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जीवन की घुमावदार यात्रा में, यह जानकर दिलचस्प लगता है कि, आपके जीवन में कुछ अंधे मोड़ भी हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए!
हम जानते हैं कि कार से यात्रा करते हुए अंधे मोड़ों की जांच करना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर लेन बदलने, वापस मुड़ने या नए मार्ग पर मोड़ने से पहले। दुर्भाग्य से, हम कभी-कभी मुश्किलों से सीखते हैं।
हाल ही में, मैं इस धारणा से प्रभावित हुई हूं कि हम सभी में शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टिहीनता होती है। जब येशु ने कहा, “”मैं लोगों के पृथक्करण का निमित्त बनकर संसार में आया हूं, जिससे जो अंधे हैं, वे देखने लगें और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएं”, तब येशु ने हमें इस दृष्टिहीनता से सावधान रहना सिखाया। जो फरीसी उनके साथ थे, वे यह सुनकर बोले, “क्या? हम भी अंधे हैं?” येशु ने उनसे कहा, “यदि तुम लोग अन्धे होते, तो तुम्हें पाप नहीं लगता, परन्तु तुम तो कहते हो कि हम देखते हैं; इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है” (योहन 9:39-41)। येशु यहाँ हमें क्या बता रहे हैं?
हमें बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है कि हम येशु के चरणों में बैठे रहें, उनके निर्देशों पर ध्यान दें, उनसे सीखें और उनके द्वारा दिए गए सुधार के निर्देशों को खुले मन से स्वीकार करें। जैसे ही हम सोचते हैं कि हम मुक्ति के मार्ग पर ‘आ गए हैं’ या हमने ‘इस मसीही जीवनशैली को अपना लिया है’, हम खतरे के क्षेत्र में हैं। ईश्वर की अनंत प्रेमपूर्ण बुद्धि की तुलना में हमारे सबसे बुद्धिमान विचार, महान बलिदान और सबसे गहरा प्यार, सिर्फ हवा के बराबर है।
क्योंकि हम केवल थोडा ही देखते हैं; हम पूरी तस्वीर, या ईश्वर की महायोजना को नहीं देखते हैं। केवल ईश्वर ही ऐसा करता है। संत पौलुस इसे इस प्रकार कहते हैं, ”अभी तो हमें आइने में धुंधला सा दिखाई देता है, परन्तु तब हम आमने सामने देखेंगे। अभी तो मेरा ज्ञान अपूर्ण है; परन्तु तब मैं उसी तरह पूर्ण रूप से जान जाऊंगा, जिस तरह ईश्वर मुझे जान गया है।” (1 कुरिन्थी 13:12)।
अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे याद आता है कि मैं बार बार अपने घमंड, पापों, कमियों, निर्णयों, धारणाओं, पूर्वाग्रहों और भय तथा विश्वास की कमी के बारे में पूरी तरह अनजान थी। शुक्र है, ईश्वर ने कुछ लोगों और कुछ घटनाओं को मेरे जीवन में ला दिया, जिससे आध्यात्मिक अंधेपन के कुछ पहलुओं को उजागर करने में मुझे मदद मिली।
मैं मुश्किलों से सीखना चाहती हूँ। वर्षों तक, मैं इस बात को नहीं समझ पायी कि एक महिला मेरा क्यों किनारा कर के निकल जाती थी। इससे बहुत तनाव पैदा हो गया, क्योंकि हम खेलने और प्रार्थना करने वाले एक ही समूह में थे। आख़िरकार, मुझे यह पूछने का साहस और विनम्रता मिली कि मैंने उसे कैसे नाराज किया था। उत्तर दु:खदायी था, और यद्यपि हम कभी दोस्त नहीं बने, कम से कम अब मुझे अपने एक अंधे मोड़ के बारे में पता चला जो पहले रडार के नीचे था।
लोगों को हमारी आँखों से धरन हटाने की अनुमति देने के लिए एक विनम्र हृदय की आवश्यकता होती है। और हमारी परेशानी यह है कि हम अक्सर पर्याप्त विनम्र नहीं होते हैं।
मेरे जीवन में ऐसे कई उदाहरण हैं जब मैं इस बात से अनजान थी कि मेरी क्षमा न करने की प्रवृत्ति, अहंकार, आत्म संयम की कमी, पाप के प्रति समझौता या आभार भावना की कमी के कारण मुझे कितना नुकसान हुआ है। मैं यहां सार्वजनिक रूप से पाप स्वीकार नहीं कर रही हूँ, लेकिन यह गवाही देना चाहती हूँ कि ईश्वर धीरे-धीरे मुझमें आध्यात्मिक अंधेपन की परत उतार रहा है। हालाँकि यह दर्दनाक प्रक्रिया थी, लेकिन मुझे अधिक आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई है।
मेरी एक बुद्धिमान मित्र ने एक बार मुझसे कहा था कि वह प्रत्येक वर्ष चालीसा या तपस्या काल का इंतजार करती है। मैं कभी भी उसकी जैसी पवित्र व्यक्ति नहीं थी, इसलिए जब उसने ऐसा कहा तो मेरे कान खड़े हो गए। उसने मुझसे कहा कि चालीसा में किस चीज़ का परित्याग करना है, उस पर निर्णय वह स्वयं नहीं लेती है। यह काम वह अपने पति पर छोड़ देती है। मैं उस अवधारणा से बिल्कुल अभिभूत थी ।
क्या होगा अगर हम अपने जीवनसाथी या किसी भरोसेमंद साथी मसीही के पास जाएं और उनसे पूछें कि हम आध्यात्मिक रूप से कैसे बढ़ सकते हैं या पाप स्वीकार में हमें कौन सी पापपूर्ण आदत के बारे में बताना चाहिए?
कई बार, हमारा मूल पाप अधिक स्पष्ट मुद्दों के नीचे दबा रहता है। उदाहरण के लिए, क्षमा न करने के कारण क्रोध हो सकता है, आत्मसंयम की कमी के कारण चिंता उत्पन्न हो सकती है, और अक्सर पूर्णतावाद के कारण घमंड उत्पन्न हो जाता है। ईश्वर की भलाई में विश्वास की कमी से अधिकांश पाप उत्पन्न होते हैं।
आपके मूल पाप को चिन्हित करने में सक्षम हो जाने से आपके अन्दर एक वास्तविक शक्ति उत्पन्न होती है। यदि आप इसे पहचान सकते हैं, तो आप पश्चाताप करके इससे मुक्त हो सकते हैं। हालाँकि, मूल पाप पेचीदा हैं; वे नीचे दबे रहना पसंद करते हैं। पाप स्वीकार सुनने वाला कोई अच्छा नियमित व्यक्ति या आध्यात्मिक निर्देशक बड़े मददगार साबित होंगे। संत फॉस्टिना ने लिखा, “ओह, अगर मेरे पास शुरू से ही कोई आध्यात्मिक निर्देशक होते, तो मैं ईश्वर की इतनी सारी कृपा बर्बाद नहीं करती ।”
जवाबदेही के लिए हम साझेदारों की तलाश कर सकते हैं। ईश्वर हमें स्वयं को बेहतर ढंग से ‘देखने’ में मदद करने के लिए अक्सर अन्य लोगों का उपयोग करता है। परिवार के सदस्य, विशेष रूप से वे जो सक्रिय रूप से येशु मसीह का अनुसरण कर रहे हैं, वे अंधे मोड़ों पर महान जांचकर्ता बन सकते हैं, क्योंकि वे हमें हमें सबसे अच्छे और सबसे बुरे रूप में देखते हैं। आइए, हम ईश्वर से यह प्रार्थना करना न भूलें कि वह हमारी जीवन यात्रा के अंधे मोड़ों को हमारे सामने प्रकट कर दे।
जिस पाप के प्रति हम बेखबर हैं या अनदेखा करते हैं, यदि हम पवित्र आत्मा से उस पाप को हमें प्रकट करने केलिए कहें और पाप स्वीकार की तैयारी कर लें तो कैसा होगा ?
मैं विशेष रूप से आप को सलाह देना चाहती हूँ कि आप बड़े निर्णय लेने से पहले बुद्धिमान मसीहियों से दिशा निर्देश प्राप्त कर ले। जिस तरह जब हम बाहर निकलने या किसी वाहन में दिशा बदलने की योजना बना रहे होते हैं तो अंधे मोड़ की जांच करना अधिक महत्वपूर्ण होता है, उसी तरह जब हम अपने पेशा, जीवन-यात्रा के विकल्पों और अन्य प्रमुख जीवन निर्णयों पर विचार कर रहे होते हैं तो हमें अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
स्वर्गीय पिता, हमें सुनने वाला विनम्र हृदय दे ताकि तू हमें बेहतर जीवन के लिए बदल सके। हमें तेरे प्रति और हमारे पड़ोसियों के प्रति प्यार को बढ़ाने के लिए अपनी दृष्टि प्रदान कर।
डेनीस जैसेक ने कई वर्षों तक कैथलिक कलीसिया की सेवा की है। वे वर्तमान में भक्ति संगीत के सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं, पाँच वयस्क बच्चों की माँ हैं, और अपने प्यारे पति के साथ ओहियो में रहती हैं।
एक परिचित तस्वीर, एक नियमित काम, लेकिन उस दिन, कुछ नया और कुछ अलग था जिसने उसका ध्यान आकर्षित किया। मेरे स्नानघर की अलमारी के कोने में एक पुरानी फोटोकॉपी की एक तस्वीर (लंबे समय से मुझे याद नहीं था कि यह कहाँ से आयी) एक प्लास्टिक के साफ फ्रेम में है। वर्षों पहले, मेरे अब वयस्क हो चुके बेटों में से एक ने इसे सावधानीपूर्वक फ्रेम किया और कपड़े रखने की अपनी अलमारी में रख दी। जब तक मेरा बेटा बड़ा हो गया, तब तक यह तस्वीर वहीं रही। जब मैंने घर बदला, तो मैंने इसे अपने स्नानागर की अलमारी के कोने में स्थानांतरित कर दिया था। जब मैं बाथरूम की सफाई करती हूँ, तो मैं हमेशा छोटे फ्रेम को उठाकर उसके नीचे की सतहों को पोंछती हूँ। कभी-कभी, मैं कपड़े से फ्रेम की चिकनी साइड्स को पोंछकर जमी हुई धूल और अदृश्य कीटाणुओं को साफ कर देती हूँ। लेकिन, कई अन्य परिचित चीजों की तरह मैं शायद ही कभी पुराने बचकाने फ्रेम के अंदर की छवि पर ध्यान देती हूँ। हालांकि, एक दिन, इस तस्वीर ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। मैंने उत्सुकता से उस तस्वीर में दो आकृतियों — एक बच्चे और येशु — की आँखों पर ध्यान केंद्रित किया। छोटे बच्चे के चेहरे से येशु के प्रति प्यारभरी भक्ति झलक रही थी। बच्चे की मासूमियत और येशु के प्रति अवरोधित सम्मान उसकी नरम और काजल से सजाई गयी आँखों में स्पष्ट मालूम हो रहा था। बच्चे ने येशु मसीह के सिर पर काँटों का ताज या उसके दाहिने कंधे को कुचलने वाले क्रूस की भयावहता को नहीं देखा । बल्कि येशु की भारी पलकों वाली आँखें, झुर्रियों के नीचे से बालक की ओर देख रही थीं। कलाकार उन आँखों के पीछे के दर्द की गहराई को कुशलता से छिपाने में कामयाब था। समानताएँ मैंने एक माँ के रूप में अपने शुरुआती वर्षों की एक स्मृति को याद किया। मैं तीसरी बार गर्भवती थी। गर्भावस्था के अंतिम दिनों में, मैं गर्म पानी में नहाकर अपने दुखते शरीर को शांत करने का प्रयास कर रही थी। मेरे दो छोटे बेटे मेरे बाथटब के चारों ओर टहल रहे थे। वे ऊर्जा से भरे हुए थे और गपशप कर रहे थे, क्योंकि वे बाथटब के चारों ओर घूमते और मुझसे सवाल पूछ रहे थे। मेरी प्राइवेसी और शारीरिक असुविधा उनके बाल मन के लिए कोई मायने नहीं रखती थी। मैंने अपने बेटों को यह समझाने की कोशिश की कि मैं दुखी थी और कुछ समय एकांत में रहना चाहती थी| इस व्यर्थ प्रयास में मैं ने जो आंसू बहाए थे, उन आँसुओं को मैं ने याद किया| लेकिन वे केवल छोटे बच्चे थे जिन्होंने मुझे अपनी माँ के रूप में हमेशा उपस्थित देखा, जो उनके दुखों को चूमकर ठीक करती थी और हमेशा उनकी कहानियों को सुनने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तैयार रहती थी। बच्चे को जन्म देने में माँ को जो शारीरिक बलिदान देना पड़ता है, उसे समझने में वे असमर्थ थे। पर मैं उनके लिए उनकी मजबूत थी | मैंने समानताओं पर गौर किया। मेरे छोटे बच्चों की तरह, चित्र में बच्चे ने हमारे प्रभु को अपने व्यक्तिगत, मानवीय अनुभवों के दृष्टिकोण से देखा। उसने एक प्यार करने वाले शिक्षक, एक वफादार दोस्त, और एक स्थिर मार्गदर्शक को देखा। मसीह ने दया से ओतप्रोत होकर अपनी पीड़ा की तीव्रता को छिपा दिया— और कोमलता तथा करुणा के साथ बच्चे की आँखों में अपनी आँखें डाली। प्रभु येशु जानते थे कि बच्चा उसके उद्धार की कीमत पर भोगी गयी पीड़ा के पूर्ण माप को देखने और समझने के काबिल नहीं था I हम अंधकार में खो जाते हैं हमारी चीजों, लोगों, और परिस्थितियों के साथ जान पहचान हमें वास्तविकता के प्रति अंधा बना