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मार्च 23, 2023 376 0 Jim Wahlberg
Encounter

कारागार से शांति की ओर

मादक पदार्थों की लत के कारण, नव जवान जिम वाह्लबर्ग ने महसूस किया कि दुनिया में वह तिरस्कृत और उपेक्षित है… एक दिन परमेश्वर ने उससे एक विशेष व्यक्ति के माध्यम से बात की उनकी मुक्ति की प्रेरक कहानी पढ़ें

मेरा बचपन कैथलिक परिवार में बीता, मेरा कैथलिक परम्परा अधिक मज़बूत थी, लेकिन कैथलिक विश्वास में मैं कमजोर था। मैंने बपतिस्मा लिया और अपना पहला पवित्र संस्कार भी ग्रहण किया। हमारे मातापिता ने हम बच्चों को गिरजाघर भेजा, लेकिन हमारा पूरा परिवार एक साथ रविवारीय मिस्सा पूजा में नहीं जाता था। मेरे परिवार में हम लोग नौ बच्चे थे, इस लिए जो भी बच्चा गिरजाघर जाने लायक बड़ा हो गया था, वह गिरजाघर चला जाता। मुझे अपनापन न होने का एहसास याद है; मैं गिरजाघर जाता, वहां बांटी जा रही पत्रिका ले लेता, और फिर कुछ और करने के लिए निकल जाता था। कुछ समय बाद मैंने जाना बिल्कुल बंद कर दिया। मेरे अधिकांश भाई बहनों में भी ऐसा ही किया। किसी ने मुझे यह नहीं बताया था कि येशु ने मेरे लिए अपने प्राण अर्पित किये या परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है या कुँवारी मरियम मेरे लिए मध्यस्थ प्रार्थना करेगी। मुझे लगा कि मैं योग्य नहीं था, गिरजाघर में घुटने टेककर प्रार्थना करने वाले लोग मुझसे बेहतर थे और वे किसी तरह मेरा निरीक्षण और आलोचना कर रहे थे। मैं दूसरों के ध्यान और स्वीकृति के लिए भूखा था।

 स्वीकृति की भूख

जब मैं आठ साल का था तब मैंने पड़ोस के लड़कों को बीयर पीते देखा था। मैं किसी न किसी तरह उनके छोटे से समूह में शामिल हो गया और मुझे बीयर पिलाने के लिए मैंने उन्हें मना लिया। उस दिन मैं एकाएक शराबी नहीं बना था, लेकिन मैं ने उस दिन स्वीकृति और आकर्षण का पहला स्वाद बड़े लड़कों से प्राप्त किया। दूसरों द्वारा स्वीकृत किया जाना मुझे अच्छा लगा और जो लोग शराब पी रहे थे, ड्रग्स या धूम्रपान कर रहे थे, मैं ने उनके साथ घूमना जारी रखा, क्योंकि मुझे वहां स्वीकृति मिल रही थी। मैंने अपनी शेष किशोरावस्था उस आकर्षण का पीछा करते हुए बिताया।

बोस्टन पब्लिक स्कूल प्रणाली के अंतर्गत मुझे जबरन किशोर सुधार गृह में डाला गया और इस तरह सरकारी एकीकरण कार्यक्रम का मैं हिस्सा बन गया। हर साल मैं किसी बस में बिठाया जाता था और हर बार इलाके के किसी नए स्कूल में भेजा जाता था। मैं शुरुआत के सात वर्षों की पढ़ाई के दौरान सात अलग-अलग स्कूलों में गया, जिसका मतलब था कि हर साल मैंने “नए छात्र” के रूप में शुरुआत की। मेरे जीवन के कथानक से परमेश्वर पूरी तरह बाहर था। परमेश्वर के साथ मेरा एकमात्र रिश्ता डर का था। मुझे याद है कि मैंने बार-बार यह कहते हुए सुना था कि परमेश्वर मुझे पकड़ने जा रहा है, वह मेरा निरीक्षण कर रहा है, और वह मुझे मेरे सभी बुरे कामों के लिए दंडित करने जा रहा है। 

