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जुलाई 31, 2021 1528 0 Shalom Tidings
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वुहान में क्रूस पर शहादत

चीन का वुहान वर्तमान के कोविड-19 महामारी के उपरिकेंद्र होने के अलावा और भी मामलों में जाना गया है। कलीसिया द्वारा संत घोषित किये गए चीन के पहले संत की शहादत का स्थल भी है वुहान। कई मिशनरियों ने उन्नीसवीं शताब्दी में चीन की यात्रा की थी और उन्हें मालूम था कि वे कभी अपने देश नहीं लौटेंगे। उनमें से एक थे फ्रांस के विन्सेंशियन मिशनरी फादर जीन-गैब्रियल पेरबोयरे । चीन की अपनी यात्रा के दौरान लिखे एक पत्र में उन्होंने जिक्र किया था, “मुझे नहीं पता कि मेरे आगे के रास्ते पर मेरे लिए किस बात की प्रतीक्षा है: निस्संदेह, वह क्रूस ही होगा, जो मिशनरी की दैनिक रोटी है। हम क्रूसित ईश्वर का प्रचार करने के लिए जा रहे हैं तो इस से किस बेहतर चीज़ की हम उम्मीद कर सकते हैं?”

विन्सेंशियन धर्मसमाज के लोग वुहान में चीनी बच्चों को छुडाने और उन्हें कैथलिक धर्म में प्रशिक्षित करने के काम में लगे हुए थे। फादर पेरबोयरे इस सेवा में मदद करने लगे। उन्हें 1839 में ईसाई धर्म पर प्रतिबंध लगाने वाले एक आदेश के तहत गिरफ्तार किया गया। महीनों तक तड़पा-तड़पाकर उनसे पूछताछ की गई, 1840 में आखिरकार उन्हें एक लकड़ी के क्रूस से बांध दिया गया और दम घुटने के कारण उनकी मौत हो गई।

सन 1899 में पोप लियो तेरहवीं द्वारा उन्हें धन्य घोषित किया गया। लिसियू के संत पुष्पा (संत तेरेसा) को फादर पेरबोयरे के प्रति विशेष श्रद्धा-भक्ति थी। अपनी निजी प्रार्थना पुस्तक में तेरेसा फादर पेरबोयरे के प्रति समर्पित एक पवित्र तस्वीर रखा करती थी। सन 1996 में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय द्वारा फादर जीन गैब्रियल पेरबोयरे संत घोषित किये गए।

संत जीन गैब्रियल पेरबोयरे पर विभिन्न प्रकार के उत्पीडन हुए थे। उनकी पीठ के निचले हिस्से पर लगातार उन्हें पीटा गया और टूटे हुए कांच पर घुटने टेकने के लिए उन्हें मजबूर किया गया। लेकिन जब उन्हें क्रूस पर लटकाया गया तो उन्हें साँस लेना असंभव हो गया था। कोविड -19 से पीड़ित लोगों के लिए इस संत की मध्यस्थता मांगना बहुत ही उपयुक्त है, क्योंकि उन्होंने स्वयं इस बीमारी से जुड़ी कुछ पीड़ाओं का अनुभव किया है।

अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले संत जीन गैब्रियल पेरोबोयरे द्वारा लिखित यह प्रार्थना है:

“हे मेरे दिव्य उद्धारकर्ता,

अपने व्यक्तित्व में तू मुझे परिवर्तित कर।

तुझ में, तेरे द्वारा और तेरे लिए जीने की कृपा मुझे प्रदान कर

ताकि मैं संत पौलुस के साथ सही मायने में कह सकूं,

“मैं अब जीवित नहीं रहा बल्कि मसीह मुझमें जीवित है।”

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