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नवम्बर 24, 2022 243 0 Carissa Douglas, Canada
Encounter

असली सक्रिय फ़रिश्ते

क्या स्वर्गदूत  वास्तव में मौजूद हैं? पेश है एक ऐसी कहानी जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।

जब मैं हाई स्कूल में थी, मैं फरिश्तों और स्वर्गदूतों की कहानियाँ पढ़कर रोमांचित होती थी। मैंने अपने द्वारा पढ़ी गई उन कहानियों को दोस्तों और साथी छात्रों के साथ साझा करने की हिम्मत की, जो ये कहानियां सुनकर खुश और उत्सुक होते थे। मेरी उम्मीद से परे, एक लड़के ने विशेष दिलचस्पी दिखाई। एक बार जब हम बच्चे स्कूली बस में सवार हुए थे, और बस बच्चों से भरा हुआ था, वह गुंडई कर रहा था, अपशब्द बोलकर गलत व्यवहार कर रहा था। लेकिन जैसे ही अन्य छात्र चले गए और हम दोनों ही बस में रह गए थे, उसने मेरी ओर मुड़कर कहा, “क्या तुम मुझे फरिश्तों की कोई कहानी सुना सकती हो?” मैंने सोचा कि इसे कुछ आशा देने और स्वर्ग के बारे में बताने का यह मेरे लिए एक बढ़िया मौका होगा, और शायद उस लड़के को ठीक उसी समय इसकी बड़ी ज़रुरत थी।

उन्हीं दिनों, मेरे एक बहुत ही अच्छे शिक्षक थे जिन्होंने मेरे साथ एक अविस्मरणीय कहानी साझा की थी। उनका एक दोस्त एक अंधेरी गली में घबराते हुए चल रही थी  और ईश्वर से सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रही थी। उसने अचानक देखा कि एक आदमी एक एकांत स्थान में खड़े होकर उसे गौर से देख रहा है। जैसे ही उसने और अधिक तीव्रता से प्रार्थना की, वह आदमी उसकी ओर बढ़ा, लेकिन थोड़ी देर रुक गया, फिर अचानक पीछे हट गया और अपना चेहरा दीवार की ओर कर लिया।

बाद में उसे पता चला कि उस जगह से उसके गुजरने के एक घंटे बाद उसी गली में एक युवती पर हमला किया गया था। यह सुनकर वह पुलिस के पास गई और उन्हें बताया कि उसने दूसरी महिला पर हमले से कुछ देर पहले ही उसी गली में किसी को देखा था। पुलिस ने उसे सूचित किया कि उनके पास हिरासत में कुछ संदिक्त लोग हैं और उससे पूछा कि क्या वह उन संदिग्धों की कतार को देखकर उस आदमी को पहचान कर लेगी। वह आसानी से सहमत हो गई। निश्चित रूप से उन संदिग्धों में वह आदमी था जिसे उसने गली में देखा था।

बाद में उस युवती ने पुलिस से उस आदमी से बात करने की अनुमति मांगी और उसे उस आदमी के कमरे में ले जाया गया। जैसे ही उसने प्रवेश किया, वह आदमी खड़ा हो गया और पहचान की दृष्टि से उसे देखने लगा।

“क्या तुम मुझे पहचानते हो?” उसने पूछा। उस आदमी ने सहमति में सिर हिलाया। “हाँ। मैंने तुम्हें वहाँ गली में देखा था ।”

उस महिला ने हिम्मत के साथ आगे सवाल किया। “तुमने दूसरी महिला के बजाय मुझ पर हमला क्यों नहीं किया?” उसने असमंजस में उसकी ओर देखा। “क्या तुम मेरे साथ मजाक कर रही हो?” उसने कहा, ” तुम्हारे आजू बाजे में दो हट्टे कट्टे लोग चल रहे थे, और मैं तुम पर कैसे हमला कर पाता?”

शायद आपको लगे कि यह कहानी मौलिक न हो, लेकिन मुझे यह कहानी पसंद आई। मेरे उस शिक्षक ने मुझे याद दिलाया कि हमारे बचपन से हम रखवाल दूत की बात सुनते आ रहे हैं, वह सिर्फ सुकून देने वाला कोई विचार या सुखद कल्पना नहीं हैं, वे रखवाल दूत और फ़रिश्ते असली हैं। वे शक्तिशाली और वफादार हैं। और उन्हें हमारी निगरानी करने और हमें परमेश्वर की संगति देकर हमारी रक्षा करने के लिए नियुक्त किया गया है। लेकिन क्या हम अपने इन छिपे हुए मित्रों को हल्के में लेते हैं? और जब हमें वास्तव में उनकी आवश्यकता होती है, तब क्या हम उन पर भरोसा करते हैं?

