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जनवरी 20, 2022 373 0 David Beresford
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मेरे बिस्तर के नीचे भेड़िया

मैं डर गया था और डर के कारण बर्फ की तरह जम गया था, हिलने-डुलने या शोर करने में असमर्थ था।

वह एक ठंडी और भयानक रात थी। मैं बड़े आराम से बिस्तर पर सो रहा था कि अचानक एक विशाल, भूरे रंग का भेड़िया मेरे बेडरूम की खिड़की से अंदर आ गया। वह तेजी से फर्श को पार करके मेरे बिस्तर के नीचे छिप गया, अपने थूथन को मेरे गद्दे के बीच में से निकाल दिया। वास्तव में मेरी पीठ के मुलायम हिस्से पर भेड़िये के थूथन द्वारा दबाया जाना मैं महसूस कर रहा था। मैं डर गया था, डर से बर्फ की तरह जम गया था, हिलने-डुलने या शोर करने में असमर्थ था।

जैसे-जैसे समय बीतता गया कुछ भी नहीं हुआ, और मैंने मन ही मन सोचा, “मुझे कुछ करना होगा!” एक बच्चे के नाते मैं जानता था कि सबसे अच्छा काम जो मैं कर सकता था, वह है माँ को बुलाना। और इसलिए मैंने माँ को फोन करने की कोशिश की, लेकिन मेरे मुंह से जो कुछ निकला वह एक छोटी, कमजोर आवाज थी। माँ मुझे सुन नहीं सकती थी, लेकिन दूसरी तरफ भेड़िया भी बिस्तर के नीचे से जाने का नाम नहीं ले रहा था। मैं अब थोड़ा साहसी और धीर महसूस कर रहा था, इसलिए मैंने फिर से कोशिश की, “माँ!” यह आवाज़ अभी भी मेरी माँ को सुनने के लिए पर्याप्त नहीं थी, लेकिन भेड़िया अभी भी नहीं हिल रहा था। इसलिए मैंने एक गहरी सांस ली और जितनी जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “माँ!”

 बचाव अभियान

जल्द ही मैंने अपनी माँ को सीढ़ियों से ऊपर की ओर दौड़कर आती हुई सुना, उसके बाद मेरे पिताजी की जोरदार गड़गड़ाहट हुई। वे चिल्लाते हुए कमरे में घुसे, “डेविड, डेविड, क्या बात है?” “मेरे बिस्तर के नीचे एक भेड़िया है” धीमी आवाज में बड़बड़ाते हुए मेरी आवाज में अभी भी कम्पन था। मेरे पिताजी चौंक गए और उन्होंने मुझे आश्वस्त करने की कोशिश की कि इस देश में, और विशेषकर हमारे इलाके में कोई भेड़िया नहीं हैं। लेकिन मैंने उन्हें जल्दी जल्दी बताया कि कैसे एक बड़ा भूरा भेड़िया खिड़की से चढ़कर कमरे में घुसा और मेरे बिस्तर के नीचे छिप गया। मैंने फुसफुसाते हुए निष्कर्ष निकाला “मैं महसूस कर सकता हूं कि भेड़िये का थूथन अभी भी मेरी पीठ के मुलायम हिस्से को दबा रहा है”। मेरे पिताजी ने स्थिति पर नियंत्रण कर लिया, जबकि मेरी माँ हैरान सी खड़ी रही। पिताजी ने घोषणा की, “मैं तीन तक गिनने जा रहा हूं। तीन की गिनती पर, बिस्तर से लुढ़क कर नीचे आओ और मैं भेड़िये को पकड़ लूंगा।” मेरी माँ हांफने लगी, लेकिन मैं मान गया।

तीन की गिनती होने पर, मैं तुरन्त अपने बिस्तर से लुढ़ककर नीचे आ गया। मेरे पिताजी न हिले और न ही भेड़िया हिला। हम दोनों ने घुटने के बल से फर्श पर बैठकर बिस्तर के नीचे झाँका। कोई भेड़िया नहीं दिख रहा था। हमने दरवाजे के नीचे, और कमरे के कोने कोने पर तलाशी ली लेकिन कहीं कोई भेड़िया नहीं था। हतप्रभ होकर, मैंने वापस बिस्तर की ओर देखा और अचानक देखा कि एक छोटा बटन उस तरफ पड़ा हुआ है, ठीक उसी स्थान पर, जहाँ मैं लेटा हुआ था। एक जबरदस्त अहसास ने मुझे हिला दिया … मैं अपने बिस्तर पर पड़ा था, डर के कारण बर्फ की तरह जम गया था, हिलने-डुलने या शोर करने में असमर्थ …. सिर्फ एक बटन की वजह से आतंकित!

