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मार्च 09, 2023 320 0 Father Joseph Bernie Marquis
Encounter

क्रिसमस हमेशा के लिए हो

मैं इस बात से हैरान था कि उस जून महीने में येशु कैसे आए

मुझे आमतौर पर 35 डिग्री सेल्सियस के मौसम में, खासकर बिना एयर कंडीशनिंग वाली कार में सफ़र करते हुए,  रोंवा का बना भारी ऊनी सूट पहनने की आदत नहीं है। फिर भी उस गर्म और उमस भरी दोपहर में, न केवल सूट, बल्कि बूट, चेहरे पर एक बर्फीली सफेद दाढ़ी और एक मोटी ऊनी टोपी पहने हुए मैं मिशिगन में उपस्थित था ।

चलती गाड़ी के अन्दर पसीने से तर बतर होकर ऐसा लगा मानो मैं भांप में गर्म स्नान कर रहा हूँ, लेकिन मुझे वास्तव में कोई आपत्ति नहीं थी। यह कोई साधारण दिन नहीं था, और मैं कोई साधारण व्यक्ति नहीं था: मैं सांता क्लॉस था, मैं एक प्रकार की करुणा की विशेष सेवा के मिशन पर था, एक छोटी बच्ची के लिए, जो पास के बच्चों के अस्पताल में ल्यूकेमिया से मर रही थी।

मैं एक अन्य बाल चिकित्सा अस्पताल में एक आत्मिक सलाहकार के रूप में काम कर चुका था – एक ऐसा कार्य जिस के कारण मुझे अक्सर प्यारे बच्चों की बीमारी और मृत्यु से जूझ रहे परिवारों के संघर्षों और दुखों का अनुभव था, पीड़ा भी थी। जब क्रिसमस आया, तो मेरे पास विभिन्न दुकानों में और और कुछ क्रिसमस कार्यक्रमों में सांता क्लॉस की भूमिका निभाने का काम भी था, जिसमें एक कार्यक्रम जे.एल. हडसन वार्षिक परेड भी था जो डेट्रोइट शहर के बीच से गुज़रता था।

दोनों कार्यों में अधिक फर्क नहीं था, फिर भी दोनों परमेश्वर के प्रेम को दूसरों तक पहुंचाने का खूबसूरत मौके थे। सांता क्लॉज़ के रूप में और एक अस्पताल के पादरी के रूप में, मुझे यह देखने का सौभाग्य मिला था कि ईश्वर किस तरह आश्चर्यजनक तरीके से लोगों के जीवन और दिलों में प्रवेश करता है।

एक दादा का प्यार

इस विशेष दोपहर में, मेरी दो भूमिकाओं का घालमेल हो गया। जैसे ही मैं अस्पताल के लिए तेजी से गाड़ी चला रहा था, मैंने समय का सदुपयोग करते हुए प्रभु से प्रार्थना की कि वह चार साल की एंजेला (यह उसका असली नाम नहीं) को खुश रखें और उसके दुःखी दादाजी को सांत्वना दें। एंजेला के दादा ने, यह जानने के बाद कि एंजेला के पास जीने के लिए सिर्फ पांच सप्ताह थे, इस “जून में क्रिसमस” समारोह की व्यवस्था की थी।

उन्होंने ईश्वर से यह सवाल किया था: “मैं अपनी पोती केलिए क्या कर सकता हूँ? मैं अपनी छोटी पोती के दिल में जीवन भर का प्यार कैसे डाल सकता हूँ?”

जब वे रसोई में बैठकर कॉफी पी रहे थे, तब उन्होंने देखा कि एंजेला ने क्रेयॉन से सांता क्लॉस की ड्राइंग बनाई थी, जो अभी भी रेफ्रिजरेटर पर चिपकाई गयी थी। उन्हें याद आया कि एक बार जब वे डेट्रायट के क्रिसमस परेड को एक साथ देख रहे थे, तब उस बच्ची ने यह सवाल किया था: “दादाजी, इस परेड का समापन क्यों किया जा रहा है? … काश क्रिसमस हमेशा के लिए होता तो कितना अच्छा होता!”

