Home/Encounter/Article

मार्च 09, 2023 316 0 David Hambley
Encounter

मेरे जीवन के परिवर्तन की कहानी

खुद को त्यागने और ईश्वर को ह्रदय में स्वीकारने का यह उपयुक्त समय है

मैं 76 साल का हूँ तथा बचपन से नामधारी कैथलिक था। मैं एक अंतर-कलीसियाई परिवार यानि एक कैथलिक माँ और एक एंग्लिकन पिता की देखरेख में पला-बढ़ा हूँ। मैं एक यूरोपियन चार्टर्ड इंजीनियर हूँ जिसने येशु को अपने जीवन में काफी विलम्ब से स्वीकार किया।

मेरा जन्म उस समय हुआ था जब कैथलिक कलीसिया भिन्न-संप्रदाय के विवाहित जोड़ों के बच्चों को बपतिस्मा देने और “विश्वास” में लाने की मांग कर रही थी। मैंने कैथलिक स्कूलों में पढ़ा, पवित्र संस्कारों के बारे में सीखा, और विधिवत रूप से अपना पहला पापस्वीकार, पहला परमप्रसाद और ढृढीकरण संस्कार ग्रहण किया। जब तक मैं स्कूल में था, मैं वेदी सेवक भी था और एक कर्तव्यनिष्ठ कैथलिक बना रहा। मैने एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में नौसिखिया के रूप में काम करना शुरू किया। इसके बाद मैं नई नौकरी के लिए एक नए शहर में चला गया। वहाँ जाने के बाद, मुझे ईश्वर और धर्म के बारे में संदेह होने लगा। हालाँकि मैं नियमित रूप से मिस्सा में भाग लेता था, मुझे याद है कि मैंने पाप स्वीकार के दौरान कहा था कि मैं शायद अपना विश्वास खो रहा हूँ। फादर ने मुझे इसके बारे में प्रार्थना करने के लिए सलाह दी। मेरे ख्याल से उस समय मैंने वह सुझाव बहुत हलके में लिया था।

जीवन का वह मोड़

आखिरकार, मुझे एक एंग्लिकन महिला पॉलीन से प्यार हो गया और मैंने उससे शादी कर ली। जीवन यूँ ही चलता रहा। हमारे दो लड़के हुए जिनको हमने कैथलिक कलीसिया में बपतिस्मा दिलाया, और मैं वही पुराना “कर्तव्यपरायण” कैथलिक बना रहा जो मैं हमेशा से था। 1989 में मैंने हमारी पल्ली में होने वाले नवीनीकरण कार्यक्रम में भाग लिया। यह मेरी ईश्वर्य-तीर्थयात्रा में एक सुनहरा अवसर था। इस कार्यक्रम के माध्यम से मैंने खुद से प्यार करने का महत्व सीखा, क्योंकि अगर आप खुद से प्यार नहीं कर सकते तो आप किसी और से कैसे प्यार कर सकेंगे?

तीन साल बाद, हमारी पल्ली के लोगों ने ‘अल्फा कार्यक्रम’ की तरह, ‘लाइफ इन द स्पिरिट सेमिनार’ का आयोजन किया। मैं भी शामिल हुआ क्योंकि मैं अपने आध्यात्मिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ करना चाहता था। मेरे पास इस बात का कोई सुराग नहीं था कि मैं अपने आप को कहाँ लेकर जा रहा हूँ। कार्यक्रम की आखिरी शाम को मेरे ऊपर पवित्र आत्मा की बपतिस्मा के लिए प्रार्थना की गयी, हालाँकि उस समय मुझे इसका मतलब समझ में नहीं आया था। बाद में, जलपान के लिए जब मैं कतार में खड़ा हुआ था तब मुझे पता चला कि मेरे साथ कुछ महत्वपूर्ण वाकया हुआ है।

