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एक परिचित तस्वीर, एक नियमित काम, लेकिन उस दिन, कुछ नया और कुछ अलग था जिसने उसका ध्यान आकर्षित किया।
मेरे स्नानघर की अलमारी के कोने में एक पुरानी फोटोकॉपी की एक तस्वीर (लंबे समय से मुझे याद नहीं था कि यह कहाँ से आयी) एक प्लास्टिक के साफ फ्रेम में है। वर्षों पहले, मेरे अब वयस्क हो चुके बेटों में से एक ने इसे सावधानीपूर्वक फ्रेम किया और कपड़े रखने की अपनी अलमारी में रख दी। जब तक मेरा बेटा बड़ा हो गया, तब तक यह तस्वीर वहीं रही। जब मैंने घर बदला, तो मैंने इसे अपने स्नानागर की अलमारी के कोने में स्थानांतरित कर दिया था। जब मैं बाथरूम की सफाई करती हूँ, तो मैं हमेशा छोटे फ्रेम को उठाकर उसके नीचे की सतहों को पोंछती हूँ। कभी-कभी, मैं कपड़े से फ्रेम की चिकनी साइड्स को पोंछकर जमी हुई धूल और अदृश्य कीटाणुओं को साफ कर देती हूँ। लेकिन, कई अन्य परिचित चीजों की तरह मैं शायद ही कभी पुराने बचकाने फ्रेम के अंदर की छवि पर ध्यान देती हूँ।
हालांकि, एक दिन, इस तस्वीर ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। मैंने उत्सुकता से उस तस्वीर में दो आकृतियों — एक बच्चे और येशु — की आँखों पर ध्यान केंद्रित किया। छोटे बच्चे के चेहरे से येशु के प्रति प्यारभरी भक्ति झलक रही थी। बच्चे की मासूमियत और येशु के प्रति अवरोधित सम्मान उसकी नरम और काजल से सजाई गयी आँखों में स्पष्ट मालूम हो रहा था। बच्चे ने येशु मसीह के सिर पर काँटों का ताज या उसके दाहिने कंधे को कुचलने वाले क्रूस की भयावहता को नहीं देखा । बल्कि येशु की भारी पलकों वाली आँखें, झुर्रियों के नीचे से बालक की ओर देख रही थीं। कलाकार उन आँखों के पीछे के दर्द की गहराई को कुशलता से छिपाने में कामयाब था।
मैंने एक माँ के रूप में अपने शुरुआती वर्षों की एक स्मृति को याद किया। मैं तीसरी बार गर्भवती थी। गर्भावस्था के अंतिम दिनों में, मैं गर्म पानी में नहाकर अपने दुखते शरीर को शांत करने का प्रयास कर रही थी। मेरे दो छोटे बेटे मेरे बाथटब के चारों ओर टहल रहे थे। वे ऊर्जा से भरे हुए थे और गपशप कर रहे थे, क्योंकि वे बाथटब के चारों ओर घूमते और मुझसे सवाल पूछ रहे थे। मेरी प्राइवेसी और शारीरिक असुविधा उनके बाल मन के लिए कोई मायने नहीं रखती थी।
मैंने अपने बेटों को यह समझाने की कोशिश की कि मैं दुखी थी और कुछ समय एकांत में रहना चाहती थी| इस व्यर्थ प्रयास में मैं ने जो आंसू बहाए थे, उन आँसुओं को मैं ने याद किया| लेकिन वे केवल छोटे बच्चे थे जिन्होंने मुझे अपनी माँ के रूप में हमेशा उपस्थित देखा, जो उनके दुखों को चूमकर ठीक करती थी और हमेशा उनकी कहानियों को सुनने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तैयार रहती थी। बच्चे को जन्म देने में माँ को जो शारीरिक बलिदान देना पड़ता है, उसे समझने में वे असमर्थ थे। पर मैं उनके लिए उनकी मजबूत थी |
मैंने समानताओं पर गौर किया। मेरे छोटे बच्चों की तरह, चित्र में बच्चे ने हमारे प्रभु को अपने व्यक्तिगत, मानवीय अनुभवों के दृष्टिकोण से देखा। उसने एक प्यार करने वाले शिक्षक, एक वफादार दोस्त, और एक स्थिर मार्गदर्शक को देखा। मसीह ने दया से ओतप्रोत होकर अपनी पीड़ा की तीव्रता को छिपा दिया— और कोमलता तथा करुणा के साथ बच्चे की आँखों में अपनी आँखें डाली। प्रभु येशु जानते थे कि बच्चा उसके उद्धार की कीमत पर भोगी गयी पीड़ा के पूर्ण माप को देखने और समझने के काबिल नहीं था I
हमारी चीजों, लोगों, और परिस्थितियों के साथ जान पहचान हमें वास्तविकता के प्रति अंधा बना सकती है। हम अक्सर पुराने अनुभवों और अपेक्षाओं की धुंधली सुरंगों के माध्यम से देखते हैं| चूंकि इतनी सारी उत्तेजनाएं हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, इसलिए यह उचित है कि हम अपने आस-पास की दुनिया को होशियारी से छानकर समझ लें। लेकिन चित्र में जो बच्चा है, उसकी तरह और मेरे अपने छोटे बच्चों की तरह, हम जो देखना चाहते हैं उसे देखते हैं और जो हमारे दृष्टिकोण से मेल नहीं खाता उसे अनदेखा करते हैं।
मुझे विश्वास है कि येशु हमारे अंधेपन को ठीक करना चाहते हैं। बाइबल में अंधे व्यक्ति ने, येशु द्वारा छूए जाने पर कहा: “मैं लोगों को देखता हूँ, वे पेड़ों जैसे लगते, लेकिन चलते हैं” (मारकुस 8:22-26)| हम में से अधिकांश लोग साधारण बातों को अचानक दिव्य आँखों से देखने के लिए तैयार नहीं हैं। हमारी आँखें अभी भी पाप के अंधकार की आदि हैं, हमारी आँखें आत्मनिर्भरता से अत्यधिक जुड़ी हैं, हमारी आँखें अपनी भक्ति और आराधना में बहुत आत्मसंतुष्ट हैं, और हमारी आँखें हमारे मानव प्रयासों पर घमंड करती हैं ।
हमारे उद्धार के लिए कलवारी पर चुकाई गई कीमत आसान नहीं थी। यह बलिदान था। फिर भी, मेरे स्नानागार की अलमारी में रखी तस्वीर के बच्चे की तरह, हम केवल येशु की कोमलता और दया पर ध्यान केंद्रित करते हैं। और चूंकि वह दयालु है, इसलिए येशु जल्दीबाजी नहीं करते; वह हमें विश्वास की परिपक्वता को धीरे-धीरे धारण करने में मदद देते हैं।
अपने आप से यह पूछना अच्छा होगा कि क्या हम वास्तव में आध्यात्मिक परिपक्वता के लिए प्रयास करते हैं। मसीह ने अपना जीवन इसलिए नहीं दिया कि हम आशीर्वादों की काल्पनिक दुनिया में बने रहें, पर उन्होंने अपना जीवन इसलिए दिया ताकि हमें अनंत जीवन मिल सके| हमें अपनी आँखें खोलने की जरूरत है ताकि हम देख सकें कि उन्होंने इसे अपने रक्त की कीमत पर खरीदा है।
जैसे ही हम चालीसा और विशेष रूप से पवित्र सप्ताह के दौर से यात्रा करते हैं, हमें अपनी आँखों पर से अन्धकार की पट्टी हटाने के लिए ख्रीस्त को अनुमति देनी चाहिए| स्वयं को उनकी इच्छा के लिए समर्पित करना चाहिए, उन्हें हमारी एक एक मूर्ती को हटाने की अनुमति देनी चाहिए, और हमारे जीवन में जिन बैटन से हम अत्यधिक परिचित हो गए हैं उन्हें उतार फेंकना चाहिए, ताकि हम भक्ति-आराधना, परिवार, और पवित्रता के पुराने आशीर्वादों को नई आँखों से गहरी, स्थायी विश्वास के साथ देख सकें।
Tara K. E. Brelinsky एक स्वतंत्र लेखिका और वक्ता हैं। वे उत्तरी कैरोलिना में अपने पति और आठ बच्चों के साथ रहती है। उनके चिंतन और प्रेरक लेखों को आप Blessings In Brelinskyville blessingsinbrelinskyville.com/ में पढ़ सकते हैं या उन्हें The Homeschool Educator पोडकास्ट में सुन सकते हैं।
मैं अपनी पुरानी प्रार्थना की डायरी देख रही थी, जिसमें मैंने प्रार्थना के लिए बहुत से अनुरोध लिखे थे। मुझे आश्चर्य हुआ कि उनमें से हर एक का उत्तर दिया गया! आजकल खबरों पर सरसरी नज़र डालने वाला कोई भी व्यक्ति निराश हो सकता है, वह सोच सकता है कि ईश्वर कहाँ है, उसे लगता है कि प्रत्याशा की बड़ी ज़रूरत है। मुझे पता है कि मैंने खुद को कुछ दिनों में इस स्थिति में पाया है। हम अपने आप को नियंत्रण से बाहर महसूस करते हैं, और हम सोचते हैं कि हम उन सभी भयानक बातों के बारे में क्या कर सकते हैं जिनका हम इन दिनों सामना करते हैं। मैं आपके साथ एक घटना साझा करना चाहती हूँ। कुछ साल पहले, जिन लोगों और बातों के लिए मैं प्रार्थना कर रही थी, मैंने उन प्रार्थना-अनुरोधों की एक डायरी रखनी शुरू की थी। मैं अक्सर इन बातों के लिए रोज़री माला की प्रार्थना करती थी, जैसा कि मैं आज भी प्रार्थना निवेदनों के लिए करती हूँ। एक दिन, मुझे अपनी लिखी हुई प्रार्थना अनुरोधों की एक पुरानी डायरी मिली। मैंने बहुत पहले लिखे गए मेरे उन पन्नों को पढ़ना शुरू किया। मैं चकित रह गयी। हर प्रार्थना का उत्तर मिला था - शायद हमेशा उस तरीके से नहीं, जैसा मैंने सोचा था, लेकिन ज़रूर उनका उत्तर मिला था। ये कोई छोटी-मोटी प्रार्थनाएँ नहीं थीं। "हे प्यारे परमेश्वर, कृपया मेरी चाची को शराब की लत से मुक्त कर। प्यारे ईश्वर, कृपया मेरी मित्र जो बांझ है, उसे बच्चे पैदा करने में मदद कर। प्यारे ईश्वर, कृपया मेरे दोस्त को कैंसर से चंगाई दे।" जैसे ही मैंने हर पृष्ठ को ऊपर से नीचे की ओर नज़र दौड़ाई, मुझे एहसास हुआ कि हर एक प्रार्थना का उत्तर मिला था। कई प्रार्थनाएँ मेरी कल्पना से भी बड़े और बेहतर तरीके से सुनी गयीं। कुछ ऐसी भी थीं, जिनके बारे में पहली नज़र में मुझे लगा कि उनका उत्तर नहीं मिला है। एक दोस्त जिसे कैंसर से चंगाई की ज़रूरत थी, वह मर गई थी, लेकिन फिर मुझे याद आया कि मरने से पहले उसने मेलमिलाप का संस्कार और रोगियों का विलेपन संस्कार प्राप्त किया था। वह ईश्वर की दया का अनुभव करती हुई, अपनी चारों ओर ईश्वर की चंगाई की कृपा के आलोक में, शांति से गुज़र गई। इसके अलावा, ज़्यादातर प्रार्थनाएँ इस दुनिया में ही सुनी गईं। कई प्रार्थनाएँ असंभव पहाड़ों की तरह लग रही थीं, लेकिन उन पहाड़ों को हटा दिया गया। हमारी प्रार्थनाओं और प्रार्थना में हमारी दृढ़ता को ईश्वर अपनी कृपा में लेता है, और वह सभी बातों को भलाई की ओर ले जाता है। मेरी प्रार्थनामय मौन और शांत अवस्था में, मैंने एक फुसफुसाहट सुनी, "मैं इन सभी बातों पर समय-समय पर काम करता रहा हूँ। चमत्कारों की ये कहानियाँ मैं लिखता रहा