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मार्च 23, 2023 267 0 दीना मननक्विल-डेल्फिनो, Australia
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अंडे को सेनो, तोड़ो नहीं

हममें से प्रत्येक के अन्दर अपनी अपनी कमजोरियां हैं; हम इन कमजोरियों से संघर्ष करते हैं। लेकिन पवित्र आत्मा हमारा सहायक है!

आशा आपको आनन्दित बनाए रखे। आप संकट में धैर्य रखें तथा प्रार्थना में लगे रहें। (रोमी 12:12)

विश्वास में नवीकृत होने से पहले मेरा धैर्य मजबूत नहीं था।

जिन अवसरों पर मैंने अपना आपा खो दिया था, उन क्षणों को याद करते हुए अब मुझे शर्म महसूस होता है; कभी किसी दुकान पर मेरी माँ के पक्ष में किसी को मैं ने “नस्लवादी” होने का अभियोग लगाया; जब मैं फिलीपींस में काम कर रही थी, तब मैं कर्मचारियों के लिए न्याय की मांग करते हुए जनरल के कार्यालय में जबरन घुस गयी; कई मौकों पर जब मैं गाडी चला रही थी, तब मुझ से आगे निकलने वालों की ओर मैने बड़ी कठोरता से उंगली उठाई (शायद यही कारण है कि ईश्वर ने मुझे ड्राइविंग जारी रखने की अनुमति नहीं दी!); और जब कभी मुझे अपनी इच्छा के अनुसार आगे बढ़ने में रुकावट हुई तब की उदास खिन्नता, असहिष्णुता, असभ्य व्यवहार, या इस तरह की कई दयनीय छोटी छोटी घटनाएँ।

मैं बहुत अधीर और बेसब्र थी। जिस समय किसी से मिलने के लिए सहमती हुई, यदि वह ठीक समय पर नहीं पहुँचता, तो मैं यह कहते हुए तुरंत चली जाती थी कि वह मेरे समय के अनुसार मुझसे मिलने के लिए योग्य  नहीं था। जब प्रभु ने मुझे बुलाया, तब मैं ने महसूस किया कि पवित्र आत्मा से प्राप्त उन पहले फलों में से एक था सहनशीलता का धैर्य। प्रभु ने मुझे प्रभावशाली तरीके से समझाया कि यदि मेरे पास दयालु, धैर्यवान, सहनशील और समझदार हृदय नहीं है तो मैं एक अच्छी सेविका नहीं बन सकती। 

प्रतीक्षा करने की सीख

हाल ही में, मेरे पति मुझे आपातकालीन जांच के लिए मेलबर्न के आँख और कान अस्पताल ले गए। उस समय उन वर्षों की यादें ताजा हो गयीं जब मैं रोजाना सी.बी.डी. (सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट) की यात्रा करती थी, शहर के उन हजारों उदास कर्मचारियों की भीड़ की मैं भी हिस्सा बन जाती थी जो बहुत नाखुश दिखते थे, लेकिन वे इस सोच से खुद को तसल्ली देते थे कि उनके पास जीवन यापन के लिए नौकरी है। मैंने भी बहुत अधिक ओवरटाइम किया था, यह सोचकर कि ऐसा करने से मैं अमीर हो जाऊंगी (लेकिन मैं अमीर नहीं हुई)।

कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करते हुए, मुझे एकमात्र खुशी तब मिलती थी, जब मैं मध्यान्ह भोजन के अवकाश पर सेंट पैट्रिक चर्च या सेंट फ्रांसिस चर्च में मिस्सा के लिए दौड़ती थी। इसके बावजूद, जब कभी मैं जीवन से ऊब जाती थी, तब मैं बिना किसी ख़ास उद्देश्य से मायेर मॉल में घूमती फिरती थी, व्यर्थ में उन चीजों की खरीदारी करती थी जिससे मुझे अस्थायी खुशी मिलती थी।

हर दिन, मैं प्रभु से सवाल करती थी, मुझे इस रोज़ की थकाऊ यात्रा और उन नौकरियों से जिनसे मुझे कोई संतृप्ति नहीं मिलती थी, कब वह “छुटकारा” देंगे? यदि मैं दैनिक मिस्सा में नहीं भाग लिया होती, यदि अच्छे दोस्तों से मेरी मुलाक़ात नहीं हुई होती, यदि मैं रेल गाडी में प्रार्थना करके, अच्छी किताबें पढ़कर और कढाई-बुनाई करते हुए समय का उपयोग नहीं किया होती, तो मुझे कहना पड़ता कि जीवन का वह महत्वपूर्ण दौर वास्तव में समय की बर्बादी थी।

