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मार्च 16, 2022 570 0 तेरेसा एन वीडर , USA
Encounter

किस चीज़ से आपका प्याला भरा हुआ है ?

जब मैं अपने घर की सघन सफाई की प्रक्रिया और परिणामों के बारे में सोचती हूँ तो लगता है कि इस से बहुत अच्छा और संतोषजनक परिणाम निकलता है। हफ्तों तक, और कभी-कभी महीनों तक, सफाई की मेरी कोशिशों के दृश्यमान फल का आनंद मेरा पूरा परिवार अनुभव करता हैं। जब पूरे घर की सघन सफाई की इच्छा होती है, तो एक हिस्सा निपट जाने की संतुष्टि अक्सर घर के अन्य हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करने की इच्छा जागृत करती है, जिन पर उतना ही ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

इस तरह की सफाई अक्सर अनावश्यक वस्तुओं से मुक्त होने के लिए मजबूर करती है और कार उन चीजों के बक्से से लद जाती है जो आखिरकार किफायती दुकान पहुँच जाती हैं। एक दोपहर एक कार लोड के साथ किफायती दुकान की ओर बढ़ते हुए, मैं ने महसूस किया कि मैं ने ही उन बक्सों में पड़ी अधिकांश चीजें खरीदीं थीं। हालाँकि मुझे खरीदारी के समय इसका एहसास नहीं हुआ था, लेकिन मैंने ही खरीदारी करके अपने जीवन और घर को उन बोझिल चीजों से अस्त-व्यस्त करने का काम किया था। इसी तरह, यह विचार मुझ में आया कि यही दुविधा मेरे व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में भी आ गई है। इतने सालों में मैंने अपने शेड्यूल को इतने सारे “दैनिक कार्यसूची” से भर दिया था कि मैंने अपने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। उस विचार ने मुझे जागरूक किया कि मुझे कुछ बदलाव करने की जरूरत है।

मेरा प्याला लबालब भर के बह निकला

विवाहित जीवन तब शुरू हुआ जब मेरी उम्र कम थी और मैं ऊर्जा से भरपूर थी। ईश्वर ने हमें जल्दी ही संतान देकर अनुग्रहीत किया। हमने बच्चों के साथ आने वाली सभी जरूरतों और कार्य गतिविधियों को अपनाया। इस तरह मैं एक व्यस्ततम पत्नी और माँ बनी। मेरा प्याला न केवल लबालब भरा हुआ था… वह बह निकल रहा था। हालाँकि, मेरा प्याला जितना भरा हुआ लग रहा था, मेरे भीतर उतना ही एक बढ़ता हुआ खालीपन विकसित हो गया।

जीवन अस्त-व्यस्त और अव्यस्थित जैसा महसूस हुआ, लेकिन मेरे पास यह पता लगाने का समय नहीं था कि मेरी आत्मा को बेचैन करने वाली वह कौन सी बात है। परमेश्वर ने मेरे हृदय में एक बढ़ती हुई इच्छा को रखा था कि मैं उसके साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करूँ। मैं परमेश्वर के बारे में कई टूटी-फूटी या खंडित बातें जानती थी, लेकिन मुझे उसकी पूरी कहानी या उस कहानी में मेरा अपना स्थान समझ में नहीं आया। मेरे पास ईश्वर के लिए बहुत कम समय था, गुणवत्तापूर्ण समय की तो बात ही छोड़िए।

धीमा प्रभाव

मुझे याद आ रही है कि पंद्रह साल बीतने और चार बच्चों को जन्म देने के बाद, एक सुबह मैं अत्यधिक थकावट महसूस कर रही थी, ऐसी थकावट की भावना जो मेरे अन्दर काफी दिनों से उभर रही थी। यह मामूली थकान से कहीं अधिक था। जीवन की गति निर्मित हुई, तेज हुई और साल-दर-साल बढ़ती गई, जिसने अंततः मेरे मन, शरीर और आत्मा को खाली कर दिया। मैं आखिरकार हताशा में ईश्वर के पास पहुंची। मैं प्रभु के सम्मुख चिल्लायी, “प्रभु… मेरी गति धीमी कर दे! मैं सब कुछ नहीं कर सकती और मैं निश्चित रूप से इसे इस रफ़्तार से नहीं चला पाती। तू कहां है? मुझे पता है कि तू वहाँ है। मुझे तेरी ज़रूरत है!”

