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जून 23, 2021 1548 0 Jackie Perry
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संकट हमें खुद को जानने का न्योता देता है

दुनिया भर में फैली महामारी कोरोना वायरस के बीच हम अपनी ज़िन्दगी को तेज़ी से बदलते हुए देख रहे हैं| कितनी ही बातें, कितनी ही चीज़ें, जो कभी हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा हुआ करती थीं, वे हम से छिन गयीं हैं| और हम इस तेज़ी से बदलती हुई तस्वीर के बीच खड़े, यह सोचने पर मजबूर हैं कि इस नए माहौल में हम दरअसल हैं कौन?

आम तौर पर, हम अपनी ज़िन्दगी बड़ी मेहनत से अपनी पहचान बनाने में, अपना मुकाम बनाने में गुज़ार देते हैं| हम लोगों को कैसे नज़र आते हैं, हम इसे भी अपने काबू में करना चाहते हैं| अपनी रुचि के हिसाब से हम अपना समय अलग अलग तरह के शौक, खेल, आदि उन कामों में लगा देते हैं जिन कामों ने मिलकर बाकी दुनिया के सामने हमारी एक छवि बनाई है| हम चाहते हैं कि लोग हमें इसी तरह देखें या जानें और कभी कभी हम अपनी इन खूबियों, इन उपलब्धियों के बारे में लोगों को बड़े गुरूर से बताते भी हैं| हम कहीं न कहीं यह विश्वास कर लेते हैं कि जो हमारे पास है, या जो हम करते हैं, या जो भी कुछ हमने अपनी ज़िन्दगी में हासिल किया है उन्हीं से हम हैं – कि यही हमारी पहचान है|

 

और फिर एक दिन अचानक पूरी दुनिया थम सी जाती है|

न कोई खेल

न कोई संगीत सम्मलेन

न बड़ी सामाजिक सभाएं

न दोस्तों के साथ अंतरतम मुलाकातें और ना पार्टियाँ

न घूमना फिरना

न सुरक्षित रहने का भरोसा

और कुछ लोगों के लिए

पैसों का नुक्सान

रोज़गार का नुक्सान

–      धंधे में नुक्सान
तबियत में गिरावट
प्रियजनों की मौत
खुद की मौत

 

हम से काफी कुछ छिन गया| हम जो सोचते थे कि हम यह हैं, और हम जो सोचते थे कि ये हमारी ज़रूरतें हैं, हम से वे सब सोच और समझ छीन ली गयी | इतना बड़ा बदलाव बहुत कठिन, दर्द भरा और अक्सर काफी डरावना होता है|कभी कभी, इतने बड़े विश्व व्यापी संकट के बिना भी ईश्वर हमें उन चीज़ों और उन राहों से अलग करते हैं जिनके माध्यम से हम अपनी पहचान बना लेते थे, ताकि हम अपनी असल पहचान की खोज कर सकें|

यह जायज़ बात है कि अगर हम नहीं जानते कि हम कौन है और हमारी अहमियत क्या है, तो हम खुद को दुनियावी चीज़ों से जोड़ते हैं जिनका कोई भरोसा नही हैं और वे हम से कभी भी छीन ली जा सकती हैं| हमारा एक सच्चा और मज़बूत सहारा सिर्फ और सिर्फ ईश्वर हैं| और उन्हें करीब से जानने की ज़रूरत है| क्योंकि जब हम ऐसा करेंगे तब हमें अहसास होगा कि ईश्वर की दृष्टि में हम कितना महत्व रखते हैं|

प्रिय मित्र, आप और मैं सब से पहले उस प्यारे पिता की दुलारी संतानें हैं| यही हमारी सच्ची पहचान है| और आखिर में यही पहचान मायने रखती है| आपके दोस्त शायद आपको कुछ और समझाने की कोशिश करेंगे| यह दुनिया आपको बहलाने की कोशिश करेगी| बहकानेवाला दुष्टात्मा आपको कुछ और बातें बताएगा | लेकिन कोई भी आपकी असल पहचान के सच को नही बदल सकता|  यह आपका, मेरा, हम सब का सच है| और इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि हम इस बात को अपनाते हैं और इस पे विश्वास करते हैं या नही| हमारा कुछ भी कहना या करना इस सच को नही बदल सकता| हमारी पहचान उस पिता में है जिस में हम जीवन पाते हैं| जब हम सोचते हैं कि हमारे पास कुछ नही बचा है, हमें अहसास होता है कि हमारे पास हमारी ज़रुरत की सारी चीज़ें है|

अभी इस संकट के बीच जब हम सब की पुरानी ज़िन्दगी से कुछ न कुछ छीन लिया गया है, तभी यह सही वक़्त है अपनी असल पहचान की तलाश कर उसे अपनाने का|

तो ठीक है, मैं शुरू करती हूँ । मैं जैकी पेरी, हमारे दयालु पिता की एक प्यारी बेटी हूं।

आप कौन हैं ?

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Jackie Perry

Jackie Perry is a wife, mother, and inspiring writer. Her Catholic faith ignites her desire to share her journey of life on her blog jackieperrywrites.com *The article, ‘Do You Trust?’ appeared in the September/October 2020 issue of Shalom Tidings magazine. Scan now to read. (shalomtidings.org/do-you-trust)

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