जैसे जैसे मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, मेरी प्रार्थना का जवाब देने में प्रभु ने कई साल लगा दिए – आखिरकार मुझे अपने क्षेत्र में सार्थक और संतोषजनक नौकरी दी गयी, वह भी घर से सिर्फ पंद्रह मिनट की ड्राइव पर। प्रभु मुझ पर दया करेगा और मेरे अनुरोध पर ध्यान देगा, यह आशा और भरोसा मैंने कभी नहीं छोड़ी और मैं अपनी प्रार्थना में लगी रही।

जब मैंने शहर के काम को अलविदा कह दिया, तो मैंने महसूस किया कि मेरे कंधों से एक बड़ा बोझ उतार दिया गया है। मैं आखिरकार उस प्रति दिन के कठिन और थकाऊ दौर से मुक्त हो गयी। हालाँकि मैं काम के उस अनुभव के लिए आभारी थी, फिर भी मैं तरोताजा महसूस कर रही थी, जीवन की एकं नए और अधिक शांतिपूर्ण दौर की प्रतीक्षा कर रही थी। ढलती उम्र के कमज़ोर शरीर के साथ, मेरे दिमाग की गति भी धीमी हो रही थी, और ज़िन्दगी की दुश्वारियों से मुकाबला करने की मेरी क्षमता अधिक सीमित होती जा रही थी।

जब मैं उन परिचित सड़कों पर चलने के लिए फिर से लौटी, तो ऐसा लगा कि कुछ खास नहीं बदला है – सड़क पर अभी भी भिखारी लोग थे; कुछ नुक्कड़ों से अभी भी पेशाब और उल्टी की गंध आ रही थी; लोग चलते-फिरते, दौड़ते भागते अगली ट्रेन का पीछा करते हुए ऊपर-नीचे बढ़ रहे थे; भोजनालयों की संख्या बढ़ गयी थी, और लोग उन रेस्त्रां में भोजन का ऑर्डर देने के लिए कतारबद्ध खड़े थे; और खुदरा स्टोर अभी भी लोगों के जेब ढीली करने के लिए अपने माल को मोहक रूप से प्रदर्शित करने के लिए उत्साहित थे। सायरन की आवाज गूंज रही थी। पुलिस की मज़बूत उपस्थिति थी, और मैंने यह सोचकर अपनी बेटी के लिए प्रार्थना की, कि वह शहर में काम करते हुए अपने आप को शहरी जीवन से किस तरह सुरक्षा पूर्ण तरीके से निपट रही है।

यह सब इतना जाना-पहचाना था कि यह पूर्वानुभव की तरह महसूस होता था, लेकिन मुझे जो एकमात्र आरामदायक शरण मिली, वह सेंट पैट्रिक कथीड्रल में थी, जहां मैं दोपहर के भोजन अवकाश के दौरान मिस्सा बलिदान में वेदी पर पवित्र पाठ पढ़ा करती थी, और सेंट फ्रांसिस चर्च जहां ऑस्ट्रेलिया में मेरे पहले आगमन पर मैंने मोमबत्ती जलाने के लिए माँ मरियम के सामने घुटने टेका था। एक अच्छे जीवन साथी पाने के लिए मेरी उस दिन की उत्कट प्रार्थना का तीन सप्ताह में उत्तर दिया गया। ईश्वर जानता है कि मेरे लिए चीजें कब और कहाँ अति आवश्यक हैं।

बहुत जरूरी पुण्य

‘आइ बिलीव’ (IBelieve) नामक वेबसाइट इस अद्भुत शिक्षण को साझा करती है। सन 1360 के आसपास लिखी गयी एक कविता से एक लोकप्रिय कहावत “धैर्य एक सद्गुण है” आती है। हालाँकि, इससे पहले भी बाइबल अक्सर धैर्य को एक मूल्यवान सद्गुण के रूप में उल्लेख करती है। धैर्य को आमतौर पर विलम्ब को, परेशानी या पीड़ा को, गुस्सा या परेशान हुए बिना स्वीकार करने या सहन करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, धैर्य अनिवार्य रूप से “अनुग्रह के साथ प्रतीक्षा” है। मसीही होने का एक हिस्सा इसमें है कि हम दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों को अनुग्रहपूर्वक स्वीकार करने की क्षमता रखें, इस विश्वास के साथ कि हम अंततः ईश्वर में समाधान पाएंगे।

