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नवम्बर 02, 2023 300 0 Colum Mc Nabb, Ireland
Encounter

चमत्कार के पंखों पर

गैर-मौखिक स्वलीनता या आटिज्म के साथ जन्मे और आँख की रोशनी धीरे धीरे समाप्त कर देने वाली रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा बीमारी से पीड़ित होने के कारण, वह निराशा के एक खामोश पिंजरे में फंसा हुआ महसूस करता था। वह संवाद करने में अक्षम था और बड़ी मुश्किल से देख पाता था .. ऐसे में कोलम का जीवन कैसे गुज़रता रहा होगा? लेकिन उस केलिए परमेश्वर की योजना कुछ और ही थी…

मेरा नाम कोलम है, लेकिन अपने 24 वर्षों के जीवन दौरान, मैं कभी भी अपना नाम नहीं बोला हूँ, क्योंकि मैं जन्म से ही बोल नहीं पाता हूँ। मेरे बचपन से यह पाया गया कि मैं स्वलीनता (आटिज्म) और सीखने की अक्षमता से पीड़ित हूँ। मेरी जिंदगी बहुत उबाऊ थी। मेरे माता-पिता ने मेरे शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी, अन्य स्वलिन्तिक बच्चों के माता-पिता के साथ एक स्कूल की स्थापना की और इसे जारी रखने के लिए धन संचय हेतु संघर्ष किया। चूँकि मैं संवाद नहीं कर सकता था, इसलिए उन्हें नहीं पता था कि मेरा मस्तिष्क क्या करने में सक्षम है, और मुझे अध्ययन की सारी सामग्री नीरस लगी। लोगों को लगा कि मैं घर पर डी.वी.डी. देखकर ज्यादा खुश हूं। मैं 8 साल का होने के बाद कभी भी छुट्टी मनाने बाहर नहीं गया। मुझे विश्वास नहीं था कि मैं निराशा और हताशा के अपने इस ख़ामोशी के पिंजरे से कभी मुक्त हो पाऊंगा।

दूसरों को जीते हुए देखने का दुःख

मुझे हमेशा लगता था कि येशु मेरे करीब हैं। मेरे शुरुआती दिनों से, वे मेरे सबसे करीबी दोस्त बन गए और आज भी वैसे ही हैं। मेरे सबसे अंधकारमय क्षणों में, वे मुझे आशा और आराम देने के लिए मेरे साथ मौजूद थे। दूसरों द्वारा अपने लिए शिशु समान हमदर्दी पाना ही बहुत थका देने वाला काम था जब कि मै अंदर से बुद्धिमान था। मेरा जीवन असहनीय लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि मैं एक दर्शक के रूप में आधा-अधूरा जीवन जी रहा हूं, दूसरों को जीवन जीते हुए देख रहा हूं, जबकि मुझे जीवन की पूर्णता से बाहर रखा गया है। मैंने कितनी बार यह चाहा कि मैं भी उनकी गतिविधियों में भाग ले सकूं और अपनी असली क्षमता दिखा सकूं।

जब मैं 13 वर्ष का था, तब मेरी दृष्टि कमजोर हो रही थी, इसलिए मुझे इलेक्ट्रो रेटिनोग्राम (ई.आर.जी.) नामक नेत्र परीक्षण के लिए टेम्पल स्ट्रीट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ले जाया गया। परमेश्वर ने मुझे एक और चुनौती दी थी। मुझे रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (आर.पी.) का पता चला था, ऐसी स्थिति जहां आंख के पीछे रेटिना की कोशिकाएं मर जाती हैं और उन्हें प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है, इसलिए दृष्टि धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है। इसे ठीक करने का कोई चिकित्सकीय इलाज नहीं है। मैं बरबाद हो गया था। यह मेरे लिए बहुत भयानक आघात था और मैं दुःख से अभिभूत हो गया। कुछ समय के लिए, मेरी दृष्टि स्थिर हो गई, जिससे मुझे आशा हुई कि मैं कुछ दृष्टि बनाए रख पाऊंगा, लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरी दृष्टि और भी बदतर होती गई। मैं इतना अंधा हो गया कि अब मैं अलग-अलग रंगों के बीच अंतर नहीं बता पा रहा था। मेरा भविष्य अंधकारमय दिख रहा था| मैं संवाद नहीं कर सकता था, और अब मैं मुश्किल से देख पा रहा था।