सकती है। हम अक्सर पुराने अनुभवों और अपेक्षाओं की धुंधली सुरंगों के माध्यम से देखते हैं| चूंकि इतनी सारी उत्तेजनाएं हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, इसलिए यह उचित है कि हम अपने आस-पास की दुनिया को होशियारी से छानकर समझ लें। लेकिन चित्र में जो बच्चा है, उसकी तरह और मेरे अपने छोटे बच्चों की तरह, हम जो देखना चाहते हैं उसे देखते हैं और जो हमारे दृष्टिकोण से मेल नहीं खाता उसे अनदेखा करते हैं। मुझे विश्वास है कि येशु हमारे अंधेपन को ठीक करना चाहते हैं। बाइबल में अंधे व्यक्ति ने, येशु द्वारा छूए जाने पर कहा: “मैं लोगों को देखता हूँ, वे पेड़ों जैसे लगते, लेकिन चलते हैं” (मारकुस 8:22-26)| हम में से अधिकांश लोग साधारण बातों को अचानक दिव्य आँखों से देखने के लिए तैयार नहीं हैं। हमारी आँखें अभी भी पाप के अंधकार की आदि हैं, हमारी आँखें आत्मनिर्भरता से अत्यधिक जुड़ी हैं, हमारी आँखें अपनी भक्ति और आराधना में बहुत आत्मसंतुष्ट हैं, और हमारी आँखें हमारे मानव प्रयासों पर घमंड करती हैं । पूरा चित्र हमारे उद्धार के लिए कलवारी पर चुकाई गई कीमत आसान नहीं थी। यह बलिदान था। फिर भी, मेरे स्नानागार की अलमारी में रखी तस्वीर के बच्चे की तरह, हम केवल येशु की कोमलता और दया पर ध्यान केंद्रित करते हैं। और चूंकि वह दयालु है, इसलिए येशु जल्दीबाजी नहीं करते; वह हमें विश्वास की परिपक्वता को धीरे-धीरे धारण करने में मदद देते हैं। अपने आप से यह पूछना अच्छा होगा कि क्या हम वास्तव में आध्यात्मिक परिपक्वता के लिए प्रयास करते हैं। मसीह ने अपना जीवन इसलिए नहीं दिया कि हम आशीर्वादों की काल्पनिक दुनिया में बने रहें, पर उन्होंने अपना जीवन इसलिए दिया ताकि हमें अनंत जीवन मिल सके| हमें अपनी आँखें खोलने की जरूरत है ताकि हम देख सकें कि उन्होंने इसे अपने रक्त की कीमत पर खरीदा है। जैसे ही हम चालीसा और विशेष रूप से पवित्र सप्ताह के दौर से यात्रा करते हैं, हमें अपनी आँखों पर से अन्धकार की पट्टी हटाने के लिए ख्रीस्त को अनुमति देनी चाहिए| स्वयं को उनकी इच्छा के लिए समर्पित करना चाहिए, उन्हें हमारी एक एक मूर्ती को हटाने की अनुमति देनी चाहिए, और हमारे जीवन में जिन बैटन से हम अत्यधिक परिचित हो गए हैं उन्हें उतार फेंकना चाहिए, ताकि हम भक्ति-आराधना, परिवार, और पवित्रता के पुराने आशीर्वादों को नई आँखों से गहरी, स्थायी विश्वास के साथ देख सकें।
By: Tara K. E. Brelinsky
Moreमैं अपनी पुरानी प्रार्थना की डायरी देख रही थी, जिसमें मैंने प्रार्थना के लिए बहुत से अनुरोध लिखे थे। मुझे आश्चर्य हुआ कि उनमें से हर एक का उत्तर दिया गया! आजकल खबरों पर सरसरी नज़र डालने वाला कोई भी व्यक्ति निराश हो सकता है, वह सोच सकता है कि ईश्वर कहाँ है, उसे लगता है कि प्रत्याशा की बड़ी ज़रूरत है। मुझे पता है कि मैंने खुद को कुछ दिनों में इस स्थिति में पाया है। हम अपने आप को नियंत्रण से बाहर महसूस करते हैं, और हम सोचते हैं कि हम उन सभी भयानक बातों के बारे में क्या कर सकते हैं जिनका हम इन दिनों सामना करते हैं। मैं आपके साथ एक घटना साझा करना चाहती हूँ। कुछ साल पहले, जिन लोगों और बातों के लिए मैं प्रार्थना कर रही थी, मैंने उन प्रार्थना-अनुरोधों की एक डायरी रखनी शुरू की थी। मैं अक्सर इन बातों के लिए रोज़री माला की प्रार्थना करती थी, जैसा कि मैं आज भी प्रार्थना निवेदनों के लिए करती हूँ। एक दिन, मुझे अपनी लिखी हुई प्रार्थना अनुरोधों की एक पुरानी डायरी मिली। मैंने बहुत पहले लिखे गए मेरे उन पन्नों को पढ़ना शुरू किया। मैं चकित रह गयी। हर प्रार्थना का उत्तर मिला था - शायद हमेशा उस तरीके से नहीं, जैसा मैंने सोचा था, लेकिन ज़रूर उनका उत्तर मिला था। ये कोई छोटी-मोटी प्रार्थनाएँ नहीं थीं। "हे प्यारे परमेश्वर, कृपया मेरी चाची को शराब की लत से मुक्त कर। प्यारे ईश्वर, कृपया मेरी मित्र जो बांझ है, उसे बच्चे पैदा करने में मदद कर। प्यारे ईश्वर, कृपया मेरे दोस्त को कैंसर से चंगाई दे।" जैसे ही मैंने हर पृष्ठ को ऊपर से नीचे की ओर नज़र दौड़ाई, मुझे एहसास हुआ कि हर एक प्रार्थना का उत्तर मिला था। कई प्रार्थनाएँ मेरी कल्पना से भी बड़े और बेहतर तरीके से सुनी गयीं। कुछ ऐसी भी थीं, जिनके बारे में पहली नज़र में मुझे लगा कि उनका उत्तर नहीं मिला है। एक दोस्त जिसे कैंसर से चंगाई की ज़रूरत थी, वह मर गई थी, लेकिन फिर मुझे याद आया कि मरने से पहले उसने मेलमिलाप का संस्कार और रोगियों का विलेपन संस्कार प्राप्त किया था। वह ईश्वर की दया का अनुभव करती हुई, अपनी चारों ओर ईश्वर की चंगाई की कृपा के आलोक में, शांति से गुज़र गई। इसके अलावा, ज़्यादातर प्रार्थनाएँ इस दुनिया में ही सुनी गईं। कई प्रार्थनाएँ असंभव पहाड़ों की तरह लग रही थीं, लेकिन उन पहाड़ों को हटा दिया गया। हमारी प्रार्थनाओं और प्रार्थना में हमारी दृढ़ता को ईश्वर अपनी कृपा में लेता है, और वह सभी बातों को भलाई की ओर ले जाता है। मेरी प्रार्थनामय मौन और शांत अवस्था में, मैंने एक फुसफुसाहट सुनी, "मैं इन सभी बातों पर समय-समय पर काम करता रहा हूँ। चमत्कारों की ये कहानियाँ मैं लिखता रहा हूँ। मुझ पर भरोसा करो।" मेरा मानना है कि हम एक ख़तरनाक दौर में हैं। लेकिन मैं यह भी मानती हूँ कि हम ऐसे दौर के लिए बने हैं। आप मुझसे कह सकते हैं, "आपके व्यक्तिगत प्रार्थना अनुरोधों का उत्तर मिलना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन विभिन्न राष्ट्र आपस में युद्ध लड़ रहे हैं।" और मेरा जवाब फिर से यही है कि, ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है, यहाँ तक कि हमारी प्रार्थनाओं का उपयोग करके युद्ध को रोकना भी असंभव नहीं है। मुझे याद है कि ऐसा पहले हुआ है। हमें विश्वास करना चाहिए कि ईश्वर अभी भी इससे बड़ा काम कर सकता है। जो लोग याद करने के लिए पर्याप्त उम्र तक नहीं पहुंचे हैं, उनको मैं बताना चाहती हूँ कि कुछ वर्ष पहले एक डरावना दौर था जब ऐसा लग रहा था कि खूनी युद्ध होने वाला है। लेकिन रोज़री माला की शक्ति से, स्थिति बदल गई। मैं 8-वीं कक्षा में थी, और मुझे याद है कि फिलीपींस में सभी प्रकार के उथल-पुथल हो रहे थे। उस समय फ़र्डिनेंड मार्कोस उस देश के तानाशाही शासक थे। यह एक खूनी लड़ाई बनने जा रही थी जिसमें कुछ लोग पहले ही मर चुके थे। मार्कोस के एक कट्टर आलोचक, बेनिग्नो एक्विनो की हत्या कर दी गई। लेकिन यह खूनी लड़ाई नहीं हुई। मनीला के कार्डिनल जैम सिन ने लोगों से प्रार्थना करने को कहा था। लोग सेना के सामने गए, और ज़ोर ज़ोर से रोज़री माला की प्रार्थना करने लगे। वे सेना के लड़ाकू टैंकों के सामने खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे। और फिर, एक चमत्कारी घटना घटी। सेना ने अपने हथियार डाल दिए। यहां तक कि धर्म पर विश्वास नहीं करनेवाली मीडिया, शिकागो ट्रिब्यून ने भी रिपोर्ट की कि कैसे "बंदूकें रोज़री माला के सामने अभ्यर्पित की गईं।" क्रांति समाप्त हो गई, और परमेश्वर की महिमा दिखाई दी। चमत्कारों पर विश्वास करना बंद न करें। उन की प्रतीक्षा करें। और हर मौके पर रोज़री माला की प्रार्थना करें। प्रभु जानता है कि हमारी दुनिया को इसकी ज़रूरत है।
By: Susan Skinner
Moreएक अभिनेता और निर्देशक के रूप में, पैट्रिक रेनॉल्ड्स ने सोचा कि ईश्वर केवल पवित्र लोगों के लिए है। एक दिन जब रोजरी माला की प्रार्थना करते समय उन्हें एक अलौकिक अनुभव हुआ, और उसी दिन वे ईश्वर की योजना समझ पाए। यहां उनकी अविश्वसनीय यात्रा का वर्णन है। मेरा जन्म और पालन-पोषण एक कैथलिक परिवार में हुआ था। हम हर सप्ताह मिस्सा बलिदान के लिए जाते थे, दैनिक प्रार्थना करते थे, कैथलिक स्कूल में जाते थे, और घर में बहुत सारी पवित्र वस्तुएँ रखी थीं, लेकिन किसी भी तरह से विश्वास हमें प्रभावित नहीं कर सका। जब भी हम घर से बाहर निकलते, माँ हम पर पवित्र जल छिड़कती थी, लेकिन दुर्भाग्य से, हमारा येशु के साथ कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं था। मैं यह भी नहीं जानता था कि यह संभव है। मैं समझता था कि ईश्वर कहीं बादलों में रहता है। वह वहाँ से हम सभी पर दृष्टि रखता है, लेकिन मेरे दिल और दिमाग में वह बहुत दूर और अप्राप्य था। हालाँकि मैंने ईश्वर के बारे में सीखा, लेकिन मैंने यह नहीं सीखा कि वह कौन और कैसा था। जब मैं लगभग दस साल का था, मेरी माँ ने एक करिश्माई प्रार्थना समूह में जाना शुरू किया, और मैंने देखा कि उनका विश्वास बहुत वास्तविक और व्यक्तिगत हो गया है। वह अवसाद से ठीक हो गई थी, इसलिए मुझे पता था कि ईश्वर की शक्ति वास्तविक थी, परन्तु मैंने सोचा कि ईश्वर केवल मेरी माँ जैसे पवित्र लोगों के लिए थे। जो मुझे दिया जा रहा था उससे कहीं अधिक गहरी चीज़ की मैं चाहने लगा था । जब संतों की बात आई, तो मुझे उनकी भूमिका समझ में नहीं आई और मुझे नहीं लगा कि उनके पास मुझे देने के लिए कुछ है क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि मैं भी पवित्र हो सकता हूं। अधूरा और खाली जब मैंने स्कूल छोड़ा, तो मैं अमीर और मशहूर बनना चाहता था ताकि मुझे हर कोई प्यार कर सके। मैंने सोचा कि इससे मुझे खुशी मिलेगी। मैंने निर्णय लिया कि अभिनेता बनना मेरे लक्ष्यों को प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका होगा। इसलिए, मैंने अभिनय का अध्ययन किया और अंततः एक सफल अभिनेता और निर्देशक बन गया। इसने मेरे जीवन में एक ऐसे द्वार को खोल दिया जिसका मैंने कभी अनुभव नहीं किया था और मुझे बहुत अधिक पैसा मिला, मुझे नहीं पता था कि इस पैसे का मुझे क्या करना है। इसलिए मैंने इसे उद्योग में जो महत्वपूर्ण लोग हैं उन्हें प्रभावित करने की कोशिश में खर्च कर दिया। मेरा पूरा जीवन लोगों को प्रभावित करने के लिए चीजें खरीदने का एक अनवरत चक्र था, ताकि मैं लोगों को प्रभावित करने के लिए और चीजें खरीदने के लिए और अधिक पैसे कमा सकूं। पूर्णता महसूस करने के बजाय, मुझे खालीपन महसूस हुआ। मैं ठगा सा महसूस करने लगा । मैं अपने पूरा जीवन वैसा बनने का दिखावा करता रहा जैसा दूसरे लोग चाहते थे। मैं कुछ और खोज रहा था लेकिन कभी समझ नहीं पाया कि ईश्वर के पास मेरे लिए कोई योजना थी। मेरा जीवन पार्टियों, शराब पीने और रिश्तों तक ही सीमित था, लेकिन असंतोष से भरा हुआ था। एक दिन, मेरी माँ ने मुझे स्कॉटलैंड में एक बड़े करिश्माई कैथलिक सम्मेलन में आमंत्रित किया। सच कहूँ तो, मैं जाना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे लगता था कि मैंने ईश्वर से जुड़ी सभी चीज़ों को अपने पीछे छोड़ दिया है, लेकिन माताएँ भावनात्मक ब्लैकमेल करने में अच्छी होती हैं; वे आपसे वो काम करवा सकती हैं जो कोई और नहीं करा सकता। उन्होंने कहा, “बीटा पैट्रिक, मैं दो साल के लिए अफ़्रीका में सेवा कार्य करने जा रही हूँ। यदि तुम इस साधना में नहीं आओगे, तो मुझे जाने से पहले तुम्हारे साथ कोई समय बिताने का मौका नहीं मिलेगा। उनके ऐसा अपील सुनने के बाद मैं उस सम्मलेन में चला गया। मैं अभी खुश हूं, लेकिन उस समय मुझे असहजता महसूस हो रही थी। इतने सारे लोगों को एक साथ गाते और ईश्वर की स्तुति करते हुए देखना अजीब लगा। जैसे ही मैंने कमरे के चारों ओर आलोचनात्मक रूप से देखा, ईश्वर अचानक मेरे जीवन में आ गया। पुरोहित ने आस्था के बारे में, पवित्र यूखरिस्त में येशु के बारे में, संतों के बारे में, और माँ मरियम के बारे में इतने वास्तविक और ठोस तरीके से बताया कि मुझे अंततः समझ में आ गया कि ईश्वर कहीं बादलों में नहीं, बल्कि वह मेरे बहुत करीब है, और उसके पास मेरे जीवन के लिए एक योजना है। कुछ और मैं समझ गया कि ईश्वर ने मुझे किसी कारण से बनाया है। मैंने उस दिन पहली बार ईमानदारी से प्रार्थना की, “हे ईश्वर, यदि तेरा अस्तित्व है, यदि तेरे पास मेरे लिए कोई योजना है, तो मुझे तेरी सहायता की आवश्यकता है। तेरी योजना को मुझपे इस तरह से प्रकट कर कि मैं उसे समझ सकूँ।