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अगस्त 12, 2021 1956 0 Connie Beckman
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हमसफ़र मोनिका

क्या आप अपने बच्चे के लिए चिंतित है ?

क्या आप अपने जीवन साथी के लिए लम्बे अरसे से प्रार्थना करते आये हैं ?

तब आपको इस व्यक्ति के बारे में जानना चाहिए |

आशा का लंगर

मुझे संत मोनिका के बारे में कुछ ही साल पहले जानकारी मिली | जब मैं ने जाना कि उसने अपने पुत्र अगस्तीन के मनपरिवर्तन के लिए और अपने अविश्वासी पति पेट्रीसियस के धर्म परिवर्तन के लिए बहुत वर्षों तक प्रार्थना करती रही, तब मुझे लगा कि तीसरी सदी के इस संत के बारे में मुझे और अधिक जानकारी हासिल करनी है | मैं अपने परिवार में बदलाव के लिए बहुत वर्षों से प्रार्थना कर रही थी | अपने प्रिय लोगों के लिए प्रार्थना में बरकरार रहने की आशा संत मोनिका ने मुझे दी है |

संत मोनिका का जन्म सन 331 ईसवीं में उत्तरी आफ्रिका के तागास्ते शहर में एक ख्रीस्तीय परिवार में हुआ था | उनके माता पिता ने ख्रीस्तीय विश्वास में उनकी परवरिश की | एक रोमी अधिकारी पेट्रीसियस से उनकी शादी हुई | दाम्पत्य जीवन आनंदमय नहीं था, लेकिन मोनिका की क्षमा और कुशलता के कारण ही उनका दाम्पत्य शांतिपूर्ण और स्थिरातापूर्ण था |

मोनिका को इस बात का बहुत दुःख था कि उनके बच्चों को बप्तिस्मा दिलाने में उसका पति अडंगा लगा रहा है | जब अगस्तीन बहुत अधिक बीमार हो गया तब उसके बप्तिस्मा केलिए मोनिका अपने पति से बहुत रो रोकर गिडगिड़ाई | पेट्रीसियस ने अनुमति दी | जैसे ही बप्तिस्मा से पूर्व अगस्तीन ठीक हो गया बप्तिस्मा ने फिर मना किया | जिस विश्वास को मोनिका इतना प्रेम करती थी, उसी विश्वास में अपने बच्चों की परवरिश और लालन पालन करने से रोका जाना कितना चिन्ताजनाक रहा होगा | इसके बावजूद वह अपने विश्वास में अडिग रही |

दयालुता का पुरस्कार

मोनिका ने अपने पति के हिंसक प्रकोपों ​​को बेहद धैर्य से सहन करती हुई अपने वैवाहिक जीवन में दृढ़ता दिखाई। उनके पैतृक शहर की अन्य बहुत सी पत्नियां और माताएं भी अपने अपने पति के हिंसक प्रकोपों को झेल रही थी। उन्होंने भी मोनिका के धैर्य की प्रशंसा की और उनका बड़ा सम्मान किया। अपने वचनों और नमूना द्वारा मोनिका ने उन्हें दिखाया कि वे अपने पतियों से कैसे प्यार कर सकती हैं। अपने वैवाहिक जीवन की कठिनाइयों के बावजूद, मोनिका अपने पति के रूपांतरण के लिए प्रार्थना करती रही।

मोनिका का विश्वास अंततः पुरस्कृत किया गया। अपनी मृत्यु से एक साल पहले, पेट्रीशियस ने अपनी पत्नी के ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया। लम्बी प्रार्थना का यह जवाब तब आया जब अगस्तीन 17 साल का था। आप ज़रूर सोचेंगे कि अगस्तीन के पिता के धर्मांतरण का असर उसके पुत्र पर अवश्य पड़ा होगा। लेकिन इसका उल्टा असर होने लगा: अगस्तीन ने अपने अधार्मिक और अनैतिक तरीके जारी रखे और वह गंभीर पाप में गिर गया। मोनिका अपने बेटे के लिए ईश्वर से दया की भीख मांगती रही।

अगस्तीन ने सांसारिक महत्वाकांक्षाओं के साथ अपने अनैतिक जीवन शैली को जारी रखा और मोनिका अपने बेटे की आत्मा के लिए ईश्वर के साथ संघर्ष करती रही। ऐसा लग रहा था कि उसके बेटे और  पति को स्वर्ग में सुरक्षित देखना ही उसके जीवन का एकमात्र मिशन है। एक ओर वह गहरी प्रार्थना और दयालुता के कार्य करनेवाली महिला थी, लेकिन अगस्तीन ने अपनी मां को उससे धर्म परिवर्तन करानेवाली, उसे  नियंत्रित करनेवाली और जबरन सुधारने के जिद पर अड़ी व्यक्ति के रूप में देखा। लेकिन आज कितनी कैथलिक माताएँ हैं जो अपने बच्चों को अपने धार्मिक विश्वास को हस्तांतरित करने को तैयार रहती हैं? कितनी बार मोनिका ने अपने बेटे को ईश्वर के सम्मुख समर्पित कर दिया होगा और उसकी दया के लिए भीख मांगी होगी?

