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जब मैं पल्ली में पूर्णकालीन सेवकाई कर रहा था, तो मेरी पसंदीदा गतिविधियों में से एक बपतिस्माओं का अनुष्ठान करना था। मैंने इस शब्द को बहुवचन में रखा है, क्योंकि मैंने शायद ही कभी एक बार में एक बच्चे को बपतिस्मा दिया हो, लेकिन आमतौर पर दस या एक दर्जन बच्चों को एक साथ बप्तिस्मा दिया करता था। रविवार दोपहर लगभग दो बजे साधारणत:, परिवार और दोस्तों का काफी बड़ा समूह सेंट पॉल ऑफ़ क्रॉस चर्च की पहली पंक्तियों में इकट्ठा होता, मैं उनका स्वागत करता और जो कुछ होने वाला था उसका एक बहुत ही संक्षिप्त विवरण देता था। और फिर अनिवार्य रूप से बारह बच्चों के एक साथ रोने की खुशनुमा बेमेल कुसंगीत शुरू हो जाता है। मैं चिल्ला चिल्लाकर प्रार्थना और बपतिस्मा का रस्म पूरा कर देता था और अक्सर एक अनोखा आनंद प्राप्त कर लेता था। इन दिनों जबकि मैं एक धर्माध्यक्ष हूँ, मेरे पास बपतिस्मा देने का अवसर कम है, और मुझे यह कमी खलती है। लेकिन पिछले हफ्ते एक अवसर प्राप्त हुआ। डग कमिंस और उनकी पत्नी एरिका की बेटी हेज़ल रोज कमिंस को चर्च में स्वागत करते हुए मुझे बड़ी खुशी हुई। सांता बारबरा में वर्ड ऑन फायर कार्यक्रम के सहयोगी निर्माता के रूप में डग कमिंस हमें सहयोग करते हैं।
मैंने उस बपतिस्मा समारोह के लिए सांता बारबरा में संत रोक चर्च के बाहर एकत्रित समूह (वह कोविड का समय था) को संबोधित करते हुए जो प्रवचन दिया था उसे मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूं। मैंने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने डेट्रॉइट महाधर्मप्रांत के पुरोहित फादर मैथ्यू हूड की कहानी सुनी है। उन्होंने अपने स्वयं के बपतिस्मा का एक वीडियो देखने के बाद पता लगाया, कि उनका बपतिस्मा अवैध था। बपतिस्मा की धर्मविधि को संपन्न करने वाले डीकन ने सही शब्दों का प्रयोग नहीं किया, और परिणामस्वरूप, फादर हूड का कलीसिया में सही रूप से प्रवेश नहीं हुआ था। और इसके कारण, फादर हूड ने प्रथम परम प्रसाद का संस्कार, दृढीकरण का संस्कार, या पुरोहिताभिषेक का संस्कार भी वैध रूप से प्राप्त नहीं किया था, क्योंकि ये सभी संस्कार बपतिस्मा की वैधता पर निर्भर करते हैं। अब, यह पता चलने के बाद, डेट्रॉइट के आर्चबिशप ने फादर हुड के लिए बपतिस्मा से लेकर पुरोहिताभिषेक तक के सभी संस्कारों को विधिवत संपन्न किया। अब इसके बाद, नवजवान फादर हूड एक पुरोहित के रूप में अपनी सेवा देने में सक्षम हो गए। आप सोच सकते हैं, “ठीक है, यह एक अजीब कहानी है, जिसका अंत सुखान्त है।” लेकिन यह घटना, वास्तव में, बपतिस्मा के बारे में कलीसिया की समझ के बारे में कुछ बेहद महत्वपूर्ण जानकारी हमें देती है। हम मानते हैं कि संस्कार की विधि में प्रयुक्त शब्दों और चिन्हों द्वारा कुछ ख़ास बात घटित होती है। बपतिस्मा केवल एक नए जीवन का उत्सव नहीं है, या यहाँ तक कि एक बच्चे के लिए प्रार्थना करने और ईश्वर को समर्पित करने का सिर्फ एक कार्य भी नहीं है। यदि यह सब है, तो फ्लैनरी ओ’कॉनर के शब्दों में बपतिस्मा येशु के रहस्यमय शरीर का अंग बनने के अदृश्य अनुग्रह का दृश्य संकेत है। हम मानें या न मानें, यह संस्कार वास्तविकता की वस्तुनिष्ठ स्थिति को बदल देता है।
यह सब कहने के बाद, मैंने बपतिस्मा के व्यक्तिपरक पक्ष पर प्रकाश डाला। चूँकि वहाँ कुछ युवा लोग मौजूद थे, मैंने बाज के अंडे के पुराने दृष्टांत का इस्तेमाल किया, जिसके अनुसार एक बाज का अंडा ऊपर घोंसले से बाहर होकर नीचे मुर्गियों के झुंड के बीच गिर गया। जब बाज के चूजे का जन्म हुआ, तो उसे केवल मुर्गियों की दुनिया के बारे में पता चला, और इसलिए उसने अपना पहला साल जमीन पर चोंचते हुए बिताया और कभी भी अपने महान पंखों को नहीं फैलाया। एक दिन, एक राजसी बाज ऊपर उड़ रहा था और देखा कि नीचे एक कम उम्र का बाज मुर्गे की तरह चल फिर रहा है। “तुम्हारा यह क्या मामला है?” उसने पूछा। “क्या तुम नहीं जानते कि तुम कौन हो?” फिर उसने उस बाज को सिखाया कि कैसे अपने पंखों को फैलाना और उड़ना है।
यह दृष्टांत आध्यात्मिक क्षेत्र में भी चलता है। प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति, वस्तुनिष्ठ रूप से, ईश्वर की संतान है, दिव्य है, और एक महान संत बनना उसकी नियति में है। लेकिन समस्या यह है कि जिन लोगों ने यह नई पहचान प्राप्त की है उनमें से अधिकांश इसे तुरंत भूल जाते हैं और दुनिया की मान्यताओं, प्रथाओं और आस्थाओं को अपना लेते हैं। टेलीविजन, फिल्मों, सोशल मीडिया, पॉप सितारों और धर्मविरोधी विचारकों की सोच और संकेतों को अपनाने के बाद, हम धन या शक्ति या भौतिक सफलता या प्रसिद्धि की प्राप्ति के लिए खुद को समर्पित करते हैं। ये चीजें अपने आप में बुरी नहीं हैं, लेकिन इन्हें अपना सर्वोच्च मूल्य मानना और अपनी सारी शक्तियों के साथ इनके पीछे दौड़ना मुर्गियों की तरह जमीन पर चोंच मारने के बराबर है। हेज़ल के बपतिस्मा के लिए इकट्ठी छोटी मण्डली से मैंने कहा कि हमें एक मजबूत समुदाय की ज़रूरत है, जो इस छोटी बालिका को याद दिला सकें कि वह कौन है। हेज़ल को परमेश्वर की सन्तान उन्होंने नहीं बनायी; मसीह ने बपतिस्मा के माध्यम से ऐसा किया। लेकिन वे वास्तव में उसे सिखा सकते हैं कि उसे जो होना चाहिए, वही बने, और कुछ बनने का कोई दयनीय बहाना लेकर समझौता बिलकुल न करें। वे जो कुछ भी उसे सिखाएंगे, जो कुछ करने के लिए उसे प्रोत्साहित करेंगे, वे सब उसे एक महान संत बनने के लक्ष्य की ओर एक मार्गदर्शन होना चाहिए।
मुझे विश्वास है कि अभी भी अधिकांश राष्ट्रों में बपतिस्मा लेने वाले बहुत सारे लोग हैं, इसलिए मैंने अक्सर इस पर कल्पना की है कि अगर बपतिस्मा लेने वाला हर व्यक्ति परमेश्वर की संतान के रूप में अपनी पहचान के साथ रहता है तो यह दुनिया कैसी होती। अगर आसमान पर उड़ने के लिए सृष्ट हर व्यक्ति, आखिरकार, जमीन पर इधर-उधर चोंच मारना बंद करके ऊपर उड़ता फिरता रहता तो कितना अच्छा होता? यह एक सच्ची क्रांति होगी।
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मैं उससे पहले कभी नहीं मिली थी… फिर भी उसने कहा कि मैंने उसकी जान बचाई…
4 जुलाई की शाम थी। मेरी पंद्रह वर्षीय बेटी बेला और उसके कई दोस्त ऊपर वीडियो गेम खेल रहे थे। वे सीढ़ियों से नीचे उतरे और रसोई में आ गए, जहाँ मैं और मेरे पति बातें कर रहे थे।
“माँ, हम सब भूखे हैं। क्या आप हमारे लिए कुछ पनीर सैंडविच बना सकती हैं,” बेला ने पूछा?
“ज़रूर,” मैंने कहा।
“सैम आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता है,” बेला ने कहा।
सैम चूल्हे की ओर यानी मेरी तरफ बढ़ गया।
एक कड़ाही चूल्हे पर रखकर और चूल्हे को चालू करते हुए, मैंने उससे पूछा “तुम यहाँ एक बार पहले भी आ चुके हो, है ना?”
“हाँ, एक महीना या उससे भी पहले,” उसने एक बड़ी आकर्षक मुस्कान के साथ उत्तर दिया।
“सही बात है। तुम कहां के रहने वाले हो?” मैंने पूछ लिया।
“जी, मेरा परिवार मोरोक्को से है,” उसने कहा।
सैम की उपस्थिति से माहौल खुशनुमा और प्यारभरा बन रहा था। मुझे पता नहीं था कि वह बेला के साथ हाई स्कूल में पढ़ाई करता था या वे एक दुसरे को सोशल मीडिया, फुटबॉल गेम्स या किसी पार्टी के माध्यम से जानते थे।
“वाह, कितनी अच्छी बात है,” मैंने बड़ी मुस्कराहट के साथ कहा। “तो क्या तुम बेला के स्कूल में पढ़ते हो?”
“नहीं,” उसने कहा। “हम लोग इस गर्मी में समुद्र तट पर मिले थे।”
“ओह, ठीक है, तुम मुझसे क्या सवाल पूछना चाहते हो सैम?”
“जब मैं अपनी माँ के गर्भ में था, उन दिनों क्या आपने मेरी माँ से गर्भपात नहीं करने की बात की थी?”
वह सालों पुरानी बातचीत
मैं पूरी तरह स्तब्ध रह गयी। यह लड़का कौन है? यह कहाँ रहता है, मैं सोचने लगी और उसे घूर कर देखती हुई, अपने दिमाग में यह याद करने की कोशिश कर रही थी, कि मैं ने इसकी माँ के साथ पूर्व में कहीं बातचीत की थी क्या?
