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नवम्बर 19, 2020 1981 0 Irene La Palambora
Engage

टूटी हुई लेकिन चंगी

क्षमा को गले लगाएं और इसके द्वारा येशु के चंगाई भरे स्पर्श का अनुभव करें|

आइरीन ला पालंबोरा अपने दर्दभरे अतीत को येशु को सौंपने और येशु के द्वारा उनके जीवन को बदलने की असाधारण कहानी  साझा करती है |

मेरे बचपन के दिनों से मेरे माता-पिता का मेरी ज़िन्दगी से कोई ख़ास लेना देना नहीं था, जिसकी वजह से मैं ने और मेरे भाई-बहनों ने काफी हद तक अपनी परवरिश खुद ही की है| मेरी माँ काफी खुले मिजाज़ की थीं और उन्हें लोगों से मिलना जुलना, पार्टी करना, बहुत पसंद था| लेकिन इन सब चीज़ों में उन्हें अपने बच्चों को शामिल करना पसंद नही था| पापा वर्कहोलिक थे, हमेशा किसी ना किसी काम में व्यस्त| उन्हें शिकार पर जाने और मछलियां पकड़ने का भी शौक था तो वे ज़्यादा समय घर से बाहर ही बिताते थें| उन दोनों को शायद कभी इस बात का ख़याल ही नहीं आया कि हमें उनके प्यार और उनकी देख भाल की ज़रुरत थी| मुझे कभी माँ का प्यार से मुझसे बात करना या दुलार करना याद नहीं| एक दिन जब मुझे जंगली मशरुम खा लेने की वजह से उल्टियां होने लगी थीं, तब भी माँ ने मुझे बस डांटा और सारी गन्दगी खुद साफ़ करने के लिए कहा|

मैं लापरवाही के साथ, अव्यवस्थित ढंग से बड़ी हो रही थी इसी लिए पापा ने मुझे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने भेजने का फैसला किया| स्कूल की छुट्टियों में मुझे दादा-दादी के घर भेज दिया जाता था| वे लोग कैथलिक विश्वासी थे और मेरे अंदर प्रेम की जो कमी थी उन्होंने वह कमी पूरी की|

वह रात जब मेरी ज़िन्दगी बिखर सी गयी

काफी समय बाद जब मैं घर गयी, तब पता चला कि माँ ने कुछ ही समय पहले मेरे सब से छोटे भाई को सीजेरियन ऑपरेशन के द्वारा जन्म दिया था| हमें तो पता भी नहीं था कि वे माँ बननेवाली थीं इसीलिए हम सब काफी चौंक गए थे, और माँ की हालत उस वक़्त काफी खराब भी थी| मेरे दादा-दादी मेरे भाई-बहनों को अपने घर ले गए थे इसी लिए पापा और उनके दोस्त पहले अस्पताल गए और फिर बच्चे के जन्म की ख़ुशी में जश्न मनाने केलिए दारूखाना | मैं उनके साथ थी | लेकिन क्योंकि दोनों जगहों में मुझे अंदर जाने की इजाज़त नहीं थीं, इसीलिए मेरा सारा समय अकेले कार में बैठे बैठे गुज़रा|

जब वे दोनों दरूखाने से बाहर आये तब दोनों की हालत कार चलाने लायक नहीं थी| घर की ओर जाते वक़्त दोनों में बहस हो गयी कि गाड़ी किस ओर मोड़नी है| पापा ने एक गलत मोड़ लिया, कार को एक सुनसान, अंधियारी जगह रोका और फिर इंजन बंद कर के स्टीयरिंग के ऊपर सर रखकर सो गए| इसी बीच मैं थोड़ा टहलने केलिए कार से बाहर निकली| अचानक मुझे किसी ने पीछे से अपनी ओर ज़ोर से खींचा| मेरे पापा के दोस्त ने मेरे कपड़े फाड़ डाले और बेरहमी से मेरा बलात्कार किया, फिर मुझे ज़मीन पर रोता छोड़कर कार में वापस चले गए|

