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नवम्बर 24, 2022 311 0 Dr. Anjali Joy, India
Encounter

परमेश्वर की ओर मुड़ें

रास्ता बदलने का निर्णय लें, आपका जीवन बदल जाएगा

जैसे ही हमारी पारिवारिक प्रार्थना समाप्त हुई, हम लोगों ने यिरमियाह नबी के ग्रन्थ के तीसरे अध्याय से पाठ पढ़ने के लिए पवित्र ग्रन्थ बाइबिल उठायी। जैसे जैसे मैं पढ़ रही थी, मेरे अवसाद के दिनों की याद करते हुए मेरा दिमाग पीछे की ओर उड़ान भरने लगा। वे उस दौर के दिन थे, जब दुष्टात्मा की आवाज मेरे सिर में बिल्कुल स्पष्ट रूप से गूँजती थी; दुष्टात्मा मुझे यह संकेत दे रहा था कि मैं प्यार की लायक नहीं हूँ, यहाँ तक कि ईश्वर भी मुझे अस्वीकार कर देगा। अफ़सोस की बात यह है कि मैं इसे ही सच मान रही थी। अपने दुखों और आंसुओं के बीच मैं गिरजाघर जाती थी, इसलिए नहीं कि मैं प्रभु के प्रेम को अनुभव करती थी, बल्कि इसलिए कि मेरे माता-पिता नहीं चाहते थे कि इतवार के दिन मैं घर में रहूँ। जब मैं आधे-अधूरे मन से या अनिच्छा से गिरजाघर और उसके परिसर में घूमती रही, तो मुझे इस बात का एहसास नहीं था कि पूरे दिल से वापस आने के लिए कोई मुझे लगातार कह रहा था। पश्चाताप करने के लिए ईश्वर मुझे निरंतर बुलावा देता रहा।

ईश्वर अपनी वाणी सुनाता है

वस्तविकता यही है कि परमेश्वर हमें सही निर्णय लेने के लिए ढेर सारे मौके देता है। उसने मुझसे पुरोहितों, लोकधर्मियों, सपनों और उद्धरणों के माध्यम से बात की। बार-बार, मुझे एक ही संदेश मिला — परमेश्वर वास्तव में मुझसे प्रेम करता है। वह नहीं चाहता था कि मैं शैतान के झूठ की शिकार हो जाऊं। वह चाहता है कि मुझे पता चले कि मैं उसकी बेटी हूं, चाहे कुछ भी हो और वह मुझे अपने पास वापस आने का निमंत्रण देता रहा। उन कठिन दिनों में से एक दिन, मैंने अपनी बाइबल उठाई और अनायास ही यिरमियाह, अध्याय 3 खुल गया। इन शब्दों पर पहुँचते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए:

मैं सोचता था, मैं कितना चाहता हूँ कि तुम लोगों के साथ अपने पुत्रों-जैसा व्यवहार करूँ, और तुम को एक ऐसा सुखद देश प्रदान करूँ, जो किसी भी अन्य देश से सुन्दर है। मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे और तुम फिर मेरा परित्याग नहीं करोगे। (यिरमियाह 3:19)

मैंने इसे बार-बार पढ़ा। आँसू मेरे गालों पर लुढ़क गए और अनियंत्रित होकर मेरी बाइबल के खुले पन्नों पर मोटी बूंदों बनकर   गिर गए।

सत्य का एहसास

“मेरे साथ यह क्या हो रहा है?” मैं सोचने लगी। “इन शब्दों ने मुझे इतनी गहराई से क्यों स्पर्श किया?” यह ऐसा था, मानो मेरा हृदय ईश्वर के प्रेम की जलती हुई तीर से छेदा जा रहा था, मेरे चारों ओर बने कठोर आवरण को तोड़कर, वह बाण मुझे मेरी ठंडी उदासीनता से जगा रहा था।

ईश्वर ने मुझे बहुत कुछ दिया है, लेकिन मैंने वापस उसे क्या दिया था?

मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे और तुम फिर मेरा परित्याग नहीं करोगे।

इन शब्दों में दुख झलकता है। “मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे।“

एक प्यार करने वाला पिता, इस बात से हैरान था कि उसकी बेटी उससे दूर हो गई है और उससे बात करने से इंकार कर रही है, वह उसे ‘मेरे पिता कहती हुई सुनने के लिए तरस रहा है।

मेरे ईश्वर, मेरे ईश्वर, मैंने तुम्हें क्यों त्याग दिया? वह मेरा पिताजी है। वह हमेशा मेरा पिता रहा है और उसने मुझे प्यार करना और मुझे संजोना कभी नहीं छोड़ा, तब भी, जब मैंने उसे ‘मेरे पिता  कहने से इनकार कर दिया।

