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अप्रैल 19, 2022 530 0 Shelina Guedes
Encounter

कैथलिक होना क्या बस एक परंपरा है ?

उन दिनों मैं अपने माता-पिता को खुश करने के लिए ही गिरजाघर जाती थी। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वहां ऐसा कोई है, जो मुझ से प्यार करता है, जब मुझे इसकी परवाह नहीं है तब भी वह प्यार करता है।

भारत देश के एक कैथलिक परिवार में मेरा जन्म हुआ था, इस लिए मेरा कैथलिक होकर जीवन जीना बस परम्परा के कारण ही था, विश्वास के कारण नहीं। इतवार को गिरजाघर जाना और परम प्रसाद ग्रहण करना बस एक रीति रिवाज़ बन गया था, और येशु के साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं था। मैं ने अपने विश्वास पर कभी गंभीरता से सोच विचार नहीं किया था। यह मेरे माता-पिता को खुश करने के लिए था, इसलिए उनके लिए मैं गिरजाघर जाया करती थी ।

तेरह साल की नाजुक उम्र में जब मैं इंग्लैंड पहुंची, मेरी ज़िन्दगी एक बड़ी उलटफेर से गुजरी। मेरे विस्थापन के अनुभव के बीच में, स्कूल में मेरे साथ रैगिंग की गयी। वह इतना भयंकर और डरावना अनुभव था कि मुझे लगा कि मैं कूड़े के अम्बार में पडी कीड़ा हूँ। मैं नहीं समझ पायी कि मेरे साथ क्या हो रहा है, और मैं अवसाद की शिकार हो गयी और सोचने लगी, “मैं क्यों ज़िंदा हूँ?”

मैं ने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया, मेरा रिजल्ट बेहतर होने लगा, इसलिए बेर्मिंघाम विश्वविद्यालय में फार्मेसी की पढ़ाई करने का मुझे अवसर मिला। कुछ युवा लोगों के एक दल से मेरी मुलाक़ात हुई। जीवन में पहली बार अनुभव किया कि जैसा मैं हूँ वैसा उन्होंने मुझे स्वीकार किया, इस अनुभव से मैं आश्चर्यचकित और अभिभूत थी। हालांकि वह अच्छा अनुभव था, लेकिन जब वे प्रार्थना करने के लिए एकत्रित होते थे, तो मुझे बड़ा अजीब लगता था, क्योंकि मैं इस तरीके की प्रार्थना से परिचित नहीं थी। जब वे परमेश्वर की स्तुति करते थे, मुझे यह बिलकुल अजीबो गरीब लगता था, क्योंकि येशु के साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं था ।

वे ‘जीसस यूथ’ नामक युवाओं के एक अंतर्राष्ट्रीय कैथलिक करिश्माई आन्दोलन के हिस्से थे। यद्यपि मैं उन्हें समझ नहीं सकी, फिर भी मैं उनकी प्रार्थना सभा में जाती रही, क्योंकि उन्होंने मुझे स्वीकार किया था, और मैं ने उनके साथ “जाने की हिम्मत उठाओ” नामक एक सम्मलेन में जाने का निर्णय लिया। आतंरिक चंगाई के सत्र में अतीत में मेरे साथ घटित सभी बातों की स्मृतियों की बाढ़ मेरे अन्दर उमड़ने लगी | मैं अपने रुदन को रोक नहीं पायी, लेकिन मुझे अनुभव हुआ कि पिता ईश्वर मुझे अपने आलिंगन में ले रहा है और मैं जान गयी कि उस दौरान प्रभु येशु मुझे अपने बाहों में लेकर चल रहा था।