“ लोगों ने माला विनती करना शुरू कर दिया, जिसे मैंने बचपन में ही छोड़ दिया था, इसलिए मुझे जो भी प्रार्थना याद आती थी मैं उसमें शामिल हो गया। जब उन्होंने गाना शुरू किया, तो मेरे दिल में कुछ पिघलने लगा और जीवन में पहली बार मुझे ईश्वर के प्रेम का अनुभव हुआ। मैं इस प्यार से इतना अभिभूत हो गया कि मैं रोने लगा। माता मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से मैं ईश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सका। मैं उस दिन मिस्सा बलिदान के लिए गया लेकिन मुझे पता था कि मैं परमप्रसाद ग्रहण नहीं कर सकता था क्योंकि मैंने लंबे समय से पापस्वीकार नहीं किया था। मेरा दिल ईश्वर के करीब रहने के लिए उत्सुक था, इसलिए मैंने अगले कुछ सप्ताह, एक ईमानदार और अच्छा पापस्वीकार करने की तैयारी में समय बिताया। एक बच्चे के रूप में, मैं नियमित रूप से पापस्वीकार केलिए जाता था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी वास्तव में ईमानदार था। मैं अपने पापों की खरीदारी की सूची में हर बार वही तीन या चार चीज़ें ले कर जाता था। इस बार जब मुझे पाप क्षमा मिली तो मुझे बहुत शांति और प्रेम का अनुभव हुआ। मैंने निर्णय लिया कि मुझे अपने जीवन में इसकी और अधिक ज़रुरत है। अभिनय करूं या नहीं? एक अभिनेता के रूप में, अपने विश्वास को जीना बहुत कठिन था। मुझे जो भी भूमिका दी जा रही थी, वह एक कैथलिक के रूप में विश्वास का खंडन करता था, लेकिन मेरी आस्था में पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं था। मुझे पता था कि मुझे और मदद की ज़रूरत है। मैं एक पेंटेकोस्टल चर्च में जाने लगा, जहाँ मेरी मुलाकात ऐसे लोगों से हुई जिन्होंने मुझे बाइबिल के बारे में और स्तुति और आराधना कैसे करनी है इन सबके बारे में सिखाया । उन्होंने मुझे आत्मिक सलाह, दोस्ती और समुदाय की संगति दी, लेकिन मैं यूखरिस्त में उपस्थित येशु को त्याग नहीं सकता था, इसलिए मैं कैथलिक कलीसिया में ही रहा। हर हफ्ते वे मेरी कैथलिक मान्यताओं को चुनौती देते थे, इसलिए मैं जाता था और उनके लिए उत्तर के साथ वापस आने के लिए अपनी धार्मिक शिक्षा का अध्ययन करता था। उन्होंने मुझे एक बेहतर कैथलिक बनने में मदद की, इससे मैं क्यों विश्वास करता हूँ, इसे समझकर विश्वास करने में मुझे मदद मिली। एक समय, मेरे मन में इस बात को लेकर मानसिक और भावनात्मक अवरोध था कि कैथलिकों को माता मरियम के प्रति इतनी भक्ति क्यों है। उन्होंने मुझसे पूछा, "आप मरियम से प्रार्थना क्यों करते हैं? आप सीधे येशु के पास क्यों नहीं जाते?" यह बात मेरे दिमाग में पहले से ही थी। मुझे ऐसा उत्तर ढूंढने में संघर्ष करना पड़ा जो सार्थक हो। संत पाद्रे पियो एक चमत्कारिक व्यक्ति थे जिनके जीवन ने मुझे एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। जैसा कि मैंने पढ़ा था कि कैसे माता मरियम के प्रति उनकी भक्ति ने उन्हें येशु मसीह और कलीसिया के दिल में गहराई तक पहुंचा दिया। मैंने संत पिता जॉन पॉल द्वितीय के बारे में भी सुना। इन दो महान व्यक्तियों की गवाही ने मुझे माता मरियम पर भरोसा करने और उनके उदाहरण का पालन करने के लिए प्रेरित किया। इसलिए, मैंने मरियम के निष्कलंक हृदय के माध्यम से संत पिता के मतलबों के लिए हर दिन प्रार्थना की। मैं और अधिक जानने के लिए मरियन आत्मिक साधना में भाग लिया। मैंने सुना कि संत लुइस डी मोंटफोर्ट की माता मरियम के प्रति महान भक्ति है, और प्रार्थना में मरियम से बात करना येशु की तरह बनने का सबसे तेज़ और सरल तरीका है। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने के दो तरीके हैं - इसे हथौड़े और छेनी से किसी सख्त सामग्री से गढ़ना, या एक सांचे में राल भरना और इसे सख्त होने के लिए छोड़ देना। एक साँचे में बनी प्रत्येक मूर्ति अपने आकार का पूर्णतया वही सुन्दर आकार लेती है (जब तक वह भरी हुई है)। माता मरियम वह साँचा है जिसमें येशु मसीह का शरीर बना था। ईश्वर ने उन्हें उस उद्देश्य के लिए परिपूर्ण बनाया। यदि आप माता मरियम द्वारा ढाले गए हैं, तो वह आपको पूर्णता में बनाएगी, बर्शते आप खुद को पूरी तरह से समर्पित कर देंगे। जब मैंने यह सुना तो मैं समझ गया कि यह सच है। जब हमने माला विनती की, तो मैंने केवल शब्दों का उच्चारण करने के बजाय, पूरे ह्रदय से भेदों पर मनन करते हुए प्रार्थना की। कुछ अप्रत्याशित हुआ। मैंने हमारी धन्य माँ के प्रेम का अनुभव किया। यह ईश्वर के प्रेम की तरह था, और मैं जानता था कि यह ईश्वर के प्रेम से आया है। लेकिन यह अनुभव बिलकुल भिन्न था। माँ मरियम ने मुझे ईश्वर से प्रेम करने में इस तरह से मदद की जिस प्रकार मैं अपने आप कभी नहीं कर पाया था। मैं इस प्रेम से इतना अभिभूत हो गया कि मेरी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। ऐसा अद्भुत उपहार पाना खेत में खज़ाना मिलने वाले दृष्टान्त के समान था। आप उस खेत को खरीदने के लिए सब कुछ बेचने को तैयार होंगे ताकि आप इस खजाने को पा सकें। उस क्षण से, समझ गया कि मैं अभिनय जारी नहीं रख पाऊंगा। मैं उस धर्म विहीन और धर्म विरोधी दुनिया में रहकर एक अच्छा कैथलिक नहीं बन सकता। मैं यह भी जानता था कि लोगों को ईश्वर के प्रेम के बारे में जानने की ज़रूरत है। इसलिए मैंने अपना करियर एक तरफ रख दिया ताकि मैं प्रचार कर सकूं। गहरी खुदाई मैं ईश्वर से यह पूछने के लिए आयरलैंड में दस्तक देने आया था कि वह मुझसे क्या चाहता है। माता मरियम ने १८७९ में दर्शन दिया था। उस दर्शन में मरियम संत युसूफ, संत योहन और वेदी पर ईश्वर के मेमने के रूप में येशु के साथ स्वर्गदूतों से घिरी हुई थीं। मरियम लोगों को येशु के पास ले जाने के लिए आयी। उनकी भूमिका लोगों को ईश्वर के मेमने के पास ले जाने की है। नॉक में, मैं उस महिला से मिला जिससे मेरी शादी बाद में हुई थी, और मैं उन लोगों से भी मिला जिन्होंने मुझे मिशन कार्य करने के लिए नौकरी की पेशकश की थी। मैं एक सप्ताहांत के लिए आया था, और 20 साल बाद भी, मैं अभी भी आयरलैंड में रह रहा हूँ। एक बार जब मैंने ठीक से माला विनती करना सीख लिया तो धन्य माँ के प्रति मेरा प्रेम बढ़ता गया। मुझे अपने आप से माला विनती करना हमेशा बहुत कठिन लगता था। जब मैं इंग्लैंड के वालसिंघम में राष्ट्रीय तीर्थस्थल पर गया, तब यह कठिनाई दूर हो गयी। वालसिंघम की माँ मरियम के प्रतिमा वाले छोटे प्रार्थनालय में, मैंने धन्य माँ मरियम से प्रार्थना करने और माला विनती को समझने की कृपा मांगी। कुछ अविश्वसनीय घटित हुआ! जैसे ही मैंने आनंद के भेद बोलना शुरू किया, प्रत्येक भेद में, मुझे समझ आया कि माता मरियम सिर्फ येशु की माँ नहीं थी, वह मेरी माँ भी थी, और मैंने महसूस किया कि मैं बचपन में येशु के साथ-साथ बढ़ रहा हूँ। इसलिए जब मरियम ने ईश्वर की माँ होने के सन्देश के लिए मंजूरी में "हाँ" कहा, तो वह मुझे भी "हाँ" कह रही थी, येशु के साथ अपने गर्भ में वह मेरा भी स्वागत कर रही थी। जब मरियम अपनी कुटुम्बिनी एलिज़ाबेथ से मिलने गई, मैंने महसूस किया कि मैं येशु के साथ उसके गर्भ में हूँ। और जब योहन बप्तिस्मा खुशी से उछल पड़ा तब मैं वहाँ मसीह के शरीर में था। येशु मसीह के जन्म के समय, ऐसा महसूस हुआ जैसे मरियम ने मुझे बड़ा करने के लिए "हाँ" कहकर मुझे नया जीवन दिया। जैसे ही उसने और संत युसूफ ने येशु को मंदिर में चढ़ाया, उन्होंने मुझे भी अपने बच्चे के रूप में स्वीकार करते हुए, पिता को अर्पित किया। जब उन्होंने येशु को मंदिर में पाया, तो मुझे लगा कि मरियम मुझे भी ढूंढ रहीं थी। मैं खो गया था, लेकिन मरियम मुझे खोज रहीं थी। मुझे एहसास हुआ कि मरियम इतने वर्षों से मेरी माँ के साथ मेरा विश्वास वापस लौटने के लिए प्रार्थना कर रहीं थी। मैंने होली फ़ैमिली मिशन की स्थापना में मदद की, एक ऐसा घर जहाँ युवा लोग अपने विश्वास के बारे में जानने के लिए आ सकते हैं और जिस शिक्षण को वे बचपन के बाद भूल गए थे उस वे फिर से प्राप्त कर सकते हैं। हमने पवित्र परिवार को अपने संरक्षक के रूप में चुना, यह जानते हुए कि हम मरियम के माध्यम से येशु के दिल में आते हैं। मरियम हमारी मां हैं और हम उनके गर्भ में हम संत युसूफ की देखरेख में येशु मसीह की तरह बने हैं। अनुग्रह पर अनुग्रह हमारी धन्य माँ ने नॉक में मेरी पत्नी को ढूंढने और उसे जानने में मेरी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी क्योंकि हमने यूथ 2000 नामक एक आंदोलन में एक-दूसरे के साथ काम किया था, जो माता मरियम और परम प्रसाद पर केंद्रित था। हमने अपनी शादी के दिन, खुद को, अपने वैवाहिक जीवन को और अपने भावी बच्चों को ग्वाडालूप की माता मरियम को समर्पित कर दिया। अब हमारे नौ खूबसूरत बच्चे हैं, जिनमें से प्रत्येक का माता मरियम के प्रति अद्वितीय विश्वास और समर्पण है, जिसके लिए हम बहुत आभारी हैं। माला विनती मेरे विश्वास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और मेरे जीवन में बहुत सारी कृपाओं का माध्यम बन गया है। जब भी मेरे पास कोई समस्या होती है, तो सबसे पहले मैं अपनी रोज़री माला उठाता हूँ और माता मरियम की ओर मुड़ता हूँ। संत जॉन पॉल द्वितीय ने कहा कि यह माता मरियम का हाथ थामने जैसा है ताकि वह किसी भी अंधेरे समय में, मुसीबतों में हमारा सुरक्षित मार्गदर्शन सकेगी। एक बार, मेरे एक करीबी दोस्त के साथ मेरी अनबन हो गई और मुझे सामंजस्य बैठाना बहुत मुश्किल हो रहा था। मैं जानता था कि उसने मेरे साथ अन्याय किया है और मुझे माफ करना कठिन लग रहा था। वह व्यक्ति उस चोट को नहीं देख सका जो उसने मुझे और दूसरों को पहुंचाई थी। मेरे अंतरतम का एक हिस्सा इसके बारे में कुछ करना चाहता था, एक दूसरा हिस्सा उससे प्रतिशोध लेना चाहता था। लेकिन इसके बजाय, मैंने अपना हाथ अपनी जेब में डाला और अपनी रोज़री माला के मोती उठा लिए। अभी मैंने केवल मला विनती का एक भेद पूरा किया ही था कि वह मित्र अपने बदले हुए अंतरात्मा के साथ मेरी ओर मुड़ा और मुझसे बोला, "पैट्रिक, मुझे अभी एहसास हुआ कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया और मैंने तुम्हें कितना नुकसान पहुँचाया है। मैं क्षमा चाहता हूं।" जैसे ही हमने गले लगाया और मेल-मिलाप किया, वैसे ही मैंने माता मरियम के पास हमारे दिल को बदलने की उस शक्ति को पहचाना। मरियम वह साधन है जिसे ईश्वर ने इस दुनिया में प्रवेश करने के लिए चुना है, और वह अभी भी उसके माध्यम से हमारे पास आना चाहता है। मैं अब समझ गया हूं कि हम येशु के बजाय मरियम के पास नहीं जाते हैं, हम मरियम के पास जाते हैं क्योंकि येशु उसके अन्दर हैं। पुराने नियम में, विधान की मञ्जूषा में वह सब कुछ था जो पवित्र था। मरियम नई विधान की मञ्जूषा है, सभी पवित्रता का स्रोत, वह स्वयं ईश्वर का जीवित मंदिर है। इसलिए, जब मैं येशु मसीह के करीब रहना चाहता हूं, तो मैं हमेशा मरियम की ओर रुख करता हूं, जिन्होंने येशु के साथ अपने शरीर के भीतर सबसे घनिष्ठ संबंध साझा किया। उनके करीब आने में, मैं येशु के करीब आ जाता हूँ।
