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जनवरी 10, 2024 275 0 Patrick Reynolds, Ireland
Evangelize

अभिनेता बन गया प्रचारक

एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में, पैट्रिक रेनॉल्ड्स ने सोचा कि ईश्वर केवल पवित्र लोगों के लिए है।  एक दिन जब रोजरी माला की प्रार्थना करते समय उन्हें एक अलौकिक अनुभव हुआ, और उसी दिन वे ईश्वर की योजना समझ पाए। यहां उनकी अविश्वसनीय यात्रा का वर्णन है। 

मेरा जन्म और पालन-पोषण एक कैथलिक परिवार में हुआ था। हम हर सप्ताह मिस्सा बलिदान के लिए  जाते थे, दैनिक प्रार्थना करते थे, कैथलिक स्कूल में जाते थे, और घर में बहुत सारी पवित्र वस्तुएँ रखी थीं, लेकिन किसी भी तरह से विश्वास हमें प्रभावित नहीं कर सका। जब भी हम घर से बाहर निकलते, माँ हम पर पवित्र जल छिड़कती थी, लेकिन दुर्भाग्य से, हमारा येशु के साथ कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं था। मैं यह भी नहीं जानता था कि यह संभव है। मैं समझता था कि ईश्वर कहीं बादलों में रहता है। वह वहाँ से हम सभी पर दृष्टि रखता है, लेकिन मेरे दिल और दिमाग में वह बहुत दूर और अप्राप्य था। हालाँकि मैंने ईश्वर के बारे में सीखा, लेकिन मैंने यह नहीं सीखा कि वह कौन और कैसा था। जब मैं लगभग दस साल का था, मेरी माँ ने एक करिश्माई प्रार्थना समूह में जाना शुरू किया, और मैंने देखा कि उनका विश्वास बहुत वास्तविक और व्यक्तिगत हो गया है। वह अवसाद से ठीक हो गई थी, इसलिए मुझे पता था कि ईश्वर की शक्ति वास्तविक थी, परन्तु मैंने सोचा कि ईश्वर केवल मेरी माँ जैसे पवित्र लोगों के लिए थे। जो मुझे दिया जा रहा था उससे कहीं अधिक गहरी चीज़ की मैं चाहने लगा था । जब संतों की बात आई, तो मुझे उनकी भूमिका समझ में नहीं आई और मुझे नहीं लगा कि उनके पास मुझे देने के लिए कुछ है क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि मैं भी पवित्र हो सकता हूं।

अधूरा और खाली

जब मैंने स्कूल छोड़ा, तो मैं अमीर और मशहूर बनना चाहता था ताकि मुझे हर कोई प्यार कर सके। मैंने सोचा कि इससे मुझे खुशी मिलेगी। मैंने निर्णय लिया कि अभिनेता बनना मेरे लक्ष्यों को प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका होगा। इसलिए, मैंने अभिनय का अध्ययन किया और अंततः एक सफल अभिनेता और निर्देशक बन गया। इसने मेरे जीवन में एक ऐसे द्वार को खोल दिया जिसका मैंने कभी अनुभव नहीं किया था और मुझे बहुत अधिक पैसा मिला, मुझे नहीं पता था कि इस पैसे का मुझे क्या करना है। इसलिए मैंने इसे उद्योग में जो महत्वपूर्ण लोग हैं उन्हें प्रभावित करने की कोशिश में खर्च कर दिया। मेरा पूरा जीवन लोगों को प्रभावित करने के लिए चीजें खरीदने का एक अनवरत चक्र था, ताकि मैं लोगों को प्रभावित करने के लिए  और  चीजें खरीदने के लिए और अधिक पैसे कमा सकूं। पूर्णता महसूस करने के बजाय, मुझे खालीपन महसूस हुआ। मैं ठगा सा महसूस करने लगा । मैं अपने पूरा जीवन वैसा बनने का दिखावा करता रहा जैसा दूसरे लोग चाहते थे। मैं कुछ और खोज रहा था लेकिन कभी समझ नहीं पाया कि ईश्वर के पास मेरे लिए कोई योजना थी। मेरा जीवन पार्टियों, शराब पीने और रिश्तों तक ही सीमित था, लेकिन असंतोष से भरा हुआ था।

