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जुलाई 27, 2021 1500 0 Steffi Siby
Encounter

हर कदम मायने रखता है

आप अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व निखारना चाहते हैं?  तो पहला कदम बढ़ाइए !

गायब कड़ी

मेरी यह गवाही किसी शक्तिशाली रूपांतरण के बारे में, जीवन में परिवर्तन के किसी पल के बारे में , या किसी चमत्कारी उपचार के बारे में नहीं है। यह छोटे कदमों की एक यात्रा है। ऎसी यात्रा जिसके दौरान मैं लगातार लड़खड़ाती और गिरती रही, लेकिन ईश्वर मुझे हमेशा उठाता रहा और वह मेरे साथ चलता रहा। मेरा जन्म कैथलिक परिवार में हुआ था और मेरी परवरिश एक कैथलिक के रूप में हुई थी| हालाँकि, सब लोग सहमत होंगे कि बचपन में कैथलिक के रूप में परिवरिश किया जाना कोई ख़ास बात नहीं है। मैंने ख्रीस्तीय संस्कारों में भाग लिया और नियमित रूप से चर्च जाती रही, लेकिन मेरे जीवन में येशु के साथ एक व्यक्तिगत संबंध की कमी थी।

अपने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान, जब भी मुझे कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, मैंने सांत्वना के लिए ईश्वर की ओर रुख किया। वह हमेशा मेरे लिए उपलब्ध था, लेकिन मैं हमेशा उसके लिए उपलब्ध नहीं थी। मैंने ईश्वर को एक कमरे में बंद रखा और सिर्फ कोई ख़ास जरूरत महसूस होने पर मैं उसकी ओर मुडती थी। ईश्वर निश्चित रूप से मेरे जीवन का हिस्सा था, क्योंकि मैंने रविवार को चर्च जाना और अक्सर प्रार्थना करना जारी रखा था, लेकिन ईश्वर मेरे जीवन का केंद्र बिंदु नहीं था। मेरी निजी रुचि और इच्छाएँ मेरे दिमाग में सबसे आगे थीं। मैंने कभी भी ईश्वर की इच्छा के बारे में सोचा ही नहीं।

स्नातक की पढ़ाई पूरा करने के छह महीने पहले, मेरी पूरी दुनिया उलट गई। मैं वास्तव में गहरे अवसाद से गुज़री और लंबे समय तक मेरे लिए केवल अंधेरा था। मुझे जो निराशा और निस्सहायता महसूस हुई, उसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है, लेकिन मुझे लगता है कि जो इसे पढ़ रहे हैं, आप में से बहुत से लोगों ने, कभी न कभी इस तरह की निराशा को महसूस किया होगा। ऐसी परिस्थिति में हम किसी न किसी रास्ते को चुनते हैं। या तो हम ईश्वर की ओर भागते हैं और उसकी शरण लेते हैं या क्रोध में उससे दूर भागते हैं।

अफसोस की बात है, मैंने दूसरा रास्ता चुना। मैं समझ नहीं पा रही थी कि अगर ईश्वर मुझसे प्यार कर रहा है तो क्यों वह मुझे इतनी भयावह परिस्थिति में डाल रहा है। एक साल की अधिकांश अवधि के लिए, मैंने खुद को दूसरों से पूरी तरह से अलग कर लिया। मैंने चर्च जाना बंद कर दिया। मैंने कहीं भी जाना बंद कर दिया। मैं शर्म और बेकार होने की भावनाओं में फंस गई थी। “तुम एक बोझ हो” और “तुम्हारे बिना सबकी हालत बेहतर होगी” जैसी सोच मेरे दिमाग में लगातार हमला कर रही थी। मेरा दिमाग एक जेल की तरह था जिस में से मेरा बाहर निकलना असंभव जैसा था।

शुक्र है, यह मेरी जीवन कहानी का अंत नहीं था। मेरे पसंदीदा बाइबल वाक्यों में से एक रोमी 8:28 है। “हम जानते हैं कि जो लोग ईश्वर को प्यार करते हैं और उसके विधान के अनुसार बुलाये गये हैं  ईश्वर उन के कल्याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है।“ यह हमें आश्वस्त करता है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी हो सकता है, इश्वर उसके द्वारा हमारी भलाई के लिए काम करेंगे। वह हमें प्यार से याद दिलाता है कि हम उसके द्वारा चुने गए हैं और हमारे जीवन का एक उद्देश्य है। यह मेरे जीवन में स्पष्ट हो गया जब मैं धीरे-धीरे विभिन्न लोगों की मदद से और उन घटनाओं की मदद से विश्वास में लौट आयी| ये घटनाएँ निश्चित रूप से ईश्वर के द्वारा संचालित थी।

