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अप्रैल 19, 2022 556 0 Eileen Craig, USA
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गर्भपात के अपराध बोध से चंगाई

अब चूँकि मेरी शादी हो चुकी थी, मैं ने सोचा कि मैं अतीत की घटनाओं को भूलकर जीवन में आगे बढ़ सकती हूँ, मानो कि मेरे साथ अतीत में कुछ भी नहीं हुआ हो, और मेरी सारी पीड़ा समाप्त हो जाएगी, लेकिन मेरे अन्दर के अवसाद और क्रोध के साथ मैं संघर्ष करने लगी। 

 एक बड़े आइरिश कैथलिक परिवार की नवीं संतान के रूप में मेरा जन्म हुआ था। मेरी माँ एक भक्त कैथलिक महिला थी, लेकिन मेरे पिताजी शराब के प्रति आसक्त थे, और इस कारण बहुत सी समस्याएँ खड़ी हो गयीं, और इस लिए मेरा बचपन बहुत ही नाजुक दौर से गुज़रा। जब मैं चौदह साल की थी, मेरा बलात्कार हुआ, लेकिन मैं ने जब इसके बारे में किसी को बताया, तो उसने कहा, “तुम्हें यह होने नहीं देना चाहिए था, अब तुम एक वेश्या की तरह हो”। उस व्यक्ति का कथन सही नहीं था, फिर भी मैं अपने को पतिता और पापिनी मानने लगी। चूँकि मैं वेश्या नहीं बनना चाहती थी, इसलिए मैं ने एक लड़के को अपना प्रेमी बनाया। मेरे आसपास के समाज की तरह सोचते हुए अनैत्कता के बहाव में बहकर मैं ने नैतिकता की गलत धारणा बना ली, और मैं मानने लगी कि जब तक आप किसी के साथ दोस्ती में है, तो यौन सम्बन्ध बनाने में कोई गलती नहीं है।

जब मैं सोलह साल की हुई, मैं गर्भवती हो गयी। उस लड़के ने मुझे गर्भपात के लिए मजबूर किया, ताकि हम दोनों हाई स्कूल की पढ़ाई पूरा कर सकें। मैं बीमार, विचलित और डरी सहमी थी, लेकिन मैं ने समझा कि मैं समस्या में डूबी हूँ जिसका समाधान ढूंढना पडेगा। जब वह मुझे एबॉर्शन क्लिनिक ले गया, तब मैं डर के मारे इतनी काँप रही थी, कि मुझे शांत करने केलिए नर्स ने मुझे शांत करने के लिए वैलियम का डोज़ दिया। तब उस नर्स ने मुझसे कहा, “चिंता मत करो बेटी, यह बच्चा नहीं है, समझो कि बस कुछ कोशिकाओं का पिण्ड  है। मैं पूरी तरह से स्तब्ध रह गयी। लेकिन गर्भपात करनेवाले उस डॉक्टर की अट्टहास भरी आवाज़ “हा हा हा, मैं इसी तरीके से भ्रूण ह्त्या करना चाहता हूँ” मेरे कानों में गूँजता रहता है। मेरे आंसू मेरे गालों से लरज़ते हुए, कागज़ की जिस चादर पर मुझे लिटाया गया था, उस पर फ़ैल गया, जिसकी नमी का एहसास मुझे अभी भी होता है।

जिस दिन मैं स्कूल में लौटी, उस दिन की याद मेरे दिमाग में स्पष्ट अंकित है, मैं बरामदे में खड़ी थी, और एक बच्ची मेरे पास आकर बड़ी दयालुता के साथ मुझे देखकर कहने लगी, “आइलीन, तुम्हें क्या हो गया?” तुरंत इनकार की तरंग मुझ में उठ खड़ी हो गयी और मैं ने तपाक से जवाब दिया, “कुछ नहीं, क्यों ऐसे पूछ रही हो?”