गलाती 5:22 में, धैर्य या सहनशीलता को पवित्र आत्मा के फलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यदि धैर्य या सहनशीलता एक सद्गुण है, तो प्रतीक्षा करना सबसे अच्छा (और अक्सर सबसे अप्रिय) साधन है जिसके द्वारा पवित्र आत्मा हममें धैर्य/सहनशीलता विकसित करता है। लेकिन हमारी संस्कृति धैर्य को उतना महत्व नहीं देती, जितना कि परमेश्वर देता है। धैर्य क्यों रखें? तत्क्षण अनुतोषण या तत्काल सुख की अनुभूति कहीं अधिक मजेदार है! अपनी आवश्यकताओं को तुरंत तुष्ट करने के लिए हमें बहुत से अवसर इन दिनों प्राप्त हो रहे हैं। शायद इसी कारण अच्छी तरह से प्रतीक्षा करने की सीख के वरदान हमसे छीना जा रहा है।

तो हम “अच्छे” की प्रतीक्षा कैसे करें? मेरा सुझाव है कि आप ‘आइ बिलीव’ (IBelieve) वेबसाइट पर लिखे पूरा लेख पढ़ें। “धैर्य चुपचाप प्रतीक्षा कर रहा है; यह बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है। धैर्य अंत तक प्रतीक्षा कर रहा है; यह उम्मीद के साथ प्रतीक्षा कर रहा है। धैर्य आनंदपूर्वक प्रतीक्षा कर रहा है; यह अनुग्रह के साथ प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन जिस एक बात के लिए हमें प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए और अगले सेकंड के लिए स्थगित नहीं करना चाहिए, वह है येशु को हमारे जीवन के प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करना।“ अपना जीवन उन्हें समर्पित करने के लिए पलक झपकते ही हमें बुलाया जा सकता है। 

धैर्य का पीछा करना

20 साल पहले पेन्तकोस्त पर्व के दिन से, मुझे अपने विश्वास में नवीनीकृत किया गया है। मुझे धैर्य का गुण देने के लिए पवित्र आत्मा का मैं बहुत आभारी हूँ, और मुझे एक दयनीय, क्रुद्ध पापी से एक ऐसे व्यक्ति में बदलने के लिए भी, जो उसकी अगुवाई और मदद पाने की प्रतीक्षा करने के लिए क्षमता रखती है। यही इस उपहार का रहस्य है। आप इसे अकेले नहीं कर सकते – आपको ईश्वरीय कृपा की आवश्यकता है। मैं रातों-रात एक सौम्य, धैर्यवान व्यक्ति नहीं बन गयी, और हर दिन मेरे लिए एक परीक्षा का मैदान-ए-जंग है। धैर्य को पवित्र आत्मा के फलों का “केला का फल” कहा जाता है, क्योंकि यह जल्दी सड़ सकता है। मेरी परीक्षा होती रहती है, लेकिन पवित्र आत्मा ने मुझे निराश नहीं किया है। जब मैं यह लेख लिख रही थी, तब मैं एक समस्या के समाधान के लिए फोन पर चार घंटे तक प्रतीक्षा करने में सफल रही! दुनिया मुझे जल्दबाज़ी करने के लिए उकसाती रहती है। जब तक मैं नियंत्रण नहीं खो देती, तब तक शैतान मुझे परेशान करके दूसरे जाल में फँसाने की कोशिश करता रहता है। मेरा स्वार्थी और घमंडी अहम् हमेशा मांग करता है कि हर काम में मुझे पहले और अव्वल आना चाहिए। इसलिए आत्म-संयम के साथ अपना धैर्य बनाए रखने में मेरी मदद करने के लिए मुझे पवित्र आत्मा की बहुत आवश्यकता है। हालाँकि, संत फ्रांसिस डी सेल्स हमें बताते हैं कि वास्तव में हमारे आस-पास के सभी लोगों के लिए धैर्य का प्रयोग करने के पहले, हमें पहले खुद के साथ धैर्य रखना चाहिए।

फिर भी सतर्क रहने की ज़रूरत है। धैर्य का अर्थ यह नहीं है कि हम स्वयं को दुर्व्यवहार का शिकार होने दें या दूसरों को हमारे साथ पापपूर्ण व्यवहार की अनुमति दें। लेकिन इस विषय पर फिर कभी बात करूंगी, इसलिए मैं आप से धैर्य बनाए रखने की कामना करती हूं।

“सब कुछ की कुंजी धैर्य है। अंडा सेने से ही मुर्गी का चूजा हमें मिलता है, उसे तोड़ने से नहीं।-अर्नोल्ड ग्लासो

 

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दीना मननक्विल-डेल्फिनो

दीना मननक्विल-डेल्फिनो works at an Aged Care Residence in Berwick. She is also a counselor, pre-marriage facilitator, church volunteer, and regular columnist for the Philippine Times newspaper magazine. She resides with her husband in Pakenham, Victoria.

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