शिशुओं के जैसे छोटे कदम

इस बार का अनुभव वह बिलकुल भिन्न था। मैंने दैनिक मिस्सा बलिदान में और आत्मिक साधनाओं में भाग लिया क्योंकि मैंने वास्तव में ईश्वर के प्यार की खोज की। हालांकि, मेरे मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुझे लगातार संघर्ष करना पडा। कोई प्रगति या सुधार नहीं हो रहा था इसलिए मेरा भविष्य अंधकारमय लग रहा था। मैं लगातार जीवन से तंग आ गयी थी। येशु ने जो आशा और शांति का वादा किया था वह बहुत दूर लग रहा था। जैसा कि मैंने पहले कहा था, कोई एक जादुई क्षण नहीं था जब चीजें मेरे हिसाब से या मेरी पसंद से बन रही थीं। मुझे ईश्वर के समय की प्रतीक्षा करनी थी। फिर भी, अधिक सकारात्मक स्थिति की ओर प्रगति करने में शिशुओं जैसे कुछ छोटे कदमों ने मदद की।

मेरा परिवार मेरे लिए सबसे बड़ा अनुग्रह है। वे सबसे अंधेरे समय में भी मेरे साथ खड़े थे और उनके लिए सचमुच मैं ईश्वर की आभारी हूं। लगभग दो साल पहले, हमने रोज़ाना तीस मिनट बाइबिल पढ़ना शुरू किया था – जो हम तब से अब तक करते आ रहे हैं। भले ही यह कठिन हो सकता है, खासकर पुराने नियम के कुछ हिस्से जब हम पढ़ते हैं, निश्चित रूप से दृढ़ता की अधिक आवश्यकता होती है। जब हम यह मानते हैं कि बाइबिल परमेश्वर का जीवित वचन है, तो हमें एहसास होता है कि वहाँ हर चीज के लिए एक उत्तर है।

 “शैतान का लक्ष्य आपका दिमाग है और उसका हथियार झूठ है। इसलिए अपने मन को परमेश्वर के वचन से भर दो”– ग्रेग लोक।

यह उद्धरण इस बात पर जोर देता है कि शैतान हमारे खिलाफ किस तरह हथियार के रूप में झूठ का उपयोग करता है। मेरा संघर्ष मुख्य रूप से मेरे मन के साथ था और मुझे महसूस हुआ कि मैं मन के असत्य की सोच में फंसी हुई हूँ। मैं बार बार अपने जीवन में आये कई पापों के साथ जूझती रही। शैतान ने मुझे बताया कि मैं प्यार से वंचित, टूटी हुई और बेकार थी, जबकि वास्तविकता यह थी कि मैं ईश्वर की बच्ची हूं जो मुझे असीम रूप से प्यार करता था। इस सत्य की पुष्टि कर रहे परमेश्वर के कुछ वचन यहाँ हैं जो हम में से प्रत्येक को दिए गए हैं:

“ईश्वर ने हमारी रचना की है, उसने येशु मसीह द्वारा हमारी सृष्टि की, जिससे हम पुण्य के कार्य करते रहे और उसी मार्ग पर चलते रहे, जिसे इश्वर ने हमारे लिये तैयार किया है” (एफीसी 2:10)।

“मैं ईश्वर की हूँ और मैंने उन लोगों पर विजय पायी है: क्योंकि जो मुझ में है, वह उस से महान है, जो संसार में है|” (1 योहन 4: 4)।

“ईश्वर ने मुझे अन्धकार से निकालकर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लिया, जिससे मैं उसके महान कार्यों का बखान करूं” (1 पतरस 2: 9)।

निर्दोष प्रेम

कैथलिक विश्वास में मेलमिलाप या पाप स्वीकार का संस्कार मुझे सबसे अधिक पसंद है। पाप स्वीकार के लिए दौड़ना और येशु को अपना दिल देना, इसे मैं बड़े मूल्यवान अवसर के रूप में देखती हूँ। शैतान हमें अपराध और शर्म की भावना में धकेल देता है| जबकि येशु की क्षमा प्राप्त करने पर इस बोझ से हम मुक्त हो जाते हैं। जब हम गलत रास्ते पर हैं तब पवित्र आत्मा हमें अपनी गलती को महसूस करने, पश्चाताप करने और ईश्वर की ओर मुड़ने की आवश्यकता को अनुभव करने में हमारी मदद करता है। जब तक हम ऐसा करते हैं, तब तक हमें चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है, हालांकि हमें इसे बार-बार करना पड़ सकता है। जितना दूर हम ईश्वर से भटक गए हैं, जब हम वापस आते हैं, उतने ही अधिक ईश्वर आनन्दित होते हैं, ठीक उसी तरह जैसे उडाऊ पुत्र के लौटने पर उसके पिता ने उत्सव मनाया।

