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मार्च 09, 2023
Encounter मार्च 09, 2023

फादर फिओ ने नाउम्मीदी की मोटी दीवाल को फांदा है और यह अनुभव किया है कि ईश्वर टेढ़ी लकीरों पर सीधा लिखता है !

 उन्नीस साल की उम्र में, दो साल  कॉलेज में पढ़ाई के बाद, मैंने मुंबई के जेसुइट नव शिष्यालय में प्रवेश किया। चार साल की धार्मिक प्रशिक्षण के बाद, मुझे रसायन विज्ञान में डिग्री पूरी करने के लिए सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में वापस भेज दिया गया। मैं कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में अपने भविष्य के करियर को लेकर खुश और गौरवान्वित था! मैंने कठिन अध्ययन किया और प्रारंभिक परीक्षाओं में बहुत अच्छा किया। हालाँकि 1968 में अंतिम परीक्षा के समय, मेरा दिमाग अचानक ठप पड़ गया। मैंने जो कुछ भी पढ़ा था, उसका एक भी शब्द मुझे याद नहीं आया! अपने-आप को गर्व के साथ सिर ऊँचा करने की बात तो दूर, मैं परीक्षा में फेल हो गया! मैं भ्रमित, अपमानित और क्रोधित महसूस कर रहा था। मैंने पूछा, “ईश्वर मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है?”

हालाँकि, मेरे लिए आगे और भी परेशानियाँ थीं। मैंने प्रार्थना की और अधिक दृढ़ संकल्प के साथ अध्ययन किया और कुछ महीनों बाद रसायन विज्ञान की परीक्षा के लिए फिर बैठ गया। मैंने तैयारी ठीक से की थी, फिर भी परीक्षा हॉल में मेरा दिमाग पहले की तरह ठप पड़ गया और मैं दूसरी बार फेल हो गया! अब मैं विश्वास को लेकर गहरे संकट में प्रवेश कर चुका था। मैंने अपने आप से पूछा, “क्या वास्तव में कोई ईश्वर है? यदि वह प्रेमी परमेश्वर है, तो वह मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है?” धीरे-धीरे मैंने प्रार्थना करना छोड़ दिया। मेरा धार्मिक जीवन संकट में था और मैं सांसारिक जीवन जीने लगा।

दीवार से टक्कर

सन् 1970 में, मैंने रसायन विज्ञान की परीक्षा के तीसरे प्रयास के लिए तैयारी की। हॉल में प्रवेश करने से पहले, मैं फुसफुसाया, “ईश्वर, मुझे पता है कि तू मुझसे प्यार नहीं करता, इसलिए तुझसे मदद मांगने का कोई मतलब ही नहीं है। लेकिन मुझे आशा है कि तू अभी भी मेरी माँ से प्यार करता है, इसलिए कृपया उनकी प्रार्थना का उत्तर दे!” लेकिन, तीसरी बार भी वही हुआ और मैं फेल हो गया। इस घटना के बाद मुझे जेसुइट मनोवैज्ञानिकों के पास भेजा गया जिन्होंने कई परीक्षण के बाद मेरी समस्या का निदान बताया कि मुझमें “रसायन विज्ञान के लिए एक मनोवैज्ञानिक अवरोध विकसित हुआ है।” परन्तु उनमें से कोई भी मुझे यह नहीं बता सका कि इस अवरोध से कैसे छुटकारा पाया जाए!

मेरी तीसरी असफलता के दो साल बाद, दर्शनशास्त्र में धार्मिक प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, जब मैं रसायन विज्ञान की परीक्षा में चौथे प्रयास की तैयारी कर रहा था, तो उस महान और अच्छे ईश्वर, जिसने मुझ पर भरोसा नहीं खो दिया था, उसके  हाथों से “अद्भुत कृपा” अप्रत्याशित रूप से मुझ पर बरस पड़ी! 11 फरवरी 1972 को, मुझे अचानक अपने कमरे में घुटने टेकने की प्रेरणा मिली और प्रथम व्रतधारण के अवसर पर मिले क्रूसित प्रभु की प्रतिमा अपने हाथ में लेकर मैंने अपने जीवन को इश्वर को समर्पित क्र दिया।

अपनी दरिद्रता और शून्यता की गहराई से, मैंने रोते हुए कहा: “हे प्रभु, तुझे देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है! मैं नाकामयाब आदमी हूँ, और मेरा कोई भविष्य नहीं है! लेकिन अगर तेरे पास मेरे जीवन के लिए कोई योजना है, अगर तू मुझे किसी तरह अपने राज्य के लिए इस्तेमाल करना चाहता है, तो मैं हाजिर हूँ!”

वह मेरे लिए येशु मसीह के प्रभुत्व के प्रति समर्पण करने और “पवित्र आत्मा में बपतिस्मा लेने” का क्षण था। मैं अब अपने जीवन की गाड़ी की सीट पर बैठ कर प्रभु को यह नहीं बता रहा था कि मेरे लिए क्या करना है; इसके बजाय, मैं उससे कह रहा था कि जैसा वह चाहता है वैसा ही मेरे साथ हो।

जीवन-परिवर्तन का क्षण

ईश्वर ने तत्काल प्रतिक्रिया दी! यहाँ तक कि जब मैं वहाँ घुटने पर था, तब मैंने स्पष्ट रूप से ईश्वर को मुझसे यह कहते सुना, “फियो, तुम मेरे प्रिय पुत्र हो, तुमसे मैं बहुत प्रसन्न हूँ!” वे अंतिम शब्द- “बहुत प्रसन्न हूँ” उनका मैं मतलब ही नहीं समझा! यदि ईश्वर ने मेरे उन कई महीनों के अविश्वास के लिए तथा प्रार्थना और अन्य धार्मिक कार्य को छोड़ने के लिए मुझे डाँटा होता, तो मैं वे शब्द समझ जाता। लेकिन मेरा स्वीकार किया जाना और यही नहीं इतने प्रेम से स्वागत किया जाना मेरे छोटे से दिमाग के लिए समझ से परे था! फिर भी, मेरे दिल की गहराई में, मैंने जबरदस्त आनंद उमड़ते हुए महसूस किया जो मेरे लिए दिव्य सांत्वना थी। उसी क्षण, मैं इतने आनंद से भर गया कि मैं जोर से चिल्लाया, “येशु, तू जीवित है, अल्लेलूया!” यह ऐसे समय में हुआ था जब करिश्माई नवीनीकरण अभी तक भारत नहीं पहुंचा था।

प्रभु के प्रेम भरे शब्दों का अनुभव करने से मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया। अब मैं समझ गया कि ईश्वर की योजनाएँ पूरी होने से पहले, मुझे अपने अहंकार को तोड़ना होगा। मेरी परीक्षाओं की असामान्य असफलताओं ने मुझे सही राह दिखायी! ईश्वर ने मुझे नई मानसिकता दी जिससे मैं मसीह में उपस्थित अमूल्य उद्धार के चरित्र को सराहना शुरू कर सका। हम में से प्रत्येक के लिए ईश्वर का प्रचुर प्रेम एक उपहार है, क्योंकि हम अपनी योग्यताओं के द्वारा नहीं, परन्तु प्रभि के अनुग्रह से, विश्वास के द्वारा बचाए गए हैं।

मेरे जीवन की दिशा जल्द ही बदल गई! आखिरकार जब मैंने रसायन विज्ञान की परीक्षा उत्तीर्ण की और सम्मान के साथ अपनी विज्ञान की डिग्री प्राप्त की, तो मेरे अधिकारी ने एक आश्चर्यजनक घोषणा की: “फियो,” उन्होंने कहा, “हम अब नहीं चाहते कि आप हमारे कॉलेज में प्रोफेसर बनें! आपको विशेष आध्यात्मिक अनुभव हुआ है; इसे पूरे संसार को सुनाइये!”

ईश्वर ने मेरे जीवन में जो कुछ किया, उसकी दिव्य विडंबना पर आप मेरे आश्चर्य की कल्पना कर ही सकते हैं। अगर मैंने उन परीक्षाओं को तुरंत पास कर लिया होता, तो मेरा पूरा पुरोहिताई जीवन रोजाना रसायन विज्ञान प्रयोगशाला जाकर, कॉलेज के छात्रों को हाइड्रोजन और सल्फाइड को कैसे मिलाना है, यह सिखाने के लिए चला जाता… और फिर उस घिनौने बदबू में ही सांस लेता!

ईश्वर के पास वास्तव में मेरे जीवन के लिए एक योजना थी। कुल 30 वर्ष उसने मुझे भारत और दुनिया भर के कैथलिक करिश्माई नवीकरण में एक अग्रणी सेवक और नेतृत्व की भूमिका की कृपा दी और उनमें से आठ वर्ष रोम में बिताने का मुझे सौभाग्य मिला। पिछले बीस वर्षों से ईश्वर ने मुझे प्रचारक और लेखक के रूप में बाइबिल के द्वारा आत्मिक परामर्श के सेवा कार्य में इस्तेमाल किया है। ईश्वर के अद्भुत अनुग्रह से, मैंने खुशी-खुशी अस्सी से अधिक देशों में ईश वचन के लिए भूखे लोगों को सुसमाचार सुनाया है। मैंने बाइबिल की आध्यात्मिकता पर अठारह पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से कुछ को अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है। यह सब मेरी शर्मनाक और हतोत्साहित असफलता का परिणाम था। किन्तु ईश्वर टेढ़ी लकीरों पर सीधा लिखता है!

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By: Father Fiorello Mascarenhas SJ

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मार्च 09, 2023
Encounter मार्च 09, 2023

वह जीवन को बदलने वाला क्षण तब है जब आपको एहसास होता है कि  ईश्वर आपको में किसी से भी अधिक प्यार करता है …

मैं संभवतः उन सभी अवसरों की गिनती नहीं कर सकता, जब मैंने कितनी बार दूसरों को बताया कि परमेश्वर उनसे प्रेम करता है, और मैंने उन्हें इस पर विश्वास करने की चुनौती भी दी है। हमारे लिए ईश्वर का बेशर्त प्रेम हर कार्यक्रम में एक प्रमुख विषय रहा है, चाहे वह कई वर्षों तक मेरी अगुवाई में आयोजित हर साधना हो, या हर पल्ली-मिशन हो या हर ध्यान दिवस में हो। मैं बहुत से लोगों के सम्मुख, उनके लिए परमेश्वर के प्रेम की वास्तविकता पर, उनके जीवन को दांव पर लगाने के लिए राजी कराने में कामयाब मेहनत की है।

लेकिन जब मेरे अपने जीवन में यह बात आयी, उस सत्य को जो मेरे मूल में प्रवेश करने वाले सत्य की तरह पकड़ लेना, मेरे लिए हमेशा एक मायावी लक्ष्य था। मैं चाहता था कि यह विश्वास मेरी सांसों की तरह स्वत: हो जाए, लेकिन यह मानना ​​कि ईश्वर मुझसे प्यार करता है, यह कुछ ऐसी बात थी, जिसे मैंने अपने दिमाग में समझा, लेकिन शायद ही कभी अपने दिल में महसूस किया हो।

और फिर मेरी मुलाकात माया एंजेलो से हुई। पहले से ही वे राष्ट्रीय स्तर पर अपने लेखन और कविता के लिए जानी जाती थीं; गायिका, नर्तकी, अभिनेत्री और ओपरा विन्फ्रे की अच्छी दोस्त होने के कारण भी वे विख्यात थीं। जब उन्होंने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पहले उद्घाटन पर एक कविता लिखी और उसका पाठ किया तो उनका नाम सब केलिए सुपरिचित हो गया। अगले वर्ष, वे वार्षिक लॉस एंजिल्स धार्मिक शिक्षा कांग्रेस में मुख्य वक्ता थीं – यह संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे बड़ा कैथलिक आयोजन है, जिसमें एक लंबे सप्ताहांत के दौरान पच्चीस हजार वयस्कों और किशोरों को शामिल किया जाता है। मेरी पत्नी नैन्सी और मैं भी वक्ताओं की सूचि में थे और माया के मुख्य भाषण के समापन पर, नैन्सी को नृत्य के लिए आमंत्रित किया गया, जब माया ने अपनी कविता सुनाई।

उनका मुख्य प्रबोधन चौंकाने वाला था। वे बड़ी शिद्दत से बोलीं। उन्होंने कविता पाठ किया। उन्होंने गाया। और उन्होंने हॉल में उपस्थित सभी को प्रेरणा और ऊर्जा से भर दिया – हम सभी छह हजार लोग थे। उनके परिचय में दिये गए किस्से से मैं प्रभावित हुआ। वह किस्सा इस प्रकार है: जब एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा, “आपके जीवन का वह कौन सा क्षण है जो आपके अंदर बदलाव लाया?” माया ने तुरंत उत्तर दिया, “क्यों, यह आसान है। यह वह क्षण था जब मुझे एहसास हुआ था कि ईश्वर वास्तव में मुझसे प्यार करता है।

जब प्रवचन और नृत्य समाप्त हो गया, तो मैंने नैन्सी को बधाई दी और सुझाव दिया कि हम वक्ताओं के लाउंज में जाएँ। “यदि माया वहां हैं, तो मैं उनका ऑटोग्राफ माँगने जा रहा हूँ।” आम तौर पर भीड़भाड़ से भरा रहनेवाले कमरे को हमने खाली पाया तो मुझे बड़ी ख़ुशी हुई; सिवाए वे सिस्टर जिन्होंने माया के प्रवचन के पहले उनका परिचय और स्वागत किया था और स्वयं माया एंजेलो के अलावा और कोई नहीं थे। हमने बैठकर बातें कीं, लेकिन जल्द ही सिस्टर को जाना पड़ा।  उन्होंने अपने बैग से नोटबुक और कलम निकाल कर माया को सौंपते हुए कहा, “”मेरे जाने से पहले, क्या आप मुझे अपना ऑटोग्राफ देंगी?” माया ने जवाब दिया, “ओह मेरी प्यारी सिस्टर, मैं ऑटोग्राफ नहीं देती!” सिस्टर के निकल जाने के बाद टेबल पर हम तीनों ही बचे थे।

मैं तुरंत माया की ओर मुड़ा और कबूल किया कि मैंने भी उनसे ऑटोग्राफ मांगने की योजना बनाई थी। मैंने कहा, “लेकिन मुझे अब एहसास हुआ है कि मुझे वास्तव में आपका ऑटोग्राफ नहीं चाहिए, मुझे कुछ और चाहिए।

“वह क्या है?” उन्होंने पूछा।

“मैं आपका हाथ पकड़ना चाहता हूं,” मैंने कहा।

“क्यों, मुझे वह अच्छा लगेगा,” उन्होंने जवाब दिया।

मैंने अपना दाहिना हाथ टेबल पर रखा। उन्होंने अपना बायाँ हाथ मेरे हाथ में रखा। मैंने अपना बायाँ हाथ उसके ऊपर रख दिया, और उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया। जैसे ही हम इस “चार हाथ खेल” के साथ बैठे, मैंने सीधे उनकी आँखों में देखा और उनसे कहा, “सिस्टर ने आपका परिचय देते हुए जो कहानी साझा की, उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ, जब आपसे उस क्षण के बारे में पूछा गया जिससे आपके अंदर बदलाव आया।”

माया ने संकोच नहीं किया। मेरी आँखों में झांकते हुए उन्होंने कहा, “ओह हाँ, हाँ, अब भी.. अब भी, सिर्फ इसके बारे में सोचती हूँ … मैं सिर्फ यही सोचती हूँ कि ईश्वर मुझसे कितना प्यार करता है … ।” जैसे ही उन्होंने यह कहा, उनकी बड़ी-बड़ी आँखों में बड़े-बड़े आँसू आ गए जो मोती बनकर उनके गालों पर लुढ़क गए। जब मैंने परमेश्वर के प्रेम के बारे में उनकी जागरूकता को उन अनमोल आँसुओं में बदलते देखा, तो मैंने मन ही मन सोचा, “मुझे यही चाहिए। मैं यही चाहता हूँ कि मैं अपने लिए परमेश्वर के प्रेम को पूरी तरह जानना चाहता हूँ जैसे ये जानती हैं।”

कई वर्षों तक यही मेरी आशा और प्रार्थना बनी रही। हां, मुझे पता था कि ईश्वर मुझसे प्यार करता है, लेकिन माया की तरह मेरे अंतरतम की गहराई तक नहीं। उस दृढ़ विश्वास के साथ नहीं कि मेरे आँखों से आंसू लुढ़क जाएँ।

वर्षों बाद मुझे वह सौभाग्य मिला जब मुझे एक संपादक से एक ईमेल मिला जिसमें मेरे लिखे एक लेख केलिए मुझे धन्यवाद दिया गया। उन्होंने मुझे बताया कि मैं उनके मीडिया संगठन केलिए एक “वास्तविक आशीर्वाद” था। उन्होंने कहा, “ईश्वर आपसे बहुत प्यार करता है।”

इस पत्र से वह चमत्कार हुआ। परमेश्वर वास्तव में मुझसे प्यार करता है, इस दृढ़ विश्वास की इतने वर्षों तक की खोज के बाद, उस एक वाक्य ने यह चमत्कार कर दिखाया! मैं संपादक से व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं मिला था, फिर भी समुद्र के उस पार से भेजे गए उनके शब्दों ने मेरे दिल को छलनी कर दिया। यह ऐसा था मानो परमेश्वर ने स्वयं ये शब्द कहे: “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, ग्राज़ियानो!” मैं जानता था कि यह सच था। यह एक जबरदस्त और अप्रत्याशित उपहार था। और इससे मेरे जीवन में बहुत फर्क आया!

