Trending Articles
दुख अब कड़वा नहीं रहा, यह अब कहीं अधिक मधुर हो गया है…
महामारी के चरम के दौरान, कोविड-19 से ग्रसित होकर, मैं गंभीर श्वसन रोग की शिकार हो गई और मुझे चार दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। मेरी फेफड़ों की स्थिति में सुधार के लिए मुझे नसों के माध्यम से दवाएं दी गईं। इस बीमारी ने मेरे फेफड़ों में निशान छोड़ दिए, इसलिए सूजन कम करने के लिए डॉक्टरों ने प्रेडनिसोन और ऑक्सीजन देकर मुझे घर भेज दिया।
इससे पहले, मैं एक सक्रिय वरिष्ठ नागरिक थी जो बागवानी, अपने कुत्ते के साथ सैर, रोजाना लिखने, पढ़ने, और अपने परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताने का आनंद लेती थी। मैं मिस्सा और आराधना में जाती थी और नियोजित अभिभावकत्व दल में प्रार्थना करती थी। हालांकि, जीवन ने एक नई चुनौती का रूप ले लिया।
साइनस के कारण महीनों तक मुझे सिरदर्द की बीमारी बनी रही, और कोई भी दवा मुझे दर्द से राहत नहीं दिला सकी। मैं बहुत जल्दी थक जाती थी और दिन में कई बार लेटना पड़ता था। अक्सर, मैं घर के आसपास कुछ कामों को शुरू करती और जल्दी ही पूरी तरह से थक जाती और काम अधूरा रह जाता। मैंने स्वाद की क्षमता और यहां तक कि सुनने की क्षमता का कुछ हिस्सा भी खो दिया। कई बार मैं गाड़ी नहीं चला पाती थी क्योंकि ड्राइविंग के दौरान भ्रमित हो जाती थी और मुझे चक्कर आ जाता था। डॉक्टरों ने निर्धारित किया कि मैं दीर्घ कालीन कोविड से पीड़ित थी, और यह स्थिति कई महीनों तक बनी रही।
इसके अलावा, मेरा मन और सोचने की क्षमता धुंधली हो गई। मैं बहुत भूलने लगी — डॉक्टर इसे “ब्रेन फॉग” कहते थे। मैं पढ़ नहीं पाती थी, ध्यान केंद्रित करना असंभव हो गया था, और मैं बहुत चिंतित रहती थी। मैंने राहत के लिए प्रार्थना करना शुरू किया और दूसरों से भी मेरे लिए प्रार्थना करने को कहा। मैंने अपने दुख को उन लोगों के लिए समर्पित करने की कोशिश की जिन्हें ईश्वर की दया की जरूरत थी, लेकिन ऐसा करना बेहद कठिन था।
फिर मेरे मन में एक प्रेरणादायक विचार आया। मुझे पूरा यकीन है कि यह पवित्र आत्मा से प्रेरित था। मैंने फादर स्टू के बारे में सुना था, जो एक मुक्केबाज से कैथलिक पुरोहित बने थे। उन्होंने अपनी सशक्त जीवन की शुरुआत में इन्क्लूजन बॉडी मायोसाइटिस (IBM) नामक बीमारी का सामना किया, लेकिन वे पराजित नहीं हुए।
शराबी माता-पिता के घर में बिना किसी धार्मिक लालन पोषण के पले-बढ़े स्टीवर्ट लॉन्ग का बचपन क्रोध से भरा हुआ था। किशोरावस्था में, उन्होंने हर रात गलियों और सड़कों पर लड़ाई शुरू कर दी। जल्द ही उन्होंने मुक्केबाजी खेल को अपनाया, लेकिन जबड़े पर चोट लगने से उनका मुक्केबाजी करियर समाप्त हो गया। वयस्क होने पर, वे फिल्मों में किस्मत आजमाने के लिए कैलिफ़ोर्निया चले गए, लेकिन उन्हें अधिक सफलता नहीं मिली। एक गंभीर दुर्घटना से बाल-बाल बचने और उनकी प्रेमिका के कैथलिक धर्म में परिवर्तन होने पर उन्हें एक आवश्यक चेतावनी प्राप्त हुई। जब उनका बपतिस्मा हो रहा था, तब उन्हें स्पष्ट रूप से महसूस हुआ कि वे पुरोहित बनने जा रहे हैं। कुछ वर्षों तक उन्होंने पवित्र आत्मा के संकेतों को नज़रअंदाज़ किया, लेकिन अंततः उन्होंने एक निर्णायक फैसला लिया और सेमिनरी में प्रवेश किया।
वहीं, सेमिनरी में, उन्हें इन्क्लूजन बॉडी मायोसाइटिस (IBM) की बीमारी होने का पता चला, जो मांसपेशियों के क्षय की बीमारी है और किसी भी चिकित्सा उपचार के प्रति प्रतिरोधी है। यह असाध्य बीमारी धीरे-धीरे अंगों की विफलता, निगलने और सांस लेने में कठिनाई, और अंततः मृत्यु की ओर ले जाती है। फादर स्टू ने अपने जीवन के अंतिम चार वर्ष एक ऐसे सुविधा केंद्र में बिताए जहां दीर्घकालिक देखभाल होती है। उनका कमरा, नंबर 227, ऐसा स्थान बन गया जहां लोग आत्मिक मार्गदर्शन और पाप स्वीकार के लिए, या सिर्फ उनके साथ फिल्में देखने के लिए आते थे। उनके कमरे में जाने के लिए प्रतीक्षा करने वालों की हमेशा कतार लगी रहती थी। उस सुविधा केंद्र में उनकी मिस्साओं में भाग लेने केलिए हमेशा भीड़ होती थी। उनके साथ मिस्सा करना एक अविश्वसनीय अनुभव था। फादर स्टू ने अपने जीवन के अंतिम क्षण तक अनगिनत पीड़ित आत्माओं की सेवा की और अपना सारा कष्ट ईश्वर को अर्पित कर दिया। उनका निधन 9 जून, 2014 को हुआ।