समावेशन और दूसरों के साथ संवाद के अभाव में मेरा जीवन और भी धूसर निराशा में आगे सरकता रहा। मेरी माँ को अब विश्वास हो गया कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो मुझे किसी संस्था में भर्ती करना होगा। मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं पागलपन की कगार पर लड़खड़ा रहा था। मेरे और पागलपन के बीच केवल परमेश्वर खड़ा था। प्रभु येशु का प्रेम ही मुझे स्वस्थ रखता था। मेरे परिवार को मेरे संघर्ष के बारे में कुछ भी नहीं पता था, क्योंकि मैं उनसे बात नहीं कर सकता था, लेकिन मेरे दिल में, मुझे लगता था कि येशु मुझसे कह रहे हैं कि मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगा।

मेरे अंदर का भंवर

अप्रैल 2014 में कुछ अद्भुत घटित हुआ। मेरी मां मुझे मेरी पहली आर.पी.एम. (रैपिड प्रॉम्प्ट मेथड) कार्यशाला में ले गईं। मैं शायद ही उस पर विश्वास कर पाया था। अंततः मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिला जो मुझ पर विश्वास करता था, जिसे विश्वास था कि मैं संवाद कर सकता हूँ, और जो मुझे यह सीखने में और कड़ी मेहनत करने में मदद करेगा। क्या आप मेरी ख़ुशी की कल्पना कर सकते हैं? एक पल के लिए, मेरे दिल में आशा उमड़ पडी – हाँ आशा, डर नहीं, इसकी आशा कि मेरा असली व्यक्तित्व सामने आ सकता है। आख़िरकार मदद आ ही गई। यह सोचकर मेरे अंदर खुशी का संचार हो गया कि अन्ततोगत्वा किसी ने मेरी क्षमता को देख लिया था । इस प्रकार मेरे जीवन को बदलने वाली यात्रा शुरू हुई।

शुरुआत में यह बहुत कठिन काम था, हर वर्तनी के सटीक उच्चारण में सक्षम होने के लिए, मोटर मेमोरी हासिल करने के लिए कई हफ्तों का अभ्यास करना पड़ा। यह हर मिनट में फायेदेमंद था| जैसे ही मुझे आख़िरकार अपनी आवाज़ मिली, मेरी आज़ादी की भावनाएँ बढ़ने लगीं। जैसे ही परमेश्वर ने मेरी कहानी में यह नया अध्याय शुरू किया, ऐसा लगा जैसे मेरा जीवन आखिरकार शुरू हो गया है। आख़िरकार, मैं अपने परिवार को बता सका कि मैं कैसा महसूस कर रहा था और मैं परमेश्वर के प्रति बहुत आभारी महसूस कर रहा था।

लात मार और काट

चलिए, मई 2017 की ओर। मेरी दादी ने हमें बताया कि कुछ साल पहले उन्होंने संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के बारे में एक बहुत ही अद्भुत सपना देखा था। सपने में, व पोप जॉन पॉल से अपने पोते-पोतियों के लिए प्रार्थना करने के लिए कह रहीं थीं और यह इतना अद्भुत था कि उन्होंने इसे एक कॉपी में लिख लिया। बाद में वह इसके बारे में भूल चुकी थीं, बहुत दिनों बाद कॉपी मिलने पर उन्होंने मेरे और मेरे भाई-बहनों को संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के प्रति एक नव रोज़ी प्रार्थना शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लोगों के एक समूह से, सोमवार, 22 मई से शुरू होने वाली नोवेना प्रार्थना, हमारे साथ करने के लिए कहा। मंगलवार, 23 तारीख को सुबह लगभग 9 बजे, मैं रसोई के बाहर अपने कमरे में एक डी.वी.डी. देख रहा था। पिताजी काम पर गए थे और माँ रसोई में सफ़ाई कर रहीं थीं ।

अचानक, हमारे घर का कुत्ता बेली, मेरे कमरे के दरवाजे पर भौंकने लगा। उसने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया था, इसलिए माँ को लगा कि कुछ गड़बड़ है। वह दौड़कर अंदर आई और मुझे दौरे की हालत में पाया। यह उनके लिए बहुत डरावना था| मैं इधर-उधर हाथ-पैर मार रहा था और मैंने अपनी जीभ काट ली थी इसलिए मेरे चेहरे पर खून लग गया था। अपनी परेशानी में माँ को ऐसा लगा जैसे कोई कह रहा हो, “बस भरोसा करो। कभी-कभी चीज़ें बेहतर होने के लिए ही ख़राब हो जाती हैं।”

