Home/Engage/Article

जुलाई 27, 2021 1415 0 Ellen Hogarty, USA
Engage

चिंताओं को अलविदा

नल खोलते ही पानी बहने लगता है

बटन दबाते ही बत्तियां बुझ जाती है

अलमारियों को खोलो तो खाना निकाला आता है

आजकल सुविधाएं इतनी बढ़ी हैं कि हम कितने लापरवाह हो गए हैं|

ईश्वर को धन्यवाद देने की आदत डालना आज के समय में बहुत ज़रूरी है| थेसलोनिकियों को लिखे गए पहले पत्र में संत पौलुस कहते हैं, “सब बातों के लिए ईश्वर को धन्यवाद् दें; क्यूंकि येशु मसीह के अनुसार आप लोगों के विषय में ईश्वर की इच्छा यही है|” ईश्वर क्यों हमें सब बातों में धन्यवाद देने को कहते हैं? संत पौलुस कहते हैं कि ऐसा करने से “ईश्वर की शान्ति जो हमारी समझ के परे है, आपके हृदयों और विचारों को येशु मसीह में सुरक्षित रखेगी|” इसीलिए अगर आप खुद को उत्तेजित, चिंतित, परेशान, या अशांत पाते हैं तो इससे निजात पाने का एक बढ़िया उपाय है ईश्वर को छोटी छोटी चीज़ों के लिए धन्यवाद देने की आदत डालना|

मैंने कई सालों पहले एक तीर्थ यात्रा के दौरान कृतज्ञता के बारे में कई महत्त्वपूर्ण बातें सीखीं| इस तीर्थ यात्रा के लिए मैंने और मेरे दोस्त ने 180 मील की दूरी एकसाथ तय करने का फैसला लिया| हम पैदल चल कर स्पेन के कमीनो डी संतियागो जाने वाले थे| एक दिन हम 15 मील लगातार चले, जिसके बाद हम रुक कर आराम करने के लिए बिलकुल तैयार थे| हम पसीने से लतपत और भूख व थकान से बेहाल थे| इसीलिए हमने नज़दीकी शहर में रुकने का फैसला किया| लेकिन जब हम नज़दीकी शहर पहुंचे तब हमें पता चला कि उस वक़्त उस शहर में एक महोत्सव चल रहा था जिसके चलते उस शहर के सारे होटल भर चुके थे| जब आप पैदल यात्रा करते करते इतना थक चुके हों, तब आराम करने की जगह ना मिलने से बुरा क्या ही हो सकता है?

थकान से हमारी हालत खराब हो रही थी, और हमें किसी तरह रात में सोने की जगह चाहिए थी| हमने कई होटलों में पूछा पर सब जगहें भरी हुई थीं जिसकी वजह से हमें काफी चिंता होने लगीं थी| फिर किसी ने हमें ठहरने की एक जगह के बारे में बताया जो शहर से थोड़ी दूर पर थी, जहाँ जगह मिलने की उम्मीद थी| उस व्यक्ति ने उस होटल में फ़ोन करके हमारे लिए पूछताछ भी की, और वाकई वहाँ किस्मत से एक डारमेट्री में दो बिस्तर खाली थे| हालांकि वहाँ पहुंचने के लिए हमें एक मील और चलना पड़ा और जब हम वहाँ पहुंचे तो वह जगह काफी गन्दी और लोगों से भरी हुई थी| पर उस वक़्त हम इसी बात से इतने खुश थे कि हमें ठहरने की एक जगह और सोने को एक बिस्तर मिल पाया, कि हमने बाकी किसी चीज़ की शिकायत नहीं की| कम से कम उस रात हमें ज़मीन पर, खुले आसमान के नीचे तो नहीं सोना पड़ा|

अगले दिन जब हम बस स्टेशन गए तब वहाँ हमने कई अफ़्रीकी शरणार्थियों को बस का इंतज़ार करते हुए देखा| वे किस चीज़ से दूर भाग रहे थे? उन्होंने कितनी दूर तक का सफर तय किया था? उन्होंने स्पेन तक आने के लिए कितनी दुःख, तकलीफों का सामना किया होगा, हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते थे| उन्हें ऐसे देख कर हमारे दिल करुणा और दया से भर गए|

