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अप्रैल 19, 2022 617 0 Connie Beckman
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मेरे मज़बूत पिताजी

सबसे महान पिता को खोजने में मेरे पिताजी ने मेरी मदद की।

 15 जून, 1994 को मेरे पिताजी ने अपने स्वर्गिक पिता के पास रहने के लिए इस दुनिया से विदा ले लिया। यद्यपि शारीरिक रूप से वे मेरे साथ नहीं है, उनकी आत्मा मेरी स्मृति में जीवित है। मेरे सम्पूर्ण जीवन के अंतराल में उनके द्वारा जो भी बातें सिखाईं गई, उस के कारण आज मुझे ऐसा व्यक्ति बनने में मदद मिली है, जिस प्रकार के व्यक्ति बनने के लिए मैं लगातार कोशिश कर रही थी। उन्होंने मेरे अन्दर, छोटे बड़े, बुजुर्ग, सभी लोगों के लिए आदर और सम्मान की भावना भर दी। मेरे जीवन की अन्य बहुत सारी बातों की तरह, दूसरों को आदर देने की सीख भी मुझे कठिन प्रक्रिया से सीखनी पड़ी। मुझे वह दिन याद है जब मैंने अपनी माँ को कड़े शब्दों में जवाब दिया था, और अपना जीभ दिखाकर मैं उसे मुंह चिढाने लगी थी। मेरे पिताजी बस इतनी दूर पर थे कि वे मुझे सुन सकते थे, देख सकते थे। यह बताने की ज़रूरत नहीं, कि उस दिन मुझे खूब डांट मिली और माँ को आदर देने के बारे में लंबा लेक्चर सुनना पड़ा। कुछ लोग कह सकते हैं कि माँ को देखकर मुंह चिढाना बालकपन का खेल समझना चाहिए, लेकिन पिता जी केलिए यह अनादर का मामला था, और उनके विचार में इसे ठीक करने की ज़रुरत थी। परिणाम यह हुआ कि माँ को, और अधिकारप्राप्त बड़ों को आदर देने के विषय में मैं ने उस दिन बड़ी शिक्षा पायी।         

मेरे पिताजी मोंटाना के बुट्टे में ताम्बे के खदानों में काम करने वाले खादानी मजदूर थे और बहुत ही मेहनती थे। वे कठिन परिश्रम पर और अपनी सर्वोत्तम क्षमता द्वारा परिवार को सहारा देने में विश्वास करते थे। खदान का काम जोखिम से भरा था। अपने काम के दौरान बहुत बार वे जख्मी हो गए थे। 1964 में एक भयानक खदान दुर्घटना में वे चोटिल हो गए, और इस से उन्होंने अपना खदान करियर और फिर से काम करने की क्षमता खो दी।

वह हमारे परिवार के लिए बहुत ही कठिन और नाजुक दौर था। अब आगे बिलकुल ही काम नहीं कर पायेंगे, और आगे चलकर विकलांग पेंशन से गुज़ारा करना पडेगा, इस सच्चाई को स्वीकार करने में उन्हें दिक्कत हुई। अपने परिवार को इज्जत की रोटी और बच्चों को अच्छी परवरिश करनेवाले उस कर्मठ पिता और पति के लिए, यह बहुत ही दुखदायी था। पिताजी बहुत ज़्यादा पीने लगे, अपने दुःख दर्द को शराब के बोत्तल में डुबाने की कोशिश वे कर रहे थे। हालांकि, कुछ महीनों के अन्दर, पिताजी के दिल में कुछ कुछ होने लगा। उन्होंने पीना छोड़ दिया और बाइबिल पढ़ना शुरू किया। मेरे पिताजी जिन्हें सिर्फ पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई हासिल थी, बहुत कष्ट सहकर परमेश्वर के वचन को बारीकी से अध्ययन करने और उसे अपने दिल में आत्मसात करने लगे। रोज़ ब रोज़, घड़ी दर घड़ी, उन्होंने ईश वचन का अध्ययन और मनन-चिन्तन किया। ईश्वर ने मेरे पिताजी के दिल को बदल डाला। वे ईश्वर के प्रेम का अनुभव करते हुए, प्रतिदिन का जीवन भरपूर जीने लगे।

एक कार दुर्घटना में अपनी 18 वर्ष की बेटी को खोने और अन्य बहुत से दिल तोड़नेवाले दौर से गुजरने के बावजूद, उन्होंने जीवन का श्रेष्ठ आनंद उठाया। हम भाई बहनों के चार नाती पोते और एक पोती हुए । एक दादा और नाना के तौर पर उनमें से किसी बच्चे के प्रति उन्होंने विशिष्ट प्रेम प्रकट नहीं किया। हर नाती-पोते को लगा कि वही दादा/नाना की आँखों की पुतली है ।

यद्यपि खदान की दुर्घटना के कारण काम करने की उनकी क्षमता ख़तम हो गयी, लेकिन यह हम सब केलिए एक चमत्कार पूर्ण आशीष बन गयी। हर नाती पोते के साथ अपना वक्त बिताने और उसका पूरा ख्याल करने और उसे प्यार करने का उनके पास काफी समय था। कानूनी तौर पर ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की उम्र पंहुंचने से बहुत पहले ही, उन चारों नाती पोते को पिताजी नें अपने पुराने डाटसन पिकअप वैन चलाना सिखाया। खदान की दुर्घटना के कारण वे लंगड़ कर चलते थे, और उनके सभी नाती पोतों ने दादा/नाना की तरह ही चलकर उनकी नक़ल करने की कोशिश की। पिताजी और उन बच्चों का सड़क पर  एक साथ चलना एक अभूतपूर्व दृश्य बनता था, क्योंकि सब के सब लंगड़ कर चलते थे। वे सभी दादा/नाना को अपना आदर्श मानते थे और उन्हीं की तरह बनना चाह रहे थे। वे बड़े क्षमावान और सब्र के आदमी थे, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें में से एक एक के साथ उन्होंने समय बिताया और इस अनुभव के हर पल का आनंद उन्होंने उठाया ।

एक शादीशुदा औरत और बच्चों की माँ होने के नाते, बहुत बार मैं अपने पिताजी की सलाह लेने और उनके प्रोत्साहन प्राप्त करने उनके पास जाया करती थी। वह अपने दिल से मुझे सुना करते थे और कभी दोष नहीं लगाते थे, लेकिन मुझे प्रार्थना करने और ईश्वर पर भरोसा करने का प्रोत्साहन देकर मेरी समस्याओं का समाधान ढूँढने का वे प्रयास करते थे। उनसे सीख लेकर मैं भी बाइबिल पढने लगी। पिताजी की बहुत सारी अमूल्य स्मृतियाँ मेरे मन में हैं। सबसे महत्वपूर्ण सीख जो उन्होंने मुझे दी है, वह मेरे स्वर्गिक पिता की प्रेममय उपस्थिति में प्रातिदिन स्वयं को समर्पित करने की सीख है। इस के द्वारा दुनिया के सबसे महान, और सबके अच्छे पिता से मैं प्रतिदिन कुछ न कुछ सीख ग्रहण कर सकूं।

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Connie Beckman

Connie Beckman is a member of the Catholic Writers Guild, who shares her love of God through her writings, and encourages spiritual growth by sharing her Catholic faith

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