ईश्वर मुझसे प्यार करता है चाहे मैं अच्छा हूँ या बुरा। जब मैं प्रार्थना कर रहा हूँ, और जब मैं प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ, तब भी परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है। मैं इसके लायक बनूँ या न बनूँ, यह कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि परमेश्वर इसे मुफ्त में देता है। और मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकता कि परमेश्वर मुझसे प्रेम करना बंद कर दे। पाप भी नहीं। मुझे परमेश्वर के दिल को तोड़ने और उसके प्रेम को अस्वीकार करने की स्वतंत्रता है। लेकिन फिर भी, परमेश्वर मुझसे प्रेम करता रहेगा।

और निश्चित रूप से, परमेश्वर मुझे हमेशा से प्यार करता आ रहा है। जब मुझे पता चला कि वह मुझसे प्यार करता है, उसने उसी दिन मुझे प्यार करना शुरू नहीं किया था। पहले मैं इस सत्य को अपने “दिमाग” में जानता था। उस दिन, परमेश्वर ने एक अलग तरह की जानकारी के साथ मेरे दिल में प्रवेश किया… एक शांत और शांतिपूर्ण आश्वासन जो जीवन की सभी परिस्थितियों से परे है।

इतनी स्पष्टता और निश्चितता के उस बिंदु पर आने में मुझे काफी समय लगा, उस शांति का अनुभव पाने में वक्त लगा जो शान्ति अपने आप को कंबल की तरह आपके चारों ओर लपेट लेती है। और परमेश्वर ने मेरे लिए जो किया, वह आपके लिए भी कर सकता है। क्या आप परमेश्वर के प्रेम का आश्वासन चाहते हैं? सिर्फ मांगें। और फिर प्रतीक्षा करें। यह आश्चर्य की बात हो सकती है कि परमेश्वर अपने प्रेम को प्रकट करने के लिए किसे चुनता है। ऐसा होने के बाद, आप खुद को यह कहते हुए पायेंगे, “ओह हाँ, हाँ, अब भी.. अब भी, सिर्फ इसके बारे में सोचती हूँ … मैं सिर्फ यही सोचती हूँ कि ईश्वर मुझसे कितना प्यार करता है…।”

 

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By: Graziano Marcheschi

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मार्च 09, 2023
Encounter मार्च 09, 2023

मैं इस बात से हैरान था कि उस जून महीने में येशु कैसे आए

मुझे आमतौर पर 35 डिग्री सेल्सियस के मौसम में, खासकर बिना एयर कंडीशनिंग वाली कार में सफ़र करते हुए,  रोंवा का बना भारी ऊनी सूट पहनने की आदत नहीं है। फिर भी उस गर्म और उमस भरी दोपहर में, न केवल सूट, बल्कि बूट, चेहरे पर एक बर्फीली सफेद दाढ़ी और एक मोटी ऊनी टोपी पहने हुए मैं मिशिगन में उपस्थित था ।

चलती गाड़ी के अन्दर पसीने से तर बतर होकर ऐसा लगा मानो मैं भांप में गर्म स्नान कर रहा हूँ, लेकिन मुझे वास्तव में कोई आपत्ति नहीं थी। यह कोई साधारण दिन नहीं था, और मैं कोई साधारण व्यक्ति नहीं था: मैं सांता क्लॉस था, मैं एक प्रकार की करुणा की विशेष सेवा के मिशन पर था, एक छोटी बच्ची के लिए, जो पास के बच्चों के अस्पताल में ल्यूकेमिया से मर रही थी।

मैं एक अन्य बाल चिकित्सा अस्पताल में एक आत्मिक सलाहकार के रूप में काम कर चुका था – एक ऐसा कार्य जिस के कारण मुझे अक्सर प्यारे बच्चों की बीमारी और मृत्यु से जूझ रहे परिवारों के संघर्षों और दुखों का अनुभव था, पीड़ा भी थी। जब क्रिसमस आया, तो मेरे पास विभिन्न दुकानों में और और कुछ क्रिसमस कार्यक्रमों में सांता क्लॉस की भूमिका निभाने का काम भी था, जिसमें एक कार्यक्रम जे.एल. हडसन वार्षिक परेड भी था जो डेट्रोइट शहर के बीच से गुज़रता था।

दोनों कार्यों में अधिक फर्क नहीं था, फिर भी दोनों परमेश्वर के प्रेम को दूसरों तक पहुंचाने का खूबसूरत मौके थे। सांता क्लॉज़ के रूप में और एक अस्पताल के पादरी के रूप में, मुझे यह देखने का सौभाग्य मिला था कि ईश्वर किस तरह आश्चर्यजनक तरीके से लोगों के जीवन और दिलों में प्रवेश करता है।

एक दादा का प्यार

इस विशेष दोपहर में, मेरी दो भूमिकाओं का घालमेल हो गया। जैसे ही मैं अस्पताल के लिए तेजी से गाड़ी चला रहा था, मैंने समय का सदुपयोग करते हुए प्रभु से प्रार्थना की कि वह चार साल की एंजेला (यह उसका असली नाम नहीं) को खुश रखें और उसके दुःखी दादाजी को सांत्वना दें। एंजेला के दादा ने, यह जानने के बाद कि एंजेला के पास जीने के लिए सिर्फ पांच सप्ताह थे, इस “जून में क्रिसमस” समारोह की व्यवस्था की थी।

उन्होंने ईश्वर से यह सवाल किया था: “मैं अपनी पोती केलिए क्या कर सकता हूँ? मैं अपनी छोटी पोती के दिल में जीवन भर का प्यार कैसे डाल सकता हूँ?”

जब वे रसोई में बैठकर कॉफी पी रहे थे, तब उन्होंने देखा कि एंजेला ने क्रेयॉन से सांता क्लॉस की ड्राइंग बनाई थी, जो अभी भी रेफ्रिजरेटर पर चिपकाई गयी थी। उन्हें याद आया कि एक बार जब वे डेट्रायट के क्रिसमस परेड को एक साथ देख रहे थे, तब उस बच्ची ने यह सवाल किया था: “दादाजी, इस परेड का समापन क्यों किया जा रहा है? … काश क्रिसमस हमेशा के लिए होता तो कितना अच्छा होता!”

तुरंत, उन्हें पता चल गया था कि उन्हें क्या करना है।

अस्पताल में सांता क्लॉस का पड़ाव

अस्पताल के निकट पहुंचते ही, मैं आश्चर्यचकित था, मुख्य प्रवेश द्वार पर सांता की प्रतीक्षा में कई सहायक खड़े थे – सांता की टोपी पहने एक डॉक्टर, नर्स लोग, और क्रिसमस के मसखरी करनेवाले बौनों के वेश में सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवक बाहर खड़े थे।

“जून क्रिसमस मुबारक हो! मेर्री क्रिसमस!” उन्होंने जोर से कहा। “सब कुछ तैयार है! हम बहुत उत्साहित हैं कि आप बच्चों से मिलने के लिए उत्तरी ध्रुव से इतनी दूर आए हैं।” मुझे उसी वक्त सन्देश मिला कि बाल चिकित्सा कैंसर इकाई के सभी रोगी, एंजेला केलिए आयोजित इस आश्चर्य का आनंद लेने वाले हैं।

लॉबी में आराम से घूमते फिरते हुए, मेरा काफिला लिफ्ट में चढ़ गया। जब हम कैंसर विभाग के फर्श पर चढ़े तो उत्साह बढ़ गया। जब दरवाजे खुले तो एक जादुई दृश्य ने हमारा स्वागत किया। अस्पताल का वह वार्ड त्यौहार के दीप माला के चकाचौंध की रोशनी से जगमगा रहा था और वह हाल क्रिसमस संगीत की आवाज़ से गूँज रहा था। सुंदर आकर्षक तोरण और मालाओं से वह हॉल सजाया गया था, जहां चार क्रिसमस ट्री बड़ी भव्यता के साथ खड़े थे। एक जीवंत स्नोमैन हमारा स्वागत करने के लिए वहां मौजूद था, जो अपनी लम्बी टोपी के माध्यम से और एक टोंटी के सहारे बर्फ बिखेर रहा था।

जैसे ही व्हीलचेयर में बैठे छह-सात बच्चों ने सांता को पहचान लिया, उनके मुंह से खुशी की चीखें निकल आयीं। मैं उन बच्चों का अभिवादन करने के लिए रुका, फिर दूसरे बच्चों के कमरे में गया। इस बीच, एंजेला के दादाजी मुस्कुराते हुए खड़े रहे।

अद्भुत स्वर्गीय शांति

आखिरकार, जब मैं एंजेला के बिस्तर के पास पहुंचा, तो दो बड़ी नीली आंखें चादर के ऊपर से मुझे झाँक रही थीं। “एंजेला!” मैंने कहा था। नीली आँखें और भी चौड़ी हो गईं। उसके चेहरे पर असीम खुशी की झलक आ गई।

पूरे स्टाफ की भीड़ चारों ओर खड़ी होकर देख रही थी, तभी मैं अपनी झोली में हाथ डाला और एंजेला के दादाजी द्वारा चयनित उपहार की भेंट उसे दी; एक नई नीली पोशाक जो एंजेला लंबे समय से चाह रही थी; लाल टेनिस जूते और रखवाल दूत की एक गुड़िया भी, जिसके बाल सुंदर सुनहरे थे – ठीक वैसे ही जैसे कीमोथेरेपी से पहले एंजेला का बाल था। उसके दादाजी के बटुए में दिखी एंजेला की एक छोटी तस्वीर अभी भी मेरी स्मृति में थी। उसके हाथों में गुड़िया देते वक्त मैं ने कहा “यह काफी हद तक तुम्हारी तरह दिखती है”। मैं सांता ने उसे एक छोटा सा बटन भी दिया था जिसे मैंने उसके अस्पताली गाउन में पिन किया, जिस पर लिखा था, “सांता मुझसे कहता है कि तुम एक अच्छी लड़की हो!”

इतनी खुशमिजाज मनोदशा के साथ, हमने कुछ जाने-पहचाने क्रिसमस गीतों को गाना शुरू किया- “जिंगल बेल्स,” “रूडोल्फ द रेड-नोज्ड रेनडियर,” और “सांता क्लॉज़ इज़ कमिंग टू टाउन” आदि। फिर मैंने अपना पसंदीदा गीत “साइलेंट नाइट” गाना चालू किया।

मेरे पास वास्तव में यह बताने के लिए शब्द नहीं हैं कि जब हमने आखिरी गाना गाया तो क्या हुआ। मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि कमरे में लगभग एक ऐसी शांति उतर आई थी जिसका हम सभी अनुभव कर रहे थे, जिसको हम सब स्पर्श कर सकते थे। पवित्र आत्मा की शक्ति से, येशु वहाँ उपस्थित था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि हमारा उत्सव वर्ष के गलत समय पर था, या यहाँ तक कि कुछ गायक शायद यह नहीं समझ पाए होंगे कि परमेश्वर ने उस पवित्र “शांत रात” में मानव जाति के लिए क्या किया। इन सब के बावजूद, परमेश्वर का शाश्वत पुत्र जिसने चरनी में एक शिशु के रूप में खुद को गरीब चरवाहों के सामने प्रकट किया था, वह खुद को एक और असंभावित माहौल में एक और असंभावित समूह के सामने उपस्थित कर रहा था।

मैं हैरान रह गया, हमेशा की तरह, जब कभी मुझे इस तरह की घटनाओं को देखने का सौभाग्य मिला, मैं हैरान था कि पवित्र आत्मा कैसे काम करता है—लेकिन इस बात पर किसी तरह का आश्चर्य नहीं हुआ कि पवित्र आत्मा आया और वहां हमारे बीच मौजूद था। 

असली क्रिसमस का भाव

दस दिन बाद ही एंजेला की मृत्यु हो गई। उसके अंतिम संस्कार के बाद, राज्य के दूसरे हिस्से से, उसके दादाजी ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया। उन्होंने कहा, “मैं इस मिथ्या में नहीं रहने जा रहा हूं कि मेरे लिए सब कुछ ठीक होगा। मैं आपको फोन करने से पहले बुरी तरह रोया था।” इसके बाद वे कब्रस्तान में अपने अनुभव को बताना जारी रखा।

“मैं देख रहा था कि मेरी छोटी पोती एक सफेद ताबूत में लेटी हुई है – अपनी नई नीली पोशाक पहनी हुई, रखवाल दूत की गुड़िया के साथ, और आपने जो पिन दिया था, उसे पहनी हुई, जिस पर लिखा हुआ था: ‘सांता मुझसे कहता है कि तुम एक अच्छी लड़की हो!” यह सब सुनते हुए मेरा दुख लगभग असहनीय था।

“लेकिन ठीक उसी समय, जब मैं दर्द को सबसे अधिक गहराई से महसूस कर रहा था … मैं इसे समझा नहीं सकता, लेकिन मुझे अचानक एक गहरी शांति, यहां तक ​​कि खुशी भी महसूस हुई। उस पल, मुझे पता था कि एंजेला ईश्वर के साथ थी और हम अनंतता में फिर से एक दुसरे से मिलेंगे।“

जैसे ही मैंने उनकी कहानी सुनी, मेरे अन्दर एक अद्भुत आश्चर्य का भाव उमड़ आया। वाह, यह चमत्कार फिर से हुआ है! जिस तरह हमने उस जून के क्रिसमस के दौरान येशु को एंजेला के बिस्तर के पास महसूस किया था, उसी तरह उसके दादाजी ने येशु को उसके ताबूत में देखा था। ज्योति जो दो हज़ार साल पहले दुनिया में आयी थी, उस ज्योति ने एंजेला के दिल को भर दिया था, वह ज्योति दुःख और मृत्यु के स्थान पर आशा और आनंद लाई।

यही वास्तविक “क्रिसमस का भाव” है – वह भाव नहीं जो वर्ष में एक बार आता है, बल्कि येशु मसीह का ज्ञान जो पवित्र आत्मा के द्वारा आता है। अगर हम अपने हृदयों को खोलते हैं और उसके लिए जीते हैं तो क्रिसमस की सच्ची आत्मा – त्रित्व का तीसरा व्यक्ति – वर्ष में 365 दिन उपलब्ध है।

फिर, “क्रिसमस हमेशा के लिए हो” यह केवल एक छोटी लड़की का सपना नहीं है, बल्कि जून, दिसंबर और पूरे साल में एक ठोस वास्तविकता है।

 

 

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By: Father Joseph Bernie Marquis

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मार्च 09, 2023
Encounter मार्च 09, 2023

कीथ केली ने बहुत ही कम आयु में शराब पीना और ड्रग्स लेना शुरू किया था। उसने एक खतरनाक जीवन शैली को तब तक जिया जब तक उसने अंधेरी रात में शैतान को उसे घूरते हुए पाया।

मेरे और मेरे भाई-बहनों को बड़े होते समय काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि हमारे पिता शराबी थे और उनके साथ मेरा सम्बन्ध न के बराबर था। हम सभी ने पिताजी की शराबीपन का अलग-अलग तरीकों से सामना किया। मेरा तरीका क्रोध और हताशा को अपने अन्दर दबाना था। इन भावनाओं से निपटने के लिए, मैंने बहुत ही कम उम्र में शराब पीना और ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। मैं सरकारी अधिकारियों के खिलाफ बहुत विद्रोह करता था, इसलिए ‘वेस्टपोर्ट’ में कानून-प्रवर्तनों के साथ मेरा नियमित टकराव होता था और फिर मैं अपने विद्यालय से भी निष्कासित कर दिया गया था।

उन दिनों, मुझे नियमित रूप से अपने चारों ओर एक अंधेरी ताक़त की उपस्थिति महसूस होने लगी। पहले तो मुझे वास्तव में पता नहीं था कि क्या चल रहा है। मुझे इस बात का अंतर्ज्ञान था कि यह कुछ राक्षसी या दुष्ट शक्ति है, लेकिन मैं इसे पूरी तरह से अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं था। फिर रात में मेरे साथ अजीब घटनाएँ होने लगी: मैं शक्तिहीन और पसीने से लिपटे हुए जगता था। मैं अपने कमरे में बहुत डरावनी अंधेरी ताक़त की उपस्थिति को महसूस कर सकता था । मुझे इसकी उपस्थिति से घुटन महसूस होता था और इससे मुक्त होने के लिए मैं संघर्ष करता था। एक बार, मैंने सभी को बीच रात में अपनी चीखों से जगा दिया था।

शब्द दर शब्द

इन सभी राक्षसी प्रदर्शनों का अंत एक रात मेरे बाथरूम में बहुत ही डरावनी घटना से हुआ जब मैंने आईने में अपने अंदर के शैतान को देखा। मैंने जो देखा उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल है। वह वास्तव में मेरा एक भयानक और पाशविक रूप था। मैं उसे यह कहते हुए सुन पा रहा था, ‘तुम्हारा जीवन समाप्त हो गया है, तुम्हारा जीवन समाप्त हो गया है, अब तुम मेरे हो… मैं तुम्हें नष्ट करने वाला हूँ।’ मैंने नियमित रूप से आवाजें सुनीं और मेरे खिलाफ बहुत सारी धमकियाँ दी जा रही थीं।

इन बुरे अनुभवों ने अक्सर मुझे हताशा के आँसुओं में डुबा दिया था। एक दिन, मुझे अपने घुटनों पर आने का अनुग्रह ईश्वर ने दिया। हालाँकि मुझे नहीं पता था कि ईश्वर कौन था या विश्वास क्या होता था, मैंने किसी कैथलिक स्कूल में पढ़ते वक्त, ‘हे हमारे पिता’ और ‘प्रणाम मरिया’ को सीखा था। इसलिए मैं ‘हे हमारे पिता’ की प्रार्थना बोलने लगा। प्रार्थनाओं को निरर्थक यांत्रिक रूप से बोलने और दिल से न आने का हमेशा खतरा रहता है। लेकिन उस दिन मेरा पूरा मन और ह्रदय उस प्रार्थना के हर शब्द में था। यह वास्तव में पिता ईश्वर के लिए मेरी पुकार थी। मैंने उसे पूरे मन से पुकारा, उससे विनती की कि कृपया मुझे छुटकारा दे।

‘हे हमारे’ प्रार्थना के बीचो बीच में पहुँचते ही मैंने कमरे में किसी और की उपस्थिति को महसूस किया … ईश्वर की उपस्थिति, मेरे प्रभु और ईश्वर की उपस्थिति, मेरे स्वर्गीय पिता की उपस्थिति। उसकी उपस्थिति ने मेरे कमरे से इस दुष्ट शक्ति को भौतिक रूप से हटा दिया। मुझे याद है कि मैं ज़मीन पर पड़ा हुआ था और आभारी दिल से रो रहा था। उस क्षण से मैं निश्चित रूप से जान गया कि ईश्वर वास्तव में मेरे पिता है। एक दिव्य शांति मुझ पर छा गई जो इतनी मूर्त थी कि मैं उसे महसूस कर सकता था। मैंने तब से लेकर आज तक इसके समान कुछ भी महसूस नहीं किया है। मैं वहीं पड़ा रहा और राहत तथा खुशी से रोया।

