Home/Enjoy/Article

मार्च 20, 2024 39 0 Molly Farinholt
Enjoy

टिन ह्रदय से सबक

ऊपर से बार-बार फुसफुसाहट, कई असफल प्रयास…सब कुछ का हल किसी बच्चों की कहानी द्वारा  !

हान्स क्रिश्चियन एंडरसन की एक अद्भुत कहानी है जिसका शीर्षक है ‘द स्टेड्फास्ट टिन सोल्जर’ जिसे मैं ने  अपनी बेटी को पढ़कर सुनाया और इस कार्य में मुझे उससे अपार खुशी मिली और उसे भी इसे सुनकर बहुत खुशी मिली। इस एक पैर वाले टिन से बने सैनिक के संक्षिप्त जीवन में कई तरह की परेशानियाँ आती हैं। कई मंजिलों से गिरने से लेकर लगभग डूबने तक और नबी योना जैसे मछली द्वारा निगल लिए जाने तक! उस विकलांग योद्धा को बहुत जल्दी ही दुख का एहसास हो जाता है। हालाँकि, इन सबके बावजूद, वह संकोच नहीं करता, लड़खड़ाता नहीं, या पीछे नहीं हटता। ओह, टिन सैनिक जैसा बनना कितना सौभाग्यशाली बात है !

कारण की खोज

साहित्यिक और निराशावादी लोग टिन सैनिक की दृढ़ता का श्रेय इस तथ्य को दे सकते हैं कि वह टिन से बना है। जो लोग रूपक की सराहना करते हैं, वे कहेंगे कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उसे अपनी पहचान का गहरा ज्ञान है। वह एक सैनिक है, और सैनिक डर या किसी भी चीज़ को अपने रास्ते में भटकने तक नहीं देते। टिन सैनिक पर परीक्षाएँ हावी हो जाती हैं, लेकिन वह अपरिवर्तित रहता है। कभी-कभी, वह स्वीकार करता है कि अगर वह सैनिक नहीं होता, तो वह ऐसा-ऐसा करता – जैसे आँसू बहाता – लेकिन वह ये चीज़ें नहीं करता, क्योंकि यह उसके व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं होता। अंत में, उसे एक भट्टी में डाल दिया जाता है, जहाँ, आर्क की संत जोआन  की याद दिलाते हुए, वह आग की लपटों में घिर जाता है। उसके अवशेष बाद में नौकरानी को मिलते हैं। अब वह सैनिक एक बिल्कुल सही आकार के टिन के दिल में सीमित हो गया हैं – या कोई कह सकता है, रूपांतरित हो गया है। हाँ, जिस आग को उसने इतनी दृढ़ता से सहन किया, उसने उसे प्यार में ढाल दिया!

क्या दृढ़ बनने के लिए बस अपनी पहचान जानना ही ज़रूरी है? तो फिर सवाल यह है कि हमारी पहचान क्या है? मैं और आप भी ब्रह्मांड के राजा की बेटी (या बेटा) हैं। अगर हम इस पहचान को जानें और कभी भी इसका दावा करना बंद न करें, तो हम भी प्रेममय राजकुमार बनने की यात्रा पर दृढ़ बने रह सकते हैं। अगर हम अपने दिन यह जानते हुए गुजारें कि हम अपने पिता के आलीशान महल में आराम से मस्ती करनेवाले राजकुमारियाँ और राजकुमार हैं, तो हमें किस बात का डर होगा? वह कौन सी बात है जिससे हम हिला जायेंगे,  हम पीछे हट जायेंगे या हम टूटकर बिखर जायेंगे? कोई भी अतिवृष्टि या बाढ़ या आगजनी हमें अपने सामने इतने प्यार से रखे गये उस संतत्व के मार्ग से नहीं हटा सकती। हम ईश्वर के प्रिय बच्चे हैं, अगर हम केवल अपने मार्ग पर बने रहें तो संत बनना हमारी किस्मत में हैं। क्लेश खुशियाँ बन जाएँगे क्योंकि वे हमें हमारे मार्ग से नहीं हटाएँगे बल्कि, अगर अच्छी तरह से सहन किया जाए, तो अंततः जो हम बनना चाहते हैं वे क्लेश हमें वही बना देंगे! हमारी आशा और खुशी हमेशा बनी रह सकती है, क्योंकि भले ही हमारे चारों ओर कठिनाई हो, फिर भी हम प्रिय हैं, हम चुने गए लोग हैं और हमेशा के लिए स्वर्ग में पिता के साथ रहने के लिए बनाए गए हैं।

दुख खुशी में बदल गया !

जब स्वर्गदूत गब्रिएल, मरियम की सहमति प्राप्त करने के अपने मिशन पर था, तब मरियम के डर को देखकर  वह उससे कहता है: “डरिये नहीं, क्योंकि आप को ईश्वर की कृपा प्राप्त  है” (लूकस 1:30)। क्या शानदार खबर है! और यह कितनी शानदार खबर है कि हमें भी ईश्वर की कृपा प्राप्त है! उसने हमें बनाया है, वह हमसे प्यार करता है, और चाहता है कि हम हमेशा उसके साथ रहें। इसलिए, हमें, मरियम की तरह, निडर रहने की ज़रूरत है, चाहे हमारे रास्ते में कोई भी कठिनाई क्यों न आए। मरियम ने दृढ़ता से अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को स्वीकार किया, यह जानते हुए कि उसका विधान परिपूर्ण है और सभी मानव जाति का उद्धार निकट है। वह अपने सबसे बड़े दुख के क्षणों में क्रूस के नीचे खड़ी रही और वहीं रही। अंत में, हालाँकि मरियम के दिल को कई तलवारों से छेदा गया था, उसे स्वर्ग में ले जाया गया और स्वर्ग और पृथ्वी की रानी का ताज पहनाया गया, ताकि वह हमेशा प्यार के साथ रहे। पीड़ा और क्लेश के माध्यम से उसकी दृढ़ता और प्रेमपूर्ण सहनशीलता ने मरियम की रानी बनने का मार्ग प्रशस्त किया।

हाँ, मृत बेटे के शव को गोद में लिए माँ का दुख स्वर्गारोहण की महिमा बन गया। इतने सारे पवित्र पुरुषों और महिलाओं की शहादत ने उन्हें हमेशा के लिए प्रभु की स्तुति करने वाले स्वर्गीय सेनाओं का हिस्सा बना दिया। हमारी स्वर्गिक माँ और स्वर्ग के सभी संतों की तरह, हम भी दृढ़ रहने की कृपा स्वीकार करें, दु:ख, क्लेश, आगजनी और अन्य सभी परिस्थितियों के बीच हम मज़बूती के साथ खड़े रहें। सांसारिक शक्तियां हमें प्रभु की खुली बाहों के आलिंगन से दूर करने की कोशिश करती हैं। हम पिता की छाया में बने संतानों के रूप में अपनी पहचान में दृढ़ता से खड़े रहें। प्रसिद्ध कवि टेनिसन ने एक बार लिखा था: “प्रयास करने, खोजने, पाने और हार न मानने की इच्छा में दृढ़ रहें!” यही हमारा ध्येय हो, इन सबके बाद, हम प्रेममय प्रभु की तरह प्रेमी बनें।

Share:

Molly Farinholt

Molly Farinholt is a wife, mother, homemaker, and writer. She lives with her husband and children in Virginia, where they serve on a mission with the FOCUS ministry.

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Neueste Artikel