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नाइजीरिया के अंदरूनी इलाकों में, पर्याप्त संसाधनों या मदद के बिना, इस पुरोहित ने अविश्वसनीय और अलौकिक हस्तक्षेप का अनुभव किया।
लड़ाई-झगड़े उनके लिए कोई अजनबी बात नहीं थी। वे 6 फीट 2 इंच लंबे थे, कैथलिक पुरोहित बनने से पूर्व वे किक बॉक्सिंग में ब्लैक बेल्ट थे, और उनका अतीत बहुत ही रंगीन था। लेकिन ईश्वरीय दिशा-निर्देश को महसूस करते हुए, जब उन्होंने नाइजीरिया के उसेन में सोमास्कन मिशनरी धर्मसमाज के सुपीरियर के रूप में कार्यभार संभाला, तो श्रद्धेय फादर वर्गीस परकुडियिल उस स्थिति में आ गए, जिसे वे ‘आखिरी लड़ाई’ कहते हैं – रोजमर्रा की जिंदगी में अच्छाई और बुराई के बीच सीधा युद्ध।
वे वास्तव में ‘जूजू’ यानी अफ्रीकी जादू-टोना के गढ़ में पहुँच गए थे। स्थानीय जूजू जादूगरों को उनकी जादुई ‘शक्तियों’ के लिए पूरे महाद्वीप में अत्यधिक सम्मान दिया जाता था। उन जादूगरों के अनुयायियों में कई प्रमुख हस्तियाँ थीं, जिनमें महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियाँ और यहाँ तक कि कुछ स्थानीय ईसाई भी शामिल थे। लेकिन, “जहाँ पाप की वृद्बधि हुई, वहाँ अनुग्रह की उससे कहीं अधिक वृद्धि हुई” (रोमी 5:20), और श्रद्धेय वर्गीस ने निश्चित रूप से ईश्वर की शक्ति का अनुभव किया जैसा पहले कभी नहीं हुआ।
येशु के नाम के उच्चारण मात्र से ही पीड़ितों को बुरी आत्माओं से छुटकारा मिल जाता था; मसीहियों के पास वह ईश्वरीय सुरक्षा थी जिसे जादूगरों के संयुक्त श्राप भेद नहीं सकते थे, और ईश्वरीय ताकत के कई अन्य शक्तिशाली प्रदर्शन वे अनुभव करते थे।
लेकिन अलौकिक हस्तक्षेप की अलग तरीके की एक उल्लेखनीय घटना यहाँ बताने लायक है।
जो कुछ उसके पास था
यह अक्टूबर 2012 की बात है, फादर वर्गीस के भारत से उसेन चले जाने के कुछ ही सप्ताह बाद, एक दिन एक महिला उनके पास आई। फादर का अभिवादन करने के बाद, उसने अपनी पोशाक का हिस्सा अपने पेट के ऊपर उठा लिया। फादर भयभीत हो गये, उस महिला ने अपने पेट पर चिपकी काली प्लास्टिक शीट का एक टुकड़ा हटाया और उसकी नाभि के बगल में जितना बड़ा एक संतरा होता है, उतना ही बड़ा छेद दिखाई दिया।
उसे ठीक करने के लिए हर्निया के ऑपरेशन में 400,000 नायरा लगेंगे, जिसे वह वहन नहीं कर सकती थी: “क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?” उसने पूछा। फादर बताते हैं कि यह सुनकर वास्तव में वे निरुत्तर हो गये थे, इसलिए उन्होंने उससे कहा कि मैं आपकी सहायता करने की स्थिति में नहीं हूँ। लेकिन उसे टालने के उद्देश से, उन्होंने उसे सलाह दी कि वह किसी भी तरह ऑपरेशन करवा लें …
जैसे ही वह धीरे-धीरे चली गई, फादर वर्गीस को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने अपनी माँ (जिसकी हाल ही में मृत्यु हो गयी थी) को जाते हुए देखा हो। असहाय और भारी मन से, उन्होंने उस महिला के लिए अपनी सबसे ईमानदार प्रार्थना फुसफुसायी।
अलौकिक समरूप
नए साल से पहले, रविवार के दिन, एक महिला अपनी दो बेटियों के साथ केले का एक बड़ा गुच्छा और फलों और सब्जियों से भरा एक बैग लेकर फादर के निवास स्थान पर आई। फादर के सामने घुटने टेकती हुई, उसने अपनी हथेलियाँ आपस में रगड़ीं – एक इशारा जो या तो अत्यधिक आभार या माफी व्यक्त करता है – और उसने फादर के सामने केले और बैग की भेंट प्रस्तुत की। फादर हैरान थे; हालाँकि वह महिला अजीब तरह से परिचित लग रही थी, वे उसे पहचान नहीं सके।
“क्या आप मुझे नहीं पहचानते फादर?” उसने पूछा। जैसे ही उसने अपने पेट के ऊपर का कपड़ा निकाला, फादर को एहसास हुआ कि यह वही महिला है जो पहले मदद के लिए उनके पास आई थी। अब, वह पूरी तरह से ठीक लग रही थी, जाहिर तौर पर एक ऑपरेशन के माध्यम से, क्योंकि टांके के निशान अभी भी दिखाई दे रहे थे।
जब उस महिला ने उन्हें धन्यवाद दिया, तो फादर असमंजस में पड़ गये, वह समझ नहीं पा रहे थे कि मैंने इस कृतज्ञता की भेंट पाने के लिए क्या किया है। उस महिला ने कहा, “क्योंकि आपने बिल का भुगतान कर दिया था।” उसकी टिप्पणी से पूरी तरह से चकित होकर, उन्होंने उससे स्पष्ट करने के लिए कहा।
उनकी उस आपसी दु:खद मुलाकात के बाद, वह महिला हर्निया के ऑपरेशन के लिए बेनिन शहर के एक अस्पताल में भर्ती हो गयी थी और उसने उम्मीद की थी कि मैं क्रिसमस और नए साल के जश्न के लिए समय पर घर वापस आ जाऊँगी। जब उसने अस्पताल के कर्मचारियों से कहा कि मैं सर्जरी के बाद भुगतान करूंगी, तो कुछ अजीब कारण से, उन्होंने सहमति दे दी। एक बार जब सर्जरी पूरी हो गई और उसे वापस उसके कमरे में ले जाया गया, तो उसने उनसे कहा कि मैं घर वापस जाऊंगी और बिल का भुगतान करने के लिए अपनी जमीन बेच दूंगी। जाहिर है, वे उसे भुगतान किए बिना जाने नहीं देंगे। अगला तार्किक कदम उसे पुलिस को सौंपना होता। लेकिन थोड़ी देर बाद, एक नर्स उसका बिल लहराते हुए उसके कमरे में आई और उससे कहा, “ईश्वर की स्तुति करो, आपके पल्ली पुरोहित अभी आए और उन्होंने आपका बिल चुका दिया। आप अब जा सकती हैं,” उसने आगे कहा: “वह ओयिबो (जैसा कि गैर-अफ्रीकी विदेशियों को कहा जाता है), बड़ा लंबा आदमी था।”
अवर्णनीय रहस्य
फादर वर्गीस के लिए, यह एक प्रहार था, जिसका उन्होंने पहले कभी नहीं अनुभव किया था! उस समय बेनिन सिटी धर्मप्रांत में उनके अलावा कोई अन्य ‘ओइबो’ फादर नहीं थे।
फादर वर्गीस कहते हैं, “वह मैं नहीं था, अगर कोई अन्य फादर ने बिल का भुगतान किया हो, तो ईश्वर की स्तुति हो।” लेकिन मेरा मानना है कि यह मेरे रखवाल स्वर्गदूत था जिसने यह कार्य किया।”
फादर वर्गीस अभी भी असमंजस में हैं कि उस महिला को बिना पैसे के ऑपरेशन कराने की हिम्मत कैसे हुई। क्या उसने सोचा था कि फादर किसी तरह उसका बिल चुका देगा? या क्या उसे लगा कि जिस पीड़ा से वह गुजर रही थी, जेल जाना ही उससे बेहतर विकल्प था?
इस तरह और कई अन्य अनुभवों को पाकर, जिनके माध्यम से उन्हें प्रभु की स्थायी कृपा के बारे में आश्वासन मिला, फादर वर्गीस ने उत्साह के साथ अपनी मिशनरी सेवा जारी रखी। वे वर्तमान में इटली में सोमास्कन मदर हाउस में सुपीरियर और अंतर्राष्ट्रीय नव शिष्यालय के निदेशक के रूप में दोहरी भूमिकाएँ संभाल रहे हैं। वे विनम्रतापूर्वक कहते हैं, “इटली में मेरी सेवा निश्चित रूप से अफ्रीका या भारत की तरह एक्शन से भरपूर नहीं, लेकिन यह अब मेरे लिए ईश्वर द्वारा दी गयी ज़िम्मेदारी है।”
'क्या आप उस पहले शहीद को जानते हैं जिसने पाप स्वीकार का रहस्य उजागर करने के बजाय मरना पसंद किया? 14-वीं सदी में प्राग शहर में फादर जॉन नेपोमुसीन रहते थे, जो एक प्रसिद्ध सुसमाचार के प्रवक्ता एवं प्रचारक थे। जैसे-जैसे उनकी प्रसिद्धि फैलती गई, राजा वेन्सस्लाउस चतुर्थ ने उन्हें शहर के लोगों की जरूरतों का ख्याल रखने के लिए तथा अदालत में मुकदमों में बहस निपटाने के लिए आमंत्रित किया। वे अंततः रानी के पाप स्वीकार सुनने का कार्य करने लगे। रानी के आत्मिक निर्देशक के रूप में उन्होंने रानी को राजा की क्रूरता को धैर्यपूर्वक सहन करने के लिए आध्यात्मिक रूप से उनका मार्गदर्शन किया।
अपने गुस्से और ईर्ष्या के आक्रोश के लिए बदनाम राजा ने एक दिन पुरोहित जॉन नेपोमुसीन को अपने कक्ष में बुलाया और उनसे रानी के पाप स्वीकार के बारे में पूछताछ करना शुरू कर दिया। फादर जॉन ने राजा द्वारा रिश्वत की पेशकश और भयंकर यातना के बावजूद पाप स्वीकार के रहस्यों को उजागर करने से इनकार कर दिया; फलस्वरूप, उन्हें कैद कर लिया गया। राजा उन पर दबाव डालते रहे और बदले में उन्हें धन और पुरस्कारों की पेशकश भी की। जब राजा ने देखा कि रिश्वत से काम नहीं चलेगा, तो उन्होंने पुरोहित जॉन नेपोमुसीन को मृत्युदंड की धमकी दी। फादर जॉन को हर तरह की यातना से गुज़रना पड़ा, जिसमें उनके शरीर के दोने बाजू के हिस्सों को मशालों से जलाना भी शामिल था, लेकिन इससे भी वे नहीं डगमगाए।
अंत में, राजा ने उन्हें जंजीरों में बाँधने का आदेश दिया, उनके मुंह में लकड़ी का एक कुंदा रखकर शहर में घुमाया, और कार्ल्सब्रुक (चार्ल्स ब्रिज) नामक पुल से उन्हें मोल्दाउ नदी में फेंक दिया गया। संत की प्रतिक्रिया वही रही और उन्होंने कहा था: “मैं हजार बार मरना पसंद करूंगा।” राजा के इस क्रूर आदेश को 20 मार्च, 1393 को निष्पादित किया गया था। इसके बाद जॉन नेपोमुसीन के शरीर को मोल्दाउ नदी से बाहर निकाला गया और प्राग के कैथेड्रल में दफनाया गया।
1719 में, जब गिरजाघर में उनकी कब्र खोली गई, तो उनकी जीभ हलकी सिकुड़ी हुई लेकिन अदूषित और अभ्रष्ट अर्थात पूरी तरह ठीक स्थिति में पाई गई। 1729 में संत पापा बेनेदिक्त तेरहवें द्वारा उन्हें संत घोषित किया गया। अक्सर उनकी तस्वीर एक पुल के पास होठों पर एक उंगली रखे और सिर पर पांच सितारों के साथ चित्रित की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिस रात फादर जॉन की हत्या हुई थी, उस स्थान पर जहां वे डूब गये थे, वहां उस पुल के ऊपर आसमान पर पांच सितारे देखे गए थे । पाप स्वीकार के नियमों के प्रति वफादारी के उनके बहादुर कार्य के कारण, फादर जॉन नेपोमुसीन को पाप स्वीकार सुनने वालों के संरक्षक संत के रूप में माना जाता है।
'रोज़मर्रा की ज़िंदगी के व्यस्त और बोझिल जाल में फँसे व्यक्ति केलिए, क्या खुद को ईश्वर के साथ संपर्क में रहना मुमकिन है?