तुरंत, उन्हें पता चल गया था कि उन्हें क्या करना है।

अस्पताल में सांता क्लॉस का पड़ाव

अस्पताल के निकट पहुंचते ही, मैं आश्चर्यचकित था, मुख्य प्रवेश द्वार पर सांता की प्रतीक्षा में कई सहायक खड़े थे – सांता की टोपी पहने एक डॉक्टर, नर्स लोग, और क्रिसमस के मसखरी करनेवाले बौनों के वेश में सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवक बाहर खड़े थे।

“जून क्रिसमस मुबारक हो! मेर्री क्रिसमस!” उन्होंने जोर से कहा। “सब कुछ तैयार है! हम बहुत उत्साहित हैं कि आप बच्चों से मिलने के लिए उत्तरी ध्रुव से इतनी दूर आए हैं।” मुझे उसी वक्त सन्देश मिला कि बाल चिकित्सा कैंसर इकाई के सभी रोगी, एंजेला केलिए आयोजित इस आश्चर्य का आनंद लेने वाले हैं।

लॉबी में आराम से घूमते फिरते हुए, मेरा काफिला लिफ्ट में चढ़ गया। जब हम कैंसर विभाग के फर्श पर चढ़े तो उत्साह बढ़ गया। जब दरवाजे खुले तो एक जादुई दृश्य ने हमारा स्वागत किया। अस्पताल का वह वार्ड त्यौहार के दीप माला के चकाचौंध की रोशनी से जगमगा रहा था और वह हाल क्रिसमस संगीत की आवाज़ से गूँज रहा था। सुंदर आकर्षक तोरण और मालाओं से वह हॉल सजाया गया था, जहां चार क्रिसमस ट्री बड़ी भव्यता के साथ खड़े थे। एक जीवंत स्नोमैन हमारा स्वागत करने के लिए वहां मौजूद था, जो अपनी लम्बी टोपी के माध्यम से और एक टोंटी के सहारे बर्फ बिखेर रहा था।

जैसे ही व्हीलचेयर में बैठे छह-सात बच्चों ने सांता को पहचान लिया, उनके मुंह से खुशी की चीखें निकल आयीं। मैं उन बच्चों का अभिवादन करने के लिए रुका, फिर दूसरे बच्चों के कमरे में गया। इस बीच, एंजेला के दादाजी मुस्कुराते हुए खड़े रहे।

अद्भुत स्वर्गीय शांति

आखिरकार, जब मैं एंजेला के बिस्तर के पास पहुंचा, तो दो बड़ी नीली आंखें चादर के ऊपर से मुझे झाँक रही थीं। “एंजेला!” मैंने कहा था। नीली आँखें और भी चौड़ी हो गईं। उसके चेहरे पर असीम खुशी की झलक आ गई।

पूरे स्टाफ की भीड़ चारों ओर खड़ी होकर देख रही थी, तभी मैं अपनी झोली में हाथ डाला और एंजेला के दादाजी द्वारा चयनित उपहार की भेंट उसे दी; एक नई नीली पोशाक जो एंजेला लंबे समय से चाह रही थी; लाल टेनिस जूते और रखवाल दूत की एक गुड़िया भी, जिसके बाल सुंदर सुनहरे थे – ठीक वैसे ही जैसे कीमोथेरेपी से पहले एंजेला का बाल था। उसके दादाजी के बटुए में दिखी एंजेला की एक छोटी तस्वीर अभी भी मेरी स्मृति में थी। उसके हाथों में गुड़िया देते वक्त मैं ने कहा “यह काफी हद तक तुम्हारी तरह दिखती है”। मैं सांता ने उसे एक छोटा सा बटन भी दिया था जिसे मैंने उसके अस्पताली गाउन में पिन किया, जिस पर लिखा था, “सांता मुझसे कहता है कि तुम एक अच्छी लड़की हो!”