मुझे यकीन था कि वह मैं नहीं हो सकती। जैसे ही मैं ने बेला और सैम को कंधे से कंधा मिलाकर खड़े देखा, अचानक, मुझे एक युवा महिला के साथ बातचीत की याद आई जब बेला मेरी कोख में थी।
“तुम्हारी माँ का नाम क्या है?” मैंने पूछ लिया
“मरियम,” उसने कहा।
यह नाम सुनते ही अवाक् होकर मैं बस उसे देखती रही। मरियम का बेटा मेरी रसोई में कैसे आया … और वह बेला का दोस्त? मैंने उसके चेहरे को ध्यान से देखा।
“हाँ, तुम्हारी माँ के साथ मेरी बातचीत हुई थी।” मैंने कहा।
सैम मेरे पास दौड़ आया और उसने अपनी बाहों से मुझे लपेट लीं। उसने मुझे कसकर पकड़ ली।
“आपने मेरी जान बचाई। आपने मेरी जान बचाई। धन्यवाद। धन्यवाद,” वह बोलता गया।
हम कई मिनट तक एक दूसरे के आलिंगन में बंद होकर रसोई में खड़े रहे।
वे यादें
मैं अपने पति की ओर मुड़ी, “क्या आप इस पर विश्वास कर पा रहे हैं?
“नहीं, मैं नहीं कर पा रहा हूँ,” उन्होंने अविश्वास में घूरते हुए कहा।
सैम ने अपनी माँ को फोन किया और हमारी मुलाक़ात और बातचीत के बारे में बात करता रहा । फिर उसने फोन मुझे थमा दिया।
“मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि वह आपको फिर से खोजने में मेरी मदद करें और देखिये, उसने मदद की! क्या आप को पता है, सैम और बेला दोस्त हैं”, यह कहते वक्त मरियम की आवाज भावुकता से भर गई थी।
मैंने उससे कहा “मरियम, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है। सच में, मैं अभिभूत हूँ मरियम”।
फोन बंद करने से पहले, हमने अपने जीवन के पिछले पंद्रह वर्षों के बारे में बातचीत करने के लिए एक साथ आने की योजना बनाई।
मेरे पति आश्चर्य प्रकट करते हुए सिर हिलाते रहे।
उन्होंने कहा: “मुझे याद है वह रात, जब तुम घर आई थी, मैंने तुमसे कहा था कि तुम पागल हो, क्योंकि गर्भपात रोकने के बारे में उस महिला को समझाने का कोई मतलब नहीं था।“
मैंने लगभग सोलह साल पहले की उस रात को याद किया। शनिवार का दिन था और मैं अपनी बहनों और कुछ दोस्तों के साथ रेस्तरां में डिनर पर थी। मैं मेज के शीर्ष पर बैठी थी, क्योंकि हम अपनी चौथी गर्भावस्था का जश्न मना रहे थे। हमारी वेट्रेस एक सुंदर, खूबसूरत काले बालों वाली युवती थी जो खुद गर्भवती थी।
अन्दर का खजाना
रात के भोजन के बाद, वेट्रेस ने बचा हुआ भोजन मुझे पैक करके दिया और फिर मेरे बगल में बैठ गई और फुसफुसाई, “काश मैं भी अपनी गर्भावस्था का जश्न मना पाती, लेकिन मैं नहीं कर सकती। आने वाले बुधवार की सुबह मैं गर्भपात करने जा रही हूँ।”
यह सुनकर मैं हैरान और दुखी हो गयी।
“आप गर्भपात क्यों करवा रही हैं?” मैंने पूछ लिया।
“मैं शादीशुदा नहीं हूं, और मेरे देश में अगर किसी को पता चलता है कि मैं अविवाहित रहती हुई गर्भवती हूँ, तो मेरे माता-पिता को उनके शहर से निर्वासित कर दिया जाएगा और वे अपने काम-धंधे से वंचित रह जायेंगे।”
“यह बहुत खराब स्थिति है, लेकिन उन्हें कैसे पता चलेगा?”
वे जान जाएंगे। आप नहीं समझ पाएंगी”, उसने कहा।
“आप सही कह रहे हैं, मैं शायद समझ नहीं पाऊंगी, लेकिन मैं जो जानती हूं वह यह है कि ईश्वर चाहता है कि आपके पास यह बच्चा हो, नहीं तो ईश्वर आपके कोख में इस बच्चे को पनपने नहीं देता।”
उसने कहा, “मैं आपकी तरह ईसाई नहीं हूं, मैं मुस्लिम हूं। मेरे पास आपकी तरह का ईश्वर नहीं है”।
“नहीं बहन, दो तरह के ईश्वर नहीं होते। केवल एक ही ईश्वर है,” मैंने कहा।
“मैं और मेरा प्रेमी बड़े संकट से गुज़र रहे हैं; हम दोनों के बीच हालात अच्छी नहीं है।”
“मुझे खेद है कि आप संकट से गुज़र रहे हैं। मेरे तीन और बच्चे हैं। जब हमें पता चला कि बहुत छोटे में ही मेरे सबसे बड़े बेटे को एक दुर्लभ और घातक बीमारी हुई है, तब हम सोच भी नहीं सकते थे कि वह आज भी हमारे साथ जीवित होगा। और अब 42 साल की उम्र में मैं अपने चौथे बच्चे को जन्म देनेवाली हूँ और अपने चौथे सिजेरियन ऑपरेशन का सामना करने जा रही हूं। लेकिन उसके बावजूद, मैं आपको बता सकती हूं कि आपके प्रेमी के साथ चाहे कुछ भी हो जाए, और आपकी कठिन परिस्थितियों के बावजूद, यह बच्चा आपका खजाना होगा, आप देखेंगी।”
“मेरे पास कोई नहीं है, मैं इसे जन्म नहीं दे सकती।”
“आपके पास मैं हूँ। मुझे अपना नंबर दीजिये और मैं आपको सुबह फोन करूंगी।”
जब वह जल्दी जल्दी मेरे भोजन के पैकेट के ऊपर अपना सेल फोन नंबर लिख रही थी, उसी समय मैंने उसकी कमीज़ पर लगे उसके नेमटैग को पढ़ा और हमने अलविदा कह दिया।
मैंने अगली सुबह मरियम को फोन किया। उसने अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बताया और अपने प्रेमी के साथ अपने संबंधों के कुछ विवरण साझा किए। मैं समझ गई कि उसने किस कारण गर्भपात को ही अपना एकमात्र रास्ता चुना था। मैं उसकी दुर्दशा की कल्पना पूरी तरह नहीं कर पा रही थी। मैंने उसे एक स्थानीय प्रसूता केंद्र के बारे में बताया और उनका फोन नंबर उसे दिया।
सभी बाधाओं के विरुद्ध
मरियम के गर्भपात केलिए निर्धारित दिन से एक दिन पहले, मैंने उसको फिर से फोन किया। उसने आश्चर्यजनक समाचार साझा किया कि प्रसूता केंद्र उसकी मदद करने जा रहा है और उसने गर्भपात करने का फैसला रद्द कर दिया है। हम दोनों ने अपनी गर्भावस्था के दौरान आपस में बातचीत करना जारी रखा, लेकिन प्रसव के बाद हमने एक-दूसरे से संपर्क खो दिया।
मैंने सैम को देखा।
“तुम्हारी माँ एक खूबसूरत युवती थी जो गर्भवती हो गई और उसने अपने आप को एक निराशाजनक स्थिति में पाया। जिस रात हम दोनों मिली, वह अकेलापन, शर्म और तिरस्कृत किये जाने की भावना से गुज़र रही थी। मैंने केवल उसे याद दिलाया था कि शर्म के घर ईश्वर नहीं बनाते, लोग बनाते हैं। ईश्वर अनुग्रह के घर बनाता है, और वह उसे तुम्हारे माध्यम से एक अनोखा खजाना देना चाहता है। आपकी माँ के अन्दर सभी बाधाओं के विरुद्ध लड़ने का वीर साहस था। मैं आभारी हूं कि मैं उन छोटे तिनकों में से एक था जिन्हें परमेश्वर ने एक साथ जोड़ा था, बस यह संयोग था, ईश्वर की योजना के अंतर्गत एक अप्रतीक्षित मुलाक़ात के द्वारा।
इसके बाद मैं बेला की तरफ मुड़ी।
“और तुम भी इस योजना की एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, क्योंकि अगर तुम मेरे गर्भ में नहीं होती, तो मरियम ने कभी मुझ पर विश्वास नहीं किया होता।”
बेला की आँखे, हाँ बादाम के आकार की वे खूबसूरत आंखें, गर्व से मुस्कुराने लगीं।
उस रात को मरियम को प्यार करना और उसे सुनना मेरे लिए बहुत मुश्किल काम नहीं था। आखिरकार, वह मेरी अविवाहित, गर्भवती बेटी नहीं थी। मैंने सोचा कि अगर उसकी जगह मेरी बेटी होती तो क्या मैं यही प्रतिक्रिया देती? मरियम के साथ मेरी बातचीत से मुझे एक ऐसी माँ बनने की चुनौती मिलती है जो मेरे बच्चों की गलतियों और असफलताओं के बदले में, शर्म महसूस करने और दोष लगाने के बजाय उनकी अच्छाई में विश्वास करते हुए अनुग्रह के साथ व्यवहार करने में प्रेरणा मिलती है। मैं वह व्यक्ति बनना चाहती हूं जिसके पास वे अपनी मुसीबत में आ सकते हैं, मैं उन्हें याद दिला सकूं कि मुसीबतें उनकी गलती नहीं हैं। मैं चाहती हूं कि उन्हें पता चले कि मैंने अपनी गलतियों, असफलताओं और पापों के माध्यम से अपने जीवन में कई गड़बड़ियां की हैं, लेकिन उनके माध्यम से मैंने ईश्वर के उद्धार और परिवर्तनकारी प्रेम का अनुभव किया है, और वे भी ऐसे प्रेम का अनुभव कर सकते हैं।
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जीवन की उथल-पुथल के बीच, क्या आपने कभी सोचा है कि यह सब कहाँ समाप्त होगा? तो यह लेख आपके लिए है!