एक खोया हुआ छोटा बालक

वह दिन मेरी सातवीं कक्षा का अंतिम दिन था; उस शुक्रवार की रात को मैं बाहर जाने के लिए तैयार हो रहा था जब मेरे पिताजी ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “भूलना मत, बेहतर होगा कि अन्धेरा होने के पहले ही तुम घर में आ जाओ, वरना घर आने की जहमत नहीं उठाना।’’ मैं नियमों का पालन करूँ, यह सुनिश्चित करने के लिए उनकी ओर से यह धमकी थी। टूटे बिखरे परिवारों से आने वाले अन्य लड़कों की तरह मैं भी 12 साल का लड़का था और हम लोगों ने पूरा दिन घूमने फिरने में बिताया। उस दिन हम सबों ने बियर पिया, सिगरेट पिया और ड्रग्स लिया। दिन के अंत में जब मैं ने देखा कि रात हो चुकी है और स्ट्रीट लाइटें जल रही हैं, मुझे पता था कि अब मैं घर में प्रवेश नहीं कर पाऊंगा। चूंकि देर हो चुकी थी, इसलिए घर जाना कोई विकल्प नहीं था, इसलिए मैंने वह पूरी गर्मी की अवधि घर से एक या दो मील दूर, सड़क पर, अपने दोस्तों के साथ घूमने में बिताई। हमने हर दिन ड्रग्स लिया और शराब पी। मैं बस एक खोया हुआ छोटा लड़का था। उस गर्मी के दौरान, मैं कई बार गिरफ्तार किया गया और इस तरह मैं सरकार का अतिथि बन गया। घर से निकाले जाने के कुछ ही समय बाद यह सब हो गया। मुझे कभी दुसरे पालक पिता की देखभाल में, कभी समूह वाले घरों में और कभी किशोर सुधार गृहों में रखा गया था। मैं बेघर था और पूरी तरह से खोया हुआ और अकेलापन का शिकार था। खालीपन को भरने वाली एकमात्र चीज शराब और ड्रग्स थी। मैं उनका सेवन करता और फिर या तो बेहोश हो जाता या सो जाता। जब मैं जागता, तो मैं डर से भर जाता, और मुझे और अधिक ड्रग्स और शराब की आवश्यकता होती। 12 से 17 साल की उम्र तक, मैं या तो बेघर था, या किसी और के घर में रह रहा था, या किशोर सुधार गृह में हिरासत में, यानी बच्चों के जेल में था। 

बेड़ियों में जकड़ा और टूटा हुआ

17 साल की उम्र में मुझे किसी को घायल करने के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। अंत में मुझे 3 से 5 साल की सजा पर सरकारी जेल भेज दिया गया। मैंने फिर खुद को उसी पहली वाली आंतरिक लड़ाई से लड़ते हुए पाया, जब मैं छोटा था, दूसरों का  ध्यान और स्वीकृति के लिए संघर्ष कर रहा था, और कोई मोहभ्रम या मरीचिका पैदा करने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपनी सजा के पांच साल पूरे किए। जेल की अवधि के अंत में, उन अधिकारियों ने कहा: “अब तुम घर जा सकते हो?” लेकिन समस्या यह थी कि मेरे पास जाने के लिए कोई घर ही नहीं था। एक बड़े भाई ने बड़ी दया के साथ कहा, “जब तक तुम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते, तब तक तुम मेरे साथ रह सकते हो।” लेकिन ऐसा कभी होनेवाला नहीं था। मेरे भाई मुझे जेल से ले गए ताकि मैं अपनी माँ से भेंट कर सकूं। लेकिन रास्ते में हम अपने पड़ोस की पुरानी मधुशाला में पीने के लिए रुके। अपनी माँ को देखने से पहले शराब पीना मेरे लिए ज़रूरी था। मैं 21 साल से अधिक का हो चुका था और पहली बार कानूनी हिसाब से शराब पीने के अधिकार का उपयोग करते हुए मैं ने खूब पिया। जब मैं अपनी माँ की रसोई में बैठा, तो उसने मुझे नहीं पहचाना; उसे लगा कि मैं कोई अजनबी हूं।