अंतिम चेतावनी 

वर्षों बाद ईश्वर के साथ रहते हुए मैंने जाना कि ‘हे हमारे पिता’ मुक्त करने वाली प्रार्थना हैं। यह ‘… हमें बुराई से बचा। आमेन’ के साथ समाप्त होता है। और यह दुष्टात्मा को भगाने की कलीसया के आधिकारिक रस्म की महत्वपूर्ण प्रार्थना भी है। पीड़ित को शैतानी प्रदर्शनों से बचाने के लिए ‘हे हमारे पिता’ की प्रार्थना की जाती है। उस समय मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं थी। उस पल से (जब मैं 16 या 17 साल का था) मैंने सहायता के लिए प्रार्थना करना शुरू किया। हर रात, नशीले पदार्थों और शराब पीने को छोड़ने और अपने जीवन को वापस ठीक करने के लिए मदद माँगते हुए मैं प्रार्थना करता था और इसलिए भी क्योंकि मेरे खिलाफ अदालत में मुकदमा चल रहा था। मुझ पर 11 अपराधों का इलज़ाम लगाया गया था और मेरा वकील साफ़ साफ़ कहता ष्ट था- “तुम जेल के बहुत करीब हो।”

उस दौरान मेरे पिता को अपने शराबीपन से छुटकारा मिल गया था। ‘एल्कोहलिक्स एनोनिमस प्रोग्राम’ के जरिए उन्होंने अपनी शराब की लत पर काबू पाया। उनके ठीक होने में मदद करने के लिए, उनके पास एक प्रायोजक जिम ब्राउन था, जो स्वयं एक गहरे विश्वास के अनुभव के बाद शराब की लत से मुक्त हुआ था। तब से वह लोगों को “मेडजुगोरजे” की तीर्थ में ले जा रहा था। मेरे पिता ने जिम से मुझे मेडजुगोरजे लाने के लिए कहा। जिम ने मेरे पिताजी से कहा कि वे हर रात रोज़री करते समय एक भेद मेरे लिए चढ़ाएँ। हालाँकि पहले जिम मेरी बदनामी के कारण मुझे तीर्थ में ले जाने में झिझक रहा था, फिर उसने मुझे एक मौका दिया।

हम 2005 के पास्का काल के दौरान मेडजुगोरजे गए, लेकिन मैं सिर्फ शराब पी रहा था, लड़कियों की तलाश कर रहा था; वास्तव में मैं किसी भी तरह के कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहा था। तीसरे दिन, मैं उस पहाड़ी पर चढ़ा जो कथित तौर पर वह स्थान है जहाँ माता मरियम पहली बार छः लोगों को दिखाई दी थी। बहुत से लोगों को वहाँ बहुत सुन्दर-सा अनुभव होता है, लेकिन मुझे उस समय इसके बारे में जानकारी नहीं थी। मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा था, लेकिन मेरा सामना जीवित-ईश्वर से हुआ। मुझे विश्वास का उपहार दिया गया। मेरे अन्दर से अचानक सारे संदेह दूर हो गए। मुझे अब पता चला कि ईश्वर सच में है, और मुझे माता मरियम से प्यार हो गया। मैंने इश्वर के असीम प्रेम को अनुभव किया, इसलिए मैं परिवर्तित व्यक्ति के रूप में उस पहाड़ से नीचे उतरा।

किसी व्यक्ति ने वर्षों बाद मुझसे कहा, “जब आप उस पर्वत से नीचे आए तो आप अलग थे, आप आँखों से संपर्क बनाए रखने में सक्षम हो रहे थे, आप स्वतंत्र और सहज बन गए थे। आप मन के उस भारीपन और उदासी से मुक्त होकर अधिक आनंदित लग रहे थे।” उसने मुझमें एक परिवर्तन देखा। मैं ईश्वरीय करुणा वाले रविवार की पूर्व संध्या पर संस्कारों में वापस आया, उस दिन संत जॉन पॉल द्वितीय की मृत्यु हुई। मैं उड़ाऊ पुत्र की तरह था, जो ईश्वर, अपने पिता के पास वापस आ रहा था।

मेडजुगोरजे से वापस आने के दो हफ्ते बाद, मुझे अदालत में पेश होना था। मैं अभी 18 साल का था जिसका मतलब था कि मुझे खुद के लिए खड़े होकर अपने बचाव में दलील पेश करना था। इसलिए यह काफी डरावना था। तीन पुलिसवाले, दो जासूस, अधीक्षक, जज, मेरे माता-पिता, मेरा वकील और कुछ पत्रकार वहां उपस्थित  थे। जब भी मैं अपनी कहानी बताने के लिए अपना मुंह खोलता, तो पुलिसवाले टोकते हुए कहते थें, “यह आदमी समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा है, इसे बंद करने की जरूरत है, यह बहुत विनाशकारी है और हम इसकी कई हरकतों से वाकिफ़ हैं।” वे मुझे टोकते रहे, इसलिए मैं कोई बात स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सका। मैं बहुत घबराया हुआ था लेकिन वहाँ बहुत से लोग मेरे लिए दुआ कर रहे थे।

अचानक कुछ अजीब हुआ। जज जिनका नाम मैरी डेवन्स था, उन्होंने पुलिसवालों की ओर इशारा किया और उनसे बोली, “मैं ने बहुत कुछ सुना! मेरे अदालत से बाहर निकल जाओ।” वे एकदम सन्न हो गए। उनके जाने के बाद, वे  मेरी ओर मुड़ी और बोली, “ठीक है, मुझे अपनी कहानी बताओ।” मैंने उन्हें बस इस बारे में बताया कि मैं किस प्रकार मेडजुगोरजे नामक तीर्थ स्थान गया और वहाँ के अपने अनुभवों के बारे में बताया। मैंने ईमानदारी से रोते हुए घोषणा की, “मुझे बस यह विश्वास है कि ईश्वर मेरे जीवन को बदलने जा रहा है।” उन्होंने मेरी आँखों में देखा और कहा, “मैं तुम्हें दूसरा मौका देने जा रही हूँ।” मुझे निलंबित सजा, 200 घंटे की सामुदायिक सेवा और एक साल के लिए नौ बजे की निषेधाज्ञा दी गयी। यही वह पल था! यही मेरे जीवन का अंतिम मौका था जिसकी मुझे जरूरत थी और मैंने इसे ले लिया।

पीछे मुड़कर देखने पर, और जो कुछ हुआ था उसका आध्यात्मिक रूप से विश्लेषण करने पर, मुझे लगता है कि उस दिन ईश्वर मेरा न्यायाधीश था। यह वही था जिसने मेरे हृदय में ईमानदारी देखी और हस्तक्षेप किया। मैरी डेवॉन्स सिर्फ उसकी दया का साधन थी। यह एक शक्तिशाली अनुभव था। वह दिन मेरा उद्धार का दिन था। और मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुझे एहसास हुआ कि मेरा जीवन एक उपहार है और सभी का जीवन एक उपहार है। हमने अपने अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। ईश्वर ने हमें मुफ्त में दिया है।

मैंने बाइबल का अध्ययन करने, संतों के जीवन को पढ़ने और अपने विश्वास को गहराई में लेकर जाने लगा। मैंने सन् 2000 ई. से युवा लोगों के समूहों को मेडजुगोरजे में ले जाना शुरू किया। हाल ही में, मैंने एक फादर को “परिवर्तन का चिन्ह क्या है?” इस प्रश्न का उत्तर देते हुए सुना, उन्होंने उत्तर दिया कि परिवर्त्तन का चिन्ह  सुसमाचार का प्रचार करने की इच्छा है। यदि आपका सामना जीवित ईश्वर के साथ हुआ है, तो आप इस अनुभव को अपने तक नहीं रखें बल्कि इसे साझा करें। और मैं इसे साझा करना चाहता था क्योंकि मैं ईश्वर के प्रेम से प्रज्वलित था। और यही मेरे लिए वास्तविक उपहार है।

विश्वास ईश्वर के स्वयं प्रकटीकरण की प्रतिक्रिया है, जो ईश्वर जो हमारे लिए मर गया, जिसने हमें अपने लहू से खरीदा। मैं उस प्रेम को प्रतिदान करना चाहता हूँ, जो ईश्वर ने मेरे लिए क्रूस पर व्यक्त किया।

एक बाइबिल वचन है जिसने हमेशा मेरे दिल से बात की है। “पहले ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो और बाकी सब चीज़ें तुम्हें यों ही मिल जायेगी।” तो अगर आप ईश्वर को पहला स्थान देते हैं, तो बाकी सब ठीक हो जाएगा। हम उदारता में ईश्वर से आगे नहीं निकल सकते। यह मेरा ईश्वरीय अनुभव है। यदि आप ईश्वर को एक मिलीमीटर देते हैं, तो वह आपको पूरा ब्रह्मांड देगा। जब हम ईश्वर को कुछ भी देते हैं, जैसे रोटियां और मछलियां, वह उसे कई गुना बढ़ा देगा। आप उदारता में उससे आगे नहीं निकल सकते।

अक्सर नवयुवकों में यह पूर्वकल्पित विचार होता है कि ईश्वर का अनुसरण करने का मतलब है कि सब कुछ त्याग देना, इसलिए जीवन नीरस और उदासहीन हो जाता है। लेकिन इसके ठीक उलट होता है। संत अगस्टीन कहते हैं, “ईश्वर के साथ प्यार में पड़ना सबसे बड़ी प्रेमलीला है, उसे खोजना सबसे बड़ा साहसिक कार्य है और उसे पाना सबसे बड़ी मानवीय उपलब्धि है।” तो, यह साहसिक कार्य है। ईश्वर के साथ रहना यकीनन एक साहसिक कार्य रहा है। इसलिए जब ईश्वर पहल करते हैं तब उसे उत्तर देने से न डरें।

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By: Keith Kelly

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दिसम्बर 03, 2022
Encounter दिसम्बर 03, 2022

लिया डारो के साथ एक विशेष साक्षात्कार – अमेरिका के नेक्स्ट टॉप मॉडल प्रतियोगिता की पूर्व प्रतियोगी – जिसे मनपरिवर्तन का एक अद्भुत अनुभव हुआ जिसके कारण अप्रत्याशित रूप से उनका जीवन बदल गया

अपने पालन-पोषण के बारे में बताएं?

मैं अपने परिवार के साथ एक खूबसूरत कृषि स्थल में काम करते हुए बड़ी हुई हूं। हमारा कोई पड़ोसी नहीं था; लेकिन मैं अकेली नहीं थी क्योंकि मेरे भाई-बहन मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे। मेरे माता-पिता ने अपने मजबूत कैथलिक विश्वास और धन्य माँ मरियम के प्रति समर्पण को हम सब के साथ साझा किया,  वे हमें रविवार के मिस्सा बलिदान में लाये और हर रात पुरे परिवार ने एक साथ माला विनती की प्रार्थना की। लेकिन मैं लोगों को यह आभास नहीं देना चाहती कि हम फातिमा के बच्चों की तरह थे। मेरे माता-पिता हमेशा घर में विश्वास बनाए रखने का प्रयास करते थे।

यह वास्तव में एक सुंदर परवरिश थी। मेरे अच्छे और वफादार माता-पिता पूरे दिल से येशु से प्यार करते थे और हर दिन एक साथ प्रार्थना करते थे। उनके नमूने ने हमारे लिए एक मजबूत नींव रखी जिससे मुझे बाद के जीवन में मदद मिली। दुर्भाग्य से, इस अनुभव के बावजूद, मैं अपने विश्वास से दूर भटक गयी। हाई स्कूल में, मैंने कुछ बहुत ही खराब निर्णय लिए, जिसकी परिणति के रूप में मुझे 15 साल की उम्र में अपना कौमार्य खोना पड़ा। हमने जो सोचा था परिस्थितियाँ उससे बिलकुल भिन्न थीं। समय मायने रखता है। जिस कार्य के द्वारा हम अपने शरीर को एक दूसरे को दे देते हैं यदि उस कार्य की नियति अच्छी नहीं है, तो यह हमें अत्यधिक शर्म की भावना के साथ भर देता है। इस घटना ने मुझे एक महिला के रूप में मेरे अपने बारे में मेरे दृष्टिकोण बदल डाला और मुझे इतना परेशान किया कि मैंने हर उस चीज़ को दूर करने की कोशिश की जो मुझे याद दिलाती थी कि मैं एक पापिनी थी। प्रभु को अपनी पसंद के उन सभी दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सों को देकर शुरू कर सकूं, इसके लिए पश्चाताप करने और ईश्वर की दया की तलाश करने के बजाय, मैंने शर्म की आवाज सुनी और उसी शर्म को ही मेरे जीवन को आगे बढाने के निर्णय को तय करने की अनुमति दी।

उस समय से, मैं अपने विश्वास और इसके अभ्यास से दूर चली गयी, हालाँकि जानती थी कि मेरे बचपन का विशवास और परम्परा ही सही है। लेकिन मुझे लगता था कि मेरे लिए कलीसिया में अब कोई जगह है, क्योंकि मैंने सोचा था कि मैंने सभी को निराश किया है, खासकर मेरे वफादार माता-पिता जिन्होंने मुझे वह सब अच्छी चीज़ें दी थी।

उस शर्म से भरे अनुभव के कारण मैंने अपने जीवन से ईश्वरीय दिशा निर्देशन को पूरी तरह से हटा दिया और दुनिया की ओर अपनी नज़र बढ़ाई ताकि मुझे दुनिया से ही मार्गदर्शन मिले। इन दिनों हमारे समाज और संस्कृति में महिलाओं की आवाज़ बुलंद सुनाई देती है, जो हमें लगातार यह बता रही है कि हमें क्या करना चाहिए, हमें क्या बनना चाहिए और यहां तक ​​कि हमें कैसा दिखना चाहिए। मैंने येशु मसीह के बजाय इस समाज-संस्कृति से आध्यात्मिक मार्गदर्शन ढूंढा और इससे मेरे जीवन में ऐसे ऐसे विकल्प निकले जो निश्चित रूप से ईश्वर से दूर और विश्वास से भी दूर थे।

मॉडलिंग ने आपको कैसे प्रभावित किया?

हम ऐसी संस्कृति में रहते हैं जो विडंबनापूर्ण रूप से सुंदरता से ग्रस्त है, लेकिन यह टिकनेवाली सुंदरता नहीं है। यह हमारी सुविधानुसार चयनित, काल्पनिक और नकली है। ईश्वर ही सुंदरता का रचनाकार है, लेकिन हम शायद ही कभी उसे खोजने के लिए उसकी ओर देखते हैं। हम एक मनगढ़ंत, खाली संस्करण के पीछे पड़े हुए हैं। जब मैं छोटी थी, तो मुझे पत्रिकाओं के पन्ने पलटने का रोमांच याद आता है जिसमें फिल्मों और टीवी शो की महिलाओं को दिखाया जाता है जिन्होंने ग्लैमरस जीवन शैली का नेतृत्व किया। वे सिर्फ सुंदरता नहीं बेचती हैं। वे एक जीवन शैली बेच रही हैं – एक विचारधारा या जीवन का एक ख़ास तरीका, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, जो कहती है कि परिवार, विवाह और बच्चे निश्चित रूप से पुराने दकियानूसी बातें हैं, आपकी खुशी की आकांक्षाओं में वे बाधा बनती हैं। इस विचार के अनुसार ,आपकी खुशी केवल बाहरी गुणों पर निर्भर करते हैं- आपके रूप, आपके कपड़े, आपकी नौकरी, आपकी परिस्थिति … दुख की बात है कि मैं उस झांसे में, उस चक्रव्यूह में और फंदे में उलझकर फंस गयी। मैंने कम उम्र में मॉडलिंग शुरू कर दी थी, जिसके कारण मुझे टीवी शो, अमेरिका की नेक्स्ट टॉप मॉडल के सीज़न तीन के लिए ऑडिशन देने का मौक़ा मिला। मैं चुनी जाने पर अत्यधिक उत्साहित थी, लेकिन मैं उस दर्दनाक अनुभव के लिए तैयार नहीं थी जो किसी भी रियलिटी टीवी शो में भाग लेने पर मिलता है, जिसमे प्रतिभागियों के फुटेज के साथ छेड़छाड़ करके और संदर्भ से बाहर उसे प्रसारित करके नाटक का निर्माण होता है। आखिरकार मुझे शो से बाहर कर दिया गया, मैंने फैसला किया कि मैं न्यूयॉर्क में रहने और अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए अपनी कड़ी मेहनत से जीते गए हाई प्रोफाइल का उपयोग करने की हकदार हूं।

इस मुकाम पर पहुँचने के बाद –  मैंने लगभग 10 वर्षों के लिए अपने विश्वास को त्याग दिया था, मैं गिरजाघर नहीं जाती थी, संस्कारों को ग्रहण नहीं करती थी और प्रार्थना बिल्कुल भी नहीं करती थी। उस गहरे आध्यात्मिक रिश्ते से मैं बुरी तरह वंचित रह गयी। मेरी आत्मा इसके लिए तरस रही थी, लेकिन लज्जाजनक यादों ने मुझे पीछे धकेल दिया, “जब तुम छोटी थी तब तुम ने अपने कौमार्य को खो दिया, और तुम्हारा लगातार नैतिक पतन होता रहा, इसलिए तुम्हारे लिए अब कोई उम्मीद नहीं है। बस इस नए बिगड़े जीवन में ही बने रहो और इसका सर्वोत्तम दोहन कर उसे लूट लो।”  इसलिए, मैंने यही किया, मेरे दिल में छिपे दर्द को नजरअंदाज किया जबकि इसे येशु के द्वारा ठीक किया जा सकता था, और मैं अंदर से कितनी मरी हुई महसूस कर ही थी, इस पर पर्दा डालकर उसे ढकने की कोशिश कर रही थी।

आप वह जीवन जी रही थी जिस जीवन का ज्यादातर लोग सपना देखते हैं – एक खूबसूरत मॉडल होने के नाते, टाइम्स स्क्वायर में आपकी छवि प्रसारित जी जा रही थी, जिस से आप बहुत पैसा कमा रही थी और फिर भी आप खुश नहीं थी?

अंदर से, मैं बेहद नाखुश और दुखी थी। जब मैं मॉडलिंग कर रही थी तब मैं खुश होने का नाटक करने में आश्चर्यजनक रूप से अच्छी थी। वास्तव में, न्यूयॉर्क में मेरा जीवन तेजी से बिगड़ रहा था क्योंकि मैं एक ऐसी जीवन शैली में डूब गयी थी जिसमें भयंकर अकेलापन है। वह जीवन जो आपको उन चीज़ों से भर देता है जिससे आप जबरन नकली रूप से खुश किये जाते हैं, वह पूरी तरह नकली था, वह ख़ुशी का सिर्फ दिखावा था, वहां किसी प्रकार का सच्चा आनंद नहीं था। मुझे न तो सच्ची खुशी थी और न ही शांति और मैं गहरे अवसाद और आत्मघाती विचारों से उत्पीडित महसूस कर रही थी।

किसी ऐसी चीज को पीछे छोड़ने के लिए बहुत साहस चाहिए जिसके लिए आपने निश्चित रूप से वर्षों की कड़ी मेहनत की थी। वास्तव में आपको अपने मॉडलिंग करियर से दूर जाने के लिए क्या प्रेरित किया?

