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अगस्त 12, 2021 1406 0 Sean Booth, UK
Evangelize

ईश्वर आपको आश्चर्यचकित कर दें

क्या आप आज सुबह एक औसत दर्जे का जीवन जीने के लिए उठे हैं?

आप एक बेहतर और महत्वपूर्ण योजना के लिए बुलाए गए हैं।

चिन्ह और चमत्कार

“मैं तुम लोगों से यह कहता हूं – जो मुझ में विश्वास करता है, वह स्वयं वे कार्य करेगा, जिन्हें मैं करता हूं। वह उन से भी महान कार्य करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूं। तुम मेरा नाम ले कर जो कुछ मांगोगे, मैं तुम्हे वही प्रदान करूंगा, जिससे पुत्र के द्वारा पिता की महिमा प्रकट हो। यदि तुम मेरा नाम ले कर मुझ से कुछ भी मांगोगे, तो मैं तुम्हें वही प्रदान करूंगा।” (योहन 14:12-14)।

हां आपने सही पढ़ा, येशु मसीह ने हमसे कहा है कि हम उनसे भी ज़्यादा महान कार्य करेंगे! जिस ईश्वर ने मनुष्य रूप धारण कर हमारे बीच निवास किया, उस ईश्वर से भी ज़्यादा महान कार्य! क्या हमें यह बात ठीक से समझ भी आ रही है? क्या येशु ने सच में ऐसा वादा किया है? क्या हम इस बात को ठीक तरह समझ भी पा रहे हैं? कोढियों को चंगा करने, अंधों को दृष्टि देने, बहरों को ठीक करने से भी महान कार्य? मृतकों को ज़िंदा करने से भी महान कार्य? क्या येशु के कहने का मतलब था कि हम वे सब कार्य करेंगे जो येशु ने किया, लेकिन उनसे भी ज़्यादा की तादात में, क्योंकि वे अपने पिता के पास जाने की तैयारी कर रहे थे? क्या हम सच में विश्वास करते हैं कि जिन चिन्हों के बारे में येशु ने हमें बताया था वे चिन्ह उन लोगों पर प्रकट होंगे जो येशु पर विश्वास करते हैं? और क्या हम इन चिन्ह और चमत्कारों के भागी बनेंगे? क्योंकि येशु ने कहा है, “वे मेरा नाम ले कर अपदूतों को निकालेंगे, नवीन भाषाएं बोलेंगे और सांपों को उठा लेंगे। यदि वे विष पियेंगे, तो उस से उन्हें कोई हानि नही होगी। वे रोगियों पर हाथ रखेंगे और रोगी स्वस्थ हो जाएंगे।” (मारकुस 16:17-18)।

पिछले कुछ सालों से मैं अपने शहर मैनचेस्टर, इंग्लैंड में स्थित एक चैरिटी में सयाम्सेवक के रूप में काम कर रहा था। यहां अलग अलग चर्च और अलग अलग संप्रदाय के लोग साथ आ कर बेघर लोगों की सेवा किया करते थे, उन्हें रात को रहने के लिए जगह, सोने के लिए बिस्तर, शाम का खाना, और जाने से पहले सुबह का नाश्ता दिया करते थे। शनिवार को मेरे कैथलिक चर्च की बारी थी। अक्सर मुझे रात को जाग कर इन बेघर लोगों की सेवा करने, उन्हें खाना देने और उनका खयाल रखने की कृपा मिलती थी। मैं इन लोगों की सेवा करना बड़े सौभाग्य की बात समझता हूं। इन लोगों में काफी लोग मुसलमान थे।