“पता नहीं, तुम ठीक नहीं लग रही हो”।

मैं दूसरों से भिन्न थी!

मेरी ज़िन्दगी नीचे की और लुढ़कती गयी। अपने आप को दूसरों से दूर रखने और उस प्रेमी के साथ समबन्ध को बरकरार रखने के लिए मैं शराब पीने और मादक द्रव्य लेने लगी। जब मैं अठारह साल की हुई तो फिर गर्भवती हो गयी और फिर गर्भपात किया। इस अनुभव से मैं इतना अधिक भयभीत हो गयी थी कि मुझे कुछ भी याद नहीं है, यहाँ तक वह जगह भी नहीं मालूम। लेकिन मेरी बहन और मेरा प्रेमी को सब याद है। मैं इतनी पीड़ा को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

मेरे प्रेमी के साथ संबंध टूट गया और मैं ने नए प्रेमी को ढूंढ लिया और शारीरिक संबंध में रहे। यदि उस समय की मेरी आत्मा की स्थित के बारे बोलूँ, तो बस इतना कह सकती हूँ की वह पूरी तरह नाशवान स्थिति में थी, उस समाज की अपसंस्कृति की तरह जिसे मैं ने अपनाया था।

जब मैं तेईस साल की थी, मेरे जीवन की सबसे खराब घटना के कारण मुझे अपने काहिल जीवन का बड़ा भयंकर धक्का लग गया। एक शराबी ड्राईवर के कारण मेरी माँ एक दुर्घटना में चल बसी। दफ़न विधि के दौरान मैं ने देखा कि ताबूत के ऊपर से धुप का धुवां उठ रहा है। यह ईश्वर की ओर हमारी प्रार्थना के उठने का प्रतीक है, लेकिन मुझे लगा कि मेरी माँ की आत्मा ईश्वर की ओर उड़ान ले रही है। मेरी माँ एक वफादार विश्वासी थी, इसलिए मुझे पक्का विश्वास था कि वह ईश्वर के पास जा रही है । मैं उस से फिर मिलना चाहती थी, इसलिए स्वर्ग जाने की इच्छा मुझ में हुई, लेकिन मुझे पता था कि इस केलिए मुझे अपनी ज़िन्दगी में परिवर्त्तन लाना होगा। उसी समय मैं अपने घुटनों के बल पर झुक गयी और प्रभु को रो रोकर पुकारने लगी। मैं फिर से गिरजाघर जाने लगी, लेकिन एक महीने के अन्दर मैं ने पाया कि मैं फिर से गर्भवती हूँ। मुझे यह डरावनी अनुभूति हुई की मेरी माँ सब कुछ जानती है क्योंकि वह ईश्वर के साथ है।

 वह दर्द जिसे भुला नहीं पा रही हूँ

मेरी बेटी की परवरिश के लिए मैं ने एक नौकरी ढूंढ ली, और मैं ने उसे प्यार दिया और उसकी देखभाल की जिसकी चाहत स्वयं मुझे थी। प्रभु मेरे जीवन में एक अच्छे आदमी लाया, इसलिए विवाह की तैयारी में मैं ने सारे पापों को, उन सारे गर्भ पात के बारे में भी बताकर पाप स्वीकार किया। जब पुरोहित ने मुझे पाप क्षमा दी और मुझसे कहा कि “येशु आपको प्यार करता है” तो मुझे विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि मुझे लगा कि मैं ने सबसे घोर अक्षम्य पाप किया है। जितना अधिक पीड़ा को मैं भोग रही थी, उसे मैं नकार रही थी, जबकि प्रतिदिन मैं इस पीड़ा के बारे में सोचती थी।

मेरे अन्दर यह सोच थी कि चूँकि मेरी शादी हो चुकी है, इसलिए अब सब कुछ ठीक हो जाएगा और जिस आनंदमय जीवन की मैं रोज़ आशा करती थी, उसका आनंद मैं अभी उठा सकती हूँ। मैं ने सोचा कि अब मैं आगे बढ़ सकती हूँ, मानो कि मेरे अतीत में कुछ भी न हुआ हो, और सारी पीड़ा अप्रत्यक्ष हो जायेगी ।