पहला उत्तर है, ईश्वर की कृपा। वास्तव में ईश्वर की कृपा ने ही मुझे इससे दूर जाने के उस साहसी निर्णय लेने के लिए मजबूत किया। यह एक फोटोशूट के ठीक बीच में हुआ। मैंने सचमुच अपने दिल में इन शब्दों को सुना, “मैंने तुम्हें और बेहतर कार्य के लिए बनाया है …” और मैं इस आवाज़ को अनदेखा नहीं कर सकी। अचानक मेरी अंतरात्मा की गहराई में कुछ प्रज्वलित हुआ – कुछ ऐसा जो मुझ में पहले से विद्यमान था जिसे मैं अपनी आत्मा में पूरी तरह से भूल गयी थी। मुझे पता था कि यह सत्य की आवाज़ थी। मैं फोटोशूट के बीच में थी और यह किसी प्रकार के आध्यात्मिक चमत्कार के घटित होने के लिए यह उत्तम समय और स्थान नहीं था, फिर भी मैं इसे अनदेखा नहीं कर सकती थी। मैंने फोटोग्राफर की तरफ देखा और कहा, “मुझे जाना है…” सेट पर मेरे आस-पास का हर कोई हैरान था। मुझे यकीन है कि वे सोच रहे थे, “तुम पागल हो गयी हो, या तुम्हारे दिमाग में कुछ अजीब हरकत हो रही है।” उन्होंने मुझे बाहर जाकर थोड़ा पानी पीने और उसके बाद वापस आने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैंने अपनी सारी चीजें बटोर लीं, फोटोशूट छोड़ दिया और उस जीवन शैली से बाहर निकल कर घर की ओर चल दिया।

मैंने सबसे पहले, अपने पिताजी को फोन करके बुलाया। मुझे लगा कि यह अनुभव एक सच्चा आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक जागृति का कार्य था। ईश्वर ने मुझे यह देखने का अनुग्रह दिया कि मेरा जीवन वास्तव में कैसा था, और यह कैसे टूट कर बिखर रहा था। मैं पिछले वर्षो लगातार अपने आप से झूठ बोल रही थी कि सब कुछ ठीक है और मेरी जिंदगी ठीक है, लेकिन ऐसा नहीं था। तो, सचमुच यह ईश्वर की कृपा थी, जिसने मुझे वह साहसी निर्णय लेने में मदद की। हर श्रेय उसी को जाता है!

पिताजी ने अपना सारा काम छोड़ दिया और सीधे मेरे पास आ गए। सबसे पहले वे मुझे पाप स्वीकार संस्कार में ले जाना चाहते थे। मुझे याद है कि उस समय मैं सोच रही थी, “कलीसिया को मेरी जैसी लड़की नहीं चाहिए। कलीसिया केवल उन पवित्र लोगों के लिए है जो हमेशा वफादार रहे हैं।” लेकिन पिताजी ने मुझे बड़ी कोमलता से देखा और कहा, “लिआ, तुमने फोन किया और तुम घर आना चाहती थी। मैं यहां तुम्हें घर ले जाने के लिए आया हूं। येशु और कैथलिक कलीसिया तुम्हारा घर हैं।” उस समय मुझे एहसास हुआ कि पिताजी सही कह रहे थे। यह सच था, मैं घर आ गयी थी और पिताजी मेरे वापस आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। न्यूयॉर्क छोड़ने से पहले, मैंने परमेश्वर को वह सब कुछ दिया, जिन बातों से मैं गुज़री थी और मैंने उससे कहा कि वह मुझे वापस ले। यह आसान नहीं था, और मैं यह दिखावा नहीं करने जा रही हूं कि यह आसान था, लेकिन ईश्वर हमसे यही माँगता है। वह यह सब चाहता है, जिसमें सारी गंदगी भी शामिल है। उस पाप स्वीकार संस्कार में प्रवेश करना, कैथलिक विश्वास के लिए घर जाने के रास्ते में मेरा पहला कदम था।

उस पाप स्वीकार संस्कार के बाद मुझे सचमुच ऐसा लगा कि मैं घर आ गयी हूँ — कैथलिक चर्च में मैं वापस आ गयी हूँ। मैंने यह कहते हुए स्वयं से मेलमिलाप कर लिया “ठीक है, ईश्वर। तू सही है। मैं गलत हूँ। कृपया मेरी मदद कर।” इससे मेरे आत्मविश्वास और मेरी भावना नवीनीकृत हो गए और मैं कहने लगी “मैं यह करना चाहती हूं।” मैं अब यह कहने से नहीं डरती थी, “मैं एक मसीही हूं…मैं एक कैथलिक हूं”। मैं एक मसीही की तरह दिखना चाहती थी, एक मसीही की तरह काम करना और एक मसीही की तरह बात करना चाहती थी। इसलिए जब मैं वापस आयी, तो मैंने उन गुणों के पुनर्वास और सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जिनका मैंने अपने पिछले पापपूर्ण कार्यों से विरोध किया था। मुझे अपने जीवन में साहस लेने, सही बात कहने और ईमानदार होने के लिए शुद्धता का पुनर्वास करना था। मुझे अपने निर्णयों में विवेकपूर्ण होना था और आत्म-नियंत्रण और संयम विकसित करना था ताकि मेरे जुनून मुझे नियंत्रित न कर सकें, ताकि मैं आत्म संयम और प्रभु के नियंत्रण में रह सकूं। मसीही के रूप में हम यही कार्य करने के लिए बुलाये गए हैं।

बाद के वर्षों में, ईश्वर ने मुझे अच्छे अवसर प्रदान किए, जिससे मैं ने संयमित और सौम्य फैशन, सद्गुण और शुद्धता के बारे में लोगों से बात की, व्याख्यान दिया। मुझे यकीन नहीं था कि मुझे पहले ऐसा करना चाहिए, लेकिन मुझे पवित्र आत्मा से प्रेरणा मिलती रही। उस समय मैं अपनी कॉलेज की डिग्री के बलबूते एक नौकरी में पूर्णकालिक काम कर रही थी, और मैं कोई प्रेरितिक काम नहीं कर रही थी। धीरे-धीरे, सभाओं को संबोधित करने के मेरे कार्य अधिक बढ़ते गये। तब तक यह स्पष्ट हो गया कि परमेश्वर मुझे पूर्णकालिक कार्य के लिए बुला रहा है। और मैंने परमेश्वर से कहा, “तू मुझे यहाँ तक ले आया और तू मुझे और आगे ले जाता रहेगा”। और उसने ऐसा ही किया। मैंने परमेश्वर के प्रेम और दया के बारे में और कैसे हम पवित्रता और विश्वास में जीने के लिए ईमानदार और बिना किसी समझौता के निर्णय ले सकते हैं, इन विषयों पर बात करने के लिए दुनिया की यात्रा की है।

क्या आप हमें अपने पॉडकास्ट, लक्स पहल और उन सभी परियोजनाओं के बारे में बता सकती हैं जिन पर आप वर्तमान में काम कर रही हैं?

महिलायें जिस माहौल में हैं, वहां उनके बीच में ख्रीस्त को पहुँचाने के लिए ये सारी परियोजनाएं हैं। आइए पॉडकास्ट के साथ शुरू करते हैं जिसे “कुछ सुंदर कार्य करो” कहा जाता है। आप इसे किसी भी पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म से प्राप्त कर सकते हैं। कई तरह के लोग हैं जो महिलाओं को अपने जीवन के साथ कुछ सुंदर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, मैं उन लोगों का साक्षात्कार करती हूं ताकि महिलायें समझें कि हम दुनिया में प्रभु येशु ख्रीस्त और अन्य लोगों के लिए क्या कर सकती हैं। सच्ची सुंदरता ईश्वर की सुंदरता का प्रतिबिंब है और इसके दो गुण हैं – पूर्णता और पवित्रता – पूर्णता वह गुण है जिस केलिए और जिस रूप में ख्रीस्त ने हमें बनाया है, और हम महिलाओं को सद्गुणों के अभ्यास के माध्यम से पवित्रता के लिए प्रयास करना भी है।

एक नई पहल है लक्स कैथलिक ऐप — कैथलिक महिलाओं के लिए एक मुफ्त ऐप, जहां हर शाम हम दुनिया भर की महिलाओं के साथ रोज़री माला की प्रार्थना की जाती हैं। एक दूसरे के इरादों के लिए प्रार्थना करने हजारों महिलाएं हमारे साथ शामिल हुई हैं, जिससे मसीह के शरीर अर्थात कलीसिया के भीतर गहरा रिश्ता बुना गया है।

मैं इसके अलावा, “पावर मेड परफेक्ट” नामक हमारे नए कार्यक्रम के बारे में आपको बताने के लिए उत्साहित हूं – यह एक पहला कैथलिक व्यक्तिगत विकास कार्यक्रम है! व्यक्तिगत विकास का सर्वोत्तम लाभ उठाते हुए और सब कुछ पवित्र बाइबल से जोड़ते हुए,  जीवन को बदलने में मदद करने के लिए, येशु मसीह की शक्ति पर भरोसा करते हुए हम इस नए उद्यम को शुरू करने वाली हैं।

यदि आप मेरी गवाही को पढ़ रहे हैं, तो जान लें कि हम भी आज आपके लिए प्रार्थना कर रही हैं। आप अकेले नहीं हैं। यदि आप निराश महसूस करते हैं, तो मैं आपको बताना चाहती हूं कि प्रभु येशु मसीह हमेशा आपके लिए हैं। वे हमेशा आपकी ओर हाथ बढ़ा रहे हैं। आपको केवल उसके पास पहुंचने की जरूरत है और वह आपको अपने पवित्र हृदय के निकट खींच लेंगे।

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By: Leah Darrow

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दिसम्बर 03, 2022
Encounter दिसम्बर 03, 2022

परमेश्वर प्रार्थनाओं का उत्तर देता है और कभी-कभी हम ने जिस के होने की संभावना पर सोचा ही नहीं था, परमेश्वर उससे भी बहुत आगे बढ़ता है…

एक लोकप्रिय टेलीविज़न विज्ञापन है जो कई वर्षों तक एक घायल व्यक्ति को चित्रित करते हुए दिखाया गया है, “मेरी मदद करो, मैं गिर गया हूँ और मैं उठ नहीं सकता!” हालांकि वे लोग केवल एक मेडिकल अलर्ट सिस्टम बेचने के लिए प्रचार कर रहे अभिनेता लोग हैं जो किसी आपात स्थिति में मदद की पुकार लगा रहे हैं, हर बार जब मैंने उस विज्ञापन को देखा है तो मैंने सोचा है कि ऐसी हताश-भरे और नाजुक हालत में फँस जाना कितना भयावह होगा। अकेले रहना और गिरने के बाद वापस उठने में असमर्थ होना तनावपूर्ण और भयावह होगा। सौभाग्य से ऐसी कंपनियां और उपकरण हैं जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं, ताकि हमारे लिए या खतरे में फंसे हमारे प्रियजनों के लिए सुरक्षा उपाय किए जा सकें।

आवर्ती दुविधा

वह विज्ञापन एक दिन मेरे दिमाग में तब आया जब मैं प्रायश्चित के संस्कार (जिसे मेलमिलाप या पाप स्वीकार के नाम से भी जाना जाता है) प्राप्त करने की तैयारी में अपनी अंतरात्मा की जांच कर रही थी। परमेश्वर की उपस्थिति से मुझे दूर ले जाने वाली अपमानजनक बातों पर चिंतन करने के बाद,  मुझे लगा कि यह निराशाजनक था कि मैं बारम्बार पवित्रता के मार्ग से गिर रही हूँ। मुझे ऐसा लगा कि ऐसे गुनाहों को जिन्हें मैं अक्सर पिछले पाप स्वीकार संस्कारों में कबूल किया करती थी, उन्हें मुझे फिर से कबूल करने की ज़रूरत थी। संत पौलुस उसी दुविधा के साथ अपने संघर्षों के बारे में बात करते हैं। रोमियों के नाम पत्र 7:15-19 में उन्होंने कहा, “मैं अपना ही आचरण नहीं समझता हूँ, क्योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, वह नहीं, बल्कि वही करता हूँ जिससे मैं घृणा करता हूँ। यदि मैं वही करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता, तो मैं संहिता से सहमत हूँ और उसे कल्याणकारी समझता हूँ, किन्तु मैं कर्ता नहीं रहा, बल्कि कर्ता है, मुझ में निवास करने वाला पाप। मैं जानता हूँ कि मुझमें, आर्थात मेरे दैहिक स्वभाव में थोड़ी भी भलाई नहीं, क्योंकि भलाई करने की इच्छा तो मुझमे विद्यमान है, किन्तु उसे कार्यान्वित करने की शक्ति नहीं है। मैं जो भलाई चाहता हूँ, वह नहीं कर पाता, बल्कि मैं जो बुराई नहीं चाहता, वही कर डालता हूँ।” यह एक संघर्ष है, जिसका हम सभी अनुभव करते हैं। कैथलिक कलीसिया की धर्म-शिक्षा पाप के प्रति इस अवांछित झुकाव को “कामुकता” के रूप में परिभाषित करती है। विज्ञापन में अभिनेता से जुड़ना आसान था, क्योंकि आध्यात्मिक रूप से मैं गिर गयी थी, और ऐसा लगा कि मैं वापस नहीं उठ सकती। परमेश्वर से दूर जाने से मैं एक हताश, नाजुक स्थिति में पहुँच गयी, जो हमें उसके द्वारा दिए जा रहे कई अनुग्रहों से वंचित स्थिति थी। परमेश्वर के साथ मेरा रिश्ता टूट गया था, और उस पतित अवस्था में रहने का विचार तनावपूर्ण और भयावह था। हालाँकि, येशु मुझसे प्यार करता है। वह दयालु है और उसने अभी भी पाप के अवांछित झुकाव से पीड़ित हम सभी के लिए सुरक्षा उपाय किए हैं। 

अनवरत प्रार्थना 

मेरा परिवार जिस गिरजाघर का हिस्सा था, उस गिरजाघर की ओर से शनिवार की शाम के जागरण मिस्सा बलिदान से एक घंटे पहले पाप स्वीकार के संस्कार का प्रस्ताव रखा गया। मेरे लिए शनिवार को पाप स्वीकार संस्कार में जाना महत्वपूर्ण था क्योंकि मैं ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को महत्व देती थी और इसे बहाल करना चाहती थी। मैंने अपने पति से पूछा कि क्या पाप स्वीकार समाप्त होने पर वह मेरे साथ मिस्सा बलिदान में शामिल होंगे। मेरा सौभाग्य था कि वे सहमत हो गए। उनका पालन-पोषण मेथोडिस्ट कलीसिया में हुआ था और 25 से अधिक वर्षों से यह मेरी निरंतर प्रार्थना थी कि ईश्वर उनके दिल में विश्वास की पूर्णता में आने की इच्छा को रखेंगे और उन्हें कैथलिक कलीसिया का सदस्य बनायेंगे। अभी के लिए, मैं ईश्वर के समय की प्रतीक्षा कर रही थी और बस खुश थी कि हम मिस्सा बलिदान में साथ साथ भाग लेंगे। चर्च में भीड़ नहीं थी, इसलिए पहले ही मैं ने पाप स्वीकार करने के लिए पुरोहित के सामने घुटने टेकी थी। पाप स्वीकार करने के लिए नम्रता की आवश्यकता होती है। पाप मुक्ति के आनंद ने मेरे अन्दर नयी ऊर्जा और पुनर्स्फूर्ती महसूस करायी। पुरोहित से प्राप्त प्रायश्चित को करने के बाद, मेरा दिल अब पाप के भार से बोझिल नहीं था। जैसे ही शांति की भावना ने एक बार फिर मेरी आत्मा को घेर लिया, वैसे ही मेरे आस-पास और मेरे अन्दर भी सब कुछ शांत था। बार-बार, मैंने परमेश्वर को उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया। मैंने संतोष के साथ आह भरी, “हे ईश्वर, मैं तुझ से कुछ भी मांगकर इस क्षण को खराब नहीं करना चाहती। मैं बस तुझे बार-बार धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं उस एक कोढ़ी की तरह बनना चाहती हूँ जो तुझसे चंगाई पाने के बाद तेरा धन्यवाद करने के लिए वापस आया।” मैं घुटने टेककर प्रभु की पवित्र उपस्थिति में समा गयी और समझ गयी कि अनुग्रह की स्थिति में होने का एहसास कितना अच्छा, धन्य और महान है। येशु ने हमारे रिश्ते को बहाल कर दिया था और हम फिर से एक हो गए थे। हालाँकि, मौन और शांत रहना एक ऐसा गुण है जिसके लिए मुझे बराबर संघर्ष करना पड़ता है। मेरे दिमाग में ईश्वर से सिर्फ एक बात मांगने की तीव्र इच्छा जागृत हुई। “प्रभु, सिर्फ एक चीज मांगती हूँ, बल्कि यह मेरे लिए नहीं है। कृपया मेरे पति के दिल और दिमाग में कैथलिक बनने की इच्छा भर दें। मैं चाहती हूं कि उसे पता चले कि कैथलिक बनना कैसा लगता है।” शांत प्रार्थना में समय जल्दी बीत गया और जब मैं ने आँखें खोली तब देखा कि मेरे पति भी कुछ देर से मेरे बगल में बैठे हुए हैं। मैंने यह कहते हुए सुना है कि जब आप अनुग्रह की स्थिति में प्रार्थना करते हैं, तो आपकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर द्वारा स्पष्ट रूप से सुनी जाती हैं। आप उसके इतने करीब हैं कि वह आपके दिल की फुसफुसाहट सुन सकता है। मुझे यकीन नहीं है कि यह वास्तव में ठोस कैथलिक सिद्धांत है या नहीं, लेकिन यह उल्लिखित करता है कि ईश्वर के करीब रहना कितना महत्वपूर्ण है। जब उस शाम को मिस्सा शुरू हुआ, तो पुरोहित ने सभी का स्वागत किया और उन्होंने उस शाम के मिस्सा बलिदान में किसी भी व्यक्तिगत निवेदन को समर्पित करने के लिए एक शांत क्षण का अनुभव करने के लिए कहा। जिस तरह से वे आम तौर पर मिस्सा का आरंभ करते थे, उस दिन वैसा नहीं था, उनका उत्साह अद्भुत था। मैं  उस पल को खोना नहीं चाहती थी, मैंने तुरंत अपने पति के कैथलिक धर्म में आने के लिए प्रार्थना दोहराई। मैंने उस शाम से पहले या बाद में कभी पुरोहित को इस तरह से मिस्सा शुरू करते हुए नहीं सूना था। अंत में, यह एक अच्छा संकेत था कि मेरी प्रार्थना के लिए परमेश्वर का उत्तर निकट था। बाकी मिस्सा के दौरान भी मेरे दिल में यह निवेदन बना रहा, और मुझे ईश्वर और मेरे पति दोनों से बहुत जुड़ाव महसूस हुआ।