माँ ने पिताजी को फोन किया, और उन्होंने घर आने का वादा किया। उन्होंने माँ से मेरा एक वीडियो लेने के लिए कहा जो अस्पताल पहुंचने पर बहुत उपयोगी बन गया था। जब झटके बंद हो गए तो मैं दो मिनट से अधिक समय तक बेहोश पड़ा रहा। इस कठिन परीक्षा के दौरान मैं होश खो बैठा था और मुझे इसके बारे में कुछ भी याद नहीं था, लेकिन माँ मेरे लिए प्रार्थना कर रहीं थीं और मेरी सुरक्षा के लिए मेरी देखभाल और निगरानी कर रहीं थीं ।

रोशनी का एक क्षण

जब मुझे होश आया और लड़खड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़ा हुआ, तो मैं बहुत अस्थिर था। माँ और पिताजी ने मुझे अस्पताल (यू.सी.एच.जी.) तक ले जाने के लिए कार में बिठाया। अस्पताल में डॉक्टरों ने मेरी जांच की और आगे की जांच के लिए मुझे भर्ती कर लिया। कर्मचारी मुझे एक्यूट मेडिकल वार्ड में ले जाने के लिए व्हीलचेयर के साथ आया। जब मुझे गलियारे में घुमाया जा रहा था, अचानक मेरी दृष्टि में एक बहुत ही आकस्मिक सुधार हुआ।

उस पल की अपनी भावनाओं का वर्णन मै कैसे कर सकता हूँ ? मैं अपने आस-पास के दृश्यों की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया। सब कुछ बहुत अलग और स्पष्ट दिख रहा था। यह अद्भुत था! यह बताना असंभव है कि रोशनी के उस क्षण में मुझे कैसा महसूस हुआ। मैं रंग और आकार की दुनिया में लौटने पर अपने आश्चर्य की सीमा को व्यक्त नहीं कर सकता था। यह मेरे जीवन का अब तक का सबसे अच्छा पल था!

जब माँ ने मुझसे पूछा कि क्या मुझे कुछ कहना है तो मैंने कहा, “मेरी आँखें बेहतर हैं।” माँ आश्चर्यचकित थीं। उन्होंने पूछा कि क्या मैं अपने कक्ष के बाहर मशीन पर स्टिकर देख सकता हूँ। मैने कहा हाँ। “उन्होंने पूछा कि क्या मैं पढ़ सकता हूँ कि स्टिकर के ऊपर क्या लिखा है। मैंने कह दिया, “मैं साफ़ साफ़ देख और पढ़ रहा हूँ।” वह इतनी चकित थी कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या सोचे या कैसी प्रतिक्रिया दे। मैं स्वयं नहीं जानता था कि उस क्षण मुझे कैसा महसूस हो रहां था !

जब पिताजी और मेरी बुआ अंदर आए, तो माँ ने उन्हें बताया कि क्या क्या हुआ था। पिताजी ने कहा, “हमें इसकी जांच करनी होगी”। वे मेरे बिस्तर के आगे पर्दे के पास गये और चॉकलेट का एक छोटा बैग उठाया। बैग पर जो लिखा था, उसे मैंने बता दिया। फिर थोड़ी देर के लिए यह तीव्र आग का दौर था क्योंकि वे मुझे अगले कुछ मिनटों में बहुत सारे शब्द बोलते रहे जिनको मुझे लिखना था। मुझे सभी शब्दों की वर्तनी सही से मिलने लगी थी। मेरी चाची और माता-पिता आश्चर्यचकित थे।

यह कैसे संभव हुआ? एक अंधा आदमी सभी शब्द सही-सही कैसे लिख सकता है? यह चिकित्सकीय दृष्टि से असंभव था। रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा में कोई भी चिकित्सकीय उपचार मदद नहीं कर सकता है। आयुर्विज्ञान में इसका कोई इलाज नहीं है| अवश्य ईश्वर ने संत जॉन पॉल द्वितीय की मध्यस्थता के माध्यम से चमत्कारिक ढंग से मुझे ठीक किया था। इसे किसी अन्य तरीके से नहीं समझाया जा सकता| मैं अपनी दृष्टि बहाल करने के लिए परमेश्वर का बहुत आभारी हूं। यह सच्ची ईश्वरीय दया का कार्य है। अब मैं बोलने के स्वतंत्र संचार के लिए एक की-बोर्ड का उपयोग करने में सक्षम हूं जो बहुत तेज़ है।