By: Patrick Reynolds
Moreहम में से कई लोग लूकस के सुसमाचार (लूकस 18:9-14) के दृष्टांत से परिचित हैं जो फरीसी और चुंगी लेनेवाले की प्रार्थनाओं को नाटकीय और एक दूसरे से विपरीत रूप से प्रस्तुत करता है। जब हम उनकी प्रार्थनाओं की तुलना करते हैं, तो शायद हम अपनी पहचान फरीसी की प्रार्थना के साथ कर सकते हैं जो ईश्वर को धन्यवाद देता है कि वह उस चुंगी लेने वाले की तरह पापी नहीं था। उस प्रार्थना में निहित आत्मतुष्टि के भाव तथा श्रेष्ठता के भाव को पहचाने बिना ही हमने स्वयं को उदार समझते हुए ऐसी प्रार्थना की होगी। इसके विपरीत येशु चुंगी लेने वाले की विनम्र प्रार्थना की प्रशंसा करते हैं जिसकी विनम्रता और ईमानदारी उसे न्याय के साथ सानंद घर जाने की अनुमति देती है। यदि हम चुंगी लेने वाले का रवैया अपनाएंगे, तो हम अन्य लोगों के साथ अन्याय नहीं करेंगे। यदि हम ईमानदारी से स्वयं को पापी के रूप में देखते हैं, तो हम दूसरे पर दोष कैसे लगा सकते हैं? दूसरों को दोष देना या उनकी अंतिम नियति का आकलन करना श्रेष्ठता के दृष्टिकोण यानि अहंकार की भावना से आता है और हम कह सकते हैं कि यह अहंकार ही पहला पाप और सब से बड़ा पाप था। हमारा प्रभु अंतिम क्षण तक दया का द्वार हमेशा खुला रखता है। जैसे-जैसे हम अपना दिन गुजारते हैं, क्या हम यह विचार करना बंद कर देते हैं कि कितनी बार हम बाहरी धारणाओं के आधार पर दूसरों का मूल्यांकन करते हैं, जब कि प्रभु उनके दिलों के भीतर देखते हैं। क्या आप कभी समाचार देखते या पढ़ते समय स्वयं को दूसरों की निंदा करते हुए पाते हैं? कितनी बार किसी व्यक्ति की जाति, धर्म, यौन रुझान, या कोई अन्य गुण जो हम से भिन्न होता है, हमें उस पर दोष लगाने या नकारात्मक निर्णय देने का कारण बनता है? दुर्भाग्य की बात है कि हम में से बहुत से लोग अपने कार्यों और प्रेरणाओं की बारीकी से जांच करने में विफल रहते हुए दूसरों को आंकने की गंभीरता का एहसास नहीं करते हैं। सुसमाचार में येशु बहिष्कृतों और पापियों को गले लगाते हैं। वह उन लोगों के प्रति प्रेम और स्वीकृति दिखाता है जिन्हें स्व-धर्मी फरीसियों और शास्त्रियों ने अस्वीकार कर दिया था। जब भी हम उन लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं जो हम से अलग हैं या जिनके कार्यों से हमें ठेस पहुँचती है, तब पापियों के प्रति येशु की करुणा हमारे दिलों में भर जानी चाहिए। जब हम विनम्रता पूर्वक महसूस करते हैं कि हम वास्तव में पापी हैं, तो हम खुद को ईश्वर की दया पर छोड़ देंगे और महसूस करेंगे कि कलवारी पर येशु ने जो खून बहाया था वह हमारे लिए, हमारे दुश्मनों केलिए और उन लोगों केलिए बहाया गया था जिनके लिए हम न्याय करने के इच्छुक हैं। वे भी बहुमूल्य आत्माएँ हैं जिन्हें येशु मुक्त करना चाहते हैं। लोगों केलिए जब हम प्रार्थना करते हैं, तो आइए सब से पहले उनके प्रति अपना अभिवृति देखें। क्या हमारा रवैया करुणामय है या पूरी तरह से आलोचनात्मक है? प्रेमपूर्ण हृदय से निकली प्रार्थना न्याय से उत्पन्न प्रार्थना से अधिक लाभकर होगी। आइए हम प्रभु से उन पलों केलिए क्षमा मांगें, जब हम ने दूसरों के साथ अन्याय किया था और उस से विनती करें कि वह हमें अपने जैसा दयालु हृदय प्रदान करें।
By: Susan Uthup
More20 साल की उम्र में, एंथनी ने अपने माता-पिता को खो दिया। अब उसके पास एक बड़ी विरासत थी और अपनी बहन की देखभाल करने की जिम्मेदारी। लगभग उसी समय, एंथनी ने ख्रीस्तयाग के दौरान मत्ती के सुसमाचार से एक पाठ सुना, जहां येशु ने एक अमीर युवक से कहा, "यदि तुम पूर्ण होना चाहते हो, तो जाओ और अपना सब कुछ बेच दो और उस धन को गरीबों में बाँट दो।" एंथनी को विश्वास था कि वह धनी युवक वह स्वयं है। कुछ ही समय बाद, उसने अपनी अधिकांश संपत्ति दान कर दी, बाकी जो कुछ था, लगभग सब कुछ बेच दिया, और केवल उतना ही रखा जितना उसे अपनी और अपनी बहन की देखभाल के लिए चाहिए था। परन्तु यह बिल्कुल वैसी नहीं है जैसी प्रभु ने आज्ञा दी थी! कुछ समय बाद, एंथनी एक बार फिर ख्रीस्तयाग में भाग ले रहा था और उसने सुसमाचार का अंश सुना, “कल की चिंता मत करो; कल अपनी चिंता स्वयं कर लेगा” (मत्ती 6:34)। फिर से, वह जानता था कि येशु सीधे उससे बात कर रहे थे, इसलिए उसने जो कुछ बचाया था, उसे भी दे दिया, अपनी बहन की देखभाल के लिए, उसे कुछ भक्त महिलाओं को सौंप दिया, और गरीबी, एकांत, प्रार्थना और वैराग्य का जीवन जीने के लिए रेगिस्तान में चला गया। . उस कठोर रेगिस्तानी वातावरण में, शैतान ने उस पर अनगिनत तरीकों से यह कहते हुए हमला किया, "सोचो कि जो पैसा तुमने दान में बाँट दिया था, तुम उस पैसे से कितना बढ़िया मजेदार कार्य कर सकते थे!" प्रार्थना और वैराग्य में दृढ़, एंथनी ने शैतान और उसके उत्पीड़नों से लड़ाई लड़ी। बहुत से लोग एंथनी की प्रज्ञा से आकर्षित हुए, और उन्होंने उन्हें आत्म-त्याग और तपस्वी जीवन की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया। कोई आश्चर्य नहीं कि उनकी मृत्यु के बाद वे महान संत एंथनी या रेगिस्तान के संत एंथनी बन गए, जो ईसाई मठवासी परंपरा के पितामाह मने जाते हैं। एक बार एक बंधु ने संसार को त्याग कर अपना माल गरीबों को दे दिया, लेकिन अपने निजी खर्चों के लिए कुछ अपने पास रखे रहा। वह अब्बा एंथनी से मिलने गया। जब उसने पितामह एंथनी को यह बताया, तो बूढ़े एंथनी ने उससे कहा, "यदि आप एक तपस्वी बनना चाहते हैं, तो गाँव में जाएँ, कुछ मांस खरीदें, अपने नग्न शरीर को इससे ढँक लें और यहाँ उसी तरह आ जाएँ।" उस बंधु ने ऐसा ही किया, और कुत्तों और पक्षियों ने उसका मांस नोच डाला। जब वह वापस आया तो बूढ़े एंथनी ने उससे पूछा कि क्या उसने उसकी सलाह का पालन किया है। उसने उन्हें अपना घायल शरीर दिखाया, और संत एंथनी ने कहा, "जो दुनिया को त्याग देते हैं, लेकिन अपने लिए कुछ रखना चाहते हैं, वे उन पर युद्ध करनेवाले दुष्टात्माओं द्वारा इस तरह से फाड़े जाते हैं।"
By: Shalom Tidings
Moreपरमेश्वर प्रार्थनाओं का उत्तर देता है और कभी-कभी हम ने जिस के होने की संभावना पर सोचा ही नहीं था, परमेश्वर उससे भी बहुत आगे बढ़ता है... एक लोकप्रिय टेलीविज़न विज्ञापन है जो कई वर्षों तक एक घायल व्यक्ति को चित्रित करते हुए दिखाया गया है, "मेरी मदद करो, मैं गिर गया हूँ और मैं उठ नहीं सकता!" हालांकि वे लोग केवल एक मेडिकल अलर्ट सिस्टम बेचने के लिए प्रचार कर रहे अभिनेता लोग हैं जो किसी आपात स्थिति में मदद की पुकार लगा रहे हैं, हर बार जब मैंने उस विज्ञापन को देखा है तो मैंने सोचा है कि ऐसी हताश-भरे और नाजुक हालत में फँस जाना कितना भयावह होगा। अकेले रहना और गिरने के बाद वापस उठने में असमर्थ होना तनावपूर्ण और भयावह होगा। सौभाग्य से ऐसी कंपनियां और उपकरण हैं जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं, ताकि हमारे लिए या खतरे में फंसे हमारे प्रियजनों के लिए सुरक्षा उपाय किए जा सकें। आवर्ती दुविधा वह विज्ञापन एक दिन मेरे दिमाग में तब आया जब मैं प्रायश्चित के संस्कार (जिसे मेलमिलाप या पाप स्वीकार के नाम से भी जाना जाता है) प्राप्त करने की तैयारी में अपनी अंतरात्मा की जांच कर रही थी। परमेश्वर की उपस्थिति से मुझे दूर ले जाने वाली अपमानजनक बातों पर चिंतन करने के बाद, मुझे लगा कि यह निराशाजनक था कि मैं बारम्बार पवित्रता के मार्ग से गिर रही हूँ। मुझे ऐसा लगा कि ऐसे गुनाहों को जिन्हें मैं अक्सर पिछले पाप स्वीकार संस्कारों में कबूल किया करती थी, उन्हें मुझे फिर से कबूल करने की ज़रूरत थी। संत पौलुस उसी दुविधा के साथ अपने संघर्षों के बारे में बात करते हैं। रोमियों के नाम पत्र 7:15-19 में उन्होंने कहा, "मैं अपना ही आचरण नहीं समझता हूँ, क्योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, वह नहीं, बल्कि वही करता हूँ जिससे मैं घृणा करता हूँ। यदि मैं वही करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता, तो मैं संहिता से सहमत हूँ और उसे कल्याणकारी समझता हूँ, किन्तु मैं कर्ता नहीं रहा, बल्कि कर्ता है, मुझ में निवास करने वाला पाप। मैं जानता हूँ कि मुझमें, आर्थात मेरे दैहिक स्वभाव में थोड़ी भी भलाई नहीं, क्योंकि भलाई करने की इच्छा तो मुझमे विद्यमान है, किन्तु उसे कार्यान्वित करने की शक्ति नहीं है। मैं जो भलाई चाहता हूँ, वह नहीं कर पाता, बल्कि मैं जो बुराई नहीं चाहता, वही कर डालता हूँ।" यह एक संघर्ष है, जिसका हम सभी अनुभव करते हैं। कैथलिक कलीसिया की धर्म-शिक्षा पाप के प्रति इस अवांछित झुकाव को "कामुकता" के रूप में परिभाषित करती है। विज्ञापन में अभिनेता से जुड़ना आसान था, क्योंकि आध्यात्मिक रूप से मैं गिर गयी थी, और ऐसा लगा कि मैं वापस नहीं उठ सकती। परमेश्वर से दूर जाने से मैं एक हताश, नाजुक स्थिति में पहुँच गयी, जो हमें उसके द्वारा दिए जा रहे कई अनुग्रहों से वंचित स्थिति थी। परमेश्वर के साथ मेरा रिश्ता टूट गया था, और उस पतित अवस्था में रहने का विचार तनावपूर्ण और भयावह था। हालाँकि, येशु मुझसे प्यार करता है। वह दयालु है और उसने अभी भी पाप के अवांछित झुकाव से पीड़ित हम सभी के लिए सुरक्षा उपाय किए हैं। अनवरत प्रार्थना मेरा परिवार जिस गिरजाघर का हिस्सा था, उस गिरजाघर की ओर से शनिवार की शाम के जागरण मिस्सा बलिदान से एक घंटे पहले पाप स्वीकार के संस्कार