कार्ली साइमन के 1970 के दशक के लोकप्रिय गाने में यह घोषणा हुई, “इंतज़ार की वजह से मुझे देरी हो रही है, मुझे प्रतीक्षा करना पड़ रहा है।” कलीसिया अर्थात येशु के रहस्यमय शरीर के सदस्यों के रूप में, यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारे दिलों में मसीह के आने का इंतज़ार लेकर हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मसीह को हमारे दिलों में आने केलिए, हमें सतर्क, प्रतीक्षारत और आशान्वित रहने की जरूरत है, खासकर अनिश्चितता, परेशानी और बेचैनी के इस दौर में।
बेचैनी का यह दौर
महामारी के दौरान, हम सभी ने आपदा और बड़े नुकसान का अनुभव किया है। दुनिया भर में, लाखों लोग इस ख़तरनाक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं या उससे हार चुके हैं। शायद इस लेख का कोई भी पाठक कोविड-19 से अप्रभावित नहीं रहा है।
इस बेचैनी के दौर से जैसे ही हम गुजरते हैं, हम कभी-कभी अकेला महसूस कर सकते हैं। जैसे प्राचीन इस्राएलियों को बाबुल में गुलामी में रखा गया था, वैसे ही हम भी ऐसा महसूस कर सकते हैं कि जिन ताकतों पर हम जीत हासिल नहीं कर सकते, उन्हीं ताकतों द्वारा हम बंदी बना लिये गए हैं। अनिश्चितता और अंधकार से निपटते हुए, हम सोच सकते हैं, “यह सब कब समाप्त होगा, परमेश्वर कब अंधकार का अंत करेगा और हमें इस अराजकता में उसे खोज पाने का अवसर कब देगा?” इन कोशिशों के दौरान ऐसा लग सकता है कि ईश्वर अपने “कार्य से लापता” है।
तो, इन सब घटनाओं का हमारे लिए क्या मायना है? इस्राएलियों को निर्वासन से लौटने पर, नबी यशायाह ने उन्हें संबोधित करते हुए एक ज्वलंत छवि की पेशकश की। इस बेचैनी के सत्य को हमारे समकालीन अनुभव के साथ प्रकट करने में हमारी मदद करने के लिए नबी कहता है, “हे प्रभु, तू हमारा पिता है; हम मिट्टी हैं, और तू कुम्हार है; तूने हम सबों को बनाया है” (64:7)।
ईश्वर की कलाकृति?
आइए इस रहस्य पर से पर्दा हटा लें। जैसा कि पुराने नियम में बताया गया है, परमेश्वर मुक्ति के इतिहास, सृष्टि और उद्धार के कार्य में गंभीरता से सक्रिय है। जलती हुई झाड़ी में (देखें: निर्गमन 3:7-10), परमेश्वर ने मूसा के सामने स्वयं को ‘यहोवा’ के रूप में प्रकट किया: “मैं हूँ”। इसलिए, ईश्वर हमेशा “कार्य” या “कृत्य” है — हमेशा हमारे लिए यहां और अभी वर्त्तमान में मौजूद है – अतीत में नहीं, भविष्य में नहीं, बल्कि इस क्षण में, शाश्वत वर्त्तमान में। कलीसिया के महान आचार्य संत इरेनियस (202 ई.) ने कहा कि “ईश्वर सृष्ट किया गया नहीं है; वह सृष्टिकर्ता है। लेकिन हम उसकी सृष्टि, लगातार सृष्ट किये जा रहे हैं।” हमें एक कलाकार द्वारा आकार दिया जा रहा है। हममें उसकी इच्छा के अनुरूप ढाले जाने की यदि इच्छा है, तो हम उसकी पसंद की कलाकृति के रूप में बनाए जा रहे हैं, और यह रचनात्मक क्रिया यहीं हो रही है, अभी वर्त्तमान में – इसमें कोई अपवाद नहीं है!
ईश्वर हमें कैसे ढालते हैं? जैसा कि समकालीन आध्यात्मिक लेखक पाउला डी’आर्सी ने कहा है, “ईश्वर हमारे जीवन के छद्मवेश में हमारे पास आते हैं।” हमारे साथ होने वाली हर बात या कार्य के माध्यम से परमेश्वर हमें आकार देता है: सफलता और असफलता; लाभ और हानि; बीमारी और स्वास्थ्य; भौतिक और वित्तीय समृद्धि तथा भौतिक और वित्तीय पतन के दौर। ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे ईश्वर हमें आकार देने के लिए उपयोग नहीं कर सकता। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ईश्वर महामारी जैसी घटनाओं को पैदा करता है, लेकिन वह अपने उद्देश्यों के लिए हर कार्य का उपयोग कर सकता है।
और, इसलिए, निर्वासन में फंसा प्राचीन इस्राएल की तरह, हम प्रत्याशा के साथ इंतज़ार करते हैं। हम प्रतीक्षा करते हैं, हम बाट जोहते हैं, हम प्रभु को पुकारते हैं। लेकिन, जब हम ऐसा करते हैं, हम कुम्हार की छवि को मन में रखते हैं। हम ईश्वर के हाथ की मिट्टी हैं। इसके अलावा, यह कुम्हार हमसे दूर या हमसे अलग नहीं है। जैसे ही हमारा पवित्र जीवन सामने आता है, वह तुरंत और अंतरंग रूप से यहां उपस्थित होता है। जिस रूप में वह हमें चाहता है, बड़ी सावधानी से उस व्यक्ति के रूप में वह हमें ढाल रहा है।
अपने जीवन में उस दिव्य कार्य होने की प्रतीक्षा करें; इसके लिए इंतज़ार करें, और इसका उत्सव मनाएं, इन अनिश्चित दिनों में भी।
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प्रश्न – मुझे संदेह होने लगा है कि क्या मेरी शादी कभी होगी। मुझे एक अच्छा जीवनसाथी नहीं मिल रहा है जो मसीह के प्रति विश्वस्त हो। मेरे लिए एक अच्छा भावी जीवनसाथी कैसे मिल सकता है—और मुझे कैसे पता चलेगा कि वह “वही” है?
उत्तर – युवाओं और युवा वयस्कों के साथ अपने काम के दौरान, मुझे लगता है कि यह एक आम दिक्कत है: आज की दुनिया में एक अच्छा, विश्वास से भरा जीवनसाथी कैसे खोजा जाए। मैं हमेशा हंसता हूं क्योंकि मेरे युवा वयस्क समूह में, सभी लड़कियां मुझसे शिकायत करती हैं, “कोई अच्छा लड़का नहीं दिखाई दे रहा है, जिससे मैं दोस्ती कर सकती हूं!” और लड़के लोग शिकायत करते हैं, “ऐसी कोई अच्छी लड़की नहीं खोज पा रहा हूँ जिससे मैं दोस्ती कर सकता हूं!” कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि मुझे सिर्फ जोड़ी बनानेवाला होना चाहिए और उन्हें एक साथ जोड़ने का काम करना चाहिए!
जीवन साथी को खोजने सम्बन्धी सबसे अच्छी सलाह जो मैंने कभी सुनी, वह एक पुरोहित की थी; उन्होंने कहा, “येशु के पीछे दौड़ना शुरू करो। जब तुम येशु के पीछे दौड़ रहे हो, तो कुछ समय बाद चारों ओर देखो और पहचानो कि कौन तुम्हारे साथ दौड़ रहा है। वे ही लोग हैं जिन्हें तुम्हें साथी बनाना चाहिए।” दूसरे शब्दों में, पहले मसीह का अनुसरण करें—और एक ऐसे जीवनसाथी की तलाश करें जो पहले से मसीह का अनुसरण कर रहा हो।
लेकिन ऐसा जीवनसाथी कहां मिलता है? ऐसे लोग आमतौर पर मधुशाला में नहीं मिलते,—लेकिन ऐसे अच्छे अच्छे कैथलिक युवा समूह कई शहरों में हैं जहां आप ऐसे लोगों से मिल सकते हैं जो मसीह के बारे में गंभीर हैं और जीवनसाथी खोजने के बारे में भी गंभीर हैं। उनके साथ जुड़िये, क्योंकि मैं गारंटी देता हूं कि आपको ऐसे और लोग भी मिलेंगे जो विवाह के बारे में विवेक के साथ समझदारी बढ़ा रहे हैं। और वे आपके जैसे ही लोग हैं।
यदि आपके पास स्थानीय कैथलिक युवा समूह नहीं है, तो आप या तो स्वयं ऐसा एक समूह शुरू कर सकते हैं या अपनी पल्ली या अन्य धर्मार्थ स्थानों पर स्वयंसेवा का कार्य करते हुए अन्य युवाओं की तलाश कर सकते हैं। कोई भी युवा जो अपना समय स्वेच्छा से देता है, उसकी प्राथमिकताएं सही क्रम में होने की संभावना है!
