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अक्टूबर 28, 2023 86 0 Nisha Peters
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चेतावनी का संकेत!

“हम सब अपना-अपना रास्ता पकड़ कर भेड़ों की तरह भटक रहे थे… ।” (इसायाह 53:6)

मेरी वर्तमान मोटर कार में लेन से भटक जाने पर एक चेतावनी प्रणाली है। हर बार जब मैं गाड़ी चलाते समय अपनी निर्धारित लेन से बाहर चली जाती हूं, तो कार मुझे चेतावनी का संकेत देती है।

पहले तो इससे परेशानी होती थी, लेकिन अब मैं इसको पसंद करती हूँ। मेरी पुरानी कार में इतनी उन्नत तकनीक नहीं थी। मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि गाड़ी चलाते समय मैं कितनी बार सीमा से बाहर चली गयी।

पिछले कुछ महीनों में, मैंने मेल-मिलाप या पाप स्वीकार के संस्कार में भाग लेना शुरू कर दिया है। दशकों तक मैंने इस अच्छी रिवाज़ को नजरअंदाज किया था।

मुझे ऐसा लगता था जैसे यह समय की बर्बादी है। मैं मन में सोचती थी: जब कोई व्यक्ति सीधे ईश्वर से बात कर सकता है तो उसे अपने पापों को पुरोहित के सामने स्वीकार करने की आवश्यकता क्यों है? नियमित रूप से अपनी अंतरात्मा की जाँच करना असुविधाजनक है। अपने पापों को सार्वजनिक रूप से, ज़ोर की आवाज़ में स्वीकार करना अपमानजनक है। लेकिन विकल्प तो और भी बुरा है। यह वर्षों तक दर्पण में देखने से इनकार करने जैसा है। हो सकता है कि आपके चेहरे पर हर तरह की चीज़ें चिपकी हों, लेकिन आप इस ग़लत धारणा में रहते हैं कि आप ठीक दिखते हैं।

इन दिनों, मैं साप्ताहिक रूप से पाप स्वीकार संस्कार में जाने का प्रयास करती हूँ। मैं आत्म-चिंतन और अपनी अंतरात्मा की जांच के लिए समय निकालती हूं। मैंने अपने अंदर एक बदलाव देखा है। अब, जैसे-जैसे मैं हर दिन आगे बढ़ती हूं, मेरी आंतरिक चेतावनी प्रणाली फिर से सक्रिय हो गई है। जब भी मैं लक्ष्यहीन प्रयास और अंतहीन खोज के कारण अच्छाई के मार्ग से भटक जाती हूं, तो मेरी अंतरात्मा मुझे संकेत देती है। इससे मुझे खतरे के क्षेत्र में बहुत दूर भटकने से पहले रास्ते पर वापस आने की अनुमति मिलती है।

“आप लोग भेड़ों की भटक गए थे, किन्तु अब आप अपनी आत्माओं के चरवाहे तथा रक्षक के पास लौट आए हैं।” (1 पेत्रुस 2:25)

मेल-मिलाप का संस्कार एक ऐसा उपहार है जिसकी मैंने बहुत लंबे समय तक उपेक्षा की थी। मैं उस भेड़ की तरह थी जो भटक ​​गयी थी। लेकिन अब मैं अपने चरवाहे, मेरी आत्मा के रक्षक की ओर मुड़ गयी हूं। जब मैं भटक जाती हूँ तो वह मेरी आत्मा की जाँच करता है। वह मुझे अच्छाई और सुरक्षा के मार्ग पर पुन: ले आता है।

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Nisha Peters

Nisha Peters serves in the Shalom Tidings’ Editorial Council and also writes her daily devotional, Spiritual Fitness, at susannapeters.substack.com

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