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अगस्त 18, 2021 1792 0 फादर जोसेफ गिल, USA
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प्रश्न और उत्तर

प्र – दुनिया में इतना मतभेद देखने पर मेरा दिल दुखी हो जाता है। चाहे वह नस्लों के बीच का मतभेद हो, राजनीतिक दुश्मनी हो या कलीसिया के भीतर के भेदभाव और फूट हो, आज हमारी संस्कृति में घृणा, फूट और क्रोध के अलावा कुछ भी नहीं है। एक कैथलिक के रूप में, अपनी इस विभाजित दुनिया में, सद्भाव और चंगाई लाने के लिए मैं अपनी भूमिका कैसे निभा सकता हूं?

– काइन’ और हाबील के समय से ही, फूट और घृणा दुष्ट शक्ति के प्राथमिक उपकरण रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि आज, सोशल मीडिया के माध्यम से और उन मुद्दों के साथ जिनके बारे में लोग दृढ़ता से महसूस करते हैं,हम अपनी दुनिया के भीतर दुश्मनी का एक अभूतपूर्व दौर से गुज़र रहे हैं। लेकिन हमारा कैथलिक विश्वास हमें एक बेहतर रास्ता दिखा सकता है!

सबसे पहले, हमें उस मूलभूत सत्य को याद रखना होगा कि प्रत्येक मनुष्य ईश्वर की प्रतिछाया में सृष्ट किया गया है – जिसमें हमारे दुश्मन भी शामिल हैं। जैसा कि मदर तेरेसा ने एक बार कहा था, “हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे के हैं।” वह अलग नस्ल या अलग राजनीतिक दल का व्यक्ति, वह व्यक्ति जिस के साथ हम फेसबुक पर बहस कर रहे हैं या जो हमारी चार दीवारी या बाड़ के उस पार खड़ा है, वह ईश्वर की प्रिय संतान है जिसके लिए येशु ने अपनी जान दे दी। लोगों पर ठप्पा लगा देना और उन्हें खारिज करना हमारे लिए आसान है। हम कहते हैं – “ओह,वह इतना अनाड़ी है कि फलाने पर आसानी से विश्वास कर लेता है” या “वह इतनी दुष्ट है कि फलाने उम्मीदवार का समर्थन करती है” – लेकिन ऐसी टिप्पणियाँ उनकी महान गरिमा को खारिज करता है। हमारे विरोधियों में संत बनने की क्षमता है, और हम जैसे हैं, वैसे वे भी ईश्वर की दया और प्रेम के लाभार्थी हैं।

आधुनिक दुनिया की बड़ी त्रुटियों में से एक यह उक्ति है कि किसी से प्यार करने के लिए, हमें हमेशा उनकी हर बात से सहमत होना चाहिए। यह बिलकुल गलत है! हम ऐसे लोगों से भी प्यार कर सकते हैं जिनके पास हमसे अलग राजनीतिक दृष्टिकोण, लैंगिक पसंद या धर्म मीमांसा संबधित उलटा दृष्टिकोण हैं। वास्तव में, हमें उनसे प्यार करना ही चाहिए। एक तर्क में जीत पाने से अधिक महत्त्वपूर्ण है किसी की आत्मा को मसीह के लिए जीत पाना। और किसी आत्मा को जीतने का एकमात्र तरीका प्रेम ही है। जैसा कि संत पापा संत जॉन पॉल द्वितीय ने एक बार कहा था, “मनुष्य के प्रति एकमात्र उचित प्रतिक्रिया सिर्फ प्रेम है।”

हमारे विरोधियों के प्रति प्रेम कई रूप लेता है। हम उनके लिए दया के ठोस कार्य करने की कोशिश करते हैं – यदि वे गर्मी के दिनों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और इसलिए वे प्यासे हैं, तो हम उन्हें पीने के लिए पानी देते हैं, भले ही हम उनके प्रदर्शन के मुद्दे से सहमत न हों। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके साथ हमारा संवाद सम्मानजनक हो और उनके साथ अपशब्द भरे संवाद न करने (विशेष रूप से तब जब हम उन्हें ऑनलाइन जवाब दें) के बजाय मुद्दों पर ही सीमित रहने के निर्णय पर हम अडिग रहें। हम उनके लिए प्रार्थना करते हैं – उनके मन परिवर्तन के लिए, उनकी आतंरिक चंगाई  के लिए, उनके पवित्रीकरण के लिए, और उन पर भौतिक आशीर्वाद के लिए। हम सही मायने में उनकी स्थिति को खारिज करने के बजाय उसे समझने की कोशिश करें। यहां तक ​​कि जो लोग मानते हैं कि हमारी त्रुटियां भी दोनों तरफ सामान्य हैं – हम उस सामान्य आधार की तलाश करें, इसकी पुष्टि करें और उन्हें सच्चाई तक ले जाने के लिए इस पर कार्य करें। कभी-कभी दुश्मन के प्रति हमारे प्यार को उन्हें बड़े प्रेम से मसीह के सत्य की भेंट देकर दिखाया जा सकता है। इसके अलावा, कभी कभार हम स्वयं गलत हो सकते हैं। अपनी गलती को पहचानने की पर्याप्त विनम्रता हममें होनी चाहिए। इस लिए हमें दूसरों की अंतर्दृष्टि और अनुभव से सीखने की ज़रूरत है।

अंत में, मुझे लगता है कि वेबसाइटों और समाचार लेखों से बचना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि वे जानबूझकर भड़काऊ स्वभाव के होते हैं। कई समाचार एजंसियां और सोशल मीडिया साइट्स लोगों के आक्रोश और गुस्से को उत्तेजित कराके ही अपना धंधा चलाते हैं। लेकिन ईश्वर चाहता है कि ख्रीस्तीय लोग शांति और प्रेम से भरे रहें! इसलिए उन वेबसाइटों या लेखों या लेखकों से बचें, जो केवल रेटिंग या वेबसाइट क्लिक के लिए विवाद को भड़काने की कोशिश करते हैं।

संत पौलुस रोमी 12 में हमें एक अच्छी नसीहत देते हैं: “बुराई के बदले बुराई नहीं करें। जहाँ तक हो सके, अपनी ओर से सबों के साथ मेलमिलाप बनाये रखें। यदि आपका शत्रु भूखा है, तो उसे खिलाएँ; और यदि वह प्यासा है, तो उसे पिलायें; क्योंकि ऐसा करने से , आप उसके सिर पर जलते अंगारों का ढेर लगायेंगे। आप लोग बुराई से हार न मानें, बल्कि भलाई द्वारा बुरे पर विजय प्राप्त करें।”

केवल सच्चे ख्रीस्तीय प्रेम, जिसे शब्दों और कर्मों में क्रियान्वित किया जाए, हमारी संस्कृति और हमारी दुनिया में फूट और मनभेद  को ठीक कर सकता है।

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फादर जोसेफ गिल

फादर जोसेफ गिल हाई स्कूल पादरी के रूप में एक पल्ली में जनसेवा में लगे हुए हैं। इन्होंने स्टुबेनविल के फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय और माउंट सेंट मैरी सेमिनरी से अपनी पढ़ाई पूरी की। फादर गिल ने ईसाई रॉक संगीत के अनेक एल्बम निकाले हैं। इनका पहला उपन्यास “Days of Grace” (कृपा के दिन) amazon.com पर उपलब्ध है।

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