मेरी प्रार्थनामई माँ

मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने अपने विश्वास को कैसे बनाए रखा। जब कभी मुझे निराशा महसूस हुई तब तब मुझे कई बार संदेह भी हुआ। यह केवल येशु ही थे जिन्होंने मुझे स्वस्थ रखा। मुझे अपना विश्वास अपनी माँ से मिला था। उनका विश्वास बहुत मजबूत है। जब समय कठिन था तब उन्होंने मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया। अब मुझे पता है कि हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया गया है। मुझे अपनी आंखों की रोशनी वापस पाने की आदत डालने में थोड़ा समय लगा। मेरे मस्तिष्क और शरीर का वियोग बहुत अधिक था और मेरा मस्तिष्क कार्यात्मक तरीके से दृष्टि का उपयोग करने के लिए तैयार नहीं था। चारों ओर दृष्टि डालना और देखना ठीक था, लेकिन मेरे मस्तिष्क को मेरी दृष्टि से जानकारी का उपयोग करने में कठिनाई हो रही थी। उदाहरण के लिए, हालाँकि मैं देख सकता था, फिर भी मुझे यह पहचानने में कठिनाई हो रही थी कि मैं क्या ढूँढ रहा था। कभी-कभी मैं लड़खड़ाकर निराश हो जाता था क्योंकि दृष्टि होने के बावजूद मैं नहीं देख पाता था कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।

सितंबर में, मैं जांच के लिए वापस अस्पताल गया। मेरी दृष्टि और रंग पहचान के लिए मुझे 20:20 स्कोर मिला था, इसका मतलब मेरी दृष्टि अब सामान्य है। हालाँकि, रेटिना की तस्वीर अभी भी अध:पतन दिखाती है। इसमें सुधार नहीं हुआ था। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मेरे लिए स्पष्ट देखना असंभव है। इसका मतलब मुझे अभी भी एक धुंधली, धूसर दुनिया में फंसा रहना चाहिए। लेकिन परमेश्वर ने अपनी दया से मुझे उस नीरस पिंजरे से मुक्त कर दिया और मुझे रंग और रोशनी की एक खूबसूरत दुनिया में पहुंचा दिया। डॉक्टर हैरान थे| वे अभी भी चकित हैं, लेकिन मैं खुश हूं क्योंकि मैं अभी स्पष्ट देख सकता हूं।

अब, मैं कई काम पहले से बेहतर कर सकता हूं। अब मैं माँ को बातें बहुत तेजी से बता सकता हूँ क्योंकि मैं लेमिनेटेड वर्णमाला शीट का उपयोग कर सकता हूँ। यह स्टेंसिल की तुलना में बहुत तेज़ है। मैं अपनी प्रतिभाशाली मां का बहुत आभारी हूं क्योंकि कठिनाइयों के बावजूद उसने मेरी शिक्षा को जारी रखा और मेरे उपचार के लिए इतनी ईमानदारी से वह प्रार्थना करती रही।

सुसमाचारों में, हम येशु द्वारा कई अंधों की दृष्टि बहाल करने के बारे में सुनते हैं, वैसे ही येशु ने मेरी दृष्टि बहाल की। इस आधुनिक समय में बहुत से लोग चमत्कारों के बारे में भूल गए हैं। वे उपहास करते हैं और सोचते हैं कि विज्ञान के पास सभी जवाब हैं। ईश्वर उनकी सोच और विचारों से बाहर हो गया है। जब मेरी चंगाई जैसा कोई चमत्कार होता है, तो वह प्रकट करता है कि वह अभी भी जीवित और शक्तिशाली है। मुझे आशा है कि चमत्कार की मेरी यह कहानी आपको आप से बेहद प्यार करनेवाले उस ईश्वर के प्रति अपना हृदय खोलने के लिए प्रेरित करेगी। दयालु पिता आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है।

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Colum Mc Nabb

Colum Mc Nabb is a young aspiring writer. Diagnosed with moderate autism and severe learning disability, he is non-verbal. Yet his deep spirituality is evident as he transpires now that it was Jesus who kept him sane in those years of silence. Column lives with his family in Galway, Ireland.

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