बचपन से इस घटना की स्मृति मेरे मन में गहराई से अंकित है। जैसे-जैसे मैं बड़ा और समझदार होता गया, मुझे एहसास हुआ कि ज्यादातर चीजें जो मुझे डराती हैं, वास्तव में मात्र “बटन” हैं,  मुझ पर झपटने के लिए इंतजार कर रहे उस शक्तिशाली भेड़िये की तरह। और अब मैं निश्चित रूप से “बटनों” से नहीं डरता।

जरा देखो तो

पूरी बाइबल में बार-बार एक संदेश पर जोर दिया गया है: “डरो नहीं।” निश्चय ही यह एक प्रश्न खड़ा करता है। हमें डरने की जरूरत क्यों नहीं है?  हमारी चारों ओर, भयानक परिदृश्य बन रहे हैं, और डरना सही लगता है। लेकिन ईश्वर कहते हैं, “डरो नहीं”। क्या इसका मतलब यह है कि जब हम डरते हैं तो हम कुछ गलत कर रहे हैं? नहीं, “डरो नहीं” यह सन्देश केवल हमें प्रोत्साहित करता है कि डर हमारे व्यक्तित्व को बाधित न कर सके या हमें वह व्यक्ति बनने से न रोकें जिसे बनने के लिए हम बनाये गए थे।

डर एक प्राकृतिक मानवीय प्रतिक्रिया है। जिन परिस्थितियों पर हमें तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है, उन पर डर हमारे शरीर और हमारे दिमाग को केंद्रित करता है। इसलिए, जिस समय मुझे पता है कि मेरे बिस्तर के नीचे एक भेड़िया है, उस समय मेरे दिमाग में जो डर आता है वह अच्छा है और स्वस्थ भी है। लेकिन यदि वह डर किसी ऐसी चीज पर आधारित हो जो सच नहीं है, तो इसका वास्तव में नकारात्मक प्रभाव होता है। परिणाम स्वरूप हम ऐसी स्थिति में फंस सकते हैं, कि हिलने-डुलने या प्रतिक्रिया करने में हम असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए जब हम भयभीत हों तो हमें रुककर नए सिरे से  सोचना चाहिए। हमें इसके बारे में प्रार्थना करनी चाहिए, सुनना चाहिए, चिंतन करना चाहिए और सोचना चाहिए, “क्या यह ऐसी चीज है जिससे मुझे डरने की जरूरत है?” शायद मैं इसे धकेलकर बाहर कर सकता हूं। हो सकता है कि यह मेरे भेड़िये की तरह हो। ऐसे मामले में मुझे मदद माँगने की ज़रूरत है, ताकि एक भयानक भेड़िये की अपनी त्रुटिपूर्ण धारणा को एक हानिरहित बटन की वास्तविकता में बदल जाए।

तो हमें डरने की जरूरत क्यों नहीं है? सरल उत्तर है: हम ईश्वर की संतान हैं। आप कितनी भी बुरी स्थिति में क्यों न हों, ईश्वर आपको अपनी मजबूत बाहों में सुरक्षित रखता है। वह आज आपसे बात करता है। उसे यह कहते हुए सुनें, “डरो मत” और उसकी शक्ति को अपनाएँ।

प्रार्थना:

प्यारे पिता, हमें इतना प्यार करने के लिए धन्यवाद। तू हमारे बारे में तू सब कुछ जानता है – हमारी सारी ताकतें, हमारी सभी कमजोरियां, और वे सभी चीजें जो हमें डराती हैं। प्रभु, तू हमारी चारों ओर अपनी शांतिपूर्ण उपस्थिति का अनुभव करने में हमें मदद कर, जिससे हमें अपने डर का सामना करने की शक्ति मिले। जब हम महसूस करते हैं कि हम चिंता में फंसे हुए हैं, तो हमें अपनी घबराहट को दूर करने और भय के बंधन से बचने की कृपा प्रदान कर। हम इस प्रार्थना को तेरे पवित्र नाम में मांगते हैं, आमेन।

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David Beresford

David Beresford The ARTICLE is based on the talk given by David Beresford for the Shalom World program “9PM Series”. To watch the episodes visit: shalomworld.org/shows/9-pm-talks

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