अपने पसंदीदा संतों में से एक, संत पाद्रे पियो से, मैंने अपने रखवाल दूत के बारे में अधिक बार सोचना और उनसे खुलकर बात करना सीखा। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं था कि मेरा रखवाल दूत पहले से ही कड़ी मेहनत कर रहा था और मेरी ओर से आध्यात्मिक लड़ाई लड़ रहा था, लेकिन एक दिन मैंने उसकी उपस्थिति को शक्तिशाली रूप से अनुभव किया।

मैं सत्रह साल की थी, मेरी बस छूट गई थी, और सर्द मौसम के बावजूद, मैंने अपनी बड़ी, लेकिन जाड़े के दिनों में ठण्ड और बर्फ के दिनों में अति संवेदनशील कार से स्कूल जाने का फैसला किया। एक ऊंची, ग्रामीण पहाड़ी पर गाड़ी चलाते समय, कार धीमी होने लगी। मैंने गैस पेडल को एकदम नीचे तक दबाया लेकिन कार केवल रेंगती रही। आस-पास कोई घर नहीं था और मेरे पास मोबाइल फोन नहीं था। अगर कार का ब्रेकडाउन हो जाता, तो मुझे किसी प्रकार की मदद के लिए ठंड के मौसम में लंबी सैर करनी पड़ती। मुझे याद आया कि सड़क से एक मील या उससे भी कम दूरी पर एक रेस्तरां था और मैं इस उम्मीद में थी कि अगर मैं किसी तरह अपने कार से  इस पहाड़ी को पार करती, तो मेरे पास रेस्तरां तक ​​पहुंचने के लिए ढलान से पर्याप्त गति मिल सकती है।

लेकिन कार धीमी हो गई और मुझे पता था कि कोई संभावना नहीं है कि मैं इसे पहाड़ी को पार कर लूंगी। “ठीक है, रखवाल दूत!” मैंने जोर से कहा। “मैं चाहती हूं कि तुम इस कार को धक्का देकर मुझे पहाड़ी के ऊपर तक पहुंचा दो। कृपया, मुझे पहाड़ी के ऊपर तक पहुंचा दो।” कार तेज हो गई। मुझे इसकी गति में अंतर महसूस हुआ, इसलिए मैंने अपने स्वर्गदूत को प्रोत्साहित किया, “हाँ, लगभग पहुँच गए! चलो बढ़ते रहो! कृपया धक्का देते रहो।” कार ऊपर की ओर बढ़ती रही और किसी तरह चोटी पर जा पहुँची। मैं ने पहले कार को तेजी से आगे बढ़ाकर नीचे की ओर उतरना शुरू किया लेकिन जल्द ही गति कम हुई। मैंने दूर से रेस्तरां देखा और मैं अपने रखवाल दूत से कार को धक्का देते रहने की भीख मांगती रही, हालाँकि मुझे नहीं लगा कि मैं रेस्तरां तक पहुँच पाऊँगी।

लेकिन कार को नई गति मिली, बस वह गति पर्याप्त थी, और मैं रेस्तरां की कांच की खिड़की के सामने वाली पार्किंग में जगह निकाल ली। फिर, मानो कि उसे कोई इशारा मिल गया हो, कार बंद हो गई। मैं सोचने लगी, “क्या वह एक संयोग था? मैं आभारी हूं कि सब कुछ इस तरह संभव हुआ।” उसी समय मेरे मन में यह सवाल उठने लगा, “क्या यह वास्तव में मेरे रखवाल दूत का हस्तक्षेप था?” फिर मैंने ऊपर देखा और मैंने रेस्तरां की खिड़की से पीछे की दीवार पर रखवाल दूत की एक विशाल पेंटिंग देखी। यह वह पेंटिंग थी जिसे मैं बचपन से प्यार करती आयी थी, जिसमें दो बच्चों को, उनके रखवाल दूत की चौकस सुरक्षा के तहत, एक खतरनाक पुल को पार करते हुए दिखाया गया है। मैं अभिभूत थी। मुझे बाद में पता चला कि ठण्ड के कारण मेरी कार की ईंधन लाइन पूरी तरह से जम गई थी, इसके बावजूद मैं एक सुरक्षित स्थान पर पहुँच गयी, यही मेरे लिए बड़े आश्चर्य की बात थी।

हो सकता है कि मेरी कहानी मेरे शिक्षक की अविश्वसनीय कहानी जैसी उतनी नाटकीय न हो, लेकिन इस घटना से मेरे विश्वास की पुष्टि हुई कि हमारे रखवाल दूत हम पर नज़र रखते हैं, और हमें मदद मांगने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए – भले ही ज़रूरत पड़ने पर यह छोटा सा धक्का ही क्यों न हो।

मेरा मानना ​​है कि इस तरह की कहानियों को साझा करना, उदाहरण के  लिए संतों की कहानियों को साझा करना, सुसमाचार की घोषणा करने का एक शक्तिशाली तरीका है। रखवाल दूत हमें आश्वासन देते हैं कि हम अकेले नहीं हैं, कि हमारे पास एक पिता है जो हमें इतना प्यार करता है कि हमारी देखभाल करने के लिए वह हमारी जरूरत के समय में रखवाल दूत और फ़रिश्ते रूपी प्यारे सहयोगियों को हमें सौंप सकता है।

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Carissa Douglas

Carissa Douglas is the author and illustrator of the Catholic children’s book series “Little Douglings,” which promotes the sacraments and the culture of life. She is the mother of 14 children. Be sure to check out her site at littledouglings.com where she blogs about her adventurous life with her big Catholic family and shares the humor and joy in her comic series: Holy HappyMess.

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