कभी–कभी, ऐसा लगता है जैसे मेरा विश्वास हर साल बदलते मौसमों के साथ गुज़रता है। कुछ समय में, यह गर्मियों के धूप सेंकने वाले फूलों की तरह खिलता है। यह आमतौर पर छुट्टियों के समय होता है। अन्य समय में, मेरा विश्वास सर्दियों की सोई हुई दुनिया की तरह लगता है – निष्क्रिय, न खिला हुआ विश्वास। यह स्कूल वर्ष के दौरान आम बात बन जाती है जब विद्यालय की व्यस्तता के बीच में दैनिक आराधना या प्रति घंटे प्रार्थना के लिए मुझे अवकाश नहीं मिलता है, जबकि छुट्टियों के दिनों में मैं ये सब कर पाती हूँ। शैक्षणिक सत्र के व्यस्त महीने आमतौर पर कक्षाओं, विद्यालय और घर की गतिविधियों, विभिन्न शैक्षणिक कार्य योजनाओं तथा परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने में बीत जाते हैं।
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ईश्वर को भूलना आसान नहीं, बल्कि उन्हें अपने जीवन की पृष्ठभूमि में धकेल देना आसान है। हम हर रविवार को गिरजाघर जा सकते हैं, प्रार्थना कर सकते हैं और यहां तक कि रोज़ाना माला विनती भी कर सकते हैं, लेकिन हम अपने विश्वास और ‘सामान्य’ जीवन को अलग-थलग रखते हैं। धर्म और ईश्वर को सिर्फ़ रविवार या गर्मी की छुट्टियों के लिए नहीं रखा जाना चाहिए। विश्वास ऐसी चीज़ नहीं है जिससे हमें सिर्फ़ संकट के समय ही चिपके रहना चाहिए या फिर सिर्फ़ धन्यवाद देने के लिए वापस लौटना चाहिए और फिर भूल जाना चाहिए। बल्कि, विश्वास को हमारे दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में भी शामिल किया जाना चाहिए।
रोज़मर्रा की नीरसता
चाहे हमारे पास अपना घर हो, चाहे हम कॉलेज के छात्रावास में रहें या अपने परिवार के साथ रहें, कुछ ऐसे काम हैं जिनसे हम बच नहीं सकते। घर साफ होना चाहिए, कपड़े धुले होने चाहिए, खाना बनना चाहिए…अब, ये सभी काम रोज़मर्रा की ज़रूरतों की तरह उबाऊ लगते हैं – वे ऐसी चीज़ें जिनका कोई मतलब नहीं है, फिर भी हमें उन्हें करना ही पड़ता है। जिस समय का इस्तेमाल हम तीस मिनट के लिए आराधनालय में जाने या दैनिक प्रार्थना में भाग लेने के लिए कर सकते थे, ऐसे काम के कारण वह समय भी हमसे छीना जाता है। फिर भी, जब हमारे घर में छोटे बच्चे हों जिन्हें साफ कपड़ों की जरूरत हो या जब माता-पिता काम से घर आएं और वे हमारे घर के फर्श को साफ़ देखना चाहते हैं, ऐसी परिस्थिति में विश्वास और प्रार्थना को समय देना हमेशा यथार्थवादी विकल्प नहीं होता।
हालाँकि, इन ज़रूरतों को पूरा करने में अपना समय बिताना, ईश्वर से समय छीनना नहीं होता।
लिस्यू की संत तेरेसा अपने “छोटे मार्ग” के लिए प्रसिद्ध हैं। यह मार्ग बहुत प्यार और इरादे के साथ छोटी चीज़ों पर केंद्रित है। संत तेरेसा के बारे में मेरी पसंदीदा कहानियों में से एक में, उन्होंने रसोई में एक बर्तन के बारे में लिखा था जिसे धोना उन्हें पसंद नहीं था (हाँ, संतों को भी बर्तन धोने पड़ते हैं!)। उन्हें यह काम बेहद अप्रिय लगा, इसलिए उन्होंने इसे ईश्वर को अर्पित करने का फैसला किया। वह इस काम को बहुत खुशी के साथ पूरा करती, यह जानते हुए कि ईश्वर को समीकरण में लाने से कुछ अर्थहीन लगने वाले काम को लक्ष्य और सार्थकता मिल गयी है। चाहे हम बर्तन धो रहे हों, कपड़े तह कर रहे हों, या फर्श साफ़ कर रहे हों, हर उबाऊ काम ईश्वर को समर्पित करके प्रार्थना बन सकता है।
उत्तम आनद
कभी–कभी, जब नास्तिक समाज धार्मिक समुदाय को देखता है, तो वे यह मानकर चलते हैं कि इन दो दुनियाओं के बीच कभी मेल नहीं हो सकता। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इतने सारे लोग सोचते हैं कि आप बाइबल का पालन करते हुए जीवन में आनंदमय मनोरंजन नहीं प्राप्त कर सकते! लेकिन यह सच्चाई नहीं है।
मेरी कुछ पसंदीदा गतिविधियों में सर्फिंग, नृत्य, गायन और फ़ोटोग्राफ़ी शामिल हैं; मेरा ज़्यादातर समय इन गतिविधियों को करने में ही व्यतीत होता है। अक्सर, मैं धार्मिक संगीत पर नृत्य करती हूँ और अपने इन्स्टााग्राम के लिए वीडियो बनाती हूँ, जिसमें आस्था के संदेश के साथ कैप्शन लिखती हूँ। मैं गिरजाघर में एक गायिका के रूप में गाती हूँ और अपनी प्रतिभा का उपयोग सीधे ईश्वर की सेवा में उपयोग करना पसंद करती हूँ। फिर भी, मुझे ‘द विजार्ड ऑफ़ ओज़’ जैसे शो में प्रदर्शन करना या फ़ुटबॉल खेलों की तस्वीरें लेना भी पसंद है – ये धर्म से परे कार्य हैं जो मुझे बहुत खुशी देती हैं। यह खुशी तब और बढ़ जाती है जब मैं इन गतिविधियों को ईश्वर को अर्पित करती हूँ।
किसी संगीत या नृत्य कार्यक्रम के बैकस्टेज पर, आप हमेशा मुझे मंच पर अपने प्रवेश से पहले प्रार्थना करती हुई, ईश्वर को वह प्रदर्शन अर्पित करती हुई, और नाचती या गाती समय ईश्वर से मेरे साथ रहने के लिए कहती हुई पाएंगे। बस सही आकार में रहने के लिए व्यायाम करना एक और बात है जिसका मैं आनंद लेती हूँ और अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इसे महत्व देती हूँ। दौड़ने से पहले, मैं इसे ईश्वर को अर्पित करती हूँ। अक्सर, इसके बीच में, मैं अपनी थकान को उनके हाथों में सौंप देती हूँ और उनसे अंतिम मील तक पहुँचने में मदद करने के लिए शक्ति मांगती हूँ। व्यायाम करने और ईश्वर की आराधना करने के मेरे पसंदीदा तरीकों में से एक है तीव्र गति से माला विनती करते हुए टहलने जाना, जिससे मेरे शरीर और मेरी आध्यात्मिक भलाई दोनों को लाभ मिलता है!
हर बात में, हर जगह पर
हम अक्सर दूसरों में ईश्वर को ढूँढना भूल जाते हैं, है न? मेरी पसंदीदा किताबों में से एक मदर तेरेसा की जीवनी है। लेखक, फादर लियो मासबर्ग, उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते थे। उन्हें याद है कि एक बार उन्होंने मदर को प्रार्थना में डूबी हुई देखा था, जबकि उन्होंने देखा कि कोई रिपोर्टर डरते डरते बड़ी हिचक के साथ उनके पास आया, और वह सवाल पूछने से डर रहा था। फादर मासबर्ग के मन में बड़ी उत्सुकता थी कि मदर तेरेसा कैसी प्रतिक्रिया देंगी, लेकिन फादर को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि मदर रिपोर्टर की ओर खुशी और प्यार से देख रही थीं, न कि झुंझलाहट से। उन्होंने टिप्पणी की कि कैसे, मदर ने अपने मन में, बस अपना ध्यान येशु से हटाकर येशु पर लगा दिया था।
येशु हमें बताते हैं: “मैं तुमसे सच कहता हूँ, जैसे तुमने मेरे भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए किया।” (मत्ती 25:40)। लेकिन येशु केवल गरीबों या बीमारों में ही नहीं पाए जाते। वे हमारे भाई–बहनों, हमारे दोस्तों, हमारे शिक्षकों और सहकर्मियों में भी पाए जाते हैं। हमारे रास्ते में आने वाले लोगों के प्रति बस प्यार, दया और करुणा दिखाना, हमारे व्यस्त जीवन में ईश्वर को प्यार देने का एक और तरीका हो सकता है। जब आप किसी मित्र के जन्मदिन के लिए कुकीज़ बनाते हैं या किसी ऐसे व्यक्ति, जिसे आपने काफी समय से नहीं देखा है, उसके साथ आप दोपहर के भोजन के लिए बाहर जाते हैं, तो आप उनके जीवन में परमेश्वर के प्रेम को ला सकते हैं और उसकी इच्छा को पूरा कर सकते हैं।
आप चाहे जहाँ भी हों…
हम अपने जीवन में, हमारी उम्र बढ़ने और समय आगे बढ़ने के साथ–साथ अलग–अलग चरणों से गुज़रते हैं। किसी पादरी या साध्वी की दैनिक दिनचर्या किसी परिवार की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी निभा रहे वफादार लोक धर्मी व्यक्ति से बहुत अलग होगी। इसी तरह एक हाई स्कूल के छात्र की दैनिक दिनचर्या वयस्क व्यक्ति की दिनचर्या से अलग होगी। यही बात येशु के बारे में इतनी खूबसूरत है—येशु हमसे वहीं मिलते हैं, जहाँ हम हैं। वे नहीं चाहते कि हम उसे वेदी पर छोड़ दें; उसी तरह, जब हम उसके गिरजाघर से बाहर निकलते हैं, तो वे हमें यूँ ही नहीं छोड़ देते। इसलिए, अपने जीवन में व्यस्त होने के कारण आप ईश्वर को छोड़ रहे हैं, ऐसी बोझिल सोच ढोने के बजाय, अपने हर काम में उसे आमंत्रित करने के तरीके खोजें, और आप पाएंगे कि आपके जीवन में हर बात में अधिक प्रेम, लक्ष्य और उद्देश्य हैं और आप के अन्दर विश्वास पर आधारित जीवन जीने की एक नयी ऊर्जा है।
'इस बात का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करें कि ईश्वर स्वर्ग की बातों का संचार करने के लिए पृथ्वी की चीज़ों का उपयोग कैसे कर सकते हैं
एक दिन जब मैं कूड़े के डिब्बे लाने के लिए अपने सामने वाले दरवाजे से बाहर निकली, तो मैं डर के मारे वहीं रुक गयी। घर के बगल में नाली के ढक्कन पर साँप की एक ताज़ा खाल पडी हुई थी। मैंने तुरंत अपने पति को बुलाया, क्योंकि मुझे सांपों से बहुत डर लगता है।
जब यह स्पष्ट हो गया कि यह मृत साँप की खाल है, आस-पास कोई जीवित साँप नहीं है, तो मैंने निश्चिंत होकर ईश्वर से पूछा कि वह इस दिन मुझे क्या सबक सिखाने की कोशिश कर रहा है।
पूरा मामला क्या है?