एक लम्बी यात्रा

एक समय पर, मोनिका ने मिलान में रहनेवाले अपने बेटे की खोज में निकलने का फैसला किया, हालांकि इस लम्बी यात्रा का खर्च उठाने के लिए उसके पास पर्याप्त धन नहीं था। वह अपने बेटे को उसके पापमय जीवन से छुडाने के लिए किसी भी बलिदान के लिए तैयार थी। मोनिका ने जहाज द्वारा मिलान की लम्बी और दुर्गम यात्रा हेतु आवश्यक धन जुटाने के लिए अपने कुछ क़ीमती संपत्ति बेच दी, और एक शिकारी कुत्ते की तरह अपने बेटे का पीछा किया। इस यात्रा के दौरान, मोनिका की मुलाकात मिलान के धर्माध्यक्ष अम्ब्रोस से हुई, जो बाद में चलकर अंतत: अगस्तीन को विश्वास में लाए। छह महीने के धर्म प्रशिक्षण के बाद अगस्तीन को संत अम्ब्रोस  द्वारा सेंट जॉन द बैपटिस्ट चर्च में बप्तिस्मा दिया गया। अपने बेटे पर की गयी इस दया के लिए मोनिका ने खुशी से झूम ली होगी और प्रभु की बहुत स्तुति की होगी। .

संत अगस्तीन के धर्म परिवर्तन से पहले, मोनिका ने अपने अड़ियल बेटे को लेकर एक अनाम बिशप से सलाह ली थी। बिशप ने उसे यह कहकर सांत्वना दी: “उन आँसुओं का पुत्र कभी नष्ट नहीं होगा।” अगस्तीन के धर्म परिवर्तन के तीन साल बाद तक मोनिका जीवित थी। पृथ्वी पर उसका मिशन पूरा हुआ था। ईश्वर ने उन्हें अपने बेटे और पति के धर्म परिवर्तन के लिए प्रार्थना करने और अपनी दुःख पीडाओं की भेंट चढाने के लिए बुलाया था। सन 387 ईसवीं में जब वह 56 वर्ष की थी ईश्वर ने मोनिका को स्वर्ग में बुला लिया और अनंत आनंदमय जीवन का इनाम दिया। जब अगस्तीन की मां की मृत्यु हुई, तब वह 33 साल का था। अगस्तीन बाद में हिप्पो के बिशप बने और अंततः कलीसिया के आचार्य भी घोषित हुए। मुझे यकीन है कि स्वर्ग से मोनिका ने अपने बेटे के लिए प्रार्थना करना जारी रखी होगी और परमेश्वर की अनवरत स्तुति करती रही होगी |  

उठो और चमको

संत अगस्तीन अपनी आत्मकथा, “कन्फेशन्स” को लिखते हुए अपनी माँ के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करते हैं। जब माँ की मृत्यु हुई, तो उन्हें गहरा दुख हुआ और उन्होंने लिखा: “वे मेरी विकट स्थिति के संबंध में पहले से ही इस हद तक आश्वस्त थी, कि जब तक वे प्रभु के सम्मुख मुझे एक मरे हुए आदमी के रूप में मेरे लिए लगातार रोती रही, मानो मरा हुआ आदमी फिर से जीवित किया जा सकता है; उसने मुझे अपने ध्यान की अर्थी पर तुझे समर्पित करती थी और तुझसे गिडगिडाकर भीख मांगती थी की तू इस विधवा के बेटे को, ‘हे नव युवक, उठो’ कहें, कि वह फिर से जीवित हो जाए और बोलना शुरू कर दे ताकि तू उसे बहाल कर उसकी माँ को सौंप सकें।”

मोनिका ने एक बार अगस्तीन से कहा था कि वे आश्वस्त हैं कि वे इस दुनिया से विदा लेने के पहले उसे एक वफादार ख्रीस्तीय के रूप में देखेंगी। आइए हम सभी इस तरह के मज़बूत और भरोसापूर्ण विश्वास की कामना करें। हम याद रखें कि मातृत्व या पितृत्व का आह्वान संतों को जन्म देने के लिए एक बुलाहट है, लोगों को परिवर्तित करने और संतों का निर्माण की एक बुलाहट है। धरती पर माता-पिता होने का असली उद्देश्य स्वर्ग में संतों की संख्या में वृद्धि करना है!

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Connie Beckman

Connie Beckman is a member of the Catholic Writers Guild, who shares her love of God through her writings, and encourages spiritual growth by sharing her Catholic faith

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