चौंकाने वाली खबर

 घर जाते समय, मेरे पति ने अप्रत्याशित रूप से कहा कि उन्हें मुझसे कुछ कहना है। अच्छा हुआ कि वही गाड़ी चला रहे थे, क्योंकि यदि मैं गाडी चलाती, तो उनके शब्द मुझे चौंका दिया होता और गाड़ी अनियंत्रित होकर सड़क से लुढ़क जाती। “मैंने फैसला किया है कि मैं हम लोगों के गिरजा घर में वयस्कों के ख्रीस्तीय बप्तिस्मा संस्कार की प्रारम्भिक दीक्षा कार्यक्रम में नामांकन करूं और देखता हूं कि मैं कैथलिक बनना चाहता हूं या नहीं।” स्तब्ध होकर मैंने कुछ नहीं कहा। विचार और भावनाएँ मेरे मन और शरीर में घूम रही थीं। मैंने प्रभु से बस इतना पूछा: “यह क्या हो रहा है प्रभु? क्या मेरी प्रार्थना सुनने के लिए पाप स्वीकार संस्कार ने तेरे साथ मेरे सम्बन्ध को साफ कर दिया था? क्या मिस्सा बलिदान में मेरा व्यक्तिगत निवेदन सुना गया था? इतने सालों के बाद क्या तू सच में मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है?” अपने आप को पुनः संभालने के बाद, मैंने अपने पति के साथ उनके इस निर्णय के बारे में विस्तार से बात की। हम अपने दाम्पत्य जीवन के दौरान एक साथ मिस्सा बलिदान में शामिल होते थे और मेरे पति के लिए यह महत्वपूर्ण था कि हमारा परिवार एक साथ एक ही गिरजाघर में जाए। वर्षों से, उनके पास कई प्रश्न थे, लेकिन कैथलिक चर्च को अपने परिवार के रूप में प्यार और विश्वास के साथ देखते थे। पवित्र आत्मा ने उन्हें यह समझने के लिए निर्देशित किया कि उस परिवार का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होने और सभी संस्कारों और उनके अनुग्रहों में भाग लेने में सक्षम होने का यही सही समय था। प्रारम्भिक दीक्षा कार्यक्रम को पूरा करने के बाद, अंततः अगले पास्का जागरण की रात को, मेरे पति कैथलिक चर्च के सदस्य के रूप में स्वीकार किये गये, जिससे हम दोनों को अपार आनंद हुआ। मेरी प्रार्थना का जो उत्तर पाने के लिए मैं इतने लंबे समय से इंतज़ार कर रही थी, वह उत्तर मुझे सही समय पर देने केलिए ईश्वर का निरंतर धन्यवाद करते हुए, मेरा दिल खुशी से नाच रहा है। 

पिटारे में और अधिक आश्चर्य!

रुकिए, और भी बहुत कुछ है! परमेश्वर जानता था कि मैंने उससे पूछा था कि क्या उसने वास्तव में मेरी प्रार्थनाओं को सुना और उत्तर दिया है। परमेश्वर यह सुनिश्चित करना चाहता था कि मैं निश्चित रूप से जानूं कि उसने मेरी प्रार्थना सुनी है, क्योंकि पिटारे में और अधिक आश्चर्य रखे हुए थे। हमारे दोनों बेटे अपने लिए जीवन संगिनी चुन चुके थे। वे दोनों अद्भुत युवतियां थीं जो अपने प्रोटेस्टेंट विश्वास में प्रभु के साथ-साथ चलते हुए बड़ी हुई थीं। कैथलिक धर्म में उनके आगमन के लिए मेरी प्रार्थनाओं में उन्हें भी नियमित रूप से शामिल किया गया था, हालाँकि उस शाम को मैंने उनके लिए विशेष रूप से प्रार्थना नहीं की थी। उस विशेष मिस्सा बलिदान के एक सप्ताह के भीतर, एक दूसरे से स्वतंत्र, दोनों युवतियों ने मुझ से कहा कि उनका इरादा कैथलिक बनने का है। मैं निश्चित रूप से जानती हूं कि मेरे पति का कैथलिक बनने का निर्णय महज संयोग नहीं था और एक अतिरिक्त बोनस के रूप में, अब मेरी बहू बनने वाली वे अद्भुत युवा महिलाएं भी कैथलिक बनेंगी। प्रभु की स्तुति हो! मैं ईश्वर के मन को जानने का दावा नहीं करती। उन तीनों ने, एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर, कैथलिक बनने का फैसला कैसे किया, इस पर भी मैं कोई दावा नहीं कर सकती कि मैं ईश्वर का मन जानती हूँ। यह मेरे लिए चमत्कार है और मैं इसे सिर्फ चमत्कार के रूप में देखकर खुश हूं। ठीक है,… एक और बात। मेरा मानना ​​है कि जब हम ऐसा कुछ कार्य करते हैं जिससे परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को ठेस पहुँचती है, तो हमें पाप स्वीकार के द्वारा उसके पास जाना चाहिए और उससे कहना चाहिए कि हमें खेद है। मेरा मानना ​​है कि जब हम वास्तव में परमेश्वर के साथ अपने संबंध को ठीक करना चाहते हैं, तो वह हमें आशीष देना चाहता है। मेरा मानना ​​है कि प्रार्थना वास्तव में काम करती है और प्रभु हमें जवाब देना चाहता है। मेरा मानना ​​है कि ईश्वर मुझसे प्यार करता है और उसने मुझे एक बार नहीं, दो बार नहीं, बल्कि उस शनिवार को तीन बार आशीर्वाद दिया, लेकिन वह चाहता था कि मैं यह भी जानूँ कि वह मेरी सभी प्रार्थनाओं को हर समय सुनता है, चाहे मैं किसी भी स्थिति में हो।

मुझे पता था कि मैं गिर गयी थी और, विषय वासना के कारण, मेरे फिर से गिरने की संभावना है। अल्लेलुइया, अच्छी खबर है! जब मैं अपने व्यवहार को नहीं समझ सकती; यहां तक ​​​​कि जब मैं उन अच्छे कामों को करने में असफल हो जाती हूं जो मैं करना चाहती हूं, और उन पापपूर्ण कार्यों को करती हूं जिनसे मैं नफरत करती हूं … तब भी ईश्वर की कृपा से और उसकी क्षमा के माध्यम से, मुझे पता है कि मैं अकेली नहीं हूं, मुझे तनावग्रस्त, भयभीत या गिरे हुए रहने की जरूरत नहीं है। मैं वापस उठ सकती हूँ।

संत पौलुस, हमारे लिए प्रार्थना कर। आमेन।

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By: तेरेसा एन वीडर

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दिसम्बर 03, 2022
Encounter दिसम्बर 03, 2022

हम सभी को समय का उपहार दिया गया है, लेकिन हम इसका क्या करते हैं?

कभी-कभी मुझे यह समझने में परेशानी होती है कि ईश्वर मुझे क्या बताने की कोशिश कर रहा है। जो बात उसने कही है उसे दुहराने केलिए मैं अक्सर उससे बोलती हूँ। पिछले साल, बार-बार मैंने महसूस किया कि प्रभु ये वचन मेरे दिल पर रख रख रहा है – “इसके चारों ओर एक घेरा बनाओ।”

मैंने अंततः स्पष्टीकरण मांगा और पवित्र ग्रन्थ का वचन मन में आया: “किसी भूमिधर ने दाख की बारी लगवाई, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उसमें रस का कुंड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया।” (मत्ती 21:33)

मैं जानती थी कि झाड़ियों को आपस में निकटता से उगाये जाने से घेरा या बाड़ा बनता था, यह अक्सर बगीचों या फुलवारियों को घेरने के लिए किया जाता है। जब मैंने ईश्वर से पूछा कि वह मुझसे क्या घेरवाना चाहता है, तो मुझे समझ में आया कि मुझे अपने समय को घेरना है, विशेष रूप से प्रभु के साथ अपने समय की सुरक्षा करनी है।

इसलिए, मैंने अपनी सुबह की दिनचर्या के साथ अधिक सावधान रहना शुरू कर दिया। मैं अपने विचारों, सपनों और मेरे दिमाग में चल रहे गीतों के प्रति अधिक जागरूक हो गयी। मैंने अपनी डायरी में मेरे विचारों को लिखना शुरू किया। मैंने बिस्तर से उठने से पहले ही प्रभु की स्तुति और धन्यवाद के साथ अपने हृदय को प्रभु की ओर उठाने का प्रयास किया। सोशल मीडिया में आ रही टिप्पणियों या खबरों को पढ़ने के बजाय, मैंने अपनी सुबह की कॉफी हाथ में लिए, हर दिन दैनिक मिस्सा बलिदान के पाठों को पढ़ा और मनन-चिंतन में समय बिताया।

मैं अपने आंतरिक जीवन की रक्षा कर रही हूं। मैं प्रभु के साथ अपने समय की रक्षा कर रही हूँ। मैं अपने आप को भोर के सुरक्षा कर्मी की तरह महसूस करती हूँ।

जब मैंने पिछले साल एक आध्यात्मिक निर्देशक की सहायता ली, तो उन्होंने सबसे पहले मुझसे यह सवाल किया कि क्या मेरी अपनी दैनिक प्रार्थना दिनचर्या है। मेरे लिए उनका निर्देश था कि जीवन का सबसे प्रथम लक्ष्य प्रार्थना-जीवन को नियमित और लगातार संपोषित रखना है।

मैं और मेरे पति अब एक दम्पति के रूप में अधिक विश्वासपूर्वक प्रार्थना करते हैं। हमने भोजन से पूर्व, और अधिक जानबूझकर प्रार्थना करना शुरू कर दिया है, जिसमें हम कंठस्थ प्रार्थनाओं के साथ दिल से आने वाली प्रार्थनाओं को भी जोड़ते हैं। हमारा प्रयास यह है कि हम एक परिवार के रूप में प्रार्थना करने की अपनी प्रतिबद्धता को निभायें।

मैं कार चलाते हुए प्रार्थना करती हूँ। मैं चर्च में प्रार्थना करती हूं। मैं अपनी सुबह की सैर पर प्रार्थना करती हूं। कभी-कभी मैं एक पार्क की परिधि में रोजरी या करुणा की माला विनती करते हुए, उसके चारों ओर प्रार्थना का घेरा बनाकर चलती हूं।

मेरा मानना ​​है कि ये नई आदतें फल दे रही हैं। मैंने बगल के पार्क में संदिग्ध और असामाजिक गतिविधियां देखी है। मैंने देखा है कि इन दिनों मेरे पति और मैं समान विचार पर अधिक काम कर रहे हैं, और हंस हंस कर अपने मतभेदों का मुकाबला कर रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने अपने आप में एक बदलाव देखा है। मैं अधिक शांति का अनुभव करती हूं।

जो कुछ प्रभु मेरे हृदय से कह रहा है, मैं उसे सुन पा रही हूँ। मैं प्रत्येक दिन की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक तैयार हूं।

परमेश्वर चाहता है कि हम सभी बिना रुके प्रार्थना करें, लेकिन पहला कदम यह है कि हम अपने प्रत्येक दिन को प्रार्थना की बाड़ या रक्षा कवच से सुरक्षित रखें। हमें अपने दिन का पहला फल प्रभु को अर्पित करना चाहिए और प्रार्थना के साथ अपने दिन का अंत करना चाहिए। हमारी प्रार्थना के घेरे अलग-अलग तरह के हो सकते हैं, लेकिन शैतान की चालों को हराने के लिए हम उन्हें अवश्य लगाएं।

परमेश्वर हमेशा हमारे करीब आ रहा है, और वह चाहता है कि हम उसके करीब आएं। लेकिन हम आसानी से विचलित हो जाते हैं। हमें लगन से अपने समय की रक्षा करने की आवश्यकता है। प्रार्थना के बाड़े या घेरे हमें अधिक फलदायी स्थान की ओर ले जायेंगे।

 

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By: डेनीस जैसेक

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दिसम्बर 03, 2022
Encounter दिसम्बर 03, 2022

अगर आज आप अपना दिल खोल दें, तो आप दुनिया बदल सकते हैं! डेनिएला स्टीफ़ंस ने प्यार पाने की अपनी अविश्वसनीय और कभी अंत न होनेवाली यात्रा का वर्णन कर रही है।

मैं एक ऐसी कैथलिक थी, जिसे आप ‘पालना कैथलिक’ कह सकते हैं; मैं सात संतानों की कैथलिक परिवार के दिल में पली-बढ़ी हूँ। हम नियमित रूप से मिस्सा बलिदान में जाते थे और मैं अपने विश्वास के बारे में अधिक जानने के लिए, संतों का अनुकरण करती थी, और प्रभु की उपस्थिति को प्रदर्शित करनेवाली उन सुंदर छवियों के प्रति आकर्षित हो जाती थी। प्रभु ने छोटी उम्र से ही मेरे जीवन में प्रेम के बीज बो दिए। जब मुझे अपनी किशोरावस्था में मिस्सा बलिदान में जाने या न जाने का विकल्प दिया गया था, तब भी मैंने मिस्सा जाना जारी रखा, जब कि मेरे कुछ भाई-बहनों ने मिस्सा न जाने का विकल्प चुन लिया था। मैं हमेशा सही काम करना चाहती थी और कभी भी मुसीबत में नहीं पड़ना चाहती थी। मैं अपने माता-पिता को निराश नहीं करना चाहती थी और मुझे पता था कि रविवार के दिन जानबूझकर मिस्सा में न जाना पाप है।

हालाँकि, मैं वास्तव में कभी नहीं समझ पायी कि मेरे साथ क्या हो रहा था। मैं बस मिस्सा बलिदान के विभिन्न हिस्सों के माध्यम से खाना पूर्ती कर रही थी। हालांकि मुझे लगा कि ईश्वर मेरे करीब हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उसे नहीं जानती थी  और अभी भी मेरे दिल में एक भारी, धड़कता हुआ खालीपन महसूस कर रही थी। जब मैं सोमवार से लेकर शुक्रवार तक बहुत सारे कामों में व्यस्त रहती थी, और इसलिए मेरे पास इसके बारे में चिंता करने का वक्त नहीं था, लेकिन सप्ताहांत में, मैं इस गहरे अकेलेपन से परेशान रहती थी।

 खो गयी प्यार में

सयानी कहलाने की उम्र में पहुंचने के बाद, भौतिक दुनिया जो कुछ दे सकती थी, उन सारी चीज़ों से मैं आकर्षित हो गयी थी, इसलिए मैंने शराब पीकर और दोस्तों के साथ पार्टियों में जाकर अपनी समस्या को हल करने की कोशिश की, लेकिन वह खालीपन वैसे खाली ही रह गई। मैं ने तिरस्कार, अकेलापन और निराशा महसूस किया। हालाँकि मैं अपना काम करने के लिए स्वतंत्र होना चाहती थी, मैं अपने विवेक से जूझ रही थी, जो मुझे बराबर बता रहा था कि मैं जो करना चाहती थी, वह गलत था। ईश्वर ने मेरी सृष्टि इन गलतियों को करने के लिए नहीं की थी। एक स्वर्गदूत के साथ याकूब की कुश्ती के बारे में मैंने बाइबिल में पढ़ा था और मुझे लगा कि यही कहानी मेरी भी है। जब एक रविवार को मिस्सा के दौरान मैं इन सब के बारे में सोचकर प्रार्थना कर रही थी, मुझे सहसा एहसास हुआ कि मैं स्वयं को स्वीकार नहीं कर रही थी। परमेश्वर के पास मेरे जीवन के लिए एक बेहतर योजना थी। येशु के पवित्र हृदय की एक मूर्ति को देखते हुए, मैं समझ पा रही थी कि येशु मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे, अंदर आने के लिए अनुमति मांग रहे थे, लेकिन मैं इस अद्भुत उपहार को स्वीकार करने से बहुत डर रही थी, क्योंकि मुझे डर था कि येशु मेरे अंदर आएंगे और मेरी आजादी छीन लेंगे। उस क्षण तक, मुसीबत में पड़ने के डर के कारण ही मैं बदतर पापों से बची रही। फिर, किसी तरह, ईश्वर की कृपा से, मैंने खुद को यह कहते हुए पाया, “ठीक है, हे प्रभु, मैं तुझे एक अवसर दूंगी।” उस पल में, मैंने ऊपर की ओर देखा और पहली बार येशु के बपतिस्मा की एक तस्वीर देखी। उस तस्वीर में येशु बहुत मजबूत, विनम्र और सौम्य लग रहे थे। तुरंत मेरा दिल बदल गया। डर दूर हो गया, खालीपन की वह भारी सुराख अविश्वसनीय गर्मजोशी से भर गयी और मुझे येशु से प्यार हो गया। इस पल ने सब कुछ बदल दिया। मैं पूरी तरह जीवित महसूस करते हुए गिरजाघर से बाहर चली गयी। मैं उस महिला की तरह महसूस कर रही थी जिसने, येशु के वस्त्र के किनारे को छुआ और मैं अपने सारे दर्द से मुक्त होकर तुरंत स्वस्थ हो गई। मुझे डर था कि अगर मैंने उसे अपने दिल में बसा लिया, तो वह मेरी आजादी छीन लेगा, लेकिन मैं गलत थी। जिस चट्टान की सुराख में परमेश्वर ने मूसा को रखा था वह उस सुराख के समान है जो मसीह के सीने में छेदा गया है। मैंने महसूस किया कि मसीह ने मुझे अपने पवित्र हृदय में खींच लिया है, जहाँ मैं उसके निकट और सुरक्षित रखी गयी हूँ और प्रभु येशु मुझ से बात कर सकते थे, ठीक उसी तरह, जिस तरह कोई दोस्त अपने दोस्त से बात करता है, जिस तरह मूसा ने प्रभु के साथ बात की थी। 