हूँ। मुझ पर भरोसा करो।" मेरा मानना है कि हम एक ख़तरनाक दौर में हैं। लेकिन मैं यह भी मानती हूँ कि हम ऐसे दौर के लिए बने हैं। आप मुझसे कह सकते हैं, "आपके व्यक्तिगत प्रार्थना अनुरोधों का उत्तर मिलना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन विभिन्न राष्ट्र आपस में युद्ध लड़ रहे हैं।" और मेरा जवाब फिर से यही है कि, ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है, यहाँ तक कि हमारी प्रार्थनाओं का उपयोग करके युद्ध को रोकना भी असंभव नहीं है। मुझे याद है कि ऐसा पहले हुआ है। हमें विश्वास करना चाहिए कि ईश्वर अभी भी इससे बड़ा काम कर सकता है। जो लोग याद करने के लिए पर्याप्त उम्र तक नहीं पहुंचे हैं, उनको मैं बताना चाहती हूँ कि कुछ वर्ष पहले एक डरावना दौर था जब ऐसा लग रहा था कि खूनी युद्ध होने वाला है। लेकिन रोज़री माला की शक्ति से, स्थिति बदल गई। मैं 8-वीं कक्षा में थी, और मुझे याद है कि फिलीपींस में सभी प्रकार के उथल-पुथल हो रहे थे। उस समय फ़र्डिनेंड मार्कोस उस देश के तानाशाही शासक थे। यह एक खूनी लड़ाई बनने जा रही थी जिसमें कुछ लोग पहले ही मर चुके थे। मार्कोस के एक कट्टर आलोचक, बेनिग्नो एक्विनो की हत्या कर दी गई। लेकिन यह खूनी लड़ाई नहीं हुई। मनीला के कार्डिनल जैम सिन ने लोगों से प्रार्थना करने को कहा था। लोग सेना के सामने गए, और ज़ोर ज़ोर से रोज़री माला की प्रार्थना करने लगे। वे सेना के लड़ाकू टैंकों के सामने खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे। और फिर, एक चमत्कारी घटना घटी। सेना ने अपने हथियार डाल दिए। यहां तक कि धर्म पर विश्वास नहीं करनेवाली मीडिया, शिकागो ट्रिब्यून ने भी रिपोर्ट की कि कैसे "बंदूकें रोज़री माला के सामने अभ्यर्पित की गईं।" क्रांति समाप्त हो गई, और परमेश्वर की महिमा दिखाई दी। चमत्कारों पर विश्वास करना बंद न करें। उन की प्रतीक्षा करें। और हर मौके पर रोज़री माला की प्रार्थना करें। प्रभु जानता है कि हमारी दुनिया को इसकी ज़रूरत है।
By: Susan Skinner
Moreजीवन की घुमावदार यात्रा में, यह जानकर दिलचस्प लगता है कि, आपके जीवन में कुछ अंधे मोड़ भी हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए! हम जानते हैं कि कार से यात्रा करते हुए अंधे मोड़ों की जांच करना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर लेन बदलने, वापस मुड़ने या नए मार्ग पर मोड़ने से पहले। दुर्भाग्य से, हम कभी-कभी मुश्किलों से सीखते हैं। हाल ही में, मैं इस धारणा से प्रभावित हुई हूं कि हम सभी में शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टिहीनता होती है। जब येशु ने कहा, ""मैं लोगों के पृथक्करण का निमित्त बनकर संसार में आया हूं, जिससे जो अंधे हैं, वे देखने लगें और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएं", तब येशु ने हमें इस दृष्टिहीनता से सावधान रहना सिखाया। जो फरीसी उनके साथ थे, वे यह सुनकर बोले, “क्या? हम भी अंधे हैं?” येशु ने उनसे कहा, “यदि तुम लोग अन्धे होते, तो तुम्हें पाप नहीं लगता, परन्तु तुम तो कहते हो कि हम देखते हैं; इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है” (योहन 9:39-41)। येशु यहाँ हमें क्या बता रहे हैं? हमें बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है कि हम येशु के चरणों में बैठे रहें, उनके निर्देशों पर ध्यान दें, उनसे सीखें और उनके द्वारा दिए गए सुधार के निर्देशों को खुले मन से स्वीकार करें। जैसे ही हम सोचते हैं कि हम मुक्ति के मार्ग पर 'आ गए हैं' या हमने 'इस मसीही जीवनशैली को अपना लिया है', हम खतरे के क्षेत्र में हैं। ईश्वर की अनंत प्रेमपूर्ण बुद्धि की तुलना में हमारे सबसे बुद्धिमान विचार, महान बलिदान और सबसे गहरा प्यार, सिर्फ हवा के बराबर है। क्योंकि हम केवल थोडा ही देखते हैं; हम पूरी तस्वीर, या ईश्वर की महायोजना को नहीं देखते हैं। केवल ईश्वर ही ऐसा करता है। संत पौलुस इसे इस प्रकार कहते हैं, ''अभी तो हमें आइने में धुंधला सा दिखाई देता है, परन्तु तब हम आमने सामने देखेंगे। अभी तो मेरा ज्ञान अपूर्ण है; परन्तु तब मैं उसी तरह पूर्ण रूप से जान जाऊंगा, जिस तरह ईश्वर मुझे जान गया है।” (1 कुरिन्थी 13:12)। मुश्किलों से मेरी सीख अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे याद आता है कि मैं बार बार अपने घमंड, पापों, कमियों, निर्णयों, धारणाओं, पूर्वाग्रहों और भय तथा विश्वास की कमी के बारे में पूरी तरह अनजान थी। शुक्र है, ईश्वर ने कुछ लोगों और कुछ घटनाओं को मेरे जीवन में ला दिया, जिससे आध्यात्मिक अंधेपन के कुछ पहलुओं को उजागर करने में मुझे मदद मिली। मैं मुश्किलों से सीखना चाहती हूँ। वर्षों तक, मैं इस बात को नहीं समझ पायी कि एक महिला मेरा क्यों किनारा कर के निकल जाती थी। इससे बहुत तनाव पैदा हो गया, क्योंकि हम खेलने और प्रार्थना करने वाले एक ही समूह में थे। आख़िरकार, मुझे यह पूछने का साहस और विनम्रता मिली कि मैंने उसे कैसे नाराज किया था। उत्तर दु:खदायी था, और यद्यपि हम कभी दोस्त नहीं बने, कम से कम अब मुझे अपने एक अंधे मोड़ के बारे में पता चला जो पहले रडार के नीचे था। लोगों को हमारी आँखों से धरन हटाने की अनुमति देने के लिए एक विनम्र हृदय की आवश्यकता होती है। और हमारी परेशानी यह है कि हम अक्सर पर्याप्त विनम्र नहीं होते हैं। मेरे जीवन में ऐसे कई उदाहरण हैं जब मैं इस बात से अनजान थी कि मेरी क्षमा न करने की प्रवृत्ति, अहंकार, आत्म संयम की कमी, पाप के प्रति समझौता या आभार भावना की कमी के कारण मुझे कितना नुकसान हुआ है। मैं यहां सार्वजनिक रूप से पाप स्वीकार नहीं कर रही हूँ, लेकिन यह गवाही देना चाहती हूँ कि ईश्वर धीरे-धीरे मुझमें आध्यात्मिक अंधेपन की परत उतार रहा है। हालाँकि यह दर्दनाक प्रक्रिया थी, लेकिन मुझे अधिक आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। हर दिन सीखने के लिए और भी बहुत कुछ है मेरी एक बुद्धिमान मित्र ने एक बार मुझसे कहा था कि वह प्रत्येक वर्ष चालीसा या तपस्या काल का इंतजार करती है। मैं कभी भी उसकी जैसी पवित्र व्यक्ति नहीं थी, इसलिए जब उसने ऐसा कहा तो मेरे कान खड़े हो गए। उसने मुझसे कहा कि चालीसा में किस चीज़ का परित्याग करना है, उस पर निर्णय वह स्वयं नहीं लेती है। यह काम वह अपने पति पर छोड़ देती है। मैं उस अवधारणा से बिल्कुल अभिभूत थी । क्या होगा अगर हम अपने जीवनसाथी या किसी भरोसेमंद साथी मसीही के पास जाएं और उनसे पूछें कि हम आध्यात्मिक रूप से कैसे बढ़ सकते हैं या पाप स्वीकार में हमें कौन सी पापपूर्ण आदत के बारे में बताना चाहिए? कई बार, हमारा मूल पाप अधिक स्पष्ट मुद्दों के नीचे दबा रहता है। उदाहरण के लिए, क्षमा न करने के कारण क्रोध हो सकता है, आत्मसंयम की कमी के कारण चिंता उत्पन्न हो सकती है, और अक्सर पूर्णतावाद के कारण घमंड उत्पन्न हो जाता है। ईश्वर की भलाई में विश्वास की कमी से अधिकांश पाप उत्पन्न होते हैं। आत्मिक निर्देशन की शक्ति आपके मूल पाप को चिन्हित करने में सक्षम हो जाने से आपके अन्दर एक वास्तविक शक्ति उत्पन्न होती है। यदि आप इसे पहचान सकते हैं, तो आप पश्चाताप करके इससे मुक्त हो सकते हैं। हालाँकि, मूल पाप पेचीदा हैं; वे नीचे दबे रहना पसंद करते हैं। पाप स्वीकार सुनने वाला कोई अच्छा नियमित व्यक्ति या आध्यात्मिक निर्देशक बड़े मददगार साबित होंगे। संत फॉस्टिना ने लिखा, "ओह, अगर मेरे पास शुरू से ही कोई आध्यात्मिक निर्देशक होते, तो मैं ईश्वर की इतनी सारी कृपा बर्बाद नहीं करती ।" जवाबदेही के लिए हम साझेदारों की तलाश कर सकते हैं। ईश्वर हमें स्वयं को बेहतर ढंग से 'देखने' में मदद करने के लिए अक्सर अन्य लोगों का उपयोग करता है। परिवार के सदस्य, विशेष रूप से वे जो सक्रिय रूप से येशु मसीह का अनुसरण कर रहे हैं, वे अंधे मोड़ों पर महान जांचकर्ता बन सकते हैं, क्योंकि वे हमें हमें सबसे अच्छे और सबसे बुरे रूप में देखते हैं। आइए, हम ईश्वर से यह प्रार्थना करना न भूलें कि वह हमारी जीवन यात्रा के अंधे मोड़ों को हमारे सामने प्रकट कर दे। जिस पाप के प्रति हम बेखबर हैं या अनदेखा करते हैं, यदि हम पवित्र आत्मा से उस पाप को हमें प्रकट करने केलिए कहें और पाप स्वीकार की तैयारी कर लें तो कैसा होगा ? मैं विशेष रूप से आप को सलाह देना चाहती हूँ कि आप बड़े निर्णय लेने से पहले बुद्धिमान मसीहियों से दिशा निर्देश प्राप्त कर ले। जिस तरह जब हम बाहर निकलने या किसी वाहन में दिशा बदलने की योजना बना रहे होते हैं तो अंधे मोड़ की जांच करना अधिक महत्वपूर्ण होता है, उसी तरह जब हम अपने पेशा, जीवन-यात्रा के विकल्पों और अन्य प्रमुख जीवन निर्णयों पर विचार कर रहे होते हैं तो हमें अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। स्वर्गीय पिता, हमें सुनने वाला विनम्र हृदय दे ताकि तू हमें बेहतर जीवन के लिए बदल सके। हमें तेरे प्रति और हमारे पड़ोसियों के प्रति प्यार को बढ़ाने के लिए अपनी दृष्टि प्रदान कर।
By: डेनीस जैसेक