मैं लगभग छह महीने तक जेल से बाहर था, लेकिन किसी घर पर धावा बोलने के जुर्म में मैं फिर से गिरफ्तार हो गया। मैं जिस घर में धावा बोला था, वह बोस्टन के एक पुलिस अधिकारी का घर था। अदालत में, उस पुलिस अधिकारी ने मेरी तरफ से पैरवी की। उन्होंने कहा, “इस बच्चे को देखिए, इसकी हालत देखिए। आप उसे मदद क्यों नहीं दिलाते? मुझे नहीं लगता कि जेल उसके लिए सही जगह है।“ उन्होंने मुझे सहानुभूति दिखाई, क्योंकि वे देख पा रहे थे कि मैं पूरी तरह नशे का आदी था।

अचानक मैं वापस जेल में पहुँच गया और छह साल की सजा काटने लगा। मैंने यह भ्रम पैदा करने का नाटक किया कि मुझमे बदलाव आ रहा है, ताकि पुलिस मुझे पुनर्वास के लिए जल्दी छोड़ दे। लेकिन मुझे पुनर्वास की नहीं, परमेश्वर की जरूरत थी।

आज़ादी की ओर मार्ग

जीवन को बदलने के मेरे इस अभिनय करने के कुछ महीनों के बाद, जेल के आत्मिक सलाहकार फादर जेम्स ने मुझ पर ध्यान दिया और मुझे अपने प्रार्थनालय में एक सुरक्षा कर्मचारी के रूप में नौकरी देने की पेशकश की। मेरा पहला विचार था, “मैं इस आदमी को उल्लू बनाने जा रहा हूँ”। वे सिगरेट पीते थे, कॉफी की चुस्की लेते थे, और उनके पास एक फोन भी था – उनके पास वे सभी चीजें थीं, जिनका उपयोग करने का सौभाग्य कैदियों को नहीं मिलता था। तो, मैंने अपने उन गुप्त उद्देश्यों की पूर्ती के लिए वह नौकरी स्वीकार कर ली।

लेकिन मुझे नहीं पता था कि उनके पास भी एक योजना थी। जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया, जितना मैं उन्हें परेशान करने की योजना बना रहा था, उतना ही मुझे परेशान करना उनकी योजना थी। मैं उन्हें उल्लू बनाना चाह रहा था, तो वे ईश्वर की महिमा के लिए मुझे उल्लू बनाना चाह रहे थे। वे मुझे मिस्सा बलिदान में वापस लाना चाह रहे थे, क्रूस के पाँव तले वापस लाना चाह रहे थे।

प्रार्थनालय में काम करना शुरू करने के तुरंत बाद, मैंने फादर जेम्स से कुछ मदद मांगी। जब उन्होंने मेरे अनुरोध को मान लिया, तो मुझे ऐसा लगा कि उल्लू बनाने का मेरा काम कामयाब हो रहा है। एक दिन, हालांकि, उन्होंने मेरे पास आकर कहा कि वे चाहते हैं कि मैं शनिवार की शाम की मिस्सा पूजा के बाद प्रार्थनालय आकर उसकी सफाई करूं ताकि रविवारीय मिस्सा के लिए प्रार्थनालय तैयार हो जाए। जब मैं ने उनसे कहा कि मैं शाम के मिस्सा के बाद पहुँच जाऊंगा तो उन्होंने बलपूर्वक आग्रह किया कि मैं मिस्सा के पहले पहुंच जाऊं और पूरे मिस्सा बलिदान के दौरान उनके साथ रहूँ। वे पहले से ही मुझे विश्वास की दिशा में आगे ले जाना चाह रहे थे।