का प्रस्ताव रखा गया। मेरे लिए शनिवार को पाप स्वीकार संस्कार में जाना महत्वपूर्ण था क्योंकि मैं ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को महत्व देती थी और इसे बहाल करना चाहती थी। मैंने अपने पति से पूछा कि क्या पाप स्वीकार समाप्त होने पर वह मेरे साथ मिस्सा बलिदान में शामिल होंगे। मेरा सौभाग्य था कि वे सहमत हो गए। उनका पालन-पोषण मेथोडिस्ट कलीसिया में हुआ था और 25 से अधिक वर्षों से यह मेरी निरंतर प्रार्थना थी कि ईश्वर उनके दिल में विश्वास की पूर्णता में आने की इच्छा को रखेंगे और उन्हें कैथलिक कलीसिया का सदस्य बनायेंगे। अभी के लिए, मैं ईश्वर के समय की प्रतीक्षा कर रही थी और बस खुश थी कि हम मिस्सा बलिदान में साथ साथ भाग लेंगे। चर्च में भीड़ नहीं थी, इसलिए पहले ही मैं ने पाप स्वीकार करने के लिए पुरोहित के सामने घुटने टेकी थी। पाप स्वीकार करने के लिए नम्रता की आवश्यकता होती है। पाप मुक्ति के आनंद ने मेरे अन्दर नयी ऊर्जा और पुनर्स्फूर्ती महसूस करायी। पुरोहित से प्राप्त प्रायश्चित को करने के बाद, मेरा दिल अब पाप के भार से बोझिल नहीं था। जैसे ही शांति की भावना ने एक बार फिर मेरी आत्मा को घेर लिया, वैसे ही मेरे आस-पास और मेरे अन्दर भी सब कुछ शांत था। बार-बार, मैंने परमेश्वर को उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया। मैंने संतोष के साथ आह भरी, "हे ईश्वर, मैं तुझ से कुछ भी मांगकर इस क्षण को खराब नहीं करना चाहती। मैं बस तुझे बार-बार धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं उस एक कोढ़ी की तरह बनना चाहती हूँ जो तुझसे चंगाई पाने के बाद तेरा धन्यवाद करने के लिए वापस आया।” मैं घुटने टेककर प्रभु की पवित्र उपस्थिति में समा गयी और समझ गयी कि अनुग्रह की स्थिति में होने का एहसास कितना अच्छा, धन्य और महान है। येशु ने हमारे रिश्ते को बहाल कर दिया था और हम फिर से एक हो गए थे। हालाँकि, मौन और शांत रहना एक ऐसा गुण है जिसके लिए मुझे बराबर संघर्ष करना पड़ता है। मेरे दिमाग में ईश्वर से सिर्फ एक बात मांगने की तीव्र इच्छा जागृत हुई। "प्रभु, सिर्फ एक चीज मांगती हूँ, बल्कि यह मेरे लिए नहीं है। कृपया मेरे पति के दिल और दिमाग में कैथलिक बनने की इच्छा भर दें। मैं चाहती हूं कि उसे पता चले कि कैथलिक बनना कैसा लगता है।” शांत प्रार्थना में समय जल्दी बीत गया और जब मैं ने आँखें खोली तब देखा कि मेरे पति भी कुछ देर से मेरे बगल में बैठे हुए हैं। मैंने यह कहते हुए सुना है कि जब आप अनुग्रह की स्थिति में प्रार्थना करते हैं, तो आपकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर द्वारा स्पष्ट रूप से सुनी जाती हैं। आप उसके इतने करीब हैं कि वह आपके दिल की फुसफुसाहट सुन सकता है। मुझे यकीन नहीं है कि यह वास्तव में ठोस कैथलिक सिद्धांत है या नहीं, लेकिन यह उल्लिखित करता है कि ईश्वर के करीब रहना कितना महत्वपूर्ण है। जब उस शाम को मिस्सा शुरू हुआ, तो पुरोहित ने सभी का स्वागत किया और उन्होंने उस शाम के मिस्सा बलिदान में किसी भी व्यक्तिगत निवेदन को समर्पित करने के लिए एक शांत क्षण का अनुभव करने के लिए कहा। जिस तरह से वे आम तौर पर मिस्सा का आरंभ करते थे, उस दिन वैसा नहीं था, उनका उत्साह अद्भुत था। मैं उस पल को खोना नहीं चाहती थी, मैंने तुरंत अपने पति के कैथलिक धर्म में आने के लिए प्रार्थना दोहराई। मैंने उस शाम से पहले या बाद में कभी पुरोहित को इस तरह से मिस्सा शुरू करते हुए नहीं सूना था। अंत में, यह एक अच्छा संकेत था कि मेरी प्रार्थना के लिए परमेश्वर का उत्तर निकट था। बाकी मिस्सा के दौरान भी मेरे दिल में यह निवेदन बना रहा, और मुझे ईश्वर और मेरे पति दोनों से बहुत जुड़ाव महसूस हुआ। चौंकाने वाली खबर घर जाते समय, मेरे पति ने अप्रत्याशित रूप से कहा कि उन्हें मुझसे कुछ कहना है। अच्छा हुआ कि वही गाड़ी चला रहे थे, क्योंकि यदि मैं गाडी चलाती, तो उनके शब्द मुझे चौंका दिया होता और गाड़ी अनियंत्रित होकर सड़क से लुढ़क जाती। "मैंने फैसला किया है कि मैं हम लोगों के गिरजा घर में वयस्कों के ख्रीस्तीय बप्तिस्मा संस्कार की प्रारम्भिक दीक्षा कार्यक्रम में नामांकन करूं और देखता हूं कि मैं कैथलिक बनना चाहता हूं या नहीं।" स्तब्ध होकर मैंने कुछ नहीं कहा। विचार और भावनाएँ मेरे मन और शरीर में घूम रही थीं। मैंने प्रभु से बस इतना पूछा: "यह क्या हो रहा है प्रभु? क्या मेरी प्रार्थना सुनने के लिए पाप स्वीकार संस्कार ने तेरे साथ मेरे सम्बन्ध को साफ कर दिया था? क्या मिस्सा बलिदान में मेरा व्यक्तिगत निवेदन सुना गया था? इतने सालों के बाद क्या तू सच में मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है?” अपने आप को पुनः संभालने के बाद, मैंने अपने पति के साथ उनके इस निर्णय के बारे में विस्तार से बात की। हम अपने दाम्पत्य जीवन के दौरान एक साथ मिस्सा बलिदान में शामिल होते थे और मेरे पति के लिए यह महत्वपूर्ण था कि हमारा परिवार एक साथ एक ही गिरजाघर में जाए। वर्षों से, उनके पास कई प्रश्न थे, लेकिन कैथलिक चर्च को अपने परिवार के रूप में प्यार और विश्वास के साथ देखते थे। पवित्र आत्मा ने उन्हें यह समझने के लिए निर्देशित किया कि उस परिवार का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होने और सभी संस्कारों और उनके अनुग्रहों में भाग लेने में सक्षम होने का यही सही समय था। प्रारम्भिक दीक्षा कार्यक्रम को पूरा करने के बाद, अंततः अगले पास्का जागरण की रात को, मेरे पति कैथलिक चर्च के सदस्य के रूप में स्वीकार किये गये, जिससे हम दोनों को अपार आनंद हुआ। मेरी प्रार्थना का जो उत्तर पाने के लिए मैं इतने लंबे समय से इंतज़ार कर रही थी, वह उत्तर मुझे सही समय पर देने केलिए ईश्वर का निरंतर धन्यवाद करते हुए, मेरा दिल खुशी से नाच रहा है। पिटारे में और अधिक आश्चर्य! रुकिए, और भी बहुत कुछ है! परमेश्वर जानता था कि मैंने उससे पूछा था कि क्या उसने वास्तव में मेरी प्रार्थनाओं को सुना और उत्तर दिया है। परमेश्वर यह सुनिश्चित करना चाहता था कि मैं निश्चित रूप से जानूं कि उसने मेरी प्रार्थना सुनी है, क्योंकि पिटारे में और अधिक आश्चर्य रखे हुए थे। हमारे दोनों बेटे अपने लिए जीवन संगिनी चुन चुके थे। वे दोनों अद्भुत युवतियां थीं जो अपने प्रोटेस्टेंट विश्वास में प्रभु के साथ-साथ चलते हुए बड़ी हुई थीं। कैथलिक धर्म में उनके आगमन के लिए मेरी प्रार्थनाओं में उन्हें भी नियमित रूप से शामिल किया गया था, हालाँकि उस शाम को मैंने उनके लिए विशेष रूप से प्रार्थना नहीं की थी। उस विशेष मिस्सा बलिदान के एक सप्ताह के भीतर, एक दूसरे से स्वतंत्र, दोनों युवतियों ने मुझ से कहा कि उनका इरादा कैथलिक बनने का है। मैं निश्चित रूप से जानती हूं कि मेरे पति का कैथलिक बनने का निर्णय महज संयोग नहीं था और एक अतिरिक्त बोनस के रूप में, अब मेरी बहू बनने वाली वे अद्भुत युवा महिलाएं भी कैथलिक बनेंगी। प्रभु की स्तुति हो! मैं ईश्वर के मन को जानने का दावा नहीं करती। उन तीनों ने, एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर, कैथलिक बनने का फैसला कैसे किया, इस पर भी मैं कोई दावा नहीं कर सकती कि मैं ईश्वर का मन जानती हूँ। यह मेरे लिए चमत्कार है और मैं इसे सिर्फ चमत्कार के रूप में देखकर खुश हूं। ठीक है,... एक और बात। मेरा मानना है कि जब हम ऐसा कुछ कार्य करते हैं जिससे परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को ठेस पहुँचती है, तो हमें पाप स्वीकार के द्वारा उसके पास जाना चाहिए और उससे कहना चाहिए कि हमें खेद है। मेरा मानना है कि जब हम वास्तव में परमेश्वर के साथ अपने संबंध को ठीक करना चाहते हैं, तो वह हमें आशीष देना चाहता है। मेरा मानना है कि प्रार्थना वास्तव में काम करती है और प्रभु हमें जवाब देना चाहता है। मेरा मानना है कि ईश्वर मुझसे प्यार करता है और उसने मुझे एक बार नहीं, दो बार नहीं, बल्कि उस शनिवार को तीन बार आशीर्वाद दिया, लेकिन वह चाहता था कि मैं यह भी जानूँ कि वह मेरी सभी प्रार्थनाओं को हर समय सुनता है, चाहे मैं किसी भी स्थिति में हो। मुझे पता था कि मैं गिर गयी थी और, विषय वासना के कारण, मेरे फिर से गिरने की संभावना है। अल्लेलुइया, अच्छी खबर है! जब मैं अपने व्यवहार को नहीं समझ सकती; यहां तक कि जब मैं उन अच्छे कामों को करने में असफल हो जाती हूं जो मैं करना चाहती हूं, और उन पापपूर्ण कार्यों को करती हूं जिनसे मैं नफरत करती हूं ... तब भी ईश्वर की कृपा से और उसकी क्षमा के माध्यम से, मुझे पता है कि मैं अकेली नहीं हूं, मुझे तनावग्रस्त, भयभीत या गिरे हुए रहने की जरूरत नहीं है। मैं वापस उठ सकती हूँ। संत पौलुस, हमारे लिए प्रार्थना कर। आमेन।
By: तेरेसा एन वीडर
Moreअपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलना कभी भी आसान काम नहीं होता, तो फिर क्यों परेशानी उठानी है? जीवन के किसी मोड़ पर, येशु हम सभी से पूछते हैं: “क्या तुम मेरे राज्य के लिए बाहर निकलने को तैयार हो?” इसके लिए कोई योग्यता की ज़रुरत नहीं है; कोई नौकरी का विवरण नहीं, कोई बायोडाटा स्क्रीनिंग नहीं… यह एक सरल हाँ या नहीं वाला प्रश्न है। जब मुझे यह बुलावा मिला, तो मेरे पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं था। मैंने जब अपने सेवा क्षेत्र में प्रवेश किया, तब किसी प्रकार का लाभ पाने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी। समय ने साबित कर दिया कि येशु के लिए एक इच्छुक और प्रेमपूर्ण हृदय ही वह सब था जिसकी मुझे आवश्यकता थी। उसने बाकी सब संभाल लिया। एक बार जब आप हाँ कहते हैं, तो आप अपने आप में बदलाव देख सकते हैं! जीवन अधिक सार्थक, आनंदमय और रोमांचकारी हो जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि दुख कभी मौजूद नहीं होगा। "जब येशु के लिए इस संसार को छोड़कर अपने पिता के पास लौटने का समय निकट था, तो उसने अपने शिष्यों के पैर धोए। उसने पेत्रुस से कहा: 'यदि मैं तुम्हारे पैर न धोऊँगा, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई सम्बन्ध नहीं रह जाएगा।'" उसने आगे कहा: "इसलिए यदि मैं - तुम्हारे प्रभु और गुरु – ने तुम्हारे पैर धोए हैं, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए।" (योहन 13:14) एक तरह से, येशु पूछ रहे हैं: "क्या तुम भीगने के लिए तैयार हो?" पेत्रुस की तरह, हम स्वाभाविक रूप से सूखे और आरामदायक रहना पसंद करते हैं, लेकिन वह हमें अपने प्यार और अनुग्रह के जल में भीगने के लिए बुला रहा है। सबसे खूबसूरत बात यह है कि वह हमें अपने लिए नहीं बुला रहा है... जब येशु अपने शिष्यों के पैर धोने के लिए नीचे झुका, तो न केवल उसके शिष्य भीग गए, बल्कि इस प्रक्रिया में येशु के