अराजकता का सिद्धांत

वहां कई सालों से कई चमत्कार होते आ रहे थे। उनमें से एक चमत्कार बड़ा ही अनोखा था। रात शुरू ही हुई थी, हमेशा की तरह मैं एक वॉलंटियर साथी (जो मेरे दोस्त भी थे) के साथ बेघर लोगों को इकट्ठा करने निकला। हमने घंटी बजाई और बिल्डिंग के अंदर गए। वहां मुझे एक औरत मिली जिन्होंने मुझे एक पर्चा दिया जिसमें एक नाम लिखा था। उस औरत ने मुझसे कहा कि यह नाम एक ऐसे व्यक्ति का था जिसे कुछ समय पहले पुलिस यहां छोड़ गई थी क्योंकि वह सड़क पर बैठा नशा कर रहा था। और हालांकि मुझे बताया गया कि वह व्यक्ति अब ठीक था और सो रहा था, फिर भी मैं इन बातों से खुश नही था और मैंने खुद उससे मिलने की इच्छा जताई। जब मैं उससे मिला, उसकी आंखों में मुझे घना अंधेरा दिखाई दिया। मुझे उससे तुरंत दूर हो जाने का मन हुआ इसीलिए मैंने उससे कहा कि दुर्भाग्यवश आज रात वह यहां नही रह सकता। मेरे लिए ऐसा कहना बड़ा मुश्किल था, क्योंकि इसका मतलब था कि वह रात उसे सड़क पर बितानी पड़ेगी। लेकिन उसके लिए यहां आ कर रहना भी ठीक नही था। मैंने उसे समझाया कि हमें पता चला था कि वह नशा कर रहा था, और क्योंकि यहां कुछ औरतें भी रात गुज़ार रही थी हम उसे यहां रहने की इजाज़त नहीं दे सकते।

हम एक इंसान को आश्रय देने के लिए बाकी लोगों को बुरी हालत में नहीं रख सकते थे। और हालांकि उसने हमसे कहा कि वह चुपचाप आराम से रहेगा, मैंने उससे कहा कि हम उसे इसलिए यहां रुकने की इजाज़त नहीं दे सकते क्योंकि इस आश्रय में नशा करने और नशा रखने की मनाही थी। मेरे इतना कहने पर वह चिल्लाने लगा और कसम खाने लगा कि वह खुद बाहर चला जाएगा। मैंने उससे कहा कि एक बार वह बाहर गया तो फिर उसे हमारी इजाज़त के बगैर फिर से अंदर नहीं आने दिया जाएगा। मेरे इतना कहते ही वह बाहर शहर की ओर भागा, इसी बीच पास वाले कमरे में दो आदमी लड़ने लगे। चारों तरफ हंगामा होने लगा। इन सब के बीच मुझे एक और व्यक्ति को आश्रय से निकालना पड़ा। इसके बाद भी खूब हंगामा हुआ। मैंने खूब समझाया पर वह इंसान इतना थका था, इतने गुस्से में था और इतने नशे में था कि वह कुछ सुनने समझने की हालत में ही नही था।

ईश्वर को सुझाव देना?

जब हम इन सब हंगामे के बाद बाहर निकले तब बाकी लोग आ कर हमसे हाथ मिला कर हमें शुक्रिया अदा करने लगे कि हमने उन दो व्यक्तियों को बाहर निकाल दिया, क्योंकि उन लोगों ने बाकी लोगों को काफी परेशान कर रखा था। ये लोग बड़े खुश थे कि उस रात वे शांति से सो पाएंगे। जब हम आगे बढ़े तब हमने एक पुलिस वैन को बीच रोड खड़े देखा। पुलिस ऑफिसर सबको पीछे हटने का आदेश दे रहे थे, क्योंकि बीच रास्ते में एक इंसान बेहोश पड़ा था। दूसरा पुलिस वाला झुक कर उस इंसान की नब्ज़ देखने लगा। मुझे जल्दी ही इस बात का अहसास हुआ कि ज़मीन पर पड़ा इंसान वही पहला मुसलमान है जो हमसे लड़ाई कर के शहर की ओर भागा था। मैं तुरंत पुलिस वाले के बगल से गुज़रता हुआ उस इंसान के पास पहुंचा और मैंने उस पर अपने हाथ रखे।

“अरे तुम यह क्या कर रहे हो?” पुलिस वाले ने गुस्से में पूछा, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मेरा इस व्यक्ति के लिए प्रार्थना करना बेहद ज़रूरी है। फिर मैंने तुरंत ईश्वर से प्रार्थना की ” हे ईश्वर तू ने सृष्टि के प्रारंभ में इस दुनिया में जान फूंकी थी, इस इंसान में भी जान फूंक दे। येशु, तू ने अपने दोस्त लाजरुस को कब्र में से जिलाया था, इस इंसान को भी जिला दे।” बीच में मैं रुक कर सोचने लगा, “मैं कौन होता हूं अपनी साधारण जुबान से ईश्वर को सलाह देने वाला? आखिर वे ईश्वर हैं। और उनके सामने मेरे शब्द कितने मामूली हैं। हां यह बात ज़रूर है कि यह प्रार्थना मैंने सच्चे दिल से की थी। फिर मैंने पवित्र आत्मा से मिले वरदान जो की “अनोखी भाषाओं के वरदान” का प्रयोग कर प्रार्थना की ( 1 कुरिंथी 12:1-11)