जीवनसाथी खोजने के लिए कैथलिक ऑनलाइन मैरिज ब्यूरो भी उपयोगी स्थान हो सकता है। मेरी बहन कैथलिक मैच डॉट कॉम पर अपने पति से मिली, और मैं ऐसे कई अन्य युवाओं को जानता हूं जिन्होंने इसी तरह ऑनलाइन सफलता पाई हैं। ऑनलाइन में प्रवेश होने पर, आप कौन हैं, इसके बारे में ईमानदार रहें, और सुनिश्चित करें कि आपके पास दूसरे व्यक्ति के समान मूल्य हैं (कैथलिक मैरिज ब्यूरो साइटों पर हर कोई गंभीरता से कैथलिक नहीं है – कुछ प्रामाणिक रूप से कैथलिक होने की अपेक्षा “सांस्कृतिक रूप से” कैथोलिक हो सकते हैं और प्रभु के बारे में शायद ही गंभीर हो सकते हैं)।
एक अच्छे रिश्ते के लिए आवश्यक है कि विवाह बंधन में प्रवेश कर रहे दोनों लोग विश्वास, धन, बच्चे, परिवार आदि मूल्यों पर सामान रूप से विचार रखें, कि वे एक साथ रहने का आनंद लें और समान गतिविधियों का आनंद लें, और निश्चित रूप से, वे एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हों। यदि ये बातें मौजूद हैं – और आप रिश्ते में पवित्र आत्मा की उपस्थिति को महसूस करते हैं – तो आपको पता होना चाहिए कि वह व्यक्ति “यही” है! मुझे नहीं लगता कि ईश्वर ने हम में से प्रत्येक के लिए “जीवन साथी” बनने लायक केवल एकमात्र व्यक्ति को बनाया है; इसके बजाय, शायद ऐसे कई व्यक्ति हैं जिनके साथ कोई न कोई व्यक्ति अच्छी संगति और खुशी का अनुभव कर सकता है। यदि आप रिश्ते में शांति महसूस करते हैं, और यदि यह मसीह पर केंद्रित रिश्ता है, यदि आप एक-दूसरे के साथ रहना पसंद करते हैं और आप दोनों के व्यक्तित्व और रुचियाँ मेल खाते हैं, तो आपने शायद उस व्यक्ति को ढूंढ लिया है जिसके साथ विवाह के लिए ईश्वर आपको बुला रहा है! “यह वही व्यक्ति है जिससे आपको शादी करनी चाहिए”, ऐसे स्पष्ट चिन्ह को परमेश्वर आमतौर पर नहीं दिखाता है, बल्कि आपके रिश्ते में अनुकूलता, सामंजस्य और एक दूसरे को स्वर्ग की ओर यात्रा में मदद देने की प्रबल इच्छा, ये ही परमेश्वर के चिन्ह हैं।
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“मांगो और तुम्हें दिया जाएगा। ढूँढो और तुम्हें मिल जाएगा। खटखटाओ और तुम्हारे लिये खोला जाएगा।” – मत्ती 7:7
सन 2020 का पतझड़ का मौसम था, और वह दिन भी उन खूबसूरत दिनों में से एक था। मेरे पति मार्क, और मैं घर के आसपास कुछ काम कर रहे थे। मैं कोविड के कारण घर के अन्दर और आसपास ही पूरा दिन बिताकर बोर हो चुकी थी, इसलिए मैंने मार्क से कहा कि मैं एक ड्राइव के लिए बाहर जा रही हूं और कुछ घंटों में घर वापस आ जाऊंगी। उसने मुझे ड्राइव करके खुश रहने के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि हम बाद में एक-दूसरे से मिलेंगे।
अपनी कार में बैठने के बाद, मैंने मॉल की ओर जाने का फैसला किया। जब मैं मॉल के नज़दीक पहुँच रही थी तो मैंने ज़ोर से प्रभु से पूछा, “प्रभु, मुझे कहाँ जाना चाहिए?” मैंने तुरंत अपने दिल में सुना, “पैट्रीशिया”।
पैट्रीशिया मेरी पुरानी पड़ोसिन है जो अपने स्वाश्य की बेहतर देखभाल ले लिए इन दिनों एक संस्था में भर्त्ती कर दी गयी है। मैंने सोचा कि पैट्रीशिया के पास जाना एक अच्छा विचार है, और मुझे उससे मिले हुए काफी समय हो चुका था। अब तक मैं आधा रास्ता पार चुकी थी। मैंने फैसला किया कि पहुँचने के पहले फोन नहीं करूंगी, बल्कि पार्किंग में पहुँचने के बाद फोन करूंगी। उस समय कोविड की पाबंदियों ने मुझे उस संस्था के अंदर जाने से रोक दिया था। मैंने सोचा कि शायद पैट और मैं बाहर घूम सकती हैं। शायद मुझे कुछ देर इंतजार करना होगा।
मैंने सीधे पार्किंग में पहुंचकर पैट को फोन किया। उसने तुरंत जवाब दिया! मुझे लगा कि फोन बजा ही नहीं है। पैट के पहले शब्द थे, “कैरोल, तुम कहाँ हो?”, मानो कि वह जानती थी कि मैं आ रही हूँ। मैंने उससे कहा कि मैं उस संस्था के स्थान पर पार्किंग में थी। उसने मुझे बताया कि वह बाहर आँगन में है और मैं वहाँ मास्क पहन कर उसके साथ जा सकती हूँ। इसलिए, मैं गाड़ी लेकर आँगन की ओर गयी, मास्क लगायी और गेट पर उससे मिली। वह मुझे अंदर ले गयी। हम दोनों एक दूसरे को देखकर बहुत खुश हुई।
सूरज हमारे चेहरों पर चमक रहा था; और प्रभु येशु हमारे दिलों में चमक रहा था। वहाँ हम आँगन में बैठी थीं, बस हम दोनों; एक घंटे से अधिक देर तक बातें करती और हँसती रहीं। हमने एक साथ प्रार्थना भी की। क्या अद्भुत मुलाकात है! मुझे कहना चाहिए, वह ईश्वरीय विधान था।
ज़रा सोचिए, अगर मैंने उस शांत स्वर को, उस छोटी सी आवाज़ को, जो घर पर, मुझे धूप में बाहर निकलने के लिए उकसा रही थी, उस आवाज़ को जो बाद में गाडी चलाते समय भी, नहीं सुना होता, तो मैं अपनी दोस्त, पैट्रीशिया के साथ एक शानदार मुलाक़ात से चूक जाती!
धन्यवाद, येशु, तू जिस तरह से मुझे प्यार करता हैं, उसके लिए धन्यवाद!
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उस दिन मैं हताश और अकेली महसूस कर रही थी, लेकिन मुझे क्या पता था, कुछ खास होने वाला था…
जब संत पापा फ्रांसिस ने 8 दिसंबर 2020 से शुरू होने वाले “संत जोसेफ का वर्ष” घोषित किया, तो मुझे वह दिन याद आया जब मेरी मां ने मुझे इस महान संत की एक सुंदर मूर्ति दी थी जिसे मैंने अपने प्रार्थनाकक्ष में गहरी श्रद्धा के साथ रखा था। इन वर्षों में, मैंने संत जोसेफ के लिए कई नवरोज़ी प्रार्थनाएं की हैं, लेकिन मुझे हमेशा यह महसूस होता था कि संत जोसफ शायद मेरी प्रार्थनाओं से अवगत नहीं होंगे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, मैंने संत जोसफ पर बहुत कम ध्यान दिया।
पिछले साल, मेरे एक पुरोहित मित्र ने मुझे संत जोसेफ से 33 दिन की प्रार्थना करने की सलाह दी, इसलिए मैंने फादर डोनाल्ड एच. कॉलोवे द्वारा रचित संत जोसेफ के प्रति समर्पण की 33 दिन प्रार्थना की। समर्पण प्रार्थना के अंतिम दिन मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि मेरे जीवन में कुछ खास होने वाला है। रविवार का दिन था। मैं बहुत उदास महसूस कर रही थी, हालाँकि, उदास होना मेरे स्वभाव में बिल्कुल नहीं है। लेकिन वह दिन बहुत अलग था। इसलिए पवित्र मिस्सा बलिदान के ठीक बाद, मैंने आराधना में जाने का फैसला किया। क्योंकि मेरी इच्छा थी कि परम पवित्र संस्कार के सम्मुख बैठकर मैं कुछ पा लूं, क्योंकि मुझे विश्वास था कि जो कोई अपने दिल की गहराइयों से प्रार्थना करेगा, उसे सांत्वना ज़रूर मिलेगी।
ऊपर से प्यार
एक बार, जब मैं म्यूनिख में भूमिगत मेट्रो रेल सेवा यू-बान में मेट्रो गाडी की प्रतीक्षा कर रही थी, मैंने देखा कि एक महिला अनियंत्रित रूप से रो रही है। इसे देखकर मैं हिल गयी थी और उसे सांत्वना देना चाहती थी। उसके ज़ोरदार विलाप ने सबका ध्यान आकर्षित किया था और हर कोई उसे घूर रहा था, जिससे मेरे जाने और उससे बात करने की इच्छा कम हो गयी थी। कुछ देर बाद वह जाने के लिए उठी, लेकिन अपना दुपट्टा पीछे छोड़ गई। अब मेरे पास उसके पीछे जाने के अलावा कोई चारा नहीं था। जैसे ही मैंने दुपट्टा वापस दिया, मैंने उससे कहा, “मत रोओ … आप अकेली नहीं हैं। येशु आपसे प्यार करते हैं और वह आपकी मदद करना चाहते हैं। अपनी सभी परेशानियों के बारे में उससे बात करें… वह आपकी मदद जरूर करेंगे।” मैंने उसे कुछ पैसे भी दिए। फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे अपनी बाहों में ले सकती हूं। मैं थोड़ी अनिच्छुक थी, लेकिन पल में इस अनिच्छा को एक तरफ धकेलकर, मैं ने उस महिला को गर्मजोशी से गले लगाया और धीरे से उसके गालों को छुआ। इस कृत्य से मैं स्वयं आश्चर्यचकित थी क्योंकि उस दिन मैं बहुत खालीपन और आत्मा में उदासीपन महसूस कर रही थी। और सच में मैं कह सकती हूं कि यह प्यार मेरी तरफ से नहीं था। वह येशु ही थे जो इस तरह उसके पास पहुंचे थे!
अंत में, जब मैं आराधना के लिए गिरजाघर पहुंची, तो ईश्वर से मदद की गुहार लगाई और मेरा जीवन उसके नियंत्रण में है इस बात का एक संकेत के लिए मदद माँगी। जैसे ही मैंने संत जोसेफ वाली अपनी प्रार्थना और समर्पण को पूरा किया, मैंने संत जोसेफ की मूर्ति के सामने एक मोमबत्ती जलाई। तब इस बात पर विचार करते हुए कि उन्होंने मुझे कभी जवाब क्यों नहीं दिया, मैंने सहज भाव से संत जोसेफ से पूछा कि क्या वह वास्तव में मेरी परवाह करते हैं, या नहीं।
बड़ी मुस्कान
वापस ट्रेन की ओर जाते समय, एक महिला ने मुझे गली में रोक दिया। वह 50 के आसपास की लग रही थी और मेरी उससे यह पहली और आखिरी मुलाक़ात थी, लेकिन उसने मुझसे जो कहा वह अभी भी मेरे कानों में गूँज रहा है। जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा और सोच रही थी कि वह मुझसे क्या चाहती है, उसने अचानक अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ कहा “ओह! संत जोसेफ आपसे बहुत प्यार करते हैं, आपको पता नहीं है।” मैं हतप्रभ रह गयी और उसने जो कहा उसे दोहराने के लिए मैंने उससे कहा। मैं इसे फिर से सुनना बहुत चाहती थी और मेरे पास जो भावना थी वह शब्दों से परे है। उस पल मुझे पता चल गया था कि मैं कभी अकेली नहीं हूं। खुशी के आंसू मेरे गालों पर लुढ़कते गए, क्योंकि मैंने उससे कहा कि मैं प्रार्थना कर रही थी और एक संकेत मांग रही थी। मंत्रमुग्ध कर देने वाली एक मुस्कान के साथ उसने उत्तर दिया, “प्रिय, यह पवित्र आत्मा का कार्य है”
फिर उसने पूछा, “क्या आप जानती हैं कि संत जोसेफ आपसे सबसे ज्यादा किस बात केलिए प्यार करते हैं?” मैंने हतप्रभ स्थिति में पीछे मुड़कर उसकी ओर देखा। मेरे गालों को धीरे से छूते हुए (ठीक वैसे ही जैसे मैंने पहले मेट्रो में दूसरी महिला के साथ किया था) वह फुसफुसाई, “तुम्हारा कोमल और विनम्र दिल से।” फिर वह चली गई।
मैंने इस भली महिला से इससे पहले या बाद में कभी नहीं मिली। यह बात असामान्य थी, क्योंकि ज्यादातर हमारे गिरजाघरों में हम एक-दूसरे को जानते हैं, लेकिन मुझे अभी भी स्पष्ट रूप से याद है कि वह कितनी प्यारी और खुशी से भरी थी।
उस दिन मैं इतना हताश महसूस कर रही थी इसलिए मुझे वास्तव में यह महसूस करने की ज़रूरत थी कि प्रभु वास्तव में मुझसे प्यार करते हैं और मेरी परवाह करते हैं । संत जोसेफ के संदेश से मेरी चिंता दूर हुई। संत जोसफ इतने वर्षों तक मेरे साथ रहे, हालांकि मैंने अक्सर उनकी उपेक्षा की थी।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि उस दिन की शुरुआत में मेट्रो में रोनेवाली महिला से मुलाक़ात की घटना बाद में इस दयालु और भली अपरिचित महिला के साथ मेरी मुलाकात से जुड़ी हुई थी। उसने मुझे ज्ञान का एक महत्वपूर्ण सन्देश दिया। हम जो कुछ भी दूसरों के लिए करते हैं, हम येशु के लिए करते हैं, भले ही हमारा ऐसा करना हमारी इच्छा के अनुरूप न हो। जब हम दूसरों तक पहुँचने के लिए अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलते हैं तो येशु और भी अधिक खुश होते हैं। तब से, मैं हर दिन अपने प्रिय संत जोसेफ की शक्तिशाली मध्यस्थता मांगती हूं, बिना किसी असफलता के!