हाथ भी गीले और गंदे हो गए। जब हम मसीह के पदचिन्हों पर चलते हैं, तो उसके नाम पर दूसरों की सेवा करते हुए, हम भी उस बोझ और दर्द का हिस्सा बनेंगे जिससे दूसरा व्यक्ति गुज़र रहा है। पवित्र बाइबिल हमें निर्देश देती है: “भारी बोझ धोने में एक दूसरे की सहायता करें, और इस प्रकार तुम मसीह की विधि पूरी करें।” (गलाती 6:2) येशु के रूपान्तरण के बाद, पेत्रुस ने कहा: “प्रभु, यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है; आप चाहें, तो मैं यहाँ तीन तम्बू खड़ा कर दूंगा - एक आपके लिए, एक मूसा, और एक एलियस के लिए।” (मत्ती 17:4) ऐसा लगता है कि हम कई मायनों में पेत्रुस के जैसे हैं। तंबू लगाना और उस आरामदायक क्षेत्र में रहना हम पसंद करते हैं, चाहे वह हमारा गिरजाघर हो, घर हो या कार्यस्थल। सौभाग्य से, हमारे लिए पवित्र बाइबिल हमें ऐसे कई योग्य उदाहरण प्रदान करती है जिनसे हम सीख सकते हैं। होना या न होना हमारे पल्ली पुरोहित श्रद्धेय क्रिस्टोफर स्मिथ ने एक बार इस बात पर मनन किया कि कैसे योहन बपतिस्ता ने अपने आराम क्षेत्र जंगल को छोड़ दिया और मसीहा के आने की घोषणा करने के लिए शहर में आया। मूसा मिस्र से भाग गया और अपने ससुर के साथ अपने लिए एक तम्बू बनाया लेकिन परमेश्वर ने उसे बाहर निकाला और उसे एक मिशन सौंपा। उसे उसी मिस्र में वापस लाया गया जहाँ से वह भागा था, और परमेश्वर ने उसे अपने लोगों को बचाने के लिए शक्तिशाली रूप से इस्तेमाल किया। एलियस ईज़ेबेल से भाग गया और एक झाड़ी के नीचे शरण ली (1 राजा 19:4), लेकिन परमेश्वर ने उसे अपने लोगों के लिए अपनी योजना को स्थापित करने के लिए वापस लाया। अब्राहम को अपने रिश्तेदारों को छोड़ना पड़ा और यात्रा करनी पड़ी जहाँ परमेश्वर उसे ले गया, लेकिन उस राज्य को देखें जो परमेश्वर में अब्राहम के भरोसे के कारण विकसित हुआ! अगर मूसा घर पर रहता, तो इस्राएलियों का क्या हश्र होता? और अगर एलियस डर के मारे पीछे हट जाता और वापस आने से इनकार कर देता तो क्या होता? पेत्रुस को देखें, जिसने समुद्र में उग्र लहरों पर अपने पैर रखने के लिए नाव से विश्वास की छलांग लगाई। वह बिलकुल अकेला था, डूबने का डर उसके मन में था, लेकिन येशु ने उसे डगमगाने नहीं दिया। बाहर निकलने की उसकी इच्छा ने एक अविस्मरणीय चमत्कार की शुरुआत की, जिसका आनंद नाव के अंदर मौजूद अन्य डर से भरे शिष्यों में से कोई भी नहीं ले सका, क्योंकि उन्होंने अपने आराम के क्षेत्र से बाहर निकलने से इनकार कर दिया था। और इसी तरह, हमारे जीवन में भी, अपने तंबू से बाहर निकलने का पहला कदम उठाने केलिए परमेश्वर हमारा इंतज़ार कर रहा है। जब पवित्र आत्मा ने मुझे लेखन के माध्यम से सुसमाचार प्रचार करने के लिए प्रेरित किया, तो मेरे लिए पहले इसे हाँ कहना बहुत मुश्किल था। मैं स्वभाव से डरपोक और शर्मीली हूँ, और जैसे पेत्रुस लहरों को देखता था, वैसे ही मैं केवल अपनी अक्षमताओं को देखती थी। लेकिन जब मैंने खुद को परमेश्वर की इच्छा के आगे समर्पित कर दिया और उस पर भरोसा करना शुरू कर दिया, तो उसने मुझे अपनी महिमा के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। आइए हम अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलें और पवित्र आत्मा के अभिषेक में भीगें, क्योंकि यह जलती हुई झाड़ी की शक्तिशाली आग थी जिसने मूसा का अभिषेक किया था। याद रखें कि कैसे (एक मिस्री को मारकर!) इस्राएलियों को 'बचाने' का मूसा का पहला प्रयास उन इस्राएलियों के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था? ऊपर से आने वाले आह्वान का धैर्यपूर्वक इंतज़ार करें, उसका अभिषेक प्राप्त करें, और उसके नाम का प्रचार करने के लिए दुनिया में जाएँ! ------------------------- लिडिया बोस्को एक कार्मेलाइट धर्म बहन हैं जो कैथलिक सेवा ‘अभिषेकाग्नि’ के माध्यम से प्रभु की सेवा करती हैं। वे अपने पति और तीन बच्चों के साथ दक्षिणी यू.एस.ए के दक्षिण कैरोलिना में रहती हैं।
By: लीडिया बोस्को
Moreड्राइविंग सीखना मेरे जीवन में बार-बार आने वाली एक बड़ी बाधा थी। इस घटना ने मेरे लिए इसे बदल दिया! दस साल पहले, ईश्वर ने मुझे पहली बार मेरे होने वाले पति से मुलाक़ात कराई। मैं उस समय श्रीलंका में रह रही थी जबकि वह ऑस्ट्रेलिया में रहता था। प्यार में पड़ने से मिलने वाली नई ऊर्जा से भरकर, श्रीलंका में रहते हुए, ड्राइविंग की तैयारी के लिए एक ड्राइविंग स्कूल में मैंने दाखिला लिया। पहले कभी गाड़ी न चलाने के कारण, मैं चिंतित थी, फिर भी दृढ़ थी, और ईश्वर की कृपा से, मैंने पहले प्रयास में ही अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लिया। छोटी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया पहुँचने के तुरंत बाद, मैंने एक स्थानीय ड्राइविंग स्कूल में दाखिला लिया और अभ्यास जारी रखने के लिए एक सेकंड-हैंड कार खरीदी। मेरी पहली गलती यह थी कि मैंने अपने पति को मुझे सिखाने का मौक़ा दिया। आप अच्छी तरह से कल्पना कर सकते हैं कि इसका क्या परिणाम हुआ होगा! चाहे मैं जितनी भी सीखती रही, मेरे अन्दर का डर मुझे पीछे खींचता रहा। मैं तब तक ठीक-ठाक गाडी चलाती थी, जब तक कि कोई कार मेरे पीछे नहीं आ जाती और यह मुझे परेशान कर देता, मानो मैं जांच के दायरे में हूं। मेरी उम्र पच्चीस के आसपास थी| ऐसी उम्र में इस तरह का डर बहुत ही अतार्किक था। पेशेवर ड्राइविंग प्रशिक्षक से सबक लेने से भी कोई मदद नहीं मिली। मैं अभ्यास करने में हिचकिचाने लगी और मेरी कार धीरे-धीरे धूल जमा करने लगी, जबकि मैं खुद को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि ड्राइविंग मेरे लिए नहीं है। काम पर जाने और वापस आने के लिए, मैंने दो बसें और एक ट्रेन ली, लेकिन खुद को ड्राइव करने के लिए मजबूर नहीं कर सकी। मैंने अपनी कार बेच दी। हार मानने को तैयार नहीं यह जीवन शैली स्पष्ट रूप से हमारे लिए काम नहीं कर रही थी, इसलिए मैंने एक बार फिर कोशिश करने का फैसला किया। अब 2017 था और मैंने एक नए प्रशिक्षक के साथ साइन अप किया। लग रहा था कि कुछ सुधार हो रहा है। हालांकि, मेरा पहला ड्राइविंग टेस्ट फिर से बहुत ही बेचैनी भरा था। मेरा प्रशिक्षक काफी क्रोधित था, और जब परीक्षक मेरे स्कोर का मूल्यांकन करने के लिए चला गया, तो उसने कहा “तुम निश्चित रूप से असफल हो जाओगी”। निराश और भारी मन से, मैं फैसला सुनने के लिए ड्राइविंग सेंटर में चली गयी। परीक्षक ने कहा “आप पास हो गयी हैं”! हैरान और अविश्वास में, मैंने पूरे दिल से ईश्वर का शुक्रिया अदा किया। मेरे पति भी बहुत खुश थे और मेरे नए आत्मविश्वास के आधार पर हमने फिर से एक सेकंड-हैंड कार खरीदी, बहुत उम्मीद थी कि इस बार यह काम करेगी। इसकी शुरुआत अच्छी रही और फिर धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, यह सब वापस आने लगा - घबराहट, डर, झिझक। छह महीने से थोड़ा ज़्यादा समय बीतने के बाद, मैंने फिर से अपना सारा आत्मविश्वास खो दिया। मैंने अपनी कार बेच दी। मेरे धैर्यवान पति का मानना था कि मैं अपनी क्षमताओं के साथ न्याय नहीं कर रही थी, इसलिए उन्होंने न केवल मेरे लिए प्रार्थना की बल्कि जब मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, तब भी उन्होंने मुझ पर विश्वास बनाए रखा। उस समस्या के जड़ का पर्दाफाश साल बीतते गए...2020 में, हम एक ऑनलाइन आतंरिक चंगाई सेवा में भाग ले रहे थे। वह असरदार और प्रभावशाली सेवा अपने अंत के करीब थी, और तब तक मुझे कुछ खास महसूस नहीं हुआ था। यह मेरे पति की प्रार्थना ही रही होगी जिसने स्वर्ग को हिला दिया, क्योंकि जब पुरोहित आंतरिक घावों की चंगाई के लिए प्रार्थना कर रहे थे, तो मुझे थीम पार्क में बम्पर कार खेलने की एक ज्वलंत घटना की स्पष्ट याद आई। मैं लगभग छह साल की रही होगी और इस खेल को आज़माने के लिए बहुत उत्सुक थी। मैंने एक छोटी गुलाबी कार को चुना, मैं उसमें कूद गई और खुशी से उसे चला रही थी, जब अचानक मुझे लगा कि पीछे वाली कार बार-बार मेरी कार से टकरा रही है। हालाँकि यह खेल का हिस्सा था, मुझे लगा कि मुझ पर हमला हुआ है, और अब उस वर्तमान क्षण में, मैं उस डरावनी और भयंकर भय और बेचैनी को फिर से महसूस कर रही हूँ जो बिल्कुल वैसा ही था जैसा मुझे गाड़ी चलाते समय महसूस होता था! मुझे याद है कि मैं अपने पिता को जल्द से जल्द वहाँ से निकलने के लिए बेचैनी से उकसा रही थी। यह एक ऐसी याद थी जो उस घटना के बाद से इतने सालों में एक बार भी मेरे मन में नहीं आई थी। मेरी समस्या के मूल कारण से हमारे प्रभु येशु मसीह मुझे ठीक कर रहे थे। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा बयान था कि हमारे पिता परमेश्वर ने गाड़ी चलाने की क्षमता के साथ मेरी सृष्टि की है, जिस पर मैं लगातार सवाल उठाती रही थी। सड़क पर वापस आने के लिए उत्सुक, मैंने अपने पति के साथ लंबी दूरी तक गाड़ी चलाई और इस डर से मेरी मुक्ति स्पष्ट थी। ड्राइविंग में मैं ने अच्छी प्रगति कर ली थी और अब मुझे मेरे पीछे वाली कार से कोई परेशानी नहीं थी। कोई सोच सकता है कि यही आखिरी झटका था जिसकी अपनी ज़िंदगी को बदलने के लिए मुझे ज़रूरत थी। मैं जितना भी सुधार करने वाली थी, और चूँकि मेरी ड्राइविंग का अभ्यास लगातार नहीं चल रहा था, मैं अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर नहीं थी। हमारे नवजात शिशु ने मेरे जीवन का अधिक समय ले लिया था, इसलिए मेरी प्राथमिकताएँ बदल गई थीं। हम जिस छोटे से शहर के अपार्टमेंट में रहते थे, वह हमारे छोटे बच्चे के पालन-पोषण के लिए उपयुक्त नहीं था। हम जो परवरिश उसे देना चाहते थे उस केलिए उपनगरीय जीवन ज़्यादा अनुकूल होगा, और जब तक मैं आसानी से गाड़ी नहीं चला पाती हूँ, तब तक हम यह कदम नहीं उठा सकते हैं। सैंतो निनोटो द्वारा मेरा बचाव उस समय मेरी सास हमसे मिलने आई थीं। वे प्राग के शिशु येशु की उत्साही भक्त थी, उन्होंने मुझे शिशु येशु के प्रति नव रोज़ी प्रार्थना (नोवेना) दी, और मैंने चमत्कार के लिए मन्नत रखती हुई प्रतिदिन प्रार्थना की। नोवेना पूरा करने के तुरंत बाद एक प्रथम शुक्रवार को, हम येशु के पवित्र हृदय के सम्मान में पवित्र मिस्सा में भाग लेने के लिए किसी गिरजाघर की तलाश कर रहे थे। हमने जितने भी गिरजाघर देखे वे सभी बंद थे, आखिरकार हम एक ऐसे गिरजाघर में पहुँचे जो न केवल खुला था बल्कि जहां सैंतो निनो* (पवित्र शिशु) का पर्व मनाया जा रहा था। समारोही पवित्र मिस्सा और गिरजाघर की सारी गतिविधियाँ शिशु येशु के प्रति श्रद्धा और प्रेम से भरी हुई थी। समारोह के अंत में गायक मंडली ने एक शक्तिशाली, गूंजती हुई ढोल की थाप बजाई, जिसने पूरे वातावरण को भर दिया। उस ढोल की हर थाप मेरी आत्मा को छेदती थी और मुझे लगता था कि मेरे सारे डर उड़ गए हैं। एक नया साहस और आशा ने डर की जगह ले ली। मेरा आत्मविश्वास अब मेरी अपनी क्षमताओं पर निर्भर नहीं था, बल्कि येशु मेरे भीतर क्या कर सकते हैं, इस पर निर्भर था। मेरी कमियों के बावजूद ईश्वर का अटल प्रेम मेरे पीछे दौड़ रहा था और अब समय आ गया था कि मैं सब कुछ उनके हवाले कर दूँ। ड्राइविंग प्रशिक्षक के साथ प्रशिक्षण के नए सत्रों को पूरा करने के बाद, हमने घर के सारे सामान समेट लिए और उपनगर में चले गए। मेरे पिता और ससुर ने मेरी ड्राइविंग में बाकी बची कुछ कमियों को दूर करने में मेरी मदद की और मेरी माँ ने मेरे लिए प्रार्थना की। लाइसेंस प्राप्त करने के सात साल बाद, मैं अब रोज़ाना आसानी से गाड़ी चला रही हूँ। हाईवे के पाँच लेन वाले हिस्से पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गाड़ी चलाना मुझे हमारे ईश्वर की अथाह शक्ति और दया की निरंतर याद दिलाता है। सारी महिमा, सम्मान और प्रशंसा येशु को मिले, जिसने स्टीयरिंग व्हील संभाला और मेरे परिवार के जीवन को बदल दिया। "जो मुझे बल प्रदान करते हैं, मैं उनकी सहायता से सब कुछ कर सकता हूँ।" – फिलिप्पी 4:13 * सैंतो नीनो डे सेबू शिशु येशु की एक चमत्कारी छवि है, जिसका आदर फिलिपिनो कैथलिक समुदाय द्वारा किया जाता है|
