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जुलाई 27, 2021 1548 0 Sean Booth, UK
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प्यार का चुम्बन

एक तीव्र बुलाहट

मुझे याद है कि जब मैं आठ साल का बालक था, मैं अपनी मां के साथ बैठकर टीवी पर, अफ्रीका के गरीब और भूखे बच्चों के लिए दान करने की एक अपील देख रहा था। मेरे हम-उम्र एक लड़के को रोते हुए दिखाया गया था जिसे देखकर मुझे उसके प्रति एक प्रकार का दर्द और लगभग चुंबकीय आकर्षण महसूस हुआ। जब उसके होंठ पर एक मक्खी आ बैठी और और उसने उसकी ओर बिलकुल ध्यान नहीं दिया तो मुझे लगा कि मेरी आँखों में उसकी आँखें प्रवेश करके जल रही हैं। उसी समय, प्रेम और दु:ख की लहरों में मैं डूब गया |

एक तरफ भोजन की कमी से मर रहे इन लोगों को मैं देख रहां था, और उसी समय, भरे पूरे रेफ्रिजरेटर से कुछ ही मीटर दूर मैं आराम से बैठा था। मैं अन्याय का पूरा अंदाजा नहीं कर पा रहा था और सोचता रहा कि मैं क्या कर सकता हूं। जब मैंने अपनी मां से पूछा कि मैं कैसे उन भूखों की मदद कर सकता हूं तो माँ ने कहा कि हम पैसे भेज देंगे। लेकिन मैंने अपने अन्दर एक मजबूरी को महसूस किया कि मुझे व्यक्तिगत रूप से, प्रत्यक्ष रूप से कुछ करना चाहिए। यह एहसास मेरे जीवन के विभिन्न आयामों में मेरे दिल में गूँजता रहा। लेकिन मुझे कभी नहीं पता था कि व्यक्तिगत रूप से या प्रत्यक्ष रूप से कार्य करने का मतलब क्या हो सकता है। जैसे मैं उम्र में बढ़ रहा था, मुझे विश्वास हो रहा था कि मेरे जीवन में एक बुलाहट है, कि बदलाव लाने के लिए ही मेरा अस्तित्व है, और मैं दूसरों से प्यार, सेवा और मदद करने के लिए पैदा हुआ हूँ। लेकिन उन दृढ धारणाओं को कार्यान्वित करने में अक्सर जीवन की वास्तविकताएं बाधा बनती थी।

जीवन का यात्रा वृत्तांत

सन 2013 में मैंने इंग्लैंड के एक जेल में समय बिताया। यहीं पर अपने जीवन के सबसे प्रभावी जीवन-परिवर्तन के अनुभव के बीच में पुनर्जीवित प्रभु से मैंने मुलाक़ात की। इसे विस्तार में बताने में मुझे अधिक स्थान चाहिए| (शालोम वर्ल्ड टीवी कार्यक्रम “येशु मेरा मुक्तिदाता (Jesus My Saviour) जहां मैं अपने जीवन कथा के उस हिस्से का वर्णन करता हूँ, उस एपिसोड के लिंक प्राप्त करने के लिए लेख के अंत में दिए गए मेरे परिचय पत्र को देखें|) लेकिन प्रभु के साथ हुए उस साक्षात्कार के बाद मैं ने प्रभु के सम्मुख अपना आत्मसमर्पण कर दिया। और तब से अब तक की यात्रा सबसे अविश्वसनीय रही है ।

2015 में, जब मैं भारत के कोलकत्ता में गरीबों के साथ काम कर चुके एक अमेरिकी धर्मसंघी बंधु से मिला, तो मैंने आखिरकार पहचान लिया कि गरीबों की सेवा ही मेरी बुलाहट है। चंद महीनों के अन्दर ही, मदर तेरेसा के मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी में स्वयंसेवक के रूप में काम करने के लिए मैं हवाई जहाज़ में बैठकर कोलकत्ता पहुँच गया।

जैसे ही मैं कोलकता एयरपोर्ट पर उतरा, मैंने रात में आसमान की ओर देखा और ईश्वर की उपस्थिति महसूस की। जब मैं टैक्सी में बैठा था, तो तुरंत मैंने सोचा, ‘मैं घर पर हूँ। लेकिन यहाँ मैं एक ऐसी जगह पर था जहाँ मैं पहले कभी नहीं आया था। जब मैंने स्वयंसेवक का सेवाकार्य शुरू किया, तो मुझे समझ में आया कि मुझे क्यों ‘घर पर होने’ का एहसास हुआ: क्योंकि घर वह है जहाँ दिल है।