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तीसरी कक्षा में पढ़ रहे मेरे बेटे के पाठ्यक्रम में, उसे तितली के जीवन चक्र के बारे में सीखना था। इसलिए, मैंने कुछ शोध किया ताकि इसके बारे में हम एक साथ चर्चा कर पायें। हालांकि मैं एक तितली के जीवन चक्र के चार चरणों को जानती थी, लेकिन मैंने कभी भी इसकी गहराई से जांच नहीं की थी।
जब मैंने इस छोटे, सुंदर प्राणी के विभिन्न चरणों के बारे में वीडियो और चित्रों की खोज की, तो मैं इसके विकास के तीसरे चरण से मोहित हो गयी, जब यह एक प्यूपा या कोषावस्था में कायापलट से गुजरता है। कैटरपिलर या सूंडी को वयस्क तितली में बदलने के लिए कुछ दिनों तक प्यूपा में रहना पड़ता है।
यदि आप कायापलट की प्रक्रिया के बीच में क्रिसलिस या कोष को खोलते हैं, तो आपको केवल एक चिपचिपा तरल पदार्थ मिलेगा। खोल के अंदर पंख पाने के पहले आरामदायक निद्रा में सूंडी या कैटरपिलर आपको नहीं दिखाई देगा। वास्तव में, इस चरण के दौरान, कैटरपिलर का पुराना शरीर मर जाता है और एक नया शरीर बनना शुरू हो जाता है। कैटरपिलर को पूरी तरह से उस खोल से अलग हो जाना है। पूरी तरह से द्रवीभूत होने के बाद ही, यह उस सुंदर प्राणी का रूप लेना शुरू करता है जिस रूप में सृष्टिकर्ता ने उसके लिए सोचा था।
एक और आश्चर्यजनक बात जो मैंने खोजी: क्रिसलिस (खोल) शब्द यूनानी भाषा के “स्वर्णिम” शब्द के लिए लिया गया है, क्योंकि हरे रंग की क्रिसलिस/खोल के आसपास सुनहरे या स्वर्णिम धागे हैं। आपने शायद क्रिसलिस/खोल चरण के बारे में कुछ आध्यात्मिक उपमाएँ सुनी होंगी, जो यह बताती है कि हमारे जीवन के कठिन समय वास्तव में कैसे हमें बदल देता है। हालाँकि, जब हम वास्तव में खुद को संकट में पाते हैं, तब हम ‘यह संकट मसीह में विश्वासियों के लिए नहीं है’ मानकर अक्सर दुख का अवमूल्यन करते हैं।.
हम ईश्वर से प्रार्थना करते रहते हैं कि हमारे जीवन से कष्टों और दुखों के असहज और कुरूप खोल को हटा दे। हम चाहते हैं कि वह हमारी परिस्थितियों को बदल दे, लेकिन उसकी इच्छा है कि इस प्रक्रिया द्वारा हमारा परिवर्त्तन हो।
क्योंकि, हमारी आत्मा के भीतर का गंभीर कार्य क्रिसलिस या खोल में होता है।
क्रिसलिस के अंदर रहने से हमारा विश्वास मजबूत होता है।
जीवन के सबसे आवश्यक पाठ क्रिसलिस में सीखे जाते हैं।
अपने सृष्टिकर्ता के साथ हमारा रिश्ता गहरा होता है क्योंकि हम क्रिसलिस या खोल में कायापलट करते हैं जबकि हमारे चरित्र के वे हिस्से जो जरूरी नहीं हैं, छीन लिए जाते हैं।
जिस तरह क्रिसलिस के अंधेरे, एकांत और विश्राम में कैटरपिलर एक सुंदर तितली में बदल जाता है, ऐसा समय हमें अपने अस्तित्व के उद्देश्य के लिए प्रकट और तैयार कर सकता है।
मुझे नहीं पता कि आप इस समय किस कायापलट की अवस्था में हैं। यदि आपके पंख हैं, तो प्रभु की स्तुति करें, लेकिन अगर आप खुद को क्रिसलिस में फंसा हुआ पाते हैं, जहां आपको लगता है कि कुछ भी नहीं हो रहा है, जहां आप अपने दर्द और कठिनाइयों का अंधेरा देखते हैं, जहां आपको लगता है कि आप हर दिन टूट रहे हैं और जहां सब कुछ इतना अटका हुआ, मृत और निष्क्रिय लगता है, तो मैं आपको इस प्रक्रिया पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हूं, इसके प्रति समर्पण कीजिये, इसे ख़ुशी से अपनाइये और तब तक प्रतीक्षा कीजिये जब तक कि यह प्रक्रिया अपने सर्वश्रेष्ठ काम न कर ले, आपको हर उस चीज में बदल दे जो आपको होना चाहिए, आपको अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए और अपने स्वर्गीय पिता की महिमा को दर्शाते हुए आपको शानदार पंख देता है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका क्रिसलिस कैसा महसूस करता है, याद रखें कि यह हमेशा आपके मास्टर डिजाइनर से ताकत, आश्वासन, प्यार और अनुग्रह के सुनहरे धागे से ढका रहेगा। वह पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको देखता रहेगा। उस पर भरोसा करें कि वह आपकी रक्षा और पुनर्निर्माण करेगा जैसे कि आप अपने क्रिसलिस में बैठकर प्रतीक्षा करते हैं। तब आपकी कायापलट आपको चौंका देगी।
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मैं 65 वर्ष का था और अपनी जीवन बीमा पॉलिसी बदलना चाह रहा था। जैसा अक्सर होता है, बीमा वालों को मेरे स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ जांच करनी थी। मैंने सोचा, “ठीक है, मैं सहयोग करूंगा।” उस समय तक, मैंने जो भी लैब टेस्ट लिया था, जैसे सीने का एक्स-रे, ईकेजी और कॉलोनोस्कोपी, ये सब सामान्य थे। मेरा रक्तचाप 126/72 था और मेरा बीएमआई 26 था। मैं प्रति सप्ताह चार बार व्यायाम करता था और काफी स्वस्थ भोजन खाता था। मैं अच्छा महसूस कर रहा था और किसी भी प्रकार की बीमारी के लक्षण मुझ में नहीं था।
मेरी सभी जांचों का परिणाम सामान्य आए … मेरे पीएसए को छोड़कर, जो 11 एनजी/एमएल था (सामान्य 4.5 एनजी/एमएल से कम होना चाहिए)। तीन साल पहले यह सामान्य था। एक झटका लगा ! इसलिए मैं अपना पीसीपी देखने गया। मलाशय की जांच के दौरान, उन्होंने पाया कि मेरा प्रोस्टेट बढ़ा हुआ और कुछ हिस्सा सिकुड़ा हुआ है। “मुझे कैंसर का संदेह है, मैं आपको एक मूत्र रोग विशेषज्ञ के पास भेजने जा रहा हूं,” उन्होंने कहा। एक और झटका।
प्रोस्टेट की ग्यारह बायोप्सियों में से ग्यारहों ने कैंसर पॉजिटीव दिखाया। मेरा ग्लीसन स्कोर 4+5 था जिसका मतलब था कि यह एक उच्च श्रेणी का कैंसर था और यह तेजी से बढ़ सकता है और फैल सकता है। इसलिए, मैंने ल्यूप्रोन के साथ एक गंभीर प्रोस्टेटैक्टोमी, विकिरण चिकित्सा और हार्मोन थेरेपी की। ऊह! वो गर्म गर्म लालिमा! जब मैं यह बोलता हूं तो महिलाएं ज़रूर मुझ पर विश्वास करेंगी; अब मुझे पता है कि आप किस दौर से गुजर रही हैं। एक बार फिर झटका!
आप सोचते होंगे कि “झटका” सिर्फ क्यों? “मेरा विश्वास उड़ गया है”, “यह नहीं हो सकता”, “मैं मरने जा रहा हूं”, “ईश्वर मुझे सजा दे रहा है” ऐसे ऐसे प्रलाप क्यों नहीं?