दर्द और घबराहट से कांपते हुए मैंने अपने कपड़ों को ठीक किया| हालांकि डर के मारे मेरा हाल बहुत बुरा था, फिर भी मुझे इस बात का अहसास था कि घर जाने केलिए मुझे कार में वापस जाना ही होगा| जब मैं वापस गयी तब न ही पापा ने मेरी हालत पर कोई ख़ास ध्यान दिया, न ही मैं उनसे कुछ कह पायी| जब हम आखिरकार घर पहुंचे तब वे लोग सीधे रसोई से खाना निकाल कर खाने में व्यस्त हो गए, जब कि मैं ने दौड़कर सब से पहले खुद को बाथरूम में बंद कर लिया| फिर मैं ने गरम पानी वाला शॉवर चला दिया और उसमे खुद को डुबोकर जो हुआ था उसे भुलाने की कोशिश करने लगी| किसी को कभी पता नही चला कि उस रात मेरे साथ क्या हुआ था, लेकिन उस हादसे ने मेरी ज़िन्दगी में काफी बुरा असर डाला|

हालांकि स्कूल में मुझे प्रार्थना का समय बहुत सुकून मिलता था और मैं बड़ी ख़ुशी के साथ माँ मरियम संगत से जुड़ने केलिए पढ़ाई कर रही थी, लेकिन छात्रावास का कठिन अनुशासन मेरे लिए थोड़ा भारी पड़ रहा था| वहां जिस सिस्टर को हम छात्राओं की ज़िम्मेदारी थी उन्हें शुरू से ही मुझसे कुछ अरुचि थी | वे अक्सर मेरी सबसे अधिक आलोचना करती थीं, और कभी भी किसी काम में मुझे मौक़ा नही देती थीं, चाहे वो सोने से पहले अपना मनपसंद भजन गाने का मौका ही क्यों ना हो| कभी भी कुछ भी गलत होता तो उस का इलज़ाम मुझ पर लगाया जाता चाहे उसमें मेरी गलती हो या न हो|  एक दिन मुझसे और सहा नही गया| आर्ट प्रोजेक्ट केलिए क्या पेंट करना चाहिए, इस का आदेश सिस्टर ने खुद दिया | जब मैं ने देखा मेरी इच्छा का कोई सम्मान ही नहीं है, तब मैं स्कूल से भाग आयी और अपना पूरा दिन एक बंद पड़ी मखन फैक्ट्री में गुज़ार दिया| फिर रात होने पर मैंने गिरजाघर में शरण ली| पुलिस ने मुझे वहाँ पाया और मुझे स्कूल वापस ले गयी, जिसके बाद मुझे सब के सामने डांट पड़ी और सब को यह आदेश मिला कि कोई मुझसे अगले दो दिन तक बात नही करेगा|

मैं खुद को बहुत अकेला और अनचाहा सा महसूस करने लगी थी| यह एहसास सबसे ज़्यादा तब हुआ जब मेरा साप्ताहिक खत जो मैंने अस्पताल में भर्ती अपनी माँ को लिखा था, वह घूमकर वापस मेरे ही पास आया और उस पर लिखा हुआ था  “पता गलत है, प्रेषक को वापस भेजें” | मुझे ऐसा लगा जैसे सब ने मुझे अकेला छोड़ दिया, जैसे किसी ने मेरी आत्मा को ही कुचल दिया, और अब मुझे किसी पर भी भरोसा नही रह गया था| इस निराशा भरे समय में मेरे पल्ली पुरोहित ने मेरी काफी मदद की| उन्होंने मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार दिया और हर निराशा की घड़ी में अपनी सांत्वना से संभाला| वे मुझे कहते थे, “ याद रखो कि तुम्हारी आत्मा एक संगमरमर के टुकड़े की तरह है| इसे एक खूबसूरत चीज़ में बदलने केलिए तुम्हें इसे तराशना ही होगा|” माँ मरियम ने भी मुझे बहुत शक्ति दी| आखिरकार मुझे माँ मरियम संगत में स्वीकार कर लिया गया|अब मुझे जब भी रात को नींद नही आती थी, तब मैं माँ मरियम का आँचल ओढ़ सो जाती थी|

क्या मैं एक गलती हूँ?