एक दिव्य नियुक्ति

मिस्सा पूजा के दौरान, मुझे अजीब और असहज महसूस हुआ। मुझे नहीं पता था कि कब प्रार्थना बोलना है या कब बैठना या खड़ा होना है, इसलिए मैं बस देख रहा था कि बाकी लोग क्या कर रहे हैं। इसके तुरंत बाद, फादर जेम्स ने आधिकारिक तौर पर मुझे उस प्रार्थनालय के सुरक्षा प्रभारी के पद पर नियुक्त किया और मुझे बताया कि जेल में हमारे एक विशेष अतिथि के रूप में “मदर टेरेसा” आ रही हैं। मैंने कहा, “ओह, यह बहुत अच्छी बात है! लेकिन ये मदर टेरेसा कौन हैं?” पीछे मुड़कर देखता हूं, तो शायद मैं उन दिनों यह भी नहीं जानता था कि उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था; मेरा जीवन पूरी तरह से शराब के सेवन के इर्द-गिर्द घूमता था, और अपने व्यसन के बुलबुले के बाहर के लोगों और घटनाओं के बारे में शायद ही मैं कुछ जानता था।

जल्द ही, मदर टेरेसा हमारे जेल में आ गईं। मुझे याद है कि मैं उन्हें दूर से देख रहा था और सोच रहा था, “यह कौन व्यक्ति है कि सभी गणमान्य व्यक्ति, वार्डन और कैदी उनकी चारों ओर घूम रहे हैं, उनके हर शब्द पर ध्यान दे रहे हैं?” पास जाकर देखा तो उनका स्वेटर और जूते हज़ार साल पुराने लग रहे थे। लेकिन मैंने उनकी आँखों में शांति और उनकी जेब में रखे पैसों को भी देखा। लोग उन्हें खूब पैसा दान दे रहे थे। लोगों को पता था कि वे इसे गरीबों को देंगी।

चूंकि मैंने जेल के प्रार्थनालय में काम किया था, इसलिए मुझे मदर टेरेसा के साथ मिस्सा के पूर्व प्रवेश जुलूस का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। कार्डिनल, अन्य गणमान्य लोग और मदर की संस्था की बहनों से घिरा हुआ एक कैदी के रूप में मैं भी खड़ा था। कार्डिनल ने मदर टेरेसा को अपने साथ वेदी पर बैठने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया, और बड़ी श्रद्धा के साथ वेदी के सामने झुकने के बाद फर्श पर घुटने टेक दिए। उनके अगल बगल में जो कोई बैठे थे वे जेल के सबसे खतरनाक अपराधी थे।

परमेश्वर की आँखों से आँखें मिलाते हुए

जैसे ही मैं फर्श पर बैठा, मैंने मदर टेरसा को देखा, और मेरी आँखें उनकी आँखों को ही देखती रहीं और मुझे लगा जैसे मैं ईश्वर को देख रहा हूं। मदर टेरेसा तब वेदी की सीढ़ियों पर चढ़ीं और उन्होंने ऐसे शब्द कहे जो मुझे गहराई तक छू गए, ऐसे शब्द जो मैंने पहले कभी नहीं सुने थे। उन्होंने कहा कि येशु मेरे पापों के लिए मरा, कि ईश्वर की नज़र में मेरे किये हुए अपराधों से बढ़कर मैं मूल्यवान हूँ, कि मैं परमेश्वर की सन्तान हूँ, और मैं परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण हूँ। उस क्षण, उस अपार शांति में, मुझे ऐसा लगा जैसे कमरे में कोई और नहीं है, जैसे वह मुझसे सीधे बात कर रही हो। उनके एक एक शब्द मेरी आत्मा के गहरे हिस्से तक पहुँचा।

मैं अगले दिन प्रार्थनालय में वापस दौड़ते हुए गया और मैं ने फादर से कहा, “मुझे उस येशु के बारे में, परमेश्वर और कैथलिक विश्वास के बारे में और अधिक जानने की ज़रूरत है जिसके बारे में मदर टेरेसा बात कर रही थी।” फादर जेम्स खुश थे! वे मुझे क्रूस के ठीक नीचे ले गए जहाँ वे मुझे तब से चाहते थे जब से उन्होंने मुझसे सुरक्षा कर्मी की नौकरी का प्रस्ताव रखा था। मैं येशु के बारे में और जानने के लिए कुछ भी करने को तैयार था, इसलिए फादर जेम्स ने मुझे दृढीकरण संस्कार के लिए तैयार करना शुरू कर दिया।

