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जून 03, 2022 541 0 Jenson Joseph, USA
Encounter

उसने मुझे आज़ाद कर दिया

मैं अतीत के उन घावों को ढो रहा था, उन्हीं घावों ने मेरे ऊपर बहुत गहरा असर डाला। अचानक क्रोध के फूटने और पापमय आदतों की लत ने मुझे तब तक गड्ढे में गिरा दिया जब तक…

जब मैं हाई स्कूल की पढ़ाई करने शिकागो गया, तो स्कूल में बहुत अधिक नस्लीय तनाव था। मैं एक अल्पसंख्यक समूह से ताल्लुक रखता हूं और उस दौरान अक्सर मैंने हाई स्कूल में भेदभाव का सामना किया और खूब झेला। उन चार वर्षों के दौरान, सहपाठियों ने मुझे मौखिक रूप से परेशान किया, और मुझे बार बार उनके द्वारा चिढाने और निन्दित करने के कारण भावनात्मक रूप से मैं बहुत अधिक संघर्ष कर रहा था। मैं उस प्रकार का व्यक्ति था जो उपहास और निंदा का शिकार होने पर प्रतिशोध नहीं लेता था, लेकिन मैंने इस मौखिक और शारीरिक उत्पीड़न से सभी नकारात्मक भावनाओं को अपने अन्दर लिया और इसे अपने दिल की गहराई में दफन कर लिया।

हालाँकि, उस सारी नकारात्मकता को अपने अंदर रखने से मुझ पर बहुत ही बुरा असर हुआ। इसके कारण मेरे माता-पिता, भाइयों और अन्य रिश्तेदारों के साथ मेरी बातचीत प्रभावित हुई। कभी-कभी मेरे मन में अचानक से गुस्सा फूट पड़ता था और मैं विद्वेषपूर्ण, क्रूर शब्दों से उन्हें चोट पहुँचाने के लिए फटकार लगाता था। मैं कई पापपूर्ण आदतों का शिकार था।

हालाँकि मैं जानता था कि ये बुरे कार्य थे, और मैं इनसे मुक्त होना चाहता था, फिर भी मैंने खुद को मुक्त करने के लिए व्यर्थ संघर्ष किया। उन्हीं पाप पूर्ण आदतों में पड़ना जारी रहा और मैं अपने गुस्से को नियंत्रित नहीं कर सका। एक पारिवारिक सभा में, मुझे इतना गुस्सा आया कि अपने सबसे छोटे भाई से मेरा झगड़ा हो गया। यह महसूस करते हुए कि मेरे भीतर पड़े इस घृणा और क्रोध के बारे में मुझे कुछ करने की ज़रूरत है, मैं अपने आप से डरने लगा।

मुझे क्या आकर्षित किया?

ईश्वर की कृपा से, हाई स्कूल में अपने प्रथम वर्ष के दौरान, मैंने युवाओं के लिए एक साधना में भाग लिया। इस साधना के दौरान, मैंने ऐसे युवाओं को देखा जो परमेश्वर के बारे में इतने उत्साहित थे कि उनके चेहरे पर परमेश्वर के प्रति गहरा प्रेम खुशी से चमक रहा था। अपने जीवन में पहली बार, मैं ऐसे युवाओं से मिला, जो परमेश्वर के बारे में बातचीत करने या अपने विश्वास के अनुभवों को साझा करने में कोई डर महसूस नहीं करते थे। और वास्तव में इस बात से मैं आकर्षित और मोहित हो गया।

एक अच्छे कैथलिक परिवार में मेरी परवरिश हुई थी और मैं सोचता था कि मैं ईश्वर के बारे में सब कुछ जानता हूं, लेकिन यह ज्ञान बौद्धिक स्तर पर ही बना रहा और कभी भी मेरे दिल की गहराई में स्थानांतरित नहीं हुआ। हालाँकि इस साधना में, मैंने ऐसे युवाओं को देखा जो वास्तव में अपने विश्वास को जीना पसंद करते थे और बहुत खुश थे। उस साधना के दौरान मेरे दोस्त और मैं कभी-कभी हँसते थे क्योंकि हमने पाया कि वे जो कर रहे थे वह हास्यपूर्ण था। इसके बावजूद, जो युवा हमारी सेवा कर रहे थे, वे किसी भी तरह से विचलित नहीं हुए। वे वहां इतने उत्साहित थे और अपने विश्वास के लिए इतने भावुक थे कि मैं वास्तव में चाह रहा था कि उनके पास जो कुछ भी है, आनंद से भरपूर, वह ख़ुशी और उत्साह और जीवन से प्यार, ये सब मुझे भी प्राप्त हो जाए। इसलिए, मैंने प्रार्थना की, “प्रभु मैं उनके जैसा बनना चाहता हूं, मुझे वही चाहिए।

