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मार्च 09, 2023 346 0 Keith Kelly
Encounter

मनुष्य द्वारा दण्डित, ईश्वर द्वारा मुक्त किया गया

कीथ केली ने बहुत ही कम आयु में शराब पीना और ड्रग्स लेना शुरू किया था। उसने एक खतरनाक जीवन शैली को तब तक जिया जब तक उसने अंधेरी रात में शैतान को उसे घूरते हुए पाया।

मेरे और मेरे भाई-बहनों को बड़े होते समय काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि हमारे पिता शराबी थे और उनके साथ मेरा सम्बन्ध न के बराबर था। हम सभी ने पिताजी की शराबीपन का अलग-अलग तरीकों से सामना किया। मेरा तरीका क्रोध और हताशा को अपने अन्दर दबाना था। इन भावनाओं से निपटने के लिए, मैंने बहुत ही कम उम्र में शराब पीना और ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। मैं सरकारी अधिकारियों के खिलाफ बहुत विद्रोह करता था, इसलिए ‘वेस्टपोर्ट’ में कानून-प्रवर्तनों के साथ मेरा नियमित टकराव होता था और फिर मैं अपने विद्यालय से भी निष्कासित कर दिया गया था।

उन दिनों, मुझे नियमित रूप से अपने चारों ओर एक अंधेरी ताक़त की उपस्थिति महसूस होने लगी। पहले तो मुझे वास्तव में पता नहीं था कि क्या चल रहा है। मुझे इस बात का अंतर्ज्ञान था कि यह कुछ राक्षसी या दुष्ट शक्ति है, लेकिन मैं इसे पूरी तरह से अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं था। फिर रात में मेरे साथ अजीब घटनाएँ होने लगी: मैं शक्तिहीन और पसीने से लिपटे हुए जगता था। मैं अपने कमरे में बहुत डरावनी अंधेरी ताक़त की उपस्थिति को महसूस कर सकता था । मुझे इसकी उपस्थिति से घुटन महसूस होता था और इससे मुक्त होने के लिए मैं संघर्ष करता था। एक बार, मैंने सभी को बीच रात में अपनी चीखों से जगा दिया था।

शब्द दर शब्द

इन सभी राक्षसी प्रदर्शनों का अंत एक रात मेरे बाथरूम में बहुत ही डरावनी घटना से हुआ जब मैंने आईने में अपने अंदर के शैतान को देखा। मैंने जो देखा उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल है। वह वास्तव में मेरा एक भयानक और पाशविक रूप था। मैं उसे यह कहते हुए सुन पा रहा था, ‘तुम्हारा जीवन समाप्त हो गया है, तुम्हारा जीवन समाप्त हो गया है, अब तुम मेरे हो… मैं तुम्हें नष्ट करने वाला हूँ।’ मैंने नियमित रूप से आवाजें सुनीं और मेरे खिलाफ बहुत सारी धमकियाँ दी जा रही थीं।

इन बुरे अनुभवों ने अक्सर मुझे हताशा के आँसुओं में डुबा दिया था। एक दिन, मुझे अपने घुटनों पर आने का अनुग्रह ईश्वर ने दिया। हालाँकि मुझे नहीं पता था कि ईश्वर कौन था या विश्वास क्या होता था, मैंने किसी कैथलिक स्कूल में पढ़ते वक्त, ‘हे हमारे पिता’ और ‘प्रणाम मरिया’ को सीखा था। इसलिए मैं ‘हे हमारे पिता’ की प्रार्थना बोलने लगा। प्रार्थनाओं को निरर्थक यांत्रिक रूप से बोलने और दिल से न आने का हमेशा खतरा रहता है। लेकिन उस दिन मेरा पूरा मन और ह्रदय उस प्रार्थना के हर शब्द में था। यह वास्तव में पिता ईश्वर के लिए मेरी पुकार थी। मैंने उसे पूरे मन से पुकारा, उससे विनती की कि कृपया मुझे छुटकारा दे।

‘हे हमारे’ प्रार्थना के बीचो बीच में पहुँचते ही मैंने कमरे में किसी और की उपस्थिति को महसूस किया … ईश्वर की उपस्थिति, मेरे प्रभु और ईश्वर की उपस्थिति, मेरे स्वर्गीय पिता की उपस्थिति। उसकी उपस्थिति ने मेरे कमरे से इस दुष्ट शक्ति को भौतिक रूप से हटा दिया। मुझे याद है कि मैं ज़मीन पर पड़ा हुआ था और आभारी दिल से रो रहा था। उस क्षण से मैं निश्चित रूप से जान गया कि ईश्वर वास्तव में मेरे पिता है। एक दिव्य शांति मुझ पर छा गई जो इतनी मूर्त थी कि मैं उसे महसूस कर सकता था। मैंने तब से लेकर आज तक इसके समान कुछ भी महसूस नहीं किया है। मैं वहीं पड़ा रहा और राहत तथा खुशी से रोया।