By: मिशेल हेरोल्ड
Moreहमारे पास जो कुछ भी है वह ऊपर से एक उपहार है, लेकिन कभी सोचा है कि जब ईश्वर ने आपको यह दिया तो उसका क्या इरादा था? जब मैं तीन भाइयों में सबसे छोटा था, तब तक मेरा परिवार ख्रीस्तीय परिवार था, लेकिन मेरा परिवार कोई ख्रीस्तीय रीति रिवाज़ का पालन नहीं करता था। मेरे माता-पिता शुरू से कैथलिक नहीं थे, इसलिए मुझे याद है कि प्रोविडेंस कैथलिक हाई स्कूल में एक नए छात्र के रूप में मेरे पहले दिन, मैं बिलकुल डर गया था, क्योंकि कभी किसी पुरोहित या धर्म बहन से मेरी भेंट नहीं हुई थी। मुझे कैथलिक मिस्सा के बारे में कुछ भी नहीं पता था, लेकिन मुझे स्कूल में सभी मिस्साओं में भाग लेने के लिए कहा गया था। मुझे ईश शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी हिस्सा लेना था, लेकिन उसके अंतर्गत नियमित रूप से आयोजित बेसबॉल कार्यक्रम में मुझे रूचि थी, इसलिए बेसबॉल खेलने के इरादे से मैं ने ईश शास्त्र की कक्षा में भाग लेने से कोई आपत्ति नहीं जताई। कुछ ढूँढ रहे हो ... 14 साल की उम्र में, मेरे साथियों के सामने विश्वास की बातों को लेकर शर्मिन्दगी का एहसास होने का बड़ा डर मुझे सताता था – मुझे दर था कि मुझसे कैथलिक विश्वास के बारे में बुनियादी सवाल पूछा जाएगा और मैं जवाब नहीं दे पाऊँगा। लेकिन हम नए छात्रों को ईशशास्त्र पढ़ाने वाली सिस्टर मार्गरेट ने कभी भी मुझे असहज नहीं किया। एक दिन कक्षा के बाद, वह मेरे लिए दरवाज़े पर इंतज़ार कर रही थी। मेरा इरादा सीधे उनके बगल से निकल जाने का था, लेकिन उन्होंने मुझे रोका, मेरी आँखों में देखा और कहा: "बर्क, तुम कुछ ढूँढ रहे हो।" मैंने वहाँ से जाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फिर से मुझे रोका और कहा: "इसे पढ़ो।" उन्होंने मुझे मेरी पहली बाइबल दी। उस शाम, बेसबॉल का अभ्यास, होमवर्क और रात के खाने के बाद, मैं अपने कमरे में गया, दरवाज़े बंद किए और बाइबल से मत्ती के सुसमाचार को पढ़ना शुरू किया। इसने मुझे वास्तव में इस तरह से आकर्षित किया कि यह मेरी आदत बन गई। धीरे-धीरे, ईशशास्त्र मेरी पसंदीदा कक्षाओं में से एक बन गया। पूरे स्कूल केलिए होने वाले मिस्सा समारोहों के दौरान, मैं अपने दोस्तों को परम प्रसाद स्वीकार करने के लिए जाते हुए देखता था और जिस रोटी के टुकड़े को वे ग्रहण कर रहे थे, उसके प्रति उनकी श्रद्धा के बारे में जानने के लिए मैं उत्सुक रहता था। हम कानिष्ठ लोगों के लिए आयोजित एक साधना के अवसर पर, अंतिम दिन के मिस्सा बलिदान के दौरान, परम प्रसाद से मेरी गहन साक्षात्कार हुआ, इसके द्वारा मेरे भीतर ईश्वर की शक्ति का एहसास हुआ। पुरोहित ने हमें परम प्रसाद की अभिषेक प्रार्थना और वितरण के लिए पवित्र वेदी की चारों ओर इकट्ठा किया; मैं पवित्र वेदी के इतने करीब कभी नहीं गया था। परम प्रसाद वितरण के दौरान, पुरोहित परमप्रसाद लेकर हम में से प्रत्येक के पास आये; मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। जैसे ही वे मेरे पास आये और कहा: "ख्रीस्त का शरीर", मेरा इरादा उन्हें यह बताना था कि मैं कैथलिक नहीं हूं। लेकिन यह कहने केलिए जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला, उन्होंने परम प्रसाद को मेरी जीभ पर रख दिया। मैंने उस क्षण महसूस किया कि ईश्वर की शक्ति मेरे पूरे शरीर से गुजर रही है। हालाँकि अब मैं जानता हूँ कि बपतिस्मा न पाए हुए व्यक्ति के लिए - यहाँ तक कि जो परम प्रसाद में येशु मसीह की वास्तविक उपस्थिति पर विश्वास नहीं करने वाले बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति के लिए भी – परम प्रसाद ग्रहण करना सही नहीं है, परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि मैंने अपना पहला पवित्र संस्कार संयोग से ग्रहण किया! इस घटना ने मेरे जीवन को बहुत गहराई से बदल दिया; मैंने विश्वास के बारे में और अधिक अध्ययन करना शुरू किया, और जब मैं मिसिसिपी चला गया, तब तक मैं एक कैथलिक बन चुका था जो हर दिन वास्तव में येशु मसीह को ग्रहण कर सकता था। उतार-चढ़ाव बेसबॉल अच्छा चल रहा था, और टीम अक्सर राष्ट्रीय स्तर पर रैंक करती थी। अपने अंतिम वर्ष के दौरान, जब मैं ज़ोन में आया, तो मैंने एक ग्रैंड स्लैम मारा (चौका, जो बेसबॉल खेल में बहुत कम लोग मार पाते हैं), जिस के कारण हम कॉलेज वर्ल्ड सीरीज़ में पहुँच गए। मुझे उस टूर्नामेंट का सबसे मूल्यवान खिलाड़ी नामित किया गया। लेकिन अगले तीन खेलों में कुछ त्रुटियों ने सब कुछ खत्म कर दिया। वर्ल्ड सीरीज़ मेजर लीग ड्राफ्ट के दौरान, मेरे आठ साथियों को ड्राफ्ट किया गया, लेकिन मेरे फोन की घंटी नहीं बजी। मैं टूट गया। मैं घर आया और मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मेरे हाई स्कूल के पूर्व बेसबॉल कोच, शिकागो व्हाइट सॉक्स के कोच बन चुके थे। कुछ हफ़्तों बाद उन्होंने मुझे फ़ोन किया और पेशेवर बेसबॉल खेलने के लिए ट्रायल के बारे में बताया। यह मेरे लिए अच्छा रहा, और अगले दिन, मैंने व्हाइट सॉक्स टीम के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। लेकिन यह वैसा नहीं हुआ जैसा मैंने योजना बनाई थी। सीज़न के अंत में, उन्होंने कहा: "बर्क, तुम सब कुछ अच्छा करते हो, लेकिन तुम कुछ भी महान नहीं करते, हम महानता की तलाश में हैं।" उन्होंने मेरे अनुबंध को नवीनीकृत नहीं किया। मैं कुछ समय तक कोशिश करता रहा, लेकिन आखिरकार मुझे इस सच्चाई का सामना करना पड़ा कि यह सब खत्म हो चुका है। मैं 23 साल का था और मेरे पास सिर्फ़ गणित की डिग्री थी। किसी ने बताया कि बीमांक विज्ञान (एक्चुरियल साइंस) में करियर बनाना संभव है, इसलिए मैंने वह पढ़ाई की, मुझे नौकरी मिल गई और मैंने खूब पैसे कमाए। लेकिन काम का तनाव इतना कम था कि मैं ऊब गया और मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। ओहियो विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, मुझे एक माइनर लीग बेसबॉल टीम, केन काउंटी कुगर्स, में नौकरी मिल गई। चार साल बाद, मेरे पास दो नौकरियों के प्रस्ताव आये - एक ही समय में बेसबॉल में दो नौकरी! मेरे सपनों के मुताबिक़! मैंने स्टेफ़नी को डेट करना शुरू ही किया था, जिससे मैं स्थानीय गिरजाघर में मिला था। एक रात, हम डिनर के लिए बाहर गए और जब हम रेस्तराँ से निकल रहे थे, तो उसने कहा: "चलो परम प्रसाद की आराधना के लिए गिरजाघर चलते हैं।" हालाँकि मैं कम से कम आठ या नौ साल से कैथलिक था, लेकिन मैंने परम प्रसाद की आराधना के बारे में कभी नहीं सुना था। स्टेफ़नी ने समझाया कि हम परम प्रसाद के संस्कार के सामने एक घंटे की शांत प्रार्थना करेंगे। उस आराधना के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मौन में, हमारी मुलाक़ात ईश्वर से होती है। हम हर मंगलवार की रात को एक घंटे की आराधना के लिए जाने लगे, और मौन से मेरा डर मौन की लालसा में बदल गया। यह मेरे हर सप्ताह का सबसे शांतिपूर्ण घंटा बन गया। और मेरे दिल में, पुरोहित बनने की भावना सतह पर उभरती रही। ऐसा लग रहा था जैसे ईश्वर मुझसे पुरोहित बनने के लिए कह रहा था; बार-बार एक सौम्य निमंत्रण। मेरे परिवार के सदस्य, दोस्त और यहाँ तक कि पूरी तरह से अजनबी लोग भी मेरे पास आने लगे और कहने लगे कि उन्हें लगता है कि तुम एक अच्छा पुरोहित बन सकता हो। मुझे लगा कि पवित्र आत्मा आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से काम कर रही है। इसलिए, मैंने स्टेफ़नी से बात की, और उसने मुझसे कहा कि अगर यह मेरी बुलाहट है, तो मुझे इसका पालन करना होगा। मेरा इरादा था कि मैं एक साल के लिए सेमिनरी जाऊँ और फिर स्टेफ़नी के पास लौट आऊँ। लेकिन जैसे ही मैं सेमिनरी के दरवाज़े से अंदर गया, मुझे ऐसी शांति महसूस हुई जो कभी खत्म नहीं हुई। मई 1998 में, जब मैं सेमिनरी का पहला साल पूरा कर रहा था, मुझे अपने पिता का फोन आया और उन्होंने मुझे तुरंत घर जाने के लिए कहा, क्योंकि मेरी माँ को फेफड़ों के कैंसर का पता चला था, जो मस्तिष्क और कलेजे तक फैल गया था। मैंने सब कुछ छोड़ दिया और घर चला गया। कैंसर की बीमारी चौथे चरण पर पहुँच चुकी थी। हालाँकि हम उम्मीद करते रहे, दो महीने बाद, माँ टेलीविजन देखती हुई मेरी बाहों में गिर पड़ी और चली गयी। यह भयानक था। जब मैंने खिड़की से बाहर देखा और ड्राइव वे में अपनी माँ की कार देखी, तो मैंने कल्पना की कि मेरी माँ ईश्वर के आमने-सामने आ रही हैं। ईश्वर उनसे यह नहीं पूछ रहा था कि वह किस तरह की कार चलाती हैं या वह कितना पैसा कमाती हैं, बल्कि इसके बजाय, कुछ और बुनियादी बात पूछ रहा था, जैसे: "क्या तुमने अपने पूरे दिल, दिमाग और आत्मा से अपने ईश्वर से प्यार किया है, और अपने पड़ोसी से अपने जैसा प्यार किया है?" भले ही मेरी माँ, गिरजाघर नहीं जाती थीं, फिर भी उन्होंने हमें ईश्वर के प्यार के बारे में सिखाया था। सबसे बेहतर आनंद मैं आस्था के संकट से गुज़रा। मैंने यह भी सोचा कि क्या मृत्यु के बाद भी जीवन है। मैं अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति को मुझसे दूर करने के लिए ईश्वर से नाराज़ था, लेकिन ऐसा हुआ कि ईश्वर ने मुझे इससे बाहर निकाला। मैं सेमिनरी वापस गया और कुछ वर्षों बाद मुझे पुरोहिताई का अभिषेक मिला। मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ कि मैं कभी भी बेसबॉल के प्रमुख दलों में नहीं पहुँच पाया, क्योंकि पुरोहित के रूप में मैंने जो आनंद और शांति का अनुभव किया है, वह बेसबॉल के मैदान पर मेरे द्वारा अनुभव की गई किसी भी आनंद से कहीं ज़्यादा है। मैं न केवल शिकागो के बेसबॉल क्लबों के लिए धार्मिक परामर्शदाता रहा हूँ, बल्कि मैंने कैथलिक खेल शिविरों को स्थापित और संचालित किया है, जिनका अब विस्तार हो रहा है। यह ईश्वर का अनोखा तरीका था, जिस तरीके से खेलों में मेरे शौक और मेरी पसंद को आत्मसात करने और इसे अपने सेवा क्षेत्र में लाने की ईश्वर ने मुझे अनुमति दी। ईश्वर हमें एक उद्देश्य के साथ उपहार देता है, और वह चाहता है कि जिन तरीकों से हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी, उन तरीकों से हम उनकी महिमा के लिए उन उपहारों का उपयोग करें। ------------------------- फादर बर्क मास्टर्स इलिनोई के हिंसडेल में सेंट आइजैक जोग्स पल्ली में सेवा करते हैं। वे ‘ए ग्रैंड स्लैम फॉर गॉड: ए जर्नी फ्रॉम बेसबॉल स्टार टू कैथलिक प्रीस्ट’ नामक पुस्तक के लेखक हैं।