मुझे आखिरकार एहसास हुआ कि मैं जैसी थी, उस स्थिति में किसी ने मुझे प्रेम किया और उसने मेरे ऊपर दोष नहीं लगाया। जब मैं उसे जानती तक नहीं थी और जब मैं ने उसके प्रेम के बदले अपना प्रेम नहीं दिया था, उस समय भी वह हमेशा मेरे साथ था। इस लिये मैं उन युवा लोगों, और उस विचार के अन्य लोगों के साथ अधिक समय बिताने लगी। मैं ने ईश्वर से पूछा कि मैं कैसे उसकी सेवा कर सकती हूँ, और उसने मेरे मार्ग पर सही लोगों को भेजा। मैं ने पाया कि उसने मुझे संगीत का उपहार दिया था – संगीत के माध्यम से गाकर उसको महिमान्वित करने और उसके प्रेम को दूसरों के साथ साझा करने का उपहार। जितना अधिक मैं उसके लिए गाती हूँ, जितना अधिक मैं अपने स्वर के माध्यम से ईश्वर की स्तुति और महिमा गाती हूँ, उतना ही अधिक मैं ख्रीस्त प्रभु की ओर आकर्षित हो जाती हूँ। ख्रीस्त का बेशर्त प्रेम ही मुझे आगे बढाता है और मुझे उसके साथ जोड़कर रखता है।

लेकिन मैं पूर्णता की मिसाल नहीं थी। बहुत सारे अन्य युवा लोग जिन चीजों से सुख पाने का प्रयास करते थे, उन चीज़ों को हासिल करने का मैं ने भी निर्णय लिया। उस भीड़ का हिस्सा होने के लिए मैं ने शराब की मदद ली। और इस तरह भटक जाने पर भी मुझे वापस पटरी पर लाने के लिए ईश्वर मेरे साथ रहा। उसने कुछ लोगों को मेरी ज़िन्दगी में रख दिया जो मुझे बड़ी सौम्यता के साथ ईश्वर की ओर वापस ले आये। वह बहुत ही प्रेमी ईश्वर है। उसने मुझे कभी न जबरन धकेला, न जबरन अपनी ओर खींचा। उसने बड़े सब्र के साथ मेरे लिए इंतज़ार किया और मेरे लिए अनगिनत मौके, बार बार प्रदान किये, ताकि मैं उसके पास वापस आऊँ और उसके प्रेम को अनुभव करूँ।

जितना अधिक मैंने ख्रीस्त को जाना, उतना ही अधिक मैंने अपनी दुर्बलता को पहचाना। प्रतिदिन उसने मेरे बारे में कुछ न कुछ पर्दाफ़ाश किया, जिसके बारे में मुझे जानकारी नहीं थी। मेरी कमजोरियां और मेरे संघर्ष उसके निकट पहुंचने में मेरे लिए अवसर बन गए, जबकि मैं सोचती थी की यदि मैं ने अपनी कमियों को दूसरों के साथ साझा किया तो वे मेरा तिरस्कार करेंगे, और मुझ पर दोष लगायेंगे। लेकिन मैं मिस्सा बलिदान या आराधना में बारबार उसके पास जा सकती हूँ, अपनी दुर्बलताओं को उसे दे सकती हूँ, और उन दुर्बलताओं को मुझ से उठाने का निवेदन कर सकती हूँ। एक अमूल्य रत्न की तरह वह मुझे प्रतिदिन परिष्कृत करता है। उसके प्रेम के प्रति आकर्षित होने से मैं अपने आपको रोक नहीं पाती हूँ।

हमारा आपसी रिश्ता इतना मज़बूत हो गया कि यदि मैं उसका तिरस्कार करना चाहूं, तब भी नहीं कर पाऊँगी, और यदि मैं पाप में गिरकर उसका तिरस्कार करूंगी, तब भी ईश्वर का प्रेम मुझे फिर उठाता है। हर बार जब मैं गिरती हूँ, तब वह बोलता है कि “कोई बात नहीं”, और यही बात मुझे उससे जोड़कर रखती है। जब मैं मिस्सा बलिदान में जाती हूँ, तो मिस्सा बलिदान में मुझे येशु ख्रीस्त से मुलाक़ात करने का मूर्त और ठोस अनुभव होता है। जब जब मैं उसे ग्रहण करती हूँ, मैं आंसू बहाती हूँ, क्योंकि मैं अपने दुर्बल और पापमय शरीर में पवित्रतम येशु को ग्रहण कर रही हूँ, और वही मुझे दिन प्रतिदिन मज़बूत करता है।