मैंने भारत के गरीब और मनमोहक लोगों में अनगिनत बार येशु को देखा। मदर तेरेसा ने कहा था कि सुसमाचार को पांच अंगुलियों पर वर्णित किया जा सकता है: “तुमनेयहमेरे… लिए… किया (मत्ती 25:40), और इसलिए मैंने हर बार गरीबों के चेहरों पर येशु की आंखों को देखा। मैं भोर में जिस पल उठता था, और प्रार्थना करता था, उस पल से, रात के जिस पल मैं बिस्तर पर लेटता था, तब तक मुझे प्यार का अनुभव हुआ। प्रत्येक रात को सोने से पहले आधी रात तक मैं छत पर बैठकर डायरी लिखता था। लोग सोचते थे कि मैं कैसे इतना काम लगातार कर पा रहा हूं, जबकि मुझे, थकान से चूर चूर होकर, टूटकर गिर जाना चाहिए था । मेरे न गिरने का केवल एक ही कारण है – मेरे दिल में पवित्र आत्मा की आग की उपस्थिति ।

आत्मा की खिडकियाँ

कहा जाता है कि आंखें आत्मा की खिड़कियां हैं। मैं अक्सर आँखों के माध्यम से लोगों से जुड़ता हूँ। मैं इसी तरह एक विकलांग युवक के साथ जुड़ गया जिसकी देखभाल मैं करता था। वह मुझे अपने साथ ताश खेलने के लिए रोज़ आमंत्रित करता था। वह मूक था और अपने हाथों और पैरों से भी कुछ नहीं कर पाता था | इसलिए वह इशारे से बताता था कि मुझे उसके किस ताश को पलटना चाहिए। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, हमने खूब संवाद किया, भले ही उसके मुंह से कोई शब्द नहीं निकलता था। हमने आंखों के माध्यम से प्रेम की सार्वभौमिक भाषा में सम्प्रेषण किया।

एक दिन व्हील चेयर पर उसने घर के अंदर उसे घुमाने के लिए मुझसे कहा और उसके दिशानिर्देश पर हम लोग प्रार्थनालय के दरवाजे तक पहुँच गए। मैंने उससे पूछा कि क्या तुम येशु से प्यार करते हो ? उसने मुस्कुराया और सिर हिलाया। हमने प्रार्थनालय के अन्दर प्रवेश किया। मैंने उसे दैविक करुणा की आदमकद तस्वीर के करीब पहुंचाया, तुरंत उसने खुद को व्हीलचेयर से बाहर नीचे की ओर फेंक दिया। यह सोचकर कि वह गिर गया है, मैं उसकी मदद करने के लिए नीचे झुका, लेकिन उसने मुझे इशारे से दूर कर दिया और ऐसा कार्य किया जो मेरी निगाह में भक्ति के सबसे सुंदर कृत्यों में से एक था। अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसने खुद को अपने घुटनों पर खडा कर दिया। मैंने भी आंसू भरी आँखों के साथ उसके बगल में घुटने टेक दिए। जैसे ही मैं ‘हे हमारे पिता..’, ‘प्रणाम मरिया…’ और पवित्र त्रीत्व की महिमा की प्रार्थना बोल रहा था, उसने भी मेरे शब्दों के ताल और स्वर के साथ पूरी तरह से मेल करते हुए आवाज़ निकाली। जन्म से इस युवक ने पीड़ा, तिरस्कार और अलगाव का जीवन झेला था। उसका शरीर अपंग था, फिर भी उसने घुटने टेक कर प्रार्थना की, वह ईश्वर को धन्यवाद देते हुए एक अद्भुत प्रकाश प्रसारित कर रहा था और मुझे सिखा रहा था कि प्रार्थना कैसे की जानी चाहिए।

एक और दिन उसने मुझे अपनी सारी सांसारिक संपत्ति दिखाई। उसने एक छोटा सा जूते का बॉक्स खोला जिसमें कुछ फोटो थे, जिन्हें वह मुझे दिखाने के लिए उत्सुक था। फ़ोटोज़ तब की हैं जब मिशनरीज ऑफ चैरिटी के ब्रदर्स ने उसे पहली बार पाया था और उन्हें अपने घर में लाये थे। एक और फोटो उसके बपतिस्मा का, एक उसके पहली बार पवित्र परम प्रसाद लेने का, और एक फोटो उसके दृढीकरण संस्कार का। उसे फोटो दिखाना बहुत अच्छा लग रहा था और उसे दिखाने में उसकी ख़ुशी देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लगा।