इस घटना के बारे में सोच विचार करते हुए मैंने खुद से एक सवाल किया, “कितनी बार मैंने ईश्वर को इस बात के लिए शुक्रिया कहा होगा कि आज रात मेरे पास सोने के लिए एक बिस्तर है?” शायद ही कभी मैंने इन बातों के लिए ईश्वर को याद किया होगा| उस रात, एक ऐसी चीज़ से वंचित रह जाने का डर, जिसके बारे में मुझे पहले कभी सोचना भी नहीं पड़ा, और फिर उन शरणार्थियों को मुझसे कहीं ज़्यादा बदतर हालत में देखकर मेरा ध्यान मेरे जीवन में मौजूद अनेक आशीषों की ओर गया, और इन सब बातों ने मुझे किसी भी बात के बारे में शिकायत ना करना सिखाया| इन सब के बाद मैंने अपने दिल में एक हल्कापन और ख़ुशी महसूस की| और इन सब बातों ने मुझे ईश्वर को छोटी छोटी बातों के लिए धन्यवाद कहना सिखाया| जैसे, अपनी तीर्थ यात्रा के दौरान मैंने और मेरे दोस्त ने पानी तक के लिए ईश्वर को धन्यवाद देना सीखा| कमीनो डी संतियागो की तीर्थ यात्रा के दौरान हमें अपने पीठ पर पानी ले कर चलना पड़ा, और पानी का वह बोझ काफी भारी होता है| लेकिन तीर्थ यात्रा करते वक़्त हम कई जगहों से गुज़रते हैं जहां पानी की कमी है, इसीलिए हमें अपने साथ काफी मात्रा में पानी ले कर चलना पड़ता है| हमारे साथ कई बार ऐसा हुआ की हमारा पानी ख़तम हो गया, उस वक़्त जब हमें पानी भरने और अपनी प्यास बुझाने के लिए कोई जगह दिखी तो हमने कितने दिल से ईश्वर को धन्यवाद कहा| हर दिन, शाम ढलने पर जब हम अपने डेरे में वापस जा कर ठन्डे पानी से नहा पाते थे तो हमारे दिल को एक अनोखा सुकून मिलता था|

जब हम तीर्थ से लौटे, तब हम ईश्वर को हर छोटी बात के लिए धन्यवाद देने की इस आदत को जारी रखना चाहते थे| बजाय इसके कि हमारे जीवन में किसी बात की कमी आए तभी हम ईश्वर की आशीषों के लिए ईश्वर को धन्यवाद देंगे, क्यों ना हम हर रोज़ ईश्वर को उन छोटी छोटी बातों के लिए धन्यवाद दें जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं| ईश्वर हमारी स्तुति और धन्यवाद के योग्य हैं, और जब हम हर दिन ईश्वर की आशीषों को खोजते हैं और उनके लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं, तब हमारे जीवन की तकलीफें और चिंताएं जिन्हें हम अपने दिल में लिए फिरते हैं वे सारे बोझ हलकी लगने लगती हैं| और हम ईश्वर की उपस्थिति और उनके मार्गदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं|

कृतज्ञता सच में वह दरवाज़ा है जो हमें “उस शान्ति की ओर ले जाता है जो सारी समझ के परे है”| एक बार कृतज्ञ हो कर देखें और सोचें की आप किन बातों के लिए अभी इसी वक़्त ईश्वर को धन्यवाद दे सकते हैं?

Share:

Ellen Hogarty

Ellen Hogarty एक आध्यात्मिक निर्देशिका, लेखिका और लॉर्ड्स रैंच संस्था में पूर्णकालिक मिशनरी के रूप में कार्यरत हैं। गरीब जनों के प्रति इनके कार्यों के बारे में और जानने के लिए thelordsranchcommunity.com पर जाएं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Neueste Artikel