मैंने सुना है कि आप जिस चीज के लिए प्रार्थना करते हैं, उससे सावधान रहें, क्योंकि हो सकता है कि आपको वह मिल जाए। खैर, परमेश्वर धैर्यपूर्वक और दयापूर्वक मेरी पुकार के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा था। मेरी हताशभरी प्रार्थना के बाद, कुछ व्यस्त महीनों के भीतर ही, मुझे एक जहरीली मकड़ी ने काट लिया, जिस कारण मैं विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के गर्त्त की ओर धकेल दी गयी। सारी गतिविधियाँ सिर्फ धीमी ही नहीं, बल्कि पूरी तरह से रुक गईं। मैं बेहद कमजोर और दर्द से पीड़ित होकर बिस्तर पर पडी हुई थी। एक डॉक्टर के बाद दूसरा डॉक्टर, जांच के बाद जांच, दिन-ब-दिन… मैं धीरे-धीरे बीमारी के निचले पांवदान तक फिसलती और लुढ़कती गयी। आईने से जो कमजोर महिला मेरी ओर देख रही थी, वह एक अजनबी थी; मेरा एक खोल या ढांचा। “प्रभु, मेरी मदद कर,” मैं रोयी।

संजोकर रखने लायक दोस्ती

काम करने की ऊर्जा बिलकुल नहीं रह गई थी, इसलिए मेरे दिन बहुत लम्बे, उबाऊ और बोरियत से भरपूर थे। एक दोपहर को, मेरे बिस्तर के बगल की तिपाई पर धूल भरी बाइबल ने मेरा ध्यान आकर्षित किया। कुछ दिलासा पाने की उम्मीद में, कुछ प्रेरक शब्द की खोज में, मैंने बाइबिल के सुनहरे पन्ने खोले। उसके बाद दिन-ब-दिन, वह पुस्तक एक स्वागत योग्य और क़ीमती मित्र बन गई। हालाँकि, जब मैंने यह समझने की कोशिश की कि यह ईश्वर कौन है, तो मुझे अपने दिमाग में उत्तर से ज्यादा प्रश्न मिले। जो कुछ काम उसने किया था, वैसा काम उसने क्यों किया? अलग अलग घटनाएं एक दूसरे के साथ कैसे संबंधित हैं? मैं, इस बिस्तर पर लेटी लेटी सोचने लगी कि उसकी कहानी में मेरा औचित्य कहाँ और कैसे हो सकता है? वह अब कहाँ है? क्या वह मुझे सुनता है? मेरे प्रश्न पूछने से पहले ही परमेश्वर मेरे जीवन में सही लोगों को बैठाने का काम कर रहा था। मेरे लिए उसकी मदद शायद मार्ग में ही थी।

बीमार होने से कुछ महीने पहले, मैं ने प्रिसिला नाम की एक प्यारी सी बुजुर्ग महिला को मेरे बच्चों और मुझे पियानो सिखाने के काम पर रखा था। वह साप्ताहिक प्रशिक्षण के लिए हमारे घर आती थी। हालाँकि वह अभी भी मेरे बच्चों को पढ़ाने आती है, लेकिन मुझे अपना क्लास रद्द करना पड़ा, क्योंकि मैं बड़ी कमजोरी और थकान का अनुभव करती थी। जब प्रिसिला को पता चला कि मैं बहुत ज़्यादा बीमार हो गयी थी, तो उन्होंने अपने विश्वास को मेरे साथ साझा किया और मेरी चंगाई के लिए मेरे साथ प्रार्थना करने का प्रस्ताव रखा। उस पल हमारे बीच एक ऎसी दोस्ती चालू हो गयी जिसे मैं आज तक संजोकर रखती हूं।

ईश्वर के लिए कुछ

अगले हफ्ते, प्रिसिला ने मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछा। किसी शारीरिक सुधार नहीं दिखाई दे रहा था, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि मैंने बाइबल पढ़ना शुरू कर दिया है और इससे मुझे सुकून मिल रहा है। हालाँकि, मैंने स्वीकार किया कि मुझे कुछ ऐसे अंश समझ में नहीं आए, जिसके कारण मुझे निराशा हो रही है। मुझे पता ही नहीं था कि हमारे पियानो प्रशिक्षक पवित्र ग्रन्थ की ज्ञानी थी। परमेश्वर और उसके वचन के लिए अपने प्रेम को समझाते हुए उनकी आँखें चमक उठीं। उन्होंने वादा किया कि वे अगले सप्ताह फिर लौटेंगी और हमारे पियानो क्लास के समय के बदले मेरे साथ बाइबल क्लास के लिए समय देंगी। परमेश्वर मेरे जीवन में प्रिसिला (जिसका अर्थ है प्रभु की प्रसन्नता) को लाया था और दो वर्षों से अधिक समय तक उन्होंने पवित्र ग्रन्थ के बारे में मेरे सवालों का जवाब बड़ी ख़ुशी से दिया। उन्होंने मेरे साथ प्रार्थना की और एक सार्थक प्रार्थना-जीवन विकसित करने में मेरी मदद की। प्रार्थना में समय देने के फलस्वरूप परमेश्वर के साथ मेरा एक सुंदर व्यक्तिगत संबंध पैदा हुआ। वह खोखली बेचैनी धीरे धीरे अदृश्य होने लगी।