अंतिम चेतावनी 

वर्षों बाद ईश्वर के साथ रहते हुए मैंने जाना कि ‘हे हमारे पिता’ मुक्त करने वाली प्रार्थना हैं। यह ‘… हमें बुराई से बचा। आमेन’ के साथ समाप्त होता है। और यह दुष्टात्मा को भगाने की कलीसया के आधिकारिक रस्म की महत्वपूर्ण प्रार्थना भी है। पीड़ित को शैतानी प्रदर्शनों से बचाने के लिए ‘हे हमारे पिता’ की प्रार्थना की जाती है। उस समय मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं थी। उस पल से (जब मैं 16 या 17 साल का था) मैंने सहायता के लिए प्रार्थना करना शुरू किया। हर रात, नशीले पदार्थों और शराब पीने को छोड़ने और अपने जीवन को वापस ठीक करने के लिए मदद माँगते हुए मैं प्रार्थना करता था और इसलिए भी क्योंकि मेरे खिलाफ अदालत में मुकदमा चल रहा था। मुझ पर 11 अपराधों का इलज़ाम लगाया गया था और मेरा वकील साफ़ साफ़ कहता ष्ट था- “तुम जेल के बहुत करीब हो।”

उस दौरान मेरे पिता को अपने शराबीपन से छुटकारा मिल गया था। ‘एल्कोहलिक्स एनोनिमस प्रोग्राम’ के जरिए उन्होंने अपनी शराब की लत पर काबू पाया। उनके ठीक होने में मदद करने के लिए, उनके पास एक प्रायोजक जिम ब्राउन था, जो स्वयं एक गहरे विश्वास के अनुभव के बाद शराब की लत से मुक्त हुआ था। तब से वह लोगों को “मेडजुगोरजे” की तीर्थ में ले जा रहा था। मेरे पिता ने जिम से मुझे मेडजुगोरजे लाने के लिए कहा। जिम ने मेरे पिताजी से कहा कि वे हर रात रोज़री करते समय एक भेद मेरे लिए चढ़ाएँ। हालाँकि पहले जिम मेरी बदनामी के कारण मुझे तीर्थ में ले जाने में झिझक रहा था, फिर उसने मुझे एक मौका दिया।

हम 2005 के पास्का काल के दौरान मेडजुगोरजे गए, लेकिन मैं सिर्फ शराब पी रहा था, लड़कियों की तलाश कर रहा था; वास्तव में मैं किसी भी तरह के कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहा था। तीसरे दिन, मैं उस पहाड़ी पर चढ़ा जो कथित तौर पर वह स्थान है जहाँ माता मरियम पहली बार छः लोगों को दिखाई दी थी। बहुत से लोगों को वहाँ बहुत सुन्दर-सा अनुभव होता है, लेकिन मुझे उस समय इसके बारे में जानकारी नहीं थी। मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा था, लेकिन मेरा सामना जीवित-ईश्वर से हुआ। मुझे विश्वास का उपहार दिया गया। मेरे अन्दर से अचानक सारे संदेह दूर हो गए। मुझे अब पता चला कि ईश्वर सच में है, और मुझे माता मरियम से प्यार हो गया। मैंने इश्वर के असीम प्रेम को अनुभव किया, इसलिए मैं परिवर्तित व्यक्ति के रूप में उस पहाड़ से नीचे उतरा।

किसी व्यक्ति ने वर्षों बाद मुझसे कहा, “जब आप उस पर्वत से नीचे आए तो आप अलग थे, आप आँखों से संपर्क बनाए रखने में सक्षम हो रहे थे, आप स्वतंत्र और सहज बन गए थे। आप मन के उस भारीपन और उदासी से मुक्त होकर अधिक आनंदित लग रहे थे।” उसने मुझमें एक परिवर्तन देखा। मैं ईश्वरीय करुणा वाले रविवार की पूर्व संध्या पर संस्कारों में वापस आया, उस दिन संत जॉन पॉल द्वितीय की मृत्यु हुई। मैं उड़ाऊ पुत्र की तरह था, जो ईश्वर, अपने पिता के पास वापस आ रहा था।

मेडजुगोरजे से वापस आने के दो हफ्ते बाद, मुझे अदालत में पेश होना था। मैं अभी 18 साल का था जिसका मतलब था कि मुझे खुद के लिए खड़े होकर अपने बचाव में दलील पेश करना था। इसलिए यह काफी डरावना था। तीन पुलिसवाले, दो जासूस, अधीक्षक, जज, मेरे माता-पिता, मेरा वकील और कुछ पत्रकार वहां उपस्थित  थे। जब भी मैं अपनी कहानी बताने के लिए अपना मुंह खोलता, तो पुलिसवाले टोकते हुए कहते थें, “यह आदमी समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा है, इसे बंद करने की जरूरत है, यह बहुत विनाशकारी है और हम इसकी कई हरकतों से वाकिफ़ हैं।” वे मुझे टोकते रहे, इसलिए मैं कोई बात स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सका। मैं बहुत घबराया हुआ था लेकिन वहाँ बहुत से लोग मेरे लिए दुआ कर रहे थे।