अच्छा, मैं बताता हूँ कि ऐसे प्रलाप मेरी तरफ से क्यों नहीं है। मेरी माँ के गुर्दे खराब होने से पहले, घर पर ही उन्हें पेरिटोनियल डायलिसिस की आवश्यकता थी, मेरे माता-पिता काफी यात्रा किया करते थे, खासकर मेक्सिको की तरफ। जब रोजाना डायलिसिस ने यात्राक्रम को रोक दिया, तो उन्होंने घर में बैठकर पहेलियों पर काम करने, अपनी बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने में अधिक समय बिताया। इससे वे प्रभु के काफी करीब आ गए। इसलिए, जब माँ के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वे उसके स्वास्थ्य के लिए और कुछ नहीं कर सकते, तो माँ विचलित नहीं थी। उसने मुझसे कहा, “मैं थक गई हूँ, मैं अपने स्वर्गिक पिता के साथ रहने के लिए तैयार हूँ। मैं परिवार और दोस्तों के साथ और अपने साथ भी शांति का अनुभव कर रही हूँ, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं ईश्वर के साथ शांति का अनुभव करती हूँ।” कुछ दिनों बाद, चेहरे पर मुस्कान के साथ, बड़ी अपार शांति के साथ उसने इस दुनिया से विदा ली।
”मैं ईश्वर के साथ शांति का अनुभव करती हूँ”। मैं भी यही चाहता था। मैं अब केवल रविवारीय मिस्सा में भाग लेने वाला नामधारी कैथलिक बने रहना नहीं चाहता था। उस समय से मैंने उस रास्ते पर चलना शुरू किया जो मुझे ईश्वर के करीब ले आया है: अंग्रेजी और स्पेनिश दोनों भाषाओं में बाइबल पढ़कर उसकी गहराई से अध्ययन करना, प्रार्थना करना, माला विनती करना, जीवन में प्राप्त कृपाओं के लिए धन्यवाद देना, और एक धर्मशिक्षा के अध्यापक के रूप में स्वयंसेवा करना। आशा करता हूं कि जल्द ही, मैं एक अस्पताल के अध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में अपनी इंटर्नशिप पूरा कर लूँगा और मैं अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शन पाठ्यक्रम पूरा करने वाला हूं।
तो, हाँ, प्रोस्टेट कैंसर होना एक झटका है, लेकिन वह बस एक झटका मात्र ही है, क्योंकि मैं ईश्वर के साथ शांति का अनुभव करता हूँ।
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क्या स्वर्गदूत वास्तव में हैं? यहां जानिए सच्चाई…
हम अक्सर पवित्र ग्रन्थ बाइबल में स्वर्गदूतों को परमेश्वर के संदेशवाहकों के रूप में देखते हैं। कैथलिक कलीसिया केवल तीन स्वर्गदूतों के नामों को मान्यता देती है, जिनमें से सभी महादूतों की गायक मंडली के हिस्से हैं। हर साल कलीसिया 29 सितंबर को इन महादूतों: माइकल, गाब्रियल और रफाएल का पर्व मनाती है।
संत माइकल महादूत का अर्थ है, “जो ईश्वर के समान है।” वह सैनिकों, पुलिस अधिकारियों और अग्निशामकों का संरक्षक है। परंपरागत रूप से, माइकल को इज़राइल के लोगों के संरक्षक स्वर्गदूत के रूप में माना गया है और अब उन्हें कलीसिया के रखवाल स्वर्गदूत के रूप में आदर दिया जाता है। प्रकाशन ग्रन्थ के अनुसार, जब लूसिफर / शैतान ने ईश्वर के खिलाफ विद्रोह किया था, तब संत माइकल ने उसे हराने के लिए स्वर्ग की सेना का नेतृत्व किया था। हम पवित्र धर्मग्रन्थ और परंपराओं से सीखते हैं कि संत माइकल की चार मुख्य जिम्मेदारियां हैं: शैतान का मुकाबला करना; विश्वासियों को उनकी मृत्यु की घड़ी में स्वर्ग तक पहुँचाना; सभी ख्रीस्तीयों और कलीसिया की अगुवाई करना; और सभी नर नारियों को पृथ्वी पर जीवन से उनके अंतिम स्वर्गीय न्यायविधि के लिए आमंत्रित करना।
संत गाब्रिएल महादूत का अर्थ है, “ईश्वर मेरी शक्ति है”। गाब्रियल परमेश्वर का पवित्र संदेशवाहक है। वह नबी दानिएल के सम्मुख ईश्वर से उन्हें प्राप्त एक दर्शन की व्याख्या देने के लिए प्रकट हुआ। वह याजक जकरियस के सामने यह घोषणा करने के लिए प्रकट हुए कि उनका पुत्र, योहन बप्तिस्ता होगा, और वह प्रभु के शरीरधारण के सन्देश के समय कुँवारी मरियम को दिखाई दिया। कैथलिक परंपरा इंगित करती है कि गाब्रियल वह दूत था जो संत जोसेफ को उसके सपनों में दिखाई दिया था। ईश्वर ने गाब्रियल को हमारे कैथलिक विश्वास का सबसे महत्वपूर्ण संदेश कुँवारी मरियम तक पहुंचाने का कार्य सौंपा। इसलिए बह संदेशवाहकों, दूरसंचार कर्मचारियों और डाक कर्मियों के संरक्षक संत है।
संत रफाएल महादूत का अर्थ है, “ईश्वर चंगा करता है।” पुराने नियम में तोबित के ग्रन्थ में, रफाएल को सारा के अन्दर से दुष्टात्मा को निकालने और तोबित की दृष्टि को बहाल करने का श्रेय दिया जाता है। रफाएल के इस अद्भुत कार्य के कारण तोबित ने स्वर्ग के प्रकाश को देखने और उसकी मध्यस्थता के माध्यम से सभी अच्छी चीजें प्राप्त करने का सौभाग्य पाया। रफाएल यात्रियों, अंधों, शारीरिक बीमारियों से पीड़ितों, आनंदमय मुलाकातों, नर्सों, चिकित्सकों और अन्य चिकित्साकर्मियों का संरक्षक संत है।
स्वर्गदूत हमारी चारों ओर हैं
“स्वर्गदूतों से परिचित हो जाइए, और उन्हें अपनी प्रार्थना में बार-बार निहारिए; क्योंकि वे न दिखाई दें, फिर भी आपके साथ हैं।”– संत फ्रांसिस डी सेल्स।
क्या आपने स्वर्गदूतों द्वारा आपके जीवन के खतरों से आपकी रक्षा करने का अनुभव किया है? कभी-कभी लोग गहराई से जानते हैं कि कोई उनकी सहायता के लिए आया था। संभवत: हम में से कई लोगों ने महसूस किया है कि स्वर्गदूतों ने कई बार हमारी रक्षा की है और हमारी मदद की है।
मेरी सहायता करने वाले स्वर्गदूतों के बारे में मेरा एक ख़ास अनुभव स्पष्ट रूप से मेरी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित है। जब मेरी माँ का कैंसर का इलाज चल रहा था, तो हमें निकटतम कैंसर उपचार केंद्र जाने के लिए 240 मील का चक्कर लगाना पड़ता था। एक दिन घर की ओर लौटते समय, जैसे ही हम एक उप राजमार्ग पर गाडी चला रहे थे, मेरी कार की ऊर्जा समाप्त हो रही थी, जबकि इंजन ने अजीब आवाज़ निकालना शुरू कर दी और विभिन्न प्रकार की आवाज़ से ऐसा लग रहा था कि कार रस्ते में ही जल्दी बंद होने वाली थी। मेरी माँ थक गई थी और बहुत बीमार महसूस कर रही थी, इसलिए मुझे पता था कि अगर हम ग्रीष्मकाल की उस तपती गर्मी में सड़क के किनारे रुक जाते हैं तो यह विनाशकारी होगा।
मैं बड़ी तीव्रता के साथ प्रार्थना करने लगी, पवित्र स्वर्गदूतों से हमारी सहायता के लिए हमारे पास आने और घर पहुँचने तक इंजन को चालू रखने के लिए मैं ने प्रार्थना की। लगभग एक या दो मील तक असंबद्ध रूप से घसीटने के बाद, अचानक गाड़ी सुचारू रूप से चलने लगी, इंजन को पूरी ताकत मिली और घर तक कार आराम से चली। हमारी सहायता हेतु हमें स्वर्गदूत भेजने के लिए हम परमेश्वर का धन्यवाद कर रहे थे। अगले दिन, मैं अपनी कार को मैकेनिक के गैरेज में ले आयी ताकि उसकी जाँच की जा सके। मैकेनिक ने जब कहा कि इंजन में किसी प्रकार की कमी नहीं दिखाई दी, तो मुझे बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ। मैं आभारी और आश्चर्यचकित महसूस कर रही थी कि हमारे अपने स्वर्गदूत मैकेनिक ने कार को ठीक कर दिया था ताकि यह पहले से भी बेहतर चल सके। “प्रभु का दूत उसके भक्तों के पास डेरा डालता, और विपत्ति से उसकी रक्षा करता है।” (स्तोत्र ग्रन्थ: 34:7)
ईश्वर ने जिस क्षण में मेरी सृष्टि की, उसी क्षण से उसने मेरे लिए एक रखवाल स्वर्गदूत की नियुक्ति की। “हर विश्वासी के पास रक्षक और चरवाहे के रूप में एक दूत खड़ा रहता है जो उसे जीवन की ओर ले चलता है” (कैथलिक धर्मशिक्षा 336)। हमारा मानव जीवन उन रखवाल दूतों की चौकसी, देखभाल और हिमायत के सुरक्षित घेरे में है। हमारे रखवाल दूत का कार्य है हमें स्वर्ग तक पहुँचाना। हम कभी नहीं जान पाएंगे कि स्वर्ग के इस तरफ, कितनी बार हम इन रखवाल स्वर्गदूतों द्वारा खतरों से बचाया गए थे या कितनी बार गंभीर पाप में गिरने से बचने में उन दूतों ने हमारी मदद की थी। संत थॉमस एक्विनास कहते हैं कि “स्वर्गदूत हम सब की भलाई के लिए मिलकर काम करते हैं।” इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कैथलिक कलीसिया ने रखवाल दूत को याद करने के लिए 2 अक्टूबर को रखवाल स्वर्गदूत के पर्व का दिन निर्धारित किया है।
अनेक संतों को अपने अपने स्वर्गदूत के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आर्क की संत जोआन (1412-1431) एक नव युवती थी जिसे संत माइकल महादूत और अन्य संतों ने सौ साल के युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ कई सैन्य लड़ाइयों में फ्रांसीसी सेना का नेतृत्व करने और दूसरों को प्रेरणा देने के लिए बुलाया था। परमेश्वर ने अपनी ओर से युद्ध करने के लिए इस साहसी स्त्री को माध्यम बनाया।
19-वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में कलीसिया के तत्कालीन शासक संत पापा लियो तेरहवें ने शैतान को देखा और उन्होंने संत माइकल को संबोधित निम्नलिखित प्रार्थना की रचना की, जिसे आज कई गिरजाघरों में मिस्सा बलिदान के बाद पढ़ा जाता है:
“संत माइकल महादूत, संघर्ष की घड़ी में हमारी रक्षा कर। दुष्टता और शैतान के फन्दों से तू हमारा रक्षाकवच बन जा। हम विनम्रतापूर्वक प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर दुष्टात्मा को फटकारें, और हे स्वर्गीय सेनाओं के राजकुमार, ईश्वर की शक्ति से, आत्माओं के सर्वनाश की तलाश में दुनिया में विचरते शैतान को और सभी दुष्ट आत्माओं को नरक में डाल दे। आमेन।”
जब हम परमेश्वर की स्तुति गाते हैं तो हम स्वर्गदूतों के साथ गा रहे होते हैं। हर मिस्सा बलिदान में, हम सीधे स्वर्ग में लिए जाते हैं। डॉ स्काउट हैन का कहना है कि “मिस्सा बलिदान के वह स्वर्गीय अनुष्ठान, पृथ्वी पर स्वर्ग के रूप में, एक रहस्यमय भागीदारी है। जब हम मिस्सा बलिदान में जाते हैं तो हम स्वर्ग जाते हैं, और यह हर उस मिस्सा की सच्चाई है जिसमें हम भाग लेते हैं।”
स्वर्गीय राजा, तूने पृथ्वी पर हमारी तीर्थयात्रा के दौरान
हमारी सहायता के लिए महादूत दिए हैं।
संत माइकल हमारा रक्षक है;
मैं उसे अपनी सहायता के लिए आमंत्रित करती हूं,
मेरे सभी प्रियजनों के लिए लड़,
और हमें खतरे से बचा।
संत गाब्रियल शुभसंदेश का दूत है;
मैं उससे आग्रह करती हूँ कि तेरी आवाज को स्पष्ट रूप से सुनने
और सच सीखने में संत गाब्रिएल मेरी मदद करे।
संत रफाएल चंगाई का स्वर्गदूत है;
मैं उससे कहती हूं कि वह मेरे और मेरे जानने वाले
सभी लोगों की चंगाई के निवेदन को स्वीकार करे,
हमारे स्वास्थ्य को संत रफाएल तेरे अनुग्रह के सिंहासन तक उठाए
और हमें स्वास्थ्यलाभ के भेंट से अनुग्रहीत करे।
हे प्रभु, हमारी मदद कर ताकि हम महादूतों की वास्तविकता और हमारी सेवा करने की उनकी इच्छा को पूरी तरह से समझ सकें। हे पवित्र स्वर्गदूतो, हमारे लिए प्रार्थना कर।
आमेन।
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प्रश्न: मेरे दो छोटे बच्चे हैं, और मुझे इस बात की चिंता है कि उन्हें विश्वास में कैसे मज़बूत किया जाए। हमारी दुनिया में जो साल-दर-साल अत्यधिक धर्मविहीन होती जा रही है, क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे मैं उनके भीतर कैथलिक आस्था को इतनी गहराई से स्थापित कर सकूं कि जैसे-जैसे वे बड़े होते जाएंगे वे कैथलिक बने रहेंगे?