हमें हमेशा से यह बताया जाता है कि ईश्वर प्रेम हैं, लेकिन यह बात कभी मुझे ठीक से समझ नही आयी| जैसे जैसे मैं बड़ी हुई, मेरी शादी हुई, मेरे बच्चे हुए, मैं हमेशा से उस ईश्वर की तलाश में थी जो मुझ से प्यार करता है| मुझे इसकी थोड़ी बहुत समझ थी| मैं ने एक अच्छी कैथोलिक बनने की कोशिश की; मैं चर्च में गाती थी, पल्ली की मदद करती थी, लेकिन यह सब मुझे बस काम भर लगता था|

एक दिन मेरी मौसी ने मुझे बताया कि मेरी माँ किसी और इंसान से प्यार करती थीं पर उन्हें मेरे पापा से इसलिए शादी करनी पड़ी क्योंकि पापा की वजह से मैं माँ की कोख में थी| शायद इसीलिए माँ ने कभी मुझे प्यार नहीं किया| मैं एक गलती थी| मेरी दूसरी मौसी ने मुझे बताया कि 18 महीने की उम्र में मैं कुपोषण से मरने की कगार पर थी, क्योंकि मैं कुछ खाती पीती नहीं थी| इस बात ने मुझे उलझन में डाल दिया| कोई बच्ची आखिर मरना क्यों चाहेगी? कई सालों तक मैं ने पवित्र आत्मा से यह सवाल किया कि आखिर मैं ने बचपन में खुद को मरने की कगार तक क्यों भूखा रखा?

एक दिन जब मैं पेंटिंग कर रही थी, उस दौरान मेरे अंदर अचानक एक प्रेरणा मिली कि किसी पुरोहित के सामने मुझे उन साड़ी बातों को कहने की ज़रुरत है जो आज तक मुझे परेशान करती आयी थीं| पाप स्वीकार करने का  मेरा मन तो नहीं था, लेकिन एक लम्बी बातचीत के बाद मैंने एक अच्छा पापस्वीकार किया| उसी क्षण मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे एक प्रेम के बादल ने चारों ओर से घेर लिया हो| येशु मेरे दिल में आ बसे और मैंने यह जाना कि मैं जैसी हूँ येशु मुझे उसी तरह प्यार करते हैं| यह मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव था|

इस शक्तिशाली अनुभव के बाद मुझे पता था कि मुझे उन सब को माफ़ करने की ज़रुरत थी जिन्होंने मेरे साथ बुरा किया, मुझे चोट पहुंचाई थी | लेकिन मेरे लिए यह काफी मुश्किल था| मैं अब ‘हे पिता हमारे’ की प्रार्थना भी नहीं बोल पा रही थी क्योंकि मैं अपने अपराधियों को क्षमा नहीं करना चाहती थी| एक दिन जब मैं इस बात को लेकर येशु से प्रार्थना कर रही थी, तब मैंने उन्हें क्रूस पर लटके, खून में लिपटे, दर्द से कराहते, बड़ी मुश्किल से सांस लेते हुए देखा| वह बहुत ही भयानक दृश्य था| उनकी आँखें प्रेम और कोमलता से भरी थीं और मैंने उन्हें कहते सुना, “अत्याचारियों की तरफ अपना दूसरा गाल भी कर दो | जैसे मैंने तुम्हें माफ़ किया है, तुम भी दूसरों को माफ़ कर दो|” मैं ने सोचा, यह सच है कि मैं अपने दुःख से ऐसे लिपटी नहीं रह सकती, क्योंकि मुझे मेरे सारे पापों की क्षमा मिली थी|