Moreएक अभिनेता और निर्देशक के रूप में, पैट्रिक रेनॉल्ड्स ने सोचा कि ईश्वर केवल पवित्र लोगों के लिए है। एक दिन जब रोजरी माला की प्रार्थना करते समय उन्हें एक अलौकिक अनुभव हुआ, और उसी दिन वे ईश्वर की योजना समझ पाए। यहां उनकी अविश्वसनीय यात्रा का वर्णन है। मेरा जन्म और पालन-पोषण एक कैथलिक परिवार में हुआ था। हम हर सप्ताह मिस्सा बलिदान के लिए जाते थे, दैनिक प्रार्थना करते थे, कैथलिक स्कूल में जाते थे, और घर में बहुत सारी पवित्र वस्तुएँ रखी थीं, लेकिन किसी भी तरह से विश्वास हमें प्रभावित नहीं कर सका। जब भी हम घर से बाहर निकलते, माँ हम पर पवित्र जल छिड़कती थी, लेकिन दुर्भाग्य से, हमारा येशु के साथ कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं था। मैं यह भी नहीं जानता था कि यह संभव है। मैं समझता था कि ईश्वर कहीं बादलों में रहता है। वह वहाँ से हम सभी पर दृष्टि रखता है, लेकिन मेरे दिल और दिमाग में वह बहुत दूर और अप्राप्य था। हालाँकि मैंने ईश्वर के बारे में सीखा, लेकिन मैंने यह नहीं सीखा कि वह कौन और कैसा था। जब मैं लगभग दस साल का था, मेरी माँ ने एक करिश्माई प्रार्थना समूह में जाना शुरू किया, और मैंने देखा कि उनका विश्वास बहुत वास्तविक और व्यक्तिगत हो गया है। वह अवसाद से ठीक हो गई थी, इसलिए मुझे पता था कि ईश्वर की शक्ति वास्तविक थी, परन्तु मैंने सोचा कि ईश्वर केवल मेरी माँ जैसे पवित्र लोगों के लिए थे। जो मुझे दिया जा रहा था उससे कहीं अधिक गहरी चीज़ की मैं चाहने लगा था । जब संतों की बात आई, तो मुझे उनकी भूमिका समझ में नहीं आई और मुझे नहीं लगा कि उनके पास मुझे देने के लिए कुछ है क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि मैं भी पवित्र हो सकता हूं। अधूरा और खाली जब मैंने स्कूल छोड़ा, तो मैं अमीर और मशहूर बनना चाहता था ताकि मुझे हर कोई प्यार कर सके। मैंने सोचा कि इससे मुझे खुशी मिलेगी। मैंने निर्णय लिया कि अभिनेता बनना मेरे लक्ष्यों को प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका होगा। इसलिए, मैंने अभिनय का अध्ययन किया और अंततः एक सफल अभिनेता और निर्देशक बन गया। इसने मेरे जीवन में एक ऐसे द्वार को खोल दिया जिसका मैंने कभी अनुभव नहीं किया था और मुझे बहुत अधिक पैसा मिला, मुझे नहीं पता था कि इस पैसे का मुझे क्या करना है। इसलिए मैंने इसे उद्योग में जो महत्वपूर्ण लोग हैं उन्हें प्रभावित करने की कोशिश में खर्च कर दिया। मेरा पूरा जीवन लोगों को प्रभावित करने के लिए चीजें खरीदने का एक अनवरत चक्र था, ताकि मैं लोगों को प्रभावित करने के लिए और चीजें खरीदने के लिए और अधिक पैसे कमा सकूं। पूर्णता महसूस करने के बजाय, मुझे खालीपन महसूस हुआ। मैं ठगा सा महसूस करने लगा । मैं अपने पूरा जीवन वैसा बनने का दिखावा करता रहा जैसा दूसरे लोग चाहते थे। मैं कुछ और खोज रहा था लेकिन कभी समझ नहीं पाया कि ईश्वर के पास मेरे लिए कोई योजना थी। मेरा जीवन पार्टियों, शराब पीने और रिश्तों तक ही सीमित था, लेकिन असंतोष से भरा हुआ था। एक दिन, मेरी माँ ने मुझे स्कॉटलैंड में एक बड़े करिश्माई कैथलिक सम्मेलन में आमंत्रित किया। सच कहूँ तो, मैं जाना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे लगता था कि मैंने ईश्वर से जुड़ी सभी चीज़ों को अपने पीछे छोड़ दिया है, लेकिन माताएँ भावनात्मक ब्लैकमेल करने में अच्छी होती हैं; वे आपसे वो काम करवा सकती हैं जो कोई और नहीं करा सकता। उन्होंने कहा, “बीटा पैट्रिक, मैं दो साल के लिए अफ़्रीका में सेवा कार्य करने जा रही हूँ। यदि तुम इस साधना में नहीं आओगे, तो मुझे जाने से पहले तुम्हारे साथ कोई समय बिताने का मौका नहीं मिलेगा। उनके ऐसा अपील सुनने के बाद मैं उस सम्मलेन में चला गया। मैं अभी खुश हूं, लेकिन उस समय मुझे असहजता महसूस हो रही थी। इतने सारे लोगों को एक साथ गाते और ईश्वर की स्तुति करते हुए देखना अजीब लगा। जैसे ही मैंने कमरे के चारों ओर आलोचनात्मक रूप से देखा, ईश्वर अचानक मेरे जीवन में आ गया। पुरोहित ने आस्था के बारे में, पवित्र यूखरिस्त में येशु के बारे में, संतों के बारे में, और माँ मरियम के बारे में इतने वास्तविक और ठोस तरीके से बताया कि मुझे अंततः समझ में आ गया कि ईश्वर कहीं बादलों में नहीं, बल्कि वह मेरे बहुत करीब है, और उसके पास मेरे जीवन के लिए एक योजना है। कुछ और मैं समझ गया कि ईश्वर ने मुझे किसी कारण से बनाया है। मैंने उस दिन पहली बार ईमानदारी से प्रार्थना की, “हे ईश्वर, यदि तेरा अस्तित्व है, यदि तेरे पास मेरे लिए कोई योजना है, तो मुझे तेरी सहायता की आवश्यकता है। तेरी योजना को मुझपे इस तरह से प्रकट कर कि मैं उसे समझ सकूँ।“ लोगों ने माला विनती करना शुरू कर दिया, जिसे मैंने बचपन में ही छोड़ दिया था, इसलिए मुझे जो भी प्रार्थना याद आती थी मैं उसमें शामिल हो गया। जब उन्होंने गाना शुरू किया, तो मेरे दिल में कुछ पिघलने लगा और जीवन में पहली बार मुझे ईश्वर के प्रेम का अनुभव हुआ। मैं इस प्यार से इतना अभिभूत हो गया कि मैं रोने लगा। माता मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से मैं ईश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सका। मैं उस दिन मिस्सा बलिदान के लिए गया लेकिन मुझे पता था कि मैं परमप्रसाद ग्रहण नहीं कर सकता था क्योंकि मैंने लंबे समय से पापस्वीकार नहीं किया था। मेरा दिल ईश्वर के करीब रहने के लिए उत्सुक था, इसलिए मैंने अगले कुछ सप्ताह, एक ईमानदार और अच्छा पापस्वीकार करने की तैयारी में समय बिताया। एक बच्चे के रूप में, मैं नियमित रूप से पापस्वीकार केलिए जाता था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी वास्तव में ईमानदार था। मैं अपने पापों की खरीदारी की सूची में हर बार वही तीन या चार चीज़ें ले कर जाता था। इस बार जब मुझे पाप क्षमा मिली तो मुझे बहुत शांति और प्रेम का अनुभव हुआ। मैंने निर्णय लिया कि मुझे अपने जीवन में इसकी और अधिक ज़रुरत है। अभिनय करूं या नहीं? एक अभिनेता के रूप में, अपने विश्वास को जीना बहुत कठिन था। मुझे जो भी भूमिका दी जा रही थी, वह एक कैथलिक के रूप में विश्वास का खंडन करता था, लेकिन मेरी आस्था में पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं था। मुझे पता था कि मुझे और मदद की ज़रूरत है। मैं एक पेंटेकोस्टल चर्च में जाने लगा, जहाँ मेरी मुलाकात ऐसे लोगों से हुई जिन्होंने मुझे बाइबिल के बारे में और स्तुति और आराधना कैसे करनी है इन सबके बारे में सिखाया । उन्होंने मुझे आत्मिक सलाह, दोस्ती और समुदाय की संगति दी, लेकिन मैं यूखरिस्त में उपस्थित येशु को त्याग नहीं सकता था, इसलिए मैं कैथलिक कलीसिया में ही रहा। हर हफ्ते वे मेरी कैथलिक मान्यताओं को चुनौती देते थे, इसलिए मैं जाता था और उनके लिए उत्तर के साथ वापस आने के लिए अपनी धार्मिक शिक्षा का अध्ययन करता था। उन्होंने मुझे एक बेहतर कैथलिक बनने में मदद की, इससे मैं क्यों विश्वास करता हूँ, इसे समझकर विश्वास करने में मुझे मदद मिली। एक समय, मेरे मन में इस बात को लेकर मानसिक और भावनात्मक अवरोध था कि कैथलिकों को माता मरियम के प्रति इतनी भक्ति क्यों है। उन्होंने मुझसे पूछा, "आप मरियम से प्रार्थना क्यों करते हैं? आप सीधे येशु के पास क्यों नहीं जाते?" यह बात मेरे दिमाग में पहले से ही थी। मुझे ऐसा उत्तर ढूंढने में संघर्ष करना पड़ा जो सार्थक हो। संत पाद्रे पियो एक चमत्कारिक व्यक्ति थे जिनके जीवन ने मुझे एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। जैसा कि मैंने पढ़ा था कि कैसे माता मरियम के प्रति उनकी भक्ति ने उन्हें येशु मसीह और कलीसिया के दिल में गहराई तक पहुंचा दिया। मैंने संत पिता जॉन पॉल द्वितीय के बारे में भी सुना। इन दो महान व्यक्तियों की गवाही ने मुझे माता मरियम पर भरोसा करने और उनके उदाहरण का पालन करने के लिए प्रेरित किया। इसलिए, मैंने मरियम के निष्कलंक हृदय के माध्यम से संत पिता के मतलबों के लिए हर दिन प्रार्थना की। मैं और अधिक जानने के लिए मरियन आत्मिक साधना में भाग लिया। मैंने सुना कि संत लुइस डी मोंटफोर्ट की माता मरियम के प्रति महान भक्ति है, और प्रार्थना में मरियम से बात करना येशु की तरह बनने का सबसे तेज़ और सरल तरीका है। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने के दो तरीके हैं - इसे हथौड़े और छेनी से किसी सख्त सामग्री से गढ़ना, या एक सांचे में राल भरना और इसे सख्त होने के लिए छोड़ देना। एक साँचे में बनी प्रत्येक मूर्ति अपने आकार का पूर्णतया वही सुन्दर आकार लेती है (जब तक वह भरी हुई है)। माता मरियम वह साँचा है जिसमें येशु मसीह का शरीर बना था। ईश्वर ने उन्हें उस उद्देश्य के लिए परिपूर्ण बनाया। यदि आप माता मरियम द्वारा ढाले गए हैं, तो वह आपको पूर्णता में बनाएगी, बर्शते आप खुद को पूरी तरह से समर्पित कर देंगे। जब मैंने यह सुना तो मैं समझ गया कि यह सच है। जब हमने माला विनती की, तो मैंने केवल शब्दों का उच्चारण करने के बजाय, पूरे ह्रदय से भेदों पर मनन करते हुए प्रार्थना की। कुछ अप्रत्याशित हुआ। मैंने हमारी धन्य माँ के प्रेम का अनुभव किया। यह ईश्वर के प्रेम की तरह था, और मैं जानता था कि यह ईश्वर के प्रेम से आया है। लेकिन यह अनुभव बिलकुल भिन्न था। माँ मरियम ने मुझे ईश्वर से प्रेम करने में इस तरह से मदद की जिस प्रकार मैं अपने आप कभी नहीं कर पाया था। मैं इस प्रेम से इतना अभिभूत हो गया कि मेरी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। ऐसा अद्भुत उपहार पाना खेत में खज़ाना मिलने वाले दृष्टान्त के समान था। आप उस खेत को खरीदने के लिए सब कुछ बेचने को तैयार होंगे ताकि आप इस खजाने को पा सकें। उस क्षण से, समझ गया कि मैं अभिनय जारी नहीं रख पाऊंगा। मैं उस धर्म विहीन और धर्म विरोधी दुनिया में रहकर एक अच्छा कैथलिक नहीं बन सकता। मैं यह भी जानता था कि लोगों को ईश्वर के प्रेम के बारे में जानने की ज़रूरत है। इसलिए मैंने अपना करियर एक तरफ रख दिया ताकि मैं प्रचार कर सकूं। गहरी खुदाई मैं ईश्वर से यह पूछने के लिए आयरलैंड में दस्तक देने आया था कि वह मुझसे क्या चाहता है। माता मरियम ने १८७९ में दर्शन दिया था। उस दर्शन में मरियम संत युसूफ, संत योहन और वेदी पर ईश्वर के मेमने के रूप में येशु के साथ स्वर्गदूतों से घिरी हुई थीं। मरियम लोगों को येशु के पास ले जाने के लिए आयी। उनकी भूमिका लोगों को ईश्वर के मेमने के पास ले जाने की है। नॉक में, मैं उस महिला से मिला जिससे मेरी शादी बाद में हुई थी, और मैं उन लोगों से भी मिला जिन्होंने मुझे मिशन कार्य करने के लिए नौकरी की पेशकश की थी। मैं एक सप्ताहांत के लिए आया था, और 20 साल बाद भी, मैं अभी भी आयरलैंड में रह रहा हूँ। एक बार जब मैंने ठीक से माला विनती करना सीख लिया तो धन्य माँ के प्रति मेरा प्रेम बढ़ता गया। मुझे अपने आप से माला विनती करना हमेशा बहुत कठिन लगता था। जब मैं इंग्लैंड के वालसिंघम में राष्ट्रीय तीर्थस्थल पर गया, तब यह कठिनाई दूर हो गयी। वालसिंघम की माँ मरियम के प्रतिमा वाले छोटे प्रार्थनालय में, मैंने धन्य माँ मरियम से प्रार्थना करने और माला विनती को समझने की कृपा मांगी। कुछ अविश्वसनीय घटित हुआ! जैसे ही मैंने आनंद के भेद बोलना शुरू किया, प्रत्येक भेद में, मुझे समझ आया कि माता मरियम सिर्फ येशु की माँ नहीं थी, वह मेरी माँ भी थी, और मैंने महसूस किया कि मैं बचपन में येशु के साथ-साथ बढ़ रहा हूँ। इसलिए जब मरियम ने ईश्वर की माँ होने के सन्देश के लिए मंजूरी में "हाँ" कहा, तो वह मुझे भी "हाँ" कह रही थी, येशु के साथ अपने गर्भ में वह मेरा भी स्वागत कर रही थी। जब मरियम अपनी कुटुम्बिनी एलिज़ाबेथ से मिलने गई, मैंने महसूस किया कि मैं येशु के साथ उसके गर्भ में हूँ। और जब योहन बप्तिस्मा खुशी से उछल पड़ा तब मैं वहाँ मसीह के शरीर में था। येशु मसीह के जन्म के समय, ऐसा महसूस हुआ जैसे मरियम ने मुझे बड़ा करने के लिए "हाँ" कहकर मुझे नया जीवन दिया। जैसे ही उसने और संत युसूफ ने येशु को मंदिर में चढ़ाया, उन्होंने मुझे भी अपने बच्चे के रूप में स्वीकार करते हुए, पिता को अर्पित किया। जब उन्होंने येशु को मंदिर में पाया, तो मुझे लगा कि मरियम मुझे भी ढूंढ रहीं थी। मैं खो गया था, लेकिन मरियम मुझे खोज रहीं थी। मुझे एहसास हुआ कि मरियम इतने वर्षों से मेरी माँ के साथ मेरा विश्वास वापस लौटने के लिए प्रार्थना कर रहीं थी। मैंने होली फ़ैमिली मिशन की स्थापना में मदद की, एक ऐसा घर जहाँ युवा लोग अपने विश्वास के बारे में जानने के लिए आ सकते हैं और जिस शिक्षण को वे बचपन के बाद भूल गए थे उस वे फिर से प्राप्त कर सकते हैं। हमने पवित्र परिवार को अपने संरक्षक के रूप में चुना, यह जानते हुए कि हम मरियम के माध्यम से येशु के दिल में आते हैं। मरियम हमारी मां हैं और हम उनके गर्भ में हम संत युसूफ की देखरेख में येशु मसीह की तरह बने हैं। अनुग्रह पर अनुग्रह हमारी धन्य माँ ने नॉक में मेरी पत्नी को ढूंढने और उसे जानने में मेरी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी क्योंकि हमने यूथ 2000 नामक एक आंदोलन में एक-दूसरे के साथ काम किया था, जो माता मरियम और परम प्रसाद पर केंद्रित था। हमने अपनी शादी के दिन, खुद को, अपने वैवाहिक जीवन को और अपने भावी बच्चों को ग्वाडालूप की माता मरियम को समर्पित कर दिया। अब हमारे नौ खूबसूरत बच्चे हैं, जिनमें से प्रत्येक का माता मरियम के प्रति अद्वितीय विश्वास और समर्पण है, जिसके लिए हम बहुत आभारी हैं। माला विनती मेरे विश्वास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और मेरे जीवन में बहुत सारी कृपाओं का माध्यम बन गया है। जब भी मेरे पास कोई समस्या होती है, तो सबसे पहले मैं अपनी रोज़री माला उठाता हूँ और माता मरियम की ओर मुड़ता हूँ। संत जॉन पॉल द्वितीय ने कहा कि यह माता मरियम का हाथ थामने जैसा है ताकि वह किसी भी अंधेरे समय में, मुसीबतों में हमारा सुरक्षित मार्गदर्शन सकेगी। एक बार, मेरे एक करीबी दोस्त के साथ मेरी अनबन हो गई और मुझे सामंजस्य बैठाना बहुत मुश्किल हो रहा था। मैं जानता था कि उसने मेरे साथ अन्याय किया है और मुझे माफ करना कठिन लग रहा था। वह व्यक्ति उस चोट को नहीं देख सका जो उसने मुझे और दूसरों को पहुंचाई थी। मेरे अंतरतम का एक हिस्सा इसके बारे में कुछ करना चाहता था, एक दूसरा हिस्सा उससे प्रतिशोध लेना चाहता था। लेकिन इसके बजाय, मैंने अपना हाथ अपनी जेब में डाला और अपनी रोज़री माला के मोती उठा लिए। अभी मैंने केवल मला विनती का एक भेद पूरा किया ही था कि वह मित्र अपने बदले हुए अंतरात्मा के साथ मेरी ओर मुड़ा और मुझसे बोला, "पैट्रिक, मुझे अभी एहसास हुआ कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया और मैंने तुम्हें कितना नुकसान पहुँचाया है। मैं क्षमा चाहता हूं।" जैसे ही हमने गले लगाया और मेल-मिलाप किया, वैसे ही मैंने माता मरियम के पास हमारे दिल को बदलने की उस शक्ति को पहचाना। मरियम वह साधन है जिसे ईश्वर ने इस दुनिया में प्रवेश करने के लिए चुना है, और वह अभी भी उसके माध्यम से हमारे पास आना चाहता है। मैं अब समझ गया हूं कि हम येशु के बजाय मरियम के पास नहीं जाते हैं, हम मरियम के पास जाते हैं क्योंकि येशु उसके अन्दर हैं। पुराने नियम में, विधान की मञ्जूषा में वह सब कुछ था जो पवित्र था। मरियम नई विधान की मञ्जूषा है, सभी पवित्रता का स्रोत, वह स्वयं ईश्वर का जीवित मंदिर है। इसलिए, जब मैं येशु मसीह के करीब रहना चाहता हूं, तो मैं हमेशा मरियम की ओर रुख करता हूं, जिन्होंने येशु के साथ अपने शरीर के भीतर सबसे घनिष्ठ संबंध साझा किया। उनके करीब आने में, मैं येशु के करीब आ जाता हूँ।
By: Patrick Reynolds
Moreहम में से कई लोग लूकस के सुसमाचार (लूकस 18:9-14) के दृष्टांत से परिचित हैं जो फरीसी और चुंगी लेनेवाले की प्रार्थनाओं को नाटकीय और एक दूसरे से विपरीत रूप से प्रस्तुत करता है। जब हम उनकी प्रार्थनाओं की तुलना करते हैं, तो शायद हम अपनी पहचान फरीसी की प्रार्थना के साथ कर सकते हैं जो ईश्वर को धन्यवाद देता है कि वह उस चुंगी लेने वाले की तरह पापी नहीं था। उस प्रार्थना में निहित आत्मतुष्टि के भाव तथा श्रेष्ठता के भाव को पहचाने बिना ही हमने स्वयं को उदार समझते हुए ऐसी प्रार्थना की होगी। इसके विपरीत येशु चुंगी लेने वाले की विनम्र प्रार्थना की प्रशंसा करते हैं जिसकी विनम्रता और ईमानदारी उसे न्याय के साथ सानंद घर जाने की अनुमति देती है। यदि हम चुंगी लेने वाले का रवैया अपनाएंगे, तो हम अन्य लोगों के साथ अन्याय नहीं करेंगे। यदि हम ईमानदारी से स्वयं को पापी के रूप में देखते हैं, तो हम दूसरे पर दोष कैसे लगा सकते हैं? दूसरों को दोष देना या उनकी अंतिम नियति का आकलन करना श्रेष्ठता के दृष्टिकोण यानि अहंकार की भावना से आता है और हम कह सकते हैं कि यह अहंकार ही पहला पाप और सब से बड़ा पाप था। हमारा प्रभु अंतिम क्षण तक दया का द्वार हमेशा खुला रखता है। जैसे-जैसे हम अपना दिन गुजारते हैं, क्या हम यह विचार करना बंद कर देते हैं कि कितनी बार हम बाहरी धारणाओं के आधार पर दूसरों का मूल्यांकन करते हैं, जब कि प्रभु उनके दिलों के भीतर देखते हैं। क्या आप कभी समाचार देखते या पढ़ते समय स्वयं को दूसरों की निंदा करते हुए पाते हैं? कितनी बार किसी व्यक्ति की जाति, धर्म, यौन रुझान, या कोई अन्य गुण जो हम से भिन्न होता है, हमें उस पर दोष लगाने या नकारात्मक निर्णय देने का कारण बनता है? दुर्भाग्य की बात है कि हम में से बहुत से लोग अपने कार्यों और प्रेरणाओं की बारीकी से जांच करने में विफल रहते हुए दूसरों को आंकने की गंभीरता का एहसास नहीं करते हैं। सुसमाचार में येशु बहिष्कृतों और पापियों को गले लगाते हैं। वह उन लोगों के प्रति प्रेम और स्वीकृति दिखाता है जिन्हें स्व-धर्मी फरीसियों और शास्त्रियों ने अस्वीकार कर दिया था। जब भी हम उन लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं जो हम से अलग हैं या जिनके कार्यों से हमें ठेस पहुँचती है, तब पापियों के प्रति येशु की करुणा हमारे दिलों में भर जानी चाहिए। जब हम विनम्रता पूर्वक महसूस करते हैं कि हम वास्तव में पापी हैं, तो हम खुद को ईश्वर की दया पर छोड़ देंगे और महसूस करेंगे कि कलवारी पर येशु ने जो खून बहाया था वह हमारे लिए, हमारे दुश्मनों केलिए और उन लोगों केलिए बहाया गया था जिनके लिए हम न्याय करने के इच्छुक हैं। वे भी बहुमूल्य आत्माएँ हैं जिन्हें येशु मुक्त करना चाहते हैं। लोगों केलिए जब हम प्रार्थना करते हैं, तो आइए सब से पहले उनके प्रति अपना अभिवृति देखें। क्या हमारा रवैया करुणामय है या पूरी तरह से आलोचनात्मक है? प्रेमपूर्ण हृदय से निकली प्रार्थना न्याय से उत्पन्न प्रार्थना से अधिक लाभकर होगी। आइए हम प्रभु से उन पलों केलिए क्षमा मांगें, जब हम ने दूसरों के साथ अन्याय किया था और उस से विनती करें कि वह हमें अपने जैसा दयालु हृदय प्रदान करें।