उत्तर: यह वास्तव में बहुत सारे माता-पिता के लिए एक कठिन स्थिति है, क्योंकि हमारी संस्कृति अक्सर खुले तौर पर हमारे कैथलिक विश्वास के खिलाफ है। जब ऐसा लगता है कि हवा उलटी दिशा में ही बह रही है तो इस हवा के बीच में कैसे उन्हें कैथलिक धर्म में मज़बूत किया जाए?
चुनौती का एक हिस्सा यह है कि ईश्वर की कृपा एक रहस्य है। सौ लोग एक ही बात या प्रवचन सुन सकते हैं, और इससे कुछ लोगों का जीवन बदल जाएगा, जबकि दूसरों को यह उबाऊ और अर्थहीन प्रवचन लगेगा। मेरे अपने परिवार में, मेरा एक भाई है जो खुद को नास्तिक कहता है – एक ही परिवार से एक पुरोहित और एक नास्तिक, दोनों एक ही माता-पिता और एक ही परवरिश के साथ एक ही छत के नीचे! इसलिए, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अनुग्रह एक रहस्य है — लेकिन हम यह भी आश्वस्त हैं कि परमेश्वर आपके बच्चों को आपसे कहीं अधिक प्यार करता है, और वह उनके दिलों को जीतने और उन्हें उद्धार की ओर ले जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
इसके साथ ही, कुछ ऐसी चीजें हैं जो माता-पिता अपने बच्चों को येशु मसीह का साक्षात्कार करने और उनके प्रति वफादार रहने में मदद करने के लिए कर सकते हैं। हालांकि मेरे कोई बच्चे नहीं हैं, मैंने युवाओं के बीच सेवा कार्य करते हुए पिछले सत्रह वर्षों में हजारों बच्चों और किशोरों के साथ काम किया है, और मैंने कुछ सफल रणनीतियों को देखा है जो परिवार अपने बच्चों को वफादार रखने के लिए नियोजित करते हैं।
सबसे पहले, रविवार की मिस्सा-पूजा के साथ कोई समझौता न करें। मुझे याद है कि मेरे माता-पिता हमें छुट्टी पर मिस्सा में ले जा रहे थे, और वे हमारे किसी भी खेलकूद को मिस्सा पूजा में दखल देने की अनुमति नहीं देते थे। अपने बच्चों पर एक पिता का सामूहिक मिसाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। एक कहावत है कि, “यदि एक माँ मिस्सा में जाती है तो बच्चे भी मिस्सा में जाते हैं, लेकिन अगर एक पिता मिस्सा में जाता है तो पोते-पोते भी मिस्सा में जाते हैं।” जब मैं और मेरे भाई स्काउट शिविरों में घर से बाहर रहते थे, तो मेरे पिता जी हम दोनों को मिस्सा में ले जाने के लिए हमारे स्काउट कैंपआउट की और आते थे, हमें मिस्सा में ले जाते, और जब मिस्सा खत्म हो जाती है तो हमें वापस शिविर में पहुंचा देते थे! इस अनुभव ने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला और मुझे सिखाया कि हमारे और रविवारीय मिस्सा बलिदान के बीच कोई भी दखल नहीं, हाँ बिल्कुल भी नहीं आने दिया गया। यही हमारे परिवार की असली आधारशिला थी। यदि आप कभी छुट्टी पर होते हैं, तो आप www.masstimes.org पर जा सकते हैं, जिसमें पूरी दुनिया के सभी जनसमूह की सूची है—इसलिए चाहे आप पेरिस में हों या ब्यूनस आयर्स या डिज्नी वर्ल्ड में हों, फिर भी आप रविवारीय मिस्सा पा सकते हैं!
दूसरा महत्वपूर्ण बात है कि आप एक परिवार के रूप में एक साथ प्रार्थना करें। मिस्सा पूजा के लिए जाते वक्त रास्ते में मेरा परिवार रोज़री माला की प्रार्थना करता था, और आगमन काल में पुष्प चक्र की जो परम्परा है, उस पर हमारे परिवार की विशेष भक्ति थी। चालीसा काल में हम एक साथ क्रूस यात्रा में भाग लेते थे, और मेरे माता-पिता हमें अक्सर परम प्रसाद की आराधना में ले जाते थे। हालाँकि कई बार मैं ने इन चीजों में घसीटे जाने की शिकायत भी की, फिर भी परिणाम यह निकला कि उन्होंने मुझे येशु मसीह के साथ एक व्यक्तिगत संबंध से परिचित कराया, जो आज तक मजबूत बना हुआ है।
इसके अलावा, अपने बच्चों के लिए प्रार्थना और उपवास करना कभी न भूलें—प्रतिदिन!
तीसरा, पाप को अपने घर से बाहर रखें। अगर आप अपने बच्चों को स्मार्टफोन देते हैं, तो उस पर एक फिल्टर लगाएं। सुनिश्चित करें कि वे जो टीवी शो और फिल्में देखते हैं, जो संगीत वे सुनते हैं, और जो किताबें वे पढ़ते हैं, वे स्वस्थ हैं। हालाँकि आपके बच्चे शिकायत कर सकते हैं, फिर भी माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को एक बुरी फिल्म देखने का त्वरित अस्थायी आनंद देने से अधिक, बच्चों की शाश्वत खुशी के बारे में चिंता करें!
एक और कार्य आप कर सकते हैं: आप अपने घर को एक पवित्र मंदिर बनाएं। इसमें क्रूसित प्रभु की मूर्ती, पवित्र तस्वीरों, संतों की मूर्तियों और साथ साथ कैथलिक विश्वास पर लिखित पुस्तकों से भरें। पुरानी कहावत सच है: “दृष्टि से बाहर, दिमाग से बाहर।” जितना अधिक हम शाश्वत वास्तविकताओं को ध्यान में रख सकते हैं, उतना ही अधिक हम उनके प्रति वफादार रहेंगे।
पांचवां, अपने बच्चों को एक अच्छे कैथलिक समुदाय के इर्दगिर्द रखें, दोनों, बच्चों के हमउम्र साथियों के साथ और वयस्कों के साथ भी। उन्हें अच्छे दोस्तों की ज़रूरत है जिनके मूल्य और सिद्धांत समान हैं, इसलिए संभव है तो उन्हें एक युवा समूह में शामिल होना चाहिए या कैथलिक ग्रीष्मकालीन शिविरों में हिस्सा लेना चाहिए। उन्हें वयस्क सलाहकारों की भी आवश्यकता है जो कैथलिक विश्वास से प्यार करते हैं, इसलिए अन्य अच्छे कैथलिक परिवारों से मित्रता करें। अपने पल्ली पुरोहित को भोजन के लिए आमंत्रित करें। पल्ली के अन्य सदस्यों के साथ कभी-कभार सामूहिक पार्टी का आयोजन करें। जब मैं छोटा था, मेरे पिता कभी-कभी मुझे शनिवार की सुबह अपने पुरुषों के समूह में ले जाते थे, और मैं इन पुरुषों को देखने के प्रभाव को कभी नहीं भूलूंगा – जिन पुरुषों को मैं जानता था और सम्मान करता था और पसंद करता था, जो प्लंबर और वकील और खेल प्रशिक्षक थे, प्रार्थना और गायन करते थे – और वे येशु के बारे में भावुक भी थे । इससे मुझे एहसास हुआ कि प्रभु में विश्वास करना अच्छा और सामान्य था!