अगले दिन, मैं आध्यात्मिक रूप से 30,000 फीट की ऊँचाई पर था और मुझे ज़मीन पर वापस आने में कई दिन लगे! मैं ईसाई बन गया था! मैंने अपनी पत्नी द्वारा दी गयी बाइबल को धूल झाडकर साफ़ किया, और मैं ईश-वचन को पढ़ने लगा। ईश्वर के बारे में मेरे लंबे समय से चले आ रहे संदेह दर बदर दूर होने लगे। जब मैं पल्ली प्रार्थना समूह में शामिल हुआ तो मैंने विचित्र लोगों को देखा जिन्हें ‘करिश्माई’ कहा जाता था। वे अन्य भाषाओं में प्रार्थना और गीत गाते थे जिसके कारण मुझे उन्हें समझने में काफी मशक्कत करना पडा। मैंने ईश्वर से कहा कि मैं अन्य भाषाओं के इस वरदान के बारे में समझ नहीं पा रहा हूँ। आश्चर्यजनक रूप से मुझे ईश्वर के चालाक मजाकिया करतूत के बारे में तब पता चला जब कुछ ही समय बाद यह वरदान मुझे भी दिया गया।

साफ़ हो रहे धुंध

प्रभु ने यह भी बताया कि यह वरदान मुझे क्यों दिया गया है। मेरा विश्लेषणात्मक दिमाग अक्सर प्रार्थना के रास्ते में बाधा बन जाता है, इसलिए प्रभु ने मुझे अन्य भाषाओं का वरदान दिया ताकि मैं अपने दिमाग को केन्द्रित करके दिल से प्रार्थना कर सकूं। मेरा विश्वास मजबूत और गहरा हो गया है। मिस्सा के दौरान मैं पाठ करता हूँ और ईश-वचन की घोषणा करने में सम्मानित महसूस करता हूँ। मुझे अभी भी प्रार्थना करना मुश्किल लगता है, इसलिए प्रभु ने फिर से अपना मजाकिया करतूत दिखाया जब डनफर्मलाइन के गिरजाघरों  से  मसीहियों के एक मध्यस्थ प्रार्थना समूह के नेतृत्व की जिम्मेदारी मुझे दी गयी और इस समूह को “बेघर लोगों की सहायता करने” के लिए प्रेरणा मिली है।

इन अनुभवों के बाद मैंने अपने बचपन से चली आ रही बुरी यादों का लगभग पूर्ण रूप से ठीक होने का अनुभव किया। मैं ‘लगभग’ इसलिए कहता हूँ क्योंकि मुझे एहसास है कि संत पौलुस की तरह, घमंड के पाप से बचने के लिए मेरे शरीर में भी एक कांटा छोड़ दिया गया है।

हम सभी अपने बपतिस्मा में पवित्र आत्मा के वरदानों को ग्रहण करते हैं और उन्हें अपने ढृढीकरण संस्कार के द्वारा पूर्ण रूप से जीवन में लागू होते देखते हैं। लेकिन मेरे जीवन में यह लागू होने में करीब 30 साल लगे, मुझे अपने नवीकरण होने तक लम्बा समय लगा। तब से, प्रभु ने मेरे विवेक, भविष्यवाणी और चंगाई के वरदानों का उपयोग किया है। पहले मुझे लगता था कि येशु पर ध्यान केंद्रित करना पिता के प्रति विश्वासघाती होना है। इस तरह की सभी गलत धारणाओं को भी ईश्वर ने मेरे दिमाग से निकाल लिया है। मैंने हमेशा पिता और पवित्र आत्मा को करीबी से महसूस किया था, लेकिन अब येशु मुझे अपने भाई और दोस्त के रूप में प्रकट कर रहे हैं।

आध्यात्मिक रूप से, मैं वह तीस वर्ष पहले वाला व्यक्ति नहीं रहा। हाँ, मैं थक जाता हूँ, चिंतित और निराश हो जाता हूँ क्योंकि मैं साधारण मनुष्य हूँ। चाहे बाहरी रूप से कुछ भी हो रहा हो, अब मैं एक गहरी आंतरिक शांति महसूस करता हूँ। यह ईश्वर ही था जिसने मेरे जीवन में इन परिवर्तनों को लाने के लिए पहल की। मुझे उनकी कृपा के साथ केवल हाथ बढ़ाना था।

हे पिता, मैं अपने मुक्तिदाता, तेरे पुत्र येशु मसीह और तेरे पवित्र आत्मा के लिए तुझे धन्यवाद देता हूँ जिनके बिना मैं कुछ नहीं कर सकता। मेरे जीवन के सफ़र में मुझे हमेशा याद दिला कि तू हर पल मेरे साथ हमराही बनकर चल रहा है। आमेन।

 

Share:

David Hambley

David Hambley is a retired chartered electronics engineer. Married for nearly 50 years, he lives with his wife and 2 sons in Scotland.

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Neueste Artikel