जब मैं ने ख्रीस्त के साथ यह सफ़र शुरू किया, और उसे व्यक्तिगत रूप से अनुभव करने लगी, तब मुझे एहसास हुआ कि मेरे चारों तरफ क्या हो रहा है। मुझे यह भी एहसास हुआ कि मेरे पास कितना धन है, या कितने मित्र हैं, इन सब का कोई मतलब या महत्त्व नहीं है। पहले मुझे लोगों की सहमति और प्रोत्साहन की तलाश थी, और जिस वक्त उन्होंने मेरा तिरस्कार किया, उस वक्त मेरा आनंद गायब हो जाता था। जब ख्रीस्त आप के साथ हैं, तो कोई मायना नहीं रहता कि लोग आपको सहमति या प्रोत्साहन देते हैं या नहीं। वह कहता है, “मैं ने तुम्हें चुना है”, और जब मैं यह वचन सुनती हूँ, मुझे लगता है कि मैं ने सब कुछ हासिल किया है। इस से मुझे अपार ख़ुशी, शांति और आनंद मिल जाते हैं। येशु को एक अवसर देकर आप के जीवन में फरक लाने के लिए मैं आप को भी आमंत्रित करती हूँ। वह आपके दरवाज़े पर खटखटाते हुए खड़ा है, लेकिन उसे खोलने केलिए वह बल प्रयोग नहीं करेगा, आप को आमंत्रण दिया जाता है कि आप उसके लिए द्वार खोल दें। यदि आप द्वार खोलेंगे, तो आप को कभी पछताना नहीं पडेगा। इस तरह आप अनगिनत अच्छी बातों के लिए द्वार खोल देंगे। जो अनुग्रह की वर्षा वह आप के ऊपर बरसाएंगे और उसकी मदद से आप जो भी प्राप्त करेंगे, वे अगण्य और असीमित होंगे। उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं। जिन बातों की मैं जभी कल्पना भी नहीं कर सकती थी, उनके प्रति हाँ कहने केलिए उसने मुझे अपार हिम्मत दी है।

अपने रोज़मर्रा की गतिविधियों में से एक साल का अवकाश लेकर जीसस यूथ के साथ मिलकर मिशन कार्य करने का बल और साहस येशु ने मुझे साहस और बल दिया। मैं ने उसे स्पष्ट रूप से यह कहते हुए सुना: ”शेलीना, मैं चाहता हूँ कि तुम इस एक साल की छुट्टी ले लो। मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि तुम मेरे द्वारा और कितनी अधिक उपलब्धि प्राप्त करोगी।“ यात्रा करने, नए लोगों से मिलने, और अपरिचित लोगों के साथ समय बिताने को लेकर मैं हमेशा आशंकित रहती थी। उसकी संगति में मैं अपने आराम और सुविधापूर्ण परिधि से बाहर निकलकर उपरोक्त कार्यों को कर पा रही थी, और उसका मज़ा भी ले रही थी।

वह निरंतर आत्म केन्द्रित भय कि लोग मुझ पर आरोप लगायेंगे, मुझे दोषी ठहराएंगे, अब वह भय मुझसे गायब हो गया है, क्योंकि येशु ख्रीस्त को दूसरों को देना मेरे जीवन का एक ख़ास मकसद बन गया है। इससे बढ़कर कोई उपहार मैं किसी को नहीं दे सकती, और प्रभु हमारे प्रेम के लायक है। यदि उसने 99 को छोड़कर मेरी खोज में आया है, तो मुझे पक्का विश्वास है कि वह आप की भी तलाश में है, और आप को घर वापस बुला रहे हैं।

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शालोम वर्ल्ड कार्यक्रम यू –टर्न के लिए शेलीना गुएदेस द्वारा दी गयी गवाही पर यह लेख आधारित है। उन एपिसोड्स को देखने के लिए shalomworld.org/episode/u-turn पर जाएँ।   

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