By: फादर बर्क मास्टर्स
Moreहर क्रिया के साथ, हम एक तीर लक्ष्य की ओर निशाना साध रहे हैं। क्या हम हर बार कहते हैं "अरे निशाने पर सही नहीं गया! क्या मैं इसे फिर से कर सकता हूं?" बातचीत पिछली रात शुरू हुई थी, जैसे कई अन्य बातचीत होती हैं, पूरी तरह से निर्दोष बातचीत। घर के रास्ते पर, मुझे असहजता का एहसास हुआ। उन शब्दों पर विचार करते हुए जो मैंने पहले अपनी दोस्त से साझा किए थे, मुझे लगा कि क्या मैं वही पुराना संकेत महसूस कर रही हूं जो शायद पवित्र आत्मा की ओर से मुझे मिल रहा है। रात के अँधेरे में भी ईश्वर का आत्मा मुझे सलाह देता है, जिसे स्तोत्र 16:7 में वर्णित किया गया है? “मैं अपने परामर्शदाता ईश्वर को धन्य कहता हूँ। रात को भी मेरा अंत:करण मुझे पथ दिखाता है।” गेराज में गाड़ी लगाते हुए, मैंने तुरंत उस विचार को नकार दिया... आखिरकार, यह महिला कुछ अन्य महिलाओं के साथ कुछ समस्या का सामना कर रही थी, इसलिए उसने उन समस्याओं को लेकर मुझसे संपर्क किया, और मैं अपनी प्रतिक्रिया में सहानुभूति और समझदारी दिखाने की कोशिश कर रही थी। अगली सुबह, हालांकि, यह स्पष्ट था कि स्तोत्रकार का अनुभव अब मेरा था: प्रभु वास्तव में “मेरा परामर्शदाता ईश्वर मुझे परामर्श देता है; रात को भी मेरा अंत:करण मुझे पथ दिखाता है।” मुझे कुछ साल पहले शब्दों की शक्ति के बारे में मैंने जो सीखा था, जागते ही वह तुरंत याद आया। हाँ, जो कुछ मैंने पिछली रात साझा किया था, वह सत्य था। यह उस संदर्भ में सहायक भी था, जो मेरी इस व्यक्ति के साथ संबंधों के संदर्भ में था। मेरी प्रतिक्रिया प्रेरणादायक नहीं थी! अफसोस, इसे आवश्यक भी नहीं कहा जा सकता था! सौभाग्य से, मेरा आंकलन सकारात्मक नोट पर समाप्त हुआ, क्योंकि मेरी टिप्पणियों को दयालु माना जा सकता था, क्योंकि जब हम अपनी दोस्त की चिंताओं पर चर्चा कर रहे थे, तब मैंने इन महिलाओं के उन सुंदर गुणों को याद किया। जैसे हम में से अधिकांश किसी न किसी विशेष प्रकार का आइस क्रीम या अन्य पसंदीदा भोजन के स्वाद का बार-बार आनंद लेते हैं, वैसे ही हम में से कुछ के पास एक विशेष पाप होता है जिसका बार-बार स्वाद लेने का हमारा मन करता है। (एक कहानी याद आती है कि एक व्यक्ति पुरोहित के पास जाकर हर बार पाप स्वीकार में यह कहता है कि वह अशुद्ध विचारों में उलझा हुआ था...पुरोहित पूछते हैं: “क्या आपने उन विचारों के साथ रहकर पाप किया ?” पाप स्वीकार करनेवाला व्यक्ति जवाब देता है: “नहीं, लेकिन उन विचारों ने मेरे साथ रहकर पाप किया होगा!”) मैंने महसूस किया कि मैंने अपने विशेष 'स्वाद' वाले पाप के सामने समर्पण कर दिया था, जिसे मैं अक्सर स्वीकार करती थी, लेकिन फिर भी उसे दोहराती रहती थी... लेकिन जैसा कि कहानी में उस आदमी के पापस्वीकार से हमें हंसी आती है, उसी तरह मेरे पापस्वीकार के बारे में सोचकर मुझसे उस तरह की हंसी नहीं निकलती! अपने इस द्वंद्व पर विचार करते हुए, मैंने सोचा कि समान स्थिति में क्या कोई और इस तरह की सोच रख सकते हैं... किसी और का 'पसंदीदा पाप' क्या हो सकता है? क्या उन्होंने भी उसे बार-बार ईश्वर, पुरोहित या यहां तक कि किसी ऐसे दोस्त के सामने, जिसे वे विश्वास करते हैं, इस तरह बार बार पाप स्वीकार किया होगा,? बचपन से बड़े होने के पल बाइबिल में 'पाप' शब्द का यूनानी अनुवाद 'हमार्टानो' है, जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति तीर चला रहा है, लेकिन निशाना चूक जाता है। जो व्यक्ति निशाने से चूकता था, उसे पापी कहा जाता था। मेरी सारी कोशिशों के बावजूद, मैं भी निशाने से चूक गयी थी! उस सुबह ईश्वर से बात करने के बाद, मैंने अपनी दोस्त को संदेश भेजा। माफी मांगने के लिए टाइप करते हुए एक ऐसा विचार जो मेरे मन में आया उसे भी साझा करने के बाद, मुझे अंततः अपने 'हमार्टानो' की जड़ समझ में आई। मैंने अपने संदेश में लिखा: “मेरे शब्दों का उपयोग करने और लोगों के साथ कहानियाँ और बातचीत साझा करने की मस्ती मुझ पर हावी थी, जिसके कारण मुझे अनावश्यक और प्रेरणा न देनेवाले कार्यों के लिए इसका उपयोग करने की अपनी इच्छाओं को मैं रोक नहीं पाती थी।” मैंने संदेश समाप्त करते हुए अपनी दोस्त से कहा कि अगर मैं भविष्य में इन 'सीमाओं' से बाहर जाऊं, तो वह मुझे जवाबदेह ठहराए। मुझे जल्द ही जवाब में एक संदेश मिला: "चाहे हम कितने भी समय से येशु के साथ चल रहे हों, हमारे पास हमेशा और प्रगति करने के अवसर होते हैं। तुम माफ़ किए गए हो! मैं सहमत हूँ कि हमारी बातचीत जितनी देर तक चली, उतनी लंबी नहीं होनी चाहिए थी, जिससे हम एक खतरनाक क्षेत्र में पहुंच गए थे। मैं उन परिस्थितियों के प्रति अधिक सचेत रहने की पूरी कोशिश करूंगी और जरूरत पड़ने पर तुम्हें जवाबदेह ठहराऊँगी, और तुम्हारे लिए भी वही करने की उम्मीद करती हूं। प्रभु का धन्यवाद कि उसने हमें अपनी कृपा और दया से दिखाया, और हमें यह समझाया कि हमें कहां बेहतर करने की आवश्यकता है।" मेरी दोस्त की कृपालु प्रतिक्रिया और ईमानदारी की सराहना करते हुए, मुझे 'बेहतर करने' की प्रेरणा मिली! मुझे एहसास हुआ कि चूंकि यह स्पष्ट है कि हमारे भीतर कुछ ऐसा है, जिसे हम अपने सामान्य प्रलोभन में शामिल होकर या उसे बढ़ावा देकर पोषित कर रहे हैं, इसलिए इस परिणामी व्यवहार की जड़ तक पहुंचना अनिवार्य है। पवित्र आत्मा से यह जड़ हमारे सामने प्रकट करने के लिए कहने से, हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हम इस क्षेत्र में बार-बार निशाना क्यों चूकते हैं। हमारे साथ अतीत में क्या हुआ था, जिसके कारण हमारे अंदर एक खालीपन पैदा हो गया था, जिसे हम अपने पाप के स्वाद से भरना चाहते हैं? इस भोग-विलास से हम किस ज़रूरत या इच्छा को पूरा कर रहे हैं? क्या हमारे टूटेपन के कारण कोई घाव सड़ रहा है, जिसे भरने की ज़रूरत है? हम किस तरह की स्वस्थ प्रतिक्रिया पर विचार कर सकते हैं, जिससे न केवल दूसरों को चोट पहुँचने से रोका जा सके, बल्कि हम अपनी कमज़ोरियों में खुद के प्रति करुणा और अनुग्रह भी दिखा सकें? यह जानते हुए कि हमें ‘अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना है, दूसरों से प्रेम करने की कोशिश करने से खुद से भी प्रेम करने की ज़रूरत बढ़ती है, है न? बोयें, उगाएं और छांटें कभी-कभी, हम सालों तक एक ही व्यवहार में बने रहते हैं। मेरी दोस्त के अन्दर जवाब देने का साहस था, लेकिन बहुत से लोगों के पास ऐसा साहस नहीं होता है, इस कारण, हम ऐसे पैटर्न में बने रहते हैं जो पवित्र आत्मा के प्रयासों को सीमित करते हैं ताकि हम मसीह की प्रतिछाया के अनुरूप बन सकें। हम बदलने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन जब तक हम पर्याप्त रूप से प्रेरित नहीं होते हैं, शायद किसी और को अपना जवाबदेही के भागीदार बनाने के द्वारा, हम हार मान सकते हैं और अपनी पसंद के स्वाद पर वापस जा सकते हैं। चाहे वह रॉकी रोड आइसक्रीम हो, या मेरे द्वारा अनावश्यक शब्दों का चयन, प्रभु चाहते हैं कि हम जानें कि यदि हम उनकी आत्मा को हमें अन्य विकल्पों की ओर ले जाने देते हैं तो हमारा जीवन और हमारे आस-पास के अन्य लोगों का जीवन कितना अधिक सुखद हो सकता है । मुझे पता था कि जिस प्रवृत्ति में मैं इतनी आसानी से फंस गयी थी, उसको बदलने का तरीका खोजने की मुझे ज़रूरत है। जब मेरी दोस्त ने देखा कि मैं फिर से उस परिचित रास्ते पर चलना शुरू कर रही हूँ, तब मैंने उससे जवाबदेह होने में मेरी मदद करने के लिए कहा। चूँकि पाप से बचने के हमारे सभी प्रयास येशु के चरित्र का बेहतर अनुकरण करने की ओर ले जाते हैं, इसलिए गलाती 5:22-23 मेरे मन में आया। मैं पाप के अपने विशेष स्वाद के बजाय आत्मा के फलों में से किसी एक के साथ अपनी भूख को संतुष्ट करना चुन सकती थी। प्रेम, आनंद, शांति, सहनशीलता, मिलनसारी, दयालुता, भलाई, ईमानदारी, सौम्यता और आत्म-संयम के फल उत्पन्न करना येशु मसीह के समान बनने केलिए हमारे प्रयासों में पवित्र आत्मा के साथ हमारी भागीदारी का प्रमाण है। अभ्यास से परिपूर्णता नहीं मिलती, लेकिन यह प्रगति जरूर करता है! इन गुणों में से किसी एक का अभ्यास करने की दिशा में अपने इरादे को निर्देशित करके मुझे पता था कि मैं अंततः धार्मिकता का फल देखूंगी। प्रत्येक फल एक बीज बोने से शुरू होता है, फिर अंततः जब तक कि हम सही प्रकार का फल नहीं देखते, तब तक खाद देकर, उगाकर और छंटाई की जाती है। इस बीच, मैं अपने मन को अनुस्मारकों से खाद देना शुरू करूँगी, ऐसी कहावत के द्वारा: "शब्द तीर की तरह होते हैं; एक बार कमान से छोड़े जाने के बाद उन्हें वापस नहीं बुलाया जा सकता।" जब मैं अपने व्यवहार की जड़ जानती हूँ, और मैंने अपनी मित्र को मुझे जवाबदेह ठहराने के लिए आमंत्रित किया है, तब मैं आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करने पर ध्यान केंद्रित करने का विकल्प चुन रही हूँ, जैसा कि मेरी मित्र ने बहुत ही संक्षेप में बताया, उसी तरह जब मुझे लगता है कि दूसरे लोग हमें 'खतरनाक क्षेत्र में डाल रहे हैं', तब उनके साथ बातचीत समाप्त कर रही हूँ। यह देखने और चखने के बाद कि प्रभु अच्छे हैं, मैं जानती हूँ कि केवल वही वास्तव में मेरे दिल की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। स्तोत्र 16:8 आगे कहता है: "मैं प्रभु को सदा अपनी आँखों के सामने रखता हूँ; वह मेरे दाहिने विराजमान है, मैं विचलित नहीं होऊँगा।" मैं लक्ष्य पर निशाना लगाने के लिए एक बार फिर अपना तीर उठाती हूँ। प्रभु की कृपा से, समय के साथ, मेरा तीर निशाने के करीब पहुँच जाएगा। येशु की शिष्य बनने के लिए प्रतिबद्ध, मैं अपने स्वर्ग रुपी घर का मार्ग येशु का अनुसरण करूँगी। निश्चय ही तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। मैं चिरकाल तक प्रभु के मंदिर में निवास करूँगा। (स्तोत्र 23:6)
By: करेन एबर्ट्स
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