लेकिन इसके विपरीत, मैं अवसाद और क्रोध के साथ संघर्ष करने लगी। दूसरों के साथ घनिष्ठता मेरे लिए सबसे बड़ी समस्या थी। इसलिए मुझे अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह से जीना कठिन हो गया, और दूसरों से दोस्ती बनाना और उसे निभाना मेरे लिए बहुत ही कठिन कार्य हो गया। अपने बारे में मुझमें एक खंडित समझ थी, जबकि गर्भपात किये गए उन बच्चों के बारे में मैं सोचती थी, लेकिन मैं किसी से उनके बारे में बोलती नहीं थी बात नहीं करती थी।

लेकिन प्रभु ने मेरी उपेक्षा नहीं की। मेरी दोस्ती ग्रेस से हुई, जिसने मुझे सिस्टर हेलेन से परिचय कराया। सिस्टर हेलेन को चंगाई का वरदान प्राप्त था।

जब सिस्टर हेलेन ने मेरे ऊपर प्रार्थना की, उन्होंने मेरे बारे में ऐसी बात कही जिसकी जानकारी होना उनके लिए असंभव था । इस से मैं भयभीत हो गयी। गर्भपात के कारण महिलाओं में विभिन्न स्तर के असर पड़ते हैं और उनमें से एक असर है येशु से भयभीत रहना। जब मैं गिरजाघर जाती हूँ, तो मैं ठीक रहती थी, क्योंकि मुझे लगता था कि येशु दूर कहीं स्वर्ग में विराजमान है। सिस्टर हेलेन ने मुझ से कहा: “आइलीन, पता नहीं, यह क्या है, लेकिन येशु चाहता है कि आप मुझे इसके बारे में बतावें। मैं ने उन्हें गर्भपात के बारे में बताया और में खूब रोई। उन्होंने बड़ी सौम्यता के साथ फुसफुसाया: अच्छा, अब मैं समझ रही हूँ, मैं चाहती हूँ कि पहले आप इसके बारे में प्रार्थना करें। येशु से बोलिए कि वह आपको इन बच्चों के नाम बताएं।´ जैसे मैं ने प्रार्थना की, मुझे लगा कि प्रभु मुझे बोल रहा है कि मेरी एक छोटी बच्ची थी जिसका नाम ऑटम था और एक बेटा जिसका नाम केनेथ था। वे अनंतता तक मेरे जीवन के हिस्से बनेंगे। इसलिए उनको तिरस्कृत करने के बजाय मुझे उन्हें स्वीकार करना होगा। इससे मुझे उनके बारे में सोचकर शोक मनाने का अवसर मिला, तकिये को अपने आंसुओं से भिंगोकर बड़ी गमी के साथ।

उनके बाहों में

एक दिन मेरा पति अपने काम से जल्दी घर आया, और पाया कि मैं घर के तहखाने में साष्टांग प्रणाम की मुद्रा में बैठकर रो रही थी। क्योंकि उस दिन मैं ने आखिरकार स्वीकार किया था कि मैं ने अपने ही बच्चों की जान लेने के जुर्म में भाग लिया था। मेरे पति ने मुझे प्यार से ऊपर उठाया और उन्होंने मुझसे पूछा: “प्रिये, क्या हुआ?” गर्भपात के बारे में अपने पति को खुलकर  बताने की कृपा प्रभु ने उस वक्त मुझे दी। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भरकर कहा : सब कुछ ठीक हो जाएगा, मेरा प्यार अब भी तुम्हारे साथ रहेगा।“