मेरे शिक्षक लोग मुझे ‘गतिज शिक्षार्थी’ कहते हैं। मैं वस्तुओं के साथ घूमने या उनके साथ बातचीत करने से सबसे अच्छा सीख पाती हूं। हाल ही में, मैंने देखा है कि ईश्वर अक्सर भौतिक वस्तुओं के माध्यम से स्वयं को मेरे सामने प्रकट करता है। इस दिव्य शिक्षाशास्त्र का उल्लेख कैथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा में भी किया गया है।
“ईश्वर अपने वचन के द्वारा सभी चीज़ों की रचना और संरक्षण करता है, वह सृजित वास्तविकताओं के द्वारा स्वयं का प्रमाण मानव को निरंतर प्रदान करता है।” (सी.सी.सी., 54)
उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने इब्राहीम के लिए धूआं देने वाला अग्नि पात्र और धधकती मशाल, याकूब के लिए कुश्ती लड़ने वाला स्वर्गदूत, और मूसा के लिए जलती हुई झाड़ी भेजी। परमेश्वर ने नूह के पास जैतून की शाखा और फिर इंद्रधनुष, गियदोन के लिए कुछ ओस, और एलियाह के लिए रोटी और मांस के साथ कौआ भेजा।
इब्राहीम का परमेश्वर, याकूब का परमेश्वर, और मूसा का परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर है। समस्त सृष्टि का ईश्वर स्वर्ग की अदृश्य और अमूर्त वास्तविकताओं को संप्रेषित करने के लिए पृथ्वी के दृश्य, मूर्त पदार्थ का उपयोग क्यों नहीं करेगा?
फादर जैक्स फिलिप ने लिखा है, “मांस और रक्त के प्राणियों के रूप में, हमें आध्यात्मिक वास्तविकताओं को प्राप्त करने के लिए भौतिक चीज़ों के समर्थन की आवश्यकता है। ईश्वर इसे जानता है, और यही बात ईश्वर के देह्धारण के पूरे रहस्य को समझाती है” (टाइम फॉर गॉड, पृष्ठ 58)।
ईश्वर हमें लाइसेंस प्लेट या बम्पर स्टिकर के माध्यम से संदेश भेज सकते हैं। पिछले सप्ताह एक ट्रक के पीछे लिखे शब्द, “चलते रहो,” मेरे मन में गूंज उठे। उन शब्दों ने मुझे उस धार्मिक अंतर्दृष्टि की याद दिलाई जो मैंने उसी सुबह सुनी थी – कि हम सुसमाचार साझा करते रहने के लिए बुलाये गए हैं ।
ईश्वर हमें सिखाने के लिए प्रकृति का भी उपयोग कर सकता है। हाल ही में पेड़ से चेरी या आलूबालू तोड़ते समय, मुझे याद आया कि फसल की बहुतायत, और मजदूरों की कमी कैसे होती हैं। एक तूफानी दिन मन में विचार ला सकता है कि “बड़ी संख्या में हमारे चारों ओर गवाह विद्यमान हैं” (इब्रानी 12:1)। एक सुंदर पक्षी या भव्य सूर्यास्त हमारी शिथिल आत्मा को स्फूर्ती देने के ईश्वर का तरीका हो सकता है।
जब कभी मैं किसी चीज़ से विशेष रूप से आश्चर्यचकित होती हूं, तो मैं ईश्वर से पूछने की कोशिश करती हूं कि वह मुझे क्या सबक सिखा रहा होगा। उदाहरण के लिए, एक रात को, जब मेरी बेटी सो रही है या नहीं इसकी जांच करने के लिए मैं बिस्तर से उठने के बारे में मन में बहस कर रही थी, माताओं की संरक्षिका संत मोनिका का सम्मान करने वाला एक प्रार्थना कार्ड अचानक मेरे मेज़ से गिर गया। मैं तुरंत उठी और बेटी के पास जाकर उसकी हालचाल लेने लगी। या इसके अलावा, उस समय जब मैं देर रात या भोर के शुरुआती घंटों में उठी और हाल ही में मृत परिवार के सदस्य की तरफ से माला विनती की प्रार्थना करने के लिए बुलायी गयी और आसमान से सबसे शानदार उल्का पिंड को गिरते देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई।
कभी-कभी ईश्वर अपना संदेश दूसरे लोगों के माध्यम से भेजता है। आपने कितनी बार किसी ऐसे व्यक्ति से कार्ड, फ़ोन कॉल या टेक्स्ट प्राप्त किया होगा जो आपके लिए आवश्यक प्रोत्साहन था?
एक बार गर्मियों में, जब मैं बाइक पर यात्रा कर रही थी और बाइबल अध्ययन बंद करने की संभावना पर विचार कर रही थी, तो मेरी मुलाकात एक मित्र से हुई। अचानक, उसने यह तथ्य सामने रखा कि उसने अपना बाइबल अध्ययन जारी रखने की योजना बनाई है क्योंकि एक बार जब आप कुछ बंद कर देते हैं, तो उसे दोबारा शुरू करना बहुत कठिन होता है।
ईश्वर हमें अनुशासित करने या अपने शिष्यत्व में हमारी प्रगति हेतु हमें मदद करने के लिए ठोस वस्तुओं का भी उपयोग कर सकता है।
एक सुबह मेरी नज़र तीन बड़ी कीलों पर पड़ी। वे तीनों एक समान थे, लेकिन मैंने उन्हें तीन अलग-अलग स्थानों पर पाया था: एक गैस स्टेशन पर, एक मेरे घर के अन्दर की पगडण्डी पर, और एक सड़क पर। तीसरी कील देखने के बाद मैं रुकी और मैंने ईश्वर से पूछा कि वह मुझे क्या बताना चाह रहा था और मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने जीवन में किसी बात को लेकर पश्चाताप की आवश्यकता है।
मैं उस समय को कभी नहीं भूलूंगी जब मैं बाहर निकली और तुरंत एक मक्खी मेरी आंख में घुस गई। मै चाहती हूँ कि उस दिन मैंने जो सबक सीखी उसकी कल्पना आप स्वयं करें ।
सीखने की शैली
ईश्वर हमें हर समय सिखाता है, और वह सभी प्रकार के शिक्षार्थियों को समायोजित करता है। जो चीज़ एक व्यक्ति के लिए काम करती है वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकती। कुछ लोग ईश्वर की आवाज़ को स्पष्ट रूप से प्रार्थना सभा में सुनेंगे, अन्य लोग परम प्रसाद की आराधना में सुनेंगे, कोई और बाइबिल पढ़ते समय सुनेंगे, या अपनी निजी प्रार्थना के समय सुनेंगे। हालाँकि, ईश्वर हमेशा काम पर रहता है और हमारे विचारों, भावनाओं, छवियों, पवित्र ग्रन्थ के वाक्यांशों से, लोगों से, कल्पना से, ज्ञान के शब्दों से, संगीत से और हमारे दिन की प्रत्येक घटना के माध्यम से हमें लगातार सिखाता रहता है।
जब ईश्वर भौतिक वस्तुओं के माध्यम से सम्प्रेषण करता है तो व्यक्तिगत रूप से मैं इसकी सराहना करती हूँ, क्योंकि मैं इस तरह से शिक्षा को बेहतर ढंग से याद रखती हूँ। आप सोच रहे होंगे कि मैंने साँप की खाल से क्या सीखा। इस से धर्मग्रंथ का निम्नलिखित वाक्यांश ध्यान में आया: “लोग पुरानी मशकों में नई अंगूरी को नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, अंगूरी बह जाती है, और मशकें बर्बाद हो जाती हैं। लोग नयी अंगूरी नयी मशकों में भरते हैं, इस तरह दोनों ही बची रहती हैं” (मत्ती 9:17)।
पवित्र आत्मा, आज तू हमें जो भी सबक सिखा रहा है, उसके बारे में अधिक जागरूक होने में हमारी मदद कर।
'इनिगो लोपेज़ का जन्म 15वीं सदी के स्पेन में एक कुलीन परिवार में हुआ था। सामंती राज दरबार का प्रेम और शूरवीरता के आदर्शों से प्रभावित होकर, वह एक उग्र योद्धा बन गया। सन 1521 ईसवीं में एक युद्ध के दौरान फ्रांसीसी आक्रमणकारियों के खिलाफ अपने पैतृक शहर पलेर्मो की रक्षा करते समय, इनिगो तोप के गोले से अत्यधिक घायल हो गया था। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी साहस से भरपूर इनिगो ने फ्रांसीसी सैनिकों की प्रशंसा हासिल की, जो उसे कैद करने के बजाय, उसके उपचार के लिए उसके अपने घर ले गए।
रोमांस भरे उपन्यासों का आनंद लेते हुए बिस्तर पर अपने स्वास्थ्य लाभ की अवधि बिताने की योजना बनाते हुए, इनिगो को यह देखकर निराशा हुई कि उपलब्ध पुस्तकें केवल संतों के जीवन पर थीं। उन्होंने अनिच्छा से इन पुस्तकों को पढ़ा, लेकिन जल्द ही इन गौरवशाली जीवन कथाओं के बारे में पढ़कर आश्चर्यचकित हो गए। संतों की जीवन कहानियों से प्रेरित होकर, उन्होंने खुद से पूछा: “अगर वे कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?”