काली सुराख

जितना अधिक मैंने दैनिक मिस्सा पूजा में और आराधना में प्रभु के साथ व्यक्तिगत मुलाकातों की तलाश की, उतना ही मैंने अपने आप को उसके करीब होने का एहसास पाया। इसलिए, मैंने ईशशास्त्र का अध्ययन किया और जैसे-जैसे मैं परमेश्वर को और अधिक गहराई से जानती गयी, उसने अपने आप को मेरे सामने और भी अधिक प्रकट किया, यहाँ तक कि त्रासदी के समय में भी; उदाहरण केलिए मेरे भाई की मृत्यु के मौके पर भी। उन दिनों, मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष कर रही थी और भविष्य को लेकर डर महसूस कर रही थी। मैं अब ईश्वर की उपस्थिति को महसूस नहीं कर पा रही थी और सोचती थी कि क्या प्रभु ने मुझे छोड़ दिया है। मैं येशु के कहे गए उन सारे वचनों को जानती थी, “मैं ही मार्ग, सत्य और जीवन हूँ… मैं पुनरुत्थान और जीवन हूँ।” लेकिन अब मेरे विश्वास की परीक्षा हो रही थी। क्या यह सब सच था? जब मैं अपने भाई के कमरे में चुपचाप बैठ कर उसके खाली बिस्तर को देख रही थी, मुझे याद आया कि कैसे येशु ने मार्था से कहा था, “तुम्हारा भाई फिर जी उठेगा,” और मैं ने महसूस किया कि येशु मुझसे ये शब्द कह रहे थे। जब मैं विश्व युवा दिवस में भाग लेने गयी तो मुझे भारी भीड़ में कुछ कुछ अकेलापन और खोया खोया महसूस हुआ। जब मैंने चारों ओर उन सारे युवा लोगों को देखा, तो मैंने येशु से पूछा, “हे प्रभु, तू कैसे इन सभी लोगों से एक ही समय प्यार कर सकता है और मुझसे भी प्यार करता है?” परमेश्वर ने मुझे दिखाया कि जिसके साथ प्रभु का व्यक्तिगत संबंध है, उस प्रत्येक व्यक्ति को अलग अलग व्यक्ति के रूप में वह कैसे देखता है। ईश्वर हम में से प्रत्येक को एक अद्वितीय और व्यक्तिगत प्रेम की दृष्टि से देखता है। वह आपसे उतना प्यार करता है जितना कोई और नहीं, कर सकता, क्योंकि आपके जैसा दुनिया में और कोई नहीं है। परमेश्वर आपको अद्वितीय रूप से, अभूतपूर्व रूप से, अनोखे रूप से और व्यक्तिगत रूप से प्यार करता है। आदम से लेकर अनंत काल तक कोई भी ऐसा नहीं है, और न रहेगा, जो बिल्कुल आपके जैसा हो। इसलिए, जब आप व्यक्तिगत रूप से उसके प्यार को महसूस करते हैं, तो वह आपको उस अद्वितीय व्यक्ति के रूप में देखता है, जो कोई और नहीं कर सकता। उसने हम में से प्रत्येक के लिए स्वयं को बलिदान कर दिया। जब वे क्रूस पर थे, वे हम में से प्रत्येक के बारे में व्यक्तिगत रूप से नाम लेकर सोच रहे थे।

 मेरे डर को दूर कर दिया गया

 येशु ने मुझे दिखाया कि पिता ईश्वर के बारे में मेरी छवि और समझ गलत थी। मुझे लगा था कि मैं संकट में हूँ, इस बात के लिए परमेश्वर मुझे दोषी ठहरा रहा है। मुझे उसके दंड का डर था, लेकिन मैं गलत थी। येशु हमारा उद्धार करने के लिए पिता ईश्वर की योजना के अनुसार, हमारे लिए पिता के प्रेम को प्रकट करने के लिए – हमारे बीच रहकर परमेश्वर और मनुष्य के बीच की दरार को ठीक करने के लिए – दुनिया में आए। येशु ने हमें यह भी बताया कि यदि हमने उसे देखा होता, तो पिता को देखा होता। येशु ने मुझे दिखाया कि मेरे हृदय में जो खालीपन है वह परमेश्वर द्वारा भरा जाना चाहिए, और जब मैंने येशु को अंदर जाने दिया, तो उसने मुझे सचमुच मुक्त कर दिया। हम परमेश्वर के द्वारा और परमेश्वर के लिए बनाए गए हैं, इसलिए जब मैंने उसे अंदर बुलाया, तो उसने अपनी गर्मजोशी और प्रेमपूर्ण उपस्थिति से मुझे भर दिया, जो अवसाद और बेचैनी मुझे परेशान कर रही थी, उसे उसने दूर कर दिया। जब हम उस ईश्वर के आकार के छेद को अन्य चीजों से भरने की कोशिश करते हैं, तो वे सभी कम पड़ जाते हैं, क्योंकि वह अनंत और अपूरणीय है। इसने मुझे याद दिलाया कि कैसे हमें चेतावनी दी जाती है कि “वाहन में गलत ईंधन डालने से आपकी यात्रा में तबाही हो सकती है और आपकी कार के इंजन को व्यापक नुकसान होने की संभावना है।” आपका हृदय आपका इंजन है और पाप से होने वाली क्षति को रोकने के लिए इसे सही ईंधन की आवश्यकता है। दैनिक मिस्सा पूजा, नियमित पाप स्वीकार, प्रार्थना, आराधना, बाइबिल पाठ और विश्वास का अध्ययन, और माँ मरियम के साथ एक गहरा रिश्ता, ये सभी मिलकर वह ईंधन रहा है जिसने मेरे दिल को बहाल किया है और जिसके द्वारा मुझे ईश्वर के साथ व्यक्तिगत संपर्क द्वारा अपना जीवन जीने की कृपा मिली है। येशु ने मुझे और अधिक गहराई में जाने के लिए आमंत्रित किया। यद्यपि अक्सर अपना क्रूस उठाना और प्रतिदिन उसका अनुसरण करना पीड़ादायक होता है, फिर भी उसने परीक्षाओं और प्रलोभनों के द्वारा मेरा नेतृत्व किया है और अपने प्रेम को प्राप्त करने और साझा करने की मेरी क्षमता का विस्तार किया है।

 संघर्षों के बीच

हर दिन, हमारा दुश्मन शैतान हमें हतोत्साहित करने और हमें परमेश्वर के प्रेम से दूर करने का प्रयास कर रहा है। वह नहीं चाहता कि हम जानें और अनुभव करें कि परमेश्वर हमें क्या देना चाहता है। वह हमारे घमंड को इतना सख्त और कड़ा कर देता है कि हम परमेश्वर की इच्छा के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं। जब हम अपने पाप के द्वारा दिए जा रहे उस दर्द और पीड़ा के कारण अपने आप को टूटा हुआ महसूस करते हैं, तो हम खुद को यह सोचकर धोखा देते हैं कि ईश्वर हमसे प्यार नहीं करता। संत तेरेसा ने कहा था कि जब ईश्वर पूर्ण होता है और हम इतने अपूर्ण होने के बावजूद, वह हमसे प्यार कर सकता है; हमारे इस तरह के मज़बूत विश्वास को तोड़ना और नष्ट करना ही शैतान की रणनीति है। जब मैं संघर्ष करती रहती हूँ तो क्या वास्तव में उस समय भी परमेश्वर मुझसे प्रेम करता है? एक बार, येशु ने अपने चेलों को रात भर आंधी के खिलाफ संघर्ष करते हुए छोड़ दिया, जब येशु स्वयं एक पहाड़ पर प्रार्थना कर रहे थे। लेकिन सुबह शिष्यों ने येशु को पानी के ऊपर से अपनी ओर आते हुए देखा। जब आप कठिन समय से गुजर रहे होते हैं, तो प्रभु आपके संघर्ष के बीच में होते हैं। वह आप से यह भी कहता है, “डरो मत।” और जब हम खुद को डूबते हुए महसूस करते हैं, जैसे पतरस ने अपना विश्वास विफल होने पर महसूस किया था, जब वह येशु की ओर, पानी के ऊपर टहलते हुए गया था, उसी तरह हम भी पुकार सकते हैं, “प्रभु मुझे बचा ले।” जब ऐसा लगे कि सब कुछ आपके विरुद्ध हो रहा है, तब उस प्रभु पर ही अपनी नज़रें टिकाए रखें और वह आपको विफल नहीं करेगा। हमेशा एक नया सवेरा होता है। हर दिन फिर से शुरू करने का दिन और अवसर होता है। “रात को भले ही रोना पड़े, भोर में आनन्द–ही–आनद है” (भजन संहिता 30:6)। रात परीक्षण और प्रलोभन का प्रतीक हो सकती है। भोर मसीह का प्रतीक है जो विश्व का प्रकाश है। याद रखें कि ईस्टर के रविवार को, मसीह ने कब्र को प्रकाश से प्रज्वलित करके छोड़ा था। वे हमारे साथ अपना प्रकाश साझा करने आये हैं।

येशु नाम का अर्थ है ‘ईश्वर बचाता है’। वे हमें बचाने आये थे। वे हमारी पीडाओं को साझा करने, हमारे साथ गहरी दोस्ती बनाने और हमें बाहर निकालने के लिए आये थे। विश्वास एक मांस पेशी की तरह है जो कठिन परिस्थितियों और दबाव में बढ़ता है। अच्छा होगा कि मैं अपनी इच्छाओं को ईश्वर को समर्पित करूँ और यह विश्वास करूँ कि वह उन्हें पूरा करेंगे, लेकिन यह कठिन है। “मैं अपनी इच्छा से अधिक, ईश्वर की इच्छा चाहता हूं,” ईमानदारी से ऐसा कहने में सक्षम होना आसान नहीं है, क्योंकि हम जो करना चाहते हैं उसे ही करना पसंद करते हैं। माँ मरियम ने ऐसा ही किया जब उसने कहा, “तेरा कथन मुझ में पूरा हो जाए” (लूकस 1:38)। माँ मरियम अपनी सौम्यता के साथ हमारे साथ खड़ी है, हमारी गहरी इच्छाओं को मानव जाति के कल्याण और अच्छाई के साथ समान बनाने में वह हमारी मदद करती है।

इसलिए, ईश्वर की कृपा से, मैं विश्वास के साथ आगे बढ़ती हूं, यह जानते हुए कि मैं ईश्वर से अपनी सभी जरूरतों के बारे में एक दोस्त और परिवार के सदस्य के रूप में बात कर सकती हूं। मैंने परमेश्वर को एक प्रेममय पिता के रूप में जाना है, जो हमें अपनी सभी खामियों, गलतियों और बारम्बार असफलताओं के बावजूद, बच्चों के समान उसकी प्रेमपूर्ण योजना में भरोसे रखते हुए उसके पास आने के लिए बुलाता है।

“आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के पास जाएं” (इब्रानी 4:16) और “तुम न डरोगे और न घबराओगे, क्योंकि तुम जहां कहीं भी जाओगे प्रभु तुम्हारा ईश्वर तुम्हारे साथ होगा” (योशुआ 1:9)

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By: Daniella Stephans

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नवम्बर 24, 2022
Encounter नवम्बर 24, 2022

क्या आप अपने जीवन में पाप के उस चक्र को तोड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? गेब्रियल कैस्टिलो उन सभी पापमय चीजों में उलझा हुआ था, – सेक्स, ड्रग्स, रॉक एंड रोल – जिन चीज़ों को  जो दुनिया अच्छी मानती है, लेकिन ऐसा एक अवसर आया जब उन्होंने पाप को छोड़ने और अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई का सामना करने का फैसला किया, और उनकी दुनिया ही बदल गयी।

मेरा पालन-पोषण एकल अभिभावक के द्वारा हुआ, जहाँ व्यावहारिक रूप से कोई धार्मिक शिक्षा नहीं थी। मेरी माँ एक अद्भुत महिला हैं और उन्होंने मेरा भरण-पोषण करने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। जब वह बाहर काम कर रही थी, तब मैं घर पर अकेला केबल टीवी के सामने बैठा करता था। मेरा पालन-पोषण एम.टी.वी. जैसे टेलीविजन नेटवर्क द्वारा किया गया था। एम.टी.वी. ने जिन चीज़ों को महत्व देने के लिए मुझसे कहा, मैं उन चीज़ों को महत्व देता था: लोकप्रियता, मौज मस्ती, संगीत, और अन्य अधर्मी चीजें। मेरी माँ ने मुझे सही दिशा में ले जाने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन ईश्वर के बिना मैं सिर्फ पाप से पाप की ओर चला गया। बुराई से अत्यधिक बुराई तक। यही कहानी इस देश के आधे से ज्यादा लोगों की है। सच्चाई यही है कि मीडिया द्वारा बच्चों की परवरिश की जा रही है और मीडिया लोगों को इस जीवन में और अगले जीवन में भी दुख की ओर ले जा रहा है।

माँ मरियम की दखल

जब मैं अमेरिका के टेक्सास राज्य के ह्यूस्टन में स्थित सेंट थॉमस विश्वविद्यालय गया तब मेरा जीवन नाटकीय रूप से बदलने लगा। उस विश्वविद्यालय में मैंने धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र के पाठ्यक्रम लिए, जिस के कारण मेरे दिमाग में वस्तुनिष्ठ सत्य की खोज शुरू हुई। मैंने देखा कि कैथलिक विश्वास में कुछ बौद्धिकता है। मेरे दिमाग में मुझे विश्वास हो गया था कि कैथलिक धर्म वस्तुनिष्ठ रूप से सत्य था, लेकिन बस एक ही समस्या थी … मैं दुनियावी बातों,  शारीरिक प्रलोभनों और शैतान का गुलाम था।

उन दिनों सबसे बुरे लड़कों में से सबसे आगे, और सबसे अच्छे लड़कों में सबसे पिछड़े के रूप में मैं कुख्यात था। मेरे बुरे दोस्तों में से बहुत लड़के दृढीकरण संस्कार प्राप्त करने के लिए जा रहे थे और मैंने सोचा “अरे मैं भी एक बुरा कैथलिक हूं … मुझे भी दृढीकरण संस्कार लेना चाहिए”। दृढीकरण के लिए ज़रूरी आत्मिक साधना के दौरान हमने एक शाम पवित्र घड़ी में समय बिताया, मुझे नहीं पता था कि यह पवित्र घड़ी क्या होती है, इसलिए मैंने एक प्रोफेसर से पूछा जिन्होंने मुझे पवित्र यूखरिस्त में येशु को निहारने और येशु के पवित्र नाम को दोहराने की सलाह दी। इस अभ्यास के लगभग 10 मिनट के बाद ईश्वर ने मेरी आत्मा में अपनी उंगली डाल दी और मुझे अपने प्यार से अभिभूत कर दिया, और मेरा पत्थर का दिल पिघल गया। उस घड़ी के बाकी समय पर मैं रोता रहा। उस दिन मुझे पता चला कि कैथलिक धर्म न केवल मेरे दिमाग को, बल्कि मेरे दिल को भी प्रभावित करता है। मुझे अपना जीवन बदलना पड़ा।

एक बार चालीसा काल के दौरान, मैंने हर तरह के गलत रस्ते को त्यागने और हर घातक पाप या महापाप को छोड़ने का संकल्प लिया। मेरे संकल्प के ठीक दो घंटे बाद, मुझे एहसास हुआ कि मैं पहले से ही महापाप कर चुका था, इसलिए मैं पाप के जाल में किस तरह बुरा फंसा हुआ था। मुझे एहसास हुआ कि मैं एक गुलाम था। उस रात ईश्वर ने मुझे मेरे पापों के लिए मुझमें सच्चा पश्चाताप भर दिया और मैंने दया के लिए उसे पुकारा। तभी शैतान बोल उठा। उसकी आवाज स्पष्ट और डरावनी थी। ऊँचे स्वर में गड़गड़ाहट के साथ, उसने मेरे शब्दों को मज़ाक में दोहराया, “प्रभु, मुझे माफ़ कर। मैं तुझसे क्षमा माँगता हूँ प्रभु!” मैंने तुरंत संत जॉन वियांनी से प्रार्थना की। जिस पल मैंने वह प्रार्थना की, वह शैतानी आवाज चली गई। अगली रात मैं अपने कमरे में सोने के लिए बहुत डरा हुआ था, क्योंकि मुझे डर था की कहीं मुझे उस आवाज़ को दोबारा सुनना पडेगा।

इसलिए मैंने एक जपमाला निकाली, जिसे संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने आशीर्वाद दिया था। मैंने माला विनती की पुस्तिका खोली, क्योंकि मुझे नहीं पता था कि माला विनती कैसे की जाती है। जब मैंने प्रार्थना की, “मैं स्वर्ग और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर पर विश्वास करता हूँ…..”, एक बुरी शक्ति ने मेरे गर्दन को पकड़ लिया, मुझे नीचे दबा दिया और मेरा गला घोंटने लगा। मैंने अपनी माँ को फोन करने की कोशिश की, लेकिन मेरी आवाज़ नहीं निकल पा रही थी। फिर मैं ने अपने सिर के अन्दर एक आवाज सुनी,, “प्रणाम मरिया, कृपापूर्ण… की प्रार्थना करो।” मैंने कोशिश की, लेकिन नहीं कर सका। मेरे सिर के अन्दर फिर आवाज़ सुनाई दी, “अपने मन में वही प्रार्थना कहो।” तो मेरे मन में मैंने कहा “प्रणाम मरिया”। फिर मैंने जोर से आवाज़ निकालने केलिए हांफते हुए कहा, “प्रणाम मरिया”! तुरंत सब कुछ सामान्य हो गया। मैं पूरी तरह से घबरा गया और महसूस किया कि यह दुष्ट शक्ति मेरे अब तक के जीवन में हमेशा मेरे साथ रहा। उसी समय मुझे एहसास हुआ कि मरियम ही मेरी समस्याओं की जवाब है। यहां तक ​​कि उसका नाम पुकारने मात्र से ही मैं एक राक्षस रुपी दुष्टात्मा के वास्तविक चंगुल से मुक्त हो गया। कुछ शोध करने के बाद, दुष्ट शक्तियों के प्रभाव में मेरे रहने के कई कारणों की मैं ने पहचान की: मेरी माँ के पास नव युग की किताबें थीं, मेरे पास पापमय संगीत था, मैंने ऐसी बहुत सारी फिल्में देखी थीं जो सिर्फ बालिगों के लिए थीं, मैं जीवन भर घातक पाप में जी रहा था। शैतान मुझमें आविष्ट था, लेकिन माँ मरियम उसका सिर कुचल देती है। मैं अब माँ मरियम का हूँ।

