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मार्च 23, 2023 278 0 Vijaya Bodach
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मेरे प्रिय रखवाल दूत

हम जानते हैं कि हम में से प्रत्येक के पास एक रखवाल दूत है। लेकिन हम कितनी बार उससे मदद माँगते हैं?

जब मुझे एक ईसाई लेखन सम्मेलन में तीन कार्यशालाएँ पढ़ाने के लिए जाना था, तब पहली बार मुझे एहसास हुआ कि मेरा रखवाल दूत मेरे लिए सबसे अच्छी उम्मीद थी। मेरे घर से कार्यशाला की जगह पहुंचने में कार से कई घंटे लगते थे। मैं एक भयानक माइग्रेन के साथ उठी और रोयी, क्योंकि मैं सोच रही थी कि मैं इतना दूर कैसे गाडी चला पाऊंगी। मैं अंतिम समय में रद्द करके अव्यवसायिक नहीं होना चाहती थी। मैं रोयी क्योंकि लंबे समय से मैं माइग्रेन के सिरदर्द से पीड़ित हूं – इस बीमारी के कारण मुझे शर्मिन्दा होना पड़ता है – क्योंकि हर महीने में लगभग आधा महीना यह बीमारी मुझे दुर्बल कर देती है- और मैं कितनी कमजोर थी, यह बात मैं स्वीकार नहीं करना चाहती थी। इसलिए, मैंने अपने रखवाल दूत से प्रार्थना की कि वह मुझे सुरक्षित रूप से उस स्थान तक पहुंचा दें और मुझे सकुशल वापस घर भी लाए।

मुझे अभी भी नहीं पता कि मैंने किस तरह इतनी लम्बी दूरी गाड़ी चलाई। मैंने गाड़ी चलाते समय, रोज़री माला की अपनी सीडी लगा दी और फिर योहन के सुसमाचार को सुना, यह सोचती हुई कि यदि मैं रास्ते में मर जाऊं तो कितना अच्छा और सुन्दर होगा कि येशु को अपने हृदय में रखती हुई मरूं। ऐसा नहीं है कि मैं मरना चाहती थी। मेरे बच्चे अभी छोटे थे। मेरे बिना मेरा पति परेशान रहेंगे। और जब से हमने कैथलिक धर्म को अपनाया था, तब से मैं अपने लेखन के जीवन को और भी अधिक प्यार कर रही थी। मैं चाहती थी कि जो येशु मेरे पास है वह सबके पास हो!

और अद्भुत रूप से दिमाग में ख्याल आया! एक आत्मप्रकाश की किरण ने मुझे प्रभावित किया – मेरे रखवाल  देवदूत सिर्फ मुझे शारीरिक नुकसान से बचाने के लिए यहां नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि मैं स्वर्ग जाऊं। स्वर्ग! हाँ वही जीवन का लक्ष्य है।

परमेश्वर हमसे इतना प्रेम करता है कि वह हमारे गर्भधारण के क्षण से ही एक स्वर्गदूत को नियुक्त करता है जो हमें सभी खतरों से बचाता है और हमें अपने अनंत घर की ओर रास्ता दिखाता है। यह जागरूकता, जो मेरे पास तब से है जब मैं एक छोटी बच्ची थी, अभी भी मुझे चकित करती है। एक बच्ची के रूप में, मुझे परमेश्वर की सुरक्षा पर पूरा भरोसा था। लेकिन मेरे जीवन में मौजूद इस बीमारी की दुख-पीड़ा की समस्या को एक सर्वशक्तिमान ईश्वर में विश्वास के साथ सामंजस्य बिठाना मुश्किल कार्य था। इसलिए, बारह साल की उम्र में मैंने अपना विश्वास खो दिया और अपने रखवाल दूत से बात करना छोड़ दिया। लेकिन, मेरी जानकारी के बिना, मेरा रखवाल दूत तभी भी मेरा मार्गदर्शन कर रहा था।

मैं अपने रखवाल दूत की बहुत आभारी हूँ कि जब मैं बीस और तीस के बीच की उम्र में थी, उस दौरान उसने मुझे मौत से बचाया, क्योंकि उन दिनों मेरी बुद्धि पाप से घिरी रहती थी, और ऐसी परिस्थिति में अगर मैं मौत के करीब आती तो शायद मैं ईश्वर की दया को अस्वीकार कर देती और नरक में चली जाती। यह ईश्वर की कृपा और लंबे समय तक बीमारी के कारण मैं रखवाल दूत की प्रेरणाओं को सुनने और ईश्वर के पास लौटने में सक्षम हूं, और जब मेरी योजना पटरी से उतरती है, तो मैं “मेरी इच्छा नहीं, बल्कि तेरी इच्छा पूरी हो जाए” यह प्रार्थना कर सकती हूं।

मैं पूर्ण विश्वास और समर्पण की उस बचपन की अवस्था में लौट रही हूं। अगर मुझे किसी बात की चिंता है, तो मैं अपने रखवाल दूत से स्थिति को संभालने के लिए कहती हूं। जब मैं अपना धैर्य खोने के कगार पर होती हूं तो मैं अपने बच्चों के रखवाल दूतों को बुलाती हूं। मैं उन सारे लोगों के रखवाल दूतों का भी आह्वान करती हूँ जिनके लिए मैं एक विश्वासयोग्य गवाह बनना चाहती हूँ। स्वर्गीय सहायता प्राप्त करना कितना सुखद है।

रखवाल दूत हमारी प्रार्थनाओं और भेंट को परमेश्वर के सिंहासन तक ले जाते है; वे हमारे साथ पवित्र मिस्सा बलिदान में आते हैं और यदि हम उपस्थित होने में असमर्थ हैं, जैसा कि महामारी के दौरान कई लोगों के लिए था, तो हम अपने स्थान पर हमारे रखवाल दूत को भेजकर हमारे धन्य प्रभु की स्तुति और पूजा करने के लिए कह सकते हैं।

ये स्वर्गीय प्राणी हमारे लिए एक उपहार हैं। आइए हम हमेशा याद रखें कि वे हम पर नज़र रखे हुए हैं और चाहते हैं कि हम स्वर्ग पहुँच जाएँ! अपने रखवाल दूत के साथ एक रिश्ता बनाएं। वे हम में से प्रत्येक के लिए ईश्वर  का उपहार हैं।

हर वक्त मेरी तरफ रहनेवाले मेरे प्रिय रखवाल दूत!

मेरे जैसे दोषी नीच की रक्षा के लिए

स्वर्ग का तेरा घर छोड़ने वाला

तू कितना प्यारा होगा ।

~फादर फ्रेडरिक विलियम फेबर (1814-1863 ई.)

 

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Vijaya Bodach

Vijaya Bodach is a scientist-turned-children’s writer with more than 60 books for children and just as many stories, articles and poems in children’s magazines. You can find out more about her at vijayabodach.blogspot.com

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