उस साधना के बाद, मुझे कई अन्य साधनाओं में भाग लेने का अवसर मिला। मैं साल में कम से कम एक या दो बार साधनाओं में जाता रहा और युवा सेवकाई में भी सक्रिय होने लगा। मुझे शिकागो में कैथलिक करिश्माई नवीनीकरण के युवा सेवादल का हिस्सा बनने का अवसर मिला और मैंने अन्य युवकों के साथ युवा सेवकाई में काम किया। यह मेरे लिए शानदार समय था।

प्रभु का विरोध

मैं अपने विश्वास में बढ़ने लगा और साथ ही, अपने विश्वास को दूसरों के साथ साझा करने लगा।

लेकिन इतने सारे सेवा कार्य को करते हुए भी, मैं कभी-कभी पापमय आदतों और क्रोध के प्रकोप से जूझता रहा। इन बातों ने मुझे वास्तव में निराश कर दिया क्योंकि मैं दूसरों के साथ मसीह की खुशखबरी साझा करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरे अपने पाप मुझे इस कार्य में आगे बढने से रोक रहे थे और मैं अभी भी उन लोगों को माफ नहीं कर सका जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई थी। मैं पाप की इस दासता से मुक्ति चाहता था।

जैसे ही मैंने हताशा में परमेश्वर को पुकारा, मैंने महसूस किया कि प्रभु मुझसे कह रहे हैं “जेनसन, मैं तुम्हें चंगा करना चाहता हूं। मैं तुम्हारे दिल की गहराई में पड़ी इस नकारात्मकता से तुम्हें मुक्त करना चाहता हूं, लेकिन ऐसा करने के लिए, मुझे तुम्हारे साथ उन दर्दनाक परिस्थितियों में से हर एक में प्रवेश करना और साथ साथ चलना होगा और कलवारी में तुम्हारे लिए बहाया गए मेरे रक्त से सने हाथ से उन दर्दनाक यादों को मैं स्पर्श करूंगा।” मैं डर गया और डर डर कर उत्तर दिया, “प्रभु, मैं उन नकारात्मक अनुभवों को फिर से नहीं देखना चाहता। क्योंकि ये अनुभव  मेरे लिए बहुत पीड़ादायक हैं।” इसलिए मैं अपने हाई स्कूल की पढ़ाई की पूरी अवधि के दौरान प्रभु का विरोध करता रहा — मैं लगातार दर्दनाक परिस्थितियों का अनुभव करता रहा, प्रभु मुझसे कहते रहे कि वह मुझे ठीक करना चाहते हैं, लेकिन मैं उनका विरोध करता रहा। मैंने युवा सेवकाई में काम करना जारी रखा लेकिन मैं और अधिक निराश होता जा रहा था क्योंकि मुझे स्थायी खुशी नहीं मिल रही थी।

दर्द-पीड़ाओं से फिर से मुलाक़ात

हाई स्कूल के बाद, मैं शिकागो के एक कैथलिक विश्वविद्यालय में पढ़ने गया। वहां का वातावरण बिलकुल अद्भुत था, क्योंकि मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी प्रकार के भेदभाव का सामना नहीं किया। जैसे मैं था, वैसा ही लोगों ने मुझे स्वीकार किया। मैं बहुत प्रबल इच्छा जाहिर करने लगा कि जब मुझे प्रभु का आनंद प्राप्त होता है  तो वह आनंद का अनुभव अगले दिन या सप्ताह तक बना रहे। लेकिन मुझे बड़ी निराशा हुई, क्योंकि मैं बार बार आदतन पाप और क्रोध के प्रकोप में वापस आता रहा। मैंने प्रभु को पुकार कर कहा, “कुछ तो बदलना होगा। मैं मुक्त होना चाहता हूँ; मैं अपने अतीत से छुटकारा पाना चाहता हूं क्योंकि मेरा अतीत मुझे बंदी बना रहा है।” और प्रभु मुझसे कहता रहा, “मैं तुम्हारे लिए वही करना चाहता हूं, लेकिन तुम्हें मुझे अनुमति देनी होगी कि मैं तुम्हारे लिए वही काम करूँ।” लेकिन मैंने जवाब दिया, “बिल्कुल नहीं!” मैं कभी भी हाई स्कूल के उन घोर दर्द भरे वर्षों को दोबारा नहीं देखना चाहता था।