पापियों को परिवर्तित करने में विफल

मैं रोज माला विनती की प्रार्थना करने लगा। मुझे एक अच्छा पुरोहित मिल गया और मैं लगभग प्रतिदिन, पाप स्वीकार करने जाने लगा। लेकिन बाद में मैं इसे जारी नहीं रख सका, इसलिए मुझे अपने सभी व्यसनों को तोड़ने के लिए माँ मरियम के साथ छोटे-छोटे कदम उठाने पड़े। माँ मरियम ने गुलामी से मुक्त होने में मेरी मदद की और सुसमाचार के संदेशवाहक बनने की इच्छा को मुझ में प्रेरित किया। जब मैंने माला विनती की प्रार्थना की, तो उसने मेरे लतों को तोड़ने में मेरी मदद की और मेरे मन को शुद्ध और पवित्र किया। मेरे अन्दर के क्रांतिकारी परिवर्तन और धार्मिकता की भूख के कारण मैंने धर्मशास्त्र में डिग्री और दर्शनशास्त्र में एक सर्टिफिकेट कोर्स पूरा किया। मैंने एक दिन में कई माला विनती कीं और मरियम को ही हर जगह देखा और शैतान को कहीं नहीं देखा। कॉलेज के बाद, मैंने एक धर्म शिक्षक के रूप में कैथलिक स्कूल प्रणाली में प्रवेश किया; मैं युवाओं को वह सब कुछ सिखाने लगा जो मैं जानता था। हालाँकि वे एक कैथलिक स्कूल में थे, वे मुझसे भी अधिक संघर्ष से गुज़र रहे थे। स्मार्टफोन के आगमन के साथ उनके पास छिपी हुई व्यसनों और गुप्त और गुमनाम जीवन के नए अवसर थे। मैं एक अच्छा शिक्षक था और परमेश्वर के लिए उनका दिल जीतने की पूरी कोशिश कर रहा था, लेकिन मैं असफल हो रहा था।

दो साल के अंदर, मैं एक आत्मिक साधना में गया, जो ऐसे एक बहुत ही पवित्र पुरोहित द्वारा संचालित था जो रूहों की विवेचना और आत्माओं को समझने के आत्मिक वरदानों के लिए विख्यात थे। हमें एक व्यापक पाप स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। जीवन भर के पापों को देखते हुए, मैंने देखा कि ईश्वर की भलाई और दया के बावजूद मैं कितना भयानक था, मैं रोया। उस पुरोहित ने मुझसे पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?” और मैं ने सिसकियाँ भरते हुए कहा, “क्योंकि मैंने अपने बुरे उदाहरण से बहुत से लोगों को चोट पहुंचाई है, और बहुतों को भटका दिया है।” उन्होंने उत्तर दिया, “क्या तुम अपने द्वारा किए गए नुकसान के लिए प्रभावी क्षतिपूर्ति करना चाहते हो? रोज़री माला के सभी भेदों को पूरे एक साल तक हर दिन प्रार्थना करने का संकल्प लो,  अपने हर एक बुरे काम में से, और उन सभी व्यक्तियों से जिन्हें आप ने चोट पहुंचाया, उन में से अच्छाई लाने के लिए माँ मरियम से कहो। उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। जान लो की तुम्हारे सारे कर्ज चुकाए गए हैं और आगे बढ़ो।”

मरियम के साथ सफल होना

मैंने पहले भी कई रोज़ माला विनती की प्रार्थना की थी, लेकिन जीवन के लिए एक सख्त नियम के रूप में कभी नहीं की थी। जब मैंने पूरी माला विनती को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया तो सब कुछ बदल गया। ईश्वर की शक्ति हर समय मेरे साथ थी। मरियम मेरे माध्यम से कामयाब हो रही थी। मैं आत्माओं तक पहुंच रहा था, और मेरे छात्रों के जीवन में नाटकीय रूप से बड़े बड़े परिवर्त्तन हो रहे थे। वे मुझसे यू-ट्यूब पर वीडियो डालने के लिए बार बार अनुरोध कर रहे थे। वे शुरुआती दिन थे और मुझमें आत्म विश्वास की कमी थी, इसलिए मैंने दूसरे लोगों के व्याख्यानों और प्रवचनों को तस्वीरों के साथ अपलोड किया।

मरियम ने मुझे एक पड़ोसी पल्ली में काम करने के लिए प्रेरित किया। यह अच्छा हुआ, क्योंकि आत्माओं को पाने के मेरे उत्साह के साथ यह बेहतर रूप से काम आया। वास्तव में उस पुरोहित ने मुझे उन सारे युवाओं को पूरी तरह झकझोरने के लिए प्रोत्साहित किया, इसलिए उस पुरोहित के सहयोग से मैंने वही कार्य किया। मैंने नाजुक और विवादित विषयों पर वीडियो बनाना शुरू किया। मैं एक फिल्म प्रतियोगिता में शामिल हुआ, परिणाम स्वरूप मैंने विश्व युवा दिवस की मुफ्त यात्रा और 4,000 डॉलर के मूल्य के वीडियो उपकरण जीते। मैं आपको बता रहा हूं, माँ मरियम एक विजेता है। स्पेन में विश्व युवा दिवस पर, मैं संत डोमिनिक चर्च में पवित्र मिस्सा में गया था। जब मैं रोज़री की माँ मरियम की एक मूर्ति के सामने खड़े होकर प्रार्थना कर रहा था, तब मुझे संत डोमिनिक की उपस्थिति का एक जबरदस्त एहसास हुआ। यह इतना मजबूत था कि मुझे लगभग ऐसा लगा कि मैं माँ मरियम की मूर्ति के सामने नहीं, बल्कि संत डोमिनिक के सामने खडा हूँ। जो सन्देश मुझे वहां दिया गया, उस सन्देश के शब्दों को मैं दुहरा नहीं सकता, लेकिन यह एक गहरी आंतरिक समझ थी कि रोज़री माला को बढ़ावा देने का एक मिशन मुझे दिया गया है, क्योंकि इसी में दुनिया की समस्याओं का जवाब है।

मैंने उन उपकरणों की मदद से ऐसा करने का संकल्प लिया जो उपकरण संत डोमिनिक के पास नहीं थे। मैंने माला विनती से जुडी सारी बातों का शोध करना शुरू कर दिया – इसका इतिहास, इसकी रचना, इसके विभिन्न पहलू, वे संत जिन्होंने यह प्रार्थना की आदि। जितना अधिक मैंने इसका अध्ययन किया, उतना ही मुझे एहसास हुआ कि इस रोज़री माला ने बहुत सारी समस्याओं का जवाब दिया है। आध्यात्मिक जीवन में परिवर्तन और कामयाबी रोज़री माला के फल थे। जितना अधिक मैंने इसे बढ़ावा दिया, उतना ही मैं सफल हुआ।

इस मिशन के हिस्से के रूप में, मैंने “गैबी आफ्टर ऑवर्स” नाम से एक यू-ट्यूब  चैनल विकसित किया, जिसमें बच्चों को विश्वास, उपवास और उद्धार में परवरिश करने पर भी सामग्री है। माला विनती मेरे प्रेरितिक कार्य के लिए ईंधन है। जब हम रोज़री माला की प्रार्थना करते हैं, तो हम माँ मरियम को स्पष्ट रूप से सुन सकते हैं। रोज़री माला तलवार की तरह है, जो उन बेड़ियों को तोड़ देती है, जिनसे शैतान ने हमें बांध रखा है। यह एक सम्पूर्ण और सिद्ध प्रार्थना है।

वर्तमान में अपने जैसे युवाओं के साथ मैं युवा सेवकाई में पूर्णकालिक काम करता हूं। उनमें से अधिकांश वंचित और गरीब परिवारों से आते हैं, जिनमें से कई के घर में माता-पिता के रूप में एक ही व्यक्ति है। चूँकि इनमें से अधिकांश बच्चे अनाथ हैं, इसलिए माताएँ दो-दो काम करती हैं, इसलिए कुछ युवा अपने उन अभिभावकों के अनजाने में ही बुरी आदतों में पड़ जाते हैं, जैसे कि मारिजुआना का धूम्रपान करना या शराब पीना। हालांकि, जब उन्हें कुँवारी मरियम, कार्मेल की माँ मरियम की ताबीज़, चमत्कारी बिल्ला और विशेष रूप से रोज़री माला से परिचित कराया जाता है, तो उनके जीवन में बड़ा आमूल चूल बदलाव देखने  को मिलता है। वे पापियों से संतों की ओर रुख कर लेते हैं। शैतान के दासों से लेकर मरियम के सेवकों तक। वे केवल येशु के अनुयायी नहीं बनते, वे येशु के प्रेरित बन जाते हैं।

मरियम के साथ पूर्ण रुपेण आगे बढ़ें। रोज़री माला के साथ सब अंदर जाएँ। सभी महान संत इस बात से सहमत हैं कि मरियम का अनुगमन करने से, आपको येशु मसीह के हृदय तक सबसे तेज़, सबसे सुरक्षित और प्रभावशाली मार्ग पर ले जाता है। संत मैक्सिमिलियन कोल्बे के अनुसार, पवित्र आत्मा का लक्ष्य और कार्य है कि वह मरियम के गर्भ में हमेशा के लिए ख्रीस्त का सृजन करे। यदि आप पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होना चाहते हैं, तो आपको मरियम के समान बनना होगा। पवित्र आत्मा मरियम के भक्त आत्माओं के लिए उड़ान भरता है। यह सफलता का आदर्श है, जिसे हमारा प्रभु चाहता है। जिस तरह येशु ने किया उसी तरह हम भी अपने आप को मरियम को समर्पित करें। हम उससे चिपके रहें, जैसे बालक येशु मरियम से चिपका था। हम छोटे शिशु के रूप में रहें ताकि मरियम हम में रह सकें और ख्रीस्त को दूसरों तक पहुंचा सकें। अगर आप लड़ाई जीतना चाहते हैं तो माँ मरियम के साथ जाएं। वह हमें ख्रीस्त येशु के पास ले आती है और हमें येशु के समान बनने में मदद करती है।

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By: Gabriel Castillo

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नवम्बर 24, 2022
Encounter नवम्बर 24, 2022

पोर्न या कामोद्दीपक सामग्रियों की लत ने उन्हें कामुकता और ईश्वर से नफरत करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। अश्लील साहित्य से बाहर निकलने की साइमन कैरिंगटन की मुक्ति यात्रा की खोज करें।

मेरा सौभाग्य था कि मैं एक कैथलिक परिवार में छह बच्चों के बीच तीसरे बच्चे के रूप में जन्मा और पाला गया। मेरे पिताजी एक महान आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने घर पर शाम की प्रार्थना का नेतृत्व किया और हर रात हमारे सोने से पहले रोज़री माला की प्रार्थना की। हम रविवार को मैरीलैंड्स में स्थित संत मार्गरेट मैरी गिरजाघर गए, और हमने वेदी सेवक के रूप में और गायक मंडली में सेवा दी। तो कुल मिलाकर, परमेश्वर मेरे जीवन के केंद्र में था।

और अधिक पाने की लत

जब मैं 15 साल का था, तब मेरी दादी का देहांत हो गया। मुझे वास्तव में दादी की कमी खलने लगी और महीनों बाद भी हर रात मैं रोता था। गहरे अकेलेपन और दर्द ने मुझे कुछ ऐसा खोजने के लिए प्रेरित किया जो मुझे प्यार का एहसास दिलाए।

तभी मैंने पोर्नोग्राफी (कामोद्दीपक सामग्रियों) की तलाश शुरू की। जितना मैंने देखा, उतना ही मैं और अधक पाने के लिए तरसता रहा। धीरे-धीरे मेरा विश्वास कमजोर होने लगा। स्कूल में, मैं अभी भी अपने दोस्तों के साथ आनंदित था, खेलकूद का आनंद लिया करता था और गिरजाघर जाता था। बाहर से मैं सब कुछ ठीक कर रहा था जैसे कि दिनचर्या के हिस्से के रूप में – मिस्सा में जाना, माला विनती की प्रार्थना करना वगैरह, लेकिन मेरे अंदर विश्वास मर रहा था। मेरा दिल कहीं और था क्योंकि मैं पाप में जी रहा था। यद्यपि मैं पाप स्वीकार संस्कार में जाता था, यह परमेश्वर के प्रेम से कम, नरक के भय से अधिक था।

जीवन का वह मोड़

एक पारिवारिक मित्र के यहाँ मुलाक़ात के दौरान, मुझे उनके यहाँ शौचालय में अश्लील पत्रिकाओं का एक खजाना  मिला। पहले वाली पत्रिका को उठाना, और उस पूरी पत्रिका को शुरू से अंत तक पलटने की उस घटना का मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। यही मेरे जीवन का पहला वास्तविक, भौतिक और मूर्त पोर्न था। मैंने महसूस किया कि मेरे अन्दर बहुत सारी भावनाएं उमड़ रही हैं – एक अति उत्साह कि जिस खालीपन को मैं मह्स्सोस कर रहा हूँ, उस का जवाब बस यही है, लेकिन साथ ही गहरी लज्जा भी। लग रहा था कि मेरे दिल में प्यार के लिए जो दर्द है, उस दर्द को संतुष्ट करनेवाला “भोजन” यही है। उस दिन मैं उस बाथरूम से एक अलग व्यक्ति के रूपमें बाहर निकला था। तभी मैंने अवचेतन रूप से ईश्वर से मुंह मोड़ लिया। मैंने ईश्वर के बदले अश्लील साहित्य और अशुद्ध जीवन को चुना।

उस अनुभव के बाद, मैंने अश्लील पत्रिकाएँ खरीदना शुरू किया। चूंकि मैं हर दिन जिम जाता था, इसलिए मुझे इन सभी अश्लील पत्रिकाओं को छिपाकर करने के लिए जिम की दीवार में एक दरार मिली। हर बार जब मैं जिम जाता, तो जिम के रिवाज़ के सत्र की शुरुआत और अंत में, मैं पत्रिकाओं के उस संग्रह में जाकर 20 या 30 मिनट उन्हें पलटकर पढता था। सालों तक यही मेरी जिंदगी की दिनचर्या बनी रही। पोर्नोग्राफी के प्रति मेरा इतना लत लग गया कि काम के दौरान पोर्न देखने के लिए हर घंटे मैं  टॉयलेट ब्रेक लेता था और इस तरह मेरी नौकरी लगभग चली गई। इस लत ने मेरे पास मौजूद हर खाली पल को मुझ से छीन लिया।

बेहद ठंडा

मैंने विभिन्न कैथलिक वक्ताओं को सुनने और शुद्धता और लैंगिकता पर किताबें पढ़ने की कोशिश की। मुझे एहसास हुआ कि उन सभी ने कहा कि लैंगिकता या कामुकता ईश्वर का एक उपहार है, लेकिन मैं इसे समझ नहीं पाया। केवल एक चीज जो लैंगिकता ने मुझे दी, वह थी दर्द और खालीपन। मेरे लिए, मेरी कामुकता ईश्वर के उपहार से बिलकुल सबसे दूर की चीज थी। यह एक खूंखार जानवर जैसा था जो मुझे नरक में घसीट रहा था!

मैं अपनी लैंगिकता से घृणा करने लगा और परमेश्वर से घृणा करने लगा। लैंगिकता मेरे दिल में जहर बन गया। जब मेरे परिवार ने माला विनती की प्रार्थना की, तो मैं प्रणाम मरियम और हे संत मरियम प्रार्थना नहीं कह पा रहा था। मैं अनुग्रह की स्थिति में बिलकुल नहीं था। मैं महीनों तक मिस्सा में जाता रहा लेकिन परम प्रसाद को ग्रहण नहीं करता था। यहां तक कि अगर मैं मिस्सा के बाद पाप स्वीकार संस्कार में जाता, तो मैं अगले दिन तक पोर्नोग्राफी के बिना दिन नहीं बिता पाता था। मेरे दिल में किसी प्रकार का प्यार नहीं था। जब मेरी मां मुझे गले लगाती तो मैं चट्टान की तरह तनाव में आ जाता। मुझे नहीं पता था कि प्यार और कोमल स्नेह कैसे प्राप्त करें। बाहर से मैं हमेशा मिलनसार और खुश रहता था, लेकिन अंदर से मैं खाली और मरा हुआ था।

मुझे याद है कि एक दिन पोर्नोग्राफी देखने के बाद मैं अपने कमरे में आया था और आते ही मैंने अपनी दीवार पर क्रूसित प्रभु की मूर्ती को देखा। क्रोध के एक क्षण में मैंने क्रूस पर लटके येशु से कहा, “तू मुझसे कैसे उम्मीद करता है कि लैंगिकता तेरी ओर से दिया जा रहा उपहार है? यह लैंगिकता मुझे बहुत दर्द और खालीपन पैदा कर रहा है। तू झूठा है!” मैंने नीचे से अपनी चारपाई पर छलांग लगा दी और दीवार से सूली को निकाल लिया और उसे अपने घुटने पर मार कर तोड़ दिया। टूटे हुए क्रूस को देखकर मैं गुस्से से फूट पड़ा, “मैं तुझसे नफरत करता हूँ! तू झूठा है।” फिर मैंने उस क्रूस को कमरे में रखे कूड़े दान में फेंक दिया।

जब मेरा जबड़ा फर्श से टकराया

फिर एक दिन, माँ ने मुझसे कहा कि मैं अपने बड़े भाई के साथ जेसन एवर्ट की अध्यात्मिक सभा में जाऊं जहां शुद्धता पर प्रवचन होगा। मैंने उसे विनम्रता से कहा “माँ, मैं नहीं जाना चाहता।“ जब उसने जाने केलिए फिर अनुरोध किया, तो मैंने कहा, “माँ, प्यार असली नहीं है। मैं प्यार में विश्वास नहीं करता!” माँ ने बस इतना कहा, “तुम्हें जाना पडेगा!” अनिच्छा से मैं उस रात की सभा में भाग लेने चला गया।

मुझे याद है कि उस रात जेसन की बात सुनने के बाद मैं आश्चर्य चकित था। एक लाइन ने मेरी जिंदगी बदल दी। उन्होंने कहा, “पोर्न आपके भविष्य के वैवाहिक जीवन को बर्बाद करने का सबसे सुरक्षित तरीका है।”

जैसे ही उसने यह कहा, मुझे एहसास हुआ कि अगर मैंने अपने तरीके नहीं बदले, तो मैं उस महिला को नुकसान पहुँचाऊँगा जिससे भविष्य में मेरी शादी होगी, क्योंकि मुझे नहीं पता था कि उस औरत के साथ ठीक से कैसे व्यवहार किया जाए।