हम हर हफ्ते मिलते थे और विश्वास के बारे में जानने के लिए धर्मशिक्षा का अध्ययन करते थे। हालाँकि मुझे दो बार अन्य जेलों में स्थानांतरित किया गया था, मैं उन जेलों में भी पुरोहितों के साथ संपर्क जोड़ा और अपने विश्वास में आगे बढ़ने में सक्षम रहा। 

एक नई शुरुआत

एक साल बाद, मेरे लिए अपने विश्वास के प्रति अपनी औपचारिक प्रतिबद्धता बनाने का समय आ गया था। मेरा दृढीकरण संस्कार मेरे जीवन का एक विचारशील और इरादतन क्षण था। एक वयस्क के रूप में, मुझे पता था कि यह एक बड़ा कदम था जो मुझे येशु मसीह के साथ गहरे रिश्ते की राह पर ले जाएगा।

जब समय आया, तो मैंने अपनी माँ को यह बताने के लिए फोन किया कि मेरा दृढीकरण संस्कार  होने जा रहा है, और मुझे अच्छा लगेगा कि माँ वहाँ रहे। उसने वादा किया था कि वह जेल में मुझसे कभी मिलने नहीं आएगी, इसलिए वह चौकन्ना थी। आखिरकार मैंने उसके साथ जो बुरा व्यवहार किया था, उसके कारण एक माँ के रूप में उनके दिल में बड़ी चोट लगी थी। लेकिन दो दिन बाद जब मैंने दोबारा फोन किया तो वह आने को तैयार हो गईं। दृढीकरण संस्कार का दिवस अद्भुत और यादगार दिन था। यह न केवल मेरे लिए और मसीह के साथ मेरे चलने के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि मेरी मां के साथ मेरे रिश्ते के लिए भी महत्वपूर्ण था।

अगले साल, मेरे लिए पैरोल बोर्ड के सामने खड़े होने का समय आ गया था। उन अधिकारियों ने कहा कि उनके पास मेरी मां का एक पत्र है जो उसने मेरी ओर से लिखा था। मुझे पता था कि मेरी मां मुझे जेल से छुड़ाने के लिए अधिकारियों से कभी झूठ नहीं बोलेगी। उसके पत्र में यह लिखा था, “आपके सम्मुख ईश्वर का आदमी खड़ा है। कोई चिन्ता की बात नहीं, अब आप उसे बाहर जाने दें। वह वापस जेल नहीं आएगा।“ वे शब्द मेरे लिए सब कुछ थे। जब तक मेरी मां का निधन हुआ, उन्हें डिमेंशिया की बीमारी हो गयी थी। कुछ वर्षों से उसने कहानी सुनाने की अपनी क्षमता खो दी थी और उसकी दुनिया छोटी हो गई थी। लेकिन उन पलों में भी जब वह मनोभ्रंश की चपेट में थी, वह मेरे दृढीकरण संस्कार को याद करने में सक्षम थी, क्योंकि वह जानती थी कि वाही मेरे जीवन का  महत्वपूर्ण दिन है जिस दिन मेरा उद्धार हुआ था।

येशु मसीह मेरा उद्धारकर्ता है, और मैं अपने जीवन में उसकी उपस्थिति को महसूस करता हूँ। जबकि इसके लिए काम और प्रयास की आवश्यकता होती है, येशु के साथ मेरा रिश्ता मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। वह हमेशा मुझे प्यार करेगा और मेरा समर्थन करेगा, लेकिन जब तक मैं पूरी तरह से रिश्ते में शामिल नहीं हो जाता, तब तक मुझे वह आराम और प्यार नहीं मिलेगा जिसे वह मेरे साथ साझा करना चाहता है।

ईश्वर आपको अनुग्रह प्रदान करें। अपनी यात्रा को आपके साथ साझा करना मेरे लिए गौरव की बात है। येशु मसीह हमारा मुक्तिदाता है।

 

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Jim Wahlberg

Jim Wahlberg is a producer, writer, and director of films, and uses his talents to serve God and lead others to Christ. He is the author of The Big Hustle. This article is based on the testimony shared by Jim Wahlberg for the Shalom World program ‘Jesus My Savior.

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