ईश्वर के प्यार को पाने के लिए, मुझे कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है, इस सच्चाई को महसूस करने में मुझे थोड़ा समय लगा और मैंने अभी भी इसे पूरी तरह से समझा नहीं है। यह एक बेशर्त उपहार है जो ईश्वर हमें भेंट करता है। उसका प्रेम मेरे ऊपर या मेरे दोषपूर्ण स्वभाव पर निर्भर नहीं है। यह उसके प्रेममय और दयालु स्वभाव पर निर्भर है। मेरे और आपके सबसे अंधकारपूर्ण समय के दौरान भी यह प्यार हमें आशा देता है। नबी होशेया की पुस्तक में, ईश्वर घोषणा करता है कि “मैं कष्ट की घाटी को आशा के द्वार में परिणत करूंगा” (होशेआ 2:15)। यह वचन मेरे जीवन में हुई घटनाओं को सुन्दर तरीके से चित्रित करता है। ईश्वर ने अपने प्रेम के द्वारा, मेरी परेशानियों को आशा बनाए रखने और उस आशा को आपके साथ साझा करने के अवसर में बदल दिया।

एक एक कदम

पीछे मुड़कर देखूं तो पता चलता है कि मेरे दर्द ने मुझे अंततः ईश्वर के करीब जाने के लिए प्रेरित किया। ईश्वर ही एकमात्र व्यक्ति है जो वास्तव में हर परिस्थिति में मेरे लिए और मेरे साथ खडा  है। वह न केवल प्रतापी, सर्वशक्तिशाली ईश्वर है, वह मेरे सहचर और दोस्त भी है। मैंने ईश्वर की इच्छा और उसके समय को और अधिक स्वीकार करना सीखा है। मैं ने जिस तरह अपने जीवन के लिए योजना बनाई, निश्चित रूप से उसी तरीके से मेरा जीवन आगे बढ़ा नहीं, लेकिन इसमें कोई बुराई नहीं है क्योंकि ईश्वर के तरीके मेरे तरीकों से अधिक अच्छे और ऊंचे हैं। क्योंकि प्रभु की घोषणा है: “तुम लोगों के विचार मेरे विचार नहीं हैं, और मेरे मार्ग टीम लोगों के मार्ग नहीं हैं, जिस तरह आकाश पृथ्वी के ऊपर बहुत ऊँचा हैं, उसी तरह मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊंचे हैं।” (इसायाह 55: 8-9)

कई छोटे तत्वों ने मेरे विश्वास को बढ़ाने में समय के साथ योगदान दिया। इस से मुझ में परमेश्वर की गहरी समझ और उनके प्रति गहरी आस्था बढ़ी। मेरा यह भी मानना है कि प्रार्थना की शक्ति ने मुझे जीवन की कई चुनौतियों का सामना करने में मदद की है। मैं विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि आप अपनी प्रार्थनाओं में मुझे याद करें और हम सभी एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करने की मानसिकता अपनाएं। मेरी गवाही से पता चलता है कि ईश्वर के करीब आने के लिए हमें बड़े कार्य करने की ज़रूरत नहीं है। छोटे कदम: बस इसी की ज़रुरत है। मुझे आशा है कि आप आज ईश्वर की ओर एक छोटा कदम उठाने में सक्षम हैं। वह प्यार भरी, खुली बाहों से आप का इंतजार कर रहा है।

प्यारे परमेश्वर, मैं दृढ़ता से तुझ पर विश्वास करती हूं और तुझ पर आशा रखती हूं। तेरे करीब आने में एक और कदम उठाने के लिए मैं प्रति दिन भोर में उठती हूं। मेरा एक मात्र निवेदन है कि मैं  तुझे जानूं और तुझ से प्यार करने की कृपा पा लूं । मुझे अपनी प्यार भरी बाँहों में जकड़ ले प्रभु। आमेन।

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Steffi Siby

Steffi Siby has a passion for reading and writing. She lives with her family in Blackpool, England. To read more of her articles visit: spreadyoursmile.home.blog/

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