“और मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे और तुम फिर मेरा परित्याग नहीं करोगे।”

मैं मुकर गयी थी। मैंने उससे अपनी आँखें हटा ली थीं और उसका पीछा करना छोड़ दिया था। मेरे हाथ को पकडे हुए अपने पिता के उस हाथ को मैंने छोड़ दिया था, उस मार्ग से मैं भटक गयी थी, जिस पर वह मुझे मेरी परेशानियों के माध्यम से सुरक्षित रूप से ले जा सकता था। उसने मुझ पर भरोसा किया, लेकिन मैंने उसे निराश किया। स्वर्ग में मेरे प्यारे पिता का दिल टूट गया था क्योंकि, मैं ने, उसकी प्यारी बेटी ने, उसे छोड़ दिया था।

बिन माप-तौल का प्रेम

मैं अनियंत्रित होकर रोई, इस अहसास से अभिभूत हो गयी, कि हमेशा से मेरा पिता मेरे लिए था, उसे बुलाने केलिए वह धैर्यपूर्वक मेरी प्रतीक्षा कर रहा था। मैं उसकी उपस्थिति को नज़रअंदाज़ करने के लिए अपनी आँखें मूंद करके बहुत अंधी हो गयी थी। अब, मैंने अंत में उसे ढूंढ़ने के लिए अपनी आँखें खोल दीं, और वह खुले हाथों से मुझसे मिलने और मेरा आलिंगन करने की प्रतीक्षा कर रहा था। मैंने अंत में महसूस किया कि मैं उसके आलिंगन में बंधी हुई हूँ और मैंने अपने कंधों से एक भारी बोझ उतारे जाने का अनुभव किया।

हम येशु से इतने परिचित हैं कि हम अक्सर पिता परमेश्वर पर चिंतन नहीं करते हैं। अपनी आँखें बंद कीजिये और उसकी तस्वीर को अपनी भावना में लाइए, किसी दाढ़ी वाले बूढ़े आदमी, या बहुत दूर किसी राजमहल में बैठे राजा के रूप में नहीं, बल्कि प्यार करने वाले पिता के रूप में देखिये जो अपने सभी उडाऊ बच्चों के वापस घर आने की प्रतीक्षा कर रहा है ।

यह वह पिता है जो अपने गोद लिए हुए बच्चों से इतना प्यार करता है कि उसने अपने इकलौते पुत्र को हमारे पास भेजा कि वह हमें अपने पापों से छुटकारा दे। वह अपने पुत्र के साथ एक है। हर हथौड़े का प्रहार, कोड़े की प्रत्येक मार, हर दर्दभरी सांस जिन्हें येशु ने क्रूस पर झेली थी, उसने वे सब अपने पिता के साथ साझा की थी। अनादि काल से पिता जानता था कि येशु हमारे लिए स्वेच्छा से कौन-सी पीड़ा सहेगा।

“पैशन ऑफ द क्राइस्ट” फिल्म में, येशु की मृत्यु के ठीक बाद, आकाश से एक शक्तिशाली छींटे के रूप में एक बूंद गिरती है। स्वर्ग में मेरे पिता के खामोश आँसुओं को और उस पूरे कठिन दौर को, जिसे उसने अपने पुत्र के साथ चुपचाप सहा था, इस दृश्य ने मेरे दिल में इस सच्चाई को चित्रित किया। उसने क्यों यह सब सहा? मेरे लिए, आपके लिए, अंतिम पंक्ति के हर पापी के लिए। पिता हम में से हर एक की प्रतीक्षा कर रहा है कि हम उसकी ओर मुड़ें ताकि वह हमें अपने गर्मजोशी भरे आलिंगन में वापस स्वीकार कर सकें जहाँ हमारा हमेशा स्वागत रहेगा। वह हमारे चेहरे से हर आंसू पोंछने के लिए, पाप के कीचड़ से हमें धोने के लिए और हमें अपने दिव्य प्रेम के लबादे में लपेटने के लिए इंतजार कर रहा है।

प्यारे पिता, आखिरकार मुझे यह महसूस करने में मदद करने के लिए तुझे धन्यवाद कि तू मुझे बिना शर्त प्यार करता है। संदेह और अविश्वास के सभी क्षणों के लिए, मैं तुझसे  क्षमा चाहती हूँ। हम में से हर एक की आंखें खोल दे प्रभु, कि हमारे प्रति तेरे प्रेम को हम जान सकें। तेरे सबसे प्रिय पुत्र हमारे प्रभु येशु मसीह के द्वारा। आमेन।

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Dr. Anjali Joy

Dr. Anjali Joy is always on the lookout for ways to glorify Christ, and writing is how she does it best. Currently pursuing a postgraduate medical degree, she resides with her family in India.

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