जब मेरा दिल बैठ गया

संत पौलुस हमसे कहते हैं कि, “आत्मा भी हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। हम यह नही जानते कि हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए, किंतु हमारी अस्पष्ट आहों द्वारा आत्मा स्वयं हमारे लिए विनती करता है। ईश्वर हमारे हृदय का रहस्य जानता है। वह समझता है कि आत्मा क्या कहता है, क्योंकि आत्मा ईश्वर के इच्छानुसार संतों के लिए विनती करता है।” मुझे याद नहीं कि मैं वहां कितनी देर अपने घुटनों में रह कर प्रार्थना करता रहा, पर कुछ समय बाद अचानक एक पुलिस वाला चिल्ला उठा, “मुझे इसकी नब्ज़ मिल गई!!! यह सुनकर मेरा दिल झूम उठा। मैं उत्साहित हो कर लगातार येशु को धन्यवाद दिए जा रहा था। कुछ समय बाद एंबुलेंस भी आ गई और हार्ट मॉनिटर में उसकी धड़कन देख कर मैं ईश्वर को और धन्यवाद देने लगा।

इन सब के बीच मैंने अपने आसपास के लोगों पर ध्यान ही नही दिया था क्योंकि उस समय मेरा सारा ध्यान उस इंसान को बचाने में लगा हुआ था। और मैं यह विश्वास करता हूं कि ईश्वर ने ही मुझे उस इंसान की मदद करने के लिए प्रेरित किया। इन सब के बाद जब मैं वहां से उठा तो मुझे अहसास हुआ कि उस स्थान पर काफी बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। फिर से कई लोग मुझसे मिले और उन्होंने मुझे धन्यवाद कहा, क्योंकि इतने हंगामे के बाद भी मैंने उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना की थी।

कुछ हफ्तों बाद मैं फिर से आश्रय में वॉलंटियर के रूप में कार्य कर रहा था जब एक दूसरा मुसलमान व्यक्ति मेरे पास आया। उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी और वह मुझसे उस व्यक्ति के बारे में बात करना चाहता था जिसके लिए उस रात मैंने प्रार्थना की थी। उसने मुझे बताया कि उस रात वाला व्यक्ति तीन साल पहले इंग्लैंड आया था और वह तभी से शराब और नशे का आदी था। लेकिन कुछ दिनों पहले इस व्यक्ति की मुलाकात उस शराबी व्यक्ति से हुई और वह यह देख कर हैरान रह गया कि वह शराबी व्यक्ति पूरी तरह नशा मुक्त हो कर वापस अपने घर जा कर रहने लगा था। अब वह व्यक्ति बेघर नही था। मैंने यह सब सुनकर उत्साहित हो कर ईश्वर की स्तुति की। हालांकि कहानी यहीं समाप्त नही होती। मैंने महसूस किया कि जिस व्यक्ति ने मुझे यह खबर दी थी उसके दिल में भी कोई दुख था। इसीलिए मैंने उससे सुसमाचार सुनाया  जिसके बाद हमने साथ में प्रार्थना की। हमारा ईश्वर आशिषों की बौछार करने वाला ईश्वर है।

ईश्वर सच में महान है!

हमें विश्वास में दृढ़ होना चाहिए। येशु ने हमसे कहा है कि विश्वास का एक छोटा सा बीज भी अपने अंदर पहाड़ों को हिलाने की ताकत रखता है और “ईश्वर के लिए सब कुछ संभव है” (मत्ती 19:26)। त्रियेक ईश्वर, सृष्टिकर्ता, मुक्तिदाता और शुद्धिकर्ता, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा हर बपतिस्मा प्राप्त विश्वासी में निवास करते हैं। हमें इसी बात पर विश्वास करते हुए अपना जीवन बिताना चाहिए। “येशु मसीह एकरूप रहते हैं – कल, आज और अनंत काल तक। और उनके शब्द “आत्मा और जीवन” हैं (योहन 6:63)।

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Sean Booth

Sean Booth is a member of the Lay Missionaries of Charity and Men of St. Joseph. He is from Manchester, England, currently pursuing a degree in Divinity at the Maryvale Institute in Birmingham.

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