इसीलिए मैं ने पवित्र आत्मा से प्रार्थना की कि वे मुझे हर उस इंसान का चेहरा दिखाएं जिसे मुझे माफ़ करना था| सबको एक एक कर के माफ़ करने में काफी वक़्त लगा लेकिन जब बारी मेरे मातापिता की आयी तब मुझे सब से ज़्यादा तकलीफ हुई| मैं ने येशु से कहा, “ मैं अपने पापा को माफ़ करने केलिए तैयार हूँ लेकिन आपको इसमें मेरी मदद करनी होगी| जब मैं घर गयी तब मैं ने खुद को और पापा को अपने अचानक बदले हुए व्यवहार से हैरान कर दिया| घर आते ही मैं पापा के पास जाकर बैठी और उनसे कहा “ पापा मुझे आप से प्यार है|” उन्होंने इसका कोई जवाब तो नहीं दिया पर वे मेरी ओर देख कर मुस्करा दिए| जिस वक़्त मैं ने उनसे यह बात कही उसी वक़्त मुझे अहसास हुआ कि मैं ने दिल से उन्हें माफ़ कर दिया था और अब मैं सचमुच उनसे प्यार करती थी|

 निराशा से उत्सुकता की ओर

कुछ हफ़्तों बाद पापा को कैंसर हो गया, जिसके बाद उन्हें हमारे साथ सिर्फ सात महीने नसीब हुए| इन सब के बाद जब मैं एकदिन चर्च में बैठी हुई थी तब मैंने येसु से सवाल किया, “आप ने क्यों इतनी जल्दी पापा को हम से छीन लिया? मैं ने अभी अभी तो उन्हें जानना शुरू किया था|” आंसुओं से भीगे हुए अपने चेहरे को जब मैंने वेदी की ओर किया तब मैंने येशु को मेरे पापा के कंधे पर हाथ रखते हुए देखा| वे दोनों साथ खड़े मुस्करा रहे थे| मेरे पापा काफी जवान और खूबसूरत भी दिख रहे थे| येशु ने मुझे प्यार से बताया, “ आयरीन, अब तुम कभी भी अपने पापा से बात कर सकती हो|” तुरंत ही मैं ने खुद को निराशा के दलदल से आज़ाद पाया| अब मैं खुश थी कि मेरे पापा येशु के साथ थे और मैं उन्हें फिर देखूंगी|

इसके साथ ही मुझे माँ को भी माफ़ करने और उन्हें सच्चे दिल से प्यार करने की कृपा मिली| उनके बुढ़ापे में मैं ने बड़े प्यार से उनकी सेवा की| जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा, उस वक़्त मैं ने उन्हें बड़े प्यार से संभाला और उनकी आखिरी सांस तक उन से प्रेम रखा| मैं खुद को काफी सौभाग्यशाली समझती हूँ कि मुझे उनके आखिरी लम्हों तक उनके साथ रहने की कृपा मिली| इसके बाद मैं अपने बलात्कारी को भी माफ़ कर पायी| आखिरकार मैं ने खुद को उन से भी आज़ाद कर लिया था|

ईश्वर ने मेरे जीवन में एक ऐसे पुरोहित को भी भेजा जो मेरी तकलीफों को बिना मेरे कहे ही समझ गए| वे मेरे आध्यात्मिक निर्देशक बने और मेरे लिए पिता जैसे थे| उन्होंने ईश्वर के संकरे मार्ग पर बने रहने में मेरा मार्गदर्शन किया| वे हमेशा मुझ से कहते थे, “अगर तुम्हें किसी बात में मानवीय सहायता की आवश्यकता है, तो ईश्वर तुम्हारे पास किसी इंसान को भेजेंगे चाहे वह इंसान दुनिया के दूसरे छोर पर ही क्यों ना हो|” उस पुरोहित की मौत के बाद, मुझे ऐसे किसी इंसान की ज़रुरत थी जिस से मैं बात कर सकूँ| एक दिन मैं मिस्सा केलिए गई तब जो पुरोहित उस वक़्त मिस्सा बलिदान अर्पित कर रहे थे वे भारत से आये हुए थे| मुझे उसी वक़्त यह एहसास हो गया था कि वे मेरे लिए भेजे गए थे और उन की बातों से मुझे वही मार्गदर्शन मिला जिसे मैं खोज रही थी|