घुटने की चोट से उबरने के दौरान यह सवाल उन्हें सताता रहा। लेकिन संतों द्वारा उनमें बोई गई यह पवित्र खलबली और अधिक मजबूत हो गई और अंततः उन्हें कलीसिया के सबसे महान संतों में से एक बना दिया गया: लोयोला के इग्नेशियस।
एक बार ठीक होने के बाद, इग्नेशियस ने अपना चाकू और तलवार मोंट्सेरात की धन्य कुंवारी माँ मरियम की वेदी पर रख छोड़ दिया। उन्होंने अपने महंगे कपड़े त्याग दिए और दिव्य गुरु के मार्ग पर चलने के लिए निकल पड़े। उनका साहस और जुनून कम नहीं हुआ था, लेकिन अब से उनकी लड़ाई स्वर्गीय सेना के लिए होगी, जो मसीह के लिए आत्माओं को जीतेगी। उनके लेखन, विशेष रूप से स्पिरिचुअल एक्सरसाइजेज (आध्यात्मिक अभ्यास) ने अनगिनत जिंदगियों को छुआ है और उन्हें पवित्रता और मसीह के मार्ग पर निर्देशित किया है।
'कालातीत सुन्दरता अब कोई दूर का सपना नहीं है…
आकर्षक दिखने की हमारी चाहत सार्वभौमिक है। बाइबिल के आरम्भ काल से ही, पुरुषों और महिलाओं ने समान रूप से संवारने, तथा आहार, व्यायाम, सौंदर्य प्रसाधन, जेवर, कपड़े और अन्य सजावट के माध्यम से अपने शरीर को सुंदर बनाने की कोशिश की है। क्योंकि हमारे सृजनकर्ता स्वयं सौंदर्य है, हम उस सृष्टिकर्ता के प्रतिरूप में और उसके सादृश्य में सृष्ट किये गए हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम उसके स्वभाव के सिद्धांतों को अपने शारीरिक स्वरूप में प्रकट करने की इच्छा रखते हैं – वास्तव में, इसके द्वारा हम अपने शरीर में परमेश्वर को महिमान्वित कर रहे हैं, और हमें ऐसा करने के लिए आदेश दिया जाता है (1 कुरिन्थी 6:20)।
फिर भी हमारा वर्तमान धर्म विहीन युग हर दिन जोर-शोर से हमारी कमियों की घोषणा करता है: हम सुंदर नहीं हैं, स्मार्ट नहीं हैं, पतले नहीं हैं, आकर्षक नहीं हैं, युवा नहीं हैं, स्टाइलिश नहीं हैं, आदि इत्यादि। हर साल, बहुत बड़ी संख्या में उपभोक्ता अनावश्यक मात्रा में सौंदर्य प्रसाधन, सौंदर्य उत्पाद, और संबंधित सेवाओं की खरीदारी करते हैं। अफसोस की बात है कि आक्रामक सर्जरी, इंजेक्शन, पूरक की कृत्रिम चीज़ें और अन्य संदिग्ध कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं तेजी से आम होती जा रही हैं, यहां तक कि चालीस से कम उम्र वालों के बीच भी।
दोषरहित सुंदरता
हम येशु मसीह के अनुयायी, जो दुनिया में रहते हैं लेकिन दुनिया के नहीं, हम कैसे सुंदर होंगे? संत अगस्तीन ने सदियों पहले इसी प्रश्न से जूझते हुए एक प्राचीन उपदेश में हमें यह शाश्वत उत्तर दिया था: ‘उससे प्यार करो जो हमेशा सुंदर है।और जिस मात्रा में आपके अंदर वह प्रेम बढ़ेगा, उसी मात्रा में आपकी सुंदरता भी बढ़ेगी। क्योंकि प्रेमपूर्ण उदारता वास्तव में आत्मा की सुंदरता है।’ (योहन के पहले पत्र पर दस व्याख्यान, नौवां व्याख्यान , 9-वां अनुच्छेद)
सच्ची सुंदरता उस प्यार से निकलती है जो “शरीर के दीपक”, यानी हमारी आँखों (लूकस 1:34) से चमकता है, न कि हमारे बालों या होठों के रंग से। वास्तव में, येशु हमें “संसार की ज्योति” कहते हैं (मत्ती 5-14) – हमारी मुस्कुराहट से उसका प्रेम झलकना चाहिए और दूसरों के जीवन को रोशन करना चाहिए। अंततः, हमें अपने मसीही जीवन-साक्ष्य की सुंदरता द्वारा दूसरों को येशु मसीह और उनकी कलीसिया की सुंदरता की ओर आकर्षित करना चाहिए, और यही इस सांसारिक जीवन में हमारा मुख्य दायित्व है।
फिर भी, यद्यपि हमारी आत्माएँ इच्छुक हैं, हमारा शरीर कभी-कभी दुनिया की अपर्याप्तता के झूठे ‘सुसमाचार’ का शिकार हो जाता है। मानवीय असुरक्षा के ऐसे क्षणों के दौरान, मैं सुलेमान के सर्वश्रेष्ठ गीत में वर्णित परमेश्वर के अचूक संदेश से उत्साहित हूं: “मेरी प्रेयसी, तुम सर्वसुन्दर हो। तुम में कोई दोष नहीं” (4:7)।
हालाँकि मैंने अपने शरीर को कई वर्षों तक घिसा है, मैं लम्बा जीवन जीकर अपने भूरे “मुकुट” (सूक्तिग्रंथ 16:31) प्राप्त करने के लिए, और, हाँ, झुर्रियाँ भी प्राप्त करने केलिए आभारी हूँ, जो कई अनुभवों और आशीर्वादों का प्रतिनिधित्व करते हैं ताकि चिकनी त्वचा पाने के लिए मैं कभी भी इसका खरीद फरोख्त नहीं करूंगी।
शायद आप एक माँ हैं और गर्भावस्था के साथ आपका आकार कुछ कुछ बदल गया है। लेकिन आपका शरीर चमत्कारी है – इसने गर्भधारण किया, बच्चे को गर्भ में संभाला और परमेश्वर के उस बच्चे को जन्म भी दिया। परमेश्वर के राज्य के विस्तार करने की अपनी फलदायीता केलिए आप आनन्दित और उल्लासित हो जाएँ !
शायद आप किशोरी हैं, और आपका शरीर असुविधाजनक परिवर्तनों से गुजर रहा है; और इस परिवर्त्तन को जटिल बनाते हुए, शायद आपको लगे कि आप दुनियावी लोगों की भीड़ में फिट नहीं बैठती हैं। लेकिन ईश्वर के कार्य की प्रगति आप हैं – आप एक उत्कृष्ट कृति हैं जिसे वह आपके द्वारा उसके विशेष लक्ष्य और उद्देश्य को पूरा करने के लिए अद्भुत रूप से आपको अद्वितीय बना रहा है। जहां तक ‘ दुनियावी लोगों की भीड़’ का सवाल है, क्या उस भीड़ के लिए प्रार्थना करने के लिए आप को प्रेरणा मिले; परमेश्वर जानता है कि दुनियावी भीड़ में सम्मिलित लोगों की अपनी असुरक्षाएँ हैं।
शायद आप अधेड़ उम्र के हैं और पिछले कुछ वर्षों में आपका वज़न कुछ अतिरिक्त बढ़ गया है, या हो सकता है कि आप हमेशा मोटापे से जूझते रहे हों। यद्यपि स्वस्थ शरीर प्राप्त करने और उसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए आहार और व्यायाम महत्वपूर्ण हैं, आप जिस आकार या रूप में हैं, बिल्कुल उसी आकार या रूप में ईश्वर आपसे प्यार करता है – आप अपने प्रति धैर्य रखें और अपने आप को उसके कोमल हाथों में सौंप दें।
शायद आप कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं और उसके इलाज का असर भी झेल रहे हैं। जैसे ही आपका शरीर लड़खड़ाता है, मसीह आपके साथ क्रूस उठाते हैं। अपने कष्टों को उसके सामने प्रस्तुत करें, और वह आपको इतनी ताकत और लचीलापन देगा कि आप अपने आसपास के उन लोगों के लिए आशा की किरण बन सकें जो अपनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आप अपने साहसी जीवन के माध्यम से पाए गए ईश्वर के अच्छे कार्य से सांत्वना पायें।
शायद पहले की या वर्तमान स्वास्थ्य की समस्याओं के कारण आपके शरीर में कुछ स्थायी निशान या विकृति है – आप यह जानकर सांत्वना पायें कि संत काटेरी की मृत्यु के बाद उसके चेहरे पर जो चेचक के निशान थे, वे चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। वास्तव में, हमारे असली घर स्वर्ग में, मसीह हमारे तुच्छ शरीर को अपने गौरवशाली शरीर के समान बदल देगा (फिलिप्पी 3:20-21), और हम तारों की तरह चमकते रहेंगे (दानिएल 12:3)।
पूरी तरह से अलंकृत
अभी के लिए, जैसे परमेश्वर हमें चाहते हैं, हम वैसे ही हैं। जो उसने हमें पहले ही दे दी है हमें अपने उस बाहरी स्वरूप को बदलने या उस सुंदरता में सुधार करने की ज़रूरत नहीं है। हमें खुद को वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे हम हैं और हम जैसे हैं वैसे ही खुद से प्यार करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो हम कर सकते हैं वह है येशु से प्रेम करना। जितने तक हमारे दिल उसके प्यार से भर जाएगा, उतना ही हमारे शरीर उसकी सुंदरता को प्रतिबिंबित करेगा।
लेकिन यह कोई सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं है. हालाँकि दुनिया आम तौर पर कमी के सिद्धांत पर काम करती है ताकि हमें लगे कि हमें अपना उचित हिस्सा पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, येशु मसीह खूबी या प्रचुरता के सिद्धांत पर काम करता है ताकि हमेशा जरूरत से ज्यादा हो – “जिसके पास है उसे और अधिक दिया जाएगा” (मत्ती 13:12) यदि हम प्रभु पर भरोसा करते हैं जो “खेत के फूलों को सजाता है” (मत्ती 6:28), तो हम उस शरीर से संतुष्ट होंगे जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। इसके अलावा, हम पहचानेंगे कि हमारी ईश्वर प्रदत्त सुंदरता न केवल पर्याप्त है बल्कि प्रचुर भी है।
साथ ही, यह कोई तुलना का खेल नहीं है। हालाँकि हम अक्सर अपनी तुलना दूसरों से करने के लिए प्रलोभित होते हैं, फिर भी हम अद्वितीय हैं; परमेश्वर ने हमें अपनी माँ के गर्भ में किसी और की तरह दिखने के लिए नहीं बनाया है। वास्तव में, हममें से प्रत्येक येशु मसीह की संपूर्ण सुंदरता के विशिष्ट चमकदार प्रतिबिंब और आकर्षक गवाह बनने की यात्रा पर अलग-अलग मुकामों पर हैं। परम पिता परमेश्वर ने हमें पूर्णतः सुशोभित किया है।
अगली बार जब आप दर्पण में देखें, तो याद रखें कि उसने आपको अद्भुत रूप से अच्छी तरह से बनाया और सजाया है, और वह यह देखकर प्रसन्न होता है कि आप उसकी सुंदरता को कैसे प्रतिबिंबित करते हैं।