अचानक कुछ अजीब हुआ। जज जिनका नाम मैरी डेवन्स था, उन्होंने पुलिसवालों की ओर इशारा किया और उनसे बोली, “मैं ने बहुत कुछ सुना! मेरे अदालत से बाहर निकल जाओ।” वे एकदम सन्न हो गए। उनके जाने के बाद, वे  मेरी ओर मुड़ी और बोली, “ठीक है, मुझे अपनी कहानी बताओ।” मैंने उन्हें बस इस बारे में बताया कि मैं किस प्रकार मेडजुगोरजे नामक तीर्थ स्थान गया और वहाँ के अपने अनुभवों के बारे में बताया। मैंने ईमानदारी से रोते हुए घोषणा की, “मुझे बस यह विश्वास है कि ईश्वर मेरे जीवन को बदलने जा रहा है।” उन्होंने मेरी आँखों में देखा और कहा, “मैं तुम्हें दूसरा मौका देने जा रही हूँ।” मुझे निलंबित सजा, 200 घंटे की सामुदायिक सेवा और एक साल के लिए नौ बजे की निषेधाज्ञा दी गयी। यही वह पल था! यही मेरे जीवन का अंतिम मौका था जिसकी मुझे जरूरत थी और मैंने इसे ले लिया।

पीछे मुड़कर देखने पर, और जो कुछ हुआ था उसका आध्यात्मिक रूप से विश्लेषण करने पर, मुझे लगता है कि उस दिन ईश्वर मेरा न्यायाधीश था। यह वही था जिसने मेरे हृदय में ईमानदारी देखी और हस्तक्षेप किया। मैरी डेवॉन्स सिर्फ उसकी दया का साधन थी। यह एक शक्तिशाली अनुभव था। वह दिन मेरा उद्धार का दिन था। और मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुझे एहसास हुआ कि मेरा जीवन एक उपहार है और सभी का जीवन एक उपहार है। हमने अपने अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। ईश्वर ने हमें मुफ्त में दिया है।

मैंने बाइबल का अध्ययन करने, संतों के जीवन को पढ़ने और अपने विश्वास को गहराई में लेकर जाने लगा। मैंने सन् 2000 ई. से युवा लोगों के समूहों को मेडजुगोरजे में ले जाना शुरू किया। हाल ही में, मैंने एक फादर को “परिवर्तन का चिन्ह क्या है?” इस प्रश्न का उत्तर देते हुए सुना, उन्होंने उत्तर दिया कि परिवर्त्तन का चिन्ह  सुसमाचार का प्रचार करने की इच्छा है। यदि आपका सामना जीवित ईश्वर के साथ हुआ है, तो आप इस अनुभव को अपने तक नहीं रखें बल्कि इसे साझा करें। और मैं इसे साझा करना चाहता था क्योंकि मैं ईश्वर के प्रेम से प्रज्वलित था। और यही मेरे लिए वास्तविक उपहार है।

विश्वास ईश्वर के स्वयं प्रकटीकरण की प्रतिक्रिया है, जो ईश्वर जो हमारे लिए मर गया, जिसने हमें अपने लहू से खरीदा। मैं उस प्रेम को प्रतिदान करना चाहता हूँ, जो ईश्वर ने मेरे लिए क्रूस पर व्यक्त किया।

एक बाइबिल वचन है जिसने हमेशा मेरे दिल से बात की है। “पहले ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो और बाकी सब चीज़ें तुम्हें यों ही मिल जायेगी।” तो अगर आप ईश्वर को पहला स्थान देते हैं, तो बाकी सब ठीक हो जाएगा। हम उदारता में ईश्वर से आगे नहीं निकल सकते। यह मेरा ईश्वरीय अनुभव है। यदि आप ईश्वर को एक मिलीमीटर देते हैं, तो वह आपको पूरा ब्रह्मांड देगा। जब हम ईश्वर को कुछ भी देते हैं, जैसे रोटियां और मछलियां, वह उसे कई गुना बढ़ा देगा। आप उदारता में उससे आगे नहीं निकल सकते।

अक्सर नवयुवकों में यह पूर्वकल्पित विचार होता है कि ईश्वर का अनुसरण करने का मतलब है कि सब कुछ त्याग देना, इसलिए जीवन नीरस और उदासहीन हो जाता है। लेकिन इसके ठीक उलट होता है। संत अगस्टीन कहते हैं, “ईश्वर के साथ प्यार में पड़ना सबसे बड़ी प्रेमलीला है, उसे खोजना सबसे बड़ा साहसिक कार्य है और उसे पाना सबसे बड़ी मानवीय उपलब्धि है।” तो, यह साहसिक कार्य है। ईश्वर के साथ रहना यकीनन एक साहसिक कार्य रहा है। इसलिए जब ईश्वर पहल करते हैं तब उसे उत्तर देने से न डरें।

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Keith Kelly

Keith Kelly lives with his wife and 3 children in Westborough County Mail. Article is based on his testimony shared through the Shalom World program “Jesus My Savior”

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