चंगी और परिपूर्ण

एक दिन पवित्र आत्मा ने मेरे सालों पुराने सवाल का जवाब दिया: “ उस बच्ची के साथ क्यों दुष्कर्म हुआ था?” उसी वक़्त मुझे सर से पाँव तक तेज़ दर्द होने लगा| मुझे यह समझ नही आ रहा था कि मैं घर वापस कैसे जाउंगी लेकिन ईश्वर ने मेरा ख्याल रखा| येशु आये और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उस “बच्ची” के पास ले गए| उन्होंने उस बालिका आयरीन को उठाया और बड़ी कोमलता से उसे देखते हुए अपनी बाहों में झुलाने लगे| फिर उन्होंने उसके चेहरे पर हलके से फूँक मार कर उसके अंदर जीवन भर दिया|

मेरा दिल आभार से भर गया और मैं यह देख कर हैरान रह गयी कि येशु ने उस बच्ची में जान भरी, मुझ में जान भरी| पर फिर मैं ने सोचा, “ येशु अगर तूने उस बच्ची में जान भरी तो फिर तूने मेरे जीवन में वे सारी बातें क्यों होने दी? तू उस वक़्त कहाँ था?” इस पर उन्होंने जवाब दिया, “आयरीन, मैं भी तुम्हारे साथ इस पूरी अवधि में सब कुछ झेल रहा था, लेकिन मैं ने हमेशा तुम्हें बड़ी कोमलता से अपने दिल में रखा है| तुम मेरे लिए बहुत ख़ास हो|”

जब मेरे बच्चे हुए तब मैंने यह ठान लिया कि मैं बड़े लाड़ प्यार से उनकी देख भाल करुँगी| क्योंकि मैं ने बचपन में इसकी कमी महसूस की थी, इसीलिए मैं ने इस बात का बहुत ज़्यादा ध्यान रखा कि मेरे बच्चों को इसकी कमी ना हो| हालांकि मेरे साथ बचपन में काफी कुछ ठीक नही हुआ, फिर भी मैं कहीं न कहीं उन चीज़ों की आभारी हूँ क्योंकि उन्होंने ही मुझे तराशा है| मैं आज भी मुश्किलों से गुज़रती हूँ पर उनमें ईश्वर मेरी मदद करते हैं क्योंकि मैं ने खुद को ईश्वर की कृपा के भरोसे छोड़ दिया है|

उदाहरण केलिए, एक बार जब परम प्रसाद में येशु की उपस्थिति के बारे में संदेह कर रही थी उसके अगले ही दिन मुझे एक साधना कार्यक्रम केलिए जाना था| मेरा जाने का मन नहीं था, फिर भी मैं ने जाने का फैसला किया क्योंकि मैं उस साधना के लिए पहले से पैसे दे चुकी थी| प्रार्थनालय में आराधना के वक़्त मैं पीछे बैठकर सोचने लगी, “ ये लोग कैसे ऐसी बकवास बात पर भरोसा कर सकते हैं?” फिर मैं ने बार बार कहना शुरू किया, “मैं विश्वास करती हूँ, मेरे अविश्वास को हटाइये” (मारकुस 9:24)| अचानक मैं एक तेज़ रौशनी से भर गयी और मेरा सारा संदेह दूर चला गया|

अब मेरी पूरी ज़िन्दगी येशु और उसके महान प्रेम की वजह से शान्ति और आनंद से भरी हुई है| उन्होंने मुझे हिम्मत करना सिखाया ताकि मैं अपने सामने आनेवाली हर मुसीबत का सामना कर सकूं| हर दिन मैं पिता ईश्वर को उनके जीवनदान के लिए, नए दिन दिन केलिए  और उनके सानिध्य में जीवन जीने की शक्ति केलिए धन्यवाद देती हूँ|

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Irene La Palambora

Irene La Palambora ARTICLE is partly based on the Shalom World TV program “Seventy times Seven” where Irene La Palambora shares her extraordinary story of forgiveness. To watch the episode visit: https://shalomworld.org/episode/irene-la-palombara

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