एक दिन, मेरी माँ ने मुझे स्कॉटलैंड में एक बड़े करिश्माई कैथलिक सम्मेलन में आमंत्रित किया। सच कहूँ तो, मैं जाना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे लगता था कि मैंने ईश्वर से जुड़ी सभी चीज़ों को अपने पीछे छोड़ दिया है, लेकिन माताएँ भावनात्मक ब्लैकमेल करने में अच्छी होती हैं; वे आपसे वो काम करवा सकती हैं जो कोई और नहीं करा सकता। उन्होंने कहा, “बीटा पैट्रिक, मैं दो साल के लिए अफ़्रीका में सेवा कार्य करने जा रही हूँ। यदि तुम इस साधना में नहीं आओगे, तो मुझे जाने से पहले तुम्हारे  साथ कोई समय बिताने का मौका नहीं मिलेगा। उनके ऐसा अपील सुनने के बाद  मैं उस सम्मलेन में चला गया। मैं अभी खुश हूं, लेकिन उस समय मुझे असहजता महसूस हो रही थी। इतने सारे लोगों को एक साथ गाते और ईश्वर की स्तुति करते हुए देखना अजीब लगा। जैसे ही मैंने कमरे के चारों ओर आलोचनात्मक रूप से देखा, ईश्वर अचानक मेरे जीवन में आ गया। पुरोहित ने आस्था के बारे में, पवित्र यूखरिस्त में येशु के बारे में, संतों के बारे में, और माँ मरियम के बारे में इतने वास्तविक और ठोस तरीके से बताया कि मुझे अंततः समझ में आ गया कि ईश्वर कहीं बादलों में नहीं, बल्कि वह मेरे बहुत करीब है, और उसके पास मेरे जीवन के लिए एक योजना है।  

कुछ और

मैं समझ गया कि ईश्वर ने मुझे किसी कारण से बनाया है। मैंने उस दिन पहली बार ईमानदारी से प्रार्थना की,  “हे ईश्वर, यदि तेरा अस्तित्व है, यदि तेरे पास मेरे लिए कोई योजना है, तो मुझे तेरी सहायता की आवश्यकता है। तेरी योजना को मुझपे इस तरह से प्रकट कर कि मैं उसे समझ सकूँ।“  लोगों ने माला विनती करना शुरू कर दिया, जिसे मैंने बचपन में ही छोड़ दिया था, इसलिए मुझे जो भी प्रार्थना याद आती थी मैं उसमें शामिल हो गया। जब उन्होंने गाना शुरू किया, तो मेरे दिल में कुछ पिघलने लगा और जीवन में पहली बार मुझे ईश्वर के प्रेम का अनुभव हुआ। मैं इस प्यार से इतना अभिभूत हो गया कि मैं रोने लगा। माता मरियम की मध्यस्थता के माध्यम से मैं ईश्वर की उपस्थिति को महसूस कर सका। मैं उस दिन मिस्सा बलिदान के लिए गया लेकिन मुझे पता था कि मैं परमप्रसाद ग्रहण नहीं कर सकता था क्योंकि मैंने लंबे समय से पापस्वीकार नहीं किया था। मेरा दिल ईश्वर के करीब रहने के लिए उत्सुक था, इसलिए मैंने अगले कुछ सप्ताह, एक ईमानदार और अच्छा पापस्वीकार करने की तैयारी में समय बिताया। एक बच्चे के रूप में, मैं नियमित रूप से पापस्वीकार केलिए जाता था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी वास्तव में ईमानदार था। मैं अपने पापों की खरीदारी की सूची में हर बार वही तीन या चार चीज़ें ले कर जाता था। इस बार जब मुझे पाप क्षमा मिली तो मुझे बहुत शांति और प्रेम का अनुभव हुआ। मैंने निर्णय लिया कि मुझे अपने जीवन में इसकी और अधिक ज़रुरत है।

अभिनय करूं या नहीं?