'इस परिवार की कहानी एक ख़राब फ़िल्म जैसी लगती है, लेकिन उसका अंत आपको चौंका देगा
हमारी कहानी घर से शुरू होती है, जहां मैं अपने दो छोटे भाइयों, ऑस्कर और लुइस के साथ टेक्सास के सान एंटोनियो में पला-बढ़ा हूं। पिताजी हमारे गिरजाघर में गीतमंडली के प्रभारी थे, जबकि माँ पियानो बजाती थीं। हमारा बचपन खुशहाल था – क्योंकि वह गिरजाघर और परिवार के इर्द गिर्द ही था, मेरे दादा-दादी पास में ही रहते थे। हमने सोचा कि सब कुछ ठीक है, लेकिन जब मैं छठवीं कक्षा में था, तो माँ और पिताजी ने हमें बताया कि वे तलाक ले रहे हैं। पहले हमें नहीं पता था कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि मेरे परिवार में किसी का तलाक नहीं हुआ था, लेकिन हमें जल्द ही पता चल गया। जब वे हम बच्चों पर अधिकार के लिए अदालत में लड़ रहे थे तो हमें एक घर से दूसरे घर भटकना पड़ा।
लगभग एक साल बाद, पिताजी सप्ताहांत में शहर से बाहर गए। मुझे और मेरे भाइयों को माँ के साथ रहना था, लेकिन आखिरी समय में हम कुछ दोस्तों के साथ रहने लगे। हमें आश्चर्य हुआ जब पिताजी हमें लेने अप्रत्याशित रूप से जल्दी घर आए, लेकिन जब उन्होंने हमें कारण बताया तो हम टूट गए। माँ एक सुनसान पार्किंग स्थल में अपनी कार में मृत पाई गई थीं। जाहिर तौर पर, दो लोगों ने बंदूक की नोक पर माँ को लूट लिया था और उनका पर्स और गहने चुरा लिए थे। फिर, दोनों ने पिछली सीट पर उसके साथ बलात्कार किया, उसके चेहरे पर तीन बार गोली मारने के बाद उन्हें अपनी कार के फर्श पर मरने के लिए छोड़ दिया। जब पिताजी ने हमें बताया तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ। कोई माँ को क्यों मारना चाहेगा? हमें आश्चर्य हुआ कि क्या वे चोर हमारे पीछे आने वाले थे। डर हमारे बचपन का हिस्सा बन गया।
बाद का परिणाम
अंतिम संस्कार के बाद, हमने पिताजी के साथ सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश की, लेकिन मैंने अनुभव किया कि हमारे जैसे गंभीर अपराध के पीड़ितों के लिए सामान्य जीवन कभी नहीं लौटता। पिताजी का निर्माण कार्य का धंधा था। माँ की हत्या के एक साल बाद, पिताजी को उनके दो कर्मचारियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर माँ की हत्या के लिए इन दो लोगों को नियुक्त करने तथा हत्या और आपराधिक दबाव का आरोप लगाया गया। वे तीनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। कर्मचारियों में से एक ने दावा किया कि उसने पिताजी को माँ की हत्या के लिए दूसरे व्यक्ति को काम पर रखते हुए सुना था। पिताजी ने अपनी बेगुनाही की घोषणा की, और हमने उन पर विश्वास किया, लेकिन उनकी जमानत की अर्जी अस्वीकार कर दी गई, और हमारे लिए सब कुछ बदल गया। जब माँ की हत्या हुई थी, तब हम पीड़ित के बच्चे थे। लोग, विशेषकर चर्च के लोग, हमारी मदद करना चाहते थे। वे मदद दे रहे थे और वे दयालु थे। हालाँकि, पिताजी की गिरफ्तारी के बाद, हमारे साथ अचानक अलग व्यवहार होने लगा। अपराधी की संतान होने का कलंक हमारे ऊपर लग गया। लोग हमें क्षतिग्रस्त सामान के रूप में, जिसका कोई मूल्य नहीं है, देखने लगे।
हम अपनी चाची और चाचा के साथ रहने लगे, और मैंने ऑस्टिन में हाई स्कूल की पढ़ाई शुरू की, लेकिन स्थानीय कारागार में पिताजी से मिलने जाता रहा क्योंकि हम उनसे प्यार करते थे और उनकी बेगुनाही पर विश्वास करते थे। ढाई साल बाद आख़िरकार पिताजी पर मुक़दमा चलाया गया। हमारे लिए पूरे समाचार में छपे सभी विवरणों को पढ़ पाना वास्तव में कठिन था, खासकर मेरे लिए, क्योंकि मेरा और पिताजी का नाम एक ही था। जब उन्हें दोषी पाया गया, खासकर जब उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, और उन्हें फांसी का इंतजार करने के लिए हंट्सविले में स्थानांतरित कर दिया गया, तब हम लोग पूरी तरह अशान्त और विचलित हो गए। यदि आप किसी कैदी के परिवार के सदस्य हैं, तो ऐसा लगता है कि आपका जीवन बिलकुल रुका और ठहरा हुआ है।
जुर्म का चौंकाने वाला कबूल
कॉलेज में मेरी पढ़ाई के अंतिम वर्ष के दौरान, एक नया मोड़ आया। जिला न्यायाधीश के सचिव ने खुलासा किया कि अभियोक्ता वकील ने पिताजी को दोषी साबित करने के लिए सबूतों में हेराफेरी की थी। हमें हमेशा पिताजी की निर्दोषता पर विश्वास था, इसलिए इस नए मोड़ से हम बहुत खुश थे। पिताजी पर से मौत की सजा हट गयी और मुकदमे की नयी प्रक्रिया की प्रतीक्षा के लिए काउंटी जेल में वापस भेज दिया गया, और चार साल बाद नयी प्रक्रिया शुरू हुई । मैं और मेरे भाइयों ने पिताजी के लिए गवाही दी, और न्यायाधीशों ने उन्हें मृत्युदंड का दोषी नहीं पाया, जिसका मतलब था कि उन्हें कभी भी फाँसी नहीं दी जाएगी। मुझे यह जानकर एहसास हुआ कि अब मैं पिताजी को इस तरह नहीं खोऊंगा, और इस बड़ी राहत को मैं व्यक्त नहीं कर सकता। हालाँकि, उन न्यायाधीशों ने पिता जी को हत्या के छोटे आरोप का दोषी पाया, जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा शामिल थी। इसके बावजूद सभी को पता था कि उन्हें जल्द ही पैरोल पर रिहा किया जाएगा। हमने इन सभी वर्षों में पिताजी को घर लाने के लिए हर संभव प्रयास किया था, इसलिए हम इतने उत्साहित थे कि यह होने वाला था और वे आएंगे और हमारे परिवार के साथ रहेंगे।
जब मैं उनकी रिहाई से पहले उनसे मिलने गया था, तो मैंने उनसे मुकदमे के दौरान सामने आए कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मैं उनसे कुछ भी पूछ सकता हूं, लेकिन जब मैं इस विशेष प्रश्न पर पहुंचा, तो उन्होंने सीधे मेरे चेहरे पर देखा और कहा, “जिम, मैंने यह किया, और वह इसकी हकदार थी।” मैं चौंक पड़ा, क्योंकि वे अपनी जुर्म को कबूल कर रहे थे, और उन्होंने जो किया उसके लिए उन्हें खेद भी नहीं था और वे इन सब चीज़ों का दोष माँ पर डाल रहे थे। वे सोच रहे थे कि वही पीड़ित हैं क्योंकि वे जेल में थे। मुझे बहुत गुस्सा आया और में चाहता था कि उनको पता चले कि वह पीड़ित नहीं थे। दफनाई गयी मेरी माँ, हाँ वही पीड़ित थी। मैं बयान नहीं कर सकता कि हम सभी को कितना धोखा महसूस हुआ कि वह इतने समय से हमसे झूठ बोल रहे थे। ऐसा लगा जैसे हम सभी पहली बार माँ के लिए शोक मना रहे थे, क्योंकि जब पिताजी गिरफ्तार हुए, तो सब कुछ, हमारी चिंता और ख्याल उनके इर्द गिर्द था। मेरे परिवार ने उनकी पैरोल का विरोध किया, इसलिए पैरोल बोर्ड ने उन्हें पैरोल देने से इनकार कर दिया। मैं उनसे मिलने जेल में गया और उनको बताया कि वे जेल में ही रहेंगे, मृत्यु दंड पाने वालों की कतार में नहीं, वहां वे अन्य कैदियों से सुरक्षित थे, बल्कि अपने पूरे जीवन के लिए अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में जायेंगे। मैंने उनसे कहा कि वे हममें से किसी को फिर कभी नहीं देख पायेंगे। इससे पूर्व इन सभी वर्षों में हम उनसे मिलने जाते रहे, उन्हें लिखते रहे, और उनके जेल खाते में पैसे डालते रहे। वे हमारे जीवन के एक बड़े हिस्सा थे, लेकिन अब हम उनसे मुंह मोड़ रहे थे।
बंधन से मुक्ति
चार साल तक पिताजी से मेरा कोई संपर्क नहीं था, लेकिन इस के बाद, मैं पिताजी से जेल में मिलने वापस गया। अब मेरा अपना बेटा है, और मैं कभी भी उसे चोट पहुँचाने की कल्पना नहीं कर सकता, खासकर जब से मुझे पता चला कि पिताजी ने मेरे भाइयों और मुझे भी मारने के लिए लोगों को काम पर रखा था। मैं उनसे कुछ सवालों का उत्तर चाहता था, लेकिन हमारी मुलकात पर सबसे पहले उन्होंने माँ, मेरे भाइयों और मेरे साथ जो किया उसके लिए मुझसे माफी माँगी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस से पहले कभी किसी बात के लिए खेद नहीं जताया था। मुझे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन मैंने सीखा कि जब आप किसी को यह कहते हुए सुनते हैं कि उन्हें खेद है, तो आप की चंगाई वहीँ शुरू हो जाती है। अगली बात जो उन्होंने कही, वह यह थी, “जिम, मैंने आखिरकार अपना जीवन ईश्वर को दे दिया है और जेल में जीवन की सबसे बुरी हालत पर पहुंचने के बाद में प्रभु येशु का अनुयायी बन गया हू।”
अगले साल, मैं महीने में एक बार पिताजी से मिलने जाता रहा। उस दौरान, मैं माफ़ी की प्रक्रिया से गुज़रा। पहली नज़र में, अपनी माँ की हत्या के लिए अपने पिता को माफ कर पाना असंभव सा लगा। मैं बहुत सारे अपराध पीड़ितों के साथ काम करता हूं। मैंने जो सीखा है कि यदि आप किसी अपराधी या किसी ऐसे व्यक्ति को माफ नहीं करते हैं जिसने आपको चोट पहुंचाई है, तो आप कड़वे, क्रोधित और उदास हो जाते हैं। मैं नहीं चाहता था कि पिताजी अब मुझ पर नियंत्रण रखें, इसलिए मैंने पिताजी को माफ कर दिया, उन्हें बंधन से छुडाने नहीं, बल्कि मुझे खुद को बंधन से मुक्त करने के लिए। मैं इतना कड़वा, गुस्सैल, उदास आदमी नहीं बनना चाहता था। सुलह की इस प्रक्रिया में, मैंने पिताजी से माँ के लिए बात की, जिनकी आवाज़ उनसे छीन ली गई थी। उस वर्ष, जैसे-जैसे हमने इन मुद्दों पर बात की, मैंने पिताजी के जीवन में बदलाव देखा।