By: Susan Uthup
More20 साल की उम्र में, एंथनी ने अपने माता-पिता को खो दिया। अब उसके पास एक बड़ी विरासत थी और अपनी बहन की देखभाल करने की जिम्मेदारी। लगभग उसी समय, एंथनी ने ख्रीस्तयाग के दौरान मत्ती के सुसमाचार से एक पाठ सुना, जहां येशु ने एक अमीर युवक से कहा, "यदि तुम पूर्ण होना चाहते हो, तो जाओ और अपना सब कुछ बेच दो और उस धन को गरीबों में बाँट दो।" एंथनी को विश्वास था कि वह धनी युवक वह स्वयं है। कुछ ही समय बाद, उसने अपनी अधिकांश संपत्ति दान कर दी, बाकी जो कुछ था, लगभग सब कुछ बेच दिया, और केवल उतना ही रखा जितना उसे अपनी और अपनी बहन की देखभाल के लिए चाहिए था। परन्तु यह बिल्कुल वैसी नहीं है जैसी प्रभु ने आज्ञा दी थी! कुछ समय बाद, एंथनी एक बार फिर ख्रीस्तयाग में भाग ले रहा था और उसने सुसमाचार का अंश सुना, “कल की चिंता मत करो; कल अपनी चिंता स्वयं कर लेगा” (मत्ती 6:34)। फिर से, वह जानता था कि येशु सीधे उससे बात कर रहे थे, इसलिए उसने जो कुछ बचाया था, उसे भी दे दिया, अपनी बहन की देखभाल के लिए, उसे कुछ भक्त महिलाओं को सौंप दिया, और गरीबी, एकांत, प्रार्थना और वैराग्य का जीवन जीने के लिए रेगिस्तान में चला गया। . उस कठोर रेगिस्तानी वातावरण में, शैतान ने उस पर अनगिनत तरीकों से यह कहते हुए हमला किया, "सोचो कि जो पैसा तुमने दान में बाँट दिया था, तुम उस पैसे से कितना बढ़िया मजेदार कार्य कर सकते थे!" प्रार्थना और वैराग्य में दृढ़, एंथनी ने शैतान और उसके उत्पीड़नों से लड़ाई लड़ी। बहुत से लोग एंथनी की प्रज्ञा से आकर्षित हुए, और उन्होंने उन्हें आत्म-त्याग और तपस्वी जीवन की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया। कोई आश्चर्य नहीं कि उनकी मृत्यु के बाद वे महान संत एंथनी या रेगिस्तान के संत एंथनी बन गए, जो ईसाई मठवासी परंपरा के पितामाह मने जाते हैं। एक बार एक बंधु ने संसार को त्याग कर अपना माल गरीबों को दे दिया, लेकिन अपने निजी खर्चों के लिए कुछ अपने पास रखे रहा। वह अब्बा एंथनी से मिलने गया। जब उसने पितामह एंथनी को यह बताया, तो बूढ़े एंथनी ने उससे कहा, "यदि आप एक तपस्वी बनना चाहते हैं, तो गाँव में जाएँ, कुछ मांस खरीदें, अपने नग्न शरीर को इससे ढँक लें और यहाँ उसी तरह आ जाएँ।" उस बंधु ने ऐसा ही किया, और कुत्तों और पक्षियों ने उसका मांस नोच डाला। जब वह वापस आया तो बूढ़े एंथनी ने उससे पूछा कि क्या उसने उसकी सलाह का पालन किया है। उसने उन्हें अपना घायल शरीर दिखाया, और संत एंथनी ने कहा, "जो दुनिया को त्याग देते हैं, लेकिन अपने लिए कुछ रखना चाहते हैं, वे उन पर युद्ध करनेवाले दुष्टात्माओं द्वारा इस तरह से फाड़े जाते हैं।"
By: Shalom Tidings
Moreपरमेश्वर प्रार्थनाओं का उत्तर देता है और कभी-कभी हम ने जिस के होने की संभावना पर सोचा ही नहीं था, परमेश्वर उससे भी बहुत आगे बढ़ता है... एक लोकप्रिय टेलीविज़न विज्ञापन है जो कई वर्षों तक एक घायल व्यक्ति को चित्रित करते हुए दिखाया गया है, "मेरी मदद करो, मैं गिर गया हूँ और मैं उठ नहीं सकता!" हालांकि वे लोग केवल एक मेडिकल अलर्ट सिस्टम बेचने के लिए प्रचार कर रहे अभिनेता लोग हैं जो किसी आपात स्थिति में मदद की पुकार लगा रहे हैं, हर बार जब मैंने उस विज्ञापन को देखा है तो मैंने सोचा है कि ऐसी हताश-भरे और नाजुक हालत में फँस जाना कितना भयावह होगा। अकेले रहना और गिरने के बाद वापस उठने में असमर्थ होना तनावपूर्ण और भयावह होगा। सौभाग्य से ऐसी कंपनियां और उपकरण हैं जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं, ताकि हमारे लिए या खतरे में फंसे हमारे प्रियजनों के लिए सुरक्षा उपाय किए जा सकें। आवर्ती दुविधा वह विज्ञापन एक दिन मेरे दिमाग में तब आया जब मैं प्रायश्चित के संस्कार (जिसे मेलमिलाप या पाप स्वीकार के नाम से भी जाना जाता है) प्राप्त करने की तैयारी में अपनी अंतरात्मा की जांच कर रही थी। परमेश्वर की उपस्थिति से मुझे दूर ले जाने वाली अपमानजनक बातों पर चिंतन करने के बाद, मुझे लगा कि यह निराशाजनक था कि मैं बारम्बार पवित्रता के मार्ग से गिर रही हूँ। मुझे ऐसा लगा कि ऐसे गुनाहों को जिन्हें मैं अक्सर पिछले पाप स्वीकार संस्कारों में कबूल किया करती थी, उन्हें मुझे फिर से कबूल करने की ज़रूरत थी। संत पौलुस उसी दुविधा के साथ अपने संघर्षों के बारे में बात करते हैं। रोमियों के नाम पत्र 7:15-19 में उन्होंने कहा, "मैं अपना ही आचरण नहीं समझता हूँ, क्योंकि मैं जो करना चाहता हूँ, वह नहीं, बल्कि वही करता हूँ जिससे मैं घृणा करता हूँ। यदि मैं वही करता हूँ जो मैं नहीं करना चाहता, तो मैं संहिता से सहमत हूँ और उसे कल्याणकारी समझता हूँ, किन्तु मैं कर्ता नहीं रहा, बल्कि कर्ता है, मुझ में निवास करने वाला पाप। मैं जानता हूँ कि मुझमें, आर्थात मेरे दैहिक स्वभाव में थोड़ी भी भलाई नहीं, क्योंकि भलाई करने की इच्छा तो मुझमे विद्यमान है, किन्तु उसे कार्यान्वित करने की शक्ति नहीं है। मैं जो भलाई चाहता हूँ, वह नहीं कर पाता, बल्कि मैं जो बुराई नहीं चाहता, वही कर डालता हूँ।" यह एक संघर्ष है, जिसका हम सभी अनुभव करते हैं। कैथलिक कलीसिया की धर्म-शिक्षा पाप के प्रति इस अवांछित झुकाव को "कामुकता" के रूप में परिभाषित करती है। विज्ञापन में अभिनेता से जुड़ना आसान था, क्योंकि आध्यात्मिक रूप से मैं गिर गयी थी, और ऐसा लगा कि मैं वापस नहीं उठ सकती। परमेश्वर से दूर जाने से मैं एक हताश, नाजुक स्थिति में पहुँच गयी, जो हमें उसके द्वारा दिए जा रहे कई अनुग्रहों से वंचित स्थिति थी। परमेश्वर के साथ मेरा रिश्ता टूट गया था, और उस पतित अवस्था में रहने का विचार तनावपूर्ण और भयावह था। हालाँकि, येशु मुझसे प्यार करता है। वह दयालु है और उसने अभी भी पाप के अवांछित झुकाव से पीड़ित हम सभी के लिए सुरक्षा उपाय किए हैं। अनवरत प्रार्थना मेरा परिवार जिस गिरजाघर का हिस्सा था, उस गिरजाघर की ओर से शनिवार की शाम के जागरण मिस्सा बलिदान से एक घंटे पहले पाप स्वीकार के संस्कार का प्रस्ताव रखा गया। मेरे लिए शनिवार को पाप स्वीकार संस्कार में जाना महत्वपूर्ण था क्योंकि मैं ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को महत्व देती थी और इसे बहाल करना चाहती थी। मैंने अपने पति से पूछा कि क्या पाप स्वीकार समाप्त होने पर वह मेरे साथ मिस्सा बलिदान में शामिल होंगे। मेरा सौभाग्य था कि वे सहमत हो गए। उनका पालन-पोषण मेथोडिस्ट कलीसिया में हुआ था और 25 से अधिक वर्षों से यह मेरी निरंतर प्रार्थना थी कि ईश्वर उनके दिल में विश्वास की पूर्णता में आने की इच्छा को रखेंगे और उन्हें कैथलिक कलीसिया का सदस्य बनायेंगे। अभी के लिए, मैं ईश्वर के समय की प्रतीक्षा कर रही थी और बस खुश थी कि हम मिस्सा बलिदान में साथ साथ भाग लेंगे। चर्च में भीड़ नहीं थी, इसलिए पहले ही मैं ने पाप स्वीकार करने के लिए पुरोहित के सामने घुटने टेकी थी। पाप स्वीकार करने के लिए नम्रता की आवश्यकता होती है। पाप मुक्ति के आनंद ने मेरे अन्दर नयी ऊर्जा और पुनर्स्फूर्ती महसूस करायी। पुरोहित से प्राप्त प्रायश्चित को करने के बाद, मेरा दिल अब पाप के भार से बोझिल नहीं था। जैसे ही शांति की भावना ने एक बार फिर मेरी आत्मा को घेर लिया, वैसे ही मेरे आस-पास और मेरे अन्दर भी सब कुछ शांत था। बार-बार, मैंने परमेश्वर को उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया। मैंने संतोष के साथ आह भरी, "हे ईश्वर, मैं तुझ से कुछ भी मांगकर इस क्षण को खराब नहीं करना चाहती। मैं बस तुझे बार-बार धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं उस एक कोढ़ी की तरह बनना चाहती हूँ जो तुझसे चंगाई पाने के बाद तेरा धन्यवाद करने के लिए वापस आया।” मैं घुटने टेककर प्रभु की पवित्र उपस्थिति में समा गयी और समझ गयी कि अनुग्रह की स्थिति में होने का एहसास कितना अच्छा, धन्य और महान है। येशु ने हमारे रिश्ते को बहाल कर दिया था और हम फिर से एक हो गए थे। हालाँकि, मौन और शांत रहना एक ऐसा गुण है जिसके लिए मुझे बराबर संघर्ष करना पड़ता है। मेरे दिमाग में ईश्वर से सिर्फ एक बात मांगने की तीव्र इच्छा जागृत हुई। "प्रभु, सिर्फ एक चीज मांगती हूँ, बल्कि यह मेरे लिए नहीं है। कृपया मेरे पति के दिल और दिमाग में