एक अभिनेता के रूप में, अपने विश्वास को जीना बहुत कठिन था। मुझे जो भी भूमिका दी जा रही थी, वह एक कैथलिक के रूप में विश्वास का खंडन करता था, लेकिन मेरी आस्था में पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं था। मुझे पता था कि मुझे और मदद की ज़रूरत है। मैं एक पेंटेकोस्टल चर्च में जाने लगा, जहाँ मेरी मुलाकात ऐसे लोगों से हुई जिन्होंने मुझे बाइबिल के बारे में और स्तुति और आराधना कैसे करनी है इन सबके बारे में सिखाया । उन्होंने मुझे आत्मिक सलाह, दोस्ती और समुदाय की संगति दी, लेकिन मैं यूखरिस्त में उपस्थित येशु को त्याग नहीं सकता था, इसलिए मैं कैथलिक कलीसिया में ही रहा। हर हफ्ते वे मेरी कैथलिक मान्यताओं को चुनौती देते थे, इसलिए मैं जाता था और उनके लिए उत्तर के साथ वापस आने के लिए अपनी धार्मिक शिक्षा का अध्ययन करता था। उन्होंने मुझे एक बेहतर कैथलिक बनने में मदद की, इससे  मैं क्यों विश्वास करता हूँ, इसे समझकर विश्वास करने में मुझे मदद मिली।

एक समय, मेरे मन में इस बात को लेकर मानसिक और भावनात्मक अवरोध था कि कैथलिकों को माता मरियम के प्रति इतनी भक्ति क्यों है। उन्होंने मुझसे पूछा, “आप मरियम से प्रार्थना क्यों करते हैं? आप सीधे येशु के पास क्यों नहीं जाते?” यह बात मेरे दिमाग में पहले से ही थी। मुझे ऐसा उत्तर ढूंढने में संघर्ष करना पड़ा जो सार्थक हो। संत पाद्रे पियो एक चमत्कारिक व्यक्ति थे जिनके जीवन ने मुझे एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। जैसा कि मैंने पढ़ा था कि कैसे माता मरियम के प्रति उनकी भक्ति ने उन्हें येशु मसीह और कलीसिया के दिल में गहराई तक पहुंचा दिया। मैंने संत पिता जॉन पॉल द्वितीय के बारे में भी सुना। इन दो महान व्यक्तियों की गवाही ने मुझे माता मरियम पर भरोसा करने और उनके उदाहरण का पालन करने के लिए प्रेरित किया। इसलिए, मैंने मरियम के निष्कलंक हृदय के माध्यम से संत पिता के मतलबों के लिए हर दिन प्रार्थना की।

मैं और अधिक जानने के लिए मरियन आत्मिक साधना में भाग लिया। मैंने सुना कि संत लुइस डी मोंटफोर्ट की माता मरियम के प्रति महान भक्ति है, और प्रार्थना में मरियम से बात करना येशु की तरह बनने का सबसे तेज़ और सरल तरीका है। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने के दो तरीके हैं – इसे हथौड़े और छेनी से किसी सख्त सामग्री से गढ़ना, या एक सांचे में राल भरना और इसे सख्त होने के लिए छोड़ देना। एक साँचे में बनी प्रत्येक मूर्ति अपने आकार का पूर्णतया वही सुन्दर आकार लेती है (जब तक वह भरी हुई है)। माता मरियम वह साँचा है जिसमें येशु मसीह का शरीर बना था। ईश्वर ने उन्हें उस उद्देश्य के लिए परिपूर्ण बनाया। यदि आप माता मरियम द्वारा ढाले गए हैं, तो वह आपको पूर्णता में बनाएगी, बर्शते  आप खुद को पूरी तरह से समर्पित कर देंगे।

जब मैंने यह सुना तो मैं समझ गया कि यह सच है। जब हमने माला विनती की, तो मैंने केवल शब्दों का उच्चारण करने के बजाय, पूरे ह्रदय से भेदों पर मनन करते हुए प्रार्थना की। कुछ अप्रत्याशित हुआ। मैंने हमारी धन्य माँ के प्रेम का अनुभव किया। यह ईश्वर के प्रेम की तरह था, और मैं जानता था कि यह ईश्वर के प्रेम से आया है। लेकिन यह अनुभव बिलकुल भिन्न था। माँ मरियम ने मुझे ईश्वर से प्रेम करने में इस तरह से मदद की जिस प्रकार मैं अपने आप कभी नहीं कर पाया था। मैं इस प्रेम से इतना अभिभूत हो गया कि मेरी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। ऐसा अद्भुत उपहार पाना खेत में खज़ाना मिलने वाले दृष्टान्त के समान था। आप उस खेत को खरीदने के लिए सब कुछ बेचने को तैयार होंगे ताकि आप इस खजाने को पा सकें। उस क्षण से, समझ गया कि मैं अभिनय जारी नहीं रख पाऊंगा। मैं उस धर्म विहीन और धर्म विरोधी दुनिया में रहकर एक अच्छा कैथलिक नहीं बन सकता। मैं यह भी जानता था कि लोगों को ईश्वर के प्रेम के बारे में जानने की ज़रूरत है। इसलिए मैंने अपना करियर एक तरफ रख दिया ताकि मैं प्रचार कर सकूं।

गहरी खुदाई

मैं ईश्वर से यह पूछने के लिए आयरलैंड में दस्तक देने आया था कि वह मुझसे क्या चाहता है। माता मरियम ने १८७९ में दर्शन दिया था। उस दर्शन में मरियम संत युसूफ, संत योहन और वेदी पर ईश्वर के मेमने के रूप में येशु के साथ स्वर्गदूतों से घिरी हुई थीं। मरियम लोगों को येशु के पास ले जाने के लिए आयी। उनकी भूमिका लोगों को ईश्वर के मेमने के पास ले जाने की है। नॉक में, मैं उस महिला से मिला जिससे मेरी शादी बाद में हुई थी, और मैं उन लोगों से भी मिला जिन्होंने मुझे मिशन कार्य करने के लिए नौकरी की पेशकश की थी। मैं एक सप्ताहांत के लिए आया था, और 20  साल बाद भी, मैं अभी भी आयरलैंड में रह रहा हूँ।

एक बार जब मैंने ठीक से माला विनती करना सीख लिया तो धन्य माँ के प्रति मेरा प्रेम बढ़ता गया। मुझे अपने आप से माला विनती करना हमेशा बहुत कठिन लगता था। जब मैं इंग्लैंड के वालसिंघम में राष्ट्रीय तीर्थस्थल पर गया, तब यह कठिनाई दूर हो गयी। वालसिंघम की माँ मरियम के प्रतिमा वाले छोटे प्रार्थनालय में, मैंने धन्य माँ मरियम से प्रार्थना करने और माला विनती को समझने की कृपा मांगी। कुछ अविश्वसनीय घटित हुआ! जैसे ही मैंने आनंद के भेद बोलना शुरू किया, प्रत्येक भेद में, मुझे समझ आया कि माता मरियम सिर्फ येशु की माँ नहीं थी, वह मेरी माँ भी थी, और मैंने महसूस किया कि मैं बचपन में येशु के साथ-साथ बढ़ रहा हूँ।

इसलिए जब मरियम ने ईश्वर की माँ होने के सन्देश के लिए मंजूरी में “हाँ” कहा, तो वह मुझे भी “हाँ” कह रही थी, येशु के साथ अपने गर्भ में वह मेरा भी स्वागत कर रही थी। जब मरियम अपनी कुटुम्बिनी एलिज़ाबेथ से मिलने गई, मैंने महसूस किया कि मैं येशु के साथ उसके गर्भ में हूँ। और जब योहन बप्तिस्मा खुशी से उछल पड़ा तब मैं वहाँ मसीह के शरीर में था। येशु मसीह के जन्म के समय, ऐसा महसूस हुआ जैसे मरियम ने मुझे बड़ा करने के लिए “हाँ” कहकर मुझे नया जीवन दिया। जैसे ही उसने और संत युसूफ ने येशु को मंदिर में चढ़ाया, उन्होंने मुझे भी अपने बच्चे के रूप में स्वीकार करते हुए, पिता को अर्पित किया। जब उन्होंने येशु को मंदिर में पाया, तो मुझे लगा कि मरियम मुझे भी ढूंढ रहीं थी। मैं खो गया था, लेकिन मरियम मुझे खोज रहीं थी। मुझे एहसास हुआ कि मरियम इतने वर्षों से मेरी माँ के साथ मेरा विश्वास वापस लौटने के लिए प्रार्थना कर रहीं थी।

