Home/Engage/Article

अक्टूबर 27, 2021 539 0 Ellen Hogarty, USA
Engage

छंटाई ही बहार लाती है

पिछले एक साल में मेरी ज़िंदगी बहुत छोटी और सादी हो गई, क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से पूरे विश्व में नाकाबंदी, लॉकडाउन और तरह तरह की बंदिशें लागू हो गई थीं। काफी महीनों तक इन परिस्थितियों से जूझने और इनकी आदि होने के बाद, मेरे जीवन में फिर से एक बड़ा बदलाव आया, जब मेरी बूढ़ी मां मेरे साथ रहने आईं और मुझे उनकी देखरेख की सारी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी। इस नए बदलाव की वजह से मेरी ज़िंदगी और भी बंध गई। मेरी पहले ही छोटी हो चुकी दुनिया, अब और सिकुड़ गई थी, और मेरे लिए यह सब संभालना आसान नहीं था।

लेकिन इस घुटन में भी, मुझे अपनी बूढ़ी मां की सेवा कर के एक अद्भुत आनंद और शांति का अनुभव हो रहा था। क्योंकि हम दोनो के लिए यह जीवन का एक नया भाग था, जिसे मैंने खुली बाहों से स्वीकारा और गले लगाया था।

हम जीवन में कई मौसमों से गुज़रते हैं, जिनकी अपनी चुनौतियां, अपने क्रूस, अपनी खुशियां और अपनी ताल होती है। कभी कभी हम किसी एक मौसम की मार झेलते हैं क्योंकि हम से जो कहा जाता है, हम उसके अनुरूप कार्य नही करना चाहते हैं। हमें गुस्सा आ जाता है और हम नाराज़ हो जाते हैं। लेकिन अगर हम अपने मन में विश्वास रखें कि ईश्वर हमारे साथ हैं और वे हमारे आसपास की परिस्थितियों के द्वारा हमारा मार्गदर्शन करते हैं, हमें परिवर्तित करते हैं, और हमसे प्यार करते हैं, तब हमें हमारे जीवन का मौसम सुंदर, अर्थपूर्ण और शांतिमय लगने लगता है।

मैं मानती हूं कि यह सब आसान नही है। अभी हाल ही में, मेरी मां की हालत दो हफ्तों तक खराब रही। दो हफ्तों तक मां की देखभाल और डॉक्टरों के चक्कर काटते काटते मैं बुरी तरह थक गई और निराश हो गई। पर फिर एक दिन मैं आधे मन से अपनी दोस्त से बात कर रही थी जहां उसने मुझे गुलाब के पौधों के बारे में बताते हुए कहा, “गुलाब के पौधों की खूब छंटाई किया करो, क्योंकि तुम जितनी बार टहनी को काटोगी, पौधे में उतने ही ज़्यादा फूल खिलेंगे।”

दोस्त की यह बात मेरे मन में गूंजने लगी। मुझे याद आया कि बाइबिल में येशु छंटाई के बारे में कहते है, “मैं सच्ची दाखलता हूं और मेरा पिता बागवान है। वह उस डाली को, जो मुझ में नहीं फलती, काट देता है और उस डाली को, जो फलती है, छांटता है, जिससे वह और भी अधिक फल उत्पन्न करे” (योहन 15:1-2)। मेरी इच्छा ईश्वर के लिए एक फलदार जीवन जीने की है। लेकिन इसका मतलब यह है कि मेरे अंदर  की कुछ बातों को छंटाई से गुज़रना पड़ेगा – जैसे लालच, अधीरता, परोपकार की कमी, आदि।

ईश्वर हमारी छंटाई किस प्रकार करेगा? अक्सर ईश्वर हमारे जीवन की परिस्थितियों के माध्यम से हमारी कटाई छंटाई करता है। जो बातें जो हमें चिढ़ाती हैं, परेशान करती हैं, या हमें सुकून से जीने नहीं देतीं, वे बातें अक्सर वही तेज़ धार होती हैं जिससे ईश्वर हमारी कटाई छंटाई करता है। और फिर यही छंटाई आगे चल कर हमारी प्रगति की नींव बनती है।

समय के गुजरने के साथ मैंने सीखा है कि जब मैं वर्तमान मौसम और उसकी मांगों से नाराज़ रहने लगती हूं तब मेरा दिल दुख और कड़वाहट से भर जाता है। लेकिन जब मैं वर्तमान के बहाव के साथ बहने लगती हूं और आज में जीने लगती हूं, यह जानते हुए कि ईश्वर मेरे साथ हैं, तब मेरे अंदर एक सौम्य और सशक्त शांति का आगमन होता है और मेरा हृदय फिर से स्थिर हो पाता है।

इन सब बातों पर मनन चिंतन करने के बाद मैंने स्टोर रूम से पौधों की छंटाई करने वाली कैंची निकाली और अपने बगीचे में लगे गुलाब के पौधे में से एक गुलाब काट कर अलग किया। फिर मैंने उसे एक मेज़ पर लगाया और अब इस गुलाब की महक से मैं खुद को याद दिला रही हूं कि हर परीक्षा और परेशानी के माध्यम से ईश्वर मेरे जीवन को और भी फलदाई बना सकते हैं। और मुझे आशा है कि भविष्य में मैं इन फलों को उन लोगों के साथ बांट पाऊंगी जिन्हें इसकी ज़रूरत है।

Share:

Ellen Hogarty

Ellen Hogarty एक आध्यात्मिक निर्देशिका, लेखिका और लॉर्ड्स रैंच संस्था में पूर्णकालिक मिशनरी के रूप में कार्यरत हैं। गरीब जनों के प्रति इनके कार्यों के बारे में और जानने के लिए thelordsranchcommunity.com पर जाएं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Neueste Artikel