ है। मैंने कल्पना की कि मैंने जो कुछ करने के लिए उससे विनती की थी, उसने हमेशा ठीक उसके विपरीत किया। किसी समय परमेश्वर पर मेरा विश्वास खत्म हो चुका था। मैं ईश्वर के बारे में और कुछ नहीं जानना चाहता था।

धर्म – सनकी लोगों के लिए है

करीब 18 साल की उम्र में मुझे यकीन हो गया था कि ईश्वर है ही नहीं। मेरे लिए, केवल वही है जिसे मैं अपनी इंद्रियों से अनुभव कर सकता था या जिसे प्राकृतिक विज्ञान द्वारा मापा जा सकता था। धर्म मुझे केवल संकी या अजीबोगरीब लोगों के लिए कुछ लगता था, जिनके पास या तो बहुत अधिक कल्पना थी या वे पूरी तरह से भ्रमित थे; मेरा मना था की  शायद ऐसे लोगों ने कभी भी अपनी आस्था पर सवाल नहीं उठाया होगा। मुझे विश्वास हो गया था कि अगर हर कोई मेरे जैसा होशियार होता, तो कोई भी ईश्वर में विश्वास नहीं करता।

स्व-रोज़गार के कुछ वर्षों के बाद, मैंने 26 वर्ष की आयु में भौतिक विज्ञान का अध्ययन करना शुरू किया। मुझे इस बात में अत्यधिक दिलचस्पी थी कि दुनिया कैसे काम करती है और मुझे भौतिकी में अपने उत्तर खोजने की उम्मीद थी। मुझ पर  कौन दोष लगा सकता है? भौतिकी अपने अविश्वसनीय रूप से परिष्कृत गणित के साथ बहुत रहस्यमयी लग सकती है जिसे दुनिया में बहुत कम लोग समझते हैं। यह विचार प्राप्त करना आसान है कि यदि आप इन कोडित रूपों और प्रतीकों को तोड़ सकते हैं, तो ज्ञान के अकल्पनीय क्षितिज खुल जाएंगे – और सचमुच कुछ भी संभव होगा।

भौतिकी के सभी प्रकार के उप-विषयों का अध्ययन करने और यहाँ तक कि सबसे आधुनिक मौलिक भौतिकी के साथ पकड़ बनाने के बाद, मैं अपने मास्टर्स की थीसिस पर एक अमूर्त सैद्धांतिक विषय पर काम करने के लिए बैठ गया – जिस पर मुझे यकीन था कि इसका वास्तविक दुनिया से कभी कोई संबंध बिलकुल नहीं होगा। मैं अंत में भौतिकी की सीमाओं के बारे में बहुत जागरूक हो गया: भौतिकी जिस सर्वोच्च लक्ष्य तक पहुँच सकता है वह प्रकृति का एक पूर्ण गणितीय विवरण होगा। और यह पहले से ही बहुत आशावादी सोच है। सर्वोत्तम रूप से, भौतिकी यह बता सकती है कि कोई चीज़ कैसे काम करती है, लेकिन यह कभी नहीं बताती है कि जैसे यह काम करती है ठीक उसी तरह क्यों काम करती है और अलग तरीके से क्यों नहीं। लेकिन इस समय यह क्यों का सवाल मुझे परेशान कर रहा था। 

ईश्वर की संभावना

मैं 2019 के शरद ऋतु में इस सवाल से घिर गया था कि क्या कोई ईश्वर है। पता नहीं किन कारणों से यहसवाल मुझे परेशान कर रहा था। यह एक ऐसा सवाल था जो मैंने खुद से बार-बार पूछा था, लेकिन इस बार इसने मुझे जकड लिया। यह सवाल बस एक उत्तर की मांग कर रहा था, और जब तक मुझे इसका उत्तर नहीं मिल जाता, मैं तब तक नहीं रुकने वाला नहीं था। कोई महत्वपूर्ण अनुभव नहीं था, भाग्य का कोई आघात नहीं था जो इसके जवाब तक मुझे पहुंचाता। यहां तक ​​कि उस समय कोरोना भी कोई मुद्दा नहीं था। आधे साल तक मैं हर दिन “ईश्वर” के विषय पर जो कुछ भी पा सकता था, निगल लेता था। इस सवाल ने मुझे इतना आकर्षित किया कि इस दौरान मैंने लगभग कुछ नहीं किया। मैं जानना चाहता था कि क्या ईश्वर का अस्तित्व है और इसके बारे में विभिन्न धर्मों और विश्व के दर्शन शास्त्रों का क्या कहना है। ऐसा करने में मेरा दृष्टिकोण बहुत ही वैज्ञानिक था। मैंने सोचा कि एक बार जब मैंने सभी तर्क और सुराग एकत्र कर लिए, तो मैं अंतत: इस बात की संभावना निर्धारित करने में सक्षम हो जाऊँगा कि ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं। यदि ईश्वर के अस्तित्व की संभावना 50 प्रतिशत से अधिक होती, तो मैं ईश्वर में विश्वास करता, अन्यथा नहीं। काफी सरल, है ना? लेकिन वास्तव में ऐसा सरल नहीं था!

शोध की इस गहन अवधि के दौरान, मैंने अविश्वसनीय मात्रा में नयी बातें सीखीं। सबसे पहले, मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने लक्ष्य तक सिर्फ तर्क के सहारे नहीं पहुंच पाऊँगा। दूसरा, मैंने परमेश्वर के बिना वास्तविकता के परिणामों के बारे में अंत तक सोचा था। मैं अनिवार्य रूप से इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ईश्वर के बिना दुनिया में, सब कुछ अंततः अर्थहीन होगा। बेशक, कोई अपने जीवन को भी अर्थ देने की कोशिश कर सकता है, लेकिन वह एक भ्रम, एक दंभ, एक झूठ के अलावा क्या होगा? विशुद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, हम जानते हैं कि ब्रह्मांड में किसी बिंदु पर सभी रोशनी बुझ जाएगी। यदि इससे परे कुछ भी नहीं है, तो मेरे छोटे और बड़े निर्णयों से, चाहे वे निर्णय वास्तव में कुछ भी हो, उनसे क्या फर्क पड़ता है?

परमेश्वर के बिना दुनिया की इस दुखद संभावना को देखते हुए, मैंने 2020 के वसंत में ईश्वर को दूसरा मौका देने का फैसला किया। कुछ समय के लिए परमेश्वर में विश्वास करने का दिखावा करने से, और परमेश्वर में विश्वास करने वाले लोग जो कुछ करते हैं वे सभी चीज़ें करने की कोशिश करने से कोई नुकसान थोड़े हो सकता है? इसलिए मैंने प्रार्थना करने की कोशिश की, गिरजाघर की आराधनाओं और सेवाओं में भाग लिया, और बस यह देखना चाहता था कि इससे मेरा क्या होगा। निस्संदेह, परमेश्वर के अस्तित्व के प्रति मेरे बुनियादी खुलेपन ने मुझे अभी तक ईसाई नहीं बनाया है; आखिर दूसरे धर्म भी थे। लेकिन मेरे शोध ने मुझे जल्दी ही आश्वस्त कर दिया था कि येशु का पुनरुत्थान एक ऐतिहासिक तथ्य था। मेरे लिए, कलीसिया का अधिकार और उसके साथ-साथ पवित्र ग्रन्थ भी इसी पुनरुत्थान के ऐस्तिहासिक तथ्य से चलते हैं।

ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण

तो, “विश्वास” पर मेरे प्रयोग से क्या निकला? पवित्र आत्मा ने मेरे विवेक को उसके वर्षों के शीतनिद्रा से जगाया। उसने मुझे यह बहुत स्पष्ट कर दिया कि मुझे आमूलचूल तरीके से अपने जीवन को बदलने की जरूरत है। और पवित्र आत्मा ने बाहें फैलाकर मेरा स्वागत किया। मूल रूप से, बाइबिल में वर्णित उड़ाऊ पुत्र का दृष्टांत मेरी कहानी है (लूका 15:11-32)। मैंने अपनी पूरी शक्ति के साथ पहली बार पापस्वीकार का संस्कार ग्रहण किया। आज भी, प्रत्येक पाप स्वीकार के बाद, मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरा पुनर्जन्म हुआ है। मैं इसे अपने पूरे शरीर में महसूस करता हूं: राहत, और  ईश्वर का उमड़ता हुआ प्रेम जो आत्मा के सभी काले बादलों को धो देता है। केवल यह अनुभव ही मेरे लिए ईश्वर का प्रमाण है, क्योंकि यह स्पष्टीकरण के किसी भी वैज्ञानिक प्रयास से कहीं अधिक है।