इतनी खुशमिजाज मनोदशा के साथ, हमने कुछ जाने-पहचाने क्रिसमस गीतों को गाना शुरू किया- “जिंगल बेल्स,” “रूडोल्फ द रेड-नोज्ड रेनडियर,” और “सांता क्लॉज़ इज़ कमिंग टू टाउन” आदि। फिर मैंने अपना पसंदीदा गीत “साइलेंट नाइट” गाना चालू किया।

मेरे पास वास्तव में यह बताने के लिए शब्द नहीं हैं कि जब हमने आखिरी गाना गाया तो क्या हुआ। मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि कमरे में लगभग एक ऐसी शांति उतर आई थी जिसका हम सभी अनुभव कर रहे थे, जिसको हम सब स्पर्श कर सकते थे। पवित्र आत्मा की शक्ति से, येशु वहाँ उपस्थित था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि हमारा उत्सव वर्ष के गलत समय पर था, या यहाँ तक कि कुछ गायक शायद यह नहीं समझ पाए होंगे कि परमेश्वर ने उस पवित्र “शांत रात” में मानव जाति के लिए क्या किया। इन सब के बावजूद, परमेश्वर का शाश्वत पुत्र जिसने चरनी में एक शिशु के रूप में खुद को गरीब चरवाहों के सामने प्रकट किया था, वह खुद को एक और असंभावित माहौल में एक और असंभावित समूह के सामने उपस्थित कर रहा था।

मैं हैरान रह गया, हमेशा की तरह, जब कभी मुझे इस तरह की घटनाओं को देखने का सौभाग्य मिला, मैं हैरान था कि पवित्र आत्मा कैसे काम करता है—लेकिन इस बात पर किसी तरह का आश्चर्य नहीं हुआ कि पवित्र आत्मा आया और वहां हमारे बीच मौजूद था। 

असली क्रिसमस का भाव

दस दिन बाद ही एंजेला की मृत्यु हो गई। उसके अंतिम संस्कार के बाद, राज्य के दूसरे हिस्से से, उसके दादाजी ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया। उन्होंने कहा, “मैं इस मिथ्या में नहीं रहने जा रहा हूं कि मेरे लिए सब कुछ ठीक होगा। मैं आपको फोन करने से पहले बुरी तरह रोया था।” इसके बाद वे कब्रस्तान में अपने अनुभव को बताना जारी रखा।

“मैं देख रहा था कि मेरी छोटी पोती एक सफेद ताबूत में लेटी हुई है – अपनी नई नीली पोशाक पहनी हुई, रखवाल दूत की गुड़िया के साथ, और आपने जो पिन दिया था, उसे पहनी हुई, जिस पर लिखा हुआ था: ‘सांता मुझसे कहता है कि तुम एक अच्छी लड़की हो!” यह सब सुनते हुए मेरा दुख लगभग असहनीय था।

“लेकिन ठीक उसी समय, जब मैं दर्द को सबसे अधिक गहराई से महसूस कर रहा था … मैं इसे समझा नहीं सकता, लेकिन मुझे अचानक एक गहरी शांति, यहां तक ​​कि खुशी भी महसूस हुई। उस पल, मुझे पता था कि एंजेला ईश्वर के साथ थी और हम अनंतता में फिर से एक दुसरे से मिलेंगे।“

जैसे ही मैंने उनकी कहानी सुनी, मेरे अन्दर एक अद्भुत आश्चर्य का भाव उमड़ आया। वाह, यह चमत्कार फिर से हुआ है! जिस तरह हमने उस जून के क्रिसमस के दौरान येशु को एंजेला के बिस्तर के पास महसूस किया था, उसी तरह उसके दादाजी ने येशु को उसके ताबूत में देखा था। ज्योति जो दो हज़ार साल पहले दुनिया में आयी थी, उस ज्योति ने एंजेला के दिल को भर दिया था, वह ज्योति दुःख और मृत्यु के स्थान पर आशा और आनंद लाई।

यही वास्तविक “क्रिसमस का भाव” है – वह भाव नहीं जो वर्ष में एक बार आता है, बल्कि येशु मसीह का ज्ञान जो पवित्र आत्मा के द्वारा आता है। अगर हम अपने हृदयों को खोलते हैं और उसके लिए जीते हैं तो क्रिसमस की सच्ची आत्मा – त्रित्व का तीसरा व्यक्ति – वर्ष में 365 दिन उपलब्ध है।

फिर, “क्रिसमस हमेशा के लिए हो” यह केवल एक छोटी लड़की का सपना नहीं है, बल्कि जून, दिसंबर और पूरे साल में एक ठोस वास्तविकता है।

 

 

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Father Joseph Bernie Marquis

Father Joseph Bernie Marquis is the pastor of Sacred Heart Byzantine Catholic Church and founder of the Saint Nicholas Institute. He lives in Livonia, Michigan.

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