संपर्क फिर से बन जाने के लगभग एक साल बाद, मुझे जेल के पादरी से फोन आया कि पिताजी मस्तिष्क धमनी विस्फार के रोग का शिकार होकर अंतिम अवस्था में हैं। उनका मस्तिष्क पूरी तरह मर चुका था, इसलिए हमें उसे लाइफ सपोर्ट से हटाने का निर्णय लेना पड़ा। यह बोलने में आसान लगता है, लेकिन ऐसा नहीं था। सब कुछ के बावजूद, मैं अब भी उनसे प्यार करता था। हमने उनके शव के लिए अनुरोध किया ताकि हमें अपने पिता को जेल की जमीन पर दफनाने की विरासत न मिले। जेल में आयोजित अंतिम संस्कार के रस्म के दौरान हम वार्डन और जेल पादरी को देखकर आश्चर्यचकित थे, और उन्होंने हमें बताया कि, पहली बार, जेल के प्रार्थनालय में हमारे पिताजी के लिए एक स्मृति समारोह रखने की मंजूरी मिल गई है। जब हम उपस्थित हुए, तो हम आगे की पंक्ति में बैठे थे और 300 जेल कैदी हमारे पीछे बैठे थे, जो जेल के सुरक्षा गार्डों से घिरे हुए थे। अगले तीन घंटों तक, वे लोग एक-एक करके माइक्रोफ़ोन के पास आए, सीधे हम लोगों के चेहरे को देखा, और उन्होंने अपनी-अपनी कहानियाँ हमें सुनाईं कि कैसे वे येशु मसीह की ओर मुड़ गए क्योंकि पिताजी ने उनके साथ अपना विश्वास साझा किया था और उनके जीवन को बदल दिया था। अपने बुरे कार्यों को स्वीकार करके और पश्चाताप करके, अपने गुनाहों की ज़िम्मेदारी स्वीकार करते हुए, और ईश्वर से क्षमा माँगकर, उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा दी, और अन्य लोगों को भी अपने साथ उस नयी दिशा में ले गए । जब आप एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुनते हैं, तो यह शक्तिशाली अनुभव होता है- और जब 300 लोगों को सुनते हैं तो आप अभिभूत हो जाते हैं।
मैंने गिरजाघरों में, जेलों में, पुनर्वास केन्द्रों और न्याय सुधार के कार्यक्रमों में बोलना शुरू किया – हमने पीड़ितों और पुनर्वास की इच्छा रखने वाले अपराधियों के लिए क्षमा प्रक्रिया के बाद बहाली की हमारी इस कहानी को साझा किया। मैंने बार-बार देखा है कि लोग कैसे बदल जाते हैं। जब मैं अपनी कहानी सुनाता हूं, तो मैं अपने माता-पिता दोनों का सम्मान करता हूं – हमारे जीवन पर उनके सकारात्मक प्रभाव के लिए मां का, और अपने पापों के लिए वास्तव में पश्चाताप करने के फैसले के लिए पिताजी का। हमारी कहानी का अंत यह है कि आज हम यह देखने में सक्षम हैं कि ईश्वर कैसे भयानक परिस्थितियों को अपने काबू में लेते हैं और उन्हें भलाई में बदल देते हैं। पश्चाताप और क्षमा के बारे में हमने जो सीखा है, उस सीख ने हमें बेहतर पति और पिता बनाया है क्योंकि हम जानबूझकर अपने परिवारों को कुछ और बेहतर देने के इच्छुक थे। हमने कड़वे अनुभव से सीखा है कि वास्तव में पश्चाताप करने के लिए, आपको पश्चाताप करते रहना होगा, और वास्तव में क्षमा करने के लिए, आपको एक बार नहीं, बल्कि लगातार क्षमा करते रहना होगा।
'उस रास्ते की खोज करें जो पृथ्वी पर आपका जीवन शुरू होने से पहले ही आप केलिए निर्धारित किया गया है, और आपका जीवन कभी पहले जैसा नहीं रहेगा।
पूर्णता, या सही दिशा, एक नारा है जिसे, जब अपने बच्चों केलिए सुधार की आवश्यकता होती है, तब मैं अक्सर प्रयोग करता हूँ। वे हताश होकर मुझसे यह तर्क करते थे कि आप हमसे परिपूर्णता की उम्मीद करते हैं। मैं जवाब में उन्हें बोलता हूं कि “मैं पूर्णता की मांग नहीं कर रहा हूं, मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि आप लोग सही दिशा में आगे बढ़ें।”
ईश्वर की अपेक्षा
मेरे लिए यह उनके हृदय की विनम्रता को दर्शाता है। यदि मेरा कोई बच्चा स्वीकार करता है कि उसने गलत चुनाव किया है और उनके कार्य उन मूल्यों के विरुद्ध हैं जिन्हें हम सच्चा और सही मानते हैं, तो उसके मुंह से, ‘मुझे पता है कि मैं गलत था, और मुझे खेद है, चीजों को बेहतर बनाने केलिए मैं क्या कर सकता हूं?’ ऐसे सरल शब्द क्षमा करने और एकता बहाल करने का सबसे तेज़ तरीका है। हालाँकि, अगर वे तर्क देते हैं कि हमारे घर के स्थापित नियमों की अवज्ञा करना या उन नियमों से हटकर कुछ करना उन केलिए ठीक था, तो संबंध परक अलगाव की अवधि और परिणामों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।
येशु के साथ हमारे चलने में भी ऐसा ही है। हमें दस आज्ञाओं में ईश्वर की अपेक्षाएँ दी गई हैं, और येशु ने पर्वत पर उपदेश (संत मत्ती 5-7) में इन्हें स्पष्ट किया है। और यदि इतना पर्याप्त नहीं है, तो संत पौलुस, संत पेत्रुस और अन्य प्रेरितों ने अपने सभी पत्रों में ईश्वर के आदेशों को बहुत ही ठोस तरीके से दोहराया है।
आप देख सकते हैं, हमारे पास इस से बचने का कोई रास्ता नहीं है। संपूर्ण मानवता केलिए सही दिशा पुर्णतः स्पष्ट कर दी गई है। यह सब बहुत स्पष्ट है। हम या तो ईश्वर का मार्ग चुनते हैं या विद्रोह में उसके विरुद्ध लड़ते हैं।
और इसलिए, हमें एक ऐसा समाज दिखाई देने लगा है जो पवित्र धर्मग्रंथों को विकृत करने और अपनी शारीरिक वासनाओं से पूर्ण अपराध बोध को तृप्त करने केलिए ईश्वर की आज्ञाओं को तोड़ मरोड़ करने पर अमादा है।
हम ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं या ऐसे समय का सामना कर रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था, जहां कई लोग ईश्वर की सच्चाई से दूर हो गए हैं। वे आश्वस्त हो गए हैं कि यदि वे केवल कथानक् बदल देते हैं, तो वे किसी तरह निर्धारित परिणाम को टाल सकते हैं। दुर्भाग्य से, वे ईश्वर के तरीकों और उसके सत्य की वास्तविकता को गलत समझते हैं।
मित्रो, यही कारण है कि सुसमाचार अब तक प्रकट किया गया सबसे सरल लेकिन समझ से बाहर का संदेश है।
घुमाव और मोड़
अच्छी खबर यह है कि आपके अतीत, वर्तमान और भविष्य को माफ कर दिया गया है। हालाँकि, सही रास्ते पर बने रहने का संघर्ष जारी रखने केलिए हर दिन पश्चाताप और दृढ़ प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। सुसमाचार की सुंदरता यही है कि यद्यपि हम वह नहीं कर सकते जो मसीह ने अपने दुखभोग और पुनरुत्थान के माध्यम से किया, हम उनके कार्य का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
जब हम उसके मार्ग के प्रति समर्पण कर देते हैं, तो वह हमें सही दिशा में ले जाता है।
नए नियम में, येशु कहते हैं: “जब तक तुम्हारी धार्मिकता फरीसियों से आगे नहीं निकल जाती, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते।” दूसरे शब्दों में, इस धरती पर अधिकांश धार्मिक लोग अपने कार्यों के माध्यम से ईश्वर के राज्य में प्रवेश करने केलिए पर्याप्त मात्रा में योग्य नहीं थे।
पूर्णता इसका उत्तर नहीं है, और यह किसी रिश्ते केलिए आवश्यक नहीं है; लेकिन रिश्ते की पूर्णता केलिए विनम्रता की आवश्यकता है।
जब आप मत्ती के 5 से 7 अध्यायों को पढ़ते हैं, तो आप पायेंगे कि इन अध्यायों में जो शिक्षा येशु ने हमारे सामने रखी है वह आपको बड़े असंभव कार्य जैसा लगेगा।
अपनी वापसी का रास्ता खोजें
मैं वर्षों से इनमें से कई उपदेशों का पालन करने में विफल रहा हूं, और फिर भी येशु हमें अप्राप्य नियमों के उत्पीड़न के तहत दफनाने केलिए ईश्वर के तरीके नहीं बता रहे थे।
अपने आपको येशु के साथ चित्रित करें कि आप एक पहाड़ी की चोटी पर खड़े हैं जहाँ से एक बड़ी घाटी दिखाई देती है। वहाँ एक स्पष्ट पगडंडी हैं। हालाँकि, यह जंगलों, नदियों और अन्य प्राकृतिक विशेषताओं वाली जगहों से होकर जाता है। मत्ती 5-7 ऐसा ही है। यह पगडंडी है। लेकिन, येशु यह कहने के बजाय, ‘ठीक है, बेहतर होगा कि तुम अपने रास्ते पर चलो,’ वह आपको पवित्र आत्मा से परिचित कराता है, आपको दिशा निर्देश केलिए एक कम्पास (बाइबिल) देता है, और आपको याद दिलाता है कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा और नही आपको कभी त्यागेगा। फिर वह कहता हैं, “यदि आप विनम्र हैं, और आपका दिल मुझ पर केंद्रित रहता है, तो आप रास्ता ढूंढने में सक्षम होंगे, चाहे वह कितना भी मोड़ और घुमावदार क्यों न हो। और अगर ऐसा होता है कि आप खो जाते हैं या मेरे रास्ते के अलावा कोई और रास्ता चुनते हैं, तो आपको बस अपने दिल को विनम्र बनाना है और मुझे बुलाना है, और मैं आपको अपना रास्ता खोजने में मदद करूंगा।
कुछ लोगों ने इसे दुनिया को अब तक का सबसे बड़ा घोटाला कहा है। स्वर्गवासी ईश्वर, जिसने जो कुछ हम देखते हैं और यहाँ तक कि जो कुछ हम नहीं देख सकते हैं, उन सबका वह सृष्टिकर्ता है, उसने अपनी सृष्टि को बचाने केलिए स्वयं को छोटा बना लिया। हमारे पास बस एक साधारण काम है। उसकी दिशा में आगे बढ़ें.