इसके बाद शादी के लिए मेरी जो भी ख्वाहिशें थीं, वे सब मुझमें फिर से प्रकट हो गईं। वास्तव में मैं प्रेम और वैवाहिक जीवन को सबसे अधिक चाहता था, लेकिन मैंने उस चाहत को यौन पाप के साथ दफन कर दिया था।

उस रात मुझे जेसन से व्यक्तिगत रूप से बात करने का मौका मिला और उन्होंने जो सलाह दी उससे मेरी जिंदगी बदल गयी। उन्होंने कहा, “देखो, तुम्हारे हृदय में प्रेम है, और साथ साथ वासना के ये सब प्रलोभन भी हैं। इनमे से जिसे भी तुम अधिक खिला पिलाने का निर्णय लेते हो, वही मजबूत हो जाएगा और अंततः वह दूसरे पर हावी हो जाएगा। अब तक तुम प्यार से अधिक वासना को खिलाते रहे हो, अब प्यार को खिलाने का समय आ गया है।”

मुझे पता था कि उस रात ईश्वर ने मुझे स्पर्श किया था, और मैंने फैसला किया कि मुझे एक साफ-सुथरी शुरुआत की जरूरत है। मैंने पाप स्वीकार संस्कार के लिए एक पुरोहित को बुक किया और उन से मैंने पहले ही कह दिया कि आज का मेरा पाप स्वीकार लंबा समय लेगा! मैंने एक सामान्य पाप स्वीकार किया जिसमें लगभग डेढ़ घंटा लगा। मैंने हर उस यौन पाप को क़बूल किया जिसे मैं संभवतः याद रख पा रहा था, मैंने जिन पोर्न स्टार्स को देखा था, उनके नाम, कितनी बार, कितने घंटे और कितने सालों तक, ये सब मैंने कबूल किया। मुझे लगा कि उस रात पाप स्वीकार संस्कार से एक नया आदमी बाहर निकल रहा है।

एक खूबसूरत खोज

मेरे जीवन में परिवर्तन का तीसरा चरण शुरू हुआ। हालाँकि मैं अभी भी यौन अशुद्धता के उन पापों से जूझ रहा था, फिर भी मैं लगातार संघर्ष में था। धीरे-धीरे, मैं यौन पाप से छुटकारे का अनुभव करने में सक्षम हुआ, और मैंने महसूस किया कि परमेश्वर मुझे वास्तव में निमंत्रण दे रहा है ताकि मैं यह सीखना शुरू कर दूं कि मानव की लैंगिकता के लिए परमेश्वर की योजना क्या थी, और वह चाहता है कि मैं इसे दूसरों के साथ साझा करना शुरू करूँ।

मुझे ऐसे वक्ताओं का सामना करना पड़ा, जिन्होंने संत जॉन पॉल के “शरीर के धर्मशास्त्र” को मेरे सामने जाहिर किया और उस पुस्तक को पढ़ने के दौरान मैं एक शक्तिशाली विचार से प्रभावित हुआ: मेरा शरीर और हर दूसरा शरीर ईश्वर का संस्कार है। मुझे एहसास हुआ कि मैं ईश्वर की छवि या प्रतिछाया हूँ और हर महिला भी ईश्वर की प्रतिछाया है। जब मैंने इस दृष्टि के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के एक जीवित संस्कार के रूप में देखना शुरू किया, तो उन्हें यौन रूप से उनके दोहन करने के बारे में सोचना ही मेरे लिए बहुत कठिन हो गया। अगर मुझे कभी किसी के प्रति वासना पूर्ण इच्छा जागृत होती, और विशेषकर हस्तमैथुन और अश्लील साहित्य के माध्यम से वासना करनी होती, तो मुझे अपने मन और अपने दिल में उन्हें अमानवीय बनाना पड़ता। अपने आप को और अन्य महिलाओं को देखने के इस नए दृष्टिकोण से सबल होकर, मैं एक बड़ा परिवर्तन करने के लिए दैनिक मिस्सा बलिदान और नियमित पाप स्वीकार से प्राप्त अनुग्रहों से सशक्त हो गया।

मैंने हर महिला को यौन सुख के लिए नहीं बल्कि वास्तव में ईश्वर के एक सुंदर संस्कार के रूप में देखना शुरू किया। मैं इस नए संदेश से इतना उत्साहित था कि मैं इसे जहाँ तक संभव था, हर किसी के साथ साझा करना चाहता था। उस समय मैं एक जिम में फिटनेस प्रशिक्षक के रूप में काम कर रहा था, लेकिन मुझे लगा कि ईश्वर मुझे उस माहौल को त्यागकर सीधे उनकी सेवा करने के लिए बुला रहे हैं। मुझे यकीन नहीं था कि मैं कहाँ जा रहा हूँ, लेकिन दरवाजे खुलने लगे। मैं युवा सेवकाई में शामिल हो गया और “परूसिया मीडिया” नामक संस्था के लिए काम करना शुरू कर दिया, जहाँ मैंने विश्वास सम्बन्धी सामग्रियों की पैकिंग और पोस्टिंग किया। जब मैं वहां सेवा दे रहा था, तब वहां मैं पूरे दिन विश्वास की बातें सुनता था, और मेरे अपने व्यक्तिगत विश्वास के बारे में शक्तिशाली तरीके से सीखता था। लगभग हर सप्ताहांत में मैंने हाई स्कूल के छात्रों के बीच एक युवा सेवक के रूप में प्रवचन देना शुरू किया, और मुझे सुसमाचार के प्रचार में बहुत अंड आने लगा और मुझे इस सेवकाई से प्यार हो गया।

 पहले से बिलकुल अनोखा प्यार

एक दिन, एक महिला मेरे कार्यालय में पहुंची। वह किसी वक्त की तलाश में थी, जो युवा लोगों से शुद्धता और विशेष रूप से अश्लील साहित्य के बारे में बात कर सकें। पता नहीं कैसे, मैंने उस महिला से कहा कि मैं यह कार्य करूँगा। मैंने उस रात उन युवाओं के सम्मुख अपनी गवाही साझा की, और प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी। मौखिक रूप से प्रचार हुआ, और अधिक से अधिक लोग मुझे और और मेरी कहानी को जानने लगे और अधिक जगहों पर उद्बोधन देने के निमंत्रण आने लगे।

पिछले 10 वर्षों में मैंने शुद्धता, शुद्ध डेटिंग और शरीर के धर्मशास्त्र के आधार पर 30,000 से अधिक लोगों को 600 से अधिक उद्बोधन दिए हैं। इस सेवकाई के माध्यम से, मैं मेडेलीन से मिला जो मेरी पत्नी के रूप में मेरे जीवन में आयी, और प्रभु की आशीष से हमें तीन बच्चे मिल गए। प्रत्येक व्यक्ति ने जिस प्रेम के बारे में सपना देखा था, उस प्रेम का अनुभव करने के लिए, लोगों को आमंत्रित करने के लिए फायर अप मिशन की सेवकाई प्रारम्भ करने हेतु परमेश्वर हम दोनों को विभिन्न स्थानों पर ले गए!

अपने जीवन के इस बिंदु पर, मुझे यौन स्वतंत्रता के उस स्तर का अनुभव करने का सौभाग्य मिला है जो मुझे पहले कभी नहीं मिला था। मैं अब जहां हूं,  वहां तक मुझे पहुंचाने के लिए मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूं, और उन दिनों को याद करता हूं जब मैं वास्तव में इस क्षेत्र में बड़े संघर्ष से जूझ रहा था। ऐसे समय भी थे, जब मैंने महसूस किया कि सुरंग के उस छोर से किसी प्रकाश की किरण नहीं आ रही थी, और इसलिए मैंने “क्या पवित्रता संभव है?” कहकर ईश्वर से चिल्लाकर सवाल पूछा था। यह निराशाजनक लग रहा था, और मुझे लगा कि मैं हमेशा के लिए इस तरह जीने को अभिशप्त हो गया था। हालांकि मैंने सोचा था कि मेरे जीवन में कभी नहीं धुलनेवाले काले धब्बे थे, फिर भी ईश्वर ने मुझे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा। उसने मेरे साथ धैर्यपूर्वक, क्षमा और कोमलता के साथ काम किया। मैं अभी भी उस यात्रा पर हूँ, और परमेश्वर अब भी मुझे प्रतिदिन चंगा कर रहा है।

“उनके जीवन में कुछ सचमुच अंधेरे क्षण थे, जिसके कारण वे यौन पाप के भारी क्रूस को धो रहे थे, लेकिन जब जब वे इसे मसीह के पास ले गये और उन्होंने उस क्रूस को मसीह को समर्पित कर दिया – तो मसीह उसे मुक्त करने में सक्षम था। साइमन ने ईश्वरीय करुणा का अमन सामना किया और उन्होंने अपने जीवन में मसीह में गहरी चंगाई का अनुभव किया। यह दया और चंगाई के उस उद्गम स्थान से था जहाँ से वे आनंद, प्रेम और सबसे बढ़कर कामुकता के साथ इसी तरह के संघर्ष को झेल रहे अन्य लोगों को आशा दिलाने में वे सक्षम रहे हैं। जब मैं साइमन को इतने सारे लोगों की सेवकाई करते हुए देखती हूँ, तो मैं लगातार इस बात से चकित होती हूँ कि कैसे वे उन सभी लोगों में ख्रिस्त के प्रेम का संचार करते हैं।”

  • साइमन की पत्नी मेडेलीन कैरिंगटन
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By: Simon Carrington

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नवम्बर 24, 2022
Encounter नवम्बर 24, 2022

रास्ता बदलने का निर्णय लें, आपका जीवन बदल जाएगा

जैसे ही हमारी पारिवारिक प्रार्थना समाप्त हुई, हम लोगों ने यिरमियाह नबी के ग्रन्थ के तीसरे अध्याय से पाठ पढ़ने के लिए पवित्र ग्रन्थ बाइबिल उठायी। जैसे जैसे मैं पढ़ रही थी, मेरे अवसाद के दिनों की याद करते हुए मेरा दिमाग पीछे की ओर उड़ान भरने लगा। वे उस दौर के दिन थे, जब दुष्टात्मा की आवाज मेरे सिर में बिल्कुल स्पष्ट रूप से गूँजती थी; दुष्टात्मा मुझे यह संकेत दे रहा था कि मैं प्यार की लायक नहीं हूँ, यहाँ तक कि ईश्वर भी मुझे अस्वीकार कर देगा। अफ़सोस की बात यह है कि मैं इसे ही सच मान रही थी। अपने दुखों और आंसुओं के बीच मैं गिरजाघर जाती थी, इसलिए नहीं कि मैं प्रभु के प्रेम को अनुभव करती थी, बल्कि इसलिए कि मेरे माता-पिता नहीं चाहते थे कि इतवार के दिन मैं घर में रहूँ। जब मैं आधे-अधूरे मन से या अनिच्छा से गिरजाघर और उसके परिसर में घूमती रही, तो मुझे इस बात का एहसास नहीं था कि पूरे दिल से वापस आने के लिए कोई मुझे लगातार कह रहा था। पश्चाताप करने के लिए ईश्वर मुझे निरंतर बुलावा देता रहा।

ईश्वर अपनी वाणी सुनाता है

वस्तविकता यही है कि परमेश्वर हमें सही निर्णय लेने के लिए ढेर सारे मौके देता है। उसने मुझसे पुरोहितों, लोकधर्मियों, सपनों और उद्धरणों के माध्यम से बात की। बार-बार, मुझे एक ही संदेश मिला — परमेश्वर वास्तव में मुझसे प्रेम करता है। वह नहीं चाहता था कि मैं शैतान के झूठ की शिकार हो जाऊं। वह चाहता है कि मुझे पता चले कि मैं उसकी बेटी हूं, चाहे कुछ भी हो और वह मुझे अपने पास वापस आने का निमंत्रण देता रहा। उन कठिन दिनों में से एक दिन, मैंने अपनी बाइबल उठाई और अनायास ही यिरमियाह, अध्याय 3 खुल गया। इन शब्दों पर पहुँचते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए:

मैं सोचता था, मैं कितना चाहता हूँ कि तुम लोगों के साथ अपने पुत्रों-जैसा व्यवहार करूँ, और तुम को एक ऐसा सुखद देश प्रदान करूँ, जो किसी भी अन्य देश से सुन्दर है। मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे और तुम फिर मेरा परित्याग नहीं करोगे। (यिरमियाह 3:19)

मैंने इसे बार-बार पढ़ा। आँसू मेरे गालों पर लुढ़क गए और अनियंत्रित होकर मेरी बाइबल के खुले पन्नों पर मोटी बूंदों बनकर   गिर गए।

सत्य का एहसास

“मेरे साथ यह क्या हो रहा है?” मैं सोचने लगी। “इन शब्दों ने मुझे इतनी गहराई से क्यों स्पर्श किया?” यह ऐसा था, मानो मेरा हृदय ईश्वर के प्रेम की जलती हुई तीर से छेदा जा रहा था, मेरे चारों ओर बने कठोर आवरण को तोड़कर, वह बाण मुझे मेरी ठंडी उदासीनता से जगा रहा था।

ईश्वर ने मुझे बहुत कुछ दिया है, लेकिन मैंने वापस उसे क्या दिया था?

मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे और तुम फिर मेरा परित्याग नहीं करोगे।

इन शब्दों में दुख झलकता है। “मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे।“

एक प्यार करने वाला पिता, इस बात से हैरान था कि उसकी बेटी उससे दूर हो गई है और उससे बात करने से इंकार कर रही है, वह उसे ‘मेरे पिता कहती हुई सुनने के लिए तरस रहा है।

मेरे ईश्वर, मेरे ईश्वर, मैंने तुम्हें क्यों त्याग दिया? वह मेरा पिताजी है। वह हमेशा मेरा पिता रहा है और उसने मुझे प्यार करना और मुझे संजोना कभी नहीं छोड़ा, तब भी, जब मैंने उसे ‘मेरे पिता  कहने से इनकार कर दिया।

“और मैं सोचता था, तुम मुझे पिता कहकर पुकारोगे और तुम फिर मेरा परित्याग नहीं करोगे।”

मैं मुकर गयी थी। मैंने उससे अपनी आँखें हटा ली थीं और उसका पीछा करना छोड़ दिया था। मेरे हाथ को पकडे हुए अपने पिता के उस हाथ को मैंने छोड़ दिया था, उस मार्ग से मैं भटक गयी थी, जिस पर वह मुझे मेरी परेशानियों के माध्यम से सुरक्षित रूप से ले जा सकता था। उसने मुझ पर भरोसा किया, लेकिन मैंने उसे निराश किया। स्वर्ग में मेरे प्यारे पिता का दिल टूट गया था क्योंकि, मैं ने, उसकी प्यारी बेटी ने, उसे छोड़ दिया था।

बिन माप-तौल का प्रेम

मैं अनियंत्रित होकर रोई, इस अहसास से अभिभूत हो गयी, कि हमेशा से मेरा पिता मेरे लिए था, उसे बुलाने केलिए वह धैर्यपूर्वक मेरी प्रतीक्षा कर रहा था। मैं उसकी उपस्थिति को नज़रअंदाज़ करने के लिए अपनी आँखें मूंद करके बहुत अंधी हो गयी थी। अब, मैंने अंत में उसे ढूंढ़ने के लिए अपनी आँखें खोल दीं, और वह खुले हाथों से मुझसे मिलने और मेरा आलिंगन करने की प्रतीक्षा कर रहा था। मैंने अंत में महसूस किया कि मैं उसके आलिंगन में बंधी हुई हूँ और मैंने अपने कंधों से एक भारी बोझ उतारे जाने का अनुभव किया।

हम येशु से इतने परिचित हैं कि हम अक्सर पिता परमेश्वर पर चिंतन नहीं करते हैं। अपनी आँखें बंद कीजिये और उसकी तस्वीर को अपनी भावना में लाइए, किसी दाढ़ी वाले बूढ़े आदमी, या बहुत दूर किसी राजमहल में बैठे राजा के रूप में नहीं, बल्कि प्यार करने वाले पिता के रूप में देखिये जो अपने सभी उडाऊ बच्चों के वापस घर आने की प्रतीक्षा कर रहा है ।

यह वह पिता है जो अपने गोद लिए हुए बच्चों से इतना प्यार करता है कि उसने अपने इकलौते पुत्र को हमारे पास भेजा कि वह हमें अपने पापों से छुटकारा दे। वह अपने पुत्र के साथ एक है। हर हथौड़े का प्रहार, कोड़े की प्रत्येक मार, हर दर्दभरी सांस जिन्हें येशु ने क्रूस पर झेली थी, उसने वे सब अपने पिता के साथ साझा की थी। अनादि काल से पिता जानता था कि येशु हमारे लिए स्वेच्छा से कौन-सी पीड़ा सहेगा।

“पैशन ऑफ द क्राइस्ट” फिल्म में, येशु की मृत्यु के ठीक बाद, आकाश से एक शक्तिशाली छींटे के रूप में एक बूंद गिरती है। स्वर्ग में मेरे पिता के खामोश आँसुओं को और उस पूरे कठिन दौर को, जिसे उसने अपने पुत्र के साथ चुपचाप सहा था, इस दृश्य ने मेरे दिल में इस सच्चाई को चित्रित किया। उसने क्यों यह सब सहा? मेरे लिए, आपके लिए, अंतिम पंक्ति के हर पापी के लिए। पिता हम में से हर एक की प्रतीक्षा कर रहा है कि हम उसकी ओर मुड़ें ताकि वह हमें अपने गर्मजोशी भरे आलिंगन में वापस स्वीकार कर सकें जहाँ हमारा हमेशा स्वागत रहेगा। वह हमारे चेहरे से हर आंसू पोंछने के लिए, पाप के कीचड़ से हमें धोने के लिए और हमें अपने दिव्य प्रेम के लबादे में लपेटने के लिए इंतजार कर रहा है।

प्यारे पिता, आखिरकार मुझे यह महसूस करने में मदद करने के लिए तुझे धन्यवाद कि तू मुझे बिना शर्त प्यार करता है। संदेह और अविश्वास के सभी क्षणों के लिए, मैं तुझसे  क्षमा चाहती हूँ। हम में से हर एक की आंखें खोल दे प्रभु, कि हमारे प्रति तेरे प्रेम को हम जान सकें। तेरे सबसे प्रिय पुत्र हमारे प्रभु येशु मसीह के द्वारा। आमेन।

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By: डॉ. अंजलि जॉय

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