एक दिन, एक साधना के अंत में, युवा सेवकाई में मेरे साथ काम करने वाले युवकों में से एक (जो मेरे संघर्षों और मेरे अतीत के बारे में सब कुछ जानता था), वह मेरे पास आया और कहा, “जेनसन, मैं चाहता हूं कि तुम मेरे लिए कुछ काम कर दो। मैं चाहता हूं कि तुम अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दो। मैं चाहता हूं कि तुम मेरी आंखों में देखो और तुम उन लोगों में से एक को देखो जिन्होंने तुम्हें हाईस्कूल में चोट और पीड़ा पहुंचाई। मैं चाहता हूं कि तुम उस व्यक्ति को बताओ कि उसने तुम्हारे साथ क्या किया, और फिर मैं चाहता हूं कि तुम कहो, ‘मैं आपको क्षमा करता हूं।“ और उस समय जीवन में पहली बार मैंने विरोध नहीं किया।

मुझमें विरोध करने की शक्ति नहीं थी। मैंने कहा, “मैं अब तैयार हूं। मैं इससे निपटना चाहता हूं।” और इसलिए मैं उनके निर्देश के अनुसार एक-एक करके कार्य करने लगा। अपनी उस मित्र को मैं ने देखा लेकिन मुझे उसका चेहरा नजर नहीं आया। अपनी कल्पना में, हाई स्कूल में मुझे चोट पहुँचाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को खोजने और उसके चेहरे की तस्वीर मन में लाने के लिए मैं अपनी स्मृति में गोता लगाता रहा। मैंने उनमें से प्रत्येक को बताया कि उसने मेरे साथ क्या किया है, और फिर मैंने कहा, “मैं तुम्हें क्षमा करता हूं।” जैसे ही मैंने यह करना शुरू किया, मैं बेकाबू होकर रोने लगा। हर बार जब मैं क्षमा के शब्द बोला, “आपने मेरे साथ जो किया उसके लिए मैं आपको क्षमा करता हूं”, मुझे लगा कि मेरे अन्दर से कुछ भारी बोझ उठाया गया है।

प्यार की नदी

यह प्रार्थना की एक लंबी रात थी, लेकिन यह मेरे जीवन का सबसे शक्तिशाली चंगाई का अनुभव था। जैसे-जैसे क्षमा के प्रत्येक कार्य से इस दर्द का भार मुझ पर से उतरा, मुझे बहुत अधिक हल्कापन महसूस हुआ। मेरा एक मित्र, जिसके लम्बे बाल थे, जो येशु से मिलता जुलता था, प्रार्थना समाप्त होते ही वह मेरे करीब आ गया। मुझे इतना हल्का महसूस हुआ कि मैं बस उसके हाथों के सहारे तैरने लगा। जैसे ही वह मुझे पकड़ा रहा, मुझे ऐसा लगा जैसे येशु अपने आँचल में, अपने दिल के करीब मुझे बैठा रहा है, मुझे गले लगा रहा है। जिस बोझ को लम्बे समय से मैं ढो रहा था, उस बोझ को दिल से खाली किये जाने का अनुभव मैं कर रहा था। उस खालीपन में, मैंने अचानक महसूस किया कि परमेश्वर का प्रेम मेरे हृदय में नदी की तरह बह रहा है, जो मुझे शांति, प्रेम और आनंद से भर रहा है। मैंने बस उस पल का आनंद लिया, और अपार शांति का अनुभव पाया जिसे मैं बड़े लंबे समय से तरस रहा था। मुझे यकीन हो गया कि मैं अंततः पाप, अपराधबोध और शर्म के बोझ से पूरी तरह मुक्त हो गया हूँ जो मुझे कुचल रहा था। प्रभु ने उन सभी नकारात्मक चीजों को पूरी तरह से उखाड़ फेंका और उन सारी बातों को मुझसे दूर हटा लिए।

ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि मैं हताशा के उस चरम बिंदु पर पहुंच गया था जहां मैंने पाप की जीवन शैली से बचने की मदद के लिए प्रभु को पुकारा था,  फिर प्रभु की चंगाई प्राप्त करने के लिए आत्मसमर्पण कर लिया था। प्रभु ने कहा, “मैं तुम्हें स्वतंत्र करना चाहता हूँ। मैं स्वयं घायल चंगाई दाता हूँ। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, मैंने तुम्हारे लिए अपनी जान कुर्बान कर ली है।” प्रभु मेरे हर दर्दनाक अनुभव में मेरे साथ चलना चाहते थे, मेरे दर्द में हिस्सा लेना चाहते थे और मैं अपने घावों पर उनकी चंगाई का स्पर्श पाना चाहता था। जब मैंने आखिरकार उन्हें ऐसा करने दिया, तो येशु ने मुझे अकेले नहीं छोड़ा। वे मेरे बगल में चले, मुझे उन सारे दर्दनाक परिस्थितियों में से एक एक पर वापस ले गए, उन्होंने मेरी मदद की कि जिस अमुक व्यक्ति ने मुझे चोट पहुंचाई उस के साथ क्या क्या हुआ था, उसका मैं वर्णन करूँ, और येशु की मदद से मैं ने उन लोगों को माफ कर दिया। प्रभु ने मुझे ऐसा करने के लिए अनुग्रह दिया, और मेरे द्वारा उठाए गए भारी बोझ को स्थायी रूप से मुझ से अलग कर दिया।

वह आपकी प्रतीक्षा में है

परमेश्वर हमें स्थायी रूप से चंगा करना चाहता है और हमें संपूर्ण बनाना चाहता है। वह हम पर आंशिक काम नहीं करता। अगर हम उस पर भरोसा करते हैं, तो वह उस काम को पूरा करेगा, जिसे उसने शुरू किया था और वह हमें पूरी तरह से चंगा करेगा। चूँकि वह स्वयं जख्मी चंगाई दाता है,  वह हमसे इतना प्यार करता है कि वह हमारे दर्द और पीड़ा को अपने ऊपर ले लेता है।

प्रभु एक क्षण के लिये भी हमारा तिरस्कार नहीं करता; हमारे जीवन के सभी दर्दनाक और पीड़ादायक क्षणों में हमारे साथ रहता है और हमारे साथ चलता है। जब मैंने प्रभु को अपना बोझ उठाने की अनुमति दी, तो मुझे कृपा मिली कि मुझे गुलाम बनाने वाली उन सारी पापपूर्ण आदतों से मैं अपने जीवन को मुक्त करके आजादी का अनुभव करूँ। हर दिन, मैंने अपने दिल में प्रभु के आनंद को महसूस किया और कोई भी या कुछ भी उस आनंद को मुझसे दूर नहीं कर सकता था।

जब मैंने पाप किया और परमेश्वर से दूर हो गया, तब भी मैं पाप स्वीकार संस्कार के माध्यम से तुरंत मेरे प्रभु की कृपा में वापस आने में सक्षम था। मेलमिलाप संस्कार की कृपा प्राप्त करने से बार-बार पाप स्वीकार के लिए जाने की मेरी प्रतिबद्धता मजबूत हुई। प्रभु मेरे साथ थे और मैं अपने आप को उससे फिर से अलग होने या दूर जाने नहीं दूंगा।

आप लोगों में से जिहोने अपने पापों, या दूसरों के पापों के कारण दुख का अनुभव किया है, मैं आप में से हर एक को आमंत्रित करता हूं कि आप अपने हृदय के द्वार को येशु के लिए खोल दें। प्रभु स्वयं जख्मी चंगाईदाता है। वह आपको फिर से संपूर्ण बना सकता है। वह अपनी चंगाई की शक्ति के द्वारा आपको जीवन की पूर्णता दे सकता है। आपको बस उसे ‘हां’ कहना है। यदि आप उस पर भरोसा करते हैं और उसे आपको चंगा करने की अनुमति देते हैं, तो आप स्थायी अनुग्रह और आनंद प्राप्त करेंगे। यदि आपके जीवन में ऐसा कोई है जिसे आपको क्षमा करने की आवश्यकता है, तो मैं आपको उसके प्रति क्षमा के शब्द कहने के लिए प्रोत्साहित करता हूं; क्योंकि आपके द्वारा किये गए क्षमा का कार्य परमेश्वर की चंगाई के अनुग्रह को आपको सम्पूर्ण बनाने और आपके जीवन में पूर्णता लाने की अनुमति देगा।

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Jenson Joseph

Jenson Joseph has been part of Shalom Media as a speaker at the Shalom Conferences. He lives with his family in Michigan, USA. Watch his series at shalomworld.org/show/discipleship

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