जब मेरे घर लौटने का समय आया, तब मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे | अपने नए दोस्त को अलविदा कहना मेरे लिए लगभग असंभव सा लग रहा था। हम दोनों उसके बिस्तर के बगल में थे जब उसने अपने तकिये की ओर इशारा किया। मुझे समझ में नहीं आया, लेकिन मानसिक रूप से कुछ कमज़ोर एक बालक ने, मेरे दोस्त का तकिया उठाया और वहां मोतियों की एक माला दिखाई दी। अपने अपंग हाथ से मेरे दोस्त जितनी अच्छी तरह उस जपमाला को पकड़ सकता था, उसने उसे पकड़ा और मुझे देने के लिए मेरी ओर बढ़ा। यह जानते हुए कि उसके पास इस तरह की चीज़ें कितनी कम थी, मैंने उसे बताया कि मैं यह नहीं ले जा सकता। उसने मुझे अपनी घूरती आँखें से कहा कि मुझे लेना ही पड़ेगा। अनिच्छा से मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसने वह जपमाला मेरी हथेली में डाल दी। जैसे ही माला से मेरा स्पर्श हुआ, मुझे लगा कि मेरे पूरे शरीर में प्यार की एक अद्भुत धारा बह रही है। वह रोज़री माला धागा और प्लास्टिक से बनाई गई थी, लेकिन यह सोने या कीमती पत्थरों से भी अधिक मूल्यवान थी। मैंने उसे और उस जपमाला को चूम लिया और मैं अचम्भित होकर सोच रहा था कि इस अद्भुत इंसान की सुंदरता और प्यार के माध्यम से ईश्वर ने मुझे कितना बड़ा आशीर्वाद दिया है। सुसमाचार की विधवा की तरह,  इसने अपनी अत्यधिक गरीबी में से सब कुछ दान कर दिया।

 4 सितंबर 2016 को, मदर तेरेसा संत घोषित की गयी। रोम के सेंट पीटर स्क्वायर में संत घोषण के मिस्सा बलिदान में भाग लेने का मुझे सौभाग्य मिला। वापस घर जाने के लिए उड़ान लेने के पहले, यानी अगली सुबह (5 सितंबर, मदर तेरेसा के पर्व के दिन), ईश्वर को अपने अनुभवों केलिए, साथ साथ मदर तेरेसा के लिए भी धन्यवाद देने के विचार से मैंने संत जॉन लातेरन महागिरजाघर जाने का फैसला किया। सुबह-सुबह, मैंने गिरजाघर में प्रवेश किया। मैं ने पाया कि पूरा गिरजाघर सुनसान था। मेरे सामने सिर्फ दो साध्वी थीं, जो मदर तेरेसा के प्रथम श्रेणी के अवशेष के बगल में खडी थी। मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं प्रार्थना करते समय अपनी नयी रोजरी माला को मदर के अवशेषों पर स्पर्श कर सकता हूं। उन्होंने मुझे इसकी अनुमति दी। मैं ने उन्हें धन्यवाद देते हुए यह भी बताया कि किसने यह जपमाला मुझे दी थी। जैसे ही उन्होंने मुझे जपमाला मदर के पवित्र अवशेष पर स्पर्श कराकर दिया वैसे ही मैं ने उसे चूमा। उन्होंने मुझे मदर तेरेसा का एक पवित्र कार्ड दिया जिसके पीछे लिखा था मरियम के माध्यम से सब कुछ येशु के लिए। इस वाक्यांश ने मेरे दिल में एक विस्फोट कर दिया। मैं येशु से लगातार प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे दिखायें कि मैं किस तरीके से उन्हें सबसे अधिक प्रसन्न करूं? इस कार्ड ने मेरी प्रार्थना का उत्तर किया। जैसे ही मैंने धन्यवाद की प्रार्थना की, मुझे अपने कंधे पर किसी के स्पर्श का एहसास हुआ। सर्जिकल मास्क पहनी एक महिला सीधे मेरी आँखों में देख रही थी। उन्होंने कहा, आप जो भी प्रार्थना कर रहे हैं, डरिये मत, ईश्वर आपके साथ है।” मैं तुरंत उठ खड़ा हुआ और मेरे अन्त:स्थल से आभार भरा प्रेम उमड़ रहा था, उस प्रेम से मैं ने उस औरत की हथेली को चूम लिया।