मैं प्रार्थना करता हूं कि आज चाहे आप कहीं भी हो, और चाहे आपने कुछ भी किया हो, आप खुद को विनम्रतापूर्वक क्रूस के सामने झुकते हुए और उस रास्ते पर लौटते हुए पाएंगे जो ईश्वर ने इस धरती पर आपका समय शुरू होने से पहले आप केलिए निर्धारित किया था।
'प्रश्न: मैं कैथलिक कलीसिया की कुछ शिक्षाओं से असहमत हूँ। यदि मैं कलीसिया की सभी शिक्षाओं से सहमत नहीं हूँ तो क्या मैं एक अच्छा कैथलिक कहा जाऊंगा ?
उत्तर: कलीसिया एक मानवीय संस्था से कहीं अधिक है – यह मानवीय और दिव्य दोनों है। इसके पास सिखाने का कोई अधिकार स्वयं का कुछ भी नहीं है। बल्कि, इसकी ज़िम्मेदारी ईमानदारी से उन बातों को सिखाने की है जो येशु मसीह ने पृथ्वी पर रहते हुए सिखाई: धर्मग्रंथों की प्रामाणिक रूप से व्याख्या करना और प्रेरितिक परंपरा को आगे बढ़ाना जो स्वयं प्रेरितों द्वारा हम तक पहुँची है।
हालाँकि, कलीसिया की मुख्य परम्पराओं और लघु परम्पराओं के बीच अंतर हैं। कलीसिया की मुख्य परम्पराएँ अपरिवर्तनीय और शाश्वत शिक्षा है जिनकी जड़ें प्रेरितों और येशु मसीह में हैं। इसके उदाहरण हैं: पवित्र परम प्रसाद केलिए केवल गेहूं की रोटी और अंगूर के दाखरस का उपयोग किया जा सकता है; केवल पुरुष ही पुरोहित बन सकते हैं; कुछ अनैतिक कार्य हमेशा और हर जगह गलत होते हैं; आदि। लघु परंपराएं मानव निर्मित परंपराएं हैं जो परिवर्तनशील हैं, जैसे शुक्रवार को मांस से परहेज करना (कलीसिया के इतिहास के दौरान यह बार बार बदला गया है), हाथों में परम प्रसाद ग्रहण करना आदि। लघु परंपराएं जो मनुष्यों से आई हैं, उनके बारे में विश्वासियों की ज़रूरतों, स्थानीय प्रथाओं और कलीसिया के अनुशासन के अनुरूप अच्छे विचारवाले लोगों की राय ली जाती है।
हालाँकि, जब प्रेरितिक परंपराओं की बात आती है, तो एक अच्छा कैथलिक होने का मतलब है कि हमें इसे प्रेरितों के माध्यम से मसीह द्वारा दी गयी परम्परा के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
एक और अंतर समझने की आवश्यकता है: यह है संदेह और कठिनाई के बीच अंतर। एक ओर “कठिनाई” का मतलब है कि हम यह समझने केलिए संघर्ष करते हैं कि कलीसिया कोई विशिष्ट शिक्षा क्यों सिखाती है, लेकिन दूसरी ओर कठिनाई का मतलब है कि हम इसे विनम्रता से स्वीकार करते हैं और उत्तर ढूंढना चाहते हैं। आख़िरकार आस्था अंधी नहीं होती! मध्ययुगीन धर्मशास्त्रियों में एक वाक्य प्रचलित था: ‘फ़ीदेस क्वारेन्स इंटेलेक्टम’ – समझदारी की इच्छा रखनेवाली आस्था ।हमें प्रश्न पूछने चाहिए और उस आस्था को समझने का प्रयास करना चाहिए जिस पर हम विश्वास करते हैं!
इसके विपरीत, संदेह कहता है, “क्योंकि मैं नहीं समझता, मैं विश्वास नहीं करता! “जब कि कठिनाइयाँ विनम्रता से उत्पन्न होती हैं, संदेह अहंकार से उत्पन्न होता है – हम सोचते हैं कि विश्वास करने से पहले हमें हर चीज़ को समझने की आवश्यकता है। लेकिन आइए, ईमानदारी से सोचिये –क्या हम में से कोई पवित्र त्रीत्व जैसे रहस्यों को समझने में सक्षम है? क्या हम वास्तव में संत अगस्तीन, संत थोमस अक्विनस और कैथलिक कलीसिया के सभी संतों और मनीषियों से अधिक बुद्धिमान हैं? क्या हम सोच सकते हैं कि 2,000 साल पुरानी परंपरा, जो प्रेरितों से प्राप्त हुई थी, किसी तरह त्रुटिपूर्ण है?
यदि हमें कोई ऐसी शिक्षा मिलती है जिससे हम जूझते हैं, तो जूझते रहें – लेकिन विनम्रता के साथ ऐसा करें और पहचानें कि हमारी बुद्धि सीमित हैं और हमें अक्सर सीखने की आवश्यकता होती है! ढूंढो, और तुम पाओगे — धर्मशिक्षा को पढ़ें या कलिसिया के मठाधीशों, संत पिता के विश्वपत्रों, या अन्य ठोस कैथलिक सामग्री को पढ़ें। किसी पवित्र पुरोहित की तलाश करें जिन से अपने प्रश्न पूछ सकें। और यह कभी न भूलें कि कलीसिया जो कुछ भी सिखाती है वह आपकी खुशी केलिए है! कलीसिया की शिक्षाएँ हमें दुखी करने केलिए नहीं हैं, बल्कि हमें वास्तविक स्वतंत्रता और आनंद का रास्ता दिखाने केलिए हैं – जो केवल येशु मसीह में पवित्रता के उत्साही जीवन में ही पाया जा सकता है!
'मैं अपने कारावास के पहले दिन से ईश्वर के साथ संबंध को गहरा और मज़बूत बनाती आ रही हूँ। मुझे अक्सर पछतावा होता है कि मैंने उसकी आवश्यकता को तब जाना जब मेरे जीवन में इतनी बड़ी त्रासदी आयी; लेकिन मैं अधिक आभार महसूस करती हूँ, क्योंकि मैंने प्रभु में अपने जीवन के लिये एक ज्वलंत जुनून पाया है। उसे खोजने की इच्छा प्रार्थना से उत्पन्न हुई। मैंने उन लोगों के लिए प्रार्थना की जो मेरी लत के कारण मेरे खतरनाक कार्यों के विनाशकारी परिणाम भुगत रहे हैं। प्रार्थना के दौरान, ईश्वर ने अपने असीम प्रेम को प्रकट किया तथा अपने पुत्र, येशु मसीह के माध्यम से मुझे अपने बंधुता में शामिल होने का आमंत्रण दिया। कारागार में कई वर्ष बिताने के दौरान, ईश्वर के साथ संबंध गहरा करने की मेरी यात्रा ईंट, पत्थर और सीमेंट की अंगीठी बनाने के लिए ज़रूरी उन बुनियादी तकनीकों की याद दिलाती है। यह ऐसा कौशल था जो मैंने उस समय विकसित किया था जब मैं बाहर रहकर स्वछंद आनंद उठाने के लिए स्वतंत्र थी। सबसे पहले मैंने येशु के प्रति अपने नए प्रेम के लिए अपने ह्रदय को साफ़ किया।
उन पत्थरों की तरह जिन्हें मैं अंगीठी के गड्ढे के चारों ओर रखती थी, मैंने खुद को ईश्वरीय मार्गदर्शन के माध्यम से आत्म-सुधार चाहने वाले अन्य लोगों के साथ घेर लिया। कलीसिया वह आधारशिला बन गयी जिस पर मेरी नींव रखी गई थी। मैंने ईश-वचन को ध्यानपूर्वक सुना, और अपने दैनिक जीवन में भी लागू करने का भरसक प्रयास किया। लेकिन मेरी अंगीठी खाली थी। मैं अपनी अंगीठी के वस्तुओं को जोड़ने तथा निर्माण करने के लिए निकल पड़ी।
मैं अपने कुछ समय को सामुदायिक प्रार्थना, बाइबल अध्ययन की सभाओं और समूहों के पुनर्गठन के सत्रों के लिए समर्पित कर रहे थी। अंगीठी की आग को जलाने के लिए ये छोटे-छोटे क्रियाकलाप जैसी चिंगारियां जरूरी थीं, लेकिन मुझे पता था कि मुझे कुछ और ठोस चीज़ों की जरूरत है, वरना मेरी आग जल्दी बुझ जाएगी। मैंने उत्साहपूर्वक कुछ ऐसा चाहा जिस केलिए मैं अपने जीवन को समर्पित कर सकूँ, जो ईश्वर के साथ मेरे बंधन को मजबूत करे। वह उत्तर “सेवा-कार्य” के रूप में आया।
मुझे सच्ची खुशी दूसरों की सेवा करने, चाहे वह दूसरों के दर्द को सुनने वाले कान के सरल रूप में, या अपने साथियों को पढ़ाने के रूप में, या नेतृत्व के पदों पर रहकर समर्पण के साथ काम करने से मिली। मैंने अपनी अंगीठी में सेवा कार्यों के विशाल लट्ठों को जमा कर दिया। अब मुझे आग प्रज्वलित करने के लिए कुछ ज्वलनशील तत्व चाहिए था।
आश्चर्य की बात थी कि प्रभु मेरे जीवन में बहुत जल्दी ईंधन पहुंचाने लगा। हमारे आत्मिक निदेशक के साथ परामर्श सत्र, मेरे कार्य पर्यवेक्षक के साथ सलाह के पेशेवर सत्र, और घर पर मेरे परिवार के प्यार भरे समर्थन ने मुझे वह प्रोत्साहन दिया जिसकी मुझे अपने अतीत के लिए क्षमा माँगने और अपने भविष्य पर विश्वास करने के लिए सख्त जरूरत थी। मैं उत्सुकता के साथ उनके सभी प्रेमपूर्ण मार्गदर्शन को जलावन लकड़ी की तरह अंगीठी में डालती गयी। अंततः मेरी निर्मित कृति यानी अंगीठी में आग प्रज्वलित करने का समय आ गया था।
मैंने जीवित वचन में सच्ची चिंगारी पाई। पूरे एक साल तक मैंने इस महत्वपूर्ण तत्व को ग्रहण किया। मैंने ईश्वर की शिक्षा, दिशा और ज्ञान को स्वीकारते हुए इसमें ऑक्सीजन भरा, और चिंगारी को सावधानी से अपनी अंगीठी के आकार के आधार के पास रखा। ईश्वर ने चिंगारी को धीरे से फूंक मार कर मेरी मदद की, और येशु के प्रति मेरा प्रेम आग के समान मेरे दिल में बस गया।
आज भी यह आग तेज गर्मी और उज्ज्वल प्रकाश देकर जलती है। प्रभु और मेरे बीच के प्रेम ने वह सब संतुष्ट कर दिया है जिसकी मैंने कभी लालसा की थी। क़ैद से पूर्व, मैं भटक गयी थी और सांसारिक सुखों से विचलित हो गयी थी; हताश और दिशाहीन महसूस कर रही थी, और इन सबके जाल में फँस गयी थी। जीवन के जंगल में भटके कोई व्यक्ति, आग की रोशनी देखे बिना उस जंगल से बाहर नहीं निकल सकता है। उसी प्रकार मेरा जीवन प्रभु में ही अर्थ पाता है, और इस आग की रोशनी से आशा की किरण देखना अधिक आसान है।
'एक बच्चे के लिए 22 साल की यातनापूर्ण प्रतीक्षा के बावजूद, माँ मरियम के प्रति विक्टोरिया की भक्ति कम नहीं हुई। और फिर मरियम मुस्कुराई।
बचपन में मैं माँ मरियम के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी। क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे उसके बारे में बहुत कुछ नहीं कहा था। लेकिन जब मैं सलेशियन साध्वियों द्वारा संचालित एक विद्यालय गयी और धर्म शिक्षा की कक्षाओं में पढने लगी, तब मैं माँ मरियम को बेहतर तरीके से जानने लगी, खासकर ख्रीस्तीयों की सहायिका मरियम माँ के रूप में और उसकी भक्ति के बारे में। उन साध्वियों का धन्यवाद जिन्होंने मुझे माला विनती की प्रार्थना करना सिखाया। मैंने सीखा कि माला विनती केवल प्रार्थनाओं को रटना नहीं है, बल्कि ईश्वर के वचन पर मनन चिंतन है, जो हमें येशु के करीब आने में सक्षम बनाता है। तब से, मैंने कभी भी बिना माला विनती किये, बिस्तर पर सोने नहीं गयी।
खुशखबरी कहाँ है?