अत्यधिक बीमार होने के बावजूद, मेरे मन में यह विचार आया कि मैं अपना ध्यान स्वयं से हटाकर ईश्वर के लिए कुछ करने का प्रयास करूँ। ईश्वर ने मुझे कई प्रतिभाएं दी हैं, लेकिन मेरी हालत ऐसी थी कि मेरे पास उसे देने के लिए बहुत कम बातें थीं। मैंने प्रार्थना की, “हे ईश्वर, मुझे लगता है कि मैं अभी भी बुनाई/कढ़ाई कर सकती हूं”। मुझे पता नहीं था कि मेरी बुनाई-कढाई की कला को ईश्वर किस तरह उपयोग कर सकता है, लेकिन मैंने ऐसी ही प्रार्थना की ।

अगले रविवार, चर्च जाकर मिस्सा बलिदान में भाग लेना बीमारी की हालत में मेरे लिए असंभव जैसा था, इसलिए स्थानीय कैथलिक चैनल पर मिस्सा कार्यक्रम खोजने की उम्मीद में मैंने टीवी ऑन किया। इसके बजाय, उसी क्षण, मेरे घर की गली के नीचे के एक चर्च से एक कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा था। मेरे कुछ दोस्त और पड़ोसी उस चर्च में शामिल हुआ करते थे, इसलिए मैंने सोचा कि क्या उनमें से कोई इस समय वहां मौजूद होगा? जैसे ही आराधना समाप्त हुई, एक महिला यह घोषणा करने के लिए खड़ी हुई कि वे “प्रार्थना शॉल (चादर) सेवा” नामक एक नयी सेवा शुरू करने जा रहे हैं और इसलिए कढाई और बुनाई करनेवालों की ज़रूरत है। आश्चर्य और ख़ुशी से मैं लगभग अपने बिस्तर से गिरनेवाली थी! ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुनी और वह मुझे उसकी सेवा में बुला रहा था। मैं उतनी ही तेजी से नीचे के तल्ले तक उतरकर गयी जितनी तेजी से मेरे कमजोर पैर मुझे ले जा सकते थे और मैंने अपनी एक मित्र को बुलाया जो उस चर्च में जाया करती थी। मैंने फौरन पूछा, “वह महिला कौन थी … और मैं उस सेवाकार्य से कैसे जुड़ सकती हूं?”

ईश्वर ने मुझे बुलाया

मेरे पास जो कुछ था, मैंने उसे भेंट किया और परमेश्वर ने मुझे बुलाहट दी कि मैं अपनी प्रतिभा का उपयोग उस के लिए करूँ। जब उस सेवाकार्य से सम्बंधित बैठक का आयोजन हुआ, तो प्रभु की कृपा से मुझे उस छोटे से सफेद चर्च तक पहुँचने की ताकत मिली और मैंने दूसरों के लिए प्रार्थना शॉल बनाने के करार पर हस्ताक्षर किया। बीमार, एकाकी, मरणासन्न लोगों और जिन्हें दिलासा की ज़रुरत थी उन्हें ऐसा शॉल दी जानी थी, ताकि उन्हें यह याद दिलाया जा सके कि दूसरे उनके लिए फ़िक्र कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं। मैंने कई शॉल की कढाई की और जिसे प्रार्थना की आवश्यकता थी उनके लिए प्रार्थना भी की। उनकी समस्याएँ मेरी समस्याएँ बन गईं, और मैंने उनकी ज़रूरतों को अपनी ज़रूरतों से ज़्यादा महत्त्व दिया। दिलचस्प बात यह है कि इससे मेरी शारीरिक चंगाई की राह खुल गयी।