कैथलिक बनने की इच्छा भर दें। मैं चाहती हूं कि उसे पता चले कि कैथलिक बनना कैसा लगता है।” शांत प्रार्थना में समय जल्दी बीत गया और जब मैं ने आँखें खोली तब देखा कि मेरे पति भी कुछ देर से मेरे बगल में बैठे हुए हैं। मैंने यह कहते हुए सुना है कि जब आप अनुग्रह की स्थिति में प्रार्थना करते हैं, तो आपकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर द्वारा स्पष्ट रूप से सुनी जाती हैं। आप उसके इतने करीब हैं कि वह आपके दिल की फुसफुसाहट सुन सकता है। मुझे यकीन नहीं है कि यह वास्तव में ठोस कैथलिक सिद्धांत है या नहीं, लेकिन यह उल्लिखित करता है कि ईश्वर के करीब रहना कितना महत्वपूर्ण है। जब उस शाम को मिस्सा शुरू हुआ, तो पुरोहित ने सभी का स्वागत किया और उन्होंने उस शाम के मिस्सा बलिदान में किसी भी व्यक्तिगत निवेदन को समर्पित करने के लिए एक शांत क्षण का अनुभव करने के लिए कहा। जिस तरह से वे आम तौर पर मिस्सा का आरंभ करते थे, उस दिन वैसा नहीं था, उनका उत्साह अद्भुत था। मैं उस पल को खोना नहीं चाहती थी, मैंने तुरंत अपने पति के कैथलिक धर्म में आने के लिए प्रार्थना दोहराई। मैंने उस शाम से पहले या बाद में कभी पुरोहित को इस तरह से मिस्सा शुरू करते हुए नहीं सूना था। अंत में, यह एक अच्छा संकेत था कि मेरी प्रार्थना के लिए परमेश्वर का उत्तर निकट था। बाकी मिस्सा के दौरान भी मेरे दिल में यह निवेदन बना रहा, और मुझे ईश्वर और मेरे पति दोनों से बहुत जुड़ाव महसूस हुआ। चौंकाने वाली खबर घर जाते समय, मेरे पति ने अप्रत्याशित रूप से कहा कि उन्हें मुझसे कुछ कहना है। अच्छा हुआ कि वही गाड़ी चला रहे थे, क्योंकि यदि मैं गाडी चलाती, तो उनके शब्द मुझे चौंका दिया होता और गाड़ी अनियंत्रित होकर सड़क से लुढ़क जाती। "मैंने फैसला किया है कि मैं हम लोगों के गिरजा घर में वयस्कों के ख्रीस्तीय बप्तिस्मा संस्कार की प्रारम्भिक दीक्षा कार्यक्रम में नामांकन करूं और देखता हूं कि मैं कैथलिक बनना चाहता हूं या नहीं।" स्तब्ध होकर मैंने कुछ नहीं कहा। विचार और भावनाएँ मेरे मन और शरीर में घूम रही थीं। मैंने प्रभु से बस इतना पूछा: "यह क्या हो रहा है प्रभु? क्या मेरी प्रार्थना सुनने के लिए पाप स्वीकार संस्कार ने तेरे साथ मेरे सम्बन्ध को साफ कर दिया था? क्या मिस्सा बलिदान में मेरा व्यक्तिगत निवेदन सुना गया था? इतने सालों के बाद क्या तू सच में मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है?” अपने आप को पुनः संभालने के बाद, मैंने अपने पति के साथ उनके इस निर्णय के बारे में विस्तार से बात की। हम अपने दाम्पत्य जीवन के दौरान एक साथ मिस्सा बलिदान में शामिल होते थे और मेरे पति के लिए यह महत्वपूर्ण था कि हमारा परिवार एक साथ एक ही गिरजाघर में जाए। वर्षों से, उनके पास कई प्रश्न थे, लेकिन कैथलिक चर्च को अपने परिवार के रूप में प्यार और विश्वास के साथ देखते थे। पवित्र आत्मा ने उन्हें यह समझने के लिए निर्देशित किया कि उस परिवार का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होने और सभी संस्कारों और उनके अनुग्रहों में भाग लेने में सक्षम होने का यही सही समय था। प्रारम्भिक दीक्षा कार्यक्रम को पूरा करने के बाद, अंततः अगले पास्का जागरण की रात को, मेरे पति कैथलिक चर्च के सदस्य के रूप में स्वीकार किये गये, जिससे हम दोनों को अपार आनंद हुआ। मेरी प्रार्थना का जो उत्तर पाने के लिए मैं इतने लंबे समय से इंतज़ार कर रही थी, वह उत्तर मुझे सही समय पर देने केलिए ईश्वर का निरंतर धन्यवाद करते हुए, मेरा दिल खुशी से नाच रहा है। पिटारे में और अधिक आश्चर्य! रुकिए, और भी बहुत कुछ है! परमेश्वर जानता था कि मैंने उससे पूछा था कि क्या उसने वास्तव में मेरी प्रार्थनाओं को सुना और उत्तर दिया है। परमेश्वर यह सुनिश्चित करना चाहता था कि मैं निश्चित रूप से जानूं कि उसने मेरी प्रार्थना सुनी है, क्योंकि पिटारे में और अधिक आश्चर्य रखे हुए थे। हमारे दोनों बेटे अपने लिए जीवन संगिनी चुन चुके थे। वे दोनों अद्भुत युवतियां थीं जो अपने प्रोटेस्टेंट विश्वास में प्रभु के साथ-साथ चलते हुए बड़ी हुई थीं। कैथलिक धर्म में उनके आगमन के लिए मेरी प्रार्थनाओं में उन्हें भी नियमित रूप से शामिल किया गया था, हालाँकि उस शाम को मैंने उनके लिए विशेष रूप से प्रार्थना नहीं की थी। उस विशेष मिस्सा बलिदान के एक सप्ताह के भीतर, एक दूसरे से स्वतंत्र, दोनों युवतियों ने मुझ से कहा कि उनका इरादा कैथलिक बनने का है। मैं निश्चित रूप से जानती हूं कि मेरे पति का कैथलिक बनने का निर्णय महज संयोग नहीं था और एक अतिरिक्त बोनस के रूप में, अब मेरी बहू बनने वाली वे अद्भुत युवा महिलाएं भी कैथलिक बनेंगी। प्रभु की स्तुति हो! मैं ईश्वर के मन को जानने का दावा नहीं करती। उन तीनों ने, एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर, कैथलिक बनने का फैसला कैसे किया, इस पर भी मैं कोई दावा नहीं कर सकती कि मैं ईश्वर का मन जानती हूँ। यह मेरे लिए चमत्कार है और मैं इसे सिर्फ चमत्कार के रूप में देखकर खुश हूं। ठीक है,... एक और बात। मेरा मानना है कि जब हम ऐसा कुछ कार्य करते हैं जिससे परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को ठेस पहुँचती है, तो हमें पाप स्वीकार के द्वारा उसके पास जाना चाहिए और उससे कहना चाहिए कि हमें खेद है। मेरा मानना है कि जब हम वास्तव में परमेश्वर के साथ अपने संबंध को ठीक करना चाहते हैं, तो वह हमें आशीष देना चाहता है। मेरा मानना है कि प्रार्थना वास्तव में काम करती है और प्रभु हमें जवाब देना चाहता है। मेरा मानना है कि ईश्वर मुझसे प्यार करता है और उसने मुझे एक बार नहीं, दो बार नहीं, बल्कि उस शनिवार को तीन बार आशीर्वाद दिया, लेकिन वह चाहता था कि मैं यह भी जानूँ कि वह मेरी सभी प्रार्थनाओं को हर समय सुनता है, चाहे मैं किसी भी स्थिति में हो। मुझे पता था कि मैं गिर गयी थी और, विषय वासना के कारण, मेरे फिर से गिरने की संभावना है। अल्लेलुइया, अच्छी खबर है! जब मैं अपने व्यवहार को नहीं समझ सकती; यहां तक कि जब मैं उन अच्छे कामों को करने में असफल हो जाती हूं जो मैं करना चाहती हूं, और उन पापपूर्ण कार्यों को करती हूं जिनसे मैं नफरत करती हूं ... तब भी ईश्वर की कृपा से और उसकी क्षमा के माध्यम से, मुझे पता है कि मैं अकेली नहीं हूं, मुझे तनावग्रस्त, भयभीत या गिरे हुए रहने की जरूरत नहीं है। मैं वापस उठ सकती हूँ। संत पौलुस, हमारे लिए प्रार्थना कर। आमेन।
By: तेरेसा एन वीडर
Moreजब मैंने यह प्रभावशाली प्रार्थना शुरू की थी, तो मुझे इतनी उम्मीद नहीं थी... “हे बालक येशु की नन्हीं तेरेसा, कृपया मेरे लिए स्वर्गीय बगीचे से एक गुलाब चुनिए और इसे प्रेम के संदेश के रूप में मुझे भेजिए।” यह निवेदन, जो संत तेरेसा को संबोधित ‘मुझे एक गुलाब भेजो’ नोवेना के तीन निवेदनों में से पहला है; और इस निवेदन ने मेरा ध्यान खींचा। मैं अकेली थी. एक नए शहर में बिलकुल अकेली, नए दोस्तों की चाहत के साथ। आस्था के नए जीवन में अकेली, किसी दोस्त और रोल मॉडल की चाह ली हुई। मैं संत तेरेसा के बारे में पढ़ रही थी। बपतिस्मा के दौरान मुझे यही नाम दिया गया था, लेकिन उस संत के प्रति मेरा कोई विशेष आकर्षण नहीं था। संत तेरेसा 12 साल की उम्र में ही येशु के प्रति भावुक भक्ति में जी रही थी और 15 साल की उम्र में कार्मेलाइट मठ में प्रवेश पाने के लिए संत पापा से विशेष निवेदन किया था। मेरा अपना जीवन बहुत अलग था। मेरा गुलाब कहाँ है? तेरेसा आत्माओं की मुक्ति केलिए जोश से भरी हुई थीं; उसने एक खूंखार अपराधी के मन परिवर्तन के लिए प्रार्थना की थी। कार्मेल के कॉन्वेंट की गुप्त दुनिया में बैठकर, उसने दूर-दराज इलाकों पर ईश्वर के प्रेम को फैलाने वाले मिशनरियों के लिए अपनी प्रार्थना समर्पित की। अपनी मृत्यु शैया पर लेटी हुई, नॉरमंडी की इस पवित्र साध्वी ने मठ की अपनी बहनों से कहा था: "मेरी मृत्यु के बाद, मैं गुलाबों की बारिश करूंगी। मैं स्वर्ग में रहकर पृथ्वी पर भलाई के कार्य करूंगी।" मैंने जो किताब पढ़ी, उसमें लिखा था कि 1897 में उसकी मृत्यु के बाद से, उसने दुनिया को कई आशीषें, चमत्कार और यहां तक कि गुलाब भी दिए हैं। "शायद वह मेरे लिए एक गुलाब भेजेगी," मैंने सोचा। यह मेरे जीवन की पहली नोवेना प्रार्थना थी। मैं ने प्रार्थना के दो अन्य निवेदनों के बारे में अधिक नहीं सोचा- अर्थात् मेरे निवेदनों के लिए ईश्वर से मध्यस्थ प्रार्थना करने की कृपा और मेरे लिए ईश्वर के महान प्रेम में गहरा विश्वास करना ताकि मैं तेरेसा के छोटे मार्ग का अनुकरण कर सकूँ। मुझे याद नहीं कि मेरा निवेदन क्या था और मैं तेरेसा के छोटे मार्ग के बारे में कुछ समझ नहीं पा रही थी। मेरा ध्यान बस गुलाब पर था। नौवें दिन की सुबह, मैंने आखिरी बार नोवेना प्रार्थना की। और इंतज़ार किया। शायद आज कोई फूलवाला मेरे पास आकर मुझे गुलाब दे देगा। या शायद मेरे पति काम से लौटते समय मेरे लिए गुलाब लेकर घर आएँगे। दिन के अंत तक, मेरे दरवाज़े पर आया एकमात्र गुलाब एक कार्ड पर छपा हुआ था जो एक मिशनरी समाज से ग्रीटिंग कार्ड के पैक में आया था। यह एक चमकदार लाल, सुंदर गुलाब था। क्या यह तेरेसा की ओर से मेरा गुलाब था? मेरी अदृश्य मित्र कभी-कभी, मैंने फिर से ‘मुझे गुलाब भेजो’ नोवेना प्रार्थना की। हमेशा परिणाम समान था। गुलाब छोटे, छिपे हुए स्थानों में दिखाई देते थे; मैं रोज़ नाम के किसी व्यक्ति से मिलती, और इसके अलावा मुझे गुलाब दिखाई देता किसी पुस्तक के कवर पर, किसी फ़ोटो की पृष्ठभूमि में, या किसी मित्र की मेज़ पर। आखिरकार, जब भी मैं गुलाब देखती, संत तेरेसा मेरे दिमाग में आती। वह मेरे दैनिक जीवन की सहेली बन गई थी। नोवेना को पीछे छोड़ते हुए, मैंने पाया कि मैं जीवन के संघर्षों में उनसे मध्यस्थता माँग रही हूँ। तेरेसा अब मेरी अदृश्य मित्र थी। मैंने अधिक से अधिक संतों के बारे में पढ़ा, और इन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने ईश्वर के प्रति भावुक प्रेम को किस तरह से जिया, इस पर आश्चर्यचकित हुई । इन लोगों के समूह को जानना, जिनके निश्चित रूप से स्वर्ग में होने के बारे में कलीसिया ने की घोषणा की है, इन सब बातों ने मुझे आशा दी। हर जगह और हर जीवन में, वीरतापूर्ण सद्गुण के साथ जीना संभव होना चाहिए। पवित्रता मेरे लिए भी संभव है। और ऐसे कई रोल मॉडल थे। बहुत सारे! मैंने संत फ्रांसिस डी सेल्स के धैर्य, संत जॉन बॉस्को में प्रत्येक बच्चे की ध्यानपूर्ण देखभाल और कोमल मार्गदर्शन, और हंगरी की संत एलिजाबेथ की दानशीलता का अनुकरण करने की कोशिश की। भक्ति और परोपकार के मार्ग पर मेरी मदद करनेवाले उनके उदाहरणों के लिए मैं आभारी थी। इनसे परिचित होना महत्वपूर्ण था, लेकिन तेरेसा इन सबसे अधिक थी। वह मेरी दोस्त बन गई थी। एक शुरुआत आखिरकार, मैंने संत तेरेसा की आत्मकथा, द स्टोरी ऑफ़ ए सोल (एक आत्मा की कहानी) पढ़ी। उनके इस व्यक्तिगत गवाही में मैंने पहली बार उनके छोटे मार्ग या ‘लिटिल वे’ को समझना शुरू किया। तेरेसा ने खुद को आध्यात्मिक रूप से एक बहुत ही छोटे बच्चे के रूप में कल्पना की थी जो केवल बहुत ही छोटे कार्य करने में सक्षम थी। लेकिन वह अपने पिता का बहुत सम्मान करती थी और जो उससे प्यार करता था, उन के लिए एक उपहार के रूप में हर छोटी-छोटी चीज को बड़े प्यार से करती थी। प्यार का बंधन उसके उपक्रमों के आकार या सफलता से बड़ा था। यह मेरे लिए जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण था। उस समय मेरा आध्यात्मिक जीवन एक ठहराव पर था। शायद तेरेसा के छोटे मार्ग से इसकी शुरूआत हो सकती थी। एक बड़े और सक्रिय परिवार की माँ होने के नाते, मेरी परिस्थितियाँ तेरेसा से बहुत अलग थीं। शायद मैं अपने दैनिक कार्यों को उसी प्रेमपूर्ण दृष्टिकोण से करने का प्रयास कर सकती थी। अपने घर की छोटी सी जगह और गुप्तता में, जैसा कि तेरेसा के लिए अपना कॉन्वेंट था, मैं प्रत्येक कार्य को प्रेम से करने का प्रयास कर सकती थी। प्रत्येक कार्य ईश्वर के प्रति प्रेम का उपहार हो सकता था; और विस्तार से, प्रत्येक कार्य मेरे पति, मेरे बच्चे, पड़ोसी के प्रति प्रेम का उपहार हो सकता था। कुछ अभ्यास के साथ, हर बार डायपर परिवर्तन, प्रत्येक भोजन जो मैंने मेज पर रखा, और प्रत्येक कपड़े धोने का भार प्रेम की एक छोटी सी भेंट बन गया। मेरे दिन आसान हो गए, और ईश्वर के प्रति मेरा प्रेम मजबूत हो गया। मैं अब अकेली नहीं थी। अंत में, इसमें नौ दिनों से कहीं अधिक समय लगा, लेकिन गुलाब के लिए मेरे आवेगपूर्ण अनुरोध ने मुझे एक नए आध्यात्मिक जीवन के मार्ग पर स्थापित कर दिया। इसके माध्यम से, संत तेरेसा मुझ तक पहुँचीं। उसने मुझे प्रेम की ओर खींचा, उस प्रेम की ओर जो स्वर्ग में संतों का बंधुत्व है, अपने "छोटे मार्ग" का अभ्यास करने के लिए और सबसे बढ़कर, ईश्वर के प्रति अधिक प्रेम की ओर उसने मुझे खींच लिया। आखिरकार मुझे गुलाब से कहीं ज़्यादा मिला! क्या आप जानते हैं कि संत तेरेसा का पर्व 1 अक्टूबर को है? तेरेसा-नामधारियों को पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
By: एरिन राइबिकी
Moreअक्सर, किसी वाद्य यंत्र से सुंदर धुनें बजाने के लिए किसी उस्ताद की ज़रूरत होती है। यह एक भयंकर प्रतिस्पर्धा थी जिसमें खरीदार हर चीज़ के लिए एक-दूसरे से ज़्यादा बोली लगाने की होड़ में थे। उन्होंने उत्सुकता के साथ सभी वस्तुओं को खरीद लिया और नीलामी बंद होने वाली थी, सिवाय एक वस्तु के - एक पुराना वायलिन। खरीदार खोजने के लिए उत्सुक, नीलामीकर्ता ने तार वाले वाद्य को अपने हाथों में लिया और जो कीमत उसे आकर्षक लगी, उसे पेश किया: “अगर किसी को दिलचस्पी है, तो मैं इसे 100 डॉलर में बेचूंगा।” कमरे में मौत जैसी खामोशी छा गई। जब यह स्पष्ट हो गया कि पुराने वायलिन को खरीदने के लिए यह कीमत भी किसी को भी राजी करने के लिए पर्याप्त नहीं थी, तो उसने कीमत घटाकर 80 डॉलर, फिर 50 डॉलर और अंत में, हताश होकर 20 डॉलर कर दी। एक और चुप्पी के बाद, पीछे बैठे एक बुजुर्ग सज्जन ने पूछा: “क्या मैं वायलिन को देख सकता हूँ?” नीलामीकर्ता ने राहत महसूस की कि कोई पुराने वायलिन में दिलचस्पी दिखा रहा है, इसलिए उसने हाँ कह दी। कम से कम उस तार वाले वाद्य को एक नया मालिक और नया घर मिलने की संभावना बन रही थी। एक उस्ताद का स्पर्श बूढ़ा आदमी पीछे की सीट से उठा, धीरे-धीरे आगे की ओर चला, और पुराने वायलिन की सावधानीपूर्वक जांच की। अपना रूमाल निकालकर, उसने उसकी सतह को झाड़ा और जब तक कि एक-एक करके, वे सारे तार सही स्वर में आ गए, तब तक प्रत्येक तार को धीरे-धीरे ट्यून किया। आखिरकार, और केवल तभी, उसने पुराने वायलिन को अपनी ठोड़ी और बाएं कंधे के बीच रखा, अपने दाहिने हाथ से गज़ को उठाया, और संगीत का एक अंश बजाना शुरू किया। पुराने वायलिन से निकलने वाला प्रत्येक संगीत स्वर कमरे में सन्नाटे को भेदता हुआ हवा में खुशी से नाच रहा था। सभी चकित रह गए, और उन्होंने वाद्य से निकल रहे संगीत के कमाल को ध्यान से सुना जो सभी के लिए स्पष्ट था - एक उस्ताद के हाथों का कमाल। उन्होंने एक परिचित शास्त्रीय भजन बजाया। धुन इतनी सुंदर थी कि इसने नीलामी में मौजूद सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया और वे अचंभित रह गए। उन्होंने कभी किसी को इतना सुंदर संगीत बजाते हुए नहीं सुना था या देखा भी नहीं था, एक पुराने वायलिन पर तो बिल्कुल भी नहीं। और उन्होंने एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि नीलामी फिर से शुरू होने पर इससे उन्हें खूब मज़ा आएगा। उन्होंने उस वायलिन को बजाना समाप्त किया और शांत भाव से उसे नीलामीकर्ता को लौटा दिया। इससे पहले कि नीलामीकर्ता कमरे में मौजूद सभी लोगों से पूछ पाता कि क्या वे अब भी इसे खरीदना चाहेंगे, हाथ उठाने की होड़ लग गई। अचानक से किए गए इस शानदार प्रदर्शन के बाद हर कोई तुरंत इसे चाहता था। कुछ समय पहले तक एक अवांछित वस्तु से, पुराना वायलिन अचानक नीलामी की सबसे तीव्र बोली का केंद्र बन गया। 20 डॉलर की शुरुआती बोली से, कीमत तुरंत 500 डॉलर तक बढ़ गई। अंततः उस पुराने वायलिन को 10,000 डॉलर में बेचा गया, जो इसकी सबसे कम कीमत से 500 गुना अधिक था। आश्चर्यजनक परिवर्तन पुराने वायलिन को सबकी नापसंद वास्तु से सबकी पसंदीदा और नीलामी का सितारा बनने में केवल 15 मिनट लगे। और इसके तारों को ट्यून करने और एक अद्भुत धुन बजाने के लिए एक उस्ताद संगीतकार की ज़रूरत पड़ी। उसने दिखाया कि जो बाहर से बदसूरत लग रहा था, वास्तव में उस वाद्य यंत्र के अंदर एक सुंदर और अमूल्य आत्मा थी। शायद, पुराने वायलिन की तरह, हमारे जीवन का पहले तो कोई खास मूल्य नहीं लगता। लेकिन अगर हम उन्हें येशु को सौंप दें, जो सभी उस्तादों से ऊपर उस्ताद हैं, तो वे हमारे ज़रिए सुंदर गीत बजाने में सक्षम होंगे और उनकी धुनें श्रोताओं को और भी ज़्यादा चौंका देंगी। तब हमारा जीवन दुनिया का ध्यान आकर्षित करेगा। तब हर कोई उस संगीत को सुनना चाहेगा जिसे प्रभु येशु हमारे जीवन से उत्पन्न करते हैं। इस पुराने वायलिन की कहानी मुझे मेरी अपनी कहानी की याद दिलाती है। मैं भी उस पुराने वायलिन की तरह ही था और किसी ने नहीं सोचा था कि मैं किसी काम का हो सकता हूँ या अपने जीवन में कुछ सार्थक कर सकता हूँ। वे मुझे ऐसे देखते थे जैसे मेरा कोई मूल्य ही न हो। हालाँकि, येशु को मुझ पर दया आ गई। वह पलटा, मेरी ओर देखा और मुझसे पूछा: "पीटर, तुम अपने जीवन में क्या करना चाहते हो?" मैंने कहा: "गुरुवर, आप कहाँ रहते हैं?" "आओ और देखो," येशु ने उत्तर दिया। इसलिए मैं आया और देखा कि वह कहाँ रहते हैं, और मैं उनके साथ रहा। पिछले 16 जुलाई को, मैंने अपने पुरोहिताई अभिषेक की 30-वीं वर्षगांठ मनाई। मेरे लिए येशु के महान प्रेम को जानने और अनुभव करने के लिए... मैं उनका कितना धन्यवाद कर सकता हूँ? उन्होंने पुराने वायलिन को कुछ नया बना दिया है और उसे बहुत मूल्यवान बना दिया है। हे प्रभु, हमारा जीवन भी उस पुराने वायलिन की तरह तेरा संगीत वाद्य बन जाए, ताकि हम ऐसा सुंदर संगीत बना सकें जिसे लोग तेरे अद्भुत प्रेम के लिए धन्यवाद और प्रशंसा देते हुए हमेशा गा सकें।