एक संबंधित प्रश्न यह है कि अपने बच्चे को किस स्कूल में भेजा जाए। इसका उत्तर काफी सरल है: कौन किसे बदल रहा है? अगर आपका बच्चा स्कूल जाता है और वहां येशु मसीह का प्रकाश ले जा पाता है, तो यह एक अच्छा वातावरण है। लेकिन अगर आपका बच्चा दुनिया के मूल्यों को अपनाना शुरू कर देता है, तो शायद स्कूल बदलने का समय आ गया है। अफसोस की बात है कि कई कैथलिक स्कूल वास्तव में मसीह-केंद्रित वातावरण प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए सावधान रहें, भले ही आप कैथलिक स्कूल चुनते हों।
अंत में, बच्चों में विश्वास की ज्योति प्रज्वलित बनाए रखने का सबसे अच्छा और सबसे प्रभावी तरीका ऐसे माता-पिता बनना है जो अपने निजी जीवन में प्रभु की तलाश कर रहे हैं! मेरे पिता ने हमेशा मेरे जन्म से पहले से ही प्रतिदिन रोजरी माला की प्रार्थना की थी, और मेरे माता-पिता दोनों घर पर अपने विश्वासी जीवन पर आराम से चर्चा करते थे। मैं उन्हें स्वयं ही विश्वास का अध्ययन करते, संतों या आध्यात्मिकता के बारे में पुस्तकें पढ़ते हुए देखता था। जैसा कि पुरानी कहावत है, “विश्वास कम सिखाया जाता है, लेकिन अधिक हासिल किया जाता है” – और हमारे कार्य शब्दों से अधिक जोर से बोलते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हम परिपूर्ण हैं, लेकिन हमें अपने दिलों में प्रभु के चेहरे की तलाश में ईमानदार होना चाहिए।
निश्चित रूप से उपरोक्त में से कोई भी बात हमें गारंटी नहीं देती है, क्योंकि हमारे बच्चों की अपनी स्वतंत्र इच्छा हैं और प्रभु का अनुसरण करना है या नहीं यह चुनने में वे सक्षम हैं। लेकिन इन कामों को करने में, हम उन्हें मज़बूत नींव दे रहे हैं, और परमेश्वर को उनका दिल जीतने का मौका दे रहे हैं। यह उसकी ही कृपा है जो बच्चों को कैथलिक बनाए रखती है—हम केवल उस अनुग्रह के वाहक हैं! यह कभी न भूलें कि जितना आप अपने बच्चों से प्रेम करते हैं, परमेश्वर असीम रूप से उनसे अधिक प्रेम करता है—और उनके उद्धार की कामना करता है!
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जब डॉक्टर कहते हैं कि तुम्हारी मृत्यु निकट है, उस भयानक क्षण में…..
मैं मृत्योपरांत प्रबंधक का कार्य करता हूँ। लोग अपनी मृत्यु के पूर्व मुझे भुगतान करते हैं, ताकि मैं उनके मरने के बाद उनकी भौतिक चीज़ों के प्रबंध की व्यवस्था करूं। एक अच्छा प्रबंधक भविष्य के लिए योजना बनाता है। मरने से पूर्व अपनी संपत्ति के लिए योजना बनाना उचित है, लेकिन जहां आप अनंत काल बिताएंगे, अपने उस आध्यात्मिक घर को व्यवस्थित करना, इसकी तैयारी करना, यह कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
बहुत से लोग यह शब्द सुनते हैं, “अपने आध्यात्मिक घर को व्यवस्थित करो। ईश्वर के साथ मेलमिलाप कर लो”। लेकिन वे हिचकिचाते हैं और उन्हें पता नहीं हैं कि यह कैसे करना है। कुछ लोग इस बात से भली-भांति जानते हैं कि उन्होंने अपना जीवन ऐसे जिया है, मानो सब कुछ सिर्फ उनके सांसारिक अस्तित्व के इर्द-गिर्द ही घूमता हो। क्योंकि वे अपने सम्पूर्ण ह्रदय, अपनी सम्पूर्ण आत्मा, और अपनी सम्पूर्ण बुद्धि से अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करने में असफल रहे हैं, वे परमेश्वर के सामने न्याय के लिए खड़े होने से डरते हैं। दूसरे लोग केवल अज्ञात से डरते हैं। कुछ दूसरे लोग इसके बारे में सोचना ही नहीं चाहते।
परमेश्वर पश्चातापी और दीन हीन ह्रदय को नहीं ठुकराता; लेकिन जब परमेश्वर की प्रेममयी भलाई और दया पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय स्वयं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, तो अपने पाप को स्वीकार करने और परमेश्वर की भलाई की घोषणा करने के लिए परमेश्वर के सामने विनम्रतापूर्वक आना कठिन होता है। बीसवीं सदी की शायद सबसे बेहतरीन आध्यात्मिक किताब ही “एंड आई” (वह और मैं) में गैब्रिएल बोसिस ने 1 जून 1939 को येशु के निम्नलिखित संदेश को रिकॉर्ड किया:
“लिख लो! मैं नहीं चाहता कि लोग मुझसे अब और डरें, लेकिन मेरे प्रेम से भरे हुए मेरे हृदय को देखें और मेरे साथ बात करें, जैसा कि वे अपने किसी प्रिय भाई के साथ करते हैं। कुछ के लिए मैं अनजान हूँ। दूसरों के लिए, एक अजनबी, एक सख्त गुरु या उन पर आरोप लगाने वाला। बहुत कम लोग मेरे पास मेरे प्रिय परिवार के सदस्य के रूप में आते हैं। और फिर भी मेरा प्यार वहाँ है, मेरा प्यार उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। इसलिए उनसे कहें कि वे आएं, प्रवेश करें, जैसे वे हैं वैसे ही प्रेम के लिए स्वयं को त्याग दें। मैं उन्हें पुनर्स्थापित करूंगा। मैं उन्हें बदल दूंगा। और वे उस आनंद को जानेंगे जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं जाना। वह आनंद मैं ही दे सकता हूं। काश वे आते! उन्हें आने के लिए कहो।”
“दाखबारी के मजदूर” का दृष्टांत (मत्ती 20) परमेश्वर के दयालु, उदार, प्रेमपूर्ण स्वभाव को प्रकट करता है – हमने जितना “कमाया”, उस के अनुसार नहीं, बल्कि परमेश्वर हमारी आवश्यकता के अनुसार आशीष देता है। ग्यारहवें घंटे आने वाले मजदूरों ने केवल एक घंटे काम किया, फिर भी उन्हें पूरे दिन का वेतन मिला।
कुछ चीज़ें ऐसी हैं जिन्हें परमेश्वर केवल एक दिन के लिए माँगता है, और उनका करुणामय हृदय उन्हें पूरे जीवन पर लागू करता है। परमेश्वर ने आपको जीवन दिया। यह एक मुफ्त उपहार था। फिर भी, उसे आपकी सारी कृतघ्नता का पूर्वाभास था, जब पतरस ने शपथ ली थी कि प्रभु मैं आपका कभी इन्कार नहीं करूंगा, लेकिन तब प्रभु ने पतरस के इनकार करने की भविष्यवाणी की। यहूदा इस्करियोती के विपरीत, पतरस ने क्षमा मांगी, येशु के लिए अपने प्रेम की पुष्टि की, और एक महान संत बन गया। मूसा, दाऊद और पौलुस हत्यारे थे, लेकिन वे भी महान संत बन गए, क्योंकि उन्होंने पश्चातापी ह्रदय से येशु पर भरोसा किया और विनम्रतापूर्वक उससे क्षमा मांगी।
परमेश्वर हमेशा आपके साथ हैं। वह बेसब्री से आपका इंतजार कर रहा है। उड़ाऊ पुत्र के पिता की तरह, वह आपको उत्तम वस्त्र पहनाना चाहता है, आपकी अंगुलि में अँगूठी और पांवों में जूतों को पहनाना चाहता है। वह एक बड़े प्रीतिभोज की दावत देना चाहता है क्योंकि उसका बच्चा मर गया था, और फिर से जीवित हो गया है; वह खो गया था, और पाया गया है। परमेश्वर के पास आपके लिए इतना प्यार है कि वह आपकी धीमी सी पुकार को भी सुन लेता है। अपनी बात उसे सुनाने से डरो मत। अपना मुँह उसके कान में लगाओ। वह सुन रहा है। जब आप छोटे थे, तो आप चाहते थे कि सड़क पार करते समय कोई आपका हाथ पकड़ ले। येशु को अपना हाथ थामने के लिए कहें, क्योंकि आप हमेशा छोटे होते हैं। येशु को सब कुछ दे दो। पूरे रास्ते आगे बढ़ जाओ। परमेश्वर आपकी कमियों के साथ-साथ आपके अच्छे बनने के प्रयासों को भी स्वीकार कर लेता है। आप जैसे हैं वैसे ही खुद को परमेश्वर को दें। वह मानव स्वभाव के बारे में सब कुछ जानता है। वह मदद करने और सब कुछ को बहाल करने के लिए आया था। येशु वह पवित्र रोटी है। आप उस पवित्र रोटी के लिए मंजूषा है।
जब आपको उपचार की आवश्यकता होती है, तो आप अपने आप को एक चिकित्सक के हाथों में सौंप देते हैं। खामोश और स्थिर होकर, अपनी आत्मा को येशु के हाथों में सौंप दो। वह आपको ठीक करेगा। आपका प्यार, और प्यार करने का आपका इरादा, आपके कार्यों को और उंचाई देगा। अपना जीवन वापस परमेश्वर को दे दो। उसे अपने कष्ट और अपना दुख दो। उनसे आप कहें कि वे आपको पवित्र आत्मा में सुला दें, क्योंकि आपकी अंतिम सचेत सांस प्रेम में होनी चाहिए।
अपनी डायरी में, सेंट फॉस्टिना ने येशु से दिव्य करुणा की विनती के बारे में यह संदेश दर्ज किया:
मेरी बेटी, आत्माओं को प्रोत्साहित करो कि जो विनती मैंने तुम्हें दी है, वे उसे बोलें। वे उस विनती बोलकर मुझसे जो कुछ भी मांगते हैं, वे सब प्रदान करने में मुझे प्रसन्नता होती है। जब कठोर पापी इस विनती को बोलते हैं, तब मैं उनके मन को शांति से भर दूंगा, और उनकी मृत्यु की घड़ी आनंदमय होगी। …. लिख लो कि जब मरने वाले की उपस्थिति में यह विनती कही जाती है, तब मैं अपने पिता और मरने वाले के बीच न्यायी न्यायाधीश के रूप में नहीं, बल्कि दयालु उद्धारकर्ता के रूप में खड़ा रहूंगा। ”(डायरी, 1541)
यदि आप जीवन की आखिरी घड़ी के निकट है, तो यह आपके परीक्षण की घड़ी है। डरिये नहीं। जैसा जैसे आप विश्वास करते हैं, वैसा ही आपको कृपा प्राप्त होगी। ईश्वर के साथ शांति और मेलमिलाप करें। उस पर भरोसा करें। उसे एक विनम्र और पश्चातापी हृदय प्रदान करें। पापस्वीकार करने जाएं। अंतिम संस्कार देने के लिए कहें। सुखमय मृत्यु के संरक्षक संत जोसफ से कहें कि वह आपको ईश्वर से आमने-सामने मिलने के लिए तैयार करे। दिव्य करुणा की विनती का पाठ करें। स्तोत्र संख्या 51 का पाठ करें। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो मृत्यु के निकट है, तो उनके साथ दिव्य करुणा की विनती की प्रार्थना करें। उन्हें एक अच्छा पाप स्वीकार करने और अंतिम संस्कार प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करें।
डरिये मत।
येशु पर भरोसा रखें।
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