फादर स्टू कहा करते थे: “क्रूस भरोसा करने का एक आह्वान है, भले ही सब कुछ भयानक रूप से गलत हो रहा हो।” तो, उनकी मध्यस्थता की प्रार्थना करते हुए, मैंने प्रार्थना करना शुरू किया: “फादर स्टू, अगर कोई जानता है कि कष्टों को सही तरीके से कैसे सहना है, तो वह आप ही हैं। कृपया मुझे दिखाएं कि कष्टों को कैसे सहना है।”
एक ही दिन में, फादर स्टू ने मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया और मुझे दिखाया कि येशु के साथ मिलकर कैसे अच्छी तरह से कष्ट सहा जा सकता है। येशु मसीह की शांति ने अपनी शक्ति और दया के साथ मेरे पूरे अस्तित्व को भर दिया। इसे शब्दों में समझाना आज भी मेरे लिए कठिन है। मेरा कष्ट और दर्द हल्का और आसान हो गया। मैंने रोज़री माला और दिव्य करुणा माला की प्रार्थना करना शुरू किया और साथ ही, मैंने लिटर्जी ऑफ द आवर्स भी करना शुरू किया, जिसे मैंने पहले कभी नहीं किया था। मसीह की शांति ने मुझे इतना आनंद और सुकून दिया कि मैं अभिभूत हो गई। यह शांति लगभग एक महीने तक बनी रही — एक ऐसा महीना जो मेरे कष्टों के बीच दिव्य प्रेम से भरा हुआ, अत्यंत सुंदर था।
हाँ, मुझे लंबे समय तक कोविड के लक्षणों का सामना करना पड़ा, लेकिन कष्ट मधुर हो गया। हालाँकि मैं दैनिक मिस्सा में भाग लेने और यूखरिस्त ग्रहण करने में असमर्थ थी, मैंने हर दिन आध्यात्मिक रूप से परमप्रसाद ग्रहण किया। येशु ने कहा है: “मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा और न ही त्यागूंगा।” मैं येशु के पास नहीं जा सकती थी, लेकिन येशु हर दिन मेरे पास आते थे।
मैं फादर स्टू की मध्यस्थता के लिए बेहद आभारी हूं। उन्होंने वास्तव में मुझे दिखाया कि कैसे अपने छोटे और बड़े कष्टों को उन लोगों के लिए अर्पित किया जाए जिन्हें येशु की दया और चंगाई की आवश्यकता है। मेरे लिए, यह एक मार्मिक गवाही थी कि फादर स्टू का मिशन — अन्य पीड़ित आत्माओं की मदद करना — आज भी उनके स्वर्गीय घर से जारी है। यह कहानी उन कई चंगाई की कहानियों में से एक है जिसका बयान अब तक नहीं हुआ है।
फादर स्टू के साथ ही पुरोहिताई का अभिषेक प्राप्त करनेवाले फादर बार्ट टॉल्सन ने अपने भाई पुरोहित और मित्र के बारे में एक अत्यंत सरल और प्रभावशाली पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है “दैट वाज़ फादर स्टू”। इस पुस्तक में फादर बार्ट ने लिखा है कि हमारे कष्टों में भी एक शाश्वत आशा है। फादर स्टू के जीवन की विरासत ने हॉलीवुड अभिनेता और निर्माता मार्क वॉलबर्ग को भी प्रेरित किया, जिन्होंने अप्रैल 2022 में “फादर स्टू” नामक एक फिल्म बनाई। मार्क वॉलबर्ग कहते हैं: “फादर बार्ट की पुस्तक वहां से शुरू होती है जहां फादर स्टू ने छोड़ा था। हम ईश्वर की दया में यह महसूस करते हैं कि फादर स्टू अब भी हमारी निगरानी और देखभाल कर रहे हैं।”
जब कष्ट असहनीय हो जाए, तो यह न भूलें कि हमारे पास स्वर्गीय सहायक हमेशा मदद के लिए तैयार हैं।
अपनी फिल्म “फादर स्टू” के निर्माण के अनुभव को साझा करते हुए मार्क वॉलबर्ग को शालोम वर्ल्ड के “बियॉन्ड द विज़न” में देखें और सुनें: shalomworld.org/episode/father-stu
————————-
कॉनी बेकमैन कैथलिक राइटर्स गिल्ड की सदस्य हैं, जो अपने लेखन के माध्यम से ईश्वर के प्रति अपने प्रेम को साझा करती हैं और अपनी कैथलिक आस्था साझा करके आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करती हैं।
कॉनी बेकमैन is a member of the Catholic Writers Guild, who shares her love of God through her writings, and encourages spiritual growth by sharing her Catholic faith
Want to be in the loop?
Get the latest updates from Tidings!