By: फादर पीटर हंग ट्रान
Moreएक कैथलिक के रूप में, मुझे सिखाया गया था कि क्षमा करना ईसाई धर्म के पोषित मूल्यों में से एक है, फिर भी मैं इसका अभ्यास करने के लिए संघर्ष करती हूँ। संघर्ष जल्द ही एक बोझ बन गया, क्योंकि मैंने क्षमा करने में अपनी असमर्थता पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। पाप स्वीकार संस्कार के दौरान, पुरोहित ने येशु मसीह की क्षमा की ओर इशारा किया: "उसने न केवल उन्हें क्षमा किया, बल्कि उनके उद्धार के लिए प्रार्थना की।" येशु ने कहा: "हे पिता, उन्हें क्षमा कर, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।" येशु की यह प्रार्थना अक्सर उपेक्षित अंश को प्रकट करती है। यह स्पष्ट रूप से उजागर करता है कि येशु की निगाह सैनिकों के दर्द या क्रूरता पर नहीं थी, बल्कि सच्चाई के बारे में उनके ज्ञान की कमी पर थी। येशु ने उनकी मध्यस्थता करने के लिए इस अंश को चुना। मुझे यह संदेश मिला कि दूसरे व्यक्ति और यहाँ तक कि खुद के अज्ञात अंशों को जगह देने से मेरी क्षमा अंकुरित होनी चाहिए। अब मैं हल्का और अधिक खुश महसूस करती हूँ क्योंकि पहले, मैं केवल ज्ञात कारकों से निपट रही थी - दूसरों द्वारा पहुँचाई गई चोट, उनके द्वारा बोले गए शब्द और दिलों और रिश्तों का टूटना। येशु ने मेरे लिए क्षमा के द्वार पहले ही खुले छोड़ दिए हैं, मुझे केवल अपने और दूसरों के भीतर के अज्ञात अंशों को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करने के इस मार्ग पर चलना है। जब येशु हमें अतिरिक्त मील चलने के लिए आमंत्रित करते हैं, तब येशु का यह कथन हमारे लिए अज्ञात अंशों के बारे में जागरूकता के अर्थ की परतें जोड़ता है। मुझे लगा कि क्षमा करना एक ऐसी यात्रा है जो क्षमा करने के कार्य से शुरू होकर एक ईमानदार मध्यस्थता तक जाती है। जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई है, उन लोगों की भलाई के लिए प्रार्थना करके, गेथसेमेन के माध्यम से मेरा चलना ही अतिरिक्त मील चलने का यह क्षण है। और यह प्रभु की इच्छा के प्रति मेरा पूर्ण समर्पण है। प्रभु ने सभी को अनंत काल के लिए प्रेमपूर्वक बुलाया है और मैं कौन हूँ जो अपने अहंकार और आक्रोश के साथ बाधा उत्पन्न करूँ? अपने दिलों को अज्ञात अंशों के लिए खोलने से एक दूसरे के साथ हमारे संबंधों को सुधारता है और हमें ईश्वर के साथ एक गहरे रिश्ते की ओर ले जाता है, जिससे हमें और दूसरों को उनकी प्रचुर शांति और स्वतंत्रता तक पहुँच मिलती है।
By: एमिली संगीता
Moreरोम..., संत पेत्रुस का महागिरजाघर जाना, संत पापा से मुलाक़ात करना ... क्या जीवन इससे ज़्यादा घटनापूर्ण हो सकता है? हाँ, मैंने पाया कि यह हो सकता है। रोम की यात्रा के दौरान कैथलिक धर्म में मेरा धर्मांतरण हुआ। मैं भाग्यशाली थी कि वहां मैं अपनी स्नातक की पढ़ाई के सिलसिले में गयी थी। जिस कैथलिक विश्वविद्यालय में मैंने अध्ययन किया था, उस विश्वविद्यालय ने यात्रा के हिस्से के रूप में संत पापा फ्रांसिस के साथ कुछ मुलाक़ातों का आयोजन किया था। एक शाम, मैं संत पेत्रुस महागिरजाघर में बैठी थी, लाउडस्पीकर पर लातीनी भाषा में रोज़री माला की प्रार्थना सुन रही थी, जबकि मैं गिरजाघर में आराधना शुरू होने का इंतज़ार कर रही थी। हालाँकि मैं उस समय लातीनी नहीं समझती थी, न ही मुझे पता था कि रोज़री क्या है, मैंने किसी तरह प्रार्थना को पहचान लिया। वह एक रहस्यमय तल्लीनता का क्षण था जिसने अंततः मुझे माँ मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से अपना पूरा जीवन येशु को सौंपने के लिए प्रेरित किया। इससे मेरे धर्मांतरण की एक यात्रा शुरू हुई, जो एक साल बाद कैथलिक कलीसिया में मेरे बपतिस्मा में परिणत हुई, और कुछ ही समय बाद वह एक प्रेम कहानी में परिणत हुई। खोज के क्षण मैंने पाया कि मैं धीरे-धीरे येशु के साथ अपने रिश्ते की नींव बना रही हूँ, इस प्रक्रिया में अनजाने में मरियम की नकल कर रही हूँ। मसीह के साथ अपने संबंध को गहरा करने की कोशिश करते हुए मैंने प्रार्थना में उनके चरणों में घुटने टेके, जैसा कि मरियम ने कलवारी में किया होगा। मैं आज भी इस अभ्यास को जारी रखती हूँ, येशु के चेहरे, उनके घावों, उनकी कमज़ोरियों और उनकी पीड़ा का अध्ययन करती हूँ। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं उन्हें सांत्वना देने के लिए हर दिन उनसे मिलती हूँ क्योंकि मैं उनके क्रूस पर अकेले होने के विचार को सहन नहीं कर सकती। उनके दु:ख पर ध्यान लगाने से, मैं पाती हूँ कि मैं आज हमारे अंदर बसनेवाले जीवित मसीह के महत्व को और अधिक गहराई से समझ सकती हूँ। जब मैंने खुद को इस अभ्यास के लिए समर्पित किया, तो मैंने महसूस किया कि येशु मेरी दैनिक प्रार्थनाओं में मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, मेरी वफ़ादारी के लिए तरस रहे हैं, और मेरी संगति की तलाश में हैं। जितना अधिक मैंने उन्हें मौन प्रार्थना में थामे रखा, उतना ही अधिक मैं अपने जीवन और दूसरों के जीवन के लिए येशु द्वारा चुकाई गई कीमत के लिए गहरा दु:ख और शोक महसूस करने लगी। मैंने उनके लिए आँसू बहाए। मैंने उन्हें अपने दिल में कैद कर लिया। अपने बेटे के लिए मरियम की कोमल देखभाल को प्रतिबिंबित करते हुए मैंने प्रार्थना में उन्हें सांत्वना दी। येशु को क्रूस पर ले जाने वाले बलिदानी प्रेम की अनुभूति ने मेरे भीतर गहरी मातृ भावनाएँ जगाईं, जिससे मुझे सब कुछ उनके प्रति समर्पित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। माँ मरियम की कृपा से, जैसे हमारा रिश्ता खिल उठा, मैंने खुद को पूरी तरह से येशु को समर्पित कर दिया, जिससे उन्हें मुझे बदलने की अनुमति मिली। समर्पण जब दो साल पहले मुझे बहुत बड़ा नुकसान हुआ, तो मैंने इस दैनिक अभ्यास को जारी रखा, हालाँकि मेरे दुःख का केंद्र बदल गया था। मैंने जो आँसू बहाए, वे अब उसके लिए नहीं बल्कि अपने लिए थे। मैं अपने पूर्ण संकट और निराशा में हमारे प्रभु के चरणों में गिरने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी, चाहे मैं कितना भी स्वार्थी क्यों न महसूस कर रही थी। तब ईश्वर ने मुझे दिखाया कि कैसे प्रार्थना में उनके बलिदान की साक्षी बनने से ही नहीं, बल्कि उनकी दु:ख पीड़ा में प्रवेश करके भी मुक्तिदायक पीड़ा को साझा किया जा सकता है। अचानक, उनका दुख मेरे लिए अब बाहरी नहीं रहा, बल्कि कुछ ऐसा था जो इतना अंतरंग था कि मैं क्रूस पर मसीह के साथ एक हो गयी। मैं अब अपने दुख में अकेली नहीं थी। बदले में, मैं ने पहचानना की मेरे साथ वे थे जिन्होंने मुझे मौन प्रार्थना में सहारा दिया, जिन्होंने मेरे लिए शोक किया और मेरे दुख को साझा किया। उन्होंने मेरे लिए आँसू बहाए और अपना दिल खोल दिया जहाँ मैं पीछे हट गयी और उनकी कैदी बन गयी। मैं उसके प्यार में बंदी थी। असहज मार्ग पर यात्रा मरियम का अनुकरण करने से हमे सीधे येशु के हृदय की ओर पहुँच जाते हैं, जो हमें सच्चे पश्चाताप और उनके प्रेम से प्रवाहित होने वाली असीम दया का सार सिखाता है। यह यात्रा चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जिसके लिए हमें मसीह के क्रूस के बोझ को साझा करना होगा। फिर भी, हमारे परीक्षणों और दु:खों के माध्यम से, हम उनकी आरामदायक उपस्थिति में सांत्वना पा सकते हैं, यह जानते हुए कि वे हमें कभी नहीं छोड़ते। मरियम के आदर्श का अनुसरण करके, हम उन्हें अपने प्रभु और उद्धारकर्ता येशु के साथ हमारे संबंध को गहरा करने और उनके मुक्तिदायी दु:ख को साझा करने में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा करने से, हम उन लोगों के दर्द और पीड़ा के लिए जीवित शहीद बन जाते हैं जो अभी तक मसीह से नहीं मिले हैं, और उसी प्रक्रिया में, हम स्वयं ठीक हो जाते हैं। अपने बेटे के लिए मरियम के मातृ प्रेम का जब हम अनुकरण करते हैं, तो हम उनके दु:ख के सार के करीब आते हैं और उनकी उपचारात्मक कृपा के पात्र बन जाते हैं। मसीह के साथ एकता में अपने स्वयं के दुखों को अर्पित करने के माध्यम से, हम उनके प्रेम और करुणा के जीवित गवाह बन जाते हैं, जो उन लोगों को सांत्वना देते हैं जो अभी तक उनसे नहीं मिले हैं। इस पवित्र प्रक्रिया में, हम अपने लिए उपचार पाते हैं और ईश्वर की दया के साधन बनते हैं, जरूरतमंदों तक उनका प्रकाश फैलाते हैं। इसी तरह, हम अपने जीवन में क्रूस को साहस के साथ गले लगाना सीखते हैं, यह जानते हुए कि वे मसीह के साथ एक गहरे मिलन के मार्ग हैं। मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से, उस बलिदानी प्रेम की गहन समझ की ओर हमारा मार्गदर्शन किया जाता है जिसके कारण येशु ने हमारे लिए अपना जीवन दे दिया। जब हम शिष्यत्व के मार्ग पर चलते हैं, और मरियम के पदचिन्हों पर चलते हैं, तो हमारे जीवन में उपचार और मुक्ति लाने के लिए उनकी परिवर्तनकारी शक्ति पर भरोसा करते हुए अपने दु:खों और संघर्षों को येशु को अर्पित करने के लिए हमें कहा जाता है।
By: फ़ियोना मैककेना
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