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैं एक अच्छे कैथलिक स्कूल में शिक्षिका बन गयी, जहाँ मैं वहां पढ़ाने वाली साध्वियों के माध्यम से और उनके द्वारा वहां के कर्मचारियों के लिए आयोजित आध्यात्मिक साधनाओं के माध्यम से माँ मरियम के निकट आ गयी। जब मैं घर बसाना चाहती थी और अपने लिए एक जीवन साथी खोजना चाहती थी, तब मैं ने उसकी शक्तिशाली मध्यस्थता मांगी और जल्द ही मैं एक विश्वास प्रशिक्षण कार्यशाला में अपने जीवन साथी क्रिस्टोफर से मिली। माँ मरियम के प्रति हम दोनों आभारी हैं, क्योंकि पिछले 28 वर्षों से हम खुशी-खुशी अपना दाम्पत्य जीवन बिता रहे हैं।
हमारी शादी के शुरुआती दिन मौज मस्ती, और प्यार से भरे हुए थे लेकिन जैसे-जैसे महीने बीतते गए, हमारे आस-पास के लोग पूछने लगे, “कोई खुश खबरी क्यों नहीं है?” मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि “ईश्वर अपने समय में देगा।” इस जवाब ने मुझे आगे के सवालों से बचाया, लेकिन जैसे-जैसे साल बीतते गए, मेरे दिल में एक डर पैदा हो गया क्योंकि कोई ख़ुश खबरी आई ही नहीं। चिकित्सा जांच में केवल यह पाया गया कि मेरा गर्भाशय पीछे की ओर था, जिस के कारण गर्भ धारण में देरी हो सकती है, लेकिन डॉक्टर ने हमें सलाह दी कि अगर हम उनके दिशानिर्देशों का पालन करते हैं तो यह बदल जाएगा। फिर भी, महीना दर महीना बिना किसी बदलाव के बीतता गया। ऐसे दिन थे जब मैं बहुत उदास और हताश महसूस करती थी, लेकिन माँ मरियम और मेरे पति के प्यार ने मुझे उन हीन भावनाओं से ऊपर उठा दिया।
दिल की गहराई से पुकार
मैंने अपने दोस्तों और परिवार की सलाह के आधार पर विभिन्न दवाओं पर बहुत पैसा खर्च किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैंने डॉक्टरों के पास जाने के बजाय मरियम से संपर्क करना शुरू किया, मेरे दोस्तों द्वारा सुझाए गए सभी प्रकार के नव रोज़ी प्रार्थनाओं को अपनाया। मैं नौ दिन लगातार संत मरियम महागिरजा के लिए 24 किलोमीटर पैदल चली, फिर भी गर्भधारण का कोई संकेत नहीं था, हालांकि मुझे एक आंतरिक शक्ति दी गई जिस की मदद से हम आगे बढ़े। हमें पुण्य देश की तीर्थयात्रा करने का सौभाग्य मिला जहां हमने अपनी याचिकाएं जारी रखीं। मुझे याद है माँ मरियम का वह तीर्थ स्थान, जिसे दूध का तीर्थ कहा जाता है, जहां परंपरा के अनुसार, पवित्र परिवार ने मिस्र में निर्वासन के मार्ग में शरण मांगी थी। कहा जाता है कि माँ मरियम के स्तन से दूध की एक बूंद गिर गई थी क्योंकि उसने शिशु येशु को वहां स्तन पान कराया था, जिस के कारण लाल पत्थर का वह गुफा खडिया सफेद में बदल गया था। कई महिलाएं यहां संतान प्राप्ति के लिए या दूध की बेहतर आपूर्ति के लिए प्रार्थना करने आती हैं। वहाँ खड़ी होकर, मैं अभाव की गहरी भावना से अभिभूत फूट-फूट कर रोई। अन्य कोई भी तीर्थयात्री मुझे सांत्वना नहीं दे सका।
मैंने और मेरे पति ने विदेश में काम करने का फैसला किया, ताकि हम लूर्द्स और दुनिया के अन्य तीर्थ स्थानों और विभिन्न खूबसूरत जगहों की यात्रा का खर्च उठा सकें। 14 साल की सेवा के बाद ऐसे अद्भुत स्कूल से इस्तीफा देना सबसे कठिन कार्य था। लेकिन हम एक बदलाव चाहते थे क्योंकि हमने उम्मीद नहीं छोड़ी थी। कहीं मेरे दिल के कोने में, मुझे अभी भी विश्वास था, हालाँकि मैं नहीं देख पा रही थी कि यह कैसे संभव होगा। हमने दुबई में नौकरी की। जैसे ही हमने इस नई मिट्टी में अपनी जीवन यात्रा जारी रखी, वैसे ही हमने अपनी प्यारी माँ मरियम के जिम्मे में अपना जीवन पूरी तरह से सौंप दिया और उसकी मध्यस्थता माँगी। यद्यपि हम जहाँ रहते थे वहाँ से गिरजाघर बहुत दूर था, फिर भी हमने पवित्र मिस्सा बलिदान को कभी नहीं छोड़ा।
आवरण में ढका उपहार
सन 2015 के नव वर्ष की पूर्व संध्या, के मिस्सा बलिदान के दौरान, प्रतिज्ञा पत्र से भरी एक तश्तरी पास की गई। मेरे प्रतिज्ञा पत्र में उत्पत्ति, अध्याय 30, पद 23 का पद था, जिसमे राहेल के बाँझपन के बारे में और किस तरह परमेश्वर ने उसके अपमान को दूर किया था, उसका जिक्र था। मैं बस मुस्कुराई। जब सारा ने स्वर्गदूतों को यह कहते सुना कि, “अगले साल इस समय सारा एक बच्चे को जन्म देगी,” वह हँसी क्योंकि यह बहुत असंभव लग रहा था। मैंने भी ऐसा ही महसूस किया था, लेकिन मैं घर वापस गयी और उत्पत्ति, अध्याय 30 को पूरा पूरा पढ़ा।
यह दो बहनों की कहानी से संबंधित है – लिआ, जो बच्चे पैदा करने में सक्षम थी, और राहेल जो नहीं कर सकती थी। उसने यहोवा से विनती की, कि उसकी कोख खोल दे, और यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुनी, जिस से उसके दो पुत्र, यूसुफ और बेनयामीन उत्पन्न हुए। हम छुट्टी मनाने और अपने घर के लोगों से मिलने भारत गए थे, लेकिन वापस लौटने पर मेरी तबीयत खराब हो गई। इसलिए यह सोचकर कि मेरे रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो रहा है, मैं डॉक्टर के पास चेक-अप के लिए गई।
डॉक्टर ने जांच का आदेश दिया, जिससे आश्चर्यजनक खबर सामने आई कि मैं गर्भवती हूँ!
यह खबर रोमांचक और विचलित करने वाली दोनों थी। हम दोनों ने पांच साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, इसलिए अगर हम उन्हें तोड़ते हैं तो हमें भारी जुर्माना देना होगा। मेरी बढ़ती उम्र के कारण, मेरे मातृत्व के लिए कोई बीमा कवरेज भी नहीं था, इसलिए अगर मैं अपने पति के साथ खाड़ी में रहूँ, तो यह बहुत महंगा होगा, और हम अलग भी नहीं हो सकते थे, क्योंकि आखिरकार 22 साल के लंबे समय के बाद एक बच्चे के लिए हमारी प्रार्थना सुनी गयी थी। इसलिए, एक बार फिर, हम अपनी दुविधा के समाधान ढूंढते हुए अपनी प्रिय माता मरियम के पास प्रार्थना करने के लिए गए।
एक दिन, हमारी कंपनी की अध्यक्षा ने हमारे फ्लैट पर एक कार भेजी और हमें उनके आवास पर आने के लिए कहा। यह सोचकर कि यह संभवतः किस बारे में हो सकता है, हमने उनके कमरे में प्रवेश किया। हम चकित रह गए, क्योंकि उस महिला ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, “यह बेहतर है कि आप दोनों इस्तीफा दे दें और भारत वापस चले जाएं।” हम इतने प्रसन्न और चकित थे कि हम उनकी बातों पर विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे। लेकिन हम उस समय प्रार्थना में हमारे साथ रहने के लिए ईश्वर को और अपनी प्यारी माँ को धन्यवाद देना नहीं भूले।
क्या आप चमत्कार की प्रतीक्षा में हैं ?
बैंगलोर में मेरे डॉक्टरों को मेरे लिए एक कठिन गर्भावस्था की उम्मीद थी, लेकिन मरियम की शक्तिशाली मध्यस्थता के कारण, मेरी गर्भावस्था बिना किसी जटिलता के, एक अद्भुत तरीके से गुजरी। बेशक डॉक्टर हैरान थे कि मैं एक सामान्य प्रसव की ओर बढ़ रही थी, इसके बावजूद वे सिजेरियन ऑपरेशन करना चाहते थे, क्योंकि मैं बढ़ती उम्र में जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली थी। हमने सहयोग किया और ईस्टर रविवार को, जुड़वां बच्चे – कार्लटन और वैनेसा जन्म लिए। इतने बड़े आशीर्वाद देने के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद देते हुए बहुत ही आनंदित और उल्लासित थे – क्योंकि यह किसी भी ईस्टर अंडे से भी बेहतर उपहार था। यदि आप अपने जीवन में किसी चमत्कार की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो मैं आपको विश्वास में मजबूत होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हूं। हिम्मत मत हारिए। अपनी याचिकाओं के साथ ईश्वर के पास बार बार जाते रहें और मरियम से कहें कि वह आपकी प्रार्थना में शामिल हो। ईश्वर हमेशा हमारी प्रार्थना सुनता है और हमें कभी जवाब देने से इनकार नहीं करता है।
जय हो मरियम! ईश्वर की महिमा हो!
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