जब मैं सिस्टर हेलेन के साथ फिर से और चंगाई प्रार्थना के लिए फिर गयी, तो मैं ने अपने मन की आँखों से देखा कि मैं येशु की गोद में बैठी हूँ, और मेरा सिर येशु के सीने पर टिका हुआ है। तब मैं ने देखा की धन्य माँ मरियम मेरे बच्चों को अपने आँचल में लेकर उन्हें प्यार दे रही है। माँ मरियम उन बच्चों को मेरे पास लाई और मुझे दी। मैं ने उन्हें अपने गोद में लेकर उनसे कहा कि मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूँ, और मैं ने उनके साथ जो किया, उसके बारे में सोचकर मैं बहुत दुखी हूँ। उन्हें माँ मरियम के प्रेमभरे हाथों में सौंपने से पहले मैं ने बच्चों से क्षमा माँगी। माँ ने मुझसे वादा इया कि ये बच्चे उसके और येशु के साथ अनंतकाल तक स्वर्ग में रहेंगे। उसके बाद येशु और मरियम ने मेरा आलिंगन किया और येशु को यह कहते हुए मैं ने सुना: “मैं तुम से प्यार करता हूँ“।

ईश्वर की प्रेममय करुणा की गवाही देने वाले लोगों से मुझे प्रेरणा मिली है, इसलिए अब मुझे भी लगा कि मुझे भी अपनी जीवन की गवाही सुनाने की ज़रुरत है। गर्भपात के बुरे प्रभाव से चंगाई पाने की आशा में आ रही महिलाओं के लिए आयोजित ‘रेचल विनियार्ड’ साधना में एक थेरापिस्ट बनकर मैं मदद करने लगी।

जीवन में पुन:स्थापित

जब लोग मुझसे पूछते हैं, “एक थेरापिस्ट के रूप में जब आप इन सब लोगों की दर्द भरी कहानियों को सुनती हैं तो इन पीडाओं को आप अपने अन्दर कैसे संजोकर रख पाती हैं?” मैं उनसे कहती हूँ कि यह कार्य मैं अकेले नहीं करती हूँ। माँ मरियम मेरे साथ रहकर यह कार्य करती है। मैं मरियम के प्रति समर्पित हूँ, इसलिए मैं जो कुछ करती हूँ वह सब मरियम के द्वारा येशु के लिए करती हूँ। रोजाना की रोज़री माला से और मिस्सा में रोज़ाना परम प्रसाद में प्रभु को ग्रहण करने से मुझे ज़रूरी ताकत मिल जाती है। चूँकि मिस्सा बलिदान के दौरान सम्पूर्ण स्वर्ग मिस्सा की वेदी को घेरने केलिए उतर आता है, इसलिए मिस्सा में मैं प्रतिदिन अपने बच्चों से मुलाक़ात करती हूँ।

लगभग तीस से अधिक वर्षों बाद, मेरे गर्भपात किये गए बच्चों के पिता को मैं ने संपर्क किया, ताकि मैं अपनी चंगाई के बारे में उसे बता सकूं और उस उम्मीद की भेंट उन्हें दे सकूं। उसने मुझे धन्यवाद दिया क्योंकि इस से उसके दिशाहीन जीवन के बारे में उस को एक सन्देश मिला और प्रत्याशा मिली कि उसका जीवन बदल सकता है। जैसे उसने मुझसे कहा, “अब तक मुझसे सिर्फ वे दो ही बच्चे पैदा हुए हैं”, उसकी आवाज़ थरथरा रही थी।

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शालोम वर्ल्ड कार्यक्रम “मरियम मेरी माँ” के लिए दी गयी गवाही पर यह लेख आधारित है। आइलीन एक पत्नी, माँ और प्रमाणित काउंसिलर (सलाहकार) हैं। वे पिछले 34 वर्षों से विवाहित हैं, और अपने पति के साथ मिशिगन में रहती हैं। उनकी तीन वयस्क संतान हैं। उस एपिसोड को देखने केलिए shalomworld.org/mary-my-mother पर जाएँ।    

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