महिला ने बताया कि उन्हें कैंसर की बीमारी है। “लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि मैं अपने को ठीक नहीं कर सकती”। मैंने कहा, “यह सच है कि आप अपने को ठीक नहीं कर सकती हैं, लेकिन ईश्वर ठीक कर सकता है, और इसके लिए आपको विश्वास होना चाहिए। ”

उस महिला ने जवाब दिया कि उन्हें थोड़ा ही विश्वास है। मैंने उसे बताया कि यह ठीक है क्योंकि येशु ने हमें बताया कि पहाड़ों को स्थानांतरित करने के लिए केवल सरसों के बीज के आकार का विश्वासही काफी है (मारकुस 11: 22-25)। मैं ने यह भी कहा कि “अगर हम पहाड़ों को स्थानांतरित कर सकते हैं, तो हम निश्चित रूप से कैंसर को हटा सकते हैं।” मैंने उन्हें मेरे साथ यह दोहराने के लिए कहा: “मुझे विश्वास है कि मुझे मिल गया है” (मारकुस 11:24)। उन्होंने इसे दोहराया और जैसे ही हम एक दुसरे से विदा ले रहे थे, मैंने उन्हें एक रोजरी माला भेंट कर दी जिसे मैंने मेडजुगोर्ज से प्राप्त किया था। हमने फोन नंबरों का आदान-प्रदान किया। अगले हफ़्तों में मैंने येशु पर भरोसा करने और चंगाई प्राप्त करने के लिए ईमेल के माध्यम से पवित्र वचन देकर उन्हें प्रोत्साहित किया।

अवर्णनीय शक्ति

कुछ हफ्ते बीत गए। एक दिन दोपहर के समय जैसे मैं प्रार्थना करने के लिए गिरजाघर में प्रवेश कर रहा था, उस महिला ने मुझे एक सन्देश भेजा। वह जांच के लिए अस्पताल जा रही थी और उसने प्रार्थना करने के लिए कहा। इसके पहले की जांच से पता चला कि कैंसर फैल गया था। जैसे मैं उस दिन गिरजाघर में प्रार्थना कर रहा था, मुझे लगा कि गिरजाघर के कांच की खिड़की से होकर मुझ पर सूरज की रोशनी चमक रही है। बाद में, उसने फिर से सन्देश भेजा कि डॉक्टर लोग “नहीं समझा पाए हैं”!

उनकी हालत न केवल बेहतर था, कैंसर पूरी तरह से अदृश्य हो गया था| मैं ने उस पल को याद किया जब उसने रोम शहर में मेरे कंधे पर स्पर्श किया था और उस समय उनकी हथेली का चुंबन करने की मुझे तीव्र इच्छा हुई थी। उस चुंबन से चंद लम्हें पहले, मैं ने मदर तेरेसा के अवशेष पर स्पर्श कराये गए जपमाला की मोतियों को चूमा था। जब मैंने उन्हें इस के बारे में समझाया तो वे दंग रह गई और मुझे बताया कि वर्षों पहले जब वे मदर तेरेसा से मिली थीं, उस समय मदर ने उन्हें अपने मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी समुदाय में शामिल होने के लिए कहा था। उस बुलावे के लिए हाँ कहने के बजाय, उन्होंने शादी करने का फैसला किया। लेकिन अब इस नाटकीय चंगाई में वे अप्रत्याशित रूप से मेरे, रोम के महागिरजाघर के, और पवित्र अवशेष के माध्यम से उस पवित्र नारी मदर तेरेसा के साथ जुड़ गई थी, जिनसे कई साल पहले वे मिली थीं।

मेरे जीवन की घटनाओं से मुझे पता चला है कि ईश्वर प्रार्थना का जवाब देता है, कि येशु इस समय  भी चंगा करता है, और वह चमत्कार अभी भी होता है। हमारे पास मदद करने के लिए संतों की मध्यस्थता और रोज़री माला की शक्ति है। और वह शक्ति पहाड़ को भी हटाने के लिए काफी है।

प्रिय येशु, इस दुनिया की सारी बातों से ऊपर मैं तुझे प्यार करता हूं। अपने आस-पास के लोगों में, विशेष रूप से मेरे परिवार में तुझे देखने, और तुझे प्य्रार करने की खुशी को उनके साथ साझा करने में मेरी मदद कर। मैं तुझसे प्रति दिन अधिक से अधिक प्यार करना चाहता हूँ। आमेन।

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Sean Booth

Sean Booth is a member of the Lay Missionaries of Charity and Men of St. Joseph. He is from Manchester, England, currently pursuing a degree in Divinity at the Maryvale Institute in Birmingham.

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