दिन प्रतिदिन, मेरा भौतिक और आध्यात्मिक जीवन मजबूत होता गया। कुछ ही वर्षों बाद मेरा परिवार न्यू इंग्लैंड के उस ग्रामीण शहर छोड़कर उत्तरी कैलिफोर्निया के एक कस्बे में नया घर लिया। नए स्थान पर, कुछ ही महीनों के भीतर, परमेश्वर ने हमारे नई पल्ली में प्रार्थना शॉल की सेवा शुरू करने के लिए अवसर प्रदान किया, जहां प्रभु ने मुझे याद दिलाया कि उसके लिए काम किया जाना बाकी है।

लूकस के सुसमाचार में (10:38-42) मरथा और मरियम की कहानी मुझे पसंद है, जहां येशु ने मरथा को यह समझने में मदद की कि उसे अपनी प्राथमिकताओं को पुनर्गठित करने की आवश्यकता है। प्रभु ने मरथा से कहा: “तुम बहुत सी बातों के विषय में चिंतित और व्यस्त हो, फिर भी एक ही बात आवश्यक है।” दूसरी ओर, उसकी बहन मरियम, बस “प्रभु के चरणों में बैठकर उसकी शिक्षा सुनती रही” और येशु कहते हैं कि “उसने सबसे उत्तम भाग चुन लिया है, वह उससे नहीं लिया जाएगा।” मुझे लगा कि परमेश्वर मुझे मरथा से मरियम में बदल रहा है।

मेरे स्वास्थ्य  की पुनर्प्राप्ति का मार्ग लम्बा और कठिन रहा है। अभी भी मैं कठिन दौर से गुज़र रही हूँ, लेकिन ईश्वर मुझे भयंकर आध्यात्मिक और शारीरिक संकट से बेहतर स्वस्थ जीवन में लाया है। मुझे कई चीजें छोड़नी पड़ीं, जिन्हें मैं कभी महत्वपूर्ण चीज़ें समझ रही थी। मुझे अपने जीवन को गहराई से साफ करना था, अपना प्याला खाली करना था और परमेश्वर को उसे भरने देना था। स्तोत्र ग्रन्थ 46:11 में परमेश्वर हमें बताता है, “शांत हो और जान लो कि मैं ही ईश्वर हूं”। इसलिए अब, मैं एक शांत जीवन व्यतीत करती हूं, ताकि जिस कार्य में ईश्वर मेरी सेवा चाहता है, केवल वही कार्य चुनने के लिए मैं पवित्र आत्मा से विवेक की प्रार्थना कर सकूं। मेरा समय, प्रतिभा और खजाना उसी का है, और मैं अपने जीवन में प्रयास करती हूं कि मैं ईश्वर के साथ रहने केलिए समय और स्थान ढूंढूं, उसकी उपस्थिति को महसूस करूँ और उसकी आवाज सुनूँ। वे ही “आवश्यक बातें हैं।”

जब हम अपने घरों को साफ करते हैं और अच्छे परिणाम प्राप्त करते हैं, तो हम अन्य क्षेत्रों में सुधार करने के लिए प्रेरित होते हैं। यह अवधारणा हमारे आध्यात्मिक जीवन में उसी तरह काम कर सकती है। मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया कि जितना अधिक समय मैं ईश्वर के साथ बिताती हूं और उन्हें अपने जीवन में आमंत्रित करती हूं, उतनी ही अधिक सकारात्मक बातें होती हैं। क्योंकि “हम जानते हैं कि जो लोग ईश्वर को प्यार करते हैं, और उसके विधान के अनुसार बुलाये गए हैं, ईश्वर उनके कल्याण लिये सभी बातों में उनकी सहायता करता है” (रोमी 8:28)

इसलिए आज मैं आपको प्रोत्साहित करती हूं कि आप अपने जीवन का एक ऐसा क्षेत्र चुनें जो प्रभु के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में आप के लिए बाधा बन सकता है। प्रभु को वह क्षेत्र समर्पित करें और प्रभु में आपके विश्वास और उसके साथ संबंध को और गहरा बनाने के लिए उसे आमंत्रित करें।

संत अगस्तीन ने बड़ी सटीक और गहराई से कहा, “हे प्रभु, तू ने हमें अपने लिये बनाया है, और जब तक हमारे ह्रदय तुझ में विश्राम न करें, तब तक वे व्याकुल रहते हैं।”

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तेरेसा एन वीडर

तेरेसा एन वीडर ने विभिन्न सेवाओं में अपनी सक्रिय भागीदारी द्वारा कई वर्षों तक कलीसिया की सेवा की है। वे अमेरिका के कैलिफोर्निया में अपने परिवार के साथ रहती हैं।

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