मैंने होली फ़ैमिली मिशन की स्थापना में मदद की, एक ऐसा घर जहाँ युवा लोग अपने विश्वास के बारे में जानने के लिए आ सकते हैं और जिस शिक्षण को वे बचपन के बाद भूल गए थे उस वे फिर से प्राप्त कर सकते हैं। हमने पवित्र परिवार को अपने संरक्षक के रूप में चुना, यह जानते हुए कि हम मरियम के माध्यम से येशु के दिल में आते हैं। मरियम हमारी मां हैं और हम उनके गर्भ में हम संत युसूफ की देखरेख में येशु मसीह की तरह बने हैं।

अनुग्रह पर अनुग्रह

हमारी धन्य माँ ने नॉक में मेरी पत्नी को ढूंढने और उसे जानने में मेरी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी क्योंकि हमने यूथ 2000 नामक एक आंदोलन में एक-दूसरे के साथ काम किया था, जो माता मरियम और परम प्रसाद पर केंद्रित था। हमने अपनी शादी के दिन, खुद को, अपने वैवाहिक जीवन को और अपने भावी बच्चों को ग्वाडालूप की माता मरियम को समर्पित कर दिया। अब हमारे नौ खूबसूरत बच्चे हैं, जिनमें से प्रत्येक का माता मरियम के प्रति अद्वितीय विश्वास और समर्पण है, जिसके लिए हम बहुत आभारी हैं।

माला विनती मेरे विश्वास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और मेरे जीवन में बहुत सारी कृपाओं का माध्यम बन गया है। जब भी मेरे पास कोई समस्या होती है, तो सबसे पहले मैं अपनी रोज़री माला उठाता हूँ और माता मरियम की ओर मुड़ता हूँ। संत जॉन पॉल द्वितीय ने कहा कि यह माता मरियम का हाथ थामने जैसा है ताकि वह किसी भी अंधेरे समय में, मुसीबतों में हमारा सुरक्षित मार्गदर्शन सकेगी।

एक बार, मेरे एक करीबी दोस्त के साथ मेरी अनबन हो गई और मुझे सामंजस्य बैठाना बहुत मुश्किल हो रहा था। मैं जानता था कि उसने मेरे साथ अन्याय किया है और मुझे माफ करना कठिन लग रहा था। वह व्यक्ति उस चोट को नहीं देख सका जो उसने मुझे और दूसरों को पहुंचाई थी। मेरे अंतरतम का एक हिस्सा इसके बारे में कुछ करना चाहता था, एक दूसरा हिस्सा उससे प्रतिशोध लेना चाहता था। लेकिन इसके बजाय, मैंने अपना हाथ अपनी जेब में डाला और अपनी रोज़री माला के मोती उठा लिए। अभी मैंने केवल मला विनती का एक भेद पूरा किया ही था कि वह मित्र अपने बदले हुए अंतरात्मा के साथ मेरी ओर मुड़ा और मुझसे बोला, “पैट्रिक, मुझे अभी एहसास हुआ कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया और मैंने तुम्हें कितना नुकसान पहुँचाया है। मैं क्षमा चाहता हूं।” जैसे ही हमने गले लगाया और मेल-मिलाप किया, वैसे ही मैंने माता मरियम के पास हमारे दिल को बदलने की उस शक्ति को पहचाना।

मरियम वह साधन है जिसे ईश्वर ने इस दुनिया में प्रवेश करने के लिए चुना है, और वह अभी भी उसके माध्यम से हमारे पास आना चाहता है। मैं अब समझ गया हूं कि हम येशु के बजाय मरियम के पास नहीं जाते हैं, हम मरियम के पास जाते हैं क्योंकि येशु उसके अन्दर हैं। पुराने नियम में, विधान की मञ्जूषा में वह सब कुछ था जो पवित्र था। मरियम नई विधान की मञ्जूषा है, सभी पवित्रता का स्रोत, वह स्वयं ईश्वर का जीवित मंदिर है। इसलिए, जब मैं येशु मसीह के करीब रहना चाहता हूं, तो मैं हमेशा मरियम की ओर रुख करता हूं, जिन्होंने येशु के साथ अपने शरीर के भीतर सबसे घनिष्ठ संबंध साझा किया। उनके करीब आने में, मैं येशु के करीब आ जाता हूँ।

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Patrick Reynolds

Patrick Reynolds is the director of formation at the Holy Family Mission in Ireland.

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