इसके अलावा, पिछले दो वर्षों में, ईश्वर ने मुझे ढेर सारी शानदार मुलाकातों का तोहफा दिया है। शुरुआत में ही, जब मैंने गिरजाघर की आराधनाओं में भाग लेना शुरू किया, तो मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला, जो उस समय मेरी स्थिति में मेरे लिए मेरे सभी सवालों और समस्याओं के साथ एकदम सही व्यक्ति था। आज तक वह एक वफादार और अच्छे दोस्त हैं। तब से, लगभग हर महीने मेरे जीवन में महान नए लोग आए हैं, जिन्होंने येशु के रास्ते में मेरी बहुत मदद की है – और यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है! इस तरह के “खुशनुमा संयोग” इतनी अधिक मात्रा में जमा हो गए हैं कि मैं अब संयोगों पर विश्वास नहीं कर पा रहा हूं।

आज, मैंने अपने जीवन को पूरी तरह से येशु पर केन्द्रित किया है। बेशक, मैं इसमें हर दिन असफल होता हूँ! लेकिन मैं भी हर बार उठ लेता हूं। ईश्वर का शुक्र है कि वह दयालु है! मैं उसे हर दिन थोड़ा बेहतर जान पाता हूं और मुझे पुराने क्रिश्चियन साइमन को पीछे छोड़ने की इजाजत मिली है। यह अक्सर बहुत दर्दनाक होता है, लेकिन इससे हमेशा चंगाई मिलती है और मैं मजबूत होता जाता हूं। परमप्रसाद संस्कार को नियमित रूप से ग्रहण करने से मेरी मजबूती में एक बड़ा योगदान होता है। येशु के बिना जीवन आज मेरे लिए अकल्पनीय है। मैं उसे अपनी दैनिक प्रार्थना, स्तुति, पवित्र वचन, दूसरों की सेवा और संस्कारों में खोजता हूं। जैसा प्रेम वह मुझसे करते हैं वैसा कभी किसी ने मुझसे प्रेम नहीं किया। और मेरा दिल उसी का है। हमेशा के लिए।

 

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By: Christian Simon

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मार्च 23, 2023
Encounter मार्च 23, 2023

माँ मरियम की भक्ति अपने आप में एक लक्ष्य नहीं है … यह एक पवित्र मार्ग है जो हमेशा मसीह की ओर जाता है 

मेरी माँ और नानी माँ मरियम और पवित्र हृदय के प्रति बड़ी श्रद्धा रखती थीं। जब हम बच्चे थे, उन दिनों हम अक्सर माँ मरियम से उन बहुत सी चीज़ों के लिए प्रार्थना करते थे, जिनकी हमें आवश्यकता होती है। जब हम किसी खोई हुई गुड़िया या चोरी हुई बाइक को खोजने की कोशिश कर रहे थे, तब भी हम माता मरियम की ओर मुड़ते थे। मेरे पिता भवन निर्माण क्षेत्र में काम करते थे। जब काम दुर्लभ था, जो अक्सर हुआ करता था, मेरी माँ ने मरियम से प्रार्थना की और अनिवार्य रूप से, थोड़े समय बाद, कोई न कोई ठेकेदार मेरे पिता के लिए काम की पेशकश करने घर आते थे।

क्योंकि हम बच्चों को लगता था रोज़री बड़ी लम्बी प्रार्थना है, हम में से अधिकांश बच्चे जब भी ‘रोज़री’ शब्द सुनते थे, तो भाग कर छिप जाते थे। लेकिन हमारी माँ अंततः हमें ढूंढ लेती और हमें प्रार्थना करने के लिए साथ ले आती थी। दुर्भाग्य से, जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, बचपन के समय की तुलना में माता मरियम हमारे लिए कम महत्वपूर्ण हो गई।

वापस मरियम की बाहों में

सन 2006 में, सेंट पैट्रिक चर्च का एक दल एक आध्यात्मिक मिशन कार्यक्रम देने के लिए हमारी पल्ली में आया। उनके मिशन कार्य में प्रत्येक दिन सुबह में पवित्र मिस्सा और शाम को प्रवचन और गवाही शामिल थी। सप्ताह के अंत में, मैंने पाया कि मेरा हृदय बदलने लगा था। माता मरियम से प्रार्थना करने की बचपन की यादों की एक लहर मुझ पर छा गई, और मुझे याद आया कि माँ मरियम ने हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मैं माँ मरियम के साथ अपने बचपन के रिश्ते को फिर से हासिल करना चाहती थी।

मिशन के अंतिम दिन, हमने एक अति सुंदर पवित्र मिस्सा में भाग लिया। बाद में, पल्ली के बच्चे जलती मोमबत्तियाँ लेकर माता मरियम के इर्द गिर्द इकट्ठे हो गए। हम वयस्क लोग उनके साथ जुड़ गए। जब हम मोमबत्तियाँ जला रहे थे और प्रार्थना कर रहे थे, तो बच्चों ने धन्य माँ के बारे में कई सवाल पूछे: वे जानना चाहते थे, “वह अब कहाँ हैं?” और “हम उससे कैसे बात कर सकते हैं?” उन्होंने आँखें बंद करके और हाथ जोड़कर, भावपूर्ण प्रार्थना की। उस समय मुझे अपने बचपन की भक्ति और धर्मपरायणता को फिर से प्राप्त करने की इच्छा महसूस हुई। मैंने माता मरियम से उसी तरह बात करना शुरू किया जैसे मैं बचपन में किया करती थी। हम वयस्क लोग कभी-कभी उसके सम्मुख निवेदन रखकर उस से प्रार्थना करने में संतुष्ट होते हैं, लेकिन उसके साथ बात करने या संवाद करने में नहीं। हम उससे उस तरह बात नहीं करते जैसे हम अपनी मां से करते हैं। पल्ली में उस आध्यात्मिक मिशन के दौरान, मैंने फिर से सीखा कि कैसे मैं माता मरियम के पास विश्राम पाऊँ और किस तरह मैं अपनी प्रार्थनाओं को मेरे मन के अन्दर से बाहर प्रवाहित करूँ।

एक दिन कार में अपनी छोटी बेटी सारा के साथ यात्रा करते हुए, मैंने कहा कि मुझे माता मरियम से मिलना अच्छा लगेगा। उसने जवाब दिया कि यह “बहुत अच्छा” होगा। फिर उसने कहा, “रुको माँ, हम माता मरियम को बराबर देखते हैं। हम उसे हर दिन देखते हैं, लेकिन कोई भी उसे देखने या उससे बात करने का समय नहीं निकालता है।“ मैं उसकी टिप्पणी से इतना हैरान थी कि मेरी गाड़ी लगभग सड़क से बाहर चली गयी। सारा ने जो कहा वह मुझे तार्किक और विवेकपूर्ण बात लगी। जब मैंने इस बात को मुझे समझाने के लिए कहा, तो उस समय वह अपनी गुड़िया के साथ खेल में लौट चुकी थी। मुझे यकीन था कि उसकी टिप्पणी पवित्र आत्मा से प्रेरित थी। “तूने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपाकर, निरे बच्चों पर प्रकट किया है।” (मत्ती 11:25)।

मरियम के हाथ पकड़े हुए

बेशक, हमारी धन्य माँ के प्रति मेरी भक्ति में रोज़री माला विनती शामिल है। हालाँकि यह एक महत्वपूर्ण और सुंदर प्रार्थना है, कई वर्षों तक मुझे इस प्रार्थना को करने के लिए संघर्ष करना पडा, क्योंकि मैं अभी तक अपने बचपन की शिकायत से दूर नहीं हुई थी कि यह प्रार्थना बड़ी लंबी थी। लेकिन मैंने रोज़री माला के महत्व को तब पहचाना जब मैंने येशु के जीवन पर ध्यान देना शुरू किया। इससे पहले, रोज़री माला एक प्रार्थना थी जिसे पूरा करने के लिए मैं जल्दी जल्दी प्रार्थना बोलती थी। लेकिन जैसा कि मैंने येशु के जीवन पर विचार करना शुरू किया, वैसे वैसे माता मरियम ने मुझे सिखाया कि रोज़री माला हमें उसके दिल में गहराई तक ले जाती है। क्योंकि वह ईश्वर की माँ है और हमारी माँ भी, हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी उंगली पकड़कर हमें ले जाए और हमें येशु मसीह के साथ उस गहरी यात्रा में ले जाए जिसे केवल वही पूरी तरह से समझती है।

जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, हम जिन कठिनाइयों का सामना करते हैं, वे हमें ईश्वर के प्रेम पर संदेह करने या माता मरियम से दूर करने का कारण बन सकती हैं। मेरी भाभी की कैंसर से मृत्यु हो गई जब वह केवल बयालीस वर्ष की थी। वह अपने पीछे अपने पति और तीन बच्चे छोड़ गई। ऐसे समय में “ऐसा क्यों हुआ?” यह सवाल उठाना स्वाभाविक है, लेकिन हमारी परीक्षाओं को मरियम से बेहतर कौन समझ सकता है? क्रूस के नीचे खड़ी होकर उसने अपने बेटे को तड़पते और मरते हुए देखा। हम जिस भी रास्ते पर चलते हैं, दुख के रास्ते में भी, मरियम हमारे लिए एक हमसफ़र हो सकती है।

मसीह के हृदय तक जाने का सबसे छोटा मार्ग

माता मरियम के माध्यम से ही परमेश्वर ने मुझे मेरे दिल की इच्छा तक पहुँचाया। लेकिन इसमें कुछ समय लगा। उसके माध्यम से मुझे यूखरिस्त का महत्व समझ में आया। कभी-कभी माँ मरियम के प्रति लोगों की भक्ति, मसीह के बारे में अधिक ज्ञान की ओर नहीं ले जाती है। लेकिन माँ मरियम की भक्ति उसके पुत्र के बारे में ही है और हमें येशु के साथ गहरे रिश्ता जोड़ने के बारे में है। माँ मरियम के माध्यम से मैंने येशु के सम्मुख अपना पूर्ण समर्पण किया है। यह मरियम के साथ उसके दिव्य पुत्र की ओर एक व्यक्तिगत यात्रा है। मरियम एक मार्गदर्शक हैं जो हमेशा हमें येशु के पवित्र हृदय तक ले जाती हैं।

मेडजुगोरे के छह छोटे बच्चों को माता मरियम दर्शन दे रही हैं यह बात सुनकर सन 2009 में मैं वहां गयी। मेडजुगोरे एक सरल लेकिन सुंदर जगह है जहाँ शांति को मूर्त रूप से अनुभव किया जाता है। मेडजुगोरे में येशु के पवित्र ह्रदय की एक प्रतिमा थी, जिसकी चारों ओर कई तीर्थयात्री प्रार्थना करने के लिए एकत्रित हुए थे। जब उस प्रतिमा के पास जाने की मेरी बारी आई, तो मैं उसके पास गयी, अपनी आँखें बंद कीं, और मूर्ति के कंधे पर हाथ रखकर प्रार्थना की। लेकिन जब मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो मैंने पाया कि मेरा हाथ कंधे पर नहीं बल्कि येशु के हृदय पर टिका हुआ था! मेरी सरल प्रार्थना थी, “येशु, मैं जितना तेरी माँ को जानती हूँ, उतना तुझे नहीं जानती।” मेरा मानना ​​है कि माँ मरियम मुझसे कह रही थी, “ठीक है, अब समय आ गया है। यह समय है कि तुम मेरे बेटे के दिल में जाओ।“ मैं इस बात से अनभिज्ञ थी कि अगले दिन येशु के पवित्र हृदय का पर्व था!

एक नयी सेवकाई की शुरुआत  

अगस्त 2009 में, एक अतिथि पुरोहित ने मुझे अपनी पल्ली में ईश्वरीय करुणा की भक्ति शुरू करने के लिए प्रेरित किया। मैंने रोज़री माला से संबंधित कुछ करने की उम्मीद की थी, लेकिन मैंने देखा कि माँ मरियम मुझे सीधे अपने पुत्र येशु के पास ला रही थी। मैंने पूरे आयरलैंड में ईश्वरीय करुणा पर प्रवचनों और यूखरिस्तीय आराधना के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया। आखिरकार, आयरलैंड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय यूखरिस्टिक कांग्रेस की योजना बनाने में मदद करने के लिए मुझे आमंत्रित किया गया। वह सब कुछ, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी!

यूखरिस्तीय कांग्रेस के अंत में मेरे हृदय में मेरी सेवकाई का बीज बोया गया था। क्योंकि मैंने यूखरिस्तीय कांग्रेस से इतना आनंद और अनुग्रह प्रवाहित होते पाया था, मैंने अपने आप से पूछा, “अनुग्रह की वर्षा के एक सप्ताह के बाद क्या इसे समाप्त होने देना है? यह जारी क्यों नहीं रह सकता?” ईश्वर की कृपा से, अनुग्रह की वह वर्षा समाप्त नहीं हुई। पिछले दस वर्षों से, मैं ‘पवित्र संस्कार के बच्चे’ (चिल्ड्रन ऑफ़ द यूखरिस्ट) का समन्वयन कर रही हूँ, जो आयरलैंड में यूखरिस्तीय आराधना की सेवकाई के तत्वावधान में स्थापित किया गया है। इस सेवकाई का उद्देश्य हमारे बच्चों के विश्वास को बढ़ाना और परम प्रसाद की आराधना के माध्यम से उन्हें प्रभु के करीब लाना है। बच्चों को यूखारिस्तीय आराधना के बारे में अधिक जानकारी देने और बच्चों के अनुकूल तरीके से इसे नियमित रूप से अनुभव करने की आवश्यकता को पहचानते हुए मैं ने इस सेवकाई को शुभारम्भ किया। हमारे स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में इसका संचालन करने के बाद, यह कार्यक्रम शीघ्र ही पूरे आयरलैंड के कई विद्यालयों में फैल गया।

एक किशोरी के रूप में, मैंने नर्सिंग या किसी अन्य पेशे को अपनाने की उम्मीद की थी, लेकिन जब मैंने 22 साल की उम्र में शादी कर ली तो वे सब सपने फीके पड़ गए। बच्चों के बीच यूखरिस्तीय सेवकाई शुरू करने के बाद, एक पुरोहित ने मुझसे कहा, “हो सकता है कि अगर तुम एक नर्स बन गयी होती, तब तुम्हें आत्माओं की सेवा करने का अवसर नहीं मिलता। अब तुम आराधना करने केलिए बच्चों की नर्सिंग कर रही हो, उनकी मदद कर रही हो और उनका सही मार्गदर्शन कर रही हो।”

माँ मरियम ने न केवल मुझे अपने पुत्र येशु के करीब पहुंचाया, बल्कि उसने मुझे बच्चों को भी उनके करीब आने में मदद करने के लिए प्रेरित किया। जब हम माता मरियम को उसकी तरह ‘हाँ’ कहते हैं, अपनी गहराई से, ईमानदारी से ‘हां’ कहते हैं, तो एक यात्रा शुरू होती है। वह हमारे ‘हाँ’ के साथ साथ चलती है, हमें येशु के साथ एक गहरे मिलन में लाती है और हमारे जीवन के लिए येशु की जो भी योजनाएँ हैं उन्हें पूरा करती है।

 

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By: Antoinette Moynihan

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मार्च 23, 2023
Encounter मार्च 23, 2023

मादक पदार्थों की लत के कारण, नव जवान जिम वाह्लबर्ग ने महसूस किया कि दुनिया में वह तिरस्कृत और उपेक्षित है… एक दिन परमेश्वर ने उससे एक विशेष व्यक्ति के माध्यम से बात की उनकी मुक्ति की प्रेरक कहानी पढ़ें

मेरा बचपन कैथलिक परिवार में बीता, मेरा कैथलिक परम्परा अधिक मज़बूत थी, लेकिन कैथलिक विश्वास में मैं कमजोर था। मैंने बपतिस्मा लिया और अपना पहला पवित्र संस्कार भी ग्रहण किया। हमारे मातापिता ने हम बच्चों को गिरजाघर भेजा, लेकिन हमारा पूरा परिवार एक साथ रविवारीय मिस्सा पूजा में नहीं जाता था। मेरे परिवार में हम लोग नौ बच्चे थे, इस लिए जो भी बच्चा गिरजाघर जाने लायक बड़ा हो गया था, वह गिरजाघर चला जाता। मुझे अपनापन न होने का एहसास याद है; मैं गिरजाघर जाता, वहां बांटी जा रही पत्रिका ले लेता, और फिर कुछ और करने के लिए निकल जाता था। कुछ समय बाद मैंने जाना बिल्कुल बंद कर दिया। मेरे अधिकांश भाई बहनों में भी ऐसा ही किया। किसी ने मुझे यह नहीं बताया था कि येशु ने मेरे लिए अपने प्राण अर्पित किये या परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है या कुँवारी मरियम मेरे लिए मध्यस्थ प्रार्थना करेगी। मुझे लगा कि मैं योग्य नहीं था, गिरजाघर में घुटने टेककर प्रार्थना करने वाले लोग मुझसे बेहतर थे और वे किसी तरह मेरा निरीक्षण और आलोचना कर रहे थे। मैं दूसरों के ध्यान और स्वीकृति के लिए भूखा था।

 स्वीकृति की भूख

जब मैं आठ साल का था तब मैंने पड़ोस के लड़कों को बीयर पीते देखा था। मैं किसी न किसी तरह उनके छोटे से समूह में शामिल हो गया और मुझे बीयर पिलाने के लिए मैंने उन्हें मना लिया। उस दिन मैं एकाएक शराबी नहीं बना था, लेकिन मैं ने उस दिन स्वीकृति और आकर्षण का पहला स्वाद बड़े लड़कों से प्राप्त किया। दूसरों द्वारा स्वीकृत किया जाना मुझे अच्छा लगा और जो लोग शराब पी रहे थे, ड्रग्स या धूम्रपान कर रहे थे, मैं ने उनके साथ घूमना जारी रखा, क्योंकि मुझे वहां स्वीकृति मिल रही थी। मैंने अपनी शेष किशोरावस्था उस आकर्षण का पीछा करते हुए बिताया।

बोस्टन पब्लिक स्कूल प्रणाली के अंतर्गत मुझे जबरन किशोर सुधार गृह में डाला गया और इस तरह सरकारी एकीकरण कार्यक्रम का मैं हिस्सा बन गया। हर साल मैं किसी बस में बिठाया जाता था और हर बार इलाके के किसी नए स्कूल में भेजा जाता था। मैं शुरुआत के सात वर्षों की पढ़ाई के दौरान सात अलग-अलग स्कूलों में गया, जिसका मतलब था कि हर साल मैंने “नए छात्र” के रूप में शुरुआत की। मेरे जीवन के कथानक से परमेश्वर पूरी तरह बाहर था। परमेश्वर के साथ मेरा एकमात्र रिश्ता डर का था। मुझे याद है कि मैंने बार-बार यह कहते हुए सुना था कि परमेश्वर मुझे पकड़ने जा रहा है, वह मेरा निरीक्षण कर रहा है, और वह मुझे मेरे सभी बुरे कामों के लिए दंडित करने जा रहा है। 

एक खोया हुआ छोटा बालक

वह दिन मेरी सातवीं कक्षा का अंतिम दिन था; उस शुक्रवार की रात को मैं बाहर जाने के लिए तैयार हो रहा था जब मेरे पिताजी ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “भूलना मत, बेहतर होगा कि अन्धेरा होने के पहले ही तुम घर में आ जाओ, वरना घर आने की जहमत नहीं उठाना।’’ मैं नियमों का पालन करूँ, यह सुनिश्चित करने के लिए उनकी ओर से यह धमकी थी। टूटे बिखरे परिवारों से आने वाले अन्य लड़कों की तरह मैं भी 12 साल का लड़का था और हम लोगों ने पूरा दिन घूमने फिरने में बिताया। उस दिन हम सबों ने बियर पिया, सिगरेट पिया और ड्रग्स लिया। दिन के अंत में जब मैं ने देखा कि रात हो चुकी है और स्ट्रीट लाइटें जल रही हैं, मुझे पता था कि अब मैं घर में प्रवेश नहीं कर पाऊंगा। चूंकि देर हो चुकी थी, इसलिए घर जाना कोई विकल्प नहीं था, इसलिए मैंने वह पूरी गर्मी की अवधि घर से एक या दो मील दूर, सड़क पर, अपने दोस्तों के साथ घूमने में बिताई। हमने हर दिन ड्रग्स लिया और शराब पी। मैं बस एक खोया हुआ छोटा लड़का था। उस गर्मी के दौरान, मैं कई बार गिरफ्तार किया गया और इस तरह मैं सरकार का अतिथि बन गया। घर से निकाले जाने के कुछ ही समय बाद यह सब हो गया। मुझे कभी दुसरे पालक पिता की देखभाल में, कभी समूह वाले घरों में और कभी किशोर सुधार गृहों में रखा गया था। मैं बेघर था और पूरी तरह से खोया हुआ और अकेलापन का शिकार था। खालीपन को भरने वाली एकमात्र चीज शराब और ड्रग्स थी। मैं उनका सेवन करता और फिर या तो बेहोश हो जाता या सो जाता। जब मैं जागता, तो मैं डर से भर जाता, और मुझे और अधिक ड्रग्स और शराब की आवश्यकता होती। 12 से 17 साल की उम्र तक, मैं या तो बेघर था, या किसी और के घर में रह रहा था, या किशोर सुधार गृह में हिरासत में, यानी बच्चों के जेल में था। 

बेड़ियों में जकड़ा और टूटा हुआ

17 साल की उम्र में मुझे किसी को घायल करने के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। अंत में मुझे 3 से 5 साल की सजा पर सरकारी जेल भेज दिया गया। मैंने फिर खुद को उसी पहली वाली आंतरिक लड़ाई से लड़ते हुए पाया, जब मैं छोटा था, दूसरों का  ध्यान और स्वीकृति के लिए संघर्ष कर रहा था, और कोई मोहभ्रम या मरीचिका पैदा करने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपनी सजा के पांच साल पूरे किए। जेल की अवधि के अंत में, उन अधिकारियों ने कहा: “अब तुम घर जा सकते हो?” लेकिन समस्या यह थी कि मेरे पास जाने के लिए कोई घर ही नहीं था। एक बड़े भाई ने बड़ी दया के साथ कहा, “जब तक तुम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते, तब तक तुम मेरे साथ रह सकते हो।” लेकिन ऐसा कभी होनेवाला नहीं था। मेरे भाई मुझे जेल से ले गए ताकि मैं अपनी माँ से भेंट कर सकूं। लेकिन रास्ते में हम अपने पड़ोस की पुरानी मधुशाला में पीने के लिए रुके। अपनी माँ को देखने से पहले शराब पीना मेरे लिए ज़रूरी था। मैं 21 साल से अधिक का हो चुका था और पहली बार कानूनी हिसाब से शराब पीने के अधिकार का उपयोग करते हुए मैं ने खूब पिया। जब मैं अपनी माँ की रसोई में बैठा, तो उसने मुझे नहीं पहचाना; उसे लगा कि मैं कोई अजनबी हूं।

मैं लगभग छह महीने तक जेल से बाहर था, लेकिन किसी घर पर धावा बोलने के जुर्म में मैं फिर से गिरफ्तार हो गया। मैं जिस घर में धावा बोला था, वह बोस्टन के एक पुलिस अधिकारी का घर था। अदालत में, उस पुलिस अधिकारी ने मेरी तरफ से पैरवी की। उन्होंने कहा, “इस बच्चे को देखिए, इसकी हालत देखिए। आप उसे मदद क्यों नहीं दिलाते? मुझे नहीं लगता कि जेल उसके लिए सही जगह है।“ उन्होंने मुझे सहानुभूति दिखाई, क्योंकि वे देख पा रहे थे कि मैं पूरी तरह नशे का आदी था।

अचानक मैं वापस जेल में पहुँच गया और छह साल की सजा काटने लगा। मैंने यह भ्रम पैदा करने का नाटक किया कि मुझमे बदलाव आ रहा है, ताकि पुलिस मुझे पुनर्वास के लिए जल्दी छोड़ दे। लेकिन मुझे पुनर्वास की नहीं, परमेश्वर की जरूरत थी।

आज़ादी की ओर मार्ग

जीवन को बदलने के मेरे इस अभिनय करने के कुछ महीनों के बाद, जेल के आत्मिक सलाहकार फादर जेम्स ने मुझ पर ध्यान दिया और मुझे अपने प्रार्थनालय में एक सुरक्षा कर्मचारी के रूप में नौकरी देने की पेशकश की। मेरा पहला विचार था, “मैं इस आदमी को उल्लू बनाने जा रहा हूँ”। वे सिगरेट पीते थे, कॉफी की चुस्की लेते थे, और उनके पास एक फोन भी था – उनके पास वे सभी चीजें थीं, जिनका उपयोग करने का सौभाग्य कैदियों को नहीं मिलता था। तो, मैंने अपने उन गुप्त उद्देश्यों की पूर्ती के लिए वह नौकरी स्वीकार कर ली।

लेकिन मुझे नहीं पता था कि उनके पास भी एक योजना थी। जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया, जितना मैं उन्हें परेशान करने की योजना बना रहा था, उतना ही मुझे परेशान करना उनकी योजना थी। मैं उन्हें उल्लू बनाना चाह रहा था, तो वे ईश्वर की महिमा के लिए मुझे उल्लू बनाना चाह रहे थे। वे मुझे मिस्सा बलिदान में वापस लाना चाह रहे थे, क्रूस के पाँव तले वापस लाना चाह रहे थे।

प्रार्थनालय में काम करना शुरू करने के तुरंत बाद, मैंने फादर जेम्स से कुछ मदद मांगी। जब उन्होंने मेरे अनुरोध को मान लिया, तो मुझे ऐसा लगा कि उल्लू बनाने का मेरा काम कामयाब हो रहा है। एक दिन, हालांकि, उन्होंने मेरे पास आकर कहा कि वे चाहते हैं कि मैं शनिवार की शाम की मिस्सा पूजा के बाद प्रार्थनालय आकर उसकी सफाई करूं ताकि रविवारीय मिस्सा के लिए प्रार्थनालय तैयार हो जाए। जब मैं ने उनसे कहा कि मैं शाम के मिस्सा के बाद पहुँच जाऊंगा तो उन्होंने बलपूर्वक आग्रह किया कि मैं मिस्सा के पहले पहुंच जाऊं और पूरे मिस्सा बलिदान के दौरान उनके साथ रहूँ। वे पहले से ही मुझे विश्वास की दिशा में आगे ले जाना चाह रहे थे।

एक दिव्य नियुक्ति

मिस्सा पूजा के दौरान, मुझे अजीब और असहज महसूस हुआ। मुझे नहीं पता था कि कब प्रार्थना बोलना है या कब बैठना या खड़ा होना है, इसलिए मैं बस देख रहा था कि बाकी लोग क्या कर रहे हैं। इसके तुरंत बाद, फादर जेम्स ने आधिकारिक तौर पर मुझे उस प्रार्थनालय के सुरक्षा प्रभारी के पद पर नियुक्त किया और मुझे बताया कि जेल में हमारे एक विशेष अतिथि के रूप में “मदर टेरेसा” आ रही हैं। मैंने कहा, “ओह, यह बहुत अच्छी बात है! लेकिन ये मदर टेरेसा कौन हैं?” पीछे मुड़कर देखता हूं, तो शायद मैं उन दिनों यह भी नहीं जानता था कि उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था; मेरा जीवन पूरी तरह से शराब के सेवन के इर्द-गिर्द घूमता था, और अपने व्यसन के बुलबुले के बाहर के लोगों और घटनाओं के बारे में शायद ही मैं कुछ जानता था।

जल्द ही, मदर टेरेसा हमारे जेल में आ गईं। मुझे याद है कि मैं उन्हें दूर से देख रहा था और सोच रहा था, “यह कौन व्यक्ति है कि सभी गणमान्य व्यक्ति, वार्डन और कैदी उनकी चारों ओर घूम रहे हैं, उनके हर शब्द पर ध्यान दे रहे हैं?” पास जाकर देखा तो उनका स्वेटर और जूते हज़ार साल पुराने लग रहे थे। लेकिन मैंने उनकी आँखों में शांति और उनकी जेब में रखे पैसों को भी देखा। लोग उन्हें खूब पैसा दान दे रहे थे। लोगों को पता था कि वे इसे गरीबों को देंगी।

चूंकि मैंने जेल के प्रार्थनालय में काम किया था, इसलिए मुझे मदर टेरेसा के साथ मिस्सा के पूर्व प्रवेश जुलूस का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। कार्डिनल, अन्य गणमान्य लोग और मदर की संस्था की बहनों से घिरा हुआ एक कैदी के रूप में मैं भी खड़ा था। कार्डिनल ने मदर टेरेसा को अपने साथ वेदी पर बैठने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया, और बड़ी श्रद्धा के साथ वेदी के सामने झुकने के बाद फर्श पर घुटने टेक दिए। उनके अगल बगल में जो कोई बैठे थे वे जेल के सबसे खतरनाक अपराधी थे।

परमेश्वर की आँखों से आँखें मिलाते हुए

जैसे ही मैं फर्श पर बैठा, मैंने मदर टेरसा को देखा, और मेरी आँखें उनकी आँखों को ही देखती रहीं और मुझे लगा जैसे मैं ईश्वर को देख रहा हूं। मदर टेरेसा तब वेदी की सीढ़ियों पर चढ़ीं और उन्होंने ऐसे शब्द कहे जो मुझे गहराई तक छू गए, ऐसे शब्द जो मैंने पहले कभी नहीं सुने थे। उन्होंने कहा कि येशु मेरे पापों के लिए मरा, कि ईश्वर की नज़र में मेरे किये हुए अपराधों से बढ़कर मैं मूल्यवान हूँ, कि मैं परमेश्वर की सन्तान हूँ, और मैं परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण हूँ। उस क्षण, उस अपार शांति में, मुझे ऐसा लगा जैसे कमरे में कोई और नहीं है, जैसे वह मुझसे सीधे बात कर रही हो। उनके एक एक शब्द मेरी आत्मा के गहरे हिस्से तक पहुँचा।

मैं अगले दिन प्रार्थनालय में वापस दौड़ते हुए गया और मैं ने फादर से कहा, “मुझे उस येशु के बारे में, परमेश्वर और कैथलिक विश्वास के बारे में और अधिक जानने की ज़रूरत है जिसके बारे में मदर टेरेसा बात कर रही थी।” फादर जेम्स खुश थे! वे मुझे क्रूस के ठीक नीचे ले गए जहाँ वे मुझे तब से चाहते थे जब से उन्होंने मुझसे सुरक्षा कर्मी की नौकरी का प्रस्ताव रखा था। मैं येशु के बारे में और जानने के लिए कुछ भी करने को तैयार था, इसलिए फादर जेम्स ने मुझे दृढीकरण संस्कार के लिए तैयार करना शुरू कर दिया।

हम हर हफ्ते मिलते थे और विश्वास के बारे में जानने के लिए धर्मशिक्षा का अध्ययन करते थे। हालाँकि मुझे दो बार अन्य जेलों में स्थानांतरित किया गया था, मैं उन जेलों में भी पुरोहितों के साथ संपर्क जोड़ा और अपने विश्वास में आगे बढ़ने में सक्षम रहा। 

एक नई शुरुआत

एक साल बाद, मेरे लिए अपने विश्वास के प्रति अपनी औपचारिक प्रतिबद्धता बनाने का समय आ गया था। मेरा दृढीकरण संस्कार मेरे जीवन का एक विचारशील और इरादतन क्षण था। एक वयस्क के रूप में, मुझे पता था कि यह एक बड़ा कदम था जो मुझे येशु मसीह के साथ गहरे रिश्ते की राह पर ले जाएगा।

जब समय आया, तो मैंने अपनी माँ को यह बताने के लिए फोन किया कि मेरा दृढीकरण संस्कार  होने जा रहा है, और मुझे अच्छा लगेगा कि माँ वहाँ रहे। उसने वादा किया था कि वह जेल में मुझसे कभी मिलने नहीं आएगी, इसलिए वह चौकन्ना थी। आखिरकार मैंने उसके साथ जो बुरा व्यवहार किया था, उसके कारण एक माँ के रूप में उनके दिल में बड़ी चोट लगी थी। लेकिन दो दिन बाद जब मैंने दोबारा फोन किया तो वह आने को तैयार हो गईं। दृढीकरण संस्कार का दिवस अद्भुत और यादगार दिन था। यह न केवल मेरे लिए और मसीह के साथ मेरे चलने के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि मेरी मां के साथ मेरे रिश्ते के लिए भी महत्वपूर्ण था।

अगले साल, मेरे लिए पैरोल बोर्ड के सामने खड़े होने का समय आ गया था। उन अधिकारियों ने कहा कि उनके पास मेरी मां का एक पत्र है जो उसने मेरी ओर से लिखा था। मुझे पता था कि मेरी मां मुझे जेल से छुड़ाने के लिए अधिकारियों से कभी झूठ नहीं बोलेगी। उसके पत्र में यह लिखा था, “आपके सम्मुख ईश्वर का आदमी खड़ा है। कोई चिन्ता की बात नहीं, अब आप उसे बाहर जाने दें। वह वापस जेल नहीं आएगा।“ वे शब्द मेरे लिए सब कुछ थे। जब तक मेरी मां का निधन हुआ, उन्हें डिमेंशिया की बीमारी हो गयी थी। कुछ वर्षों से उसने कहानी सुनाने की अपनी क्षमता खो दी थी और उसकी दुनिया छोटी हो गई थी। लेकिन उन पलों में भी जब वह मनोभ्रंश की चपेट में थी, वह मेरे दृढीकरण संस्कार को याद करने में सक्षम थी, क्योंकि वह जानती थी कि वाही मेरे जीवन का  महत्वपूर्ण दिन है जिस दिन मेरा उद्धार हुआ था।

येशु मसीह मेरा उद्धारकर्ता है, और मैं अपने जीवन में उसकी उपस्थिति को महसूस करता हूँ। जबकि इसके लिए काम और प्रयास की आवश्यकता होती है, येशु के साथ मेरा रिश्ता मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। वह हमेशा मुझे प्यार करेगा और मेरा समर्थन करेगा, लेकिन जब तक मैं पूरी तरह से रिश्ते में शामिल नहीं हो जाता, तब तक मुझे वह आराम और प्यार नहीं मिलेगा जिसे वह मेरे साथ साझा करना चाहता है।

ईश्वर आपको अनुग्रह प्रदान करें। अपनी यात्रा को आपके साथ साझा करना मेरे लिए गौरव की बात है। येशु मसीह हमारा मुक्तिदाता है।

 

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By: Jim Wahlberg

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मार्च 09, 2023
Encounter मार्च 09, 2023

मैं काम करने और अपनी कॉलेज की शिक्षा के लिए पैसे कमाने के उद्देश्य से घर लौटने वाली थी, लेकिन ईश्वर ने मेरे जीवन में एक बड़ा आश्चर्य खडा कर दिया

जब मैं कई साल पहले कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी, मैं मेक्सिको की सीमा पर, उन दिनों टेक्सास में एक मिशन यात्रा पर गयी ताकि मैं माँ मरियम युवा केंद्र और लॉर्ड्स रेंच समुदाय के साथ स्वयंसेविका का कार्य कर् सकूं। इस लोकधर्मी सेवा दल की स्थापना एक प्रसिद्ध जेसुइट पादरी, फादर रिक थॉमस ने की थी। इस दल ने मैक्सिको के जुआरेज, और एल पासो की मलिन बस्तियों के गरीबों तक अपनी पहुंच बनाई थी। मैंने ओहियो के स्टुबेनविले में फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय में अपनी पढाई का पहला वर्ष पूरा किया था, और मिशन के इस तीन सप्ताह के अनुभव के बाद, मुझे गर्मियों में काम करने और पैसे बचाने के लिए घर लौटना था, फिर अपनी कॉलेज की शिक्षा जारी रखने के लिए ओहियो वापस जाना था। कम से कम, वह मेरी योजना थी। लेकिन ईश्वर के पास मेरे लिए एक बड़ा आश्चर्य था।

एक क्रांतिकारी प्रस्थान

लॉर्ड्स रैंच में अपने पहले सप्ताह के दौरान, मुझे असहजता का आभास होने लगा कि प्रभु मुझे इसी मिशन कार्य में ही ठहरने के लिए बुला रहा है। मैं भयभीत थी! मैं कभी भी रेगिस्तान में नहीं गयी थी और न ही मैंने शुष्क, उमस भरे गर्म मौसम का अनुभव किया था। मेरा जन्म और पालन-पोषण प्रशांत महासागर के बीच में स्थित हवाई द्वीप के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हुआ था, जो नारियल के पेड़ों, फूलों की बहुतायत और वर्षा वनों से घिरा हुआ है जो अदन की वाटिका जैसा था। दूसरी ओर, रेंच मेस्काई झाड़ियों, चुबना घास और एक सूखा, झुलसा, अर्ध-शुष्क परिदृश्य से घिरा हुआ है।

“ईश्वर, मैं यह काम नहीं कर पाऊंगी, तेरे दिमाग में गलत व्यक्ति है”, मैं अपनी प्रार्थना में रोयी। “मैं यहां कभी नहीं रह सकती, कठिन शारीरिक श्रम, बिना एयर कंडीशनिंग, और बहुत कम आराम के इस जीवन को जीना मेरे लिए असंभव है। किसी और को चुनें, मुझे नहीं!” लेकिन यह प्रबल भावना मुझमें बढ़ती रही कि ईश्वर मुझे मेरे सावधानीपूर्वक नियोजित जीवन से भिन्न एक क्रांतिकारी प्रस्थान के लिए बुला रहा है।

एक दिन लॉर्ड्स रेंच की प्रार्थनालय में, मुझे रूत की किताब से यह पढ़ने को मिला: “मैंने सुना है कि तुमने क्या किया है … तुम अपने माता-पिता और अपनी जन्मभूमि को छोड़ कर, ऐसे लोगों के यहाँ चली आयी हो, जिन्हें तुम पहले नहीं जानती थी। तुमने जो किया, प्रभु तुम्हें उसका प्रतिफल दें! प्रभु इस्राएल के ईश्वर, जिसकी छत्रछाया में तुम आ गयी हो, तुम्हें पूरा पूरा प्रतिफल दे।” रूत 2:11-12

मैंने बाइबिल को बंद कर दिया। यह मुझे कहाँ ले जा रहा है यही सोचकर मुझे बड़ी मुझे चिंता होने लगी! 

गिदआन की तरह ऊन का खाल फेंका

प्रभु के साथ दो सप्ताह मल्लयुद्ध करने के बाद, मैंने प्रार्थना करना बंद कर दिया। प्रभु जो कह रहा था वह मुझे पसंद नहीं आया। मुझे यकीन था कि उसे गलत लड़की मिल गई है। मैं केवल 18 साल की थी! बहुत कम उम्र की, बहुत ही अनुभवहीन, बहुत अधिक डरपोक, और जिसके अन्दर पर्याप्त मजबूती या सख्ती भी नहीं। मेरे बहाने मुझे अच्छे लगे।

इसलिए जिस तरह न्यायकर्ताओं के ग्रन्थ में (6:36….) गिदआन ने किया था, उसी तरह मैंने भी एक ऊनी खाल नीचे फेंक दी। “ईश्वर, अगर तू वास्तव में इस बारे में गंभीर हैं, तो सिस्टर के माध्यम से मुझसे बात कर।” सिस्टर मेरी वर्जीनिया क्लार्क, डॉटर्स ऑफ़ चैरिटी धर्म समाज की बहन थीं, जो फादर रिक थॉमस के साथ रेंच में धर्मसेवा का सह-नेतृत्व कर रही थी। उन्हें भविष्यवाणी का एक प्रामाणिक वरदान प्राप्त था और वह प्रार्थना सभाओं में पवित्र आत्मा से प्रेरित वचनों की घोषणा करती थी। उस सप्ताह प्रार्थना सभा में, उन्होंने खड़े होकर कहा, “मेरे पास स्टुबेनविल की युवतियों के लिए एक भविष्यवाणी है।” मेरा ध्यान उस पर गया। मुझे कुछ भी याद नहीं है जो उन्होंने कहा था, सिवाए इन शब्दों के, “पुराने नियम की स्त्रियों के नमूने का अनुसरण करो।” वाह! मुझे प्रार्थना के दौरान रूत ग्रन्थ के पाठ में प्राप्त हुए वचन के बारे में तुरंत विचार आया।

“ठीक है, प्रभु। यह बहुत ज़्यादा वास्तविक बन रहा है।” इसलिए एक और ऊनी खाल मैंने निकाल लिया: “यदि तू वास्तव में गंभीर हैं, तो ऐसा कर कि सिस्टर मेरी वर्जीनिया मुझसे सीधे कुछ कहें।” वहाँ, मैंने सोचा कि बस यही सब कुछ समाप्त हो जाना चाहिए।

सिस्टर मेरी लॉर्ड्स रांच से आने वाले सभी आगंतुकों के साथ व्यक्तिगत रूप से बात करती थी, इसलिए यह असामान्य नहीं था कि उन्होंने उस सप्ताह के अंत में उनसे मुलाकात करने के लिए मुझसे कहा। हमारे बीच अच्छी बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने मुझसे मेरे परिवार, मेरी पृष्ठभूमि, मुझे रैंच तक जाने का कारण आदि के बारे में पूछा। उन्होंने हमारी बातचीत के अंत में एक प्रार्थना की, और मैं जाने के लिए उठी। जब मेरे मन में बस यही सोच थी “वाह, मैं गोली से बच गयी,” तब अचानक उन्होंने पूछा, “क्या तुमने कभी यहाँ रहने के बारे में सोचा है?”

मेरा दिल बैठ गया। मैं जवाब नहीं दे सकी, बस हां में सिर हिला दिया। उन्होंने मुझसे सिर्फ इतना कहा, “मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करूंगी।” और मैं उदास होकर दरवाजे से बाहर चली गयी।

मैं कुछ ताजी हवा पाने के लिए बाहर चली गयी। मैं लॉर्ड्स रांच में निर्मित छोटी, और कृत्रिम झील की ओर चल पड़ी। मैं समुद्र से घिरे एक द्वीप पर पली बढ़ी थी, इसलिए पानी के पास होना मेरे लिए हमेशा सुकून देने वाला अनुभव था जिस से मैं परिचित थी। वह छोटा तालाब जिसमें मांगुर की मछलियाँ पाली जा रही थीं वह उस रेगिस्तान में एक मरुद्वीप जैसा था जहाँ मैं बैठ सकती थी और अपनी परेशान आत्मा को शांत कर सकती थी।

मैं रोई, मैंने याचना की, मैंने प्रभु से बहस की, उसे समझाने की कोशिश की कि वास्तव में कोई न कोई गड़बड़ी थी। “प्रभु, मुझे पक्का मालूम है कि तुझे गलत व्यक्ति मिल गयी है। मेरे पास ऐसा  कठिन जीवन जीने की ताकत नहीं है।

सिर्फ मौन। आकाश मानो ठहर गया हो। कोई हलचल या चहल पहल नहीं।

जब पपड़ी गिर गयी

वहाँ शांत पानी के पास, ऊपर की ओर तैरते हुए सफेद बादलों की छाया में मैं अकेली बैठकर शांत हो गयी। मैंने अपने जीवन पर विचार करना शुरू किया। जब मैं छोटी बच्ची थी तब से मैंने हमेशा अपने आप को परमेश्वर के करीब महसूस किया था। वह मेरे सबसे करीबी दोस्त, मेरे विश्वासपात्र, मेरी चट्टान था। मुझे पता था कि वह मुझसे प्यार करता है। मुझे पता था कि उसके दिल में मेरे लिए कल्याण है, मेरी भलाई है, सबसे अच्छा हित है और वह मुझे किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएगा। मैं यह भी जानती थी कि उसने मुझसे जो कुछ कहा, चाहे वह कितना भी अप्रिय क्यों न हो, मैं वह सब करना चाहती थी।

इसलिए मैंने अनिच्छा से हार मान ली। “ठीक है, ईश्वर। तू जीता। मैं यहीं रहूंगी।”

उस वक्त मैंने अपने दिल में आवाज़ सुनी, “मुझे तुम्हारा इस्तीफा नहीं चाहिए। मुझे एक हंसमुख, हर्षित आनंदपूर्ण ‘हाँ’ चाहिए।

“क्या! अब प्रभु तू इसे फिर और आगे खींच रहा है! मैंने अभी हाँ कह दिया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है क्या?”

अधिक सन्नाटा। अधिक आंतरिक संघर्ष।

फिर मैंने यहां रहने की इच्छा के लिए प्रार्थना की – जिसे मैं इतने समय तक मांगने से बचती रही। “ईश्वर, अगर यह वास्तव में मेरे लिए तेरी योजना है, तो कृपया मेरे अन्दर इसकी इच्छा पैदा कर दे।” तुरंत, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पैरों से जड़ें बनकर बढ़ रही हैं, मुझे यहां मजबूती से खड़ा कर रही है, और मुझे पता था कि मेरा असली घर यही है।

यही मेरे लिए असली घर था। यह वह जगह थी जहां मुझे होना चाहिए था। मेरी मानवीय इंद्रियों के लिए अवांछित, अनचाही, अनाकर्षक जगह। अपने जीवन की मेरे द्वारा लिखित पटकथा में बिल्कुल नहीं, बल्कि मेरे लिए परमेश्वर की पसंद यही है।

जैसे ही मैं वहाँ बैठी रहे, ऐसा लगा जैसे मेरी आँखों से पपड़ी गिर गई हो। मुझे रेगिस्तान में सुंदरता दिखाई देना  शुरू हुआ – पहाड़ जो लॉर्ड्स रांच का चौखट बनते हैं, रेगिस्तान के पौधे, जंगली बत्तख जो उस शाम मेरे साथ इस छोटे तालाब में मेरा साथ दे रहे थे। हर एक चीज़ इतनी अलग लग रहे थी, इतनी आकर्षक लग रही थी।मैं यह जानकर उठ गयी कि मेरे अंदर एक नाटकीय बदलाव आया है। मैं एक अलग व्यक्ति थी — एक नए दृष्टिकोण, एक नए उद्देश्य, एक नए मिशन के साथ, एक नया व्यक्तित्व। मेरा जीवन यही होना चाहिए था। इसे अपनाने और इसे पूर्ण रूप से जीने का समय आ गया है।

वह 40 साल पहले था। मेरा जीवन वैसा बिलकुलनहीं रहा जैसा मैंने किशोरावस्था में जो कल्पना की थी। मेरे लिए परमेश्वर की योजना मेरे विचारों से बिलकुल भिन्न दिशा में नाटकीय रूप से मुड़ गई। लेकिन मैं बहुत खुश और आभारी हूं कि मैंने उसके मार्ग का अनुसरण किया और अपने पथ का अनुसरण नहीं किया। मेरे आराम क्षेत्र से बाहर, मैं खींचकर निकाल ली गयी हूँ, और मैंने अपनी सोच में अपनी क्षमता के बारे में सोचती थी मैं उससे भी बाहर निकाल ली गयी हूँ; और मैं जानती हूं कि चुनौतियां और सबक अभी खत्म नहीं हुई हैं। लेकिन जिन लोगों से मैं मिली हूं, जो गहरी दोस्ती मैंने बनाई है, जो अनुभव मेरे पास हैं, जो कौशल मैंने सीखा है, उन सबने मिलकर जितना मैं सोचती थी उससे कहीं अधिक समृद्ध किया है। और भले ही मैंने शुरुआत में परमेश्वर और मेरे जीवन के लिए उसकी पागलपन भरी योजना का विरोध किया, लेकिन अब मैं किसी और तरीके से जीने की कल्पना नहीं कर सकती।

यह कितना पूर्ण, जीवंत, चुनौतीपूर्ण और आनंद से भरा जीवन रहा है! धन्यवाद येशु।

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By: Ellen Hogarty

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मार्च 09, 2023
Encounter मार्च 09, 2023

खुद को त्यागने और ईश्वर को ह्रदय में स्वीकारने का यह उपयुक्त समय है

मैं 76 साल का हूँ तथा बचपन से नामधारी कैथलिक था। मैं एक अंतर-कलीसियाई परिवार यानि एक कैथलिक माँ और एक एंग्लिकन पिता की देखरेख में पला-बढ़ा हूँ। मैं एक यूरोपियन चार्टर्ड इंजीनियर हूँ जिसने येशु को अपने जीवन में काफी विलम्ब से स्वीकार किया।

मेरा जन्म उस समय हुआ था जब कैथलिक कलीसिया भिन्न-संप्रदाय के विवाहित जोड़ों के बच्चों को बपतिस्मा देने और “विश्वास” में लाने की मांग कर रही थी। मैंने कैथलिक स्कूलों में पढ़ा, पवित्र संस्कारों के बारे में सीखा, और विधिवत रूप से अपना पहला पापस्वीकार, पहला परमप्रसाद और ढृढीकरण संस्कार ग्रहण किया। जब तक मैं स्कूल में था, मैं वेदी सेवक भी था और एक कर्तव्यनिष्ठ कैथलिक बना रहा। मैने एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में नौसिखिया के रूप में काम करना शुरू किया। इसके बाद मैं नई नौकरी के लिए एक नए शहर में चला गया। वहाँ जाने के बाद, मुझे ईश्वर और धर्म के बारे में संदेह होने लगा। हालाँकि मैं नियमित रूप से मिस्सा में भाग लेता था, मुझे याद है कि मैंने पाप स्वीकार के दौरान कहा था कि मैं शायद अपना विश्वास खो रहा हूँ। फादर ने मुझे इसके बारे में प्रार्थना करने के लिए सलाह दी। मेरे ख्याल से उस समय मैंने वह सुझाव बहुत हलके में लिया था।

जीवन का वह मोड़

आखिरकार, मुझे एक एंग्लिकन महिला पॉलीन से प्यार हो गया और मैंने उससे शादी कर ली। जीवन यूँ ही चलता रहा। हमारे दो लड़के हुए जिनको हमने कैथलिक कलीसिया में बपतिस्मा दिलाया, और मैं वही पुराना “कर्तव्यपरायण” कैथलिक बना रहा जो मैं हमेशा से था। 1989 में मैंने हमारी पल्ली में होने वाले नवीनीकरण कार्यक्रम में भाग लिया। यह मेरी ईश्वर्य-तीर्थयात्रा में एक सुनहरा अवसर था। इस कार्यक्रम के माध्यम से मैंने खुद से प्यार करने का महत्व सीखा, क्योंकि अगर आप खुद से प्यार नहीं कर सकते तो आप किसी और से कैसे प्यार कर सकेंगे?

तीन साल बाद, हमारी पल्ली के लोगों ने ‘अल्फा कार्यक्रम’ की तरह, ‘लाइफ इन द स्पिरिट सेमिनार’ का आयोजन किया। मैं भी शामिल हुआ क्योंकि मैं अपने आध्यात्मिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ करना चाहता था। मेरे पास इस बात का कोई सुराग नहीं था कि मैं अपने आप को कहाँ लेकर जा रहा हूँ। कार्यक्रम की आखिरी शाम को मेरे ऊपर पवित्र आत्मा की बपतिस्मा के लिए प्रार्थना की गयी, हालाँकि उस समय मुझे इसका मतलब समझ में नहीं आया था। बाद में, जलपान के लिए जब मैं कतार में खड़ा हुआ था तब मुझे पता चला कि मेरे साथ कुछ महत्वपूर्ण वाकया हुआ है।

अगले दिन, मैं आध्यात्मिक रूप से 30,000 फीट की ऊँचाई पर था और मुझे ज़मीन पर वापस आने में कई दिन लगे! मैं ईसाई बन गया था! मैंने अपनी पत्नी द्वारा दी गयी बाइबल को धूल झाडकर साफ़ किया, और मैं ईश-वचन को पढ़ने लगा। ईश्वर के बारे में मेरे लंबे समय से चले आ रहे संदेह दर बदर दूर होने लगे। जब मैं पल्ली प्रार्थना समूह में शामिल हुआ तो मैंने विचित्र लोगों को देखा जिन्हें ‘करिश्माई’ कहा जाता था। वे अन्य भाषाओं में प्रार्थना और गीत गाते थे जिसके कारण मुझे उन्हें समझने में काफी मशक्कत करना पडा। मैंने ईश्वर से कहा कि मैं अन्य भाषाओं के इस वरदान के बारे में समझ नहीं पा रहा हूँ। आश्चर्यजनक रूप से मुझे ईश्वर के चालाक मजाकिया करतूत के बारे में तब पता चला जब कुछ ही समय बाद यह वरदान मुझे भी दिया गया।

साफ़ हो रहे धुंध

प्रभु ने यह भी बताया कि यह वरदान मुझे क्यों दिया गया है। मेरा विश्लेषणात्मक दिमाग अक्सर प्रार्थना के रास्ते में बाधा बन जाता है, इसलिए प्रभु ने मुझे अन्य भाषाओं का वरदान दिया ताकि मैं अपने दिमाग को केन्द्रित करके दिल से प्रार्थना कर सकूं। मेरा विश्वास मजबूत और गहरा हो गया है। मिस्सा के दौरान मैं पाठ करता हूँ और ईश-वचन की घोषणा करने में सम्मानित महसूस करता हूँ। मुझे अभी भी प्रार्थना करना मुश्किल लगता है, इसलिए प्रभु ने फिर से अपना मजाकिया करतूत दिखाया जब डनफर्मलाइन के गिरजाघरों  से  मसीहियों के एक मध्यस्थ प्रार्थना समूह के नेतृत्व की जिम्मेदारी मुझे दी गयी और इस समूह को “बेघर लोगों की सहायता करने” के लिए प्रेरणा मिली है।

इन अनुभवों के बाद मैंने अपने बचपन से चली आ रही बुरी यादों का लगभग पूर्ण रूप से ठीक होने का अनुभव किया। मैं ‘लगभग’ इसलिए कहता हूँ क्योंकि मुझे एहसास है कि संत पौलुस की तरह, घमंड के पाप से बचने के लिए मेरे शरीर में भी एक कांटा छोड़ दिया गया है।

हम सभी अपने बपतिस्मा में पवित्र आत्मा के वरदानों को ग्रहण करते हैं और उन्हें अपने ढृढीकरण संस्कार के द्वारा पूर्ण रूप से जीवन में लागू होते देखते हैं। लेकिन मेरे जीवन में यह लागू होने में करीब 30 साल लगे, मुझे अपने नवीकरण होने तक लम्बा समय लगा। तब से, प्रभु ने मेरे विवेक, भविष्यवाणी और चंगाई के वरदानों का उपयोग किया है। पहले मुझे लगता था कि येशु पर ध्यान केंद्रित करना पिता के प्रति विश्वासघाती होना है। इस तरह की सभी गलत धारणाओं को भी ईश्वर ने मेरे दिमाग से निकाल लिया है। मैंने हमेशा पिता और पवित्र आत्मा को करीबी से महसूस किया था, लेकिन अब येशु मुझे अपने भाई और दोस्त के रूप में प्रकट कर रहे हैं।

आध्यात्मिक रूप से, मैं वह तीस वर्ष पहले वाला व्यक्ति नहीं रहा। हाँ, मैं थक जाता हूँ, चिंतित और निराश हो जाता हूँ क्योंकि मैं साधारण मनुष्य हूँ। चाहे बाहरी रूप से कुछ भी हो रहा हो, अब मैं एक गहरी आंतरिक शांति महसूस करता हूँ। यह ईश्वर ही था जिसने मेरे जीवन में इन परिवर्तनों को लाने के लिए पहल की। मुझे उनकी कृपा के साथ केवल हाथ बढ़ाना था।

हे पिता, मैं अपने मुक्तिदाता, तेरे पुत्र येशु मसीह और तेरे पवित्र आत्मा के लिए तुझे धन्यवाद देता हूँ जिनके बिना मैं कुछ नहीं कर सकता। मेरे जीवन के सफ़र में मुझे हमेशा याद दिला कि तू हर पल मेरे साथ